Date:14 Oct 2021 SAFTEAMGUJ.
आखिर आरएसएस और बीजेपी की ऐसी क्या मजबूरी है जो वे हमेशा वीर सावरकर का बचाव करते हैं? इस सच को जानना बहुत जरूरी है। राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर ने माफीनामा गांधी जी के कहने पर लिखा था और भागवत ने कहा कि सावरकर को बदनाम किया जा रहा है
राजनाथ सिंह ने सावरकर के माफीनामा को लेकर जो बात कही है, वह पूर्ण सत्य नहीं है। 1919 में बड़े पैमाने पर अंग्रेजों ने कैदियों की रिहाई की थी। सावरकर बंधु इससे पहले भी अपनी माफी की अर्जी भेज चुके थे। महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने भी उनकी अर्जी पर सुनवाई करने की सिफारिश की
गांधीजी ने अंग्रेज सरकार से कहा कि आप सावरकर को छोड़ दें। सावरकर लिख के यह दे ही रहे हैं कि वह अंग्रेज सरकार के वफादार बने रहेंगे, आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लेंगे और किसी भी ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे जो अंग्रेजों के खिलाफ होगी
गांधी जी ने यह भी लिखा कि सावरकर हिंसा का रास्ता छोड़ देंगे। अगर अंग्रेजों को उनकी बात पर यकीन नहीं है तो उन्हें काला पानी से रिहा कर कर भारत में ही नजर बंद कर दिया जाए। अंग्रेजों ने यही किया
लेकिन अब जरा सच्चाई का दूसरा पहलू देखिए कि महात्मा गांधी ने कभी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। नेहरू, पटेल, मौलाना आजाद, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद इन्होंने अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। सिर्फ सावरकर ने मांगी
सावरकर को नजरबंदी से तब आजाद किया जब 1937 में वह हिंदू राष्ट्र और मुस्लिम राष्ट्र का मामला गर्म करना चाहते थे। इसी समय उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को इंग्लैंड से वापस बुलाया। सावरकर ने हिंदू राष्ट्र और जिन्ना ने मुस्लिम राष्ट्र की मांग कर अखंड भारत के सपनों को चूर कर दिया
1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ा तब सावरकर के सामने अपनी देशभक्ति दिखाने का पूरा मौका था, लेकिन उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लिया बल्कि इसका विरोध किया। यह भारत की आजादी की जगह अंग्रेजों की तरफदारी कर रहे थे
महात्मा गांधी की हत्या सावरकर के शिष्य नाथूराम गोडसे ने की। गांधीजी के मुकदमे की फाइल पढ़ लीजिए पता चलेगा की गोडसे को विजयी भव का आशीर्वाद सावरकर ने दिया था। सावरकर की रिहाई के लिए चंदा जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी जुटा रहे थे
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी से स्पष्ट शब्दों में कहा था कि उन्हें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आर एस एस और हिंदू महासभा ने जिस तरह की परिस्थितियां देश में उत्पन्न होती हैं उसके कारण ही महात्मा गांधी की हत्या हुई है
अगर कोई यह याद दिलाए कि सावरकर देशभक्ति के कारनामों के लिए ही जेल गए थे तो मैं उससे सहमत होऊंगा। लेकिन जेल से छूटने के बाद उन्होंने हर काम वही किया जो अंग्रेजों के फायदे में गया। जो पहले देश के साथ हो और बाद में दुश्मन के साथ मिल जाए, उसे देशभक्त नहीं गद्दार कहते हैं
Via : piyush babele @BabelePiyush
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