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Friday, 22 September 2023

Blt

 🤔 #_इस_तरह_अंजाम_दिया_जाता_है_लव_ट्रैप 🤔

👉 ऐ उम्मते मुहम्मदी क्या तुमको ख़बर है कि मुख़ालिफ़ीन तुमको नेस्त-ओ-नाबूद कर देने पर किस क़दर आमादा हैं, क्या तुम जानते हो कि मुख़ालिफ़ीन ने तुम्हारे ख़िलाफ़ अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया है.. अगर नहीं तो पढ़िए ये तहरीर जो लव ट्रैप में पकड़ी गई लड़कियों और फ़र्ज़ी प्रोफ़ाइल के ज़रिए साजिश करने वालों के बीच घुस कर ली गई जानकारी की बुनियाद पर लिखी गई है, और समझ लीजिए कि आपके पास अपनी नस्लों को बचाने का ये आख़िरी मौक़ा क्यों है, अगर आप आज भी नहीं जागे तो फिर आपकी ये नींद जहन्नम में ही टूटेगी

👉 लव ट्रैप का पहला क़दम- ग़ैर मुस्लिम सहेलियों, पड़ौसियों, ऑनलाइन डिलीवरी बॉय, मोबाइल रिचार्ज शॉप या मुस्लिमों से किसी भी ज़रिये ताल्लुक़ात रखने वाले ग़ैर मुस्लिमों के ज़रिए मुस्लिम लड़कियों का फ़ोन नम्बर,फोटो और उनकी फ़ैमिली इंफॉर्मेशन ख़ामोशी से कलेक्ट की जाती है फिर वो तमाम मालूमात विशेष संघठन के ट्रेंड किये हुए उन लड़कों तक पहुंचाई जाती है जो लड़की से कुछ दूरी के रहने वाले होते हैं ना कि एकदम पड़ौसी...और वो तमामतर लड़के लोअर स्टेटस के होते हैं जिनको हाई स्टेटस से पैसा और तमाम सहूलतें मुहैय्या कराई जाती हैं, या फिर कॉलेज व जॉब करने वाली मुस्लिम लड़कियों के साथ उन जगहों पर मौजूद लड़के पहले बातचीत व दोस्ती के ज़रिए उनके मोबाइल नम्बर हासिल करते हैं

👉 दूसरा क़दम - फिर उन नंबरो के ज़रिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर शुरू होता है दुआ सलाम और हाय हेलो.. फिर ये बढ़ता हुआ आता है उन लड़कियों के हुस्न की तारीफ़ और उन लड़कों का मुस्लिम कल्चर को पसंद करने की सिखाई गई झूठी बात तक.. और ये हुस्न की तारीफ़ जिसके लिए आज बेशुमार मुस्लिम लड़कियाँ इस दर्जा पागल हैं कि उसके बदले में उनको खिंजीर भी खिला दिया जाए तो एक बार उफ़्फ़ न करेंगी और इस खेल में सोशल मीडिया पर मुस्लिम लड़कियाँ ख़ुद बड़ी तादाद में खुले आम मुशरिकों के साथ शामिल हैं जिनको उनके जहन्नमी वालिदैन न रोकते हैं न समझाते हैं बल्कि अपनी आँखों से देख कर भी ख़ुश होते हैं, ऊपर से इस्लामी रिवाजों की पसंदगी का झूँठ उनको उन लड़कों पर लट्टू कर देने के लिए काफ़ी है भले ही वो ख़ुद एक इस्लामी रिवाज के मायने नहीं जानतीं, लेकिन इन दो वजहों से उनकी मामूली सी जान पहचान प्यार में बदल जाती है

👉 तीसरा क़दम- प्यार के साथ शुरू होता है मिलने जुलने और साथ खाने पीने का सिलसिला और उसी दरम्यान इन लड़कियों को किसी खाने की चीज़ पर शैतानी अमल करवा के खिला दिया जाता है जिसके बाद वो लड़का इनकी ज़िन्दगी हो जाता है, फिर शुरू होता है गिफ़्ट लेने देने का सिलसिला और असल खेल यहीं से शुरू होता है जब लड़का लड़की के लिए कुछ ऐसा गिफ़्ट लाता है जिसका चलन मुस्लिमों में नहीं होता, तब लड़की उसको लेने से इनकार करती है और बताती है कि ये उसके घर में इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा.. तब लड़का उसको बताता है कि ये तो आजकल मॉडर्न ज़माने में सब लड़कियाँ इस्तेमाल करती हैं इसमें क्या बुराई है.. यार मुसलमान मर्द लड़कियों को अपनी ज़िंदगी क्यों नहीं जीने देते, उनको इतना दबा कर क्यों रखते हैं, यार तुम लोग आज भी 1400 साल पुरानी सोच क्यों लिए बैठे हो, हमारे यहाँ तो सब आज़ाद हैं तुम लोग कैसे जीवन काटती हो इस क़ैद की ज़िंदगी में...??

👉 चौथा क़दम- अब वो बेचारी जो दीनी इल्म से ख़ाली है क्योंकि उसके जहन्नमी वालिदैन ने उसको दीन ईमान सिखाया ही नहीं होता है इसलिए उसके पास उन बातों का कोई जवाब नहीं होता है तो वो एहसासे कमतरी का शिकार हो जाती है और अपने वालिदैन को अपनी आज़ादी का दुश्मन समझने लगती है और अपने आपको पिछड़ा हुआ, फिर उस एहसासे कमतरी से निकलने को मॉडर्न कल्चर और बेहयाई की तरफ़ माइल होने लगती है, और फिर शुरू होता है लड़के के दोस्तों से मिलवाने, बात करवाने का सिलसिला जो कुछ ही वक़्त में पार्टी करने तक पहुंच जाता है और उन पार्टियों में मॉडर्निटी के नाम पर उस लड़की को सिगरेट, बियर,और शराब तक पहुंचा दिया जाता है... और ये दुनिया उसके लिए एकदम नई होती है जिसमें गुनाहों की लज़्ज़त उसके दिल से बचा खुचा ईमान भी निकाल देती है

👉 पांचवा क़दम- फिर उसको ज़िना तक लाया जाता है और ज़िना भी इतना बदतरीन कि कोई जानवर भी ऐसी गंदगी न कर सके, उस बदतरीन ज़िना के पीछे छुपी होती है इस्लाम से बेइंतेहा नफ़रत.. इलाहाबाद के एक मामले में तो ज़िना के वक़्त लड़का शैतानी नारा लगाता था और लड़की से अल्लाह अल्लाह कहलवाता था(नाउज़ुबिल्लाह).. आप सोच रहे होंगे इतनी ग़लाज़त के बाद भी लड़की उस लड़के को छोड़ती क्यों नहीं है.. इसलिए कि जब इंसान शैतान की ज़द में आ जाता है तो उसको शैतानी अमल खुशी देते हैं न कि तक़लीफ़.. जैसे कोई तांत्रिक किसी मासूम का क़त्ल कर के उसका ख़ून पी कर इसलिए शर्मिंदा नहीं होता कि उसने किसी के कलेजे के टुकड़े का क़त्ल कर दिया बल्कि वो इसलिए ख़ुश होता है कि आज उसको ताज़ा ख़ून पीने को मिल गया

👉 छठा क़दम- इतनी ग़लाज़त के बाद लड़की की शैतानी ख़्वाहिशात इतनी बढ़ जाती हैं कि फिर वो लड़के के साथ उसके दोस्तो की ग़लाज़त का भी ज़रिया बनने से ज़रा मना नहीं करती और ये सब वो मॉडर्निटी के नाम पर कर रही होती है.. फिर लड़के के दोस्तों के लिए दूसरी मुस्लिम लड़की की डिमाण्ड उस लड़की से रखी जाती है और उसको बताया जाता है कि दोस्त को कई लड़कियों के ऑफर आये लेकिन उसको मुस्लिम लड़की ही पसंद है क्योंकि वो तुम्हारी तरह हॉट और स्मार्ट होती हैं इसलिए तुम किसी दूसरी लड़की से मेरे दोस्त के लिए बात करो.. और हरामकारी में डूबी हुई वो बेग़ैरत लड़की ख़ुद को हूर की परी समझने लगती है और क़ौम की किसी दूसरी लड़की को उस गंदगी में धकेल लाती है

👉 सातवाँ क़दम- और इन रास्तों से गुज़रते हुए वो लड़की दिल से पूरी तरह मुर्तद हो चुकी होती है और उसे मुसलमानों और इस्लाम से नफ़रत हो जाती है, फिर अल्लाह भी उसके लिए हिदायत के रास्ते बंद कर देता है.. और आख़िर में वो किसी मुशरिक से शादी करने के कुछ दिन बाद इस्तेमाल कर के फेंक दी जाती है और उसके किये गुनाहों की सज़ा उसकी ज़िन्दगी से ही शुरू हो जाती है, मौत क़ब्र और आख़िरत के अज़ाब तो उसके लिए बड़ा ख़सारा है हीं लेकिन उस से पहले उस एक लड़की के ज़रिए 30 पीढ़ी तक चलने वाली मुसलमानों की एक नस्ल ख़त्म हो जाती है और जाहिल मुसलमान उसको एक बदचलन लड़की का गुनाह समझ कर अगले ही दिन भुला देते हैं

👉 अब आपको इस बात पर यक़ीन नहीं हो रहा होगा कि अगर इतना सब कुछ हो रहा है तो किसी को इसकी ख़बर क्यों नहीं हो रही...?? तो सुनिए आपको सिर्फ़ वो आख़िरी ख़बर मिलती है जब वो लड़की मुर्तद होने के ऐलान के साथ या तो किसी शिर्क के हामी से शादी कर लेती है या भाग जाती है, या अचानक बदनसीबी से रँगे हाथ पकड़ी जाती है, उस से पहले उसको बचाती है मुस्लिमों और ग़ैरमुस्लिमों के दरमियान खड़ी की गई नफ़रत की दीवार..जो दीवार बड़ी साजिश के तहत खड़ी की गई है... आज उसी नफ़रत की वजह से हम न तो किसी ग़ैर इस्लामी मुआशरे में उठ बैठ रहे हैं ना दोस्ती न ही ज़्यादा बातचीत कर रहे हैं... लेकिन उसी नफ़रत की दीवार के पीछे ख़ामोशी से चल रही है हमारी नस्लों को तबाह कर देने की बदतरीन साजिश और उस साजिश का शिकार कितनी लड़कियाँ हैं इसका अंदाज़ा भी लगाना नामुमकिन होता जा रहा है

👉 ये ज़रूरी बात और समझ लीजिये कि वो विशेष संघठन जिस काम का इल्ज़ाम आप पर लगा रहा होता है और आपको उसके बदले में नुक़सान पहुँचा कर डरा रहा होता है असल मे वो वही काम आपके साथ कर रहा होता है.. लेकिन आपको खुशफ़हमी में मुब्तिला कर के और डरा कर आपकी तवज्जोह आपके घर मे डाली जा रही डकैती से हटा देता है.. और आज उसी नफ़रत की दीवार की बदौलत एक लड़की दूसरी लड़की को जब ये बताती है कि वो कई साल से एन्जॉय कर रही है और किसी को पता नहीं चल रहा तब दूसरी लड़की भी आसानी से उस दलदल में उतर आती है इसलिए ये देखने में आया कि ज़्यादातर मामलों में एक से ज़्यादा लड़कियाँ शामिल थीं जो एक दूसरे को अपने साथ ले जाने के बहाने से उनके घरों से बुलाती थीं और हरामकारी में एक दूसरे के लिए रास्ता हमवार करती थीं.. और ऐसी बेशुमार लड़कियां और शादी शुदा औरतें हैं जो मुशरिकों के साथ इस दीवार के पीछे छुप पर बदतरीन हरामकारी कर रही हैं और किसी को कानो कान ख़बर नहीं हो रही

👉 साथ ही इस संघटन के ट्रेंड लड़के उन लड़कियों को हिजाब सख़्ती से पहनने को समझाते हैं जिस से उनके घर वालों और मुआशरे को उन पर ज़रा शक नहीं होता बल्कि लोग उनको इज़्ज़त दे रहे होते हैं लेकिन वो हिजाब का इस्तेमाल अपने गुनाहों पर पर्दा डालने को कर रही होती हैं.. और ये ही वजह है कि ऐसी ज़्यादातर लड़कियां हिजाबी पाई जा रही हैं.. और जब उनका हिजाब खुलता है तब सबकी आँखे खुली रह जाती हैं

👉 लेकिन आख़िर में हम उन लड़कों को ज़रा भी क़ुसूरवार नहीं ठहरा सकते हैं क्योंकि वो खुले आम बोल रहे हैं कि मुस्लिम लड़कियों को सरकारी प्रोपर्टी समझ कर इस्तेमाल करो , ख़ुद भी मज़े लो दूसरों को भी दिलाओ.... और वो ऐसा इसलिए बोल रहे हैं कि आज बेशुमार मुस्लिम लड़कियाँ सोशल मीडिया और बाज़ारों में अपने हुस्न की खुली नुमाईश ऐसी बेहयाई के साथ कर रही हैं जैसे कोई तवायफ़ भी नहीं करती.. यानि वो ख़ुद को सरकारी प्रॉपर्टी की तरह ही इस्तेमाल करने की दावत मुशरिकों और बदतरीन लोगों को दे रही हैं... ये कहना ग़लत न होगा कि कोई साजिश करने वाला इनको नहीं फँसा रहा बल्कि ये उल्टा उनको फँसा रही हैं और बदतरीन और ग़लीज़ लोगों के साथ बदतरीन और ग़लीज़ हरामकारी करने पर आमादा हैं. ... अब इसके बाद भी हमारी आँखें नहीं खुलतीं और हम अपने घरों में झांकने को तैयार नहीं हैं तो फिर उन बेचारों की क्या ग़लती.... और हज़ार बातों की एक बात कि अगर इन लड़कियों को उनके वालिदैन ने दीन ईमान सिखाया होता तो वो पहले क़दम को ही आख़िरी बना देतीं.. वो तवायफों की तरह खुलेआम मुशरिकों में अपने हुस्न की नुमाईश न कर रही होती

👉 लेकिन इतना तय है कि ये हिंदुस्तानी मुसलमानों के लिए आख़िरी मौक़ा है अपने गुनाहों से तौबा का और अपनी ग़लतियाँ सुधार लेने का...क्योंकि हम अल्लाह के वो दुश्मन हैं जो उसके दीन को ख़ात्मे तक ले आये हैं. और अब हम पर अल्लाह का अज़ाब आने में बहुत वक़्त नहीं बचा है

लेखक - Mansoor Adab Pahasvi 9267095874
              Aligarh Muslim University Aligarh

केनाडा और भारत का विवाद रविष्कुमार वीडियो टैक्स। G 20 के बाद ।

 मैं रवीश कुमार भारत ने कैनेडा के नागरिकों के लिए अनिश्चितकाल के लिए वीजा सेवाएं बंद कर दी है वीजा के क्षेत्र में काम करने वाली भारतीय कंपनी डीएलएफ ने पहले अपनी वेबसाइट पर इसकी सूचना जारी कर दी कि वीजा सस्पेंड कर दिया गया है मगर हटा भी लिया गया इससे भ्रम फैल गया कि कहीं यह समय
चार गलत तो नहीं है बाद में डीएलएफ ने दोबारा से यह सूचना अपनी वेबसाइट पर डाल दी और लिख दिया कि ऑपरेशनल कारणों से अनिश्चितकाल के लिए वीजा सेवाएं बंद कर दी गई हैं विदेश मंत्रालय ने बहुत देर तक इस पर चुप्पी साधे रखी लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता
एकदम बागची ने आधिकारिक रूप से कह दिया कि कैनेडा के दूतावास के उच्चायुक्त और अन्य अधिकारी धमकियों का सामना कर रहे हैं उनके काम में अड़चनें आ रही हैं इसलिए वे वीजा सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं ठीक इसी तरह की बाद कैनेडा ने कही है आज के राइटर्स और हिंदू में सुहासिनी हैदर और
लोल भट्टाचार्जी की खबर छपी है कि कैनेडा ने कहा है कि भारत के दूतावास में काम करने वाले स्थानीय लोगों को छुट्टी पर भेज दिया गया है कैनेडा ने कहा है कि वह अपने राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया पर धमकियां दी जा रही है स्थिति इतनी खराब है कि दूतावास के अधिकारी
सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और अपना दैनिक काम नहीं कर पा रहे हैं मगर अरिंदम बागची ने कहा कि कैनेडा में भारत के दूतावास में कर्मचारियों की संख्या कम है जबकि भारत में कैनेडा के दूतावास में ज्यादा है तो दोनों जगहों पर बराबर संख्या में कर्मचारी और अधिकारी
होने चाहिए हम उम्मीद करते हैं कि कैनेडा इसे कम करेगा इसका मतलब है कि दोनों देशों के बीच टकराव काफी बढ़ चुका है भारत में क्या ही खतरा होगा आपने देखा भी है या तो कुछ भी नहीं होगा न हुआ मगर कैनेडा और अन्य देशों में ज़रूर भारतीय दूतावासों पर और काउंसलेट पर
हमले हुए हैं आज तो भारत ने कैनेडा पर यह भी आरोप लगा दिया कि यह देश आतंकवादियों के लिए शरणस्थली बन चुका है भारत का चीन से मोर्चा खोला हुआ है और अब कैनेडा से भी खुल गया है यह टकराव कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान से शुरू हुआ जो लगता है अब औपचारिक मोर
नीचे की तरफ बढ़ता जा रहा है यही नहीं भारत ने कैनेडा से कहा है कि वह अपने सभी साक्ष्य सौंपे लेकिन कैनेडा की तरफ से साक्ष्य नहीं दिए गए हैं आप जानते हैं कि कैनेडा ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसके एजेंट ने वैंकूवर के पास उसके एक नागरिक की हत्या कर दी है भारत इस नागरिक
को आतंकवादी कहता है जब आप वीजा रोकते हैं तो इसे स्वीकार भी करते हैं कि भारत और कैनेडा के बीच के संबंध फिलहाल दोस्ताना नहीं रहे जाहिर है इसका असर कैनेडा में रहने वाले भारतीयों और वहां पढ़ने गए छात्रों पर भी पढ़ रहा होगा अरिंदम बागची ने कहा है कि कैनेडा द्वारा वीजा दिए जाएं
में भेदभाव का मुद्दा पहले भी रहा है ई वीजा पर अस्थाई तौर पर प्रतिबंध लगाया गया है मगर जिनके पास वैलिड वीजा है वे भारत अब भी आ सकते हैं दो हज़ार तेरह से दो हज़ार तेईस के बीच कैनेडा जाने वाले भारतीयों की संख्या तीन गुनी बढ़ी है हर साल करें
सवा लाख से अधिक भारतीय कैनेडा के स्थायी निवासी बन जाते हैं इनमें से अधिकतर स्किल्ड वर्कर की श्रेणी में आते हैं मोदी सरकार के दौर में यह संख्या कम नहीं हुई दो हज़ार बाईस में एक लाख भारतीयों ने कैनेडा का पीआर यानी परमानेंट रेजिडेंस ले लिया दो हज़ार बाईस में पांच लाख भारतीय
छात्र विदेशों में पढ़ने गए थे इनमें से चालीस प्रतिशत यानी दो लाख से ज्यादा छात्र कैनेडा गए हैं या जो तनाव हो रहा है इसका असर वहां पढ़ने वाले छात्रों पर भी पढ़ सकता है वीजा रोकने के फैसले से यह साबित होता है कि दोनों देशों के बीच अब या तनाव जल्दी नहीं सुधरने वाला इसका
व्यापार पर भी पढ़ सकता है हाल के वर्षों में भारत और कैनेडा के बीच व्यापार भी बढ़ा है भारत भी चार अरब डॉलर का निर्यात करता है और कैनेडा भी इसी के आसपास भारत को निर्यात करता है तो क्या भारत और कैनेडा के बीच तनाव अब कूटनीति की सीमा रेखा से बाहर निकल चुका है संवाद
स्थापित होने के बजाय टकराव ही बढ़ रहा है एक और खबर आई है कि अक्टूबर महीने में भारत आने वाले कैनेडा के व्यापार मंत्री ने अपना दौरा रद्द कर दिया है जी ट्वेंटी से ही पहले खबर आ गई थी कि कैनेडा ने व्यापार समझौतों पर विराम लगा दिया है दिल्ली की सड़कों पर जीत विनती की सजावट
अभी भी मौजूद है मगर इसके पोस्टरों पर लिखा वसुधैव कुटुम्बकम का नारा यानी एक धरती एक परिवार और एक भविष्य संकट में पड़ गया है जी ट्वेंटी में भारत यह दावा करने लगा कि दुनिया अपने विवादों को निपटाने के लिए उसकी तरफ देख रही है गोदी मीडिया भी इस तरह की धारणाएं हैं
लाने लगा कि दुनिया के झगड़ों में भारत सरपंच बन रहा है लेकिन कैनेडा वाले विवाद को लेकर चार बड़े देश कैनेडा के साथ लगते हैं अमेरिका ब्रिटेन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने सार्वजनिक रूप से भारत का साथ नहीं दिया बल्कि उनका झुकाव कनाडा की तरफ दिखाई देता है इन देशों ने भारत
से कहा है कि वह जांच में सहयोग करे चीन को काउंटर करने के लिए भारत को इस वक्त पश्चिमी देशों के सहयोग की जरूरत है लेकिन जिस तरह से एक आतंकवादी की हत्या को लेकर कैनेडा ने भारत पर हमला बोला है व सामने से जैसा भी देखता हो मगर कहानी कुछ और भी लगती है जीत विनती की समाप्ति के
बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तो पश्चिम की भूरी भूरी प्रशंसा की थी सोलह सितंबर को एशियानेट न्यूज से एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम के देशों को नकारात्मकता से देखने के सिंड्रोम यानी धारणा से निकलना होगा पश्चिम बैठ गाय नहीं है बुरा लड़का नहीं है यही नहीं भारत
के एक और मित्र देश तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कह दिया कि पचहत्तर साल बाद भी पाकिस्तान और भारत आपस में संवाद स्थापित नहीं कर पाए हैं दोनों की बातचीत से ही कश्मीर में शांति बहाल होगी और फिर दक्षिण एशिया में शांति और इस थे
पिता आएगी ये नेता चार दिन भी जीत जयंती का नारा याद नहीं रख पाए यहां से लौटकर कई देश अपनी अपनी बातें करने लगे और भारत को निशाना बना रहे हैं जी ट्वेंटी खत्म नहीं हुई कि कोई शामियाने का खंभा लेकर भागा जा रहा है तो कोई कुर्सी उठाकर फेंक रहा है क्या यही वसुदेव कुटुम
कम है अमेरिकी सरकार ने कहा है कि वे कैनेडा सरकार के साथ इस मामले में संपर्क में हैं और कैनेडा द्वारा जांच का समर्थन करते हैं अमेरिका ने भारत से सहयोग करने का आह्वान किया है ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि हम कैनेडा सरकार के साथ इन गंभीर आरोपों को लेकर बातचीत कर
रहे हैं सभी देशों को एक दूसरे की संप्रभुता और कानून का पालन करना चाहिए इसी अप्रैल में भारत सरकार ने ब्रिटेन की सरकार से कहा था कि सिख अलगाववाद के समर्थकों पर निगरानी बढ़ा दें ब्रिटेन ने कहा भी था कि भारतीय दूतावासों पर किसी भी प्रकार का हमला बर्दाश्त नहीं
किया जाएगा उस वक्त लंदन टोरंटो सैन फ्रांसिस्को मेलबर्न में खालिस्तान समर्थक रैली होने लगी थी और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई निज्जर की हत्या के बाद भारतीय राजदूतों को सार्वजनिक रूप से धमकियां भी मिली ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा है कि वह इन आरोपों से काफी चिंतित है कहना
विदेश मंत्री ने कहा है कि वे इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कैनेडा के मित्र देशों के साथ भारत के बारे में बात करेंगे न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री नाना या माहौल था ने कहा है कि अगर भारत की सरकार कथित रूप से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के जिम्मेदार है तो यह
गंभीर मामला है अमेरिका ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और कैनेडा सुरक्षा समूह फाइव आई के सदस्य हैं इन देशों की प्रतिक्रियाओं को अलग अलग तरीके से पढ़ा जा रहा है
एक राय है कि सब कैनेडा के साथ हैं दूसरी राय है कि कैनेडा के मित्र देशों ने भारत को अभी साफ साफ जिम्मेदार नहीं माना है
हालांकि विदेश मंत्रालय बोल रहा है मगर अब भारत के विदेश मंत्री को भी बोलना चाहिए
फरवरी दो हज़ार तेईस को एएनआई की स्मिता प्रकाश से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन बड़ी अर्थव्यवस्था है मुझे क्या करना चाहिए एक छोटी अर्थव्यवस्था के रूप में क्या में बड़ी अर्थव्यवस्था से युद्ध मोल ले लूं या प्रतिक्रिया या जवाब का सवाल नहीं है या तो कॉमन
सेल्स का सवाल है जय शंकर कहते हैं तो इस वर्ष कॉमन सेंस का सवाल क्या कहता है
कई देशों के विदेश मंत्री कैनेडा का साथ दे रहे हैं उस व्यक्ति की हत्या को लेकर जिसे भारत ने दो हज़ार बीस में आतंकवादी घोषित किया था लेकिन कैनेडा उसे अपना नागरिक मानता है पंजाब के जालंधर का हर दीप सिंह निज्जर उन्हीं सौ सत्तानवे में कैनेडा गया शादी की दो बेटे हुए और बतौर प्लम
पर काम किया कैनेडा के ब्रांड ब्रिटिश कोलंबिया में रिहाइश ली और खालिस्तान की मांग करते हुए काफी मसूरी कमाई दो हज़ार सात में कैनेडा के नागरिक बन गया इस साल जून में बैंक वर्ग के नजदीक दो नकाबपोशों ने गोली मारकर हत्या कर दी खबरें यह भी छपी हैं कि वह अवैध रूप से कैनाडा गया था आरोप था कि
भारत ने प्रतिबंधित संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स का संस्थापक है कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने संसद में निज्जर को कनाडा का नागरिक कहा है यह भी गौर करने की बात है कि भारत जैसे आतंकवादी कहता है कैनेडा के प्रधान मंत्री और कोई आम आदमी व्यक्ति नहीं प्रधान मंत्री अपना नागरिक बताते हैं
बीबीसी ने लिखा है कि मेजर के करीबियों ने बताया है कि निज्जर को कनाडा की खुफिया एजेंसियों ने जान के खतरे की चेतावनी दी थी जून की घटना का असर सितंबर के महीने में क्यों इतना हो रहा है हमें अभी भी इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है कि क्या सिर्फ एक आतंकवादी के लिए दोनों देशों के बीच यह तनाव
पैदा हुआ है और कई देश कनाडा के साथ आकर खड़े हो गए हैं या कुछ और भी मामला हो सकता है अट्ठारह सितंबर को कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो का बयान आता है कि कैनेडा की खुफिया जांच एजेंसियां कैनेडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की भूमिका के
संभावित आरोपों की पड़ताल कर रही हैं भारत पर पहली बार दूसरे देश की जमीन पर किसी दूसरे देश के नागरिक की हत्या का आरोप लगा है वह भी मीडिया रिपोर्ट के जरिए नहीं प्रधान मंत्री के जरिए जस्टिन ट्रूडो ने हो सकता है घरेलू राजनीति के कारण ऐसा कहा हो लेकिन तब हमें जान
न होगा कि कनाडा में रहने वाले से क्या खालिस्तानी सोच वाले नेताओं के साथ है ऐसा मानना ठीक नहीं होगा जब पंजाब में सिखों ने खालिस्तान के समर्थकों को बढ़ावा नहीं दिया समर्थन नहीं दिया तो कैनेडा में क्यों करेंगे फिर भी गतिविधियों से तुलना करें तो लगता है कि पंजाब से
डा कैनेडा में खालिस्तानी समर्थक उग्र हैं और सक्रिय हैं हम आज के वीडियो में खालिस्तान वाले पहलू पर ज्यादा जोर नहीं दे रहे हैं इसे मुख्य रूप से कूटनीतिक नजरिए से ही देखने का प्रयास करेंगे कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में है उन्होंने कहा कि जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानियों के झांसे में फंसते जा रहे हैं
सिंह ने तो यह भी पूछा है कि भारतीय मिशन पर जो हमले हुए हैं उन मामलों में कैनेडा ने क्या कार्रवाई की है इस तरह भारत की तरफ से भी ट्रूडो पर जवाबी हमले किए जा रहे हैं
प्रेस ने सूत्रों के हवाले से खबर छापी है अमेरिका के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि संसद में बयान देने से पहले जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को भरोसे में लिया था रॉयटर्स ने खबर छपी है कि निज्जर की हत्या को लेकर अमेरिका और कनाडा
मिलकर जांच कर रहे हैं तो यह मामला कैनेडा के घरेलू राजनीति से जुड़ा नहीं लगता है जिस तरह से दिखाया जाता है वरना अमेरिका न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन इससे दूर ही रहते यह भी सच है कि आतंकवाद से लड़ने के मामले में पश्चिम के देशों का रेकॉर्ड बहुत खराब है इराक पर रासायनिक हथियार के नाम
झूठ बोला और हमला किया गया और अभी भी यह सिलसिला जारी है कई मूल तबाह कर दिए गए कैनेडा के सिक्कों में भले ही खालिस्तान को व्यापक समर्थन हासिल न हो मगर जस्टिन ट्रूडो अक्सर खालिस्तान समर्थकों के साथ देखे गए हैं दो हज़ार सत्रह में ट्रूडो एक ऐसे कार्यक्रम में गए जहां खालिस्तान
समर्थकों के झंडे और पोस्टर लगे थे दो हज़ार अट्ठारह में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैनेडा के रक्षामंत्री से मिलने से मना कर दिया उन पर खालिस्तान समर्थक होने का आरोप लगाया दो हज़ार अट्ठारह में जस्टिन ट्रूडो भारत आए भारत आने के कई दिनों तक केंद्र सरकार के किसी प्रमुख और वरिष्ठ मंत्री ने
उनसे मुलाकात नहीं की यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी ज्यादा तवज्जो नहीं दिया उनके इस दौरे के दौरान उन्हें भारत द्वारा नौ खालिस्तानी संचालकों के नाम दिए गए जिसमें हर दीप सिंह निज्जर का नाम भी था हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि आज तक कैनेडा ने इन आरोपियों पर कोई कार्रवाई
नहीं की है दो हज़ार बीस में ट्रूडो ने भारत के किसान आंदोलन का समर्थन किया था और किसानों के हितों के लिए लड़ने की बात कही दिसंबर दो हज़ार बीस में ब्रिटेन अमेरिका कैनेडा ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था वहां से कई लोगों ने किया था मगर जब कैनेडा में किसानों ने
आंदोलन किया तब ट्रूडो ने वही किया जिसकी निंदा कर रहे थे अपने देश के किसानों के बैंक खाते जब्त कर लिए गए भारत ने इसकी निंदा की और कहा कि घरेलू मामले में दखल देने से कैनेडा बाजार इस साल जून में जब कैनेडा में इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी निकली तब भारत
कैनेडा की निंदा की थी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने निंदा करते हुए कहा कि अलगाववादियों को मंच दिया जा रहा है जो हिंसा को बढ़ावा देते हैं दो हज़ार दस में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उस समय के कैनेडा के प्रधानमंत्री से कहा था कि ओटावा में खालिस्तान से जुड़े मुद्दों को हवा दे
ने से भारत नाराज है कि दो हज़ार बारह में भी यूपीए सरकार के विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर से खालिस्तान के मुद्दे को लेकर बात करती हैं उस समय हार पर भारत आए थे तब उन्होंने कहा था कि कैनेडा एक भारत यूनाइटेड इंडिया का समर्थन करता है तो
हम देखते हैं कि संबंध तो हमेशा ही सामान्य रहे हैं मगर खालिस्तान को लेकर दोनों देशों के बीच दरारें पड़ने लगी थी भारत ने दो हज़ार तेरह से ही जगमीत सिंह के अपने मुल्क में आने पर रोक लगा दी वे पहले पश्चिमी राजनेता थे जिन्हें भारत में आने से रोका गया जगमीत सिंह की पार्टी
ट्रूडो की सरकार में सहयोगी दल है कैनेडा में सिख फॉर जस्टिस नाम के संगठन ने खालिस्तान को लेकर दुनिया भर के अलग अलग शहरों में गैर आधिकारिक रूप से राय शुमारी करानी भारत ने इस संगठन पर भी प्रतिबंध लगा दिया दो हज़ार बाईस के साल में राय शुमारी के कई मामले आए रेफरेंडम के रोम जिनीवा
लंदन सैन फ्रांसिस्को और मेलबर्न में रेफरेंडम कराएगी जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया भारतीय दूतावास और काउंसलेट पर हमले के कारण दोनों देशों के बीच टकराव की नौबत नजदीक आती जा रही थी अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को और ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भी इस तरह के हमले हुए मगर खालिस्तान
को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन के साथ इस तरह का खटास नहीं आया जैसा तनाव कनाडा के साथ देखा जा रहा है इसके पीछे क्या वजह रही होंगी हम स्पॉट नहीं हैं अंदाजा लगा सकते हैं मार्च दो हज़ार तेईस में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय काउंसलेट पर हमला हुआ एनआईए ने उन हमलों में शामिल
वॉन्टेड आरोपियों की तस्वीर जारी की है उनके बारे में जनता से जानकारी मांगी गई है तो एक तरफ से भारत दिखा रहा है कि उसने दूसरे देश की सीमा में घुसकर किसी की हत्या नहीं की बल्कि उन देशों में उसके अपने दूतावासों पर हमले हुए हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है क्या अमेरिका कैनेडा और
तेल लिया खालिस्तान के बहाने भारत को टारगेट करेंगे ऐसा करना बहुत कमजोर आरोपों का सहारा लेना होगा इसलिए हमारी नजर उन कानों तक जाने की कोशिश कर रही है जो अभी खुलकर सामने नहीं आए काउंसलेट पर हमले से लेकर रायशुमारी की घटनाएं कई शहरों में हुई मगर समर्थन के अलावा उन
देशों ने भारत को इस तरह से टारगेट नहीं किया और न ही अमेरिका और ब्रिटेन ने खालिस्तान के मुद्दे को अपना समर्थन दिया है कैनेडा के साथ खड़े होने की मजबूरी या कहानी जो भी हो भारत भी अलगाववाद की विचारधारा को कैसे समर्थन दे सकता है जाहिर है भारत की प्रतिक्रिया अलग होगी और अपने देश के हित में होगी
जी के एंटी के दौरान खबरें छपी कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस सितंबर दो हज़ार तेईस को जी ट्वेंटी के साइड लाइन में ट्रूडो के सामने कैनेडा में भारत के विरोध में हो रहे रैलियों का मुद्दा गंभीरता से उठाया मोदी और ट्रूडो की जीत रॉयल्टी में द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई थी साइड लाइन पर ही मीटिंग हुई भारत के विदेश मंत्रालय की
की ओर से दस सितंबर दो हज़ार तेईस के प्रेस वक्तव्य में लिखा है कि दोनों देशों के संबंधों की नींव साझा लोकतांत्रिक मूल्य कानून के राज के प्रति सम्मान और लोगों के बीच मजबूत रिश्तों पर टिकी है प्रधानमंत्री ने इस मुलाकात में भारत की ओर से कैनेडा में चरमपंथी तत्वों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों को ले
कर गंभीर चिंताएं जाहिर की
अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों पर हिंसा को उकसा रहे हैं डिप्लोमेटिक प्रेमी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और कैनेडा में भारतीय समुदाय और उनके धर्म स्थलों को धमकियां दे रहे हैं दस सितंबर को ही कैनेडा के शहर में खालिस्तान को लेकर रेफरेंडम हुआ वहीं शहर जहां निज्जर की हत्या
हुई थी इस मीटिंग में सिख फॉर जस्टिस का अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नू भी शामिल था भारत इस संगठन को एक अलगाववादी संगठन के रूप में देखता है और प्रतिबंध लगाया हुआ है लेकिन अट्ठारह सितंबर को कनाडा की संसद में जस्टिन ट्रूडो ने कुछ और गेम खेल दिया ट्रूडो ने कहा कि दिल्ली में जी ट्वेंटी के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से
कैनेडा के नागरिक को लेकर बात हुई यह भी कहा कि प्रधानमंत्री से बात करने से पहले इंटेलिजेंस के स्तर पर इस मुद्दे पर बातें हो चुकी थी जस्टिन ट्रूडो के बयान के अगले दिन उन्नीस सितंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय का यह बयान आता है इस बयान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा जाता है कि आरोप
बेहूदा है और गलत इरादों से प्रेरित है विदेश मंत्रालय कहता है कि ट्रूडो ने यह सवाल मोदी के साथ भी उठाए थे मगर सिरे से खारिज कर दिया गया था भारत ने कनाडा सरकार से मांग की कि उसके देश से चल रही भारत विरोधी गतिविधियों पर तुरंत अंकुश लगाने का काम किया जाए क्या पहल
से चला आ रहा तनाव एक गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है या अभी बहुत कुछ देखना बाकी है कोविड के बाद जब दुनिया खुलने लगी टूरिस्ट वीजा से रोक हटने लगी तब भी कैनेडा ने भारतीयों को टूरिस्ट वीजा देने पर रोक नहीं हटाई जवाब में भारत ने भी टूरिस्ट वीजा सस्पेंड कर दिया अक्टूबर दो हज़ार इक्कीस की घटना
है दिसंबर दो हज़ार बाईस में जाकर ई वीजा की सुविधा फिर से शुरू की जाती दिखी जो के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो उन्होंने जिस तरह का आरोप भारत के ऊपर लगाया है इस तरह के आरोप भारत के ऊपर इससे पहले तो सिर्फ पाकिस्तान की तरफ से आए हैं किसी भी विदेशी मूल की तरफ से
झुकी धर्मग्रंथ एक लिए गठन किया उसकी का अस्तित्व नहीं आया और अगर इस आरोप में सच्चाई और यह बहुत जरूरी बातें कहना के अंदर इस आरोप में सच्चाई है तो यह बहुत खतरनाक बात है बहुत बहुत अजीबो गरीब सी अजीब अजीबोगरीब सी बात है कि की ऐसी कार्रवाई की गई है
जहां तक समझने वाली बात है वो यह है कि भारत और कहना के बीच जो संबंध है तो करीब पिछले सात सात आठ साल से बहुत सारा खराब है उसका मुख्य मुद्दा भारत की तरफ से जो खालिस्तान समर्थक लोग कैनेडा के अंग हैं उनको भारत भारत का यह मानना है कि जस्टिन ट्रूडो की जो सरकार है जो लेकर पार्टी की से
का है जो इसके अलावा अलायंस में एमडीपी भी है कि यह सरकार उन खालिस्तानी समर्थकों पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं कर रही है और इसकी वजह से खालिस्तान को वहां पर बहुत ज्यादा हवा मिल रही है और पहुंचाना समर्थन मिल रहा है
कैनेडा कि सरकार का यह कहना है कि भारत की जो सरकार है वो चीन और रूस की ही तरह उनकी जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है उसके अंदर हर्ष हस्तक्षेप कर रही है और इसकी वजह से इस इंडस्ट्री की वजह से बहुत ज्यादा समस्याएं हो रही है उन्होंने यह बात दो हज़ार अट्ठारह और उन्नीस में उनके नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर ने भी इस तरह की
कहीं थीं और उनके इंटरनल रिपोर्ट्स में ही इस तरह की बातें आए हैं
भी दो बड़े मुद्दे हैं एक खालिस्तान का जिसमें के जो अजीत डोवाल जो कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं
उनका जो का उनका जो इंटेलिजेंस एजेंसी के अंदर थे इंटेलिजेंस ब्यूरो के अंदर थे उनका बहुत सारा काम जो था वो पंजाब में और खालिस्तानियों के खिलाफ था जिसमें उनका काफी नाम भी हुआ और उनको कीर्ति चक्र भी मिला उस वक्त तो शायद ही तो कुछ उसकी यादें हैं कोई खालिस्तान मूवमेंट ऑफ खालिस्तान आंदोलन को मजबूत नहीं है तो उसका कोई दामों
निशान भी तरह से नहीं है तो इस मुद्दे पर इतना ज्यादा उठाना और तूल देना शायद एक ठोस पुरानी यादों का हिस्सा है दूसरा भारत को एक ताकतवर इजरायल की तरह का एक मूल दिखाने की कोशिश है और दूसरी तरफ कैनेडा के अंदर जो भारत का जो इंटरफेरेंस है
का आरोप लगाता है उनकी राह उनकी राजनीति में और उनके लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शायद उसका इशारा नतीजा है कि समस्याएं काफी दिन से चल रही है अब जाके यह पूरी तरह से फट गया है
जस्टिन ट्रूडो भले ही कहते रहे कि वे भारत के साथ टकराव बढ़ाना नहीं चाहते हैं मगर संसद में उनका यह बयान यही कहता है और इसका मकसद भी यही लगता है कि वे टकराव मोल लेना चाहते हैं अन्यथा वे संसद में भाषण ही नहीं लेते कैनेडा में ही विपक्षी दल पूछ रहे हैं कि अगर कोई ठोस सबूत है तो पहले रखना चाहिए था
बिना उसके गंभीर आरोप नहीं लगाने चाहिए थे मगर अब तो तीर कमान से निकल चुका है इस मामले को गोदी मीडिया आईटी सेल के हंगामे में डूब कर मत देखिए कि भारत ने किसी को उसके घर में घुसकर मारा है भारत सरकार भी अपने ऊपर या धब्बा नहीं लगने देगी इनके चक्कर में भारत की बैठे

Tuesday, 19 September 2023

कोशिश करने वालों की - लिरिक्स हिंदी में ।

 कोशिश करने वालों की - लिरिक्स हिंदी में 

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।

आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।

मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।

मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।

जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।

कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

Monday, 18 September 2023

16 સપ્ટેમ્બર ઇતિહાસ ઉજાગર અભિયાન. ડોનેશન .

       


         નામ.                શહેર.                   રૂપિયા.
     ઇમરાન કાપડિયા     ભરૂચ               c 150/00

    જાકીર આંધી.         છોટાઉદેપુર.       O 150/00



Thursday, 14 September 2023

राम मंदिर के मुद्दे के साथ VHP पांच लाख गांवों में जन सपर्क का अभियान चलाएं।

 अयोध्या (Ayodhya) में राममंदिर (Ram Mandir) निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद् (VHP) देशभर में बड़ा अभियान चलाएगी. वीएचपी ने देश के 5 लाख गांवों के 10 करोड़ परिवार तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है. इस दौरान वीएचपी के कार्यकर्ता हर परिवार से 100 रुपए स्वेच्छा से आर्थिक सहयोग देने की अपील भी करेंगे. राममंदिर के डिजाइन में भी कई बदलाव किए गए हैं. राममंदिर को पहले से भी भव्य रूप दिया गया है. मंदिर निर्माण में कितनी लागत आएगी इस पर राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य, वीएचपी और आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.


जानकारी के मुताबिक विश्व हिंदू परिषद् के विश्वस्त सूत्र ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश में हमारे गोरक्ष प्रांत, काशी, कानपुर, अवध, ब्रज, मेरठ, आगरा है. इन सभी प्रांत के जिलों के गांवों से हम जनजागरण की शुरुआत करेंगे. अगस्त माह से देश के 5 लाख गांवों के 10 करोड़ परिवार तक पहुंचने का लक्ष्य हमने निर्धारित किया है. इस दौरान हमारे कार्यकर्ता एक परिवार से 100 रुपए स्वेच्छा से आर्थिक सहयोग करने की अपील भी करेंगे.  


एक महीने चलेगा अभियान
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक वरिष्ठ ट्रस्टी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 5 अगस्त को अयोध्या पहुंचने की संभावना है. सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक सारा कार्यक्रम संपन्न हो जाएगा. इसके बाद मंदिर निर्माण का काम शुरु होगा. बरसात खत्म होगी वैसे ही मंदिर निर्माण के मोर्चे पर और जनजागरण के मोर्चे पर काम तेजी से शुरु हो जाएगा.''पूर्व में जिस तरह से शिला पूजन के दौरान जैसा कार्यक्रम हुआ था उसी तर्ज पर मंदिर निर्माण के लिए जनजागरण का कार्यक्रम होगा.


Tuesday, 12 September 2023

shahi Bukhari 109 Hadis

 📖 SAHIH AL-BUKHARI 📖

📝HADEES NO.109📝

_بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ_

حَدَّثَنَا مَكِّيُّ بْنُ إِبْرَاهِيمَ، ‏‏‏‏‏‏قَالَ:‏‏‏‏ حَدَّثَنَا يَزِيدُ بْنُ أَبِي عُبَيْدٍ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ سَلَمَةَ، ‏‏‏‏‏‏قَالَ:‏‏‏‏ سَمِعْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، ‏‏‏‏‏‏يَقُولُ:‏‏‏‏ “”مَنْ يَقُلْ عَلَيَّ مَا لَمْ أَقُلْ فَلْيَتَبَوَّأْ مَقْعَدَهُ مِنَ النَّارِ””.

✨हिन्दी✨
अनुवाद :
हज़रत सलमा (रज़ि.) बयान करते हैं की मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को ये फ़रमाते हुए सुना -‘जो शख़्स मेरे नाम से वो बात बयान करे जो मैंने नहीं कही तो वो अपना ठिकाना जहन्नुम में बना ले।’

✨اردو✨
ترجمہ :
میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو یہ فرماتے ہوئے سنا کہ جو شخص میرے نام سے وہ بات بیان کرے جو میں نے نہیں کہی تو وہ اپنا ٹھکانا جہنم میں بنا لے۔

#imanmovement 

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Monday, 11 September 2023

चार्टर अधिनियम, 1833 गुलाम भारत का इतिहास ।

 भारतीय इतिहास
चार्टर अधिनियम, 1833
04 Feb 2022 10 min read
टैग्स: सामान्य अध्ययन-Iआधुनिक भारतीय इतिहासमहत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
परिचय:
अधिनियम की पृष्ठभूमि:
चार्टर अधिनियम, 1833 ग्रेट ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के कारण हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों की पृष्ठभूमि में आया था।
औद्योगिक क्षेत्र में सरकार लेसेज़ फेयर (Laissez Faire) या अहस्तक्षेप के सिद्धांत का पालन कर रही थी।
उदारवादी आंदोलन के परिणामस्वरूप वर्ष 1832 का सुधार अधिनियम आया।
उदारवाद और सुधारों के इस माहौल में वर्ष 1833 में चार्टर को नवीनीकृत करने के लिये संसद को बुलाया गया था।
अधिनियम के बारे में:
इसे सेंट हेलेना अधिनियम, 1833 या भारत सरकार अधिनियम, 1833 के रूप में भी जाना जाता है।
सेंट हेलेना द्वीप का नियंत्रण ईस्ट इंडिया कंपनी से क्राउन को स्थानांतरित कर दिया गया था।
इसे ब्रिटिश संसद द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के चार्टर अधिनियम, 1813 को नवीनीकृत करने हेतु पारित किया गया था।
इस अधिनियम ने 20 वर्षों के लिये EIC के चार्टर का नवीनीकरण किया।
इसके तहत ईस्ट इंडिया कंपनी अपने वाणिज्यिक विशेषाधिकारों से वंचित हो गई।
चाय और चीन के साथ व्यापार को छोड़कर व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार लेसेज़ फेयर (Laissez Faire) एवं नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय प्रणाली के परिणामस्वरूप समाप्त हो गया था।
नोट

 औद्योगिक क्रांति:
यह वर्ष 1760 से 1820 एवं वर्ष 1840 के मध्य की अवधि में यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में नई विनिर्माण प्रक्रियाओं का काल था।
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप व्यापार, अर्थशास्त्र और समाज में परिवर्तन के साथ दुनिया में बदलाव लाया।
इन बदलावों का दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ा और आज भी इसे आकार देना जारी है।
औद्योगीकरण से पहले, अधिकांश यूरोपीय देशों में कृषि तथा कपड़े बनाने का कार्य हाथ से किया जाता थे।
नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय प्रणाली:
यह नेपोलियन की रणनीति थी कि ब्रिटेन और फ्राँस के कब्ज़े वाले या संबद्ध राज्यों के बीच व्यापार पर प्रतिबंध लगाकर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को कमज़ोर किया जाए, जो काफी हद तक अप्रभावी साबित हुई और अंततः नेपोलियन के पतन का कारण बनी।
अहस्तक्षेप का सिद्धांत (Laissez Faire):
यह मुक्त बाज़ार या पूंजीवाद का एक आर्थिक दर्शन है जो उद्योग या बाज़ार में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करता है।
अहस्तक्षेप का सिद्धांत 18वीं शताब्दी के दौरान विकसित किया गया था और यह मान्यता थी कि आर्थिक सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होती है जितनी व्यवसाय में सरकार का हस्तक्षेप कम होता है।
1833 के चार्टर अधिनियम की विशेषताएँ
 गवर्नर जनरल का कार्यालय:
 बंगाल का गवर्नर-जनरल अनन्य विधायी शक्तियों के साथ भारत का गवर्नर जनरल बन गया।
बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी अपनी विधायी शक्तियों से वंचित हो गई।
भारत के गवर्नर जनरल को नागरिक एवं सैन्य शक्तियाँ दी गईं।
पहली बार भारत में अंग्रेज़ों के कब्ज़े वाले पूरे क्षेत्र पर अधिकार रखने के लिये 'भारत सरकार' बनाई गई थी।
भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक थे।
गवर्नर जनरल काउंसिल:
गवर्नर जनरल की परिषद के सदस्यों की संख्या, जो कि पिट्स इंडिया एक्ट, 1784 द्वारा घटा दी गई थी, को फिर से 4 कर दिया गया।
चौथे सदस्य के पास बहुत सीमित शक्तियाँ थीं, वह विधायी उद्देश्यों को छोड़कर परिषद के सदस्य के रूप में कार्य करने हेतु अधिकृत नहीं था।
गवर्नर जनरल काउंसिल के पास किसी भी ब्रिटिश, विदेशी या भारतीय के लिये भारत के पूरे क्षेत्र में किसी भी कानून को संशोधित करने, निरस्त करने या बदलने का अधिकार था।
प्रशासनिक निकाय (EIC):
एक वाणिज्यिक निकाय के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी की गतिविधियाँ समाप्त हो गईं। कंपनी विशुद्ध रूप से एक प्रशासनिक निकाय बन गई।
भारत में कंपनी द्वारा अधिकृत क्षेत्रों को "महामहिम, उनके उत्तराधिकारियों और उत्तराधिकारियों के लिये ट्रस्ट" द्वारा संचालित किया जाना था।
सिविल सेवा के लिये खुली प्रतियोगिता का प्रयास:
इस अधिनियम ने सिविल सेवाओं में चयन के लिये खुली प्रतियोगिता की प्रणाली शुरू करने का प्रयास किया।
इसमें कहा गया है कि भारतीयों को कंपनी में किसी भी पद, कार्यालय और रोज़गार से वंचित नहीं किया जाना चाहिये। किंतु निदेशक मंडल के विरोध के बाद इसे रद्द कर दिया गया था।
भारत में योग्यता आधारित आधुनिक सिविल सेवा की अवधारणा को लॉर्ड मैकाले की रिपोर्ट की सिफारिशों पर वर्ष 1854 में पेश किया गया था।
लीगल ब्रिटिश कॉलोनी: इस एक्ट ने अंग्रेज़ों को भारत में स्वतंत्र रूप से बसने की अनुमति दी। इसने भारत के ब्रिटिश उपनिवेशीकरण को प्रभावी रूप से वैध कर दिया।
दास प्रथा की समाप्ति:
उस समय भारत में दास प्रथा मौजूद थी, इस अधिनियम में भारत में दास प्रथा समाप्त करने का प्रावधान किया गया।
वर्ष 1833 में ब्रिटेन और उसके द्वारा अधिकृत सभी क्षेत्रों में ब्रिटिश संसद द्वारा दासता को समाप्त कर दिया गया था।
विधि आयोग:
भारतीय विधि आयोग की स्थापना वर्ष 1833 में हुई थी और लॉर्ड मैकाले को इसका पहला अध्यक्ष बनाया गया था। इसका उद्देश्य भारत में सभी प्रकार के कानूनों को संहिताबद्ध करना था।
अधिनियम में यह प्रावधान था कि भारत में बने कानूनों को ब्रिटिश संसद में बनाए रखा जाए।
अधिनियम का महत्त्व
 यह अधिनियम भारत के संवैधानिक और राजनीतिक इतिहास के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
इसने बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत के गवर्नर जनरल के रूप में पदोन्नत किया और भारत के प्रशासन को समेकित एवं केंद्रीकृत किया।
इसने ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रशासन के क्षेत्र में ब्रिटिश ताज का ट्रस्टी बना दिया।
इस अधिनियम में भारतीयों के लिये देश के प्रशासन में स्वतंत्र रूप से प्रवेश करने का प्रावधान किया गया।
इस अधिनियम ने काउंसिल में गवर्नर जनरल के विधायी कार्यों को कार्यकारी कार्यों से अलग कर दिया।
लॉर्ड मैकाले के अधीन विधि आयोग ने कानूनों को संहिताबद्ध किया।
मुख्य परीक्षा हेतु महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न: चार्टर अधिनियम, 1833 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

प्रश्न: चार्टर एक्ट, 1833 के महत्त्व और भारत के संवैधानिक विकास में इसकी भूमिका पर चर्चा करें।

प्रश्न: यूरोप में ऐसी कौन-सी परिस्थितियाँ थी, जिनके कारण भारत में चार्टर अधिनियम, 1833 लागू हुआ?

प्रारंभिक परीक्षा हेतु महत्त्वपूर्ण प्रश्न
 प्रश्न 1 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

बंगाल का गवर्नर जनरल भारत का गवर्नर जनरल बना। इस अधिनियम ने बॉम्बे और मद्रास प्रांतों की विधायी शक्तियाँ भी छीन लीं। इस अधिनियम ने एक वाणिज्यिक निकाय के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी की गतिविधियों को समाप्त कर दिया और यह एक विशुद्ध रूप से प्रशासनिक निकाय बन गया।
निम्नलिखित में से किस अधिनियम में उपरोक्त प्रावधान थे?

a. रेगुलेटिंग एक्ट, 1773
b. 1813 का चार्टर अधिनियम
c. 1833 का चार्टर अधिनियम
d. 1853 का चार्टर अधिनियम

उत्तर: C

प्रश्न 2 : '1833 के चार्टर अधिनियम' के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

इसने विधि आयोग की स्थापना का प्रावधान किया। इसने ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रशासनिक कार्यों को समाप्त कर दिया। इसने यूरोपीय आव्रजन (Immigrants) पर सभी प्रतिबंध हटा दिये।
 उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

a. केवल 1 और 2
b. केवल 1 और 3
c. केवल 1
d. केवल 2 और 3

 उत्तर: B



7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...