मैं रवीश कुमार भारत ने कैनेडा के नागरिकों के लिए अनिश्चितकाल के लिए वीजा सेवाएं बंद कर दी है वीजा के क्षेत्र में काम करने वाली भारतीय कंपनी डीएलएफ ने पहले अपनी वेबसाइट पर इसकी सूचना जारी कर दी कि वीजा सस्पेंड कर दिया गया है मगर हटा भी लिया गया इससे भ्रम फैल गया कि कहीं यह समय
चार गलत तो नहीं है बाद में डीएलएफ ने दोबारा से यह सूचना अपनी वेबसाइट पर डाल दी और लिख दिया कि ऑपरेशनल कारणों से अनिश्चितकाल के लिए वीजा सेवाएं बंद कर दी गई हैं विदेश मंत्रालय ने बहुत देर तक इस पर चुप्पी साधे रखी लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता
एकदम बागची ने आधिकारिक रूप से कह दिया कि कैनेडा के दूतावास के उच्चायुक्त और अन्य अधिकारी धमकियों का सामना कर रहे हैं उनके काम में अड़चनें आ रही हैं इसलिए वे वीजा सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं ठीक इसी तरह की बाद कैनेडा ने कही है आज के राइटर्स और हिंदू में सुहासिनी हैदर और
लोल भट्टाचार्जी की खबर छपी है कि कैनेडा ने कहा है कि भारत के दूतावास में काम करने वाले स्थानीय लोगों को छुट्टी पर भेज दिया गया है कैनेडा ने कहा है कि वह अपने राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया पर धमकियां दी जा रही है स्थिति इतनी खराब है कि दूतावास के अधिकारी
सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और अपना दैनिक काम नहीं कर पा रहे हैं मगर अरिंदम बागची ने कहा कि कैनेडा में भारत के दूतावास में कर्मचारियों की संख्या कम है जबकि भारत में कैनेडा के दूतावास में ज्यादा है तो दोनों जगहों पर बराबर संख्या में कर्मचारी और अधिकारी
होने चाहिए हम उम्मीद करते हैं कि कैनेडा इसे कम करेगा इसका मतलब है कि दोनों देशों के बीच टकराव काफी बढ़ चुका है भारत में क्या ही खतरा होगा आपने देखा भी है या तो कुछ भी नहीं होगा न हुआ मगर कैनेडा और अन्य देशों में ज़रूर भारतीय दूतावासों पर और काउंसलेट पर
हमले हुए हैं आज तो भारत ने कैनेडा पर यह भी आरोप लगा दिया कि यह देश आतंकवादियों के लिए शरणस्थली बन चुका है भारत का चीन से मोर्चा खोला हुआ है और अब कैनेडा से भी खुल गया है यह टकराव कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान से शुरू हुआ जो लगता है अब औपचारिक मोर
नीचे की तरफ बढ़ता जा रहा है यही नहीं भारत ने कैनेडा से कहा है कि वह अपने सभी साक्ष्य सौंपे लेकिन कैनेडा की तरफ से साक्ष्य नहीं दिए गए हैं आप जानते हैं कि कैनेडा ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसके एजेंट ने वैंकूवर के पास उसके एक नागरिक की हत्या कर दी है भारत इस नागरिक
को आतंकवादी कहता है जब आप वीजा रोकते हैं तो इसे स्वीकार भी करते हैं कि भारत और कैनेडा के बीच के संबंध फिलहाल दोस्ताना नहीं रहे जाहिर है इसका असर कैनेडा में रहने वाले भारतीयों और वहां पढ़ने गए छात्रों पर भी पढ़ रहा होगा अरिंदम बागची ने कहा है कि कैनेडा द्वारा वीजा दिए जाएं
में भेदभाव का मुद्दा पहले भी रहा है ई वीजा पर अस्थाई तौर पर प्रतिबंध लगाया गया है मगर जिनके पास वैलिड वीजा है वे भारत अब भी आ सकते हैं दो हज़ार तेरह से दो हज़ार तेईस के बीच कैनेडा जाने वाले भारतीयों की संख्या तीन गुनी बढ़ी है हर साल करें
सवा लाख से अधिक भारतीय कैनेडा के स्थायी निवासी बन जाते हैं इनमें से अधिकतर स्किल्ड वर्कर की श्रेणी में आते हैं मोदी सरकार के दौर में यह संख्या कम नहीं हुई दो हज़ार बाईस में एक लाख भारतीयों ने कैनेडा का पीआर यानी परमानेंट रेजिडेंस ले लिया दो हज़ार बाईस में पांच लाख भारतीय
छात्र विदेशों में पढ़ने गए थे इनमें से चालीस प्रतिशत यानी दो लाख से ज्यादा छात्र कैनेडा गए हैं या जो तनाव हो रहा है इसका असर वहां पढ़ने वाले छात्रों पर भी पढ़ सकता है वीजा रोकने के फैसले से यह साबित होता है कि दोनों देशों के बीच अब या तनाव जल्दी नहीं सुधरने वाला इसका
व्यापार पर भी पढ़ सकता है हाल के वर्षों में भारत और कैनेडा के बीच व्यापार भी बढ़ा है भारत भी चार अरब डॉलर का निर्यात करता है और कैनेडा भी इसी के आसपास भारत को निर्यात करता है तो क्या भारत और कैनेडा के बीच तनाव अब कूटनीति की सीमा रेखा से बाहर निकल चुका है संवाद
स्थापित होने के बजाय टकराव ही बढ़ रहा है एक और खबर आई है कि अक्टूबर महीने में भारत आने वाले कैनेडा के व्यापार मंत्री ने अपना दौरा रद्द कर दिया है जी ट्वेंटी से ही पहले खबर आ गई थी कि कैनेडा ने व्यापार समझौतों पर विराम लगा दिया है दिल्ली की सड़कों पर जीत विनती की सजावट
अभी भी मौजूद है मगर इसके पोस्टरों पर लिखा वसुधैव कुटुम्बकम का नारा यानी एक धरती एक परिवार और एक भविष्य संकट में पड़ गया है जी ट्वेंटी में भारत यह दावा करने लगा कि दुनिया अपने विवादों को निपटाने के लिए उसकी तरफ देख रही है गोदी मीडिया भी इस तरह की धारणाएं हैं
लाने लगा कि दुनिया के झगड़ों में भारत सरपंच बन रहा है लेकिन कैनेडा वाले विवाद को लेकर चार बड़े देश कैनेडा के साथ लगते हैं अमेरिका ब्रिटेन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने सार्वजनिक रूप से भारत का साथ नहीं दिया बल्कि उनका झुकाव कनाडा की तरफ दिखाई देता है इन देशों ने भारत
से कहा है कि वह जांच में सहयोग करे चीन को काउंटर करने के लिए भारत को इस वक्त पश्चिमी देशों के सहयोग की जरूरत है लेकिन जिस तरह से एक आतंकवादी की हत्या को लेकर कैनेडा ने भारत पर हमला बोला है व सामने से जैसा भी देखता हो मगर कहानी कुछ और भी लगती है जीत विनती की समाप्ति के
बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तो पश्चिम की भूरी भूरी प्रशंसा की थी सोलह सितंबर को एशियानेट न्यूज से एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम के देशों को नकारात्मकता से देखने के सिंड्रोम यानी धारणा से निकलना होगा पश्चिम बैठ गाय नहीं है बुरा लड़का नहीं है यही नहीं भारत
के एक और मित्र देश तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कह दिया कि पचहत्तर साल बाद भी पाकिस्तान और भारत आपस में संवाद स्थापित नहीं कर पाए हैं दोनों की बातचीत से ही कश्मीर में शांति बहाल होगी और फिर दक्षिण एशिया में शांति और इस थे
पिता आएगी ये नेता चार दिन भी जीत जयंती का नारा याद नहीं रख पाए यहां से लौटकर कई देश अपनी अपनी बातें करने लगे और भारत को निशाना बना रहे हैं जी ट्वेंटी खत्म नहीं हुई कि कोई शामियाने का खंभा लेकर भागा जा रहा है तो कोई कुर्सी उठाकर फेंक रहा है क्या यही वसुदेव कुटुम
कम है अमेरिकी सरकार ने कहा है कि वे कैनेडा सरकार के साथ इस मामले में संपर्क में हैं और कैनेडा द्वारा जांच का समर्थन करते हैं अमेरिका ने भारत से सहयोग करने का आह्वान किया है ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि हम कैनेडा सरकार के साथ इन गंभीर आरोपों को लेकर बातचीत कर
रहे हैं सभी देशों को एक दूसरे की संप्रभुता और कानून का पालन करना चाहिए इसी अप्रैल में भारत सरकार ने ब्रिटेन की सरकार से कहा था कि सिख अलगाववाद के समर्थकों पर निगरानी बढ़ा दें ब्रिटेन ने कहा भी था कि भारतीय दूतावासों पर किसी भी प्रकार का हमला बर्दाश्त नहीं
किया जाएगा उस वक्त लंदन टोरंटो सैन फ्रांसिस्को मेलबर्न में खालिस्तान समर्थक रैली होने लगी थी और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई निज्जर की हत्या के बाद भारतीय राजदूतों को सार्वजनिक रूप से धमकियां भी मिली ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा है कि वह इन आरोपों से काफी चिंतित है कहना
विदेश मंत्री ने कहा है कि वे इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कैनेडा के मित्र देशों के साथ भारत के बारे में बात करेंगे न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री नाना या माहौल था ने कहा है कि अगर भारत की सरकार कथित रूप से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के जिम्मेदार है तो यह
गंभीर मामला है अमेरिका ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और कैनेडा सुरक्षा समूह फाइव आई के सदस्य हैं इन देशों की प्रतिक्रियाओं को अलग अलग तरीके से पढ़ा जा रहा है
एक राय है कि सब कैनेडा के साथ हैं दूसरी राय है कि कैनेडा के मित्र देशों ने भारत को अभी साफ साफ जिम्मेदार नहीं माना है
हालांकि विदेश मंत्रालय बोल रहा है मगर अब भारत के विदेश मंत्री को भी बोलना चाहिए
फरवरी दो हज़ार तेईस को एएनआई की स्मिता प्रकाश से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन बड़ी अर्थव्यवस्था है मुझे क्या करना चाहिए एक छोटी अर्थव्यवस्था के रूप में क्या में बड़ी अर्थव्यवस्था से युद्ध मोल ले लूं या प्रतिक्रिया या जवाब का सवाल नहीं है या तो कॉमन
सेल्स का सवाल है जय शंकर कहते हैं तो इस वर्ष कॉमन सेंस का सवाल क्या कहता है
कई देशों के विदेश मंत्री कैनेडा का साथ दे रहे हैं उस व्यक्ति की हत्या को लेकर जिसे भारत ने दो हज़ार बीस में आतंकवादी घोषित किया था लेकिन कैनेडा उसे अपना नागरिक मानता है पंजाब के जालंधर का हर दीप सिंह निज्जर उन्हीं सौ सत्तानवे में कैनेडा गया शादी की दो बेटे हुए और बतौर प्लम
पर काम किया कैनेडा के ब्रांड ब्रिटिश कोलंबिया में रिहाइश ली और खालिस्तान की मांग करते हुए काफी मसूरी कमाई दो हज़ार सात में कैनेडा के नागरिक बन गया इस साल जून में बैंक वर्ग के नजदीक दो नकाबपोशों ने गोली मारकर हत्या कर दी खबरें यह भी छपी हैं कि वह अवैध रूप से कैनाडा गया था आरोप था कि
भारत ने प्रतिबंधित संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स का संस्थापक है कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने संसद में निज्जर को कनाडा का नागरिक कहा है यह भी गौर करने की बात है कि भारत जैसे आतंकवादी कहता है कैनेडा के प्रधान मंत्री और कोई आम आदमी व्यक्ति नहीं प्रधान मंत्री अपना नागरिक बताते हैं
बीबीसी ने लिखा है कि मेजर के करीबियों ने बताया है कि निज्जर को कनाडा की खुफिया एजेंसियों ने जान के खतरे की चेतावनी दी थी जून की घटना का असर सितंबर के महीने में क्यों इतना हो रहा है हमें अभी भी इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है कि क्या सिर्फ एक आतंकवादी के लिए दोनों देशों के बीच यह तनाव
पैदा हुआ है और कई देश कनाडा के साथ आकर खड़े हो गए हैं या कुछ और भी मामला हो सकता है अट्ठारह सितंबर को कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो का बयान आता है कि कैनेडा की खुफिया जांच एजेंसियां कैनेडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की भूमिका के
संभावित आरोपों की पड़ताल कर रही हैं भारत पर पहली बार दूसरे देश की जमीन पर किसी दूसरे देश के नागरिक की हत्या का आरोप लगा है वह भी मीडिया रिपोर्ट के जरिए नहीं प्रधान मंत्री के जरिए जस्टिन ट्रूडो ने हो सकता है घरेलू राजनीति के कारण ऐसा कहा हो लेकिन तब हमें जान
न होगा कि कनाडा में रहने वाले से क्या खालिस्तानी सोच वाले नेताओं के साथ है ऐसा मानना ठीक नहीं होगा जब पंजाब में सिखों ने खालिस्तान के समर्थकों को बढ़ावा नहीं दिया समर्थन नहीं दिया तो कैनेडा में क्यों करेंगे फिर भी गतिविधियों से तुलना करें तो लगता है कि पंजाब से
डा कैनेडा में खालिस्तानी समर्थक उग्र हैं और सक्रिय हैं हम आज के वीडियो में खालिस्तान वाले पहलू पर ज्यादा जोर नहीं दे रहे हैं इसे मुख्य रूप से कूटनीतिक नजरिए से ही देखने का प्रयास करेंगे कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में है उन्होंने कहा कि जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानियों के झांसे में फंसते जा रहे हैं
सिंह ने तो यह भी पूछा है कि भारतीय मिशन पर जो हमले हुए हैं उन मामलों में कैनेडा ने क्या कार्रवाई की है इस तरह भारत की तरफ से भी ट्रूडो पर जवाबी हमले किए जा रहे हैं
प्रेस ने सूत्रों के हवाले से खबर छापी है अमेरिका के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि संसद में बयान देने से पहले जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को भरोसे में लिया था रॉयटर्स ने खबर छपी है कि निज्जर की हत्या को लेकर अमेरिका और कनाडा
मिलकर जांच कर रहे हैं तो यह मामला कैनेडा के घरेलू राजनीति से जुड़ा नहीं लगता है जिस तरह से दिखाया जाता है वरना अमेरिका न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन इससे दूर ही रहते यह भी सच है कि आतंकवाद से लड़ने के मामले में पश्चिम के देशों का रेकॉर्ड बहुत खराब है इराक पर रासायनिक हथियार के नाम
झूठ बोला और हमला किया गया और अभी भी यह सिलसिला जारी है कई मूल तबाह कर दिए गए कैनेडा के सिक्कों में भले ही खालिस्तान को व्यापक समर्थन हासिल न हो मगर जस्टिन ट्रूडो अक्सर खालिस्तान समर्थकों के साथ देखे गए हैं दो हज़ार सत्रह में ट्रूडो एक ऐसे कार्यक्रम में गए जहां खालिस्तान
समर्थकों के झंडे और पोस्टर लगे थे दो हज़ार अट्ठारह में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैनेडा के रक्षामंत्री से मिलने से मना कर दिया उन पर खालिस्तान समर्थक होने का आरोप लगाया दो हज़ार अट्ठारह में जस्टिन ट्रूडो भारत आए भारत आने के कई दिनों तक केंद्र सरकार के किसी प्रमुख और वरिष्ठ मंत्री ने
उनसे मुलाकात नहीं की यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी ज्यादा तवज्जो नहीं दिया उनके इस दौरे के दौरान उन्हें भारत द्वारा नौ खालिस्तानी संचालकों के नाम दिए गए जिसमें हर दीप सिंह निज्जर का नाम भी था हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि आज तक कैनेडा ने इन आरोपियों पर कोई कार्रवाई
नहीं की है दो हज़ार बीस में ट्रूडो ने भारत के किसान आंदोलन का समर्थन किया था और किसानों के हितों के लिए लड़ने की बात कही दिसंबर दो हज़ार बीस में ब्रिटेन अमेरिका कैनेडा ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था वहां से कई लोगों ने किया था मगर जब कैनेडा में किसानों ने
आंदोलन किया तब ट्रूडो ने वही किया जिसकी निंदा कर रहे थे अपने देश के किसानों के बैंक खाते जब्त कर लिए गए भारत ने इसकी निंदा की और कहा कि घरेलू मामले में दखल देने से कैनेडा बाजार इस साल जून में जब कैनेडा में इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी निकली तब भारत
कैनेडा की निंदा की थी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने निंदा करते हुए कहा कि अलगाववादियों को मंच दिया जा रहा है जो हिंसा को बढ़ावा देते हैं दो हज़ार दस में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उस समय के कैनेडा के प्रधानमंत्री से कहा था कि ओटावा में खालिस्तान से जुड़े मुद्दों को हवा दे
ने से भारत नाराज है कि दो हज़ार बारह में भी यूपीए सरकार के विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर से खालिस्तान के मुद्दे को लेकर बात करती हैं उस समय हार पर भारत आए थे तब उन्होंने कहा था कि कैनेडा एक भारत यूनाइटेड इंडिया का समर्थन करता है तो
हम देखते हैं कि संबंध तो हमेशा ही सामान्य रहे हैं मगर खालिस्तान को लेकर दोनों देशों के बीच दरारें पड़ने लगी थी भारत ने दो हज़ार तेरह से ही जगमीत सिंह के अपने मुल्क में आने पर रोक लगा दी वे पहले पश्चिमी राजनेता थे जिन्हें भारत में आने से रोका गया जगमीत सिंह की पार्टी
ट्रूडो की सरकार में सहयोगी दल है कैनेडा में सिख फॉर जस्टिस नाम के संगठन ने खालिस्तान को लेकर दुनिया भर के अलग अलग शहरों में गैर आधिकारिक रूप से राय शुमारी करानी भारत ने इस संगठन पर भी प्रतिबंध लगा दिया दो हज़ार बाईस के साल में राय शुमारी के कई मामले आए रेफरेंडम के रोम जिनीवा
लंदन सैन फ्रांसिस्को और मेलबर्न में रेफरेंडम कराएगी जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया भारतीय दूतावास और काउंसलेट पर हमले के कारण दोनों देशों के बीच टकराव की नौबत नजदीक आती जा रही थी अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को और ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भी इस तरह के हमले हुए मगर खालिस्तान
को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन के साथ इस तरह का खटास नहीं आया जैसा तनाव कनाडा के साथ देखा जा रहा है इसके पीछे क्या वजह रही होंगी हम स्पॉट नहीं हैं अंदाजा लगा सकते हैं मार्च दो हज़ार तेईस में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय काउंसलेट पर हमला हुआ एनआईए ने उन हमलों में शामिल
वॉन्टेड आरोपियों की तस्वीर जारी की है उनके बारे में जनता से जानकारी मांगी गई है तो एक तरफ से भारत दिखा रहा है कि उसने दूसरे देश की सीमा में घुसकर किसी की हत्या नहीं की बल्कि उन देशों में उसके अपने दूतावासों पर हमले हुए हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है क्या अमेरिका कैनेडा और
तेल लिया खालिस्तान के बहाने भारत को टारगेट करेंगे ऐसा करना बहुत कमजोर आरोपों का सहारा लेना होगा इसलिए हमारी नजर उन कानों तक जाने की कोशिश कर रही है जो अभी खुलकर सामने नहीं आए काउंसलेट पर हमले से लेकर रायशुमारी की घटनाएं कई शहरों में हुई मगर समर्थन के अलावा उन
देशों ने भारत को इस तरह से टारगेट नहीं किया और न ही अमेरिका और ब्रिटेन ने खालिस्तान के मुद्दे को अपना समर्थन दिया है कैनेडा के साथ खड़े होने की मजबूरी या कहानी जो भी हो भारत भी अलगाववाद की विचारधारा को कैसे समर्थन दे सकता है जाहिर है भारत की प्रतिक्रिया अलग होगी और अपने देश के हित में होगी
जी के एंटी के दौरान खबरें छपी कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस सितंबर दो हज़ार तेईस को जी ट्वेंटी के साइड लाइन में ट्रूडो के सामने कैनेडा में भारत के विरोध में हो रहे रैलियों का मुद्दा गंभीरता से उठाया मोदी और ट्रूडो की जीत रॉयल्टी में द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई थी साइड लाइन पर ही मीटिंग हुई भारत के विदेश मंत्रालय की
की ओर से दस सितंबर दो हज़ार तेईस के प्रेस वक्तव्य में लिखा है कि दोनों देशों के संबंधों की नींव साझा लोकतांत्रिक मूल्य कानून के राज के प्रति सम्मान और लोगों के बीच मजबूत रिश्तों पर टिकी है प्रधानमंत्री ने इस मुलाकात में भारत की ओर से कैनेडा में चरमपंथी तत्वों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों को ले
कर गंभीर चिंताएं जाहिर की
अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों पर हिंसा को उकसा रहे हैं डिप्लोमेटिक प्रेमी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और कैनेडा में भारतीय समुदाय और उनके धर्म स्थलों को धमकियां दे रहे हैं दस सितंबर को ही कैनेडा के शहर में खालिस्तान को लेकर रेफरेंडम हुआ वहीं शहर जहां निज्जर की हत्या
हुई थी इस मीटिंग में सिख फॉर जस्टिस का अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नू भी शामिल था भारत इस संगठन को एक अलगाववादी संगठन के रूप में देखता है और प्रतिबंध लगाया हुआ है लेकिन अट्ठारह सितंबर को कनाडा की संसद में जस्टिन ट्रूडो ने कुछ और गेम खेल दिया ट्रूडो ने कहा कि दिल्ली में जी ट्वेंटी के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से
कैनेडा के नागरिक को लेकर बात हुई यह भी कहा कि प्रधानमंत्री से बात करने से पहले इंटेलिजेंस के स्तर पर इस मुद्दे पर बातें हो चुकी थी जस्टिन ट्रूडो के बयान के अगले दिन उन्नीस सितंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय का यह बयान आता है इस बयान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा जाता है कि आरोप
बेहूदा है और गलत इरादों से प्रेरित है विदेश मंत्रालय कहता है कि ट्रूडो ने यह सवाल मोदी के साथ भी उठाए थे मगर सिरे से खारिज कर दिया गया था भारत ने कनाडा सरकार से मांग की कि उसके देश से चल रही भारत विरोधी गतिविधियों पर तुरंत अंकुश लगाने का काम किया जाए क्या पहल
से चला आ रहा तनाव एक गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है या अभी बहुत कुछ देखना बाकी है कोविड के बाद जब दुनिया खुलने लगी टूरिस्ट वीजा से रोक हटने लगी तब भी कैनेडा ने भारतीयों को टूरिस्ट वीजा देने पर रोक नहीं हटाई जवाब में भारत ने भी टूरिस्ट वीजा सस्पेंड कर दिया अक्टूबर दो हज़ार इक्कीस की घटना
है दिसंबर दो हज़ार बाईस में जाकर ई वीजा की सुविधा फिर से शुरू की जाती दिखी जो के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो उन्होंने जिस तरह का आरोप भारत के ऊपर लगाया है इस तरह के आरोप भारत के ऊपर इससे पहले तो सिर्फ पाकिस्तान की तरफ से आए हैं किसी भी विदेशी मूल की तरफ से
झुकी धर्मग्रंथ एक लिए गठन किया उसकी का अस्तित्व नहीं आया और अगर इस आरोप में सच्चाई और यह बहुत जरूरी बातें कहना के अंदर इस आरोप में सच्चाई है तो यह बहुत खतरनाक बात है बहुत बहुत अजीबो गरीब सी अजीब अजीबोगरीब सी बात है कि की ऐसी कार्रवाई की गई है
जहां तक समझने वाली बात है वो यह है कि भारत और कहना के बीच जो संबंध है तो करीब पिछले सात सात आठ साल से बहुत सारा खराब है उसका मुख्य मुद्दा भारत की तरफ से जो खालिस्तान समर्थक लोग कैनेडा के अंग हैं उनको भारत भारत का यह मानना है कि जस्टिन ट्रूडो की जो सरकार है जो लेकर पार्टी की से
का है जो इसके अलावा अलायंस में एमडीपी भी है कि यह सरकार उन खालिस्तानी समर्थकों पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं कर रही है और इसकी वजह से खालिस्तान को वहां पर बहुत ज्यादा हवा मिल रही है और पहुंचाना समर्थन मिल रहा है
कैनेडा कि सरकार का यह कहना है कि भारत की जो सरकार है वो चीन और रूस की ही तरह उनकी जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है उसके अंदर हर्ष हस्तक्षेप कर रही है और इसकी वजह से इस इंडस्ट्री की वजह से बहुत ज्यादा समस्याएं हो रही है उन्होंने यह बात दो हज़ार अट्ठारह और उन्नीस में उनके नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर ने भी इस तरह की
कहीं थीं और उनके इंटरनल रिपोर्ट्स में ही इस तरह की बातें आए हैं
भी दो बड़े मुद्दे हैं एक खालिस्तान का जिसमें के जो अजीत डोवाल जो कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं
उनका जो का उनका जो इंटेलिजेंस एजेंसी के अंदर थे इंटेलिजेंस ब्यूरो के अंदर थे उनका बहुत सारा काम जो था वो पंजाब में और खालिस्तानियों के खिलाफ था जिसमें उनका काफी नाम भी हुआ और उनको कीर्ति चक्र भी मिला उस वक्त तो शायद ही तो कुछ उसकी यादें हैं कोई खालिस्तान मूवमेंट ऑफ खालिस्तान आंदोलन को मजबूत नहीं है तो उसका कोई दामों
निशान भी तरह से नहीं है तो इस मुद्दे पर इतना ज्यादा उठाना और तूल देना शायद एक ठोस पुरानी यादों का हिस्सा है दूसरा भारत को एक ताकतवर इजरायल की तरह का एक मूल दिखाने की कोशिश है और दूसरी तरफ कैनेडा के अंदर जो भारत का जो इंटरफेरेंस है
का आरोप लगाता है उनकी राह उनकी राजनीति में और उनके लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शायद उसका इशारा नतीजा है कि समस्याएं काफी दिन से चल रही है अब जाके यह पूरी तरह से फट गया है
जस्टिन ट्रूडो भले ही कहते रहे कि वे भारत के साथ टकराव बढ़ाना नहीं चाहते हैं मगर संसद में उनका यह बयान यही कहता है और इसका मकसद भी यही लगता है कि वे टकराव मोल लेना चाहते हैं अन्यथा वे संसद में भाषण ही नहीं लेते कैनेडा में ही विपक्षी दल पूछ रहे हैं कि अगर कोई ठोस सबूत है तो पहले रखना चाहिए था
बिना उसके गंभीर आरोप नहीं लगाने चाहिए थे मगर अब तो तीर कमान से निकल चुका है इस मामले को गोदी मीडिया आईटी सेल के हंगामे में डूब कर मत देखिए कि भारत ने किसी को उसके घर में घुसकर मारा है भारत सरकार भी अपने ऊपर या धब्बा नहीं लगने देगी इनके चक्कर में भारत की बैठे