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Monday, 4 April 2022

हिटलर की पोलिसी बनाने वाला गोएबल्स के कार्यो को जाने.



हिटलर का एक बंदा था, नाम गोएबल्स! तो गोएबल्स ने क्या किया? गोएबल्स ने नाज़ियों के लिए दुष्प्रचार का फॉर्मूला बनाया और कत्लेआम और धार्मिक श्रेष्ठता का ऐसा कॉकटेल पैदा किया कि लाखों यहूदियों की जान पर बन आई, हज़ारों मारे गए! हिटलर चैन से सोता था, खाता था, नाचता था, गाता था।

गोएबल्स इतना हरामी आदमी था कि पूरी मानवता पर संकट आ गया और ऐसा हुआ था सिर्फ हिटलर की गद्दी बचाने के लिए। गोएबल्स ने हिटलर की सनक को ही विकास का पैमाना बताकर प्रचारित करना शुरू किया। उसने कहा जर्मन के मौके यहूदी निगल रहे हैं और जर्मन पागलों की तरह यहूदियों को टारगेट करने लगे।

जर्मन गोएबल्स का खेल तब तक नहीं समझ सके थे, जब तक दुनिया युद्ध के मुहाने पर नहीं पहुंच गई। गोएबल्स ने जर्मन के अंदर इतनी नफरत भरी कि यहूदियों का रहना-खाना हराम हो गया। यहूदियों के व्यापार तबाह किये गए और उनके बहिष्कार की मांग उठी। यहूदियों को घरों से ढूंढ-ढूंढ कर मारा गया।

गोएबल्स और हिटलर ने मिलकर जर्मनी में नफरत का वो तूफान खड़ा किया कि बच्चे तक उस विचार से संक्रमित हो गए, जो उन्हें साथी यहूदी बच्चों से दूर करने लगा, उनमें नफरत पनपने लगी। जातीय श्रेष्ठता के बोध से भरे हुए जर्मन बच्चे-बूढ़े पागलों की तरह हर समस्या की वजह यहूदियों को मानने लगे।


गोएबल्स ने हिटलर के साम्राज्य को बचाने के लिए जर्मन का पैसा प्रचार में झोंक दिया। वो हिटलर के लिए शानदार सभाएं करवाता, टीवी पर हिटलर का महिमामंडन करवाता और उस मशीनरी में खाद -पानी डालता जो जर्मन को ये विश्वास दिलवाए रखती कि हिटलर ही जर्मन को श्रेष्ठता के शिखर पर ले जा सकता है।

ये श्रेष्ठता असल में भ्रम मात्र थी, जिससे जर्मनी में यहूदियों का कत्लेआम शुरू हो गया। हिटलर के आस-पास मौजूद लोग, आग में घी डालने का काम जान बूझकर करते रहे, क्योंकि सरकारी खजाने की लूट से एक बड़ा हिस्सा ऐसे लोगों तक भी पहुंच रहा था। हिटलर के सहयोगियों ने नफ़रत को और बढ़ा दिया।

ऐसा नहीं था कि हिटलर ने सिर्फ यहूदियों का कत्लेआम करवाया, बल्कि उसने अपना विरोध कर रहे और सच के पक्ष में खड़े जर्मन को भी मारना शुरू करवा दिया। हत्याओं का अंतहीन दौर शुरू हुआ। हिटलर का ख़ुफ़िया विभाग आम लोगों को निशाने पर लेने लगा। चेतना नष्ट करने की सरकारी साजिश शुरू हुई।

हिटलर के प्रशासन ने राष्ट्रद्रोह के आरोपों में कई जर्मन को भी मौत के घाट उतार दिया। 1933 में जर्मनी की सत्ता पर काबिज हुए एडोल्फ हिटलर के लिए यहूदी इंसानी नस्ल का हिस्सा ही नहीं थे। यहूदियों के लिए हिटलर की ये नफरत होलोकास्ट के रूप में सामने आई।

यहूदियों को खत्म करने का सिलसिला पोलैंड में ऑशविच कन्सनट्रेशन कैंप से शुरू हुआ।पोलैंड के इस कैंप में धर्म, नस्ल, विचारधारा या शारीरिक कमजोरी के नाम पर लाखों लोगों को गैस चैंबर में भेज दिया जाता था। यहूदियों, राजनीतिक विरोधियों, बीमारों और समलैंगिकों से जबरन काम लिया जाता था।

कैंप ऐसी जगह और इस तरह बनाया गया था कि वहां से भाग पाना नामुमकिन था। बूढ़े और बीमारों को गैस चैंबर में मौत दी जाती थी। कैंप में चार क्रिमेटोरियम थे, जो हर दिन 4,700 लाशों को जला सकते थे। जो गैस चैंबर से बच जाते थे, उन्हें काम करना पड़ता था। हिटलर ने बच्चों तक को झोंक दिया।

होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख सिर्फ बच्चे थे। कई यहूदी अपनी जान बचाकर देश छोड़कर भाग गए। ..और ये सब शुरू हुआ था गोएबल्स के 'अच्छे दिन' के प्रोपेगेंडा की मदद से। हिटलर की सनक से जर्मन जुड़ गए थे।

इसके उलट हिटलर और उसके सहयोगी उच्च गुणवत्ता की जिंदगी अपने परिवार के साथ जी रहे थे। वो सबसे आलीशान दफ्तरों से कत्लेआम करवा रहे थे और जर्मनी के संसाधनों से वो तेजी से निजी संपत्तियां जोड़ रहे थे। उनमें यहूदियों की संपत्तियां कब्जाने की होड़ लग गई थी। यही थी असल नस्लीय श्रेष्ठता।

.. लेकिन वक़्त पलटा और डरपोक हिटलर, जिसे गोएबल्स के झूठे प्रचार ने ताकतवर की तरह पेश किया था, उसने खुद को गोली मार ली। हिटलर असल में डरपोक था और देश के संसाधनों के दम पर हुंकार भरता था। आज जर्मन कुत्ते-बिल्ली को दुलार लेते हैं, लेकिन हिटलर के नाम पर शर्मसार हो जाते हैं।

'हम ही बेहतर नस्ल' असल में हिटलर का अपनी गद्दी से चिपके रहने का फॉर्मूला था, जिसे नाज़ियों ने सच मान लिया। इतनी बड़ी दुनिया में कोई भी अपने धर्म, जाति या नस्ल की श्रेष्ठता का दम्भ भर रहा है, तब वो सिर्फ अज्ञान फैला रहा है। हिटलर और गोएबल्स आज भी हैं.. दुनियाभर में मौजूद।

मुझे लगता है कि इतिहास repeat हो रहा है।

जयेश भाटिया
7698514037


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Saturday, 2 April 2022

सुल्तान सलाहुद्दीन ने अली बिन सुफियान से कहा ए अली जो तुमने कहा यही बात में भी कभी कभी सोचता हूँ

एक बार सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी के इंटेलिजेंस ब्यूरो चीफ अली बिन सुफियान ने सुल्तान सलाहुद्दीन से कहा........
सुल्तान जब दुनिया के मुसलमानो को इस्लाम की कोई फिक्र नही आप जिस मुस्लिम हुक्मरान से ईसाईयों यहूदियों के खिलाफ तआवुन मांगते हैं वो आप से ही दुश्मनी कर लेता है और मुसलमानो को आपके खिलाफ भड़काया भी जाता है तो आप क्यों इन जैसे मुसलमानो की फिक्र करते हैं आखिर इनको इनके हाल पर छोड़ क्यों नही देते 
आप तो सुल्तान हैं और दूसरे सुल्तानों के तरह आप भी आराम किजये अपने महल में छोड़ दिजीये बैतूल मुक़द्दस की जिद इसकी किसी को फिक्र नही....
सुल्तान सलाहुद्दीन ने अली बिन सुफियान से कहा 
ए अली जो तुमने कहा यही बात में भी कभी कभी सोचता हूँ ......🤔
फिर अचानक दिल के किसी कोने से आवाज़ आती है अए सलाहुद्दीन क्या तुझे अल्लाह ने इसी लिए सुल्तान बनाया है के तू आराम करे....😢
अली....जब लोगों को देखता हूँ तो सोचता हूँ आखिर इन मुसलमानो के जीने का क्या फायदा जो जिंदा रहने को ही अपनी जिंदगी समझ लेते हैं फिर चाहे वो गुलामी की ही क्यों न हो
ए अली .....ऐसे इंसान के जीने मरने से दुनिया को कोई फर्क नही पड़ता जो खुद के लिए जीते हैं और एक दिन इस मिट्टी में मिलकर खाक हो जाते हैं
ए अली तुमको पता है में 25 साल की उम्र तक काफिरों के बीच रहा उनके मंसूबों को बड़ी अच्छे से बहुत करीब से देखा तो पाया के आखिर क्या है इस्लाम...?
जो इसको मिटाने के लिए सारी दुनिया के काफिर इतनी मेहनत करते हैं 
फिर सोचता हूँ कुछ तो बात रही होगी वरना दुनिया उसे मिटाने की साजिश नही करते 
ए अली तुमको पता है ये यहूदी अपने बच्चों को क़ुरआन हदीष पढ़ाते हैं पता है क्यों....?
ताकि ये हमारे मस्जिदों में घुस पाएं और अली जो बातें मेहराब पर चढ़कर कही जाती हैं ये भोले भाले मुसलमान बिना तहक़ीक़ के कबूल कर लेते हैं
ये अपने बच्चों को हमारे बर्बादी के लिए वक़्फ़ कर देते हैं
अली तुमको याद है पिछले बार जो तुमने यहूदी जासूस लड़कीयों को पकड़ा था क्या कहा था उसने 
के उसके रब्बी उन्हें कहते हैं की अगर तुम्हें किसी एक मुसलमान को राहे हक से भटकाने के लिए दस मुसलमान के साथ सोना पड़े तो भी जायज़ है
ए अली क्या हम ऐसे क़ौम से जीत सकते हैं ये कहकर सुल्तान के आंखों में आंसू आगए....😢
अली बिन सुफियान ने कहा सुल्तान जब तक आप जैसे लोग इस्लाम के कमांडर रहेंगे कोई इस्लाम का कुछ नही बिगाड़ सकता
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने बीच मे टोकते हुवे कहा ए अली में कब तक जिंदा रहूंगा आखिर हमेशा तो नही लेकिन जो ज़हर यहूदियों ने हमारे क़ौम में बो दिया है ये हमारे क़ौम को कभी फूलने नही देगा याद रखना अली ये बैतूल मुक़द्दस जो हम आजाद करने निकले हैं अगर हम आजाद करा भी लिए तो यकीन मानो ये मुसलमान इसको ज्याद वक़्त तक संभाल भी नही पाएंगे.....😢
               [दास्तान ईमान फ़रोशों की]
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7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...