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Saturday, 15 April 2017

इस्लामकी पेहचान के लीये एक नजर

इस्लाम आ चुका है आपके जीवन में Islam means
1. हिंदू धर्म की कोई एक सर्वमान्य परिभाषा आज तक तय नहीं है जबकि इस्लाम कीपरिभाषा तय है।
2. हिंदू भाई बहनों के लिए कर्तव्य और अकर्तव्य कुछ भी निश्चित नहीं है। एक आदमी अंडा तक नहीं छूता और अघोरी इंसान की लाश खाते हैं जबकि दोनों ही हिंदू हैं।
जबकि एक मुसलमान के लिए भोजन में हलाल हराम निश्चित है।
3. हिंदू मर्द औरत के लिए यह निश्चित नहीं है कि वे अपने शरीर को कितना ढकें ?, एक अपना शरीर ढकता है और दूसरा पूरा नंगाही घूमता है।
जबकि मुस्लिम मर्द औरत के लिए यह निश्चित है कि वे अपने शरीर का कितना अंगढकें ?
4. हिंदू के लिए उपासना करना अनिवार्य नहीं है बल्कि ईश्वर के अस्तित्व को नकारने के बाद भी लोग हिंदू कहलाते हैं।
जबकि मुसलमान के लिए इबादत करना अनिवार्य है और ईश्वर का इन्कार करने के बाद उसे वह मुस्लिम नहीं रह जाता।
5. केरल के हिंदू मंदिरों में आज भी देवदासियां रखी जाती हैं और औरतों द्वारा नाच गाना तो ख़ैर देश भर के हिंदूमंदिरों में होता है। इसे ईश्वर का समीप पहुंचने का माध्यम माना जाता है।
जबकि मस्जिदों में औरतों का तो क्या मर्दों का भी नाचना गाना गुनाह और हराम है और इसे ईश्वर से दूर करने वाला माना जाता है।
6. हिंदू धर्म ब्याज लेने से नहीं रोकता जिसकी वजह से आज ग़रीब किसान मज़दूर लाखों की तादाद में मर रहे हैं।
जबकि इस्लाम में ब्याज लेना हराम है।
7. हिंदू धर्म में दान देना अनिवार्य नहीं है। जो देना चाहे, दे और जो न देना चाहे तो वह न दे और कोई चाहे तो दान में विश्वास ही न रखे।
जबकि इस्लाम में धनवान पर अनिवार्य है कि वह हर साल ज़रूरतमंद ग़रीबों को अपने माल में से 2.5 प्रतिशत ज़कात अनिवार्य रूप से दे। इसके अलावा फ़ितरा आदि देने के लिए भी इस्लाम में व्यवस्था की गई है।
8. हिंदू धर्म में ‘ब्राह्मणों को दान‘ देने की ज़बर्दस्त प्रेरणा दी गई है।
जबकि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह व्यवस्था दी है कि हमारी नस्ल में से किसी को भी सदक़ा-ज़कात मत देना। दूसरे ग़रीबों को देना। हमारे लिए सदक़ा-ज़कातलेना हराम है।
9. सनातनी हिंदू हों या आर्य समाजी, दोनों ही मानते हैं कि वेद के अनुसार पतिकी मौत के बाद विधवा अपना दूसरा विवाह नहीं कर सकती।
जबकि इस्लाम में विधवा को अपना दूसरा विवाह करने का अधिकार है बल्कि इसे अच्छा समझा गया है कि वह दोबारा विवाह करले।
10. सनातनी हिंदू हों या आर्य समाजी, दोनों ही यज्ञ करने को बहुत बड़ा पुण्य मानते हैं।
जबकि इस्लाम में यह पाप माना गया है कि आग में खाने पीने की चीज़ें जला दी जाएं।खाने पीने की चीज़ें या तो ख़ुद खाओ या फिर दूसरे ज़रूरतमंदों को दे दो। ऐसा कहा गया है।
11. सनातनी हिंदू और आर्य समाजी, दोनों ही वर्ण व्यवस्था को मानते हैं और वर्णों की ऊंच नीच और छूत छात को भी मानते हैं।
जबकि इस्लाम में न वर्ण व्यवस्था है और नही छूत छात। इस्लाम सब इंसानों को बराबर मानता है और आजकल हिंदुस्तानी क़ानून भीयही कहता है और हिंदू भाई भी इसी इस्लामीविचार को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
12. सनातनी हिंदू और आर्य समाजी, दोनों ही वैदिक धर्म की परंपरा का पालन करते हुए चोटी रखते हैं और जनेऊ पहनते हैं।
जबकि इस्लाम में न तो चोटी है और न ही जनेऊ।
13. सनातनी हिंदू और आर्य समाजी, दोनों ही वेद के अनुसार 16 संस्कार को मानते हैं, जिनमें एक विवाह भी है। इस संस्कार के अनुसार पत्नी अपने पति के मरने के बादभी उसी की पत्नी रहती है और उससे बंधी रहती है। पति तो पत्नी का परित्याग कर सकता है लेकिन पत्नी उसे त्याग नहीं सकती।
जबकि इस्लाम में निकाह एक क़रार है जो पति की मौत से या तलाक़ से टूट जाता है और इसके बाद औरत उस मर्द की पत्नी नहीं रह जाती। वह अपनी मर्ज़ी से अपना विवाह फिर से कर सकती है। इस्लाम में पति तलाक़ दे सकता है तो पत्नी के लिए भी पति से मुक्ति के लिए ख़ुलअ की व्यवस्था की गई है।
अब हो यह रहा है कि सनातनी और आर्य समाजी, दोनों ही ख़ुद वेद की व्यवस्था से हटकर इस्लामी व्यवस्था को फ़ोलो कर रहे हैं। विधवाओं के पुनर्विवाह वे धड़ल्ले से कररहे हैं। जब मुसलमानों ने अपने निकाह को विवाह की तरह संस्कार नहीं बनाया तो फिर हिंदू भाई अपने संस्कार को इस्लामी निकाह की तरह क़रार क्यों और किस आधार परबना रहे हैं ?
जिस व्यवस्था पर विश्वास है, उस पर चलने के बजाय वे इस्लामी व्यवस्था का अनुकरण क्यों कर रहे हैं ?
14. विवाह को संस्कार मानने का नतीजा यह हुआ कि विधवा औरतों को हज़ारों साल तक बड़ी बेरहमी से जलाया जाता रहा। यहां तक कि इस देश में मुसलमान और ईसाई आए और उनके प्रभाव और हस्तक्षेप से हिंदुओं कीचेतना जागी कि सती प्रथा के नाम पर विधवाको जलाना धर्म नहीं बल्कि अधर्म है और तबउन्होंने अपने धर्म को उनकी छाया प्रति बना लिया और लगातार बनाते जा रहे हैं।
15. विवाह की तरह ही गर्भाधान भी एक हिंदू संस्कार है। जब किसी पति को गर्भाधान करना होता है या अपनी पत्नि से किसी अन्य पुरूष का नियोग करवाना होता है तो वह 4 पंडितों को बुलवाता है और वे चारों पंडित पूरे दिन बैठकर वेदमंत्र पढ़ते हैं। उसके घर में खाते पीते हैं। उसके घर में यज्ञ करते हैं। उस यज्ञ से बचे हुए घी को मलकर औरत नहाती है और फिर पूरी बस्ती में घूम घूम कर बड़े बूढ़ों को बताती है कि आज उसके साथ क्या होने वाला है ?
बड़े बूढ़े अपनी अनुमति और आशीर्वाद देते हैं, तब जाकर पति महाशय या कोई अन्य पुरूष उस औरत के साथ वेद के अनुसार सहवासकरता है।
जबकि इस्लाम में गर्भाधान संस्कार ही नहीं है और पत्नि को किसी ग़ैर मर्द के साथ सोने के लिए बाध्य करना बहुत बड़ा जुर्म और गुनाह है।
मुसलमान पति पत्नी जब चाहे सहवास कर सकते हैं। शोर पुकार मचाकर लोगों को इसकी इत्तिला देना इस्लाम में असभ्यता और पाप है।
आजकल हिंदू भाई भी इसी रीति से अपनी पत्नियों को गर्भवती कर रहे हैं क्योंकियही रीति नेचुरल और आसान है।
धर्म सदा ही नेचुरल और आसान होता है।
मुश्किल में डालने वाली चीज़ें ख़ुद ही फ़ेल हो जाती हैं। लोग उनका पालन करना चाहें तो भी नहीं कर पाते। शायद ही आजकल कोई गर्भाधान संस्कार करता हो। इस्लामी रीति से पैदा होने के बावजूद इस्लाम पर नुक्ताचीनी करना केवल अहसानफ़रामोशी है। जिसका कारण अज्ञानता है।
16. सनातनी हिंदू और आर्य समाजी, दोनों के नज़्दीक धर्म यह है कि पत्नि से संभोगतब किया जाए जबकि उससे संतान पैदा करने की इच्छा हो। इसके बिना संभोग करने वाला वासनाजीवी और पतित-पापी माना जाता है।
जबकि इस्लाम में इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है। इस्लामी व्यवस्था यही है कि पति पत्नी जब चाहें तब आनंद मनाएं। उन्हें आनंदित देखकर ईश्वर प्रसन्न होता है। आजकल हिंदू भाई भी इसी इस्लामी व्यवस्था पर चल रहे हैं।
18. शंकराचार्य जी के अनुसार हरेक वर्ण और लिंग के लिए वेद को पढ़ने और पढ़ाने की आज़ादी नहीं है।
जबकि क़ुरआन सबके लिए है। किसी भी रंगो-नस्ल के नर नारी इसे जब चाहंे तब पढ़ सकते हैं।
19. इसी के साथ हिंदू धर्म अर्थात वैदिक धर्म में चार आश्रम भी पाए जाते हैं।
ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम, सन्यास आश्रम
अति संक्षेप में 8वें वर्ष बच्चे का उपनयन संस्कार करके उसे वेद पढ़ने के लिए गुरूकुल भेज दिया जाए और बच्चा 25 वर्ष तक वीर्य की रक्षा करे। इसे ब्रह्मचर्य आश्रम कहते हैं। लेकिन हमारे शहर का संस्कृत महाविद्यालय ख़ाली पड़ा है। शहर के हिंदू उसमें अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते ही नहीं जबकि शहर के कॉन्वेंट स्कूल हिंदू बच्चों से भरे हुए हैं। जहां सह शिक्षा होती है और जहां वीर्य रक्षा संभव ही नहीं है, जहां वेद पढ़ाए ही नहीं जाते,
जहां धर्म नष्ट होता है, हिंदू भाई अपने बच्चों को वहां क्यों भेजते हैं ?
ख़ैर हमारा कहना यह है कि आजकल हिंदू भाईब्रह्मचर्य आश्रम का पालन नहीं करते और न ही वे 50 वर्ष का होने पर वानप्रस्थ आश्रम का पालन करते हुए जंगल जाते हैं औरसन्यास आश्रम भी नष्ट हो चुका है।
आज हिंदू धर्म के चारों आश्रम नष्ट हो चुके हैं और हिंदू भाई अब अपने घरों में आश्रम विहीन वैसे ही रहते हैं जैसे कि मुसलमान रहते हैं क्योंकि इस्लाम में तोये चारों आश्रम होते ही नहीं।
ज़रा सोचिए कि अगर इस्लाम हिंदू धर्म की छाया प्रति होता तो उसमें भी वही सब होताजो कि हिंदू धर्म में हज़ारों साल से चलाआ रहा है और उन बातों से आज तक हिंदू जनमानस पूरी तरह मुक्ति न पा सका।
चार आश्रम, 16 संस्कार, विधवा विवाह निषेध, नियोग, वर्ण-व्यवस्था, छूत छात, ब्याज, शूद्र तिरस्कार, देवदासी प्रथा, ईश्वर के मंदिर में नाच गाना, चोटी, जनेऊ और ब्राह्मण को दान आदि जैसी बातें जो किहिंदू धर्म अर्थात वैदिक धर्म में पाई जाती हैं, उन सबसे इस्लाम आखि़र कैसे बच गया ?
इन बातों के बिना इस्लाम को हिंदू धर्म की छाया प्रति कैसे कहा जा सकता है ?
हक़ीक़त यह है कि इस्लाम किसी अन्य धर्म की छाया प्रति नहीं है बल्कि ख़ुद ही मूलधर्म है और पहले से मौजूद ग्रंथों में धर्म के नाम पर जो भी अच्छी बातें मिलती हैं वे उसके अवषेश और यादगार हैं, जिन्हें देखकर लोग यह पहचान सकते हैं कि इस्लाम सनातन काल है, हमेशा से यही मानव जाति का धर्म है।
ईश्वर के बहुत से नाम हैं। हरेक ज़बान में उसके नाम बहुत से हैं। उसके बहुत से नामों में से एक नाम ‘अल्लाह‘ है। यह नाम क़ुरआन में भी है और बाइबिल में भी और संस्कृत ग्रंथों में भी।ईश्वर का निज नाम यही है लेकिन उसके निज नाम को ही भुला दिया गया। ईष्वर के नाम को ही नहीं बल्कि यह भी भुला दिया गया कि सब एक ही पिता की संतान हैं। सब बराबर हैं। जन्म से कोई नीच और अछूत है ही नहीं। ऐसा तब हुआ जब आदम और नूह (अ.) को भुला दिया गया जिनका नाम संस्कृत ग्रंथों में जगह जगह आया है। इन्हें यहूदी, ईसाई और मुसलमान सभी पहचानते हैं। हिंदू भाई इन्हें ऋषि कहते हैं और मुसलमान इन्हें नबी कहते हैं। इनके अलावा भी हज़ारों ऋषि-नबी आए और हर ज़माने में आए और हर क़ौम में आए। सबने लोगों को यही बताया कि जिसने तुम्हें पैदा किया है तुम्हारा भला बुराबस उसी एक के हाथ में है, तुम सब उसी की आज्ञा का पालन करो। ऋषियों और नबियों ने मानव जाति को हरेक काल में एक ही धर्म की शिक्षा दी। । वे सिखाते रहे और लोग भूलतेरहे। आखि़रकार पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस दुनिया में आए और फिर उसी भूले हुए धर्म को याद दिलाया और ऐसे याद दिलाया कि अब किसी के लिए भूलना मुमकिन ही न रहा।
जब दबंग लोगों ने कमज़ोरों का शोषण करने के लिए धर्म में बहुत सी अन्यायपूर्ण बातें निकाल लीं, तब ईश्वर ने क़ुरआन के रूप में अपनी वाणी का अवतरण पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अन्तःकरण पर किया और पैग़म्बरसाहब ने धर्म को उसके वास्तविक रूप में स्थापित कर दिया। जिसे देखकर लोगों ने ऊंच नीच, छूतछात और सती प्रथा जैसी रूढ़ियों को छोड़ दिया। बहुतों ने इस्लाम कहकर इस्लाम का पालन करना आरंभ कर दिया और उनसे भी ज़्यादा वे लोग हैं जिन्होंने इस्लाम के रीति रिवाज तो अपनालिए लेकिन इस्लाम का नाम लिए बग़ैर। इन्होंने इस्लामी उसूलों को अपनाने का एक और तरीक़ा निकाला। इन्होंने यह किया कि इस्लामी उसूलों को इन्होंने अपने ग्रंथों में ढूंढना शुरू किया जो कि मिलने ही थे। अब इन्होंने उन्हें मानना शुरू कर दिया और दिल को समझाया कि हम तो अपने ही धर्म पर चल रहे हैं।
ये लोग हिंदू धर्म के प्रवक्ता बनकर घूमते हैं। ऐसे लोगों को आप आराम से पहचान सकते हैं। ये वे लोग हैं जिनके सिरों पर आपको न तो चोटी नज़र आएगी और न ही इनके बदन पर जनेऊ और धोती। न तो ये बचपन में ये गुरूकुल गए थे और न ही 50 वर्ष का होने पर ये जंगल जाते हैं। हरेक जाति के आदमी से ये हाथ मिलाते हैं। फिर भी ये ख़ुद को वैदिक धर्म का पालनकर्ता बताते हैं।
ख़ुद मुसलमान की छाया प्रति बनने की कोशिश कर रहे हैं और कोई इनकी चालाकी को न भांप ले, इसके लिए ये एक इल्ज़ाम इस्लाम पर ही लगा देते हैं कि ‘इस्लाम तो हिंदू धर्म की छायाप्रति है‘
ये लोग समय के साथ अपने संस्कार और अपने सिद्धांत बदलने लगातार बदलते जा रहे हैंऔर वह समय अब क़रीब ही है जब ये लोग इस्लाम को मानेंगे और तब उसे इस्लाम कहकर ही मानेंगे।
तब तक ये लोग यह भी जान चुके होंगे कि ईश्वर का धर्म सदा से एक ही रहा है। ‘
एक ईश्वर की आज्ञा का पालन करना‘ ही मनुष्य का सनातन धर्म है। अरबी में इसी को इस्लाम कहते हैं। इस्लाम का अर्थ है ‘ईश्वर का आज्ञापालन।‘

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Friday, 14 April 2017

मुस्लिम स्वतंत्र सेनानियो की लिस्ट

इन मुस्लिम स्वतंत्रा सेनानियों ने आज़ादी के लिए अपनी जान दे दी, जनता ने इन्हें भुला दिया By Kamran - August 14, 2016 31057 0   15 अगस्त भारत के ऐतिहास सबसे महत्वपूर्ण तारिख हैं, आज ही के दिन भारत ब्रिटिश हुकूमत से आज़ाद होकर एक स्वतंत्र राज्य बना था. इस दिन को हम दिवस स्वन्त्रता दिवस के नाम से जानते हैं. भारत को ब्रिटिश हुकूमत आज़ादी दिलाने में अनगिनत स्वतंत्रा सेनानियो ने अपनी जान की क़ुरबानी दी. हम देखते हैं कि जब भी स्वतंत्रा सेनानियो की बात आती हैं तो मुस्लिम स्वतंत्रा सेनानियो के नाम पर सिर्फ एक ही नाम सामने निकल कर आता हैं. और स्वतंत्रता संग्राम के मुस्लमान क्रांतकारियो को इतिहास के पन्नो से मिटा दिया गया हैं.  जब-कभी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की बात होती है तो मुस्लिम समुदय से सिर्फ एक ही नाम सामने अत हैं. जहाँ देखो वहीं दिखाई देता है. लेकिन उसके अलावा किसी का नाम नज़र नहीं आता हैं. उस नाम से आप भी अच्छी तरह वाकिफ हैं, जी हाँ वह और कोई नहीं ‘अशफ़ाक़ उल्लाह खान’ का नाम दिखाई देता हैं. तो मुद्दा यह हैं कि क्या सिर्फ अशफ़ाक़ उल्लाह खान भारत के स्वतंत्रा आंदोलन में शामिल थे. इसके अलावा एक और नाम हैं मौलाना अबुल कलाम आज़ाद” जिसे देखकर हमने भी यही समझ लिया कि मुसलमानो में सिर्फ मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, अशफ़ाक़ उल्लाह खान के बाद दुसरे ऐसे मुस्लमान थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थे जिन्होने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मे हिस्सा लिया था. जब मैं अपने स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहा था, तो उस दौरान मैंने इतिहास से सम्बंधित जितनी भी किताबे पढ़ी उन सभी में मैंने अशफ़ाक़ उल्लाह खान के अलावा किसी भी मुसलमान का नाम स्वतंत्रा आंदोलन में शामिल नहीं मिला. बल्कि अगर अस्ल तारिख का गहन अध्यन किया जाये, तो आप देखेगे 1498 की शुरुआत से लेकर 1947 तक मुस्लमानो ने विदेशी आक्रमणकारियो से जंग लड़ते हुए अपनी जानो को शहीद करते हुए सब कुछ क़ुरबान कर दिया. इतिहास के पन्नों में अनगिनत मुस्लिम हस्तियों के नाम दबे पड़े हैं जिन्होने भारतीय स्वतंत्रा आंदोलन में अपने जीवन का बहुमूल्य योगदान दिया जिनका ज़िक्र भूले से भी हमें सुनने को नहीं मिलता हैं. जबकि अंग्रेजों के खिलाफ भारत के संघर्ष में मुस्लिम क्रांतिकारियों, कवियों और लेखकों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता है.  शाह अब्दुल अज़ीज़ रह ० का अंग्रेज़ो के खिलाफ फतवा 1772 मे शाह अब्दुल अज़ीज़ रह ० ने अंग्रेज़ो के खिलाफ जेहाद का फतवा दे दिया ( हमारे देश का इतिहास 1857 की मंगल पांडे की क्रांति को आज़ादी की पहली क्रांति मन जाता हैं) जबकि सचाई यह है कि शाह अब्दुल अज़ीज़ रह ० 85 साल पहले आज़ादी की क्रांति की लो हिन्दुस्तानीयो के दिलों मे जला चुके थे. इस जेहाद के ज़रिये उन्होंने कहा के अंग्रेज़ो को देश से निकालो और आज़ादी हासिल करो. यह फतवे का नतीजा था कि मुस्लमानो के अन्दर एक शऊर पैदा होना शुरू हो गया के अंग्रेज़ लोग फकत अपनी तिजारत ही नहीं चमकाना चाहते बल्कि अपनी तहज़ीब को भी यहां पर ठूसना चाहते है. हैदर अली और टीपू सुल्तान की वीरता हैदर अली और बाद में उनके बेटे टीपू सुल्तान ने ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी के प्रारम्भिक खतरे को समझा और उसका विरोध किया. टीपू सुल्तान भारत के इतिहास में एक ऐसा योद्धा भी था जिसकी दिमागी सूझबूझ और बहादुरी ने कई बार अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. अपनी वीरता के कारण ही वह ‘शेर-ए-मैसूर’ कहलाए. अंग्रेजों से लोहा मनवाने वाले बादशाह टीपू सुल्तान ने ही देश में अंग्रेजो के ज़ुल्म और सितम के खिलाफ बिगुल बजाय था, और जान की बाज़ी लगा दी मगर अंग्रेजों से समझौता नहीं किया. टीपू अपनी आखिरी साँस तक अंग्रेजो से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. टीपू की बहादुरी को देखते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें विश्व का सबसे पहला राकेट आविष्कारक बताया था. बहादुर शाह ज़फ़र बहादुर शाह ज़फ़र (1775-1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह थे और उर्दू भाषा के माने हुए शायर थे. उन्होंने 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया. इस जंग में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई. 1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है ब्रितानी शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था. यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चला. इस विद्रोह का आरंभ छावनी क्षेत्रों में छोटी झड़पों तथा आगजनी से हुआ था परन्तु जनवरी मास तक इसने एक बड़ा रुप ले लिया. विद्रोह का अन्त भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन की समाप्ति के साथ हुआ और पूरे भारत पर ब्रिटेनी ताज का प्रत्यक्ष शासन आरंभ हो गया जो अगले 10 वर्षों तक चला. ग़दर आंदोलन गदर शब्द का अर्थ है विद्रोह, इसका मुख्य उद्देश्य भारत में क्रान्ति लाना था. जिसके लिए अंग्रेज़ी नियंत्रण से भारत को स्वतंत्र करना आवश्यक था.गदर पार्टी का हैड क्वार्टर सैन फ्रांसिस्को में स्थापित किया गया, भोपाल के बरकतुल्लाह ग़दर पार्टी के संस्थापकों में से एक थे जिसने ब्रिटिश विरोधी संगठनों से नेटवर्क बनाया था. ग़दर पार्टी के सैयद शाह रहमत ने फ्रांस में एक भूमिगत क्रांतिकारी रूप में काम किया और 1915 में असफल गदर (विद्रोह) में उनकी भूमिका के लिए उन्हें फांसी की सजा दी गई. फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) के अली अहमद सिद्दीकी ने जौनपुर के सैयद मुज़तबा हुसैन के साथ मलाया और बर्मा में भारतीय विद्रोह की योजना बनाई और 1917 में उन्हें फांसी पर लटका दिया गया था. खुदाई खिदमतगार मूवमेंट लाल कुर्ती आन्दोलन भारत में पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रान्त में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन में खुदाई ख़िदमतगार के नाम से चलाया गया जो की एक ऐतिहासिक आन्दोलन था. विद्रोह के आरोप में उनकी पहली गिरफ्तारी 3 वर्ष के लिए हुई थी. उसके बाद उन्हें यातनाओं की झेलने की आदत सी पड़ गई. जेल से बाहर आकर उन्होंने पठानों को राष्ट्रीय आन्दोलन से जोड़ने के लिए ‘ख़ुदाई ख़िदमतग़ार’ नामक संस्था की स्थापना की और अपने आन्दोलनों को और भी तेज़ कर दिया. अलीगढ़ आन्दोलन सर सैय्यद अहमद खां ने अलीगढ़ मुस्लिम आन्दोलन का नेतृत्व किया. वे अपने सार्वजनिक जीवन के प्रारम्भिक काल में राजभक्त होने के साथ-साथ कट्टर राष्ट्रवादी थे. उन्होंने हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता के विचारों का समर्थन किया. 1884 ई. में पंजाब भ्रमण के अवसर पर हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल देते हुए सर सैय्यद अहमद खाँ ने कहा था कि, हमें (हिन्दू और मुसलमानों को) एक मन एक प्राण हो जाना चाहिए और मिल-जुलकर कार्य करना चाहिए. यदि हम संयुक्त है, तो एक-दूसरे के लिए बहुत अधिक सहायक हो सकते हैं। यदि नहीं तो एक का दूसरे के विरूद्ध प्रभाव दोनों का ही पूर्णतः पतन और विनाश कर देगा. इसी प्रकार के विचार उन्होंने केन्द्रीय व्यवस्थापिका सभा में भाषण देते समय व्यक्त किये. एक अन्य अवसर पर उन्होंने कहा था कि, हिन्दू एवं मुसल्मान शब्द को केवल धार्मिक विभेद को व्यक्त करते हैं, परन्तु दोनों ही एक ही राष्ट्र हिन्दुस्तान के निवासी हैं. सर सैय्यद अहमद ख़ाँ द्वारा संचालित ‘अलीगढ़ आन्दोलन’ में उनके अतिरिक्त इस आन्दोलन के अन्य प्रमुख नेता थे. नजीर अहमद चिराग अली अल्ताफ हुसैन मौलाना शिबली नोमानी यह तो अभी चुनिंदा लोगो के नाम हमने आपको बातये हैं. ऐसे सैकड़ो मुसलमान थे जिन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई में अपने जीवन को कुर्बान कर देश को आज़ाद कराया. इतना ही नहीं मुस्लिम महिलाओ में बेगम हजरत महल, अस्घरी बेगम, बाई अम्मा ने ब्रिटिश के खिलाफ स्वतंत्रता के संघर्ष में योगदान दिया है. पर अफ़सोस भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इतने मुस्लमानो के शहीद होने के बाद भी हमको मुस्लमानो के योगदान के बारे में नहीं बताया जाता. अंग्रेज़ो के खिलाफ पहली आवाज़ उठाने वाले मुस्लमान नवाब सिराजुद्दौला शेरे-मैसूर टीपू सुल्तान हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिस देहलवी हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिस देहलवी हज़रात सयेद अहमद शहीद हज़रात मौलाना विलायत अली सदिकपुरी अब ज़फर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फर अल्लामा फज़ले हक़ खैराबादी शहज़ादा फ़िरोज़ शाह मोलवी मुहम्मद बाकिर शहीद बेगम हज़रत महल मौलाना अहमदुल्लाह शाह नवाब खान बहादुर खान अजीज़न बाई मोलवी लियाक़त अली अल्लाहाबाद हज़रत हाजी इमदादुल्लाह मुहाजिर मकई हज़रत मौलाना मुहम्मद क़ासिम ननोतवी मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी शेखुल हिन्द हज़रत मौलाना महमूद हसन हज़रत मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी हज़रत मौलाना रशीद अहमद गंगोही हज़रत मौलाना अनवर शाह कश्मीरी मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली हज़रत मौलाना किफायतुल्लाह सुभानुल हिन्द मौलाना अहमद सईद देहलवी हज़रत मौलाना हुसैन अहमद मदनी सईदुल अहरार मौलाना मुहम्मद अली जोहर मौलाना हसरत मोहनी मौलाना आरिफ हिसवि मौलाना अबुल कलम आज़ाद हज़रत मौलाना हबीबुर्रहमान लुधयानवी सैफुद्दीन कचालू मसीहुल मुल्क हाकिम अजमल खान मौलाना मज़हरुल हक़ मौलाना ज़फर अली खान अल्लामा इनायतुल्लाह खान मशरिक़ी डॉ.मुख़्तार अहमद अंसारी जनरल शाहनवाज़ खान हज़रत मौलाना सयेद मुहम्मद मियान मौलाना मुहम्मद हिफ्जुर्रहमान स्योहारवी हज़रत मौलाना अब्दुल बरी फिरंगीमहली खान अब्दुल गफ्फार खान मुफ़्ती अतीक़ुर्रहमान उस्मानी डॉ.सयेद महमूद खान अब्दुस्समद खान अचकजाई रफ़ी अहमद किदवई युसूफ मेहर अली अशफ़ाक़ उल्लाह खान बैरिस्टर आसिफ अली हज़रत मौलाना अताउल्लाह शाह बुखारी अब्दुल क़य्यूम अंसारी

Monday, 3 April 2017

गुजरात वडावली दंगो के बाद ऐस.पी मुलाकात

Date :- 02/04/17

वडावली दंगो के बाद .....एक हफ्ते बाद प्रशाशन वाले गाव वालों से मिलने के लिए आये .....उन्होंने वादा किया निष्पक्ष इंक्वायरी होगी .....कानून अपने हिसाब से काम करेगा .......

पाटन एस पी साहब और कलेक्टर साहब के सामने एक बहन और जमाते इस्लामी हिन्द के जानाब अब्दुलकादिर साहब की जबरदस्त स्पीच .........

जनाब अब्दुल कादिर साहब ने कहा के जब दंगा शुरू था साहब तब यहाँ के पी आई साहब के पास लोग बचाव के लिए गए हमें बचाओ घर जलाए मारे पीटे ....तब पी आई साहब ने साफ़ कहा था के हम पर ऊपर से दबाव है तो ऐस पी साहब यहाँ तो सबसे ऊपर आप थे तो क्या आपका ही दबाव था ?????

बहन ने कहा घर हमारे जले मार हैमेने खाई मरे हम और हमपर एफ आई आर ?? कहा का इन्साफ है ये सर ??

जनाब अब्दुल कादिर साहब ने कहां ये मजलूम लोग है इन्हें प्रशाशन से अबतक हेल्प नहीं की जो आपकी जिम्मेदारी है सर बल्कि मुस्लिम तंज़ीमो ने किया जो किया यहाँ पर .......ऐसा क्यों ??

बेलेन्स बनाने के लिए दोनों तरफ से धरपकड़ नहीं होनी चाहिए ये मजलूम है इन्हें कसूर कोई नहीं इनकी न हो जो गुन्हेगार है उन्हें सज़ा मिले .........

उन्होंने वादा किया ये सब करके निष्पक्ष इंक्वायरी का .....

Saturday, 1 April 2017

भारतीय मुसलमानों की समस्या 2017

*🇮🇳सौ में से अस्सी बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान क्याेकि बाकी सब मुसलमान🕌*

*भारतीय मुसलमानों की समस्या*
                                    *लेख ९/५००*

भारत के सभी ब्राह्मणी खांदान के वर्चस्व वाली राजनीतिक पार्टियों (कॉंग्रेस, भाजपा, त्रुणमूल कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी, शिवसेना एआयडिएमके) के गुरु द्रोणाचार्य आरएसएस के प्रमुख को राष्ट्रपति बनाने को मुकसंमती यह ब्राह्मणी सोच को दर्शाने के लिए काफी नहीं है क्या? अब भी खरगोश की तरह अपना मूंह छुपाकर अपने आपको सुरक्षित समझने की भूल कैसे कर सकते हो?

सबसे बड़े आतंकवादी ब्राम्हणवादी ब्राम्हणवादी !!
देश में जितने भी जगह बम ब्लास्ट हुए वे सारे के सारे आरएसएस या आरएसएस से जुड़े लोगो ने यानि ब्राम्हणो ने ही करवाए। असित चटर्जी उर्फ़ असिमानद ने कन्फेशन में कहा की देश भर में जितने बं ब्लास्ट हुए वे सारे के सारे आरएसएस ने ही करवाए !! मगर सत्ता में बैठी कांग्रेस ने उन सारे आतंकवादियों को बचाया क्यों की मोहन भागवत को वह बचा रहे थे !कांग्रेस ने ही तो आरएसएस को १९२५ में पैदा किया था ना !कांग्रेस बीजेपी आरएसएस कम्युनिस्ट ब्राम्हणो डीएनए एक ही है !!
सन २००८ को जब मालेगाव बम ब्लास्ट की जाँच करकरे ने शुरू की तब उन्हें लेफ्टनत कर्नल प्रसाद पुरोहित और दयानन्द पांडे के पास से ३ लैपटॉप जप्त किये गए। उसमे मिली जानकारी यह ब्राम्हणी राज ब्लू प्रिंट था।
उसमे आरएसएस के द्वारा ही चलाये जा रहे अभिनव भारत के असंख्य गुप्त मीटिंग्स के वीडियो , ओडिवो रिकॉर्डिंग थे। उसके अनुसार उन ब्राम्हणी आतंकवादियों मीटिंगे delhi ,जम्मू,कलकत्ता ,फरीदाबाद,भोपाल,इंदौर ,जबलपुर,नासिक ,पुणे ,देवळाली इन पर गुप्त मीटिंगे हुयी !उन ३ लैपटॉप में ४८ पार्ट है जिसमे २४ विडीवो और २४ ओडिवो है। उसमे से केवल ४ या ५ भागो का ही सामने जिक्र आता है बाकी ढेर सारी बाते सामने अभी तक आयी नहीं है। वह सब जानकारी सामने नहीं आयी है अगर वह आती है तो ३ प्रतिशत ब्राम्हणो को जेल में डाला जायेगा या फिर उन्हें जनता ही चौक चौराह पर लाकर मार डालेंगी यह चिंता ब्राम्हणो को है।
भारत में छाहे कांग्रेस आये या बीजेपी, कम्युनिस्ट ब्राम्हणो के होने के कारण ब्राम्हणी आतंकवाद को बढ़ावा देते है क्यों की इसी से ३ प्रतिशत ब्राम्हणो का भारत पर और लोकतंत्र पर नाजायज कब्जा हो जाता है। जो भी जाँच एजंसियां है उनमे भी ब्राम्हण उन्ही नियंत्रण है ! नाजायज तरीके से कब्ज़ा किया है। आयबी और एटीएस ,NIA पर भी विदेशी ब्राम्हणो ने कब्ज़ा किया है। २६ - ११ का जो हमला हुआ था उसमे आरएसएस का भी हाथ था और इसी में जो मालेगाव बम ब्लास्ट की तहकीकात कर रहे अधिकारियो की हत्याए भी कर दी गयी और इस काम के लिए कांग्रेस ने आरएसएस को मदत किया !! कांग्रेस के ब्राम्हण कितने महान होगे इसकी आप कल्पना करो !!
कई जगह पर बम ब्लास्ट हुए उसमे से १७ जगह के बम ब्लास्ट के मामले के चार्ज शीट कोर्ट में दायर हुए है वे सारे के सारे आरएसएस पर हुए है। न्यायपालिका में बैठे ब्राम्हण क्या आतंकवादियों का समर्थन कर रहे है ?जानकारी सामने आयी है पुरोहित को बचाया जा रहा है !! क्लीन चिट दी जा रही है !! शेम शेम !!
क्या हम भारत में रहते है ? क्या भारत में लोकतंत्र है ?
उन १७ जगह की कोर्ट में दायर चार्ज शीट अनुसार आरएसएस आतंकवादी ब्राम्हणो संघठन है जानकारी :
आरएसएस , अभिनव भारत और वन्दे मातरम के ब्राम्हणो ने किये बम ब्लास्टः
१ अजमेर शरीफ ,राजस्थान २००६
२ मक्का मस्जित ,आंध्र प्रदेश ,हैदराबाद २००६
३ समझौता एक्सप्रेस २००६
४ मालेगाव , महाराष्ट्र २००६
५ मालेगाव महाराष्ट्र २००८
६ मोडासा ,गुजरात २००८
आरएसएस और बजरंग दलों के द्वारा किये गए बम ब्लास्ट :
७ नांदेड़ ,महाराष्ट्र २००६
८ परभणी ,महाराष्ट्र २००३
९ जालाना , महाराष्ट्र २००४
१० पूर्णा , महाराष्ट्र २००४
११ कानपुर , उप , २००८
आरएसएस के द्वारा किये गए बम ब्लास्ट
१२ कन्नूर , केरल , २००८
१३ तेन काशी , तमिलनाडु २००८
१४ पनवेल , महाराष्ट्र, २००८
सनातन संस्था के द्वारा किये गए बम ब्लास्ट :
१५ ठाणे , महाराष्ट्र , २००८
१६ वाशी , नवी मंबई , महाराष्ट्र
१७ मडगाव , गोवा , २०१०
अब इन बम ब्लास्ट में शामिल ब्राम्हणो की लिस्ट :
१ सुनील जोशी - मऊ , मध्य प्रदेश का आरएसएस का प्रचार प्रमुख १९९० से २००३
२ संदीप डांगे - आरएसएस का प्रचार प्रमुख :शाजापुर , मध्य प्रदेश , २००५ से २००८
३ देवेन्द्र गुप्ता जामताड़ा झारखण्ड का आरएसएस का जिला प्रचार प्रमुख
४ लोकेश शर्मा -आरएसएस का नगर कार्यवाहक देवगढ़।
५ चंद्रकांत लावे - आरएसएस का जिला प्रचार प्रमुख :शाजापुर , मध्य प्रदेश , २००८ से २०१०
६ स्वामी असिमांंनन्द - आरएसएस का सबसे पुराना और सर्वोच्च नेता।
७ राजेंद्र उर्फ़ समुन्दर - आरएसएस वर्ग विस्तारक।
८ मुकेश वासनी -गोधरा का आरएसएस का कार्यकर्त्ता
९ रामजी कालसांगरा - आरएसएस का कार्यकर्त्ता
१० कमल चौहांन - आरएसएस का कार्यकर्ता
११ साध्वी prdnya सिँघ ठाकुर , आरएसएस की कार्यकर्ता जो वन्दे मातरम और अभिनव भारत से जुडी है !
१२ राजेंद्र चौधरी उर्फ़ रामबालक दास -आरएसएस का कार्यकर्ता
१३ धन सिंह उर्फ़ लक्ष्मण - आरएसएस का कार्यकर्ता
१४ राम मनोहर कुमार सिंह
१५ तेज राम उर्फ़ रामजी उर्फ़ रामचन्द्र कालसांगरा - आरएसएस का कार्यकर्त्ता
१६ संदीप उपाध्याय उर्फ़ संदीप डांगे - आरएसएस
१७ सुनील जोशी - आरएसएस
१८ राहुल पाण्डे - आरएसएस
१९ डॉ उमेश देशपांडे - आरएसएस
२० संजय चौधरी
२१ हिमांशु पानसे -
२२ रामदास मुलंगे
२३ नरेश राजकोंडावर
२४ योगेश विदुलकर
२५ मारुती वाघ
२६ गुरुराज तुप्तेवर
२७ मिलिंद एकबोटे
२८ मलेगोंडा पाटिल ( जो गोवा में बम ब्लास्ट के साथ ही मारा गया , यह पिछड़े वर्ग का है और उसका इस्तेमाल आरएसएस ने किया )
२९ योगेश नाईक
३० विजय तलेकर
३१ विनायक पाटिल
३२ प्रशांत जुवेकर
३३ सारंग कुलकर्णी
३४ धनजय अष्टेकर
३५ दिलीप मंगोंकर
३६ जयप्रकाश उर्फ़ अन्ना
३७ रूद्र पाटिल
३८ प्रशांत अष्टेकर
३९ रमेश गडकरी -सनातन संस्था
४० विक्रम भावे - सनातन संस्था
पिछले साल आरएसएस ने मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में भी बम ब्लास्ट किया था जिसमे २०० से ज्यादा लोग टमाटर की तरह फटकर मारे गए। mp में बीजेपी आरएसएस की सत्ता है उस मसले को आरएसएस ने दबाया !
देश भर में आरएसएस बम ब्लास्ट कर रही है।
भारत में एक भी राजनैतिक दल इन विदेशी ब्राम्हणो को आतंकवादी तक कहने को डरता है। भारत मुक्ति मोर्चा और बहुजन मुक्ति पार्टी ने विषय लगाकर जन जागरण चलाया और अब फिर से जनजागरण करेंगे। आंदोलन करेंगे ! विदेशी ब्राम्हणो को नंगा करेंगे !!
तथाकथित आज़ादी के ६८ साल के सालो में ६४ हज़ार फसाद हुए उसमे एक भी ब्राम्हण नहीं मारा मगर इन फसादो से ३ प्रतिशत ब्राम्हणो ने sc ,st obc का धार्मिक धुरुवीकरन करके हिन्दू के नाम पर इस्तेमाल किया और कांग्रेस को डर के मारे मुस्लिमो ने वोट दिया !
इससे कांग्रेस और बीजेपी का सत्ता और विपक्ष पर कब्ज़ा हुआ। भारत के ८५ प्रतिशत बहुजन बहुसंख्य होने के बावजूद ३ प्रतिशत ब्राम्हणो के गुलाम हुए !
इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है की भारत में मुसलमान काम जेल में ज्यादा रहते है !!
अभी की सरकारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार sc ,st ,obc ,मुस्लिम के ८५ प्रतिशत लोगो के ६७ प्रतिशत लोग जबरन जेलो में है !!
भारत में गृह युद्ध होगा !! ३ प्रतिशत ब्राम्हणो ने जो भी षड्यंत्र किये है उसका जनता बदला जरूर लेगी !!
अब तो समझ में आया राष्ट्रव्यापी जनांदोलन के अलावा कोई विकल्प है ?
मूलनिवासी जागेगा विदेशी ब्राम्हण भागेगा !
सबसे बड़े आतंकवादी ब्राम्हणवादी ब्राम्हणवादी !!
यह कैसी लाचारी है ८५ पर १५ भारी है ?

ગુજરાતન‍ પાટણ જિલ્લાના વડાવલી ગામના કોમવાદી હુલ્લર નો રીપ્રોટ

તારીખ 25/3/2017 ના રોજ ચાણસ્મા તાલુકાનાં વડાવલી ગામમાં થયેલ સાંપ્રદાયિક હિંસાનો રીપોર્ટ
પાટણ જિલ્લાના ચાણસ્મા તાલુકાનાં વડાવલી ગામમાં ધોરણ-10 ની બોર્ડની પરીક્ષાનું કેન્દ્ર આવેલું છે અહી આજુ-બાજુના ગામોના બાળકો પણ અહી પરીક્ષા કેન્દ્રમાં પરીક્ષા આપવા માટે આવેલ હતા. તેમાથી સુણસર ગામના ઠાકોર સમાજના છોકરા  અને ટાકોદી ગામના મુસ્લિમ છોકરાની વચ્ચે પરીક્ષા પૂર્ણ થયા બાદ સામાન્ય બોલાચાલી થઈ હતી. આ દરમ્યાન તેમને  ગામના સ્થાનિક મુસ્લિમ લોકો દ્વારા છોડાવવામાં આવ્યા હતા. અને  બંને બાળકોને તેમના ઘરે જવા જણાવ્યુ હતું ત્યારબાદ થોડીવારમાં સુણસર ગામના 15-20 ઠાકોર સમાજના લોકો એ આવીને વડાવલી ગામમાં આવીને ટાકોદી ગામના મુસ્લિમ છોકરાને માર માર્યો હતો જેની જાણ થતાં ગામના સ્થાનિક આગેવાનોએ ઘટના સ્થળે જઈને સમાધાન કરાવ્યુ હતું
ત્યારબાદ ગામમાં ગ્રામપંચાયતની ચૂંટણી હોય ગામમાં સમરસ પંચાયત બનાવવાનું નક્કી કરવામાં આવેલ હોય ગ્રામસભાનું આયોજન કરવામાં આવ્યું હતું જેમાં ગામના તમામ સમુદાય ના આગેવાનો અને અન્ય લોકો બપોરના અરસામાં મંદિરમાં એકત્ર થયેલ હતા અને તમામ સમુદાયના લોકોની સર્વસહમતી દ્વારા રશીદાબેન સુલ્તાનભાઈ કુરેશીને સરપંચ તરીકે નક્કી કરવામાં આવ્યા
આ સમય દરમ્યાન જ આજુ-બાજુના ગામો જેમાં સુણસર, ધારપૂરી, રામપુરા અને મેરવાડા તથા અન્ય ગામોના ઠાકોર સમાજના લોકો  અચાનક અગાઉ થી આયોજન બદ્ધ રીતે નક્કી કરવામાં આવ્યું હોય તેવી રીતે 30 મિનિટ કરતાં પણ ઓછા સમયની અંદર અંદાજે 2.30 વાગ્યાના સુમારે ગામની અંદર 5000 થી 7000 લોકોનું ટોળું હાથમાં તલવારો, ભાલા, ખાનગી બંદુકો તેમજ અન્ય ઘાતક હથિયારો અને પેટ્રોલના કેરબા સાથે  ઘસી આવ્યું અને એક ટોળું ગામના વાઘપરા (પરા વિસ્તાર, ઇન્દિરાનગર)માં ઘૂસી ગયું અને મુસ્લિમ સમાજના ઘરોને સળગાવવાનું તેમજ ઘરો ની અંદર થી રોકડ રકમ અને દાગીનાઓની લૂંટ કરવા લાગ્યું   તથા ઘરોની બહાર પડેલી બાઈકો, ટ્રક, જીપ, થ્રેશર, મોટરકાર જેવા મુસ્લિમ સમાજના વાહનોને આગ લગાવવાનું શરૂ કરી દીધું તથા જે મુસ્લિમ યુવાનો એ તેમનો પ્રતિકાર કરવા ગયા તેઓને પણ તલવારો અને ખાનગી ફાયરિંગ વડે ગંભીર રીતે ઘાયલ કર્યા હતા. અને આ ઘટનામાં એક વ્યક્તિનું મૃત્યુ પણ નીપજવવામાં આવેલ હતું.
આ ટોળામાં આશ્ચર્ય જનક રીતે ધારપૂરી ગામના SRP માં ફરજ બજાવતા 2 ઠાકોર SRP જવાન પણ ટોળામાં સામેલ હતા તેઓએ ખાનગી ફાયરિંગ પણ કયું હતું જેમાં સરપંચના પતિ સુલ્તાનભાઈ ભીખુ ભાઈ કુરેશીના પેટના તથા જાંઘના ભાગે છરા ઘૂસી ગયા જેઓ અત્યારે હાલ પાટણ ખાનગી હોસ્પિટલમાં દાખલ કરવામાં આવેલ છે
ઇબ્રાહિમખાન લાલખાન બેલીમને તલવારોના ઘા મારીને તેમની હત્યા કરેલ છે અને અન્ય 15-20 મુસ્લિમ સમાજના યુવાનો અને બહેનોને તલવારો અને તીષ્ણ હથિયારો વડે માર મારી ઘાયલ કરવામાં આવ્યા છે. જેઓ અત્યારે હાલમાં પાટણ, મહેસાણા અને અમદાવાદની હોસ્પિટલોમાં સારવાર લઈ રહ્યા છે. આ સમગ્ર ઘટના દરમ્યાન બીટ જમાદાર ગંભીરસિંહની ભૂમિકા ખૂબ જ પક્ષપાતી રહેલી છે ગામના એક મુસ્લિમ યુવાનને  તલવારોના ઘા માર્યા હતા ઇજાગ્રસ્ત યુવાનના જણાવ્યા મુજબ “ અમને જ્યારે આ ઠાકોર લોકોના ટોળાઓ મારી રહ્યા હતા ત્યારે પોલીસના માણસો ઊભા રહીને જોઈ રહ્યા હતા અને તેઓ અમને બચાવવા માટે પણ આવ્યા નહોતા અને બીટ જમાદાર ગંભીરસિંહ દ્વારા મને બેભાન હાલતમાં જોઈને ટોળાં ને કહ્યું કે આ તો મરી ગયો છે હવે કસબામાં બીજા લોકોને મારો, જ્યારે અમારા ઘરો લૂંટીને તેમજ બળીને ટોળું જતું રહ્યું ત્યારે પોતાની કામગીરી બતાવવા માટે ટિયરગેસના સેલ અને હવામાં ફાયરિંગ કર્યા હતા જો પોલીસ દ્વારા અમને બચાવ્યા હોત તો અમારું આટલું બધુ નુકસાન ના થાત અને  મારા કાકા ઇબ્રાહિમ ખાન અત્યારે હાલ જીવિત રહ્યા હોત”
સ્થાનિક લોકોના જણાવ્યા અનુસાર વિનય સિંહ જેઓ BJP ના આગેવાન છે અને વ્યવસાયે એડ્વોકેટ પણ છે તેઓ આ સમગ્ર કાવતરના મુખ્ય કાવતરાખોર છે. તેઓની સક્રિય ભાગીદારી આ સમગ્ર ઘટનામાં ગામના લોકોએ નજરે જોયેલ છે અને તેઓ તોફાની ટોળાંની આગેવાનીમાં હતા અને ટોળાને પરા તરફ અને કસ્બા તરફ જવાના રસ્તા ઉપર ઊભા રહીને ટોળાઓને જુદી-જુદી દિશાઓમાં જઈને લોકોના ઘરોમાં લૂંટફાટ કરી આગ લગાવવા માટે બૂમો પાડતા હતા તેમજ તેઓએ પેટ્રોલના કારબા પણ ટોળાના લોકોને આપ્યા હતા.
ઝાલા સાહેબ કે જેઓ સુણસર ગામના શિક્ષક છે તેઓએ ગામમાં જઈને ઠાકોર સમાજના લોકોની ઉશ્કેરણી કરી હતી અને ટોળાને લઈને વડાવલી ગામમાં મુસ્લિમો ઉપર હુમલો કરવા આગેવાની લઈને આવ્યા હતા. તેમજ વડાવલી ગામમાં ઠાકોરોના ટોળાને દિશાનિર્દેશ તેમજ ઉશ્કેરણી કરી રહ્યા હતા.

આ બનાવમાં કુલ 142 મકાનોને લૂંટી લેવામાં આવ્યા છે અને 100 કરતાં વધારે મકાનોને સળગાવી દેવામાં આવ્યા છે. ગામમાં તલાટિ દ્વારા તારીખ 26/3/2017 ના રોજ અંદાજિત નુકસાન અંગે સર્વે કરવામાં આવ્યું હતું જેમાં ગામનો કુલ નુકસાન 10 કરોડ રૂપિયા કરતાં વધારે થયો હોવાનું મનાય છે. પરંતુ અમારી ટિમ દ્વારા આ આંકડો ખૂબ ઓછો છે તેવું માનીએ છીએ કારણ કે 25થી વધારે ઘરોમાં આગલા 1 મહિનામાં લગ્ન પ્રસંગો હોવાથી ઘરોમાં દાગીના અને રોકડ રકમ તેમજ અત્યારે ખેતરોમાં ઉગેલ પાક ખળાવાડ માં હતા તે પણ સળગાવી નાંખવામાં આવેલ છે.
આ ગામના મુસ્લિમ સમાજના લોકો દર વર્ષે હાજીપીરના ઉર્ષમાં ચાલતા જાય છે જેની જાણ આ ટોળાના આગેવાનોને અગાઉ થી હોય તેવું અમારું ટીમનું માનવું છે
ટોળા દ્વારા  કરાયેલ હુમલામાં તલવાર અને ધારિયાના ઘા વાગતા મોતને ભેટેલા ઈબ્રાહીમભાઈ લાલખાન બેલીમના મૃતદેહને તારીખ 26/3/2017 ના રોજ ચાણસ્મા સરકારી હોસ્પિટલમાંથી વડાવલી ગામે લાવવામાં આવ્યો હતો. તે સમયે ગામ લોકોએ તોફાની તત્ત્વોની ધરપકડ થાય પછી જ દફનવિધિ કરવાનો નિર્ણય કર્યો હતો જે અનુસંધાને પોલીસ અને વહીવટીતંત્રમાં હડકંપ મચી ગયો હતો ત્યારબાદ આગેવાનોએ મધ્યસ્થિની ભુમિકા ભજવતા અને ગાંધીનગર રેન્જ આઈ.જી. શ્રી એ તોફાની તત્ત્વોની ધરપકડ કરવાની ખાતરી આપી ત્યારબાદ બપોરે ત્રણ વાગે જનાજો ઉપાડી દફનવિધિ કરવામાં આવી હતી. દફનવિધિ સમયે સમસ્ત વડાવલી ગામના તમામ હિન્દુ-મુસ્લિમો સમુદાયના લોકો જોડાયા હતા.

વડાવલી ગામની બાજુમાં આવેલા ખોરસમ ગામમાં રહેતા મુસ્લિમોને સુણસર ગામના ઠાકોર લોકો દ્વારા ધમકી આપવામાં આવી કે જો તમે લોકો એ વડાવલી વાળાઓને મદદ કરી તો તમારું પણ તેવું જ હાલ કરીશું. અત્રે ઉલ્લેખનીય છે કે ખોરસમ ગામમાં મુસ્લિમ સમાજનું છેલ્લા 4-5 વર્ષ થી આર્થિક બહિષ્કાર કરવામાં આવ્યું હતું અને તેમની સાથે કોઈપણ હિન્દુ વ્યક્તિની વ્યવહાર કરવાની મનાઈ ગામના હિન્દુઓ દ્વારા ફરમાવવામાં આવી હતી. આ ગામમાં પણ ગામના મુસ્લિમ ઉમેદવાર એ સરપંચ તરીકે ઉમેદવારી નોંધાવતાં છેલ્લા 15 દિવસ થી બહિષ્કાર કરવાનું બંધ કરવામાં આવ્યું છે અને મુસ્લિમ ઉપસરપંચ  બનાવવાનું પણ સર્વાનુમતે નક્કી કરવામાં આવ્યું છે.
અમારી ટિમ નું માનવું છે કે વડાવલી ગામની આજુ-બાજુના ગામો જેમાં ખોરસમ, મોટેરા સહિતના અન્ય ગામોમાં રહેતા મુસ્લિમ પરિવારો પણ અત્યારે ભયના ઓઠા હેઠળ જીવી રહ્યા છે. તેઓની સુરક્ષાપણ સરકાર દ્વારા કરવામાં આવે
ઘણા બધા લોકો અત્યારે પણ વડાવલી ગામની બહાર પોતાના પરિવારોને મૂકી રાખ્યા છે અને તેઓને ભય છે કે આ ગામમાં જો પોલીસ રક્ષણ વ્યવસ્થિત ના મળે તો અત્યારે હાલ જે લોકો ગામની અંદર રહી રહ્યા છે તેઓને પણ હિજરત કરી જવાનો વારો આવે તેમ છે.  અમારી  ટીમના સાથીઓ દ્વારા ગામના લોકોને આશ્વશન અને સાથ આપવાનું જણાવતા કેમ્પમાં પોતાના પરિવારોને પાછા લાવવા રાજી થયા છે એ શરતે કે પોલીસ રક્ષણ પૂરતું મળી રહેશે.
અમને આ ગામમાં 15 પરિવારો એવા પણ મળ્યા કે જેઓ 2002 માં થયેલ કોમી તોફાનોના અસરગ્રસ્ત હતા અને તેઓ આ ગામમાં એટલા માટે જ આવી ને વસ્યા હતા કે આ ગામમાં  2002 માં પણ કોમી તોફાનો થયા નહોતા.

પોલીસ દ્વારા મુસ્લિમ સમુદાયના પીડિતો ઉપર દબાણ લાવવા માટે ખોટી ફરિયાદ ચાણસ્મા પો સ્ટેમાં ફ.ગુ.ર.નંબર-35/2017 થી ફરિયાદી મનહરસિંહ ઉર્ફગે મનુભા અભેસંગ ઝાલા કે જેઓ સુણસર ગામના વતની છે તેમના નામે ખોટી પોલીસ ફરિયાદ મુસ્લિમ સમાજના લોકોને દબાણમાં લાવવા માટે ઉપજાવી કાઢવામાં આવેલ છે આ ફરિયાદ પણ વડાવલી ગામે મુસ્લિમ સમુદાયના લોકોનું મોટા પ્રમાણમા જાનમાલનું નુકસાન સુણસર અને તેની આજુબાજુના ગામોના ઠાકોર સમાજના લોકો દ્વારા કરવામાં આવ્યું છે તેનો એક મજબૂત પુરાવો છે.

લોકોમાં સંપ્રદાયિક્તાનું ઝેર ફેલાવવાના હેતુથી ઠાકોર સમાજના ટોળાના માણસો દ્વારા બહાદુરી નું કામ કર્યું હોય તે રીતે વિડીયો ક્લિપ બનાવીને વ્હોટ્સએપ ઉપર ફરતી કરવામાં આવેલ છે જેમાં સાફ દેખાય છે કે કઈ રીતે લઘુમતી સમુદાયના લોકોના ઘરોને બાળવામાં અને લૂંટી લેવામાં આવ્યા છે. આ વિડીયોની તપાસ કરવામાં આવે તો વધારે આરોપીઓ ની ધરપકડ થઈ શકે તેમ છે.

નિરીક્ષણો
ગુજરાત વિધાનસભાની ચૂંટણીઓ યોજવાની હોઈ અને લોકોમાં સાંપ્રદાયિક તણાવો વધે તેવા પ્રયત્નોના ભાગરૂપે આ તોફાનો કરાવવામાં આવ્યા છે તેમજ જાતિગત સમીકરણો BJP સાથે અકબદ્ધ રહે અને તે પોતાની જાતિઓમાં વહેંચાઈ ન જાય  તેમજ મતો ફક્ત અને ફક્ત હિંદુત્વ ના નામે BJP ને મળે તે માટે રમખાણો થયા હોય તેવું સ્પષ્ટ દેખાઈ રહ્યું છે કારણ કે રમખાણો થી હિન્દુ અને મુસ્લિમ સમાજ વચ્ચે સાંપ્રદાયિક તણાવ વધશે જેથી BJP ને એવો પ્રચાર કરવામાં સરળતા રહેશે કે “અમારા સિવાય જો કોઈપણ પક્ષ સત્તામાં આવશે તો ગુજરાતમાં હિંદુઓ સલામત નહીં રહે” સાથે સાથે અમારી ટિમ ના સાથીઓનું માનવું છે કે રમખાણોનું સ્વરૂપ બદલાયું છે હવે પહેલાની જેમ સતત દિવસો સુધી રમખાણો નથી થતાં પરંતુ છૂટા છૂટા અને નાના શહેરો અને ગામોમાં છેલ્લા વર્ષોમાં ઘણા રમખાણો થયા છે.
માહિતી અધિકાર અધિનિયમ હેઠળ માંગવામાં માહિતી મુજબ વર્ષ 2005 થી 2015 સુધી ગુજરાતમાં 656 નાના મોટા કોમી રમખાણો થયા છે જેમાં 76 લોકો એ પોતાના જીવ ગુમાવ્યા છે અને 1650 થી વધારે લોકો ઘાયલ થયા છે અને અબજો રૂપિયાની સંપત્તિ નું નુકસાન થયેલ છે. વર્ષ 2015 પછી ગુજરાતના જુદા જુદા વિસ્તારો કે જ્યાં રમખાણ થયા છે જેમાં કચ્છ, સુરત, ભરુચ, વડોદરા, ખંભાત, સાબરકાંઠામાં પણ આવા કોમી રમખાણોની ઘટનાઓ થયેલી છે.
વડાવલી ગામમાં થયેલ રમખાણો  અનુસંધાને અમારી ટીમને ખુબ હકારાત્મક બાબત જાણવા મળી હતી કે વડાવલી ગામના હિન્દુ તેમજ અન્ય તમામ સમાજના લોકોએ આ તોફાનોમાં કોઈપણ જાતનો ભાગ લીધો નથી તેમજ કેટલાક ઘાયલ વ્યક્તિઓને સારવાર કરાવવામાં મદદરૂપ થયા છે. ગામમાં સાંપ્રદાયિક વાતાવરણ ઊભું ના થાય તેવા પ્રયત્નો પણ કરેલ છે જેને અમારી ટિમ દ્વારા કોમી એકતાના આ જવલંત ઉદાહરણને બિરદાવવામાં આવે છે.
પોલીસ દ્વારા ઘટનાની તપાસના કામ માં ઢીલાશ દેખાઈ છે જે અંગે રેન્જ આઈ જી અને SP સાહેબને પણ અમારી  ટિમ દ્વારા રજૂઆત કરવામાં આવી હતી કે આરોપીઓ દ્વારા વપરાયેલ તલવારો અને તલવારની મ્યાનો(કવર) ગુન્હા વાળી જગ્યા ઉપર પડેલ છે અને તેનું કોઈ તપાસ ના કામે કબ્જે કરેલ નથી. અને સ્થાનિક લોકોનું કેવું હતું કે તેમની નુકસાની અંગે જે પંચનામું પોલીસ દ્વારા તૈયાર કરવામાં આવ્યું  છે તેની નકલ પણ પોલીસ દ્વારા આપવામાં આવી નથી અને ફરિયાદી ને તેની ફરિયાદની નકલ પણ અમારી ટીમે મુલાકાત લીધી ત્યાં સુધી આપવામાં આવેલ નહોતી.
આ ઘટનામાં ખૂબ જ આઘાત જનક હકીકત નીકળીને બહાર આવેલી કે જે મકાનો ને બાળી નાંખવામાં આવ્યા છે તે મકાનોમાં મોટા ભાગના મકાનો બહેનો એ મહિલા બચત મંડળ માંથી મળતી લોન લઈને મકાનોનું બાંધકામ કરેલ હતું જેના કારણે બહેનોની માનસિક સ્થિતિ ખૂબ જ કથળી ગયેલ છે અને તેના માટે એક સ્પેશિયલ કાઉન્સિલિંગ ટિમ ની જરૂર છે.
આ ઘટનામાં અમારી ટીમનું સ્પષ્ટ માનવુ છે કે આ ઘટના કોઈ આકસ્મિક ઘટના નથી પરંતુ એક પૂર્વ તૈયારી સાથેનું કાવતરું હતું જેના 3 કારણો છે
તમામ ગામો વડાવલી ગામથી 10 કિલોમીટર જેટલા દૂર છે અને 30 મિનિટ ની અંદર 5000 થી 7000 જેટલા લોકો એક સાથે ભેગા થઈ હાથમાં હથિયારો, ખાનગી બંદુકો, અને પેટ્રોલ જેવા જવલંતશીલ પદાર્થો સાથે ભેગા થઈ શકે નહીં.
આ સમગ્ર ઘટનામાં જેમ અગાઉ અમારા રિપોર્ટમાં જણાવેલ છે તેમ વડાવલી ગામના કોઈપણ હિન્દુ આ રમખાણોમાં જોડાયેલ નથી તેમ છતાં અન્ય ગામ થી આવેલ લોકોને કઈ મિલકત મુસ્લિમોની છે તેનો ખ્યાલ હતો અને તે પ્રમાણે જ ટોળાં એ મકાનો ને ટાર્ગેટ કરીને સળગાવેલ છે તેમજ લૂંટફાટ કરેલ છે અને ખેતરોના પાક ને બાળી નાંખવામાં આવેલ છે.
પોલીસ દ્વારા ફરિયાદ માં પણ 120-B ( કાવતરું કરવું) ની કલામ નો ઉમેરો કરેલ છે અને આ સંદર્ભમાં જ્યારે રેન્જ આઈ જી અને જિલ્લા SP ને મળ્યા ત્યારે તેઓએ પણ અમારી ટીમને જણાવેલ કે “ અમે પણ માનીએ છીએ કે આ સમગ્ર કૃત્ય કાવતરાનું ભાગ છે”
માંગણીઓ
પોલીસ આ સમગ્ર ઘટનાની જીણવટભરી અને તટસ્થ તપાસ કરે અને સમગ્ર કાવતરાનો પર્દાફાસ કરે. તેમજ આ ઘટનાના નજરે જોનાર સાહેદોનું સૌ પ્રથમ કાઉન્સિલિંગ કરવામાં આવે અને ત્યારબાદ તેમના નિવેદનો નોંધવામાં આવે.
જે પોલીસ અધિકારીઓની વડાવલી ગામમાં થયેલ રમખાણોમાં સીધી ભૂમિકા છે તે તમામને ગુન્હાના કામે તાત્કાલિક ધરપકડ કરી કાર્યવાહી કરવા તેમજ અન્ય પોલીસ અધિકારીઓ આ રમખાણ રોકવા માટે નિષ્ફળ નીવડ્યા હોય તેઓને ફરજ મુક્ત કરી ખાતાકીય પગલાં ભરવામાં આવે.
આ કોમી રમખાણોનું કેસ ચલાવવા માટે સ્પેશિયલ કોર્ટનું ગઠન કરવામાં આવે
પ્રધાનમંત્રી 15 સૂત્રિય કાર્યક્રમ  અનુસંધાને સૂચિ નંબર 15 મુજબ આ કોમી રમખાણોના પીડિતોના પુનઃવસન માટે સરકાર તાત્કાલિક યોગ્ય સહાય પૂરી પાડે.
હાલમાં વડાવલી ગામ ખાતે જે રાહત કેમ્પ ચાલી રહ્યો છે તે જિલ્લા કલેક્ટર શ્રી પોતાના હસ્તક લઈને અસરગ્રસ્ત લોકોને જ્યાં સુધી તેમનું પુનઃવસનના થાય ત્યાં સુધી જરૂરી સહાય રોકડ સહાય તેમજ તેમના જીવન નિર્વાહ માટે યોગ્ય સહાય ઊભી કરવામાં આવે અને તેમના મકાનોનું સર્વે હાથ ધરીને યોગ્ય આર્થિક વળતર ચૂકવવામાં આવે.
વડાવલી ગામે થયેલ કોમી રમખાણમાં મૃત્યુ પામેલ તેમજ ઇજા પામેલ વ્યક્તિઓને સરકારશ્રી દ્વારા જે સુપ્રીમકોર્ટની તાજેતરની ગાઈડલાઇન મુજબ અસરગ્રસ્તોને યોગ્ય વળતર પૂરું પાડવામાં આવે.
મહિલા બચત મંડળ કે તે સિવાયની લોન ચાલતી હોય તે તાત્કાલિક અસર થી માફ કરવામાં આવે.
આરોપીઓ દ્વારા લૂંટી લેવામાં આવેલ મુદ્દામાલને (સોનું તેમજ રોકડ રકમ) કબ્જે કરવામાં આવે અને અસરગ્રસ્ત લોકોને પરત આપવામાં આવે.
વડાવલી ગામમાં મુસ્લિમોની સુરક્ષા સુનિશ્ચિત કરવામાં આવે અને કાયમી પોલીસ બંદોબસ્ત ફાળવવામાં આવે.

વડાવલી ગામની સામાન્ય માહિતી

ક્રમ
જ્ઞાતિઓ
પરિવારો ની સંખ્યા

1
પટેલ
700

2
ઠાકોર
150

3
મુસ્લિમ
300

4
દલિત
120

5
દરબાર
60

6
રાવળ
50

7
પ્રજાપતિ
50

8
રબારી
30

9
દેવીપૂજક
40

કુલ પરિવારો
1500

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