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Wednesday, 30 December 2020

मध्यप्रदेश के उज्जैन का मुसलमान .

मध्यप्रदेश के उज्जैन और मंदसौर के एक गांव में राम मंदिर के नाम पर चंदा मांगने के लिये जुलूस निकाला जा रहा था। जुलूस में मुसलमानों को आतंकित करने वाले नारे, और ‘गाने’ बजा रहे थे। इस पर मुस्लिम समाज ने आपत्ति दर्ज कराई, बात बढ़ी और पथराव तक जा पहुंची। यह घटना उज्जैन की है, इसके बाद पुलिस और सरकार ने पथराव के ‘आरोपियों’ के मकानों पर बुल्डोजर चला दिया। दर्जनों को गिरफ्तार किया गया, कईयों पर रासुका लगाई गई। ऐसा ही मंदसौर में हुआ वहां मुस्लिम आबादी वाले एक गांव पर पड़ोस के गांवों से आए भगवाधारियों ने हमला किया,मस्जिद पर हमला किया, मीनार पर भगवा फहरा दिया। मध्यप्रदेश में लंबे समय से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे हैं, उनकी छवी एक औसत ‘सेक्यूलर’ नेता की रही है। लेकिन मार्च 2020 में फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज पूरी तरह सांप्रदायिक हो गए हैं। क्या उन्हें इसी शर्त पर मुख्यमंत्री बनाया गया है कि वह नफरत की सियासत करें? इसका जवाब तो मुख्यमंत्री खुद जानते होंगे। लेकिन अहम सवाल मुसलमानों को आतंकित करने का है, उनकी इबादतगाहों पर दंगाईयों के हमले और घरों पर चले बुल्डोजर का है। इस तरह की कार्रावाई प्रधानमंत्री के उस दावे की पोल खोल रही है जिसमें उन्होंने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का दावा किया था। लेकिन देखने में यह आया है कि 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा शासित राज्यों की सरकारों का नज़रिया पूरी तरह बदल चुका है। अब शिवराज सिंह चौहान ‘मामा’ से ‘योगी’ बनने की ओर अग्रसर हैं।

मंदसौर, उज्जैन में जिस तरह मध्यप्रदेश पुलिस ने कार्रावाई की है वह साफ इशारा कर रही है, भाजपा शासित राज्यों का सरकारी तंत्र मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिका स्वीकार कर चुका है। कैसी विडंबना है कि पुलिस की मौजूदगी में भगवाधारी दंगाई मस्जिद पर भगवा लगा रहे हैं, और तोड़ फोड़ कर रहे हैं। लेकिन पुलिस मूक दर्शक बनी खड़ी है। जब कार्रावाई की बात आई तो गिरफ्तारियां भी पीड़ित समुदाय के लोगों की हुईं, उन्हीं के निर्माण को अवैध बताकर तोड़ दिया गया, रासुका लगाकर जेल में डाल दिया गया। गिरफ्तारियों का सिलसिला अभी थमा नहीं है। इतना तो तय है कि दिल्ली की तरह मध्यप्रदेश में भी एक ही समुदाय को निशाना बनाया जाएगा। ऐसा कब और कहां होता है? ऐसा सिर्फ वहीं होता है जहां एक वर्ग विशेष सुपरमैसी से ग्रस्त हो जाए और दूसरे समुदाय को अपना गुलाम समझना शुरु कर दे। संघ परिवार और ह्वाटसप यूनिवर्सिटी ने एक बहुत वर्ग के (जिसमें पुलिस प्रशासन भी शामिल है) मस्तिष्क में बैठा दिया है कि यह देश हिंदुओं का है, और यहां हिंदू ही राज करेगा। यहां पर रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमान, हिंदुओं के रहमो करम पर हैं, वे हिंदुओं के टैक्स के पैसे पर पलते हैं, वग़ैरा वग़ैरा....। इसीलिये राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिये नफरत की सियासत करने वाली भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक के साथ साथ पुलिस प्रशासन में भी ऐसी मानसिकता का तेजी से उदय हुआ है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है। इस मानसिकता के पतन इतना आसान नही है इसमें कमसे कम 20 साल का समय लगना है। या आप यूं समझ लीजिये कि अगले 20 वर्षों भारतीय मुसलमान पर भारी हैं।

फिलहाल के लिये मुसलमानों के पास खुद को दंगाईयों से बचाने के दो उपाय हैं। पहला यह कि वे जहां जिन बस्तियों में इक्का दुक्का रह रहे हैं वहां से पलायन करें और ‘अपनों’ के बीच जा बसें। दूसरा यह कि वे उस बस्ती के लोगों के साथ डायलॉग करें और उनसे इस बात की ज़मानत लें कि कल अगर ‘बाहर’ के दंगाई हमारे घरों पर हमला करते हैं, हमारी इबादतगाहों पर हमला करते हैं तब आपको हमारी ढ़ाल बनना होगा। बाकी पुलिस प्रशासन, सरकार से न्याय और निष्पक्षता की उम्मीद न करें, और न इस भरोसे रहें कि पुलिस सुरक्षा करेगी, क्योंकि पुलिस सरकार की नीति की अनुयायी होती है।
*Wasim Akram Tyagi✍✍*

Gujarat chunav BTP MIM DAGHBANDHAN

Sarve

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Tuesday, 29 December 2020

किसान आंदोलन 2020

         किसान आंदोलन 2020
           एक साथ एक बात
              29 Dec 2020 

   कृषि बिल से संबंधित तीन कानून को लेकर पिछले 25 से ज्यादा दिनों  से दिल्ली धरनें पर किसान बैठे हे,जिसमे कइ बडे बुजुर्ग बडी उमर के बडी तादाद मे सामील हे, आप जानते हे ये  तानाशाही वाली पूंजीपतियों की सरकार किस तरहा एक के बाद एक काले कानुन और भारत देशके संविधान विरोधी कानुन बनाकर संविधान खतम कर रही हे,साथमे इस देशकी जनताको फिरसे गुलामी मे ढकेलना चाहती हे,जिस बात को इस देश के हर समुदाय के बुद्धिजीवी,लोग अच्छे से समझकर विरोध पर विरोध कर रहे.

    आप जानते ये इस वक्त सर्दियों का मौसम चल रहा हे, एसे मे  इतने दिनो तक आंदोलन खुल्ले मेदान मे और बिना कोइ सहूलियात के बुजुर्गों का आंदोलन करना जिसमे हजारों की संख्या हे, हम और आप आराम से अपने घरों मे बैठे हे, लेकीन इस देशकी जनता मे  90% जनता जानती नही के ये लडाई किसान की नही बलके हर गरीब मध्यमवर्गीय परिवार के लिये हे, जिसको समझाना हमारा नैतिक फर्ज बनता हे,हम कमसे कम ये सोचे दिल्ली और देश के अलग अलग जगाह आंदोलन कर रहे किसान अपने  परिवार को छोड़कर इतनी ठंड मे सड़कों पर बैठा हे, क्या हम हमारे परिवार के साथ रहेते हुये इस आंदोलन को समर्थन नही दे सकते हे❓ भारत देशके तमाम समुदाय के मानवतावादी और बुद्धिजीवियों के साथ चिंतित वडिलों युवाओं से अपील करता हु. *उठो जागो*

   हम अपने परिवार के साथ किसान आंदोलन को समर्थन किस तरहा करे❓ और कैसे करे❓ इसको आसान करने के लिये हम आपके सामने ये प्रोग्राम लेकर आये हे, जिसको आप लोग जरुर समर्थन करे, हम किसान आंदोलन को और मजबूत बनाने और तानाशाही सरकार को इस बिलको वापस लेने मे मजबूर कर सकते हे, अगर हम समय के साथ एक साथ एक आवाज बनकर काम करे.

सबसे पेहले हम इसमें  तीन प्रकार के कार्यों को समझे A.B.C.

A. इसमें  रोजाना रात के 09 से लेकर 11 बजे तक सोशल मिडिया के हर प्लेटफॉर्म पर किसान आंदोलन से जुडी खबरें लोगों तक खुब खुब शेर करे, और इस कार्यो को अपने साथी मित्रों के साथ मिलकर और मजबूत बेहतर बनाकर  फेसबुक, वोटसएप जेसे प्लेटफॉर्म पे बडी ताकत से आपके आसपास और देश दुनिया तक किसान आंदोलन के मेसेज खुब वायरल करे.और देशकी जनता का  आंदोलन की तरफ ध्यान केंद्रित करवाने मे अपना समय,शक्ति,बुद्धि  का सही इस्तेमाल करे।

B . इसमे आप  रोजाना  सुबह के  09 से 10 बजे  तक कम से कम  लोगों तक किसान आंदोलन की बातें  पोहचाने मे मददरुप हो.

C . इसमे हम कम से कम जबभी किसान आंदोलन को लेकर कोइ भी पोस्ट सोशल मिडिया मे देखें उसको आगे शेर करे. खासकर फेसबुक पर इसका ज्यादा से ज्यादा  अमल करना हे.

 *किसान आंदोलन को लेकर सोशल मिडिया मे अगर कम से कम हम  एक पोस्ट शेर नही कर सकते हम किसान के दुशमन हे.* 

अगर हम चाहते हे के हमारे किसान आंदोलन की जीत हो तो हमे अपने घर परिवार दोस्तों के साथ रेहकर इतना तो करना जरुरी हे बाकी हम लोग सुबह-शाम जो अनाज खाते हे उसका हक अदा नही कर सकते हे.  और इस बात पर ध्यान रखना हे ये लडाई सिर्फ और सिर्फ किसान की नही पुरी मानवजाति की लडाई हे.

अगर इस मरतबा ये आंदोलन इस तानाशाही सरकार को झुका नही सकी तो समझ लेना इसके बाद आपके मोहल्ले,गांव शहेर की रोड- गटर, पानी, बिजली , जैसी अनेकों समस्याओं के आंदोलन का प्रभुत्व (ताकत) खतम हो जायेगी। 

हमे ये याद रखना हे हमारे बाप दादा ने अंग्रेज़ी हुकूमत से इस दिन को देखने के लिये आजादी की जंग नही लडी थी .

उठो जागो जगावो और कम से कम अपने परिवार के साथ रेहकर किसानों को समर्थन करो, अगर इस मेसेज को पढने के बाद आप इसपर अमल नही करते निश्चित रुपसे आप किसान की मजदूरी से उगाए अनाज के खाने के लाइक नही हे. 

एक तरफ अंध भक्त और दलाल मिडिया किसान आंदोलन के विरोध मे काम कर रहे हे क्या हम इन किसानों  को साथ नही दे सकते हे❓

   अगर आप किसान के साथ हे तो इतना जरुर करे.👇
मेसेज पढने के बाद कम से कम 100 व्यक्ति  और 10 ग्रुप मे शेर जरुर करे.

✍️ Huzaifa Patel Guj. Bharuch
          SAF 🤝 TEAM
Social Dedicated Worker.

WhatsApp 9898335767 

Telegram
@safteamgujarat

Sunday, 20 December 2020

तकरीबन 80 साल पेहले मुसलमानों के हालात के बारे लिखी गई बात जरुर परहे.

*"अल्लामा इकबाल"*
*तकरीबन 80 साल*
*पहले लीखी बात.*

  =*==*==*==*=


कल मज़हब पूछकर
जिसने बख्श दी थी
जान मेरी,

*आज फिरका पूछकर*
*उसने ही ले ली जान मेरी*


मत क रो रफादेन पर
इतनी बहस मुसलमानों,

*नमाज़ तो उनकी भी*
*हो जाती है जिनके*
*हाथ नही होते....*


तुम हाथ बाँधने और
हाथ छोड़ने पर बहस
में लगे हो,

*और दुश्मन तुम्हारे*
*हाथ काटने की साजिश*
*में लगे हैै*


ज़िन्दगी के फरेब में हम
ने हजारों सज्दे क़ज़ा
कर डाले....

*हमारे जन्नत के सरदार*
*ने तो तीरों की बरसात*
*में भी नमाज़ क़ज़ा*
*नही की....*


 सजदा-ए-इश्क़ हो
तो "इबादत" मे "मज़ा"
आता है.....

*खाली "सजदों" मे*
*तो दुनिया ही बसा*
*करती है.....*


लौग कहते हैं के बस
"फर्ज़" अदा करना है.....

*एैसा लगता है कोई*
*"क़र्ज़" लिया हो रब से.....*


तेरे "सजदे" कहीं तुझे
"काफ़िर ना कर दें.....

*तू झुकता कहीं और*
*है और "सोचता" कहीं*
*और है.....*


कोई जन्नत का तालिब
है तो कोई ग़म से परेशान है.....

*"ज़रूरत" सज्दा*
*करवाती है "इबादत"*
*कौन करता है.....*


क्या हुआ तेरे माथे पर
है तो "सजदों" के निशान.....

*कोई ऐसा सजदा भी*
*कर जो छोड़ जाए*
*ज़मीन पर निशान.....*


फिर आज हक़ के लिए
जान फ़िदा करे कोई.....

*"वफा" भी झूम उठे*
*यूँ वफ़ा करे कोई..*


नमाज़ 1400 सालों से
इंतेज़ार में है.....

*कि मुझे "सहाबाओ"*
*की तरह अदा करे कोई...*


एक ख़ुदा ही है जो सजदों
में मान जाता है.....

*वरना ये इंसान तो*
*जान लेकर भी*
*राज़ी नही होते.....*


देदी अज़ान मस्जिदो में
"हय्या अलस्सलाह".....

*ओर लिख दिया बाहर*
*बोर्ड पर अंदर ना आए*
*फलां और फलां.....*


ख़ोफ होता है शौतान
को भी आज के
मुसलमान को देखकर,

*नमाज़ भी पढ़ता है*
*तो मस्जिद का*
*नाम देखकर.*


मुसलमानों के हर
फिरके ने एक दूसरे
को काफ़िर कहा,

*एक काफ़िर ही है*
*जो उसने हम सबको*
*मुसलमान कहा.*                    *बहस करना बेकार है दोस्तोअपने आमाल अपने साथ*                                         *अल्लाह हम सबको सहि समज नसिब फरमाय*              *आमिन*

Wednesday, 2 December 2020

कृषिकानून किसान आंदोलन दिल्ली मे क्यु हुवा ?

Nov. 2020 किसान आंदोलन 
🇮🇳 
कृषि कानून में सरकार का एक एजेंडा बहुत साफ है कि 
● सैकड़ों एकड़ के खेत इकट्ठे कर के उन्हें कॉरपोरेट में बदल कर खेती की जाय। 
● खेतो के स्वामित्व अभी जिनके पास हैं, उन्हें कुछ पैसे देकर खेतो को लीज पर ले लिया जाय। 
● क्या बोया जाय, और क्या न बोया जाय, यह कॉरपोरेट का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर तय करेगा। 
● फसल वही बोई जाएगी जो कॉर्पोरेट को मुनाफा देगी। 
● सरकार से कॉरपोरेट को राहत के नाम पर इसमे नुकसान दिखा कर सब्सिडी और अन्य राहत प्राप्त किया जाय। 
● औद्योगिक लॉबी की तरह एक एग्रो इंड्रस्ट्री लॉबी बना कर एक मजबूत दबाव ग्रुप तैयार किया जाय। 
● राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा देकर उपकृत किया जाय ताकि वे अपने ख्वाबगाह में से बस पांच साल बाद ही निकले। 
● शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, रेल, सड़क, हवाई यातायात, सब के सब, जितना हो सके निजी क्षेत्रों को बेच दिया जाय। इससे सरकार की जिम्मेदारी ही कम हो जाएगी। 
● शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये बीमा और लोन की प्रथा नशे की तरह फैला दी जाय। ताकि इस पर जब कोई महंगी शिक्षा और स्वास्थ्य पर सवाल उठाये तो सरकार हांथ झाड़ कर अलग हो जाय। 
● जब कोई इन जनहित के मुद्दों पर आंदोलन खड़ा हो तो, उन्हें देशद्रोही अलगाववादी गुंडे मवाली पाकिस्तानी बता  कर हतोत्साहित किया जाय। 
● जब सीमा में घुसपैठ हो जाय और हमारे सैनिक शहीद हो जांय तो यह कह कर पल्ला झाड़ लिया जाय कि, न तो कोई घुसा था और न कोई घुसा है। 
● जमाखोरी को कानूनन मान्यता दे दी जाय। 
● किसान उसी कॉरपोरेट खेतो में खेत मज़दूर बन जांय। 
● जो बचें वे उद्योगों में मजदूरी करे। 8 घन्टे के बजाय 12 घँटे काम करें। 
● न्यूनतम वेतन भी इतना न हो कि बेहतरी के लिये सोच सके और इतना कम भी न हो कि वे मजदूरी लायक भी न बचे। यह शोषण का सामंती तरीका है।

इन शब्दों  का आधार है कि, देश को जाति धर्म में बांटकर देश जनता के असल मुद्दों को गायब कर दिया
● 2016 में देश के कुछ पूंजीपतियों और राजनीतिक एकाधिकार स्थापित करने के लिये, कालाधन, आतंकवाद नियंत्रण और नकली मुद्रा को खत्म करने के लिये नोटबन्दी की गयी। पर न तो कालाधन मिला, न आतंकवाद पर नियंत्रण हुआ और न नक़ली मुद्रा का जखीरा पकड़ा गया। 
● इसके विपरीत, अनौपचारिक क्षेत्र और उद्योग तबाह हो गए। 2016 - 17 से लेकर 2020 तक जीडीपी गिरती रही। अब तो कोरोना ही आ गया है। 
● नोटबंदी करके सब कुछ तहस-नहस कर दिया सारा आरोप कोराना पर लगा कर अपनी तिजोरी भरली आरक्षण लगभग समाप्ति की तरफ है रिटायर फौजियों की पेंशन आधी कर दी किसानों को खूब लॉलीपॉप बांटे गए मजदूर से बदतर हालत कर भिकारी बनाने की कगार पर पहुंचा दिया सेना के जवानों की शहादत किसानों की आत्महत्या लगातार बढ़ रही है
● जीएसटी की जटिल प्रक्रिया से व्यापार तबाह हो गया। पर उसकी प्रक्रियागत जटिलता को दूर करने का कोई प्रयास नही किया गया। 
● एक भी बड़ा शिक्षा संस्थान जिंसमे प्रतिभावान पर विपन्न तबके के बच्चे पढ़ सकें नहीं बना। 
● निजी अस्पताल, कोरोना में अनाप शनाप फीस वसूलते रहे। सरकार ने उन पर केवल कोरोना से पीड़ित लोगों के लिये फीस की दरें क्यों नही कम करने के लिये महामारी एक्ट में कोई प्राविधान बनाया ? लोगो ने लाखों रुपए फीस के देकर या तो इलाज कराये हैं या उनके परिजन अस्पताल में ही मर गए हैं। 

🌑यह कानून देश की खेती को ही नही दुनिया की सबसे बेमिसाल, कृषि और ग्रामीण संस्कृति के लिये एक बहुत बड़ा आघात होगा। यह गहराई से समझने वाले बुद्धिजीवियों की  राय है  लेकिन  चापलूस बुद्धिजीवी  चापलूस  मीडिया केंद्र सरकार के हर काम को ऐतिहासिक बताती है सभी देशवासियों को सरकार की इन हवाई जनकल्याणकारी योजनाओं पर या यू कहे हैं अपनी मनमाफिक जनता के विश्वास में ठोकर मार कर लागू कर देना संविधान का अपमान देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर करना झूठ गुमराह नफरत को मजबूती के साथ उठाकर सच्चाई को दबा देना खुद को बुद्धिमान बता कर बुद्धिजीवियों को बेवकूफ समझना जागरूकता को सूखे पेड़ से बांध देना  हमारे पूर्वजों का जिन्होंने देश आजादी के लिए अपनी कुर्बानी देकर दुनिया से चले गए हमें  सभी का  अधिकार सम्मान  संविधान देकर देश की बागडोर देशवासियों को सौंप दी और हमेशा के लिए  अमर हो गए  लेकिन निजी स्वार्थ अंग्रेजी शासन की  कहानियों को ताजा कर रही है

🌑 सभी देशवासी करें विचार
किसान व मजदूर विचारा बीजेपी सरकार में फिरता मारा मारा ढूंढे किनारा मिले ना सहारा सबका साथ सबका विकास भूल भुलैया की वादियों में गुम हो गए अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल गए भाई भाई एक दूसरे के दुश्मन बन गए कृषि बिल विरोध किसान आंदोलन क्या रंग लाएगा अंदाजा लगाना मुश्किल

🌑  जय जवान जय किसान  हम सबका भारत देश महान  एकता जिंदाबाद सबका सम्मान जिंदाबाद

 तानाशाही मुर्दाबाद हम भारतवासियों को जाति धर्म में बांटने वाली नीति मुर्दाबाद

 भाकियू (बलराज)  प्रदेश अध्यक्ष  (चौधरी शौकत अली चेची)

मुस्लिम समाज का वर्तमान और आने वाला भविष्य कैसा हे.

सत्य_की_कोई_सीमा_नही_होती_वोतो_असीमित_होता_है_इसलिए_सत्य_से_कभी_मुह_नही_मोडना_चाहिए...!!
                      ०१.१२.२०२०

असत्य पर सत्य का विजय देर से ही सही पर निश्चित होता है सत्य त्याग बलिदान समर्पण को समर्पित होता है फिर उसके सामने जुठका अंधेरा चाहे कितनाही गहरा क्यु नहो उसे मिटानेके लिए सत्य की एक किरण काफी होती है ! जीवन में शब्दों का इस्तेमाल भी सोच समझकर करना चाहिए क्योंकि हमारी वाणी ही हमारी परवरिश का प्रमाण पत्र होती है आज आधुनिक युग में शब्द कितनी भी "समझदारी" से इस्तेमाल किजिए फिर भी सुनने वाला "अपनी योग्यता" और "मन के विचारों" के अनुसार ही उसका "मतलब" समझता और निकालता है !

याद रहे जरूरी भी नहीं की आपकी सत्य बातें सब समझ सके पर सत्य परोसना कभी बंध नही होना चाहिए उसमे कठिनाइयों काभी सैलाब उमड सकता है पर सत्य की नजरसे देखोगे तो पता चलेगा वो सैलाब नही सिर्फ धुंआ है जिंदगी का कुछ न कुछ मकसद तो होना चाहिए वर्ना जीवन तो जानवर भी बसर कर रहे है क्या ? सिर्फ खाना पीना काम करना घरपर लौटना मनोरंजन करना बच्चे पैदा कर उनकी परवरिश करना यहां तक ही जीवन सीमित है क्या इसके अलावा कोई कार्य नहीं हो सकता है.!

यहां सवाल यह भी हो सकता है की लोग ईबादत भी करते है नमाजे भी पढते है  भारत के मुसलमानों की पांच वक्त की नमाज में तादात २% ताजा सर्वे के मुताबिक है हालांकि नमाज मुसलमान पर फर्ज है जुमा में १०% अब हम बडी शान से यह कहते है की भारत में २५ करोड मुसलमान रहते है !

पर कहा पर है वो ज्यादातर तबका ? जो मोबाईल के साथ चाय की किटली एवम पान के थडो पर चौक चौराहे मोहल्ले की नुक्कड वाली गली पर समय बर्बाद करते हुए पुलिश एवम सियासीदानो की मुखबिरी करने में मस्त नजर आता हो वो समुदाय क्या तरक्की के ख्वाब देख सकता है !

हम जानते है की भारतीय मुस्लिम समुदाय की माली हालत भी इतनी मजबूत नही की वो हरवक्त इबादत में गुजार शके पर मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवी वर्ग एवम शिक्षित युवावर्ग को  आगे चलकर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे जिससे समुदाय को मुख्य धारा में लाया जा शके वर्ना आने वाले समयमे गरीब पिछडे सेभी पिछडे समुदाय में मुस्लिम समुदाय की गिनती होना तय है !

क्योकि वर्तमान स्थिति यह साबित कर रही है की अब गुलामी वाली सोच मुस्लिम समुदाय पर हावी होती जा रही नजर आ रही है ज्यादातर मामलों में हर जगह पर फिजूल खर्ची अगर कोई समुदाय कर रहा है तो वो मुस्लिम सवाल होगा कैसे तो कुछ उदाहरणों से आप को आगाह करना चाहता हूं जो वर्तमान स्थिति पैदा करने के लिए खास तौर पर जिम्मेदार है !

 (१) पिछले दिनों लोक डाउन की वजह से समूहसादी सिर्फ परिवार के ग्यारह व्यक्तियों को आमंत्रित कर सादगी से कर दी गई अब उसमें कुछ परिवारों ने आर्थिक परिस्थितियों को नजर अंदाज करते हुए दावत का इन्तेजाम किया जिसमें चिकन बिरयानी बनाई गई वोभी ईधर उधर का कर्ज लेने के बाद ३० से ३५ देग फिरभी आधे से ज्यादा महेमान भूखे लौटने को मजबूर अब उस घर में एक बच्चा पढाई करने में ज्यादा दिलचस्पी रखता हो और परिवार यह सवाल करे की हमारे बच्चे के पास स्मार्टफोन न होने की वजह से उसकी ऑन लाईन पढाई नहीं हो पा रही है अब बताए इसका जवाब क्या हो सकता है !

(२) पिछले साल एक जनाब का एक्सीडेंट हुआ माली हालत खराब होने की वजह से कुछ संस्थाओ के माध्यम से ३५ हजार अस्पताल का बिल जमाकर छुट्टी दिलाई गई बाद में घरपर कुछ दिनों के लिए राशन एवम प्राथमिक खर्च के लिए भी हमारे एक साथी ने मदद की उसके बाद दुशरे साल उस भाई ने अपने घर पर मंडप डेकोरेशन के साथ  खान पान करते हुए डी.जे के ताल पर खुद का जन्मदिन सेलिब्रेट किया अब बताए इनका क्या किया जाए !

(३)रमजान के मुबारक महीने के खैरात जकात सदके के पैसो से कुछ लोगों को गोद भराई की रश्मों में पुरीरात डी. जे के ताल पर नाचते हुए भी हमने देखा है क्या ऐसा समाज तरक्की के ख्वाब देख सकता है ! 

उपरोक्त तीनो तथ्य मुस्लिम समुदाय की वास्तविक तस्वीर बया कर रहे है यह सच्चाई हमे स्वीकार कर मुस्लिम समुदाय को वैचारिक रूप से मजबूत करने के लिए सबसे पहले ध्यान केंद्रित करना होगा यहीं वर्तमान समय की मांग है !

                        शकील संधी...!!
                      

Tuesday, 1 December 2020

अन्ना_हजारे_आंदोलन_से_केजरीवाल_की_आम_आदमी_पार्टी र्डाक्यूमेन्ट्री .

.
आज मे समाज के उन लोगों कव  लिये पोस्ट लेकर आया हु, जो देश और जनता की भलाई के लिये भष्टचार और विकाश के मुद्दों पर की जा रही पोलिटिक्स (राजनीति) मे बदलाव देखने की उम्मीद रखते हे.

निचे मे एक लिंक लेकर आया हु, जो एक डॉक्यूमेंट्री हे दिल्ली का जन लोकपाल बील आंदोलन से लेकर केजरीवाल के आम आदमी पार्टी मे कीस तरहा देशकी जनता के परहे लिखे अपने करीबी साथियों  ने धोका खाया हे, ये डॉक्यूमेंट्री 05:19:24 मिनट का हे जरुर अपना समय निकाल कर देखें, ये र्डाक्यूमेन्ट्री खास पोलिटिकल कार्यो से देशकी जनता को और खास करके परहे लिखे लोगों को कैसे बेवकूफ बनाते हे देखे.

नोध -  आज देशका वो तबका जो जवान हे और पोलिटिकल कार्यो से देश और जनता ली भलाई चाहते हे, इनके लिये ये र्डाक्यूमेन्ट्री सोचने और समझने मे बहोत उपयोगी हो सकती हे, साथमे वो तबका जो अवाम हे जो कुच बाते देखकर और सुनकर  किसीभी मायाजाल को समझें बगेर उसके पिछे लग जाते हे, उनके लिये ये र्डाक्यूमेन्ट्री बहोत बहोत बहोत जानकारी दे सकती हे.

इस र्डाक्यूमेन्ट्री को देखने के लिये निचे दोये लिंक पर जाकर डाउनलोड करे.👇👇👇
खास अपील आपके आसपास राजनितिक कार्य करने वालों तक ये पोस्ट शेर जरुर करे.

हमारा पकसद इस पोस्ट के साथ खास येहे के हम चाहते हे हम समाझ के मिडल वर्ग के युवा और चिंतित वडीलो को सामाजिक शक्तिखी तरफ लाना चाहते हे, और देशकी गंदी बिकाव  और झूठी मक्कार राजनीति से अपने आपको और पुरे देशको बचाने मे अपना योगदान देने के लिये तैयार करे.

✍️
Huzaifa Patel Guj. Bharuch
          SAF 🤝 TEAM
Social Dedicated Worker.

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...