सत्य_की_कोई_सीमा_नही_होती_वोतो_असीमित_होता_है_इसलिए_सत्य_से_कभी_मुह_नही_मोडना_चाहिए...!!
०१.१२.२०२०
असत्य पर सत्य का विजय देर से ही सही पर निश्चित होता है सत्य त्याग बलिदान समर्पण को समर्पित होता है फिर उसके सामने जुठका अंधेरा चाहे कितनाही गहरा क्यु नहो उसे मिटानेके लिए सत्य की एक किरण काफी होती है ! जीवन में शब्दों का इस्तेमाल भी सोच समझकर करना चाहिए क्योंकि हमारी वाणी ही हमारी परवरिश का प्रमाण पत्र होती है आज आधुनिक युग में शब्द कितनी भी "समझदारी" से इस्तेमाल किजिए फिर भी सुनने वाला "अपनी योग्यता" और "मन के विचारों" के अनुसार ही उसका "मतलब" समझता और निकालता है !
याद रहे जरूरी भी नहीं की आपकी सत्य बातें सब समझ सके पर सत्य परोसना कभी बंध नही होना चाहिए उसमे कठिनाइयों काभी सैलाब उमड सकता है पर सत्य की नजरसे देखोगे तो पता चलेगा वो सैलाब नही सिर्फ धुंआ है जिंदगी का कुछ न कुछ मकसद तो होना चाहिए वर्ना जीवन तो जानवर भी बसर कर रहे है क्या ? सिर्फ खाना पीना काम करना घरपर लौटना मनोरंजन करना बच्चे पैदा कर उनकी परवरिश करना यहां तक ही जीवन सीमित है क्या इसके अलावा कोई कार्य नहीं हो सकता है.!
यहां सवाल यह भी हो सकता है की लोग ईबादत भी करते है नमाजे भी पढते है भारत के मुसलमानों की पांच वक्त की नमाज में तादात २% ताजा सर्वे के मुताबिक है हालांकि नमाज मुसलमान पर फर्ज है जुमा में १०% अब हम बडी शान से यह कहते है की भारत में २५ करोड मुसलमान रहते है !
पर कहा पर है वो ज्यादातर तबका ? जो मोबाईल के साथ चाय की किटली एवम पान के थडो पर चौक चौराहे मोहल्ले की नुक्कड वाली गली पर समय बर्बाद करते हुए पुलिश एवम सियासीदानो की मुखबिरी करने में मस्त नजर आता हो वो समुदाय क्या तरक्की के ख्वाब देख सकता है !
हम जानते है की भारतीय मुस्लिम समुदाय की माली हालत भी इतनी मजबूत नही की वो हरवक्त इबादत में गुजार शके पर मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवी वर्ग एवम शिक्षित युवावर्ग को आगे चलकर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे जिससे समुदाय को मुख्य धारा में लाया जा शके वर्ना आने वाले समयमे गरीब पिछडे सेभी पिछडे समुदाय में मुस्लिम समुदाय की गिनती होना तय है !
क्योकि वर्तमान स्थिति यह साबित कर रही है की अब गुलामी वाली सोच मुस्लिम समुदाय पर हावी होती जा रही नजर आ रही है ज्यादातर मामलों में हर जगह पर फिजूल खर्ची अगर कोई समुदाय कर रहा है तो वो मुस्लिम सवाल होगा कैसे तो कुछ उदाहरणों से आप को आगाह करना चाहता हूं जो वर्तमान स्थिति पैदा करने के लिए खास तौर पर जिम्मेदार है !
(१) पिछले दिनों लोक डाउन की वजह से समूहसादी सिर्फ परिवार के ग्यारह व्यक्तियों को आमंत्रित कर सादगी से कर दी गई अब उसमें कुछ परिवारों ने आर्थिक परिस्थितियों को नजर अंदाज करते हुए दावत का इन्तेजाम किया जिसमें चिकन बिरयानी बनाई गई वोभी ईधर उधर का कर्ज लेने के बाद ३० से ३५ देग फिरभी आधे से ज्यादा महेमान भूखे लौटने को मजबूर अब उस घर में एक बच्चा पढाई करने में ज्यादा दिलचस्पी रखता हो और परिवार यह सवाल करे की हमारे बच्चे के पास स्मार्टफोन न होने की वजह से उसकी ऑन लाईन पढाई नहीं हो पा रही है अब बताए इसका जवाब क्या हो सकता है !
(२) पिछले साल एक जनाब का एक्सीडेंट हुआ माली हालत खराब होने की वजह से कुछ संस्थाओ के माध्यम से ३५ हजार अस्पताल का बिल जमाकर छुट्टी दिलाई गई बाद में घरपर कुछ दिनों के लिए राशन एवम प्राथमिक खर्च के लिए भी हमारे एक साथी ने मदद की उसके बाद दुशरे साल उस भाई ने अपने घर पर मंडप डेकोरेशन के साथ खान पान करते हुए डी.जे के ताल पर खुद का जन्मदिन सेलिब्रेट किया अब बताए इनका क्या किया जाए !
(३)रमजान के मुबारक महीने के खैरात जकात सदके के पैसो से कुछ लोगों को गोद भराई की रश्मों में पुरीरात डी. जे के ताल पर नाचते हुए भी हमने देखा है क्या ऐसा समाज तरक्की के ख्वाब देख सकता है !
उपरोक्त तीनो तथ्य मुस्लिम समुदाय की वास्तविक तस्वीर बया कर रहे है यह सच्चाई हमे स्वीकार कर मुस्लिम समुदाय को वैचारिक रूप से मजबूत करने के लिए सबसे पहले ध्यान केंद्रित करना होगा यहीं वर्तमान समय की मांग है !
शकील संधी...!!