*जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने गृह मंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हरिद्वार के धर्म संसद के संचालकों और वक्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.*
नई दिल्ली, 23 दिसंबर:
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में अभद्र भाषा और मुसलमानों की खुली हत्या की धमकी पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस पर सरकार की चुप्पी को देश के लिए "बेहद हानिकारक" बताया है।
मौलाना मदनी ने गृह मंत्री श्री अमित शाह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यालय को पत्र लिखकर इस पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि यहां जो हो रहा है वह देश में शांति व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए बड़ा खतरा है। इसलिए मेरी मांग है कि आयोजकों और वक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने भड़काऊ और नफरत भरे भाषण दिए, खुले तौर पर मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया और पूरे हिंदू समुदाय से सशस्त्र होने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष और संरक्षक प्रमुख यति नरसिंह नंद ने कहा, "यदि कोई हिंदू, आतंकवादी संगठन LTTE प्रमुख प्रभाकरण बनना चाहता है, तो मैं पहले इस उद्देश्य के लिए एक करोड़ रुपये की पेशकश करूंगा और शेष 100 करोड़ रुपये जुटाऊंगा।" हर हिंदू मंदिर को एक प्रभाकरण की जरूरत है। एक अन्य वक्ता ने कहा कि यदि सौ हिंदुओं ने एक सेना बनाई और दो मिलियन मुसलमानों को मार डाला, तो इसे हिंदुओं की जीत घोषित किया जाएगा। प्रत्येक भारतीय नागरिक को उन्हें (मुसलमानों) को उखाड़ने के लिए सफाई अभियान में शामिल होना चाहिए। तैयार रहें और ऐसा करने की तैयारियों पर चर्चा करें।"
मौलाना मदनी ने अपने पत्र में इन बयानों का उल्लेख किया है और सरकार से देश के संविधान और कानून के शासन और सर्वोच्चता की रक्षा करने का आह्वान किया है।
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कानून के हाथ लंबे होते हे.
Date: 14 Jan 2022
✒️ Huzaifa Patel
Dedicated Worker
Bharuch - Gujarat
हिंदी फिल्मों के माध्यम से हमने सुना हे कानून के हाथ बहोत लंबे होते हे, इस बात को समझने के लिये आपको पिछले दिनो हरिद्वार के अधर्म संसद मे जिसतरहा देश विरोधी संविधान विरोधी और खास मुसलमानों को कत्ले आम करने की खुल्लम खुल्ला बात करने वाले आतंकवादीयो पर पुरे 24 दिनो बाद कार्यवाही होती हे.
नोध करने वाली बात हे, सुप्रीम कोर्ट मे कई वकीलों द्वारा इस अधर्म संसद के विरोध मे कार्यवाही करने को लेकर याचिका हुई, इस अधर्म संसद के विरोध मे आंदोलन हुये तब जाकर इतने दिनो बाद कानून हरकत मे आती हे, ये कानून के हाथ बहोत लंबे होते हे दर्शाता हे.
इन नफरत के सौदागरों की गिरफतारी के बाद अब देखने का रहा आगे क्या होता हे?