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*मासूम बच्चों के हत्यारे भाजपाइयों के आईटी सेल का खेल*
✍🏼नितेश शुक्ला
खबर आयी कि
यूपी में 60 से ज्यादा बच्चे इसलिए मारे गए क्योंकि हॉस्पिटल के पास ऑक्सिजन नही था। ऑक्सिजन सप्लाई की कंपनी ने 63 लाख बकाया भुगतान न होने के कारण सप्लाई बंद कर दिया। एक डॉक्टर कफील अहमद ने बच्चों को बचाने की काफी कोशिश की और अपने एटीएम से पैसे खर्च कर दूसरे अस्पतालों से सिलेंडर खरीदे जिससे कि कुछ बच्चे बचाये जा सके।
पर तभी
बीजेपी आईटी सेल ने एक झूठा मैसेज फैला दिया कि डॉक्टर कफील ऑक्सिजन सिलिंडर अपने प्राइवेट क्लीनिक पर भेजता था इसलिए ऑक्सिजन खत्म हो गयी।
*अब पूरा मामला इस बात पर केंद्रित हो गया कि डॉक्टर कफील चोर थे कि नहीं।* हमलोग डॉक्टर के बचाव में लग गए कि
▪डॉक्टर कफील HOC (एडहॉक) के अंतर्गत डॉक्टर थे तो वो प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते थे
▪ हॉस्पिटल का ऑक्सिजन सप्लाई विभाग उनके अंदर था ही नहीं। उनको तभी पता चला जब उनको बताया गया कि ऑक्सिजन खत्म हो गयी है।
▪ हॉस्पिटल में छोटे सिलेंडर नही आते थे जिनकी चोरी की जा सके। बेड टू बेड सप्लाई पाइपलाइन थी तो बड़े सिलेंडर आते थे।
▪ *साथ ही ऑक्सिजन सिलेंडर की कीमत बहुत कम होती है, 1320 लीटर ऑक्सिजन रिफिल की कीमत करीब 400 ₹ तक होती है। इसलिए किसी प्राइवेट क्लीनिक वाले को चुराने की जरूरत ही नही है क्योंकि इसकी खपत भी प्राइवेट क्लीनिक पर बहुत कम होती है।*
पर इस बीच जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी वो पीछे चली गयी कि
1. अगर कंपनी ने ऑक्सिजन सप्लाई बंद कर दी तो तुरंत अस्पताल प्रशासन ने दूसरा इंतज़ाम क्यो नहीं किया?
2. अगर 10 लाख अधिकतम बकाया भुगतान की सीमा थी तो 63 लाख भुगतान बकाया होने तक अस्पताल प्रशासन ने पैसे भुगतान क्यों नहीं किये?
3. अगर अस्पताल के पास पैसे नही थे तो उसने सरकार को कब नोटिस भेजा ?
4. क्या योगी सरकार ने इस नोटिस पर कोई एक्शन लिया?
5. क्या ऑक्सीजन सप्लाई कंपनी ने सप्लाई बंद करने से पहले कोई नोटिस भेजा?
भेज तो कितने दिन पहले और उसपर हॉस्पिटल प्रशासन ने क्या एक्शन लिया जब उसको पता था कि स्टॉक में ऑक्सीजन ज्यादा नहीं है?
6. आखिर कौन असली जिम्मेदार है जिसकी लापरवाही से इतनी शर्मनाक घटना हुई?
ये वो सवाल हैं जो आज देश के हर नागरिक को उठाना चाहिए। पर हमलोग डॉक्टर कफील को ही बचाने तक सीमित हो गए।
*यही तो बीजेपी आईटी सेल चाहता था की हम असली मुद्दे से भटक कर एक फ़र्ज़ी न्यूज़ को फ़र्ज़ी साबित करने में लग जाएं। और असली दोषी साफ-साफ बच के निकल जाएं।*
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Update added - 17 Aug - यह छोटा सा कमेंट दो दिन पहले का है। इसके बाद नदी में काफी पानी बह गया है। जो कमेटी सरकार ने गठित की थी उसकी रिपोर्ट भी आ गई है और उसके हिसाब से डॉक्टर काफिल निर्दोष हैं। यह भी सामने आ गया है की काफी पहले से ही अस्पताल को कंपनी भुगतान के बारे में पत्र लिख रही थी। यही पत्र मुख्यमंत्री को भी भेजे गए थे इसलिए योगी आदित्यनाथ का यह दावा भी झूठा है कि भुगतान के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
भाजपा के लिए यह कोई पहला मुद्दा नहीं है अपने सोशल ट्रॉल्स की संख्या के दम पर यह सोचते हैं कि झूठ को सच की तरह दिखा देंगे। जब इंदौर में पिछले से पिछले महीने 15 लोगों की मौत हुई थी तब भी सामने आया था कि वहां ऑक्सीजन की कमी थी पर उस घटना को भाजपा ने दबा दिया था।
यह उसी हिटलर के अनुयाई हैं जो लाखों बच्चों को गैस चेंबर में झोंकने के बाद भी पश्चाताप नहीं महसूस करता था।