*मुस्लिम समाजकी राजकीय परिस्थितियों के जवाब दार सिर्फ मुस्लिम नेटा नही हे,*
तारीख-28/05/2018
*आजका विषय बहोत खास ओर जरुरी हे, जिस पर मे अपनी बात रखता हु साथीयो आज हमारे देशमे सबसे कमजोर अगर किसी समाजकी सामाजिक,आर्थिक,शैक्षणिक, ओर राजकीय परिस्थितियाँ हे, सबसे कमजोर समाज हमारा यानी मुस्लिम समाज हे , पुरे भारत भरमे सभी समाज इन पेहलु मे अपने समाजके लिये बहोत बेहतरीन तरीकेसे काम पिछले कय सालो से करते आ रहे हे, जिसका नतीजा हमे आजकल देखनेको मिल रहा हे, खास हमारे आजके विषय पर बात करेतो आजकल बहोत से लोग मुस्लिम समाजकी राजकीय परिस्थितियों मे हमारे नेटा लोगो को दोस देते हुये आम तोर पर देखे जाते हे,*
*मे इस विषय पर किसी नेटा ओर पार्टी की चमचा गिरी नही करता हु लेकीन इस विषय मे कुच खास दलील देकर बात रखना चाहता हु आजके विषय पर साथियों आज हमारी राजकीय परिस्थित मे हमारे पास पोलिटिकल नेतृत्व "ना" के बराबर हे , इसकी वजाह से हमारे बहोत से मशले हल नही होते हे, जिसके बाद बहोत से लोग इसका सीधा आरोप मुस्लिम समाजके नेटाओ पर लगाना सुरु कर देते हे, जो सही नही हे, हा कुच हद तक हमारे वर्तमान राजकीय परिस्थितियों मे हमारे नेटा जवाबदेह हे, लेकीन इसका पुरा "दोस" हमारे नेटा पर कर देना कइ हद तक गलत हे,*
*जिसकी दलील मे बतावुं आज हमारे देशमे जोभी समाज राजकीय परिस्थिति मे मजबुत हे , इसमे उनके धर्म गुरु ओर सोशियल वर्क का बहोत बरा योगदान हे, जिसके बाद आब वो लोग अपने समाजके अधिकारों ओर हालात को लेकर बहोत बेहतरीन तरीके से राजकीय ताकत लगाकर अपने मुद्दे को उथाते हे, जिसकी बहोत लम्बी रणनीति पेहले से काम करती आ रहीथी जिसके बाद आज कइ समाजमे कुच नये पोलिटिक्स लोग आगे बरहे ओर कइ समाजने बिमाशाल तरीके से अपने समाजके अधिकारों के लिये राजकीय प्रेशर बनाने मे कामियाब बहोत हद तक हुये , ओर कइ समाजके नेटा अपने समाजकी बात रखने के लिये मजबुर हुये, लेकीन आज मुस्लिम समाजकी राजकीय परिस्थिति मे कमजोर होने की वजाह हे, हमारे समाजको सोशियल लिदरशिप ना मिलना ओर हमारे समाजको इस्लाम की राजकीय परिभाषा समजाने मे हमारे धर्म गरुओ ने जिस तरहा काम करना चाहिये उस तरहा काम नही किया जिसकी वजाहसे आज हमारे समाजके लोगोमे 70% को हमारे देशके लोकतंत्रके बारे ओर खास हमारे अधिकारों के बारे मे कोइ जानकारी या इस पर ये कहे के विशवास नही हे, जो हमारे देशके सभी समाजसे अलग सोच रखने वाले हमारे समाजमे हे ,*
*जिसकी वजाहसे साथीयो हमारे समाजके आम लोग हमारी समस्याओं को हमारे नेटा तक नही रख पाते हे, ओर अगर खुद हमारे नेटा हमारे समाजके लीये कुच करे तो उनको इतना जन समर्थन "ना" होने की वजाहसे यानी हमारे समाजकी जागरूकता ना होने की वजाहसे हमारे नेटाओको जो जन समर्थन चाहिये वो मिला नही हे, जिसकी वजाहसे वो हमारे काम कर नही पाये हे, जिसके जिम्मेदार हम सब हे, हमारे धर्म गुरु ओर सामाजिक कार्यकर्ता ओर संस्थाओं ने हमारे ना समाजके लिये सही तरीके से कामकिया ओर नाही हमारे अधिकारों के लिये काम किया मे हमारी वर्तमान राजकीय परिस्थितियों का जिम्मेदार हमारे नेटाओको 50% मानता हु लेकीन इसके 50% जवाबदार हम सब हे, हमने हमारे समाजके लिये ओर नाही हमारे भविष्य के लिये सोचा हे, आजभी इतने बुरे हालात होने के बावजुद हमारे पास कया हे कया सोच हे ओर कया आगे रणनीति हे?*
*हम अगर हमारे मुस्लिम समाजका विश्लेषण करते हे , तो सिवाइ अंदर अंदर लाराइ जगरा ओर फिरका पर्सती, जातीवाद ओर मशलकी विवादो के अलावा बहोत कम राजकीय विषय पर लोग आगे आते हे , एक हमारा समाज हे साथियों के जब इलेकशन आता हे तभी हमारे लोग चा,नास्ते ओर बिरयानी के लिये जागृत होते हे , ना के अपने अधिकारों ओर समस्याओं को लेकर कुच रणनीति बनाते हे,ओर नाही इस पर कमसे कम इलेकशन के वकत जागृत नजर आते हे,*
*लेकीन मुजे इस बात की खुसी हे, इस 2019 के इलेकशन मे हम कुच नया करेंगे जो हमारे समाजके अलावा सभी समाजके लिये एक इतिहासिक कार्य होगा,*
*खास नोध हमारी वर्तमान राजकीय परिस्थितियों का जिम्मेदार हम हमारे नेताओं पर छोर ने के बजाये हम अपने आपको कहेंगे तो हम हमारे राजकीय परिस्थिति बदलाव लाने के लिये कुच कार्य कर सकते हे,*
*कुच गलत होतो माफी,*
*social active force*
समाजिक संगठन गुजरात भरुच
हुजैफा पटेल मो.9898335767