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Sunday, 29 September 2019

મુળનિવાસી એકતા મંચ ઘરના પ્રદર્શન

*મુળનિવાસી એકતા મંચ ઘરના પ્રદર્શન પ્રોગ્રામ સફળ બનાવવા માટે પ્રચાર મીટીંગ નું  આયોજન.*

*તારીખ :- ૨૯ સપ્ટેમ્બર,રવીવાર સવારે ૧૧:૩૦ થી ૧૨:૦૦ શહેરની અગત્યની  મુલાકાત ત્યારબાદ બપોરે ૦૩:૦૦ થી ૦૫:૦૦ કાર્ય સમીક્ષા મીટીંગ કાર્યાલય પર ભરૂચ,*

*તારીખ:- ૩૦ સપ્ટેમ્બર,સોમવાર સવારના સમય, ૧૦:૩૦ થી સાંજના ૦૪:૩૦ ભરૂચ જીલ્લાના નદેલાવ થી ટંકારિયા ગામ સુધી દરેક મોતા ગામનો પ્રચાર,*

*તારીખ:- ૦૧ ઓકટોબર, મંગળવાર સમય, ૧૦:૩૦ થી સાંજના ૦૪:૩૦ જંબુસર તેમજ આમોદ તાલુકાના પ્રચાર માટે,*

*તારીખ :-૦૨ સપ્ટેમ્બર,બુધવાર સમય, ૧૦:૩૦ થી સાંજના ૦૪:૩૦  કંથારીયા ગામથી દયાદરા ગામ સુધી પ્રચાર,*

*તારીખ :- ૦૩ સપ્ટેમ્બર, ગુરુવાર સમય, ૧૦:૩૦ થી સાંજના ૦૪:૩૦ ભરૂચ જીલ્લાના મનુબર,કરમાદ,દેહગામ, હિંગલોટ ગામોનો પ્રચાર,*

*તારીખ:- ૦૪ સપ્ટેમ્બર,શુક્રવાર  સમય, ૧૦:૩૦ થી સાંજના ૦૪:૩૦ ભરૂચ શહેરના દારૂલ ઉલુમ તેમજ ઈસાઇ સમાજની સાથે શિખ સમાજના આગેવાનો  અને મુળનિવાસી સંસ્થાઓ ની મુલાકાત,*

*તારીખ:- ૦૫ સપ્ટેમ્બર,શનિવાર સમય, ૧૦:૩૦ થી સાંજના ૦૪:૩૦, અંકલેશ્વર શહેર અને નજીકના ગામોની મુલાકાત,*

*તારીખ :- ૦૬ સપ્ટેમ્બર,રવિવાર  સમય, ૧૦:૩૦ થી સાંજના ૦૪:૩૦, જગદિયા ગામમાં આદિવાસી,મુસ્લિમ પબ્લિક મીટીંગ તેમજ આજુબાજુ ગામોમાં  પ્રચાર,*

*સાથીઓ દોસ્તો વડીલો આપને ખાસ અપીલ ઉપર દર્શાવવામાં આવેલ પ્રચાર કરવાના સમયે જેતે ગામ અને શહેરોમાં અપના તરફથી મુલાકાત માટે સહયોગ આપી સકતા હોઈ તો જરૂર મારો સંપર્ક કરવા વિનંતી છે.*

✒ *હુજૈફા પટેલ ભરૂચ ગુજરાત*
_સેક્રેટરી, મુળનિવાસી એકતા મંચ_
*મો.9898335767*

Thursday, 26 September 2019

એતિહાસિક ઘરના પ્રદર્શન ૧૦ ઓકટોબર ૨૦૧૯

આપણી એકતા એજ આપણી તાકાત
           એતિહાસિક ઘરના પ્રદર્શન 
"ભરૂચના બાયાપાસમાં પ્રથમ વાર રાષ્ટ્રીય સમસ્યાઓ ના લઈને તમામ મુળ-નિવાસી સમાજ એક સાથે એક મંચ ઉપર"
             મુળ-નિવાસી  એકતા મંચ  
મુળનિવાસી વિચારધારાના સક્રીય સમર્પિત સંગઠનોનું મંચ,
(SC,ST,OBC,લઘુમતી-મુસ્લિમ,શિખ,ઈશાઈ,બૌદ્ધ,લિંગાયત,જૈન અને ભારતના મુળ-નિવાસી સમાજ છે.)

આપણા દેશમાં આજે મુળનિવાસી સમાજ એક ગંભીર પરિસ્થિતિ તરફ જઈ રહીયો છે, જેમાં  મુળનિવાસી સમાજની સામાજિક આંતરીક સમસ્યાઓ અને દેશની વર્તમાન સમસ્યાઓ માટે ચિંતિત યુનિટી,મંડળ'સંસ્થા,સંગઠનો પોતાની શક્તિ અલગ અલગ પ્રયાસ કરવાના લઇને પ્રયાસો અનુસાર સફળતા મળવી જોઈએ તે મળતી નથી,તેના લઇને આજે દરેક સમાજ પોતાનો આત્મવિશ્વાસ સાથે માનવતા જેવા વિચારોથી દુર થઈ રહેલ છે..

આવા ગંભીર સમયે મુળ-નિવાસી સમાજના સંગઠનો જો એક સાથે મળીને મુળનિવાસી સમાજની વર્તમાન સમસ્યાઓને ખતમ  કરવા અને સારા ભવિષ્ય માટે જો એક સાથે તમામ સક્રીય સંગઠનો   એક મંચ ઉપર બેસીને સમાજને જાગૃત કરવા અને સરકારની દેશના નાગરિક વિરોધી  નિતિઓ બેફામ કાળા કાયદા ના વિરોધમાં  સરકાર સામે અવાજ ઉઠાવવા માટે એક મંચ પર આવેતો સમાજમાં નવી ઉર્જા  અને સમાજના ચિંતિત લોકોમાં  આત્મવિશ્વાસ આવે તેવા હેતુથી  એતિહાસિક ઘરના પ્રદર્શનમા મુળ-નિવાસી સંગઠનોને આમંત્રણ કરીયે છીએ...

હાલની રાષ્ટ્રીય સમસ્યાઓ જેમકે
(૧) લોકતંત્રને બચાવવા માટે EVM મશીન થી ચુનાવ બંધ કરીને બેલેટ પેપર લાવવામાં આવે,
(૨) કશ્મીર કલમ ૩૭૦ ને હટાવી માનવ અને નાગરિક અધિકારો ખતમ કરવા કશ્મીરની જનતા ઉપર તાનાશાહી વિરોધમાં,(૩)NRC,RTO,નોટબંઘી,જેવા  કાળા કાયદા અચાનક અમલમાં લાવવાના વિરોધમાં,(૪) અનુસુચિત A,૫-૬ ઉપર અમલ કરવાની માંગ ઉઠાવવા માટે, (૫) સરકારી દરેક ક્ષેત્રે ૧૦૦% અનામત લાગુ કરવાની માંગ માટે, (૬) મૌબલિંચીગ સામે મજબુત કાનુન માનવાની માંગ માટે,(૭) ખેડુતોની આત્મહત્યા  અને મહિલા સુરક્ષા સામે  સરકાર સામે દબાવ લાવવા માટે,

ચાલો આપણે દેશના નાગરિક અધિકારો બચ્ચા અને દેશના દરેક સમુદાયો એક સાથે એક મંચ ઉપર આવી સમાજના બેહતર ભવિષ્ય માટે નવી દિશા મુળનિવાસી સમાજના એકતા મંચ તરફ જેમા મુળનિવાસી યુનિટી'મંડળ,સંસ્થાઓ'સંગઠનોને  અપીલ કરીયે છીએ આ એતિહાસિક ઘરના પ્રોગ્રામ માં ઉપસ્થિત રહી, મંચ સાથે મજબુત શક્તિ નિર્માણ કરવા અને અવાજ ઉઠાવવા સાથ સહયોગ આપશો એવી આશા..

તારીખ:-૧૦ ઓકટોબર ૨૦૧૯ ગુરૂવાર
સમય :- સવારે ૧૦ થી ૨ કલાલ સુધી ઘરન પ્રદર્શન
સ્થળ :- ભરૂચ, જંબુસર બાયપાસ ચોકડી બ્રિજ નીચે,

 

बिना कोर्ट के दोषी ठहराए लोगों को 'आतंकवादी' घोषित करेगी सरकार?

BBC NEWS

july 25  2109
पुणे पुलिस ने बुधवार को आरोप लगाया कि सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और नक्सली समूहों के संपर्क हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन और कश्मीर के अलगावादियों से रहा है.

हालांकि बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे की बेंच ने अगले आदेश तक नवलखा की गिरफ़्तारी पर रोक की समय सीमा बढ़ा दी है.

नवलखा के साथ कई और एक्टिविस्ट नक्सलियों के साथ संबंधों को लेकर मुक़दमे का सामना कर रहे हैं. नवलखा ने इस मामले में कोर्ट से एफ़आईआर ख़त्म कराने की अर्जी लगाई है.

नवलखा देश के जाने-माने पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता रहे हैं. बुधवार को जब नवलखा के बारे में पुलिस ने चरमपंथी संगठन से संपर्क होने का आरोप लगाया तो दूसरी तरफ़ लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह आतंकवाद विरोधी बिल के समर्थन में 'अर्बन नक्सल' कहकर निशान साध रहे थे.

'अर्बन नक्सल' टर्म का इस्तेमाल सत्ताधारी बीजेपी नवलखा जैसे एक्टिविस्टों के लिए करती रही है.

गौतम नवलखा पर पुणे पुलिस का चरमपंथी संगठन से संपर्क रखने का आरोप और उसी दिन लोकसभा में अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एमेंडमेंट बिल 2019 का लोकसभा में पास होना महज संयोग हो सकता है लेकिन विपक्ष ने इस बिल को लेकर कई चिंताएं ज़ाहिर की हैं.

अगर यह विधेयक राज्यसभा से भी पास हो जाता है तो केंद्र को ना केवल किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करने की ताक़त मिल जाएगी बल्कि किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर पाएगी.

*गंभीर सवाल*

वो व्यक्ति अगर आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित या उसमें लिप्त पाया जाता है तो सरकार उसे आतंकवादी घोषित कर देगी. लेकिन यह प्रक्रिया कितनी निष्पक्ष होगी इस पर कई गंभीर सवाल हैं.

इस बिल के दुरुपयोग को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और अन्य दलों ने सवाल खड़ा किया तो लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा कि सरकार की प्राथमिकता आतंकवाद को जड़ से मिटाना है.

शाह ने कहा किसी संगठन पर प्रतिबंध लगता है तो उससे जुड़े लोग दूसरे आतंकवादी संगठन के लिए काम करने लगते हैं.

शाह ने कहा, ''यहां उस प्रावधान की ज़रूरत है जिसके तहत किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जा सके. ऐसा संयुक्त राष्ट्र करता है. अमरीका, पाकिस्तान, चीन, इसराइल और यूरोपीय यूनियन में भी यह प्रावधान है. सबने आतंकवाद के ख़िलाफ़ ऐसा प्रावधान बना रखा है.''

शाह ने कहा कि इंडियन मुजाहिदीन के यासिन भटकल को आतंकवादी घोषित कर दिया गया होता तो पहले ही गिरफ़्तार कर लिया गया होता और 12 बम धमाके नहीं होते. गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद लोगों की मंशा में होती है और संगठन बाद में बनता है इसलिए व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करना ज़रूरी है.

*विधेयक का विरोध*

एनसीपी की सुप्रिया सुले ने इस बिल पर सवाल उठाया तो अमित शाह ने कहा, ''सामाजिक कार्यों के नाम पर ग़रीब लोगों को वामपंथी अतिवाद के ज़रिए भ्रमित करने वालों के प्रति सरकार की कोई सहानुभूति नहीं है. आतंकवाद केवल बंदूक के दम पर नहीं आता है बल्कि इसे प्रॉपेगैंडा के ज़रिए भी फैलाया जाता है. जो अर्बन माओवाद में संलिप्त हैं उन्हें ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता.''

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी इस बिल का विरोध किया और उन्होंने बिल को स्टैंडिंग कमिटी में भेजने की मांग की. कांग्रेस पार्टी इस बिल के विरोध में लोकसभा से वॉक आउट कर गई. इस बिल को वोट के लिए रखा गया तो विरोध में महज आठ वोट पड़े जबकि समर्थन में 288 वोट.

इस बिल का लगभग सभी विपक्षी नेताओं ने विरोध किया. इन नेताओं का सवाल किसी व्यक्ति को आतंकवादी के तौर पर चिह्नित करने की प्रक्रिया और एनआईए को बिना राज्य सरकार की अनुमति के संपत्ति ज़ब्त करने के अधिकार पर सवाल खड़े किए. विपक्षी पार्टियों ने कहा कि इस बिल से नागरिक स्वतंत्रता और देश संविधान में जिस संघीय ढाँचे की बात कही गई है, उसका उल्लंघन है.''

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया और उन्होंने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 15 और 21 का उल्लंघन है. ओवैसी ने कहा कि यूएपीए क़ानून के तहत बड़ी संख्या में मुसलमान सालों से जेलों में बंद रहे और उन्हें बाद में रिहा किया गया क्योंकि उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं थे.

ओवैसी ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि यह सरकार निदोर्षों को सज़ा नहीं देगी क्योंकि हमें न तो बीजेपी की सरकार में इंसाफ़ मिला है और न ही कांग्रेस की सरकार में. जितने भी कठोर क़ानून हैं सबका इस्तेमाल मुसलमानों और दलितों के ख़िलाफ़ होता है. मैं दोनों पार्टियों की निंदा करता हूं क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों के शासन में क़ानून का दुरुपयोग मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुआ है.''

ओवैसी ने यूएपीए के दुरुपयोग पर कहा, ''मैं इसके लिए कांग्रेस पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराता हूं क्योंकि उसी ने यह क़ानून बनाया था. मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि इस क़ानून का पीड़ित कौन है?''

ओवैसी ने कहा कि किसी को भी आतंकवादी आप तभी कह सकते हैं जब कोर्ट उसे सबूतों के आधार पर दोषी पाती है. ओवैसी ने पूछा कि सरकार महसूस करती है कि कोई व्यक्ति आतंकवादी है तो उसे आतंकवादी घोषित कर देगी. उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है.

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस बिल का पुरज़ोर विरोध किया. मोइत्रा ने कहा, ''यह बिल देश के संघीय ढाँचे के ख़िलाफ़ है और किसी व्यक्ति को आतंवादी घोषित करना काफ़ी ख़तरनाक प्रावधान है. जो भी सरकार का विरोध करता है उसे देश विरोधी क़रार दिया जाता है. लोगों के बीच यह बात प्रॉपेगेंडा के तहत फैलाई जा रही है कि विपक्षी नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता और अल्संख्यक देश विरोधी हैं.''

Saturday, 14 September 2019

अरशद  मदनीसाब  सुनो,आरएसएस   ख़ुद को बदले, मुसलमान डरना बंद कर देगा, 30 ऑगस्ट 2019 मीटिंग बाद

Arshad Madni ji, Please Listen, Will RSS Change ideology ?Does a Leopard ever change its spots ?


आरएसएस का ही एक सवाल है कि मुसलमान भारत में 16 करोड़ हैं फिर भी वे डरते क्यों हैं? इसका जवाब क्या संघ को पता नहीं है? आरएसएस और हिंदुत्ववादी भारत के मुसलमानों को औरंगज़ेब से प्रेरित क्यों मानते हैं और क्यों उन्हें गाहे-बगाहे औरंगज़ेब के भाई दारा शिकोह के रास्ते पर चलने की सलाह देते हैं? क्या मुसलमानों को डरने की ज़रूरत होगी अगर संघ अपना नज़रिया बदल ले?
 आरएसएस का एक बड़ा वाजिब सवाल है। मुसलमान भारत में 16 करोड़ हैं फिर भी वे डरते क्यों हैं? जबकि दूसरे अल्पसंख्यकों की आबादी बहुत कम है लेकिन उन्हें डर नहीं लगता। आरएसएस के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने यह सवाल पिछले दिनों दिल्ली में उठाया। वह आरएसएस में तीसरे नंबर के नेता हैं। वह मुग़ल शासक औरंगज़ेब के भाई दारा शिकोह के संदर्भ में बोल रहे थे और एक तरह से कह रहे थे कि भारत के मुसलमानों को दारा शिकोह का रास्ता अपनाना चाहिये न कि औरंगज़ेब का। औरंगज़ेब को आरएसएस और हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी मुसलमान मानते हैं। जिसने अपने शासन काल में हिंदुओं पर जज़िया कर लगाया था। जज़िया कर एक तरह का धार्मिक कर होता है जिसे ग़ैर-इसलामी धर्मों के ऊपर कई इसलामी शासकों और सुल्तानों ने लगाया था।

लेकिन यहाँ सवाल दारा शिकोह और औरंगज़ेब का नहीं है। सवाल है कि आरएसएस और हिंदुत्ववादी भारत के मुसलमानों को औरंगज़ेब से प्रेरित क्यों मानते हैं और क्यों उन्हें गाहे-बगाहे दारा शिकोह के रास्ते पर चलने की सलाह देते हैं? दरअसल दिक़्क़त आरएसएस और हिंदुत्ववादियों के नज़रिये में है। जिस नज़र से वे इतिहास को देखते और विश्लेषण करते हैं, उसमें ख़ामियाँ हैं और वही है पूरे फसाद की जड़। वामपंथी और लिबरल इतिहासकारों की तुलना में हिंदुत्ववादी भारत के इतिहास को, ख़ासतौर पर मध्ययुगीन इतिहास को, सेकुलर नज़रिये से न देखकर उसका विश्लेषण धार्मिक संघर्ष की दृष्टि से करते हैं। सेकुलर इतिहासकार यह कहते हैं कि भारत का इतिहास राजाओं के संघर्ष का इतिहास है। राजा हिंदू रहा हो या मुसलमान, सब ने सत्ता की प्राप्ति के लालच में ग़लत-सही काम किये और सत्ता में आने के बाद सत्ता में बने रहने के लिये जो भी आवश्यक लगा उसे अंजाम दिया। अत्याचार भी किया और कल्याणकारी क़दम भी उठाये।

क्या विवेकानंद की देशभक्ति की परिभाषा संघ पचा पाएगा?

हिंदुत्ववादी इस व्याख्या को नकारते हैं। उनका कहना है कि मध्ययुगीन इतिहास दरअसल धर्मों के बीच संघर्षों का इतिहास है। वे कहते हैं कि सातवीं सदी के बाद से अँग्रेज़ों के आने तक भारत का इतिहास हिंदू धर्म और इसलाम के बीच संघर्ष का इतिहास है। अँग्रेज़ों के आने के बाद इस लड़ाई में ईसाई धर्म भी शामिल हो गया। यह संघर्ष अभी भी जारी है। हिन्दुत्ववादियों के सबसे बड़े विचारक और व्याख्याकार विनायक दामोदर सावरकर इस व्याख्या के सबसे बड़े प्रवर्तक थे। वह भारतीय इतिहासकारों को बख़्शते नहीं हैं। वह कहते हैं कि अँग्रेज़ इतिहासकारों के प्रभाव में आकर भारतीय इतिहासकारों ने इतिहास लेखन में उनकी नक़ल की और उनकी व्याख्या को सही मान लिया। सावरकर का मानना था कि ऐसे इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को हिंदू धर्म की पराजय का सतत इतिहास बताया और यह कहा कि भारत हमेशा से विदेशी शासकों का ग़ुलाम रहा है।

सावरकर अपनी किताब ‘भारतीय इतिहास के छह शानदार युग’ में लिखते हैं कि पुराने आक्रमणकारी शक, हूण, कुषाण और यूनानी भारत आने के बाद भारतीय संस्कृति में रच-बस गये और अपनी पहचान खोकर भारतीय हो गये। लेकिन मुसलिमों ने भारतीय परंपरा और संस्कृति को नहीं अपनाया। सावरकर लिखते हैं, ‘ये नये मुसलिम आक्रमणकारी न केवल हिंदू राजनीतिक शक्ति को कुचलना चाहते थे बल्कि पूरे भारत पर मुसलिम सत्ता भी स्थापित करना चाहते थे। इनके मन में एक और तीक्ष्ण धार्मिक इच्छा थी। …वे इस राष्ट्र की रक्त-अस्थि-मज्जा हिंदू धर्म को ही ख़त्म करना चाहते थे।’

सावरकर की इस इतिहास की धारा को आरएसएस अक्षरश: उठा लेता है। आरएसएस के दूसरे प्रमुख माधव सदाशिव गोलवलकर कहते हैं कि पिछले बारह सौ साल का भारत का इतिहास धार्मिक युद्ध का इतिहास रहा है जिसमें स्थानीय हिंदुओं को ख़त्म करने का प्रयास किया गया, उसी तरह से जैसे ईसाई आक्रमणकारियों ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अफ़्रीका में किया। अपनी किताब ‘बंच ऑफ़ थॉट’ के एक अध्याय में उन्होंने भारत के दुश्मन के नाम गिनाये हैं।

गोलवलकर ने साफ़ लिखा है कि भारत के तीन दुश्मन हैं। मुसलमान, ईसाई और वामपंथी। गोलवलकर लिखते हैं कि भारत देश का बँटवारा सिर्फ़ ज़मीन का बँटवारा नहीं था, यह एक धार्मिक षड्यंत्र का हिस्सा था।

गोलवलकर ने लिखा है, ‘जिस दिन से पाकिस्तान अस्तित्व में आया है, संघ में हम लोगों की यह समझ थी कि यह सतत मुसलिम आक्रमण का एक हिस्सा है। बारह सौ साल पहले जब से मुसलिमों ने इस धरती पर क़दम रखा है उनका एक ही मक़सद है पूरे देश का धर्मांतरण करना और ग़ुलाम बनाना। सदियों के प्रभुत्व के बाद इसमें कामयाबी नहीं मिली क्योंकि अनेक बहादुर महापुरुषों के रूप में इस राष्ट्र की विजयी आत्मा खड़ी होती रही और उनके साम्राज्यों को धूल चटाती रही। उनके साम्राज्य धराशायी होते रहे पर प्रभुत्व जमाने का उनका हौसला नहीं टूटा। ब्रिटेन के आने के बाद यह इच्छा फिर बलवती हुई। उनको मौक़ा मिला। उन्होंने अपने पत्ते चालाकी से खेले, कभी आतंक का डर दिखाया तो कभी तबाही का मंज़र। हमारे नेताओं को आँख दिखा उन्हें पाकिस्तान पर समझौता करने के लिये मजबूर कर दिया।’

गोलवलकर ने लिखा, मुसलिम साज़िश में व्यस्त

गोलवलकर यहीं पर नहीं रुकते। वह आगे लिखते हैं कि देश के विभाजन के बाद भी यह प्रक्रिया जारी रही। ‘मुसलमान दिल्ली से लेकर रामपुर तक साज़िश में व्यस्त हैं, हथियार इकट्ठा कर रहे हैं, उस समय का इंतज़ार कर रहे हैं जब पाकिस्तान भारत पर हमला करे और वे अंदर से वार कर सकें।’ कश्मीर के संकट को वह इसी नज़रिये से देखते हैं। यानी उनकी नज़र में मुसलमानों ने इस देश को कभी भी अपना मुल्क नहीं माना और वे भारत देश के लिये एक ख़तरा हैं। यह अलग बात है कि हाल के दिनों में मौजूदा संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस थ्योरी को उलटने की कोशिश की। संघ की तरफ़ से यह कहा गया कि गोलवलकर की बातों को विभाजन की वजह से उपजे आक्रोश की प्रतिक्रिया के तौर पर देखना चाहिये। संघ अब ‘बंच ऑफ़ थॉट’ और उनकी दूसरी पुस्तक ‘वी एंड आवर नेशनहुड डिफाइंड’ को गोलवलकर का प्रतिनिधि लेखन नहीं मानता। भागवत ने 2018 के अपने विज्ञान भवन के भाषण में यहाँ तक कहा कि मुसलमानों के बग़ैर हिंदुत्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

मुसलिमों में डर का माहौल बढ़ा

यह सच है कि बालासाहेब देवरस के संघ प्रमुख बनने के बाद 1979 में संघ ने अपने दरवाज़े दूसरे धर्मों के साथ-साथ मुसलमानों के लिये भी खोलने का एलान किया था। हाल में मोहन भागवत ने ज़मीअत उलेमा ए हिंद के सदर अरशद मदनी से मुलाक़ात कर मुसलमानों को अपने साथ लाने की नयी कोशिश भी की है। हक़ीकत यह है कि पिछले पाँच सालों के बीजेपी के शासन के दौरान देश में जो माहौल बना है उससे अल्पसंख्यक मुसलिम तबक़े के मन में भय का वातावरण घटने की जगह बढ़ा है। धार्मिक पहचान के आधार पर अख़लाक़, जुनैद, पहलू ख़ान, अलीमुद्दीन अंसारी, तबरेज़ जैसों की गो हत्या के नाम पर दिनदहाड़े मॉब लिंचिंग में हत्या ने मुसलमानों को बुरी तरह से ख़ौफ़ज़दा कर दिया है। इन हत्याओं के बाद बीजेपी के नेता पीड़ितों के बजाय आरोपियों के पक्ष में बयान देते दिखे। गो हत्या को गो तस्करी से जोड़ कर पीड़ित परिवारों के ख़िलाफ़ ही मुक़दमे दर्ज करवाये गये और आरोपियों के ख़िलाफ़ होने वाली जाँच को कमज़ोर किया गया। पहलू ख़ान के आरोपी साफ़ बरी हो गये। हाल में तबरेज़ के मामले में झारखंड पुलिस ने हत्या का मामला ही दर्ज नहीं किया और यह फ़रेब करने की कोशिश की गयी कि तबरेज़ की मौत हृदयगति रुकने से हुई।

तीन तलाक़ के मसले पर क़ानून बना दिया गया और उनके साथ कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। मुसलिम समुदाय के लाख विरोध के बावजूद एक साँस में तलाक़ देने वाले पति को जेल भेजने की क़ानूनी व्यवस्था कर दी गयी। मुसलिम तबक़े को लगता है कि तीन तलाक़ के बहाने अब उनके धार्मिक मामलों में भी हस्तक्षेप किया जा रहा है।

कश्मीर संकट से हालाँकि शेष भारत का मुसलमान अपने को नहीं जोड़ता है लेकिन जिस तरह से अचानक धारा 370 में बदलाव किया गया उससे भी मुसलिम तबक़ा सकते में है। उसे लगता है कि पूरे समाज को संदेश देने की कोशिश की जा रही है। असम में एनआरसी के तहत घुसपैठियों की पहचान की क़वायद ने भी उसमें डर बैठा दिया है। उसे लगता है कि सत्तर साल बाद भी उसकी देशभक्ति पर शक किया जा रहा है। मैंने अपनी किताब ‘हिन्दू राष्ट्र’ में एक बड़े नामी मुसलिम बुद्धिजीवी से हुई बातचीत को उद्धृत किया है। वह मुझसे बात करते हुए रुआंसे हो गये। बोले, ‘मेरे साथ धोखा हो गया। आज़ादी के समय मेरे पास पाकिस्तान जाने का विकल्प था, लेकिन मुझे इस मुल्क से मुहब्बत थी, मैं यहीं रुक गया। अब मेरी देशभक्ति पर शक किया जा रहा है।’

टीवी देखने की सख़्त मनाही!

मुसलिम समाज में इस धारणा को और मज़बूत करने में देश के टीवी चैनलों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। जहाँ हर मसले को हिंदू मुसलमान के चश्मे से देखने की कोशिश की जाती है। मुसलिम समाज को लगता है टीवी पर पाकिस्तान और कश्मीर के बहाने उस पर ही निशाना साधा जा रहा है। मुझे एक युवा पिता ने बताया कि उसके घर में टीवी पर न्यूज़ नहीं देखा जाता। बच्चों को टीवी देखने की सख़्त मनाही है। वे या तो अख़बार पढ़ते हैं या फिर यू-ट्यूब चैनल पर ख़बरें देखते हैं। मैंने पूछा क्यों तो बोला वहाँ दिन-रात ‘हमारे’ बारे में ग़लत बात की जाती है। उसका इशारा साफ़ था। ( coursety. satya hindi) (आशुतोष दिल्ली के वरिष्ट  जर्नलिस्ट है )

Tuesday, 10 September 2019

विधि आयोग ने कहा-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. सरकार के खिलाफ बोलना राष्‍ट्रद्रोह नहीं

लॉ कमिशन ने कहा है कि किसी भी ऐसे शख्स पर देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता है जिसके विचार सरकार की वर्तमान नीतियों से मेल न खाते हों। वहीं लोगों को भी आजादी है कि वह जिस तरह से चाहें अपने देश के प्रति अपना प्रेम दिखा सकते हैं।

लॉ कमिशन ने उल्लेख करते हुए कहा है कि लोकतंत्र में ”एक ही किताब से गाना देशभक्ति का बेंचमार्क नहीं है।” वहीं लोगों को भी आजादी है कि वह जिस तरह से चाहें अपने देश के प्रति अपना प्रेम दिखा सकते हैं। लॉ कमिशन ने कहा है कि किसी भी ऐसे शख्स पर देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता है जिसके विचार सरकार की वर्तमान नीतियों से मेल न खाते हों। भारतीय दंड विधान के तहत आने वाले राष्ट्रद्रोह कानून (124ए) पर लाए गए सुझाव पत्र में कई मुद्दों को रखा गया, जिन पर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व वाले लॉ कमिशन ने कहा कि सख्त राष्ट्रद्रोह कानून को सिर्फ उन्हीं मामलों में लगाया जाना चाहिए, जहां किसी काम को करने का उद्देश्य कानून व्यवस्था को बिगाड़ना या फिर हिंसा या अन्य अवैध रास्तों से सरकार को उखाड़ फेंकना हो”

पैनल ने अपने पेपर में कहा,” कमिशन को उम्मीद है कि न्याय क्षेत्र के विद्वानों, कानून निर्माताओं, सरकार और गैर सरकारी एजेंसियों, एकेडेमिक, विद्यार्थी और सबसे ऊपर आम जनता के बीच स्वस्थ बहस होनी चाहिए। ताकि जन हितकारी सुधार किया जा सके।” पैनल ने बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की पुरजोर वकालत की।

पैनल ने कहा कि लोकतंत्र में एक ही किताब से गाना देशभक्ति का बेंचमार्क नहीं है। वहीं लोगों को भी आजादी है कि वह जिस तरह से चाहें अपने देश के प्रति अपना प्रेम दिखा सकते हैं। सरकार की नीतियों में मौजूदा ​कमियों की ओर इशारा करते हुए पैनल ने कहा कि ऐसा करने पर कोई भी स्वस्थ बहस और आलोचना में शामिल हो सकता है। ऐसी अभिव्यक्ति करने में इस्तेमाल हावभाव कई बार कठोर और कुछ लोगों को अप्रिय हो सकते हैं। लेकिन ऐसी चीजों को देशद्रोह नहीं कहा जा सकता है।

पैनल ने कहा,” अगर देश के लोगों को सकारात्मक आलोचना का अधिकार नहीं होगा तो आजादी से पहले और बाद के वक्त में बहुत थोड़ा ही फर्क रह जाएगा। किसी के द्वारा अपने इतिहास की आलोचना का अधिकार और किसी बात का विरोध करने का अधिकार बोलने के अधिकार के तहत संरक्षित किए गए हैं। ये देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी हैं, इसका बोलने के अधिकार को नियंत्रित करने के औजार के रूप में दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है।

Friday, 6 September 2019

#JUH_RSS मीटिंग 31 ऑगस्ट 2019 पार्ट-1

*सुलेह हुदेबिया ओर खज्वये खंडक*

*में सच्चाई को बयान करने हमेशा आगे हु और रहूंगा,इसमें हमारा अभ्यास ओर मजीद बाकी है,*👇👇👇

*हमारे कूच लोग सुलेह के नाम पर मिल्लत को गलत उम्मीद बता ने की कोशिश ओर सोच बनानेकी अपने विचार रखते नजर आते है, इनसे मेरा इस छोटे आर्टिकलके माध्यम से सवाल अगर वर्तमान समयके अनुभवी जानकर ओर जलीमो के षड्यंत्र को समजने सुल्जाने की सलाहियत रखते हो तो कोल कर लेना नीचे नबरा दे रहा हु..*

*सबसे पेहले 2015 में जिनको देशके लिये खतरा बताकर 2019 में भाई चारा निर्माण करने की बात हो रही है, वो अपने इस कार्य को सुलेह नामा के साथ जोड़ रहे है, बरे हैरत की बात है उम्मत के लिये खज्वये खंडक की मिशाल खड़ी करने के समय मे सुलेह की बात करना समाज मिल्लत ओर इंसनियतको समस्याओं से निकल ने के बजाये उलजाने की दिशा बनाना बहोत गम्भीर है, ओर ऐसे वक्त में समाजके लीडरशीप करने वाले खुदको रेहबर केहने वाले अगर चुप रहे , इस समय तो आने वाला नुकसान एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म के सर पर थोपा जाएगा इस मे दो राय नही है.*

*जंहा तक बात करे सुलेह कि तो वो वक्त ट्ठाकधित आजादीके कूच साल बाद तुरंत करनाथा फिलहाल हमे खंडक की मिसाल बनाने की जरूरत है, तब अगर हम इस तरहा समाजको जंहा से कोई विश्वास की गुंजाइश नही वँहा उम्मीद बनाना और उम्मीद करनेके विच्चार को समाज के सामने रखना बहोत हैरत ओर नाकाबिले कबूल है.*

*मजीद इस विषय मे इतनाही मेरा केहने का मकसद येही है, वक्त के जालिम पर भरोसा करना अपने आपको तबाह करने के बराबर है,*

*मेने कहीं परहा है, हजरत उमर र.अ. कहा है, जालिमके जुल्म को छुपाना मजलुमो के साथ जुल्म है..*

*Huzaifa Patel (Dedicated Worker)*
        *SAF🤝Team Bharuch Guj.*
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Thursday, 5 September 2019

Copy masej saf voice

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Wednesday, 4 September 2019

સમગ્ર ગુજરાતના મુસ્લિમ સંગઠનો

*સમગ્ર ગુજરાતના મુસ્લિમ સંગઠનો / સંસ્થાઓને ખાસ ધ્યાનથી વાંચવા વિનંતી*

*આપના સમગ્ર ગુજરાતના દરેક મુસ્લિમ ગ્રુપમાં ખુબ ફોરવર્ડ કરવા વિનંતી*

*આ મેસેજ સુરત શહેર માટેનો છે, પરંતુ આ મેસેજ પરથી પ્રેરણા લઇ સમાજના હિતમાં ગુજરાતના દરેક શહેર / જિલ્લા વાઇસ આ મુજબ મુસ્લિમ સંગઠનો વહેલી તકે બનાવવા ખુબ જરૂરી છે.*

અસ-સલામું અલયકુમ વ.વ.

*સુરત શહેરના વિવિધ મુસ્લિમ સંગઠનોની તા. 28/08/2019 બુધવાર ના દિવસે યોજાયેલ પ્રથમ મિટિંગમાં સર્વ સંમતિ થી ઓલ મુસ્લિમ એસોશિએશન, સુરત સંગઠનની રચના કરવામાં આવેલ છે.*

_આ સંગઠનની રચના માટે *સ્થાપક સભ્યો જનાબ સલીમ યુસુફ શેખ-ફોગવા* (પ્રમુખ, સુરત સગરામપુરા મુસ્લિમ સિંધી જમાત), *જનાબ મુસ્તાકભાઈ કાપડિયા* (સેક્રેટરી, ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત-દ.ગુજરાત), *જનાબ રજ્જાકભાઈ વહોરા* (ઉપ પ્રમુખ, ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત-દ.ગુજરાત) તથા *જનાબ આરીફભાઈ વહોરા* (ઉપ પ્રમુખ, ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત-દ.ગુજરાત) દરમ્યાન આશરે એક દોઢ વર્ષથી ચર્ચા-વિચારણા ચાલી રહી હતી તથા આશરે ૨૫ જેટલા સુરતના સામાજિક સંગઠનોનું લિસ્ટ પણ તૈયાર કરી રાખેલ હતું, પરંતુ કોઈ ને કોઈ કારણોસર મિટિંગના આયોજનમાં વિલંબ થયા કરતો હતો, જે અંતે અલ્લાહ તઆલા ના ફઝલ વ કરમ થી તા. 28/08/2019 બુધવાર ના દિવસે શક્ય બનવા પામી હતી._

*આ સંગઠન / Whatsapp ગ્રુપમાં સુરત શહેરના દરેક મુસ્લિમ સંગઠનો / સંસ્થાઓના કમિટી સભ્યોને સમાવવામાં આવશે.* આ એક શરૂઆત છે. જેમ જેમ સંગઠન / Whatsapp માં જોડાવવા માટેની વિનંતી આવશે તેમ તેમ અન્ય સભ્યોને પણ ઉમેરવામાં આવશે. ઇન્શા અલ્લાહ.

*આ સંગઠન / Whatsapp ગ્રુપ બનાવવાનો મુખ્ય મકસદ :*

*1. સમગ્ર સુરત શહેરના મુસ્લિમ સમાજમાં એકતા લાવી શકાય.*

*2. સમગ્ર સુરત શહેરના મુસ્લિમ સંગઠનોના એકબીજાના સાથ-સહકાર તથા માર્ગદર્શનથી સરકારી / ખાનગી યોજનાઓનો મહત્તમ લાભ ઉઠાવી શકાય.*

*3. સમગ્ર સુરત શહેરના મુસ્લિમ સમાજમાં જાગૃતિ લાવી શકાય તથા સમસ્ત મુસ્લિમ સમાજને શૈક્ષણિક, સામાજિક તથા આર્થિક પ્રગતિના પંથે આગળ ધપાવી શકાય.*

*4. સમગ્ર સુરત શહેરના મુસ્લિમ સંગઠનોમાં ચાલતી દરેક શૈક્ષણિક / સામાજિક પ્રવૃત્તિઓની માહિતીનું સરળતાથી આદાન પ્રદાન કરી શકાય. જેથી તે જોઈને અન્ય સમાજને પણ તેવી પ્રવૃત્તિઓ કરવાનું પ્રોત્સાહન મળે.*

*5. સરકાર તરફથી મુસ્લિમ સમાજને થતા અન્યાયો સામે સમગ્ર સુરત શહેરના મુસ્લિમ સંગઠનો એક થઈને ખભે-ખભા મિલાવીને મુસ્લિમ સમાજના અધિકારો માટે લડત આપી શકાય.*

*6. ભવિષ્યમાં આવનાર અન્ય મસઅલાઓનું પણ એક બીજાના સાથ-સહકાર અને સલાહ-મશવરાથી નિરાકરણ લાવી શકાય.*

*_સમસ્ત મુસ્લિમ સમાજના હિતમાં આપના દરેક સલાહ-સુચન આવકાર્ય છે._*

*ઓલ મુસ્લિમ એસોશિએશન, સુરત ના સંગઠન / Whatsapp ગ્રુપમાં હાલમાં જોડાયેલ જમાત / સંગઠન નું લિસ્ટ*

*1. સુરત સગરામપુરા મુસ્લિમ સિંધી જમાત*
*2. ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત (દ.ગુજરાત)*
*3. મોરબી ટંકારા મેમણ જમાત*
*4. ધોરાજી મેમણ જમાત*
*5. હાલાઇ મેમણ જમાત*
*6. અન્સારી જુલાયા જમાત*
*7. હાંસોટી જમાત*
*8. સુરત મન્સુરી (પીંજારા) જમાત*

*મારુ સંગઠન / સંસ્થા કેવી રીતે જોડાઈ શકે ?*

*આ સંગઠન / Whatsapp ગ્રુપમાં જોડાવા માટે આપના સંગઠન / સંસ્થા નું નામ, સરનામું, ટેલિફોન નંબર તથા કમિટી સભ્યો જેમ કે  પ્રમુખ, સેક્રેટરી, ઉપ પ્રમુખ, ચેરમેન, વાઇસ ચેરમેન વિગેરે ના નામ, મોબાઈલ નંબર, Whatsapp નંબર ની માહિતી નીચે આપેલ કોઈ પણ એક સ્થાપક સભ્યો (Founder Members) ના Whatsapp નંબર પર ફોરવર્ડ કરો અથવા જરૂર જણાય તો તેમનો સંપર્ક પણ કરી શકો છો.*

*સ્થાપક સભ્યો (Founder Members)*

*1. સલીમ યુસુફ શેખ (ફોગવા), મો.: 98985 74645*
પ્રમુખ, સુરત સગરામપુરા મુસ્લિમ સિંધી જમાત

*2. મુસ્તાકભાઈ કાપડિયા, મો.: 97120 74400*
સેક્રેટરી, ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત (દ.ગુજરાત)

*3. રજ્જાકભાઈ વહોરા, મો.: 81413 20586*
ઉપ પ્રમુખ, ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત (દ.ગુજરાત)

*4. આરીફભાઈ વહોરા, મો.: 98256 81101*
ઉપ પ્રમુખ, ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત (દ.ગુજરાત)

અલ્લાહ તઆલા આપણને આ નેક મકસદમાં કામયાબી આપે. આમીન.

જઝાકુમુલ્લાહ ખૈર.

*નોંધ :*
સુરત શહેરના મુસ્લિમ સંગઠનો / સંસ્થાઓને જણાવવામાં આવે છે કે ટુંક સમયમાં ઓલ મુસ્લિમ એસોશિએશન, સુરત સંગઠનની બીજી મિટિંગનું આયોજન થનાર હોવાથી વહેલી તકે સ્થાપક સભ્યો (Founder Members) નો સંપર્ક કરી આ સંગઠનમાં શક્ય એટલું જલ્દી જોડાઈ જવા વિનંતી છે, જેથી મિટિંગનું આયોજન કરવામાં સરળતા રહે. આભાર.

*રજુકર્તા : મુસ્તાકભાઈ કાપડિયા, મો.: 97120 74400*
સેક્રેટરી, ચરોતર સુન્ની વહોરા સમાજ, સુરત (દ.ગુજરાત)
તા.: 01/09/2019 રવિવાર

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...