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Friday, 24 December 2021

एक चिंगारी रोशनी बनत शकती हे.विद्रोह करना जरुरी हे.

 




राजकीय बिमार शरीर का इलाज करना जरूरी हे.

 *कानून और सामाजिक व्यवस्था, राजनीति के शरीर की दवा हे,जब राजनैतिक शरीर बिमार हो जाये उसे दवा देना जरूरी बन जता हे.*
  
    👆  *"ये बात र्डा.बाबा साहेब आंबेडकर ने कही हे"*
  
         Date:24 Dec 2021
       ✒️  Huzaifa Patel 
           Dedicated Worker.

           हर बिमारी का इलाज होना चाहिये, आजकल सायंस ने कई गंभीर बिमारियों का ईलाज करने का रास्ता निकाल लिया हे, जैसे कैन्सर जैसी गंभीर बिमारी देखलो,ये तभी संभव हुवा जब उसके पिछे लगातार सायंस ने बिमारी का ईलाज खोजने के लिये नये नये प्रयास किया तब जाकर आज कैन्सर जैसी मिबारी से इन्सान बच सकता हे.

           हमारे पुर्जों ने भारत देश को अंग्रेज हुकूमत से आजाद किया उसके बाद हमारे देश मे सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिये संविधान के कानून को बनाया गया, जिसको 26 जनवरी 1950 के दिन लागु किया गया, सोचने वाली बात ये हे , आज बहोत से लोग जो अलग अलग परिस्थितियों का एनालिसिस करते हे,यंहा तक के देश के बडे बडे नेता ये केहते हुये पाये जाते हे, ये देश फिरसे गुलामी की तरफ बढ रहा हे, अब हमे ये समझना हे ये क्यु हो रहा हे❓जिसके बहोत से कारण आपको मिल सकते हे, लेकीन मेरे अभ्यास मे सबसे पहेले प्रजातंत्र मे प्रजा के प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वालों कायदे कानून और सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिये कोई खास जानकारी इल्म ना होना सबसे पहेले कारण हे, प्रजा के प्रतिनिधि बनने वालों मे  99.99% लोग देश के संविधान और सामाजिक व्यवस्था बनाने के कार्यों से दुर रहे,इनहो ने लोकतंत्र को अपने फायदे के लिये इस्तेमाल किया जिसके कारण आज गांवों से लेकर शहरों मे देशका हर समुदाय और व्यक्ति बहोत सारी परिस्थितियों मे दिन ब दिन चिंतित नजर आता हे.

  इसका उपाय एक ही हे, जैसे उपर बताया जब राजकीय नेतृत्व करने वाले लोग प्रजा के लिये नेतृत्व करने वालें प्रजातंत्र के कानून और व्यवस्था बनाने के जानकार ना हो उसके लाईकात ना रखते हो, एसे तमाम किो दवा कानून और सामाजिक व्यवस्था लागू करने का विद्रोह किया जाये तब ही इस देश की परिस्थितियों मे सुधार आ सकता हे.

    जिस तरहा शारीरिक बिमारी के लिये सायंस हमेशा प्रयास सिल रेहता हे, वैसे हर समाज मे कानून और सामाजिक व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से लोग अपने मोहल्ले,गांव, शहर की परिस्थितियों का एनालिसिस करे फिर इसमे बदलाव और राजकीय बिमार शरीर का इलाज करने लीये आजके युवाओं को आगे आना पडेगा,जिसमे ना कोई कौमवाद,जातिवाद,भेदभाव हो वोही इस कार्य के लिये आगे बड सकते हे .

      _हमारी टीम लगातार इसको ध्यान रखते हुये आपने जिम्मेदारी निभाती हे._
       *अगर मेसेज अच्छा लगे आगे शेर करे.*

Thursday, 23 December 2021

धर्म संसद हरिद्वार 23 Dec 2021

 *मुसलमानों को खुलेआम मारने की धमकियों के बावजूद सरकार की चुप्पी देश की वयवस्था के लिए बेहद हानिकारक है*

*जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने गृह मंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हरिद्वार के धर्म संसद के संचालकों और वक्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.*

नई दिल्ली, 23 दिसंबर:
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में अभद्र भाषा और मुसलमानों की खुली हत्या की धमकी पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस पर सरकार की  चुप्पी को देश के लिए "बेहद हानिकारक" बताया है।
मौलाना मदनी ने गृह मंत्री श्री अमित शाह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यालय को पत्र लिखकर इस पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि यहां जो हो रहा है वह देश में शांति व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए बड़ा खतरा है। इसलिए मेरी मांग है कि आयोजकों और वक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने भड़काऊ और नफरत भरे भाषण दिए, खुले तौर पर मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया और पूरे हिंदू समुदाय से सशस्त्र होने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष और संरक्षक प्रमुख यति नरसिंह नंद ने कहा, "यदि कोई हिंदू, आतंकवादी संगठन LTTE  प्रमुख प्रभाकरण बनना चाहता है, तो मैं पहले इस उद्देश्य के लिए एक करोड़  रुपये की पेशकश करूंगा और शेष 100 करोड़ रुपये जुटाऊंगा।" हर हिंदू मंदिर को एक प्रभाकरण की जरूरत  है। एक अन्य वक्ता  ने कहा कि यदि सौ हिंदुओं ने एक सेना बनाई और दो मिलियन मुसलमानों को मार डाला, तो इसे हिंदुओं की जीत घोषित किया जाएगा। प्रत्येक भारतीय नागरिक को उन्हें (मुसलमानों) को उखाड़ने के लिए सफाई अभियान में शामिल होना चाहिए। तैयार रहें और ऐसा करने की तैयारियों पर चर्चा करें।"
मौलाना मदनी ने अपने पत्र में इन बयानों का उल्लेख किया है और सरकार से देश के संविधान और कानून के शासन और सर्वोच्चता की रक्षा करने का आह्वान किया है।

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कानून के हाथ लंबे होते हे.
Date: 14 Jan 2022 
   ✒️ Huzaifa Patel 
       Dedicated Worker
       Bharuch - Gujarat 

      हिंदी फिल्मों के माध्यम से हमने सुना हे कानून के हाथ बहोत लंबे होते हे,  इस बात को समझने के लिये आपको पिछले दिनो हरिद्वार के अधर्म संसद मे जिसतरहा देश विरोधी संविधान विरोधी और खास मुसलमानों को कत्ले आम करने की खुल्लम खुल्ला बात करने वाले आतंकवादीयो पर पुरे  24 दिनो बाद कार्यवाही होती हे.

    नोध करने वाली बात हे, सुप्रीम कोर्ट मे कई वकीलों द्वारा इस अधर्म संसद के विरोध मे कार्यवाही करने को लेकर याचिका हुई, इस अधर्म संसद के विरोध मे आंदोलन हुये तब जाकर इतने दिनो बाद कानून हरकत मे आती हे, ये कानून के हाथ बहोत लंबे होते हे दर्शाता हे.

     इन नफरत के सौदागरों की गिरफतारी के बाद अब देखने का रहा आगे क्या होता हे?

Wednesday, 22 December 2021

गाम पंचायत के चुनाव और सामाजिक परिस्थितियों पर विशेष चर्चा के लिये हमे खुद तैयार करना बहोत जरूरी हे.

   SAFTEAMGUJ.

            गाम पंचायत के चुनाव देश के लिये महत्वपूर्ण भुमिका निभाता हे,निचले लेवल के चुनाव जिसमे नगरपालिका और गाम पंचायत आते हे, जिसमे बहोत बडी़ संख्या गाम पंचायत आती हे, इस चुनाव के अलग अलग पहलु पर विश्लेषण करना जरूरी होता हे, जिसमे मेरे जिवन के अनुभव और अभ्यास के बाद कुच बातें यंहा आपतक शेर करता हूं। 

RSS के संस्थापक गोवलकर के भारत देशकी आजादी को लेकर क्या विचार थे?


SOCIAL MEDIA VIRAL 

झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ बिल पास.

झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ बिल पास,3 साल की जेल-25 लाख तक जुर्माना

    
झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भीड़ की हिंसा की घटनाओं की निंदा की थी

झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) ने मंगलवार को मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग विधेयक(mob lynching bill), 2021 को मंजूरी दे दी,जिसमें मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों के खिलाफ तीन साल से लेकर आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये तक के आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है. सरकार की ओर से कहा गया है कि भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया.

इस कानून के तहत गैर जिम्मेदार तरीके से किसी सूचना को शेयर करना, पीड़ितों और गवाहों के लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण बनाने पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी. साथ ही पीड़ितों का मुफ्त इलाज भी इस कानून के प्रावधान में है.

हालांकि राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसे हड़बड़ी में और एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए लाया गया विधेयक बताते हुए सदन का बहिष्कार किया. बीजेपी विधायकों के वॉकआउट के बीच सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी.

17 जून, 2019 को हुई घटना में, जिसने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं, 24 साल के तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में भीड़ द्वारा कथित तौर पर एक पोल से बांध दिया गया और बेरहमी से पीटा गया. एक वीडियो में अंसारी को कथित तौर पर "जय श्री राम" और "जय हनुमान" का नारा लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा था. 22 जून को न्यायिक हिरासत में उसकी मौत हो गई थी.इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि वह इस घटना से आहत हैं.

झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भीड़ की हिंसा की घटनाओं की निंदा की थी. वहीं, इस साल की शुरुआत में, झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली सरकार ने उच्च न्यायालय से फटकार के बाद ऐसे मामलों से निपटने के लिए जिला स्तरीय समितियां बनाने का फैसला किया था.

Saturday, 18 December 2021

18 की जगह अब 21 की उम्र में ही क्यों होगी लड़कियों की शादी, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

 
SAF Team guj. 18 dec 2021

भारत में किसी को बालिग कहे जाने की उम्र 18 साल है लेकिन शादी के मामले में लड़कों की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल ही रखी गई थी. अब केंद्रीय कैबिनेट ने विवाह के लिए लड़कियों की उम्र भी 21 वर्ष किए जाने के विधेयक को मंजूरी दे दी है.


  • अब 18 की जगह 21 होगी लड़कियों की शादी की उम्र
  • इसी संसद सत्र में बदलाव के लिए बिल लाएगी मोदी सरकार

केंद्र सरकार ने देश में समाज सुधार से जुड़ा बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यानी अब लड़कों की तरह ही लड़िकयों की शादी की आधिकारिक उम्र 21 साल होने जा रही है.

भारत में किसी को बालिग कहे जाने की उम्र 18 साल है लेकिन शादी के मामले में लड़कों की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल ही रखी गई थी. अब केंद्रीय कैबिनेट ने विवाह के लिए लड़कियों की उम्र भी 21 वर्ष किए जाने के विधेयक को मंजूरी दे दी है. मौजूदा सत्र में ही सरकार इस विधेयक को पेश करेगी. 

विवाह की उम्र में 43 साल बाद बदलाव

देश में विवाह की उम्र में ये बदलाव 43 साल बाद किया जा रहा है. इससे पहले 1978 में ये बदलाव किया गया था. तब 1929 के शारदा एक्ट में संशोधन किया गया और शादी की उम्र 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी.

लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष किए जाने की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2020 में लालकिले से की थी. उसी घोषणा पर सरकार अब आगे बढ़ी है. लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र क्या होनी चाहिए, इस पर जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था. 


महिला प्रतिनिधियों से भी बातचीत

10 सदस्यों की टास्क फोर्स ने जाने-माने स्कॉलर्स, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक संगठनों के नेताओं से सलाह ली थी. वेबिनार के जरिए देश की महिला प्रतिनिधियों से भी बातचीत की थी. इसी टास्क फोर्स ने दिसंबर 2020 में अपनी रिपोर्ट नीति आयोग को दी थी. टास्क फोर्स का ही सुझाव था कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए.

सरकार के इस कदम का फायदा देश की करीब साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा लड़कियों को होगा. 2011 में हुई जनगणना के हिसाब से देश में 18 वर्ष के उम्र की करीब 1 करोड़ 29 लाख लड़कियां हैं.

करीब 1 करोड़ लड़कियों की उम्र 19 साल है जबकि करीब 1 करोड़ 39 लाख लड़कियों की उम्र 20 साल है. देश में 21 वर्ष की करीब 1 करोड़ 94 लाख से ज्यादा लड़कियां हैं.

कुल मिलाकर देखें तो देश में 18 से 21 वर्ष की लड़कियों की संख्या 4 करोड़ 64 लाख है. लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की मांग पिछले काफी समय से की जा रही थी. 


क्या बोले समाजशास्त्री?

समाजशास्त्रियों का मानना है कि शादी की उम्र कम होने से, कम उम्र में लड़कियां मां बनती हैं, जिससे मां और बच्चे की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है. कम उम्र में शादी होने से मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर बढ़ जाती है. कम उम्र में शादी होने से लड़कियों की शिक्षा और जीवन स्तर पर भी बुरा असर पड़ता है.

The Registrar General And Census Commissioner of India की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की 2.3 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष तक पहुंचने से पहले ही कर दी जाती है. इस मामले में देश के गांवों की स्थिति शहरों के मुकाबले ज्यादा खराब है.  

गांवों की 2.6 प्रतिशत लड़कयों की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती है. वहीं शहरों की 1.6 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष तक पहुंचने से पहले हो जाती है.

इस मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल का है जहां पर 3.7 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष तक पहुंचने से पहले हो जाती है. 33.2 प्रतिशत लड़कियां ऐसी भी हैं जिनकी शादी 18 से 20 की उम्र में होती है.


बाल विवाह के लगातार बढ़ रहे हैं आंकड़े

देश में लड़कियों की शादी की उम्र भले ही 21 वर्ष करने की तैयारी हो रही है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में बाल विवाह के मामले 50 प्रतिशत तक बढ़े हैं. बाल विवाह यानी 18 वर्ष से कम उम्र में शादी हो जाना है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2020 में बाल विवाह के 785 मामले दर्ज किए गए थे.  ये आंकड़ा वर्ष 2019 के मुकाबले 50 प्रतिशत अधिक था. 

साल 2019 में बाल विवाह की 523 शिकायतें आई थीं. बाल विवाह के सबसे ज्यादा केस कर्नाटक में दर्ज किए गए हैं, पिछले 5 सालों की रिकॉर्ड देखें तो 2015 से 2020 तक बाल विवाह की शिकायतों में बढ़ोतरी हुई है.

2015 में बाल विवाह के 293, 2016 में 326, 2017 में 395, 2018 में 501, 2019 में 523 और 2020 में 785 केस दर्ज हुए हैं. ये आंकड़े एक नजरिए से अच्छी खबर हैं क्योंकि इससे पता चलता है कि लोग जागरुक हुए हैं और बाल विवाह की शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन चिंताजनक  बात ये है कि बाल विवाह की ये कुप्रथा बंद नहीं हुई है.



Friday, 17 December 2021

WhatsApp માં મારી પોસ્ટ બાબત વાયરલ કરેલ મેસેજ.

   તારીખ ૧૭ ડિસેમ્બર ૨૦૨૧
      ગામ પંચાયત ચુંટણી સમયે 
    👇પ્રથમ મારા તરફ થી વાયરલ કરેલ મેસેજ 👇
     
*"કાવી ગામની જનતાની અદાલતમાં"*
       તા.૧૭ ડિસેમ્બર ૨૦૨૧
      કાવી ગામના સરપંચ અને ગામના જાગૃત યુવાન સાથે ટેલિફોનથી ધમકી આપવાની ચર્ચા સાંભળો, તમેજ નક્કી કરો શું ખરે ખર આપણે આપણો વોટ આપીને ધમકી આપતા નેતાઓ પંસદ કરીયે છીએ કે સેવક તરીકે ગામની જનતા ના સેવક બની પોતાની ફરજ અને જવાબદારી નિભાવે એવા નેતા પસંદ કરીયે છે ❓ *વિચારજો ખરે ખર આ સમય તમને હું વિચાર કરવા માટે આ પોસ્ટ કરી રહેલ છું.*

       જનતાની  અદાલત નક્કી કરશે શું ગામની સમસ્યા બાબત પોતાની રજૂઆત કરવી કોઈ ગુનોહ બને છે❓ મારી જેતે પોસ્ટના લઈને મને ધમકી આપવાનો પ્રયાસ કરેલ છે, જેની લિંક અંહી શેર કરૂ છું .
તમે આ લિંક ઉપર જઈને સાંભળી શકો છો શું મે કોઈ અપ શબ્દો બોલેલ છે❓ જોવો વિડીયો માં 

  *મને પેહલા પણ સામાજિક ક્ષેત્રે જન જાગૃતિ ના કાર્યો કરવા બાબત ગણી ધમકીઓ મળેલ  છે, હુ કઈ આવી ધમકીઓ થી ડરતો નથી પણ માળો જીવન નો મકસદ મને કુદરતે સમજાવેલ છે તેને ધ્યાન રાખી મારૂ કાર્ય કરૂ છું."* _"બાકી ડર ફક્ત અલ્લાહ નોજ હોય_

✒️  હુજૈફા પટેલ 
     સમર્પિત કાર્યકર્તા 
   મો.9898335767 
    ઓડિયો સાથે વાયરલ કરેલ મેસેજ નો સ્ક્રીન શોર્ટ
       *આ લિંક 👆 ઉપર જઈને ટેલિફોનની ચર્ચા સાંભળો.*
   👇👇👇  વાયરલ થયેલ મેસેજ 👇👇👇
કાવી જનતાની અદાલતમાં ન્યાય મેળવવાના હેતુસર આપની મોકલેલ ઓડીઓ કલીપ અને fb વિડિઓ ગ્રાફીની લિંક અમો કાવી જનતાને મળી...
અમો કાવીની જનતાએ આપની કોલ રેકોડિઁગ વારી કલીપને પણ સાંભળી અને સાથે સાથે આપની મોટી મસ્જિદ થી કબ્રસ્તાન તરફના એટલે કે ફકીરવાદ પાસેના રોડની આપની ફેસબુક ઉપર મુકેલી વિડિઓ ગ્રાફી પણ જોઈ...
આ સમગ્ર માહિતીની અમો કાવીની જનતાએ ખુબજ જીણવત ભરી તપાસ કરી. તો આ તપાસમાં અમો કાવીની જનતાને જાણવા મળ્યું છે કે તમે જે પરિસ્થિતિ ફેસબુક ઉપર રજુ કરી હતી તે બિલકુલ ખોટી અને અયોગ્ય સાબિત થાય છે... કારણકે આ જે પરિસ્થિતિ તમે ફેસબુક ઉપર બતાવી છે. તે પરિસ્થિતિ રોડ બનવાની કામગીરી નાં સમય દરમિયાનની છે. અને અમો કાવીની જનતા એ વસ્તુ પણ સારી રીતે જાણીયે અને સમજીયે છીએ કે જે વખતે ડેવલોપમેન્ટ નું કામ ચાલતું હોય તે વખતે ડેવલોપમેન્ટ વારા એરિયાની પરિસ્થિતિ થોડી બગડે જ છે... દા. ત. આપણે કાવી થી ભરૂચ જઇયે છીએ ત્યાં રસ્તામાં જ્યાં બ્રીજો અને  ડેવલોપમેન્ટ નાં કામો ચાલે છે ત્યાં ડેવલોપમેન્ટ ની કામગીરી દરમિયાન શું પરિસ્થિતિ સર્જાય છે જેનાથી આપણે સૌવ વાકેફ છીએ...

અને વરી આપે જે સમયે આ પરિસ્થિતિ નાં વિડિઓ લીધા તે સમય રોડની કામગીરી ચાલતી હતી અને સાથે સાથે ચોમાસુ પણ ચાલતું હતું...
આ રોડને ઢાલ આપવાના હેતુ થી અને લેવલિંગ કરવાનાં હેતુથી ત્યાં માટીકામ કરવામાં આવ્યું હતું... અને માટી કામ પૂરું થતા પહેલાજ વરસાદ ચાલુ થઇ ગયો હતો જેને કારણે આ સ્થિતિ સર્જાય હતી... છતાં આપે આ કામગીરી જલ્દી થાય અને લોકોને હાલાકી નાં થાય તેમાટે જો આની સામે પગલાં લીધા હોય તો સૌવ પ્રથમ તમારી ફરજમાં આવે છે કે તમે આપણા સ્થાનિક પ્રશાશન નેં લેખિતમાં આની જાણ કરો.. અને તમારા લેખિતમાં જાણ કરવા છતાં જો સ્થાનિક તંત્ર હરકતમાં ના આવે તો તમે તાલુકા અને જિલ્લાના અધિકારીઓને જાણ કરો... અને ઉપર જાણ કરવા છતાં પણ જો તમને ન્યાંય નાં મળે તો તમે મીડિયા અને શોષિયલ મીડિયાનો ઉપયોગ કરીને આની સામે લડત લઇ શકો છો... પરંતુ તમે નીચલા કે ઉપલા પ્રશાશન પાસે ન્યાંય ની અપીલ કર્યા વિના ડાયરેક ચાલુ ડેવલોપમેન્ટ વારા કામ ઉપર ફેસબુક નાં માધ્યમ થી ખોટા આક્ષેપો લગાવી નેં કાવીના સ્થાનિક તંત્ર નેં હેરાન કરવા અને ખોટી રીતે ચીતરવા માટે ની જે પ્રવૃત્તિ કરી છે જે અમો કાવીની જનતાની નજરમાં અયોગ્ય છે...


માટે અમો કાવીની જનતા કાવીના પ્રશાશન ઉપર આપના દ્વારા લગાવવામાં આવેલા ખોટા આક્ષેપો અને આરોપો નેં ખારીજ અને બેબુનીયાદ કરાર આપીને કાવીના પ્રશાશન નેં નિર્દોષ ઠેરવીએ છીએ...અને કાવીના પ્રશાશન નેં આ આરોપ થી મુક્ત કરીએ છીએ...
આ સ્થિતિ ડેવલોપમેન્ટ દરમિયાન ની હતી માટે આ પરિસ્થિતિ સર્જાવવા પાછળ તેઓનો કોઈ દોષ નાં હતો જેથી. આપનો કાવીની જનતામાં મુકેલો દાવો અમે રદબાતલ કરીએ છીએ... અને આપ નામદાર નેં પણ આદેશ પાઠવીએ છીએ કે આપ કોઈ પણ લડત લેતા પેહલા નીચલા પગથિયેથી ચાલુ કરો... ડાયરેક્ટ ટાવર પર ચઢીનેં નીચે નાં આવાય.... બલ્કે નીચેથી ટાવર ઉપર ચઢાય...


લી...
કાવી જનતા અદાલત... 🙏
       તેનો સ્ક્રીન શોર્ટ   
*મારા આજે કરેલ મેસેજ બાદ લી. કાવી જનતા અદાલત નામે વાયરલ થયેલ મેસેજ નું વિશ્લેષણ અને તેના યોગ્ય જવાબો.*
   તા. ૧૭ ડિસેમ્બર ૨૦૨૧ 
      સમય- ૦૫:૦૦pm સાંજે.
    ✒️    હુજૈફા પટેલ 
           મો.9898335767 

      આપણા કાવી ગામના તમામ લોકોની સલામતી સમ્માન સાથેની દુવા કરીને  આજનો મેસેજ ગણા લોકો માટે બસ એક મજાક પુરતો અને ગણા લોકો માટે નુકસાન અને ફાયદા સાથે જરૂર જોડાયેલ હશે,પણ જ્યારે કોઈ ખોટી વાત સોશિયલ મિડીયામાં ચલાવવામાં આવે અને ખાસ મારા અંગત મેસેજ સાથે જોડાયેલ હોય તો મારી ફરજ છે,ગામના લોકો સુધી બને ત્યાં સુધી થોડી વાતોની ચોખવત કરી આપું.

   *ત્યાર પહેલા હું એક વાતની અંહી ચોખવત કરૂ છું, આ મેસેજ ફક્ત જેતે મેસેજ ના જવાબ માટે છે,તેને ધ્યાનમાં રાખવા વિનંતિ છે.*

       સૌપ્રથમ તો મને એ વાતની ખુશી થઈ કે આખા ભારતમાં  મારૂ ગામ એક એવુ ગામ છે, જ્યાં જનતા ની અદાલત ચાલે છે, નોધ કરવા જેવી વાત એ છે,મેસેજ લખનાર મારા ભાઈ,મિત્ર કે વડીલ ને કેહવા માંગુ છું તમારી આ પ્રવૃત્તિ જનતા માટેની નથી લાગતી, તમારા મેસેજ ને વાંચીને તેનો ઉદ્દેશ્ય સિવાય મારા ઓડિયો ને ખોટો સાબિત કરવાનો ઉદ્દેશ્ય છે, હાલાકે મારા ઓડિયો અને મેસેજ કરવાનો ઉદ્દેશ્ય લોકોને ફક્ત જાગૃત કરવાનો છે, જેને મેસેજ લખનાર વડીલે ખોટી રીતે પોતાની ચાપલૂસી કરવા સિવાય કઈ વિશેષ કાર્ય કરેલ નથી.

    મારા ઉદ્દેશ્ય ને સમજવા માટે સૌપ્રથમ આપ કાવીના નિશ્પક્ષ નાગરીક તરીકે સાંભળી ને મારો ઉદ્દેશ્ય સમજવાની જરૂરી છે, રહી વાત તમારા મેસેજ માં  "લી.કાવી ની જનતા અદાલત" નામ લીખને વાત મુકી છે પહેલા મારા ભાઈ  તમે એ બતાવો તમે આ થોડા સમયમાં કઈ કાવીની જનતા ને પુછીને લખેલ છે? ખરે ખર કાવી મા જનતાની અદાલત નામની સંસ્થા,સમિતિ નામથી કાર્યરત હોય તો મને જાન કરજો કે આટલા થોડા સમય મા કાવીની જનતા તરફથી તમે આટલી જલ્દીમાં મેસેજ કરી દિધો.મને તો આ મેસેજ વાંચતા ખરે ખર સુધીર  ચોધરી યાદ આવી ગયા, જેઓ હમેશા મિડીયામાં આવીને "બોલતા હે ભારત" કેહતા હે ભારત"પુછતા હે ભારત" જેવા શબ્દો બોલીને મિડીયાના માધ્યમથી લોકોને પ્રભાવિત કરે છે, તેમજ તમે આ કોશિશ  કરી છે, ભાઈ આવા પ્રયાસો જનતા હિતમાં "ના" કેહવાય.

પ્રથમ મારા વડીલ તમે મેસેજ કરેલ છે તે બાબત તમારી સાથે તમે ઇચ્છા રાખતા હોવ તો હુ રૂબરૂ માં ચર્ચા કરવા તૈયાર છું , બીજું  કે તમે પ્રશાસન ની વાત કરેલ છે, મે પ્રશાસન બાબત કોઈ ઉલ્લેખ કરેલ નથી મે મારી ટેલિફોનથી કરેલ ઓડિયો વાયરલ કરેલ છે, ગણા સમયે આપણે આપણી વાતો અને વિચારોમાં ન્યાય "ના" કરી શકતા હોઈ તો ચાપલૂસી કરવામાં આપણો ને મજબૂર કરે છે, જે ખરે ખર દેખાઈ રહેલ છે, રહી વાત રોડની સમસ્યા બાબત તો તેની ગણી લાંબી ચર્ચા છે, જે બાબત રૂબરૂ મલો તો વાત કરૂ મને ફોન કરજો.

        જનતા માટે કામ કરવું અને બોલવું કોઈ સહેલું નથી વડીલ આ રસ્તો બોવ કઠીન છે, 

         મારી આજની પોસ્ટમાં ફક્ત મારૂ ઓડિયો અને નાનો મેસેજ કરેલ છે, જેમા મને ખુલ્લી ધમકી આપેલ અને સાથે મારો વોટ કોઈને આપીને જેતે વ્યક્તિને સહયોગ નથી કરતો તે સાંભળી શકો છો, સાથે મારા વડીલ તમે વાત કરી તમે લેખિતમાં રજુઆત ની વાત કરી આતો રોડની સમસ્યા બાબત તમે આટલું કીધું તમને મારા તરફથી કરવામાં  આવેલ ગણા કામો બાબત મને લાગે છે જાનકારી નથી તે માટે તમને જરૂર કહું છું  આપણે એકવાર આમને સામને બેસીને એક બિજાને સમજી શકીએ એવા પ્રયાસ કરવો જોઈએ .

 રહી વાત મારે સોશિયલ મિડીયા માં વિડીયો વાયરલ કરવાની જરૂર "ના" હતી તો વડીલ સાંભળો તમને ખબર નથી મારા પહેલા એક વ્યક્તિ તરફથી ફેસબુક લાયૂ કરીને વાયરલ કરેલ ત્યારબાદ તેને ડાઉનલોડ કરીને મારા વોઇસ થી સોશિયલ મિડીયા માં વાત મુકેલ, *તમને જાણકારી મા વધારો કરવા માટે ખાસ કહું છું,* આ દેશના સંવિધાન અને કાયદા થી મોટું કોઈ નહી ચાહે દેશના પ્રધાનમંત્રી હોય કે ગામના સરપંચ હોય, સંવિધાન ના અનુચ્છેદ ૧૯ માં ભારત દેશના નાગરીક ને  *"વાણી વિચાર  અને અભિવ્યક્તિની  સ્વતંત્રતા"* આપેલ છે, જેને દેશના કાયદા મા રહી પોતાની વાત મુકવાનો અને પ્રચાર  કરવાનો અધિકાર મળેલ છે, મારા વડીલ તમે એકવાર રૂબરૂ મલો તો શાંતિપૂર્ણ વાર્તાલાપ કરીશું. 

આપ જરૂર રૂબરૂ વાત કરવા માટે મને ઉપર આપેલ નંબર  ઉપર કોલ કરશો એજ આશા  સાથે સોશિયલ મિડીયા માં મેસેજ વાયરલ કરૂ છું .
      
       લી. તરીકે આપના કાવી ગામનો જાગૃત,નીડર, સાહસિક , સમાજ માટે પોતાનું જીવન સમર્પિત કરેલ યુવા સમજી શકો છો.   
    *ભુલચુક માફ કરજો ગામના યુવાનો,વડીલો,માં-બહેનો.*

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    18 December 2021 Viral 
    આ ઓડીયો બાબતે હુઝેફાભાઇ સાથે ગામના સરપંચને વાતચીત થઇ હતી.
અને આ લખાણ લખનાર નામદારે લખે છે કે સહકાર નથી આપ્યો..એનો આખો મતલબ જ નામદારે વોટ મેળવવા માટે નકારાત્મક કર્યો છે..

આખુ ઓડિયો સાંભળ્યા બાદ મારા વિચારો વ્યક્ત કરી રહ્યો છુ.
હુઝેફાભાઇ ભરૂચ મુકામે રહે છે અને તેમનો વધારે સમય તેઓ ભરૂચ મુકામે જ વિતાવે છે, તેઓ પોતાની જાતને સામાજિક કાર્યકર્તા તરીકે સંબોધે છે. તો મારે આ બાબતે સામાજિક કાર્યકર્તાની વ્યાખ્યા સમજાવી જ રહી. સામાજિક કાર્યકર્તા શાંત સ્વભાવી, વિવેકી, સહકારની ભાવનાવાળા અને સમાજ માટે કંઇક કરી છુટવાની ખેવના ધરાવનારને કહે છે. સામાજિક કાર્યકર્તા પોતાના સ્વાર્થને સાઇડ પર મુકી સમાજ કે ગામનો ઉધ્ધાર કરવા માટે ઉત્સાહિત હોય અને તેઓ ગામના વહીવટી તંત્રને સકારાત્મક રીતે ગામની લાગણીને માન આપીને સહકાર આપતા હોય. સામાજિક કાર્યકર્તા હંમેશા કાયદો અને વ્યવસ્થા જાળવવાને આધિન હોય. સમાજના દરેક વર્ગ માટે તન,મન અને ધનથી પોતાની જાતને હંમેશા આગળ કરનાર હોય..

તેઓ પોતાની જાતને આખા ભરૂચ જીલ્લાના તથા કોમના સામાજિક કાર્યકર્તા તરીકે ઓળખાવે છે અને ઓડિયોમા સરપંચ સાથે જે વાત કરે છે એનો ભાવાર્થ છે કે એક સામાજિક કાર્યકર્તા તરીકે મત આપી દિધો એટલે તેમણે સહકાર આપી દીધો. તેમ એમનુ કહેવુ છે તો મારે જણાવવાનુ કે અભણ વ્યક્તિ પણ સમજી જાય કે ચૂંટણી બાદ તેઓ પક્ષના વિરોધી હોય કે સમર્થક હોય દરેકે ગામના વિકાસમા સહકાર આપવો જોઇએ તેના બદલે તેમણે તો ગામને બદનામ કરવાની કોશિશ કરી. તેમની વાતો માત્ર શોસિયલ મિડીયા પર જ હોય છે, એટલે કહેવાનો ભાવાર્થ તેઓ માત્ર આસમાનથી વાતો કરે છે જમીન પરથી નથી કરી રહ્યા. તેઓએ FB કે યુટ્યુબ જેવી શોશિયલ મિડીયા એપ પર નાંખતા પહેલા તપાસ કરાવવાની હતી તેમ છતાં એમને ગંદકી જ લાગી હોય અને તેઓ માને  કે સરપંચ દ્વારા કે વહીવટીતંત્ર દ્વારા કામ થયેલ નથી તો તેઓ એક સામાજિક કાર્યકર્તા તરીકે પોતાનો કિંમતી સમયનુ બલિદાન આપી 25-30 માણસોને ભેગા કરી તેની સફાઇ કરાવતા. તેના બદલે તેમણે  FB પર જે ગામના રોડનુ ચાલુ કામને ગામની ગંદકી બતાવી ગામની તથા સરપંચની છબિને હાનિ પહોંચાડવાનુ કથિત કાર્ય કર્યું. 
ચાલુ કામને કોઇ પણ પ્રકારની તપાસ વગર FB  પર ચડાવી ગામને કે સરપંચની છબિને નુકશાન પહોંચાડવાનુ કાર્ય એક સામાજિક કાર્યકર્તા ના કરે. અને હાલ ઇલેકશનના માહોલમાં તેઓ લગભગ 2 વર્ષ જુનુ વિડીયો, ફોટોગ્રાફ અને ઓડિયો વાયરલ કરી એક સામાજિક કાર્યકર્તા તરીકે શું સંદેશો પાઠવી રહ્યા છે?? 2 વર્ષો બાદ આ ઓડિયો ઇલેકશનના સમયે જ કાવીની જનતા અદાલતમાં ન્યાય માંગવાના બહાને મૂકવાનો અર્થ શું સમજવો?? તેના સીધા જવાબમા કહુ તો તેઓના આ કાર્યથી તેઓ સામાજિક કાર્યકર્તાને બદલે વિધ્નસંતોષી વધારે હોય તેવુ કૃત્ય એમના દ્વારા કરવામા આવ્યુ.
એક સામાજિક કાર્યકર્તા ફક્ત અને ફક્ત ગામના વિકાસ અને ગામના લોકોના ઉદ્ધાર માં તેમજ ગામના વહીવટીતંત્રને મદદરૂપ થાય તેને કહે છે.. એક સાચો સામાજિક કાર્યકર કોઈ દિવસ ચૂંટણી સમયે ગામના વાતાવરણમાં અરાજકતા ફેલાય અને ગામની શાંતિભંગ થાય તથા લોકો ગુમરાહ થાય તેવી અધૂરી માહિતી ક્યારેય પ્રસ્તુત ના કરે.. એનો સીધો મતલબ એ થાય છે કે તેઓ સામાજિક કાર્યકર તો નથીજ.
અધૂરી સચ્ચાઈ એ પુરા જૂથ કરતા પણ વધારે ઘાતક હોય છે. તે વાત નેં તેઓ સારી રીતે જાણે છે માટે જ તેઓ લોકોને ભ્રમિત કરવા માટે અધૂરી ઘટના પ્રસ્તુત કરી વિપક્ષ નો પ્રચાર કરવાની કોશિશ કરી રહ્યા છે. ગામનુ શાંત વાતાવરણ ડહોળવાને બદલે તેઓને મારો એક સંદેશ છે કે આસમાનમાથી વાતો કરવાને બદલે જમીન પરથી રીપોર્ટીંગ કરો અને ગામને બદનામ કરવાની જગ્યાએ ગામના વિકાસમા સરપંચ તથા વહીવટીતંત્રને મદદરૂપ થાવ..

લિ. કાવી ગામનો એક જાગૃત નાગરીક
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          ઉપર ના મેસેજ સોશિયલ મિડીયા માં વાયરલ કરેલ ત્યારબાદ મારા તરફથી વોટસએપ ઓડિયો કરેલ.  

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      તા.૧૮ ડિસેમ્બર ૨૦૨૧ (૦૯:૦૦Pm)
જનતા સાવધાન... 🙏

અમુક વિઘ્નશંતોષી તત્વો સમાજસેવા અને વતન પ્રેમની આડમાં સત્તાપક્ષ સાથે પોતાની અંગત અડાવતોનો બદલો લેવાના હેતુથી ગામમાં એકતા ભાઈચારો અને શાંતિને ખતમ કરવાનાં નાપાક ઈરાદાઓ સાથે ગામમાં અરાજકતા અને અશાંતિનું વાતાવરણ ઉભું કરવા માટે ગામની ભોરીભારી જનતાને ભ્રમિત કરી રહ્યા છે. તેમજ સત્તાપક્ષના વિરૂધ્ધમાં ખોટા વાહિયાત ગ્લોબલ પ્રચારો ફેલાવીને ગામના વાતાવરણનેં ડોહારાવવાની નાપાક કોશિશો કરી રહ્યા છે. માટે કાવીની જનતાને નમ્ર થી અતિનમ્ર અપીલ કરવામાં આવે છે કે તેઓ ખુબ સાવધાની અને સાવચેતી રાખે. અને કોઈ વિઘ્નશંતોષી આપણો મિત્ર... ભાઈ... સગો... કે પડોશી બનીને આપણને ગુમરાહ નાં કરીજાય અને ભ્રમિત નાંકરી જાય તેની ખાસ તકેદારી રાખે... 🙏

અત્યારે આ વિઘ્નશંતોષી તત્વો સત્તાપક્ષને અન્યાયિ અને અત્યાચારી તરીકે સંબોધવાની અને આપ ભોરી જનતાના મનમાં જહેર ભરવાની કોશિશો કરશે... અને સાથે સાથે મોદીની જેમ 15 લાખ વારા સપના બતાવીને તમને બેવકૂફ બનાવવાની અને લાલચમાં પરોવવાનાં નાપાક સડયંત્રો પણ કરશે. આવા કટોકટી અને અતિમહત્વનાં સમયે જનતાને મારી અપીલ અને વિનંતિ છે કે તેઓ ધીરજ અને સમજદારી પૂર્વક ખુબ શાંતીથી નિર્ણય લે... અને ગામ હિતમાં નિર્ણય લઈને આ વિઘ્નશંતોષી તત્વોના સડયંત્રો અને જુઠા પ્રલોભનો નેં નાકામયાબ કરીને એક જાગૃત અને સાચા નાગરિક તરીકે પોતાની એક આગવી ઓરખ બનાવે. અને ગામના વિકાસ તેમજ એકતા ભાઈચારો અને શાંતીનો માહોલ વર્ષોથી બનાવી રાખનાર અને જારવી રાખનાર પાર્ટીને સાથ સહકાર આપીને આ વિઘ્નશંતોષીઓ સામેની જંગમાં વિજયી થવા માટે આપનાં કિંમતી મતોનું દાન આપીને આ જંગ નાં ભાગીદાર અને સહયોગી બને...

🙏આભાર 🙏

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*મારૂ ગામ કાવી મારૂ ગૌરવ છે*
      તા.૨૨ ડિસેમ્બર ૨૦૨૧ 
     ✒️  Huzaifa Patel 
           Dedicated Worker
 
      ગામના તમામ લોકોની સલામતી બાદ ગામ પંચાયત ની ચુંટણીનું પરિણામ આપણા ગામ કાવી મા આવી ગયું  છે, પરિવર્તન થયું છે, પણ તેની સાથે ગામ પંચાયતમાં જીત મેળવેલ તમામ વોર્ડ ના સભ્યો અને ખાસ સરપંચના જીતેલ ઉમેદવાર ને મારી નમ્રતા પુર્વક અપીલ છે, આપણા ગામને શૈક્ષણિક,અને સામાજિક એક્તા અને ન્યાય જેવા પ્રશ્નો ને ધ્યાન કરી વહેલા માં વહેલી ટકે ગામ પંચાયત તરફ થી તેની સત્તામાં આવતી અલગ અલગ ક્ષેત્રે ની સમિતિઓ બનાવી સમાજના દરેક વર્ગના લોકોને પ્રજાતંત્ર ના ફાયદાઓથી આપણા દેશના સંવિધાન અને કાયદા કાનૂન ઉપર ભરોસો વધે તેવા પ્રયાસ માટે કાર્ય કરે તેવી આશા અને ઉમ્મીદ રાખી આ મેસેજ સોશિયલ મિડીયામાં શેર કરી રહેલ છુ.

   સૌપ્રથમ ગામની પંચાયત તરફથી ગામના સારા ભવિષ્ય માટે *"સામાજિક ન્યાય સમિતિ"* બનાવી પોતાનું  કાર્ય આગર વધારવાનો પ્રયત્નો કરતા રેહશે તેવી આશા રાખુ છુ.

    ગણા એવા કાર્ય જે પ્રથમ તબક્કામાં કરવા જરૂરી છે જેના ઉપર ગામના દરેક વર્ગને સાથે લઈને પુરા કરવા તરફ પોતાનું  કાર્ય આગળ વધારી જનતાના વિશ્વાસને જરૂર ધ્યાન રાખશે એજ આશા. . . . .

Thursday, 16 December 2021

આમોદ કાંકરીયા ગામ ધર્મ પરિવર્તન .


તા.૧૬ ડિસેમ્બર ૨૦૨૧ સોશિયલ મિડીયા વાયરલ પોસ્ટ લિંક.

social active foundation SAFTEAM GUJ.

Sunday, 12 December 2021

हमारे भारतीय संविधान ने क्या दिया उसकी विशेषता और देशके नागरिकों के लिये बाबा साहेब की दुरअंदेशी समझे.


SAFTEAM   🖋  Huzaifa Patel (Dedicated Worker)    Date:12 Dec 2021

        भारतीय संविधान भारत देशके नागरिकों के लियर जीवन रेखा हे,जिवन जिनेका सहारा हे, संविधान हमारी लाइफ लाईन हे, जैसे इन्सान को ओक्सिजन की जरूरत होती हे, वैसे मनुष्य को अच्छी जिंदगी जिने के लोये सामाजिक व्यवस्था की जरुरत होती हे, जैसे इन्सान को सांस लेने के लिये शुद्ध हवा की जरुरत हे, वैसे मानवजाति को सामाजिक व्यवस्था जरुरी होती हे, अगर वातावरण मे प्रदुषण फैलाया जाये यो शुद्ध हवा बिगाड़ जायेगी जिसकी वजाह से इन्सान का सांस लेना मुश्किल होगा,वैसे लोकतांत्रिक देश को चलाने के लिये , संविधान विरोधी ताकतें सत्तापर कबजा कर लेगी उसके बाद लोगों को संविधान के माध्यम से मिले अधिकार और कानून खतम कर दिये जायेगें,जैसे आज हमारे भारत देशकी परिस्थितियां देख सकते हे.

संविधान ने भारतीय नागरिकों  विशेष  अधिकार के साथ सामाजिक एकता के लिये बहोत महत्वपूर्ण कानून बनाये हे,जिसके कुच हम यंहा चर्चा करेंगे,जानेंगे।

    सबसे पहेले हमे संविधान निर्माता र्डा. बाबा साहेब के संघर्ष द्वारा मिले विशेष अधिकार को लेकर र्डा. बाबा साहेब को हमेशा याद रखना जरुरी हे.

    "र्डा बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान को 22 भागों मे हिस्सों मे रखा हे" इसकी जानकारी रखना जरुरी हे, हम आगे कुच खास विशेष अधिकार जिसपर हमे खास ध्यान करना और उस समय जब ये लिखे जा रहे थे उस परिस्थितियों का अभ्यास करना जरुरी हे,उसके बारें मे फिर कभी चर्चा करेंगे.

      आज हम इस लेख मे आर्टिकल 19 से  32 के कानून की खास विशेषता जानेंगे.

   आ.12   मे खास स्टेट को लेकर कानून बनाये गये.  इस अनुच्छेद 12 की और जानकारी के लिये यंहा क्लिक करे.


    

क्या आप जानते हैं कि 1949 में संविधान सभा ने जो संविधान पारित किया था, उसमें 395 अनुच्छेद और 22 खंड थे? इतने बरसों में, कई अनुच्छेद और खंड जुड़ते गए। मौजूदा संविधान में 444 अनुच्छेद और 25 खंड है। ज्यादातर लोगों के लिए सभी अनुच्छेद और उनके प्रभाव को जानना या याद रखना संभव नहीं है। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेदों के बारे में हर भारतीय को जानकारी होनी चाहिए।

संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेद की सूची

अनुच्छेद 2 संसद को नए राज्य स्थापित करने या उन्हें स्वीकार करने की अनुमति देता है;

अनुच्छेद 3 में नए राज्यों की संरचना, बदलाव या नामकरण की अनुमति दी गई है;

अनुच्छेद 5-11 में नागरिकता के अधिकार दिए गए हैं, जो उसी समय के है जब पहली बार संविधान बना था। जो लोग पाकिस्तान से भारत आए, जो भारत से पाकिस्तान गए, भारत में रहने वाले नागरिकों के साथ ही विदेशी नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय नागरिकता त्यागने और नागरिकता के अधिकारों को जारी रखने से जुड़ी जानकारियां हैं।

अनुच्छेद 12 – अनुच्छेद35 में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की जानकारी है।

यह जानना बेहद जरूरी है कि संविधान सभी नागरिकों पर लागू होने वाले कुछ अधिकारों की गारंटी देता है, जिन्हें हम मौलिक अधिकार कहते हैं। इन अनुच्छेदों में शामिल हैः (14-15) समानता का अधिकारः धर्म, जाति, नस्ल, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव को रोकता है; (16) सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार के लिए समानता का अधिकार देता है; (17) अस्पृश्यता का अंत; (18) उपाधियों का अंत; (19) स्वातंत्र्य का अधिकारः नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्त करने की आजादी है, बिना हथियारों के और शांतिपूर्वक जमा होन का अधिकार है, एसोसिएशन या यूनियन बनाने का अधिकार है, भारत के किसी भी हिस्से में बिना किसी रोक–टोक के घूमने का अधिकार है, भारत के किसी भी हिस्से में रहने या बसने का अधिकार है, किसी भी व्यापार, कारोबार या पेशे के अपनाने का अधिकार है; (21) जीवन और व्यक्तिगत आजादी का संरक्षण; (21ए) शिक्षा का अधिकारः 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।

कई इलाकों में, अभिभावक मुफ्त शिक्षा के अधिकार के बारे में नहीं जानते, इस वजह से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। (23-24) शोषण के खिलाफ अधिकारः मानव तस्करी और बंधुआ या जबरदस्ती मजदूरी कराने पर प्रतिबंध। अक्सर देखा गया है कि इस अधिकार की अनदेखी होती है और पीड़ितों का शोषण किया जाता है। (25-28) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकारः नागरिकों को किसी भी धर्म को अपनाने या प्रचार करने का अधिकार है; अनुच्छेद 36-50 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है।

नीति निदेशक तत्वों में मानव कल्याण और सभी नागरिकों को समान न्याय, स्वास्थ्य और पोषण देने के लिए राज्य के दायित्वों का उल्लेख किया गया है। एससी/एसटी और अन्य कमजोर तबकों के कर्मचारियों के कल्याण, कृषि और पशु पालन को बढ़ावा और प्रोत्साहन, स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव, वन और पर्यावरण की सुरक्षा, कार्यपालिका से न्यायपालिका को पृथक करने, और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा और प्रोत्साहन देना शामिल है।

अनुच्छेद 51 में नागरिकों के बुनियादी दायित्वों को विस्तार से समझाया गया है। अनुच्छेद 52-151 खंड 4 में संघ (52): भारत के राष्ट्रपति; (53): संघ की कार्यकारी शक्तियां; (54): राष्ट्रपति का चुनाव; (55): राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका; (56): राष्ट्रपति के कार्यालय की अवधि; (61): राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की प्रक्रिया; (63): भारत के उपराष्ट्रपति; (64): उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना; (65): राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उनकी अनुपस्थिति में उप–राष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उनके कार्यों का निर्वहन; (72): राष्ट्रपति की किसी दोषी की सजा को निलंबित करने, माफ करने या उसकी अवधि कम करने की शक्ति;

               PUNYA PRASUN BAJPAI  का सांसद की कार्यनीति को लेकर विडियो देखे .


(79): संसद का गठन; (80): राज्यों की सभा– राज्यसभा की संरचना, इसे ऊपरी सदन भी कहा जाता है; (81): लोगों के सदन– लोकसभा की संरचना, जिसे निचला सदन भी कहा जाता है; (83): संसद के सदनों की अवधि; (93): लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष; (100): सदनों में मतदान, रिक्तयों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और कोरम; (102): संसद के किसी भी सदन से किसी सदस्य की सदस्यता को अयोग्य घोषित करना; (105): इस अनुच्छेद में संसद के दोनों सदनों, उसके सदस्यों और समितियों के विशेषाधिकारों, शक्तियों की जानकारी दी गई है; (107): विधेयक को प्रस्तुत करने और पारित करने की प्रक्रिया और प्रावधान दिए गए हैं।

(108): कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठकः विवादित विधेयकों के पारित होने को लेकर अनुच्छेद 107 और 108 का जिक्र अक्सर होता है। (109): धन विधेयक या मनी बिल्स को पारित करने की प्रक्रिया स्पष्ट की गई है। लोकसभा में पारित होने के बाद यह विधेयक राज्यसभा में जाते हैं। वहां से सुझावों–सिफारिशों और मंजूरी के बाद यह विधेयक लोकसभा में लौटता है, जो सिफारिशों को मंजूरी के बिना भी उसे पारित कर सकता है।

(110): धन विधेयक को परिभाषित किया गया है; (112): वार्षिक वित्तीय विवरण, इसे सालाना बजट भी कहा जाता है, जो संसद में वित्त मंत्री पेश करते हैं; (114): विनियोग विधेयक; (123): संसद के विश्रांति काल में अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति की जानकारी देता है; (124): उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन; (126-147): भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, उच्चतम न्यायालय की भूमिका और कार्यप्रणाली; (148-151): इसके दायरे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति, उसकी भूमिका और जिम्मेदारियों के साथ ही अंकेक्षण रिपोर्ट देने की जानकारी आती है।

अनुच्छेद 152-237, खंड 6 में राज्यों के संबंध में उपबंध दिए गए हैं। (152-161): इसके तहत राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति, दायित्वों और कामकाज को विस्तार से समझाया गया है; (163): इसमें मंत्रि परिषद की राज्यपाल को सहयोग व सलाह देने की भूमिका का उल्लेख है; (165): राज्यपाल द्वारा राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति की प्रक्रिया को विस्तार से दिया है; (170): राज्य के विधान मंडलों की संरचना की जानकारी दी गई है; (171): इसमें राज्य के विधान परिषदों की संरचना की जानकारी दी गई है; (194): विधान–मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों तथा समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकारों की जानकारी दी गई है; (214-237): उच्च न्यायालय और उसके क्षेत्राधिकार, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, निचली अदालतों पर नियंत्रण आदि को इन अनुच्छेदों में परिभाषित किया गया है। (239-242): इस प्रावधान में केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया गया है; (243 ए–ओ): पंचायतों और ग्राम सभा की परिभाषा, संचरना और कामकाज की जानकारी दी गई है।

अनुच्छेद 245-263, खंड 9 में संघ और राज्यों के संबंधों को शामिल किया गया है। (245): संसद और राज्यों के विधान–मंडलों की ओर से बनाए गए कानूनों का विस्तार; (257): संसद और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा किए गए कानूनों का विस्तार; (246): सामान और सेवा कर के संबंध में कानून बनाने के लिए राज्य विधानसभा और संसद की शक्ति; (249): राज्य सूची में के विषय के संबंध में राष्ट्रीय हित में विधि बनाने की संसद की शक्ति यदि राज्यसभा द्वारा 2/3 बहुमत के साथ एक प्रस्ताव पारितकिया जाता है; (250): आपात की स्थिति में जीएसटी के लिए कानून बनाने के लिए संसद के पास शक्ति; (257): कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण।

अनुच्छेद 268 (संशोधित): औषधीय और शौचालय की सामग्री पर उत्पाद शुल्क राज्य सूची में शामिल किया जाएगा और इस पर जीएसटी कम लगेगा।

अनुच्छेद 268 ए (निरस्त): इसे निरस्त कर दिया गया है क्योंकि जीएसटी में सेवा कर कम हो गया है।

अनुच्छेद 269 ए: यह जीएसटी के तहत अंतर-राज्य व्यापार से संबंधित प्रावधान, यह कर का संग्रह और संघ एवं राज्यों के बीच कर के आवंटन के प्रावधानों से संबंधित है।

अनुच्छेद 279-ए: यह अधिनियम के लागू होने के साठ दिनों के भीतर राष्ट्रपति द्वारा जीएसटी परिषद के संविधान से संबंधित है।

अनुच्छेद 324-329 में चुनावों से जुड़ी कार्यप्रणाली को सविस्तार समझाया गया है।

अनुच्छेद 330-342 के दायरे में एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यकों के लिए किए गए विशेष प्रावधान शामिल है।

अनुच्छेद 343-351 के दायरे में संघ और राज्यों की राजभाषा, उच्चतम और उच्च न्यायालय की भाषा और हिंदी भाषा के विकास के बारे में बात की गई है।



अनुच्छेद 352-360; (352): आपातकाल की उद्घोषणा। इसके दायरे में वह प्रावधान आते हैं, जिनके तहत आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। 1975 में आपातकाल लगाने के दौरान, इसे और इससे जुड़े अनुच्छेदों का इस्तेमाल किया गया था और इस पर लंबे समय तक चर्चा भी होती रही है; (356): इसके तहत राज्यों में संवैधानिक व्यवस्था नाकाम रहने की स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों की चर्चा की गई है। हाल ही में उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों को इसी अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए बर्खास्त किया गया था। यह बात अलग है कि उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से दोनों राज्यों में फिर सरकारें बहाल हो गईं। (360): इसके तहत राष्ट्रपति के पास अधिकार है कि वह वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकता है।

अनुच्छेद 368 के तहत राज्य सूची के कुछ मामलों के संबंध में कानून बनाने के लिए संसद को सत्ता प्रदान करता है जैसे कि अगर वे समवर्ती सूची के तहत महत्वपूर्ण हो।

अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू–कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया गया है। जम्मू–कश्मीर से जुड़े मसलों में यह अनुच्छेद अक्सर चर्चा में आता है।

अनुच्छेद 371: महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 क: नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 ख: असम राज्य से संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 ग: मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 घ: आंध्र प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 च: आंध्र प्रदेश के केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंध

अनुच्छेद 371 छ: सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 ज: मिजोरम राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 झ: अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371 व: गोवा राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान, राज्य की विधान सभा में तीस से कम सदस्य नहीं होने चाहिए।

अनुच्छेद 372: के तहत मौजूदा कानून का बना रहना और उनका अनुकूलन तब तक लागू रहेगा जब तक कि बदले, निरस्त या संशोधित न हो।

अनुच्छेद 372 ए: के तहत निरस्त या संशोधन के माध्यम से कानूनों का अनुकूलन और संशोधित करने के लिए राष्ट्रपति की शक्तियों को शामिल किया जाता है।

अनुच्छेद 373: यह कुछ मामलों में प्रतिबंधित रूकावट में व्यक्तियों के संबंध में आदेश देने के लिए राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है।

अनुच्छेद 374: इसमें संघीय न्यायालय के न्यायाधीशों और संघीय न्यायालय में या परिषद महामहिम के समक्ष लंबित कार्यवाही के संबंध में प्रावधान शामिल है। यह बताता है कि संघीय न्यायालय के न्यायाधीश जो संविधान के शुरू होने से पहले कार्य कर रहे थे, उसी पद पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बन जाएंगे। संघीय न्यायालय में लंबित नागरिक और आपराधिक दोनों मामलों में, अपील और कार्यवाही संविधान के शुरूआती नियम को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटा दिया जाएगा।

अनुच्छेद 375: के तहत न्‍यायालयों, प्राधिकारियों और अधिकारियों से संबंधित है जो संविधान के प्रावधानों के अधीन कार्य करना जारी रखेंगे।

अनुच्छेद 376: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के संबंध में प्रावधान।

अनुच्छेद 377: भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक से संबंधित प्रावधान

अनुच्छेद 378: लोक सेवा आयोग से संबंधित प्रावधान

सूचना: यह लेख 15 जुलाई 2016 को देबू सी द्वारा लिखा गया है। इस लेख में निहित जानकारी हाल ही में अपडेट की गई है।

संविधान को लेकर और जानकारी के लिये आप इस लिंक पर जाकर जानकारी प्राप्त करे.




      

Saturday, 11 December 2021

10 December 2021 साउदी हुकूमत ने तबलिग जमात पर लगाये इल्ज़ाम, इस्लामिक दुनिया मे दिन को लेकर वैचारिक जंग का आगाज.

SAFTEAMGUJ
Date:12 Dec 2021 
Huzaifa patel


शुरू करते हे अल्लाह के नाम से आज इस लेख मे हम इस्लामिक दुनिया मे 21मी सदी की बहोत ही हैरत कर देनेवाली खबर पर चर्चा करेंगे.

 9 Dec 2021 के दीन  साउदी हुकूमत ने हुकमरान की तरफ से Twitter पर पोस्ट की गई जिसमे साउदी हुकमत मे आने वाली तमाम मस्जिदों मे जुम्मा के दिन तबलोग जमात को लेकर खुत्बा देना हे,अगर कीसी मस्जिद का इमाम खुत्बा नही देता हे तो उसको सजा देने का फरमान सुनाया गया.
Twitter की पोस्ट


इस Twitte के बाद जैसे दुनिया मे भुचाल आ गया आप नोध करे, तबलिग जमात पर देहस्त गरदी का और गुमराह कुन जमात होनेका आरोप लगाया गया हे.

इस घटना के बाद हमारे मुल्क के कुच युटुबर मोलानाओ ने अपनी बात रखी हे उसकी लिंक यंहा शेर करता हूँ। 

10 Dec 2021 जुम्मा के दिन तबलिग जमात के विरोध मे हुकूमत की तरफसे खुत्बे करवाना ये दज्जाली फित्ना नही तो क्या हे? 
इस बात को प्रमाणित करने के लिये मे निचे जो लिंक शेर कर रहा हूं जरुर देखे.
साउदी अरब की हुकूमत क्या करना चाहती हे? देखेने के लिये निंचे दिये गये विडियो पर क्लिक करे.



          Social Media Viral Message 
[English translation of the Press Note issued by Darul Uloom Deoband, India on Tablighi Jamaat] 

(On its official letterhead) 

Ref: 237       Date: 12-12-21

Press Note

Shaikhul Hadith Maulana Mufti Abul Qasim Nomani, the Vice Chancellor (Mohtamim) of Darul Uloom Deoband, while expressing his concern over the campaign against the Tablighi Jamaat by the Kingdom of Saudi Arabia (KSA), said that Hazrat Maulana Muhammad Ilyas (ra) was one of the disciples of Shaikhul Hind Hazrat Maulana Mahmood Hassan (ra). He founded the Tablighi Jamaat under which the sincere efforts of the Akabir (elders) have been successful on religious practices and social well being of people. Despite small differences, the Jamaat is working on its mission and is spread across the globe. Allegations of polytheism, heresy and terrorism against the Tablighi Jamaat in general and groups or individuals associated with it are absolutely meaningless and baseless. Darul Uloom Deoband condemns such allegations and appeals to Saudi Arabia to reconsider its stand and refrain from such campaign against Tablighi Jamaat.

(Signature) 
(Maulana Mufti) Abul Qasim Nomani,
Mohtamim: Darul Uloom Deoband
DT. 12-12-2021

مؤتمر صحفي يصدره رئيس الجامعة دار العلوم ديوبند،بالهند

أصدر الشيخ المفتي أبو القاسم النعماني حفظه الله، رئيس دار العلوم ديوبند وشيخ الحديث بها، بيانا أعرب فيه عن قلقه البالغ من إجراءات غير مبررة  للمملكة العربية السعودية ضد جماعة التبليغ . وأكد قائلا:إن الشيخ محمد إلياس -رحمه الله- كان من تلاميذ شيخ الهند، المجاهد الباسل الشيخ محمود حسن الديوبندي.أسس الشيخ إلياس -رحمه الله- جماعةَ التبليغ التي نفعت الشعب دينياً و عملياً بفضل الجهود المخلصة التي بذلها العلماء الكبار عن طريق هذه الحركة الدعوية العالمية. وعلى الرغم من بعض الاختلافات الفرعية ، تواصل الجماعة عملها على تحقيق مهمتها. قد انتشر المنهج الدعوي  لهذه الجماعة  الدعوية في جميع بلدان العالم شرقا وغربا. أقول بكل صراحة: إن ادعاءات الشرك والبدعة والإرهاب ضد الجماعة و أعضائها مجوفة مفبركة لاتقوم على أي أساس . دارالعلوم ديوبند تندد هذه الإجراءات و تطالب المملكة العربية السعودية بإعادة النظر في أصدرت مت بيان غير مدروس على الإطلاق و أن تمتنع عن مثل هذه الإجراءات ضد جماعة التبليغ.

(الشيخ المفتي) ابو القاسم النعماني
رئيس دارالعلوم ديوبند
التاريخ: ١٢/ديسمبر ٢٠٢١

#DarulUloomDeoband #TablighiJamaat #saudiarabia #IndianMuslims



   इस रिपोर्ट मे अभी बहोत सी बातें जोडना बाकी हे.

10 Dec मानव अधिकार दिवस .

 इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए, अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानी यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है. पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है.
जिसके उद्देश्य नौकरशाही पर रोक लगाना, मानव अधिकारों के हनन को रोकना तथा लोक सेवक द्वारा उनका शोषण करने में अंकुश लगाना। मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आज़ादी खोखली है मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई है। विश्वभर में नस्ल, धर्म, जाति के नाम मानव द्वारा मानव का शोषण हो रहा है। अत्याचार एवम जुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हैं। हमारे देश में स्वतंत्रता के पश्चात् धर्म एवम जाति के नाम पर भारतवासियों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है। आदमी गौर हो या काला, हिन्दू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, हिंदी बोले या कोई अन्य भाषा सभी केवल इंसान हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानवाधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार है। मानव अधिकार का मतलब ऐसे हक़ जो हमारे जीवन और मान-सम्मान से जुड़े हैं। ये हक़ हमें जन्म से मिलते हैं, हम सब आज़ाद हैं। साफ़ सुथरे माहौल मैं रहना हमारा हक़ है । हमें इलाज़ की अच्छी सहूलियत मिले। हमें और हमारे बच्चों को पढाई-लिखाई की अच्छी सहूलियत मिले। पीने का पानी साफ मिले। जाति, धर्म, भाषा-बोली के कारण हमारे साथ भेदभाव न हो। हमें हक़ है की हम सम्मान के साथ रहें। कोई हमें अपना दस या गुलाम नहीं बना सके। प्रदेश में हम कहीं भी बेरोकटोक आना-जाना कर सकते हैं। हम बेरोकटोक बोल सकते हैं, लेकिन हमारे बोलने से किसी के मान-सम्मान को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। हमें आराम करने का अधिकार है। हमें यह तय करने का अधिकार है की हमारे बच्चे को किस तरह की शिक्षा मिले। हर बच्चे को जीने का अधिकार है, उसे अच्छी तरह की शिक्षा मिले। यदि हमें हमारा हक़ दिलाने मैं सरकारी महकमा हमारी मदद नहीं कर रहा है तो हम मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर सकते हैं। आयोग में सीधे अर्जी देकर शिकायत कर सकते हैं।इसके लिए वकील की जरूरत नहीं है। शिकायत किसी भी भाषा या बोली में कर सकते हैं हिंदी में हो तो अच्छा है। शिकायत लिखने के लिए कैसे भी कागज़ का इस्तेमाल करें, स्टैम्प पेपर की कोई जरूरत नहीं होती। आयोग के दफ्तर में टेलीफोन नम्बर पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
आपको यह जानकर खुशी होगी कि मानव अधिकार की टीम लगातार समाज से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य कर रही है जिनमें से प्रमुख हैं-
1.    सभी गरीब बच्चों, महिला, बुजुर्ग व विक्लांग व्यक्तियों के लिऐ समान शिक्षा, मुफ्त  स्वास्थ्य जांच कैम्प लगाना और दवाईयां तथा उपकरण उपलब्ध कराना।
2.    सामाजिक बुराई के खिलाफ पहल करना और बुलंद आवाज उठाना तथा पीड़ितों  को बुराई से निज़ात दिलाना।
3.    बाल व बन्धुआ मजदूरी के अत्याचार से मुक्ति दिलाना।
4.    बच्चों, महिलाओं तथा बुजुर्गो की रक्षा के लिये काम करना।
5.    समाज के लिये योगदान करने वाली हस्तियों को समय-समय पर पुरूस्कृत करके  उनका सम्मान करना।
6.    समाज व हर वर्ग के लोगो के साथ मिलकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना।
7.    जनता तथा पुलिस के बीच में सहयोग का पुल बनाना तथा पीड़ितों को न्याय दिलाना।
8.    नए शिक्षा संस्थान, अस्पताल व अनाथ आश्रम खोलना और अन्य आश्रमों की देख-रेख करना।
9.    भ्रूण हत्या पर हर सम्भव रोक लगाना व उनके खिलाफ आवाज उठाना।
10.  हर वर्ग के कमज़ोर व्यक्ति को समाज में न्याय दिलाना।

हमारी समाज के हर व्यक्ति से अपील व प्रार्थना है कि-

आइये, हमारे साथ जुड़िये और समाज सेवा का हिस्सा बनिये। हम और हमारी टीम हर वक्त, हर समय आपकी सेवा में तत्पर है और हम सबके सहयोग के साथ काम करेगें। हमारा हर सम्भव प्रयास रहेगा कि हर वर्ग का व्यक्ति भय एवं भूख से मुक्त होकर सुख शांती और सम्मान से जी सके। यही मानव अधिकार है।
www.nhrsjc.org

National Human right's social justice commission 
National secretary  (minority cell)
Alamgeer A.R.RAHMANI.





Thursday, 9 December 2021

ગ્રામ પંચાયતોની સામાન્ય ચૂંટણી-૨૦૨૧ ચૂંટણીમાં ૬૨ ગ્રામ પંચાયત. સંપૂર્ણ બિનહરિફ (સમરસ)

 ગ્રામ પંચાયતોની સામાન્ય ચૂંટણી-૨૦૨૧  ભરૂચ જિલ્લાની ૪૮૩ ગ્રામ પંચાયતની ચૂંટણીમાં ૬૨ ગ્રામ પંચાયત. સંપૂર્ણ બિનહરિફ (સમરસ)

ભરૂચ તાલુકામાં સૌથી વધુ ૧૨ ગ્રામ પંચાયત સમરસ 
આગામી તા.૧૯મી ડીસેમ્બરે ભરૂચ જિલ્લાના નવ તાલુકાઓમાં કુલ ૪૮૩ ગ્રામ પંચાયતની ચૂંટણી યોજાનાર છે. જિલ્લામાં ૬૨ ગ્રામ પંચાયત સંપૂર્ણ બિનહરિફ (સમરસ) થયેલ ગ્રામ પંચાયતોની વિગત નીચે મુજબ છે. 
    ભરૂચ જિલ્લાના ઝઘડીઆ તાલુકામાં ૭૪ ગ્રામ પંચાયતોની ચૂંટણીમાં ૭ ગામ સમરસ થયેલ છે જેમાં વંઠેવાડ, મોટાવાસણા, નાનાવાસણા, ઉચ્છબ, ધારોલી, ઓર-પટાર ગૃપ, જેશપોર ગૃપ ગામોનો સમાવેશ થાય છે. 
અંકલેશ્વર તાલુકામાં ૪૩ ગ્રામ પંચાયતોની ચૂંટણીમાં ૮ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ છે જેમાં અમૃતપરા, ખરોડ, હરીપુરા, પારડીઇદ્રીસ, મોતવાણ, ભાદી, છાપરા, કરમાલી ગામોનો સમાવેશ થાય છે.
હાંસોટ તાલુકાની ૩૬ ગ્રામ પંચાયતની ચૂંટણીમાં ૯ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ છે જેમાં ધમરાડ, અલવા, જેતપોર, વઘવાણ, વાલનેર, દંત્રાઇ, આંકલવા, કુદાડરા, ડુંગરા ગામોનો સમાવેશ થાય છે. 
વાગરા તાલુકાની ૬૦ ગ્રામ પંચાયતની ચૂંટણીમાં ૧૧ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ છે જેમાં ગંધાર, બદલપુરા, નાંદરખા, સુતરેલ, પખાજણ, મોસમ, વોરાસમની, અંભેલ, વિછીયાદ, સાચણ, સારણ ગામોનો સમાવેશ થાય છે.

    ભરૂચ તાલુકાની ૭૭ ગ્રામ પંચાયતની ચૂંટણીમાં ૧૨ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ છે જેમાં ભુવા, વડવા, મહેગામ, એકસાલ, અમલેશ્વર, કેસરોલ, નવેઠા, શેરપુરા, થામ, દહેગામ, મહુધલા, દેરોલ ગામોનો સમાવેશ થાય છે. 
    આમોદ તાલુકાની ૪૪ ગ્રામ પંચાયતની ચૂંટણીમાં ૭ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ છે જેમાં ફુરચણ, ઓચ્છણ, કરેણા, અડવાલા, સીમરથા, કોલવણા, ઈખર ગામોનો સમાવેશ થાય છે. 
જંબુસર તાલુકાની ૬૯ ગ્રામ પંચાયતની ચૂંટણીમાં ૮ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ છે જેમાં આસનવડ, વડદલા, સામોજ, આસરસા, કપુરીયા, રૂનાડ, નહાર અને થનાવા ગામનો સમાવેશ થાય છે.
ભરૂચ જિલ્લાના વાલીયા તાલુકામાં ૪૫ ગ્રામ પંચાયત અને નેત્રંગ તાલુકામાં ૩૫ ગ્રામ પંચાયતમાં એક પણ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ નથી. જિલ્લામાં કુલ ૬૨ ગ્રામ પંચાયત સમરસ થયેલ છે એમ જિલ્લા ચૂંટણીતંત્ર ધ્વારા જણાવાયું છે.

Friday, 3 December 2021

जानें पहाड़ तोड़ने वाले शख्‍स दशरथ मांझी के बारे में.




दशरथ मांझी, एक ऐसा नाम जो इंसानी जज्‍़बे और जुनून की मिसाल है. वो दीवानगी, जो प्रेम की खातिर ज़िद में बदली और तब तक चैन से नहीं बैठी, जब तक कि पहाड़ का सीना चीर दिया. जानें मांझी के बारे में:


दशरथ मांझी, एक ऐसा नाम जो इंसानी जज्‍़बे और जुनून की मिसाल है. वो दीवानगी, जो प्रेम की खातिर ज़िद में बदली और तब तक चैन से नहीं बैठी, जब तक कि पहाड़ का सीना चीर दिया.



जिसने रास्ता रोका, उसे ही काट दिया:
बिहार में गया के करीब गहलौर गांव में दशरथ मांझी के माउंटन मैन बनने का सफर उनकी पत्नी का ज़िक्र किए बिना अधूरा है. गहलौर और अस्पताल के बीच खड़े जिद्दी पहाड़ की वजह से साल 1959 में उनकी बीवी फाल्गुनी देवी को वक्‍़त पर इलाज नहीं मिल सका और वो चल बसीं. यहीं से शुरू हुआ दशरथ मांझी का इंतकाम. 



22 साल की मेहनत:
पत्नी के चले जाने के गम से टूटे दशरथ मांझी ने अपनी सारी ताकत बटोरी और पहाड़ के सीने पर वार करने का फैसला किया. लेकिन यह आसान नहीं था. शुरुआत में उन्हें पागल तक कहा गया. दशरथ मांझी ने बताया था, 'गांववालों ने शुरू में कहा कि मैं पागल हो गया हूं, लेकिन उनके तानों ने मेरा हौसला और बढ़ा दिया'.



अकेला शख़्स पहाड़ भी फोड़ सकता है!
साल 1960 से 1982 के बीच दिन-रात दशरथ मांझी के दिलो-दिमाग में एक ही चीज़ ने कब्ज़ा कर रखा था. पहाड़ से अपनी पत्नी की मौत का बदला लेना. और 22 साल जारी रहे जुनून ने अपना नतीजा दिखाया और पहाड़ ने मांझी से हार मानकर 360 फुट लंबा, 25 फुट गहरा और 30 फुट चौड़ा रास्ता दे दिया.



दुनिया से चले गए लेकिन यादों से नहीं!
दशरथ मांझी के गहलौर पहाड़ का सीना चीरने से गया के अतरी और वज़ीरगंज ब्लॉक का फासला 80 किलोमीटर से घटकर 13 किलोमीटर रह गया. केतन मेहता ने उन्हें गरीबों का शाहजहां करार दिया. साल 2007 में जब 73 बरस की उम्र में वो जब दुनिया छोड़ गए, तो पीछे रह गई पहाड़ पर लिखी उनकी वो कहानी, जो आने वाली कई पीढ़ियों को सबक सिखाती रहेगी.





social active foundation SAFTEAM GUJ.

Thursday, 2 December 2021

आचार संहिता क्या होता है?



चुनाव के समय आचार संहिता (Code of Conduct) लागू की जाती है जिसे चुनाव आचार संहिता भी कहते है, अधिकतर लोगों को आचार संहिता के विषय में जानकारी नहीं होती है, जिससे वह इसका उलंघन करते है | भारत (India) में जब भी चुनाव का आयोजन होता है, वहां पर आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) को लगाया जाता है | चुनाव की तारीखों के साथ ही इसकी घोषणा कर दी जाती है | यह नतीजे आने तक जारी रहती है | इस समय राजनीतिक दलों और राजनेताओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है | इन व्यापक धारा के लगने से दंगे व झगड़े जोकि चुनावी माहौल में बहुत ही आम बात है, नियंत्रण में कर लिया जाता है | इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया (ECI) मॉडल कॉड ऑफ़ कंडक्ट के नियमो को बड़ी सख्ती से पालन कराता है और किसी भी प्रकार की अनियमितता देखने पर तुरंत कार्यवाही करने का आदेश उस क्षेत्र के अधिकारी को देता है | यह सुनिश्चित भी करता है कि चुनाव सही प्रकार से सम्पन्न हो |

आचार संहिता क्या होता है (What is a code of conduct)?

आचार संहिता को भारतीय चुनावों का सबसे महत्वपूर्ण भाग माना जाता है | आचार संहिता चुनाव समिति द्वारा बनाया गया वो दिशानिर्देश होता है, जिसे सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना अनिवार्य है | आचार संहिता का अर्थ (Meaning of aachar sanhita in hindi) उन नियमो से है जो उस समय अस्तित्व में आते है और उनके द्वारा ही पार्टियों की कार्यप्रणाली पर नज़र रखी जाती है |


आचार संहिता के नियम कानून व प्रावधान (Code of Conduct Rules)

  • आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन के प्रयोग पर रोक लगा दी जाती है, जिससे किसी राजनीतिक दल या राजनेता को चुनावी लाभ न प्राप्त हो सके |
  • चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का प्रयोग नहीं किया जा सकता है |
  • मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए किसी भी तरह की सरकारी घोषणाओं, लोकार्पण, शिलान्यास पर रोक लगा दी जाती है |
  • पुलिस की अनुमति के बिना कोई भी राजनीतिक रैली नहीं की जा सकती है |
  • धर्म के नाम पर वोट की मांग नहीं की जा सकती है |
  • इस दौरान सरकारी खर्च से किसी भी प्रकार का ऐसा आयोजन नहीं किया जाता है जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ प्राप्त हो सके | राजनीतिक दलों के आचरण और क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक (Observer) नियुक्त करता है |

आचार संहिता कब लगती है | Duration of Code of Conduct

चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग के द्वारा की जाती है, इसके साथ ही आचार संहिता लागू कर दी जाती और यह चुनाव के परिणाम के साथ ही समाप्त हो जाती है | चुनाव के शुरू होने से पहले यह ECI द्वारा चुनावी क्षेत्र में लगा दी जाती है|


आचार संहिता से क्या होता है?

आचार संहिता का उद्देश्य पार्टियों के बीच मतभेद टालने, शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव कराना होता है | इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी राजनीतिक पार्टीकेंद्रीय या राज्य की अपने आधिकारिक पदों का चुनावों में लाभ लेने हेतु गलत प्रयोग न कर सके | इस प्रकार मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का माध्यम से चुनाव का समापन उचित प्रकार से करा लिया जाता है |

यहाँ पर आपको आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) क्या होता है, ये कब लगती है, Rules, अवधि के विषय में जानकारी दी गयी है | इस प्रकार की अन्य जानकारी के लिए आप http://hindiraj.com पर विजिट कर सकते है | अगर आप दी गयी जानकारी के विषय में अपने विचार या सुझाव अथवा प्रश्न पूछना चाहते है, तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से संपर्क कर सकते है |












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