मवाखाते मदीना
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अल्लाह के रसूल सलललाहो अलैहे वसल्लम जब हिजरत करके मदीना पहुंचे तो मदीना में तीन तरह के मुसलमान इकट्ठा हो गए
1- मदीना के असल बाशिंदे जिन्हें अंसार ए मदीना की उपाधि मिली यह लोग छोटे किसान थे और यहूदी साहूकारों के कर्ज के जाल में फंसे रहते थे कुछ बड़े किसान भी थे पर उनकी संख्या बहुत कम थी
2- मक्का से आए हुए कुरैश कबीला वाले इन लोगों का मुख्य पेशा व्यापार करना और जानवर पालना था इनकी आर्थिक स्थिति शुरू में अच्छी थी पर इस्लाम लाने के बाद बराबर बायकॉट का सामना करने की वजह से काफी गरीब हो चुके थे जो कुछ बचा था वह भी हिजरत करते समय मक्का वालों ने जबरदस्ती छीन लिया था
3- मक्का व मदीना दोनों जगहों पर गुलामों की एक बड़ी संख्या ने इस्लाम कबूल कर लिया था इन में हज़रत बिलाल हज़रत अम्मार बिन यासिर हज़रत सलमान फ़ारसी सोहैब रूमी जैसे लोग थे
तीनों तरह के लोग मुसलमान थे एक अल्लाह और रसूल पर ईमान रखते थे दीनी हैसियत से इन में कोई अंतर नहीं था
पर सब की मानसिक स्थिति , सोचने का अंदाज , और पेशे में महारत अलग-अलग थी
गुलाम समाज का सबसे कमज़ोर वर्ग होता है एक आजाद आदमी जैसी उस की सोच नहीं हो सकती ऐसा हो सकता था कि यह वर्ग दूसरे दोनों वर्गों में खो जाता या एहसास ए कमतरी का शिकार हो जाता
इस लिए अल्लाह के रसूल सलललाहो अलैहे वसल्लम ने मदीना पहुंचने के बाद इन तीनों ग्रुपों में भाई चारा करा दिया जिसे मुवाखाते मदीना का नाम दिया गया
अल्लाह के रसूल सलललाहो अलैहे वसल्लम ने बाकायदा एक एक आदमी का नाम ले कर ऐलान किया कि आज से फलां आदमी फलां आदमी का भाई है और वह उसकी जिम्मेदारी में है
मुवाखाते मदीना के फायदे
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1- हिजरत करके आने वालों के खाने और रहने का तुरंत बंदोबस्त हो गया
2- समाज के तीनों वर्ग आपस में एक हो गए और भेदभाव बाकी न रहा
3- समाज में किसान व्यापारी जानवर पालने वाले और मजदूर हर प्रकार के लोग मिल गए एक दूसरे के अनुभवों से फायदा उठाया और वही अंसारे मदीना जो कल तक यहुदी साहूकारों के कर्जदार रहते थे अब अपने मुहाजिर भाई के साथ मिलकर व्यापार करने लगे
व्यापारी भी खुद किसान भी खुद मजदूर भी खुद और उपभोक्ता भी खुद । इस तरह एक पूर्ण समाज विकसित हुआ जिसे बाहर वालों की जरूरत नहीं थी हज़रत उस्मान व हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ जैसे कुछ लोगों ने व्यापर में काफी तरक्की की और विदेशों से आयात व निर्यात करने लगे
4- गुलाम व आजाद भाई भाई हो गए एक घर में एक साथ रहने एक साथ खाने की वजह से गुलामों में जो भी हीनभावना थी निकल गई वह अलग-अलग देशों से गुलाम बना कर लाए गए थे अलग-अलग संस्कृति व सभ्यता से आए थे उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया जिस के कारण मुसलमानों में एक व्यापक सोच ने जन्म लिया गज़वा खंदक में इन्हीं गुलामों में से एक हज़रत सलमान फ़ारसी की राय पर खंदक खोदी गई जो अरब की युद्ध विधा के लिए एक नई चीज थी
मुवाखाते मदीना के परिणाम बहुत दूरगामी और व्यापक थे जिसे आम तौर पर बयान नहीं किया जाता है मुवाखाते मदीना का मकसद तुरंत बंदोबस्त या फ़ौरी इंतजाम ही सिर्फ नहीं था और न ही यह ग़रीबी उन्मूलन का कोई प्रोग्राम था बल्कि यह एक बहुद्देशीय फैसला था इस से अल्लाह के रसूल सलललाहो अलैहे वसल्लम की राजनैतिक काबिलियत का पता चलता है