दोस्तों नमस्कार
दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में
एक बेटा अपनी मां को लेकर गया उनके दाएं कंधे की हड्डी टूट गई थी
डॉक्टर ने कहा एम आर आई करानी होगी
एमआरआई कराने के लिए जब प्रिस्क्रिप्शन लेकर वो लड़का अपनी मां को उनके पास गया तो उन्होंने उस पर तारीख लिखी थी दो फरवरी दो हज़ार छब्बीस
और उसके बाद उस लड़के को लगा गलती से लिखा गया है तो उसने पूछा अपने दो हज़ार छब्बीस लिख दिया है
तो जो वहां शख्स बैठा हुआ था जो तारीख दिख रहा था उसने कहा जी नहीं इतनी भीड़ है कि आपका नंबर दो हज़ार छब्बीस फरवरी में ही आएगा उससे पहले नहीं आएगा
एलएनजेपी के भीतर एम आर आई हो अल्ट्रासाउंड हो या सीटी स्कैन पाँच महीने से पहले तारीख आपको मिल नहीं पा रही है तो की मशीन बहुत कम है
यह दिल्ली के भीतर की स्थिति है
यहां पर एक सवाल हर किसी से हर कोई पूछ सकता है क्या इस देश के भीतर चुनाव के मौके पर कोई नेता कुछ भी कह दे कोई भी वादा कर ली और जनता टकटकी लगाकर उसकी तरफ देखती रही
और कोई जवाब देने की स्थिति में न हो कोई जिम्मेदारी लेने की स्थिति में न हो या सपा नेताओं के साथ तो ठीक है लेकिन अगर प्रधानमंत्री एक स्टार प्रचारक के तौर पर जब राज्यों में जाते हैं चुनाव प्रचार करने के लिए तो क्या वह प्रधान मंत्री पद छोड़कर जाते हैं
सिर्फ स्टार प्रचारक होते हैं सिर्फ एक डेटा होते हैं या उनके साथ तमगा इस देश के प्रधानमंत्री का काफी लगाव होता क्योंकि देश के प्रधानमंत्री सरकार चलाते वक्त कितने बड़े बड़े ऐलान किस किस रूप में करते हैं
इसका कोई सानी नहीं है उसका एक कच्चा चिटठा लेकर आज हम आपके सामने बैठे और एक क्षण के लिए सोचिए एम आर आई कि एक मशीन साढ़े तीन करोड़ रुपये में आ जाती है
लेकिन प्रधानमंत्री जब चुनाव का नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ था उससे पहले महीने भर के भीतर अक्टूबर के महीने में जब वह घूम रहे थे राजस्थान मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ तेलांगना इन जगहों पर तकरीबन चालीस हजार करोड़ की योजनाओं का ऐलान करके आ गए
कि यह योजनाएं हमले आएंगे इसी तर्ज पर को देश भर में घूमें उन्होंने बताया कि इस देश के बाईस एम्स उनकी सरकार लेकर आई इससे पहले तो नहीं थे तो छः सात थे हमने देखे बाईस एम्स लेकर आए हैं इससे बेहतर क्या हो सकता है
जानकारी मिली कि इस देश के भीतर में तीन सौ से ज्यादा यूनिवर्सिटी मोदी सरकार के दौर में आ गई जानकारी मिली कि हर घर हर गांव हर घर के भीतर और झोपड़ी तक के भीतर बिजली पहुंच चुकी है जानकारी भी मिली पक्का घर जो टारगेट लेकर चले थे व दो हज़ार चौबिस में पूरा हो जाए
का वादा दो हज़ार बाईस का किया गया था इसलिए आप इंतजार कीजिए हर किसी को पक्का घर अपना होगा
नल से जल पानी भी आपके दरवाजे पर आ जाएगा आप चिंता मत कीजिए और यह काम बहुत तेजी से चल रहा है सारी बातें तो प्रधानमंत्री नहीं कही और यही बात प्रधानमंत्री कहने के लिए राज्यों में चुनाव प्रचार भी करते हैं जो अपनी उपलब्धियों का पूरा खाका रखते हैं
तो क्यों नहीं आज उस दस्तावेज को ही सामने खोला जाए
और जानकारी हासिल की जाए कि जब देश के प्रधानमंत्री प्रधान मंत्री रहते हुए स्टार प्रचारक और स्टार प्रचारक रहते हुए एक नेता के तौर पर जब जाते हैं जिन बातों का जिक्र करते हैं उन बातों के पीछे क्या क्या होता है
हमें लगता है एक एक करके आज हर चीज को इसलिए सुन लीजिए क्योंकि देश के वित्त मंत्रालय ने तमाम मंत्रालयों को चिट्ठी लिखी है आपके पास जो पैसा अपने अपने मंत्रालय में बचा है उसकी जानकारी दीजिए क्योंकि अब चुनावी पास आ गया है जो बचा हुआ पैसा होगा उन पैसों का
उपयोग हम अब दूसरी जगह पर करेंगे और दूसरी जगह का मतलब यह होता है उन क्षेत्रों में जहां से वोट आ सके
या ग्रामीण रोजगार का क्षेत्र हो या एमएसएमई क्षेत्र हम तय करेंगे लेकिन अपना अपना डिपार्टमेंट का बचा हुआ पैसा जानकारी दीजिए हम एक बजट बनाएंगे और इलेक्शन की दिशा में केंद्र सरकार बढ़ जाएगी और यह सब कुछ दिसंबर से पहले हो जाना है क्योंकि तीन दिसंबर के बाद तो इस देश की राजनीतिक परिस्थिति बदल जाएगी
तो आइए एक पन्ना खोलते हमने आपसे शुरुआत में ही क्या एम्स का जिक्र कर दिया तो हमें लगता है बात वहीं से शुरू हुआ क्योंकि अनुभव नाम के व्यक्ति ने अपनी मां को हड्डी रोग विशेषज्ञ से एम्स के भीतर दिखाया और जब उसने कहा कि आपको एमआरआई करानी होगी और हमारा की तारीख मिली दो फरवरी दो हज़ार छः
मयूर विहार में रहते हैं दिल्ली में अविचल शर्मा यह मेडिसिन डिपार्टमेंट गए इनको कहा गया अल्ट्रासाउंड कराइए इनको तारीख मिली तीन फरवरी दो हज़ार पच्चीस
दिल्ली का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एलएनजेपी पाँच महीने इंतजार करना पड़ता है डायग्नोसिस टैक्स्ट अगर आपको कराना है उसमें खासतौर से सिटी स्कैन एमआरआई और अल्ट्रासाउंड क्योंकि एम आर आई की मशीन सिर्फ एक है एलएनजेपी में नौ अल्ट्रासाउंड है दो कारणों को कॉलेजेस डिपार्टमेंट में बाकी सात में आईसीयू
चलाने और पूरे अस्पताल को भी चलाना है तीन सीटी स्कैन है और इसीलिए वहां पर हर दिन जो आते हैं वह लगभग हजारों की तादाद में मरीज जाते हैं खुद सरकार कहती है कि देखिए सात हजार मरीज हर दिन ओपीडी में आते हैं एक हज़ार छः सौ मरीज भर्ती हैं
अब यहां पर सवाल है यह मशीन कितनी कॉस्टली है जब देश भर में घूम कर प्रधान मंत्री हजारों करोड़ की योजनाओं का ऐलान करते हैं एम्स को लेकर सरकार बताती है कि हमने बाईस एम्स खोल दिए एजुकेशन का क्षेत्र हो किसी भी सेक्टर में आप चलते चले जाइए स्थिति है क्या इस देश के भीतर की
एम आर आई की मशीन एक मशीन तकरीबन नब्बे लाख बहुत सस्ती मशीन होती है साढ़े तीन करोड़ की मशीन सबसे अच्छी वर्षा होती है तो साढ़े तीन करोड़ की मशीन क्या सरकार खरीद पाने की स्थिति में नहीं है जी नहीं है
एम्स में नहीं है खरीद पाने की स्थिति में और एलएनजेपी में भी नहीं है
साढ़े तीन लाख से चौबिस लाख तक के बीच में अल्ट्रासाउंड की मशीन मिलती है सबसे कॉफी मशीन इस दौर में सोनू इसको ब्रांड की आई है जो पचास वाट में मिलती है लेकिन उसे भी खरीद पाने की स्थिति में नहीं बजट नहीं है
अस्सी लाख से चार कौर के बीच में सिटी स्कैन मिलता है लेकिन खरीद पाने की स्थिति में नहीं है
अब यहां पर सवाल था कि प्रधानमंत्री को इस देश में घूम घूम कर जानकारी दे रहे थे हमने इतने एम्स खोले भाई से एम्स खोले और दिल्ली के एम्स की अगर यह हालत है तो इस देश के भीतर का सच क्या होगा हमें लगता है इस को परखने के लिए एक बात और देखिए हमारी टीम ने तमाम एम्स जिस जिस शहर में है
जज जिस राज्य के शेयर में वहां से जानकारी हासिल की और पूरी रिपोर्ट निकाली की ओपीडी और आईपीडी आईपीडी का मतलब होता है कि अस्पताल के भीतर के तमाम डिपार्टमेंट में मरीजों को भर्ती किया जा सकता है या नहीं किया जा सकता है अगर किया जा सकता है तो इसका मतलब है अस्पताल पूरे तरीके से चल रहा
क्योंकि ट्वेंटी फोर बाईस एवं अस्पताल को चलना होगा लेकिन नहीं चल रहा है तो इसका मतलब है कुछ ही ब्रांच में आईपीडी काम कर रही होगी जो बाहर तुम्हारी मस्ती आते हैं मरीज जाते हैं उसको ओपीडी में ले जाया जाता है ओपीडी कई जगहों पर काम कर रहा है दो तीन जगहों पर नहीं भी कर रहा होगा आईपीडी बहुत जगहों पर काम नहीं कर रहा है
जगहों पर कर भी रहा होगा तो उसका एक आंकड़ा निकल कर आया कि भोपाल भुवनेश्वर जोधपुर पटना रायपुर और ऋषिकेश में तो एम्स ठीक तरीके से चल रहे ओपीडी और आईपीडी दोनों काम कर रहे हैं लेकिन रायबरेली अवंतीपोरा रेवाड़ी दरभंगा इन जगहों पर अभी काम भी शुरू नहीं हुआ है एम्स का जिक्र प्राइम मिनिस्टर करते हैं अब यहां पर सवाल तक
कहाँ कहाँ आईपीडी पूरे तरीके से काम नहीं कर रहा है इसकी जब लिस्ट देखी गई तो यह हैरानी की बात है कि बीवी नगर देवघर बिलासपुर गोहाटी भटिंडा गोरखपुर बंगला गिरी इन तमाम जगहों पर आईपीडी पूरा काम कर ही नहीं रहा है और कल्याणी और नागपुर में तो
लिमिटेड ओपीडी भी काम कर रहा है
यानी ओपीडी भी पूरे तरीके से काम नहीं करना या इस देश के एम्स की एक बेसिक स्थिति है जो उभरकर सामने आती है
और यही स्थिति गुजरात के राजकोट वाले एम्स को लेकर भी है
अब यहां पर सवाल है प्रधानमंत्री को लगातार जिक्र करते थे तो क्या इस देश के भीतर इलाज की व्यवस्था नहीं है या इलाज इस रूप में काम कर रहा है हमें लगता इलाज से पहले या आप बेसिक लाइन पर आ जाइए हर परिवार को पक्का घर दे दिया जाएगा दो हज़ार पंद्रह में जिक्र था दो हज़ार बाईस तक हो जाएगा अब तारीख बढ़ाई गई
दो हज़ार चौबिस कर दिया गया यह बात कहने से काम नहीं चलेगी घर बनाने थे दो करोड़ पचानवे लाख घर बने एक करोड़ पचहत्तर लाख आवंटित जो हुए वह नब्बे लाख से एक करोड़ दस लाख के बीच का कोई आंकड़ा है जो चल रहा है यानी जितने बनने थे उसके लगभग तैंतीस पर्सेंट
या तीस तैंतीस पैंतीस पर्सेंट तक ही बन पाया है दो हज़ार पंद्रह से शुरू हुआ था दो हज़ार तेईस चल रहा है दो हज़ार बाईस में पूरा होना था प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर कहा है दूसरी स्थिति है हर धर्म हर घर में चौबिस घंटे बिजली यह जिक्र तो बार बार होता है लेकिन जानकारी मिली कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में ही
सैकड़ों गांव है जहां पर बिजली नहीं पहुंची और तो और मुश्किल यह भी है कि इन घरों में बिजली पहुंच जानी चाहिए या नहीं चलनी चाहिए इस पर केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट बड़ी शानदार है वह भी राजस्थान को लेकर उनका कहना था केंद्र सरकार का की देखिए ढाई लाख घरों में बिजली कनेक्शन नहीं
यह क्रम पिछले साल का कर रहे हैं आप से हमने एक बजट बनाएं और उस पर साठ पर्सेंट हम देते चालीस पर्सेंट राज्य सरकार देती कुल मिलाकर बजट एक हज़ार बाईस करोड़ का था लेकिन राज्य सरकार ने रुचि दिखाई नहीं तो वह कर गया
कमोवेश यही स्थिति क्या मध्यप्रदेश के भीतर सैकड़ों गांव की है जहां बिजली नहीं पहुंची है तो ऐसे में जो वादा हो रहा था उसका मतलब क्या है और अगर विद्युतीकरण योजना के तहत पहले राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना फिर दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना ट्वेल्थ प्लान आया जिसमें एक हज़ार दो
सौ छियालीस करोड़ का जिक्र था फिर उसके बाद सौभाग्य योजना आई यह भी एक हजार करोड़ से ज्यादा का था फिर आर पी डीआरपी आया आईपीएस आया इसमें भी हजारों फोन का जिक्र था लेकिन घरों में बिजली नहीं पहुंची और बड़ी महत्वपूर्ण बात है
जिस गांव में दस फीसदी घरों में बिजली पहुंच जाये बिजली डिपार्टमेंट कहता है विद्युतीकरण हो गया
और आंकड़े निकल कर आते हैं कि लाखों घर गांव दर गांव इसीलिए छूट गए इस देश के भीतर में जहां विद्युतीकरण नहीं हुआ
तो हमने अस्पताल का जिक्र किया हमने बिजली का जिक्र किया और पक्के घर का जिक्र किया चौथी स्थिति इस देश के भीतर पानी की है जिन राज्यों में नल से जल का कार्यक्रम शुरू किया उन राज्यों की स्थिति बतलाती है कि वहां काम सिर्फ बाईस पर्सेंट हुआ है
चार राज्य है जहां बाईस पर्सेंट का हुआ है बाकी देश के दूसरे हिस्सों में कब काम होगा यह कहना है इसलिए थोड़ा सा मुश्किल है क्योंकि यह योजना वर्ल्ड बैंक से जुड़ी हुई है और वर्ल्ड बैंक का पैसा इसमें आता है
और उसी के जरिए चीजें चलती है लेकिन गाहे बगाहे आपने कई मौकों पर प्रधानमंत्री को जरुर सुना होगा
तो पानी है बिजली है और बिजली के साथ घर का भी हमने जिक्र कर दी और यहां पर हमें लगता है कि किसानों का जिक्र भी हो जाना चाहिए क्योंकि चुनाव में सिर्फ और सिर्फ किसान ही तो रिंग रहा है
किसानों की आय दुगनी होगी वो तो पुराना जुमला होगी या दो हज़ार सत्रह में कहें तो दो हज़ार बाईस तक होगा जो हुआ नहीं होते होते क्या होता है होते होते यह हो गया इस देश के भीतर की फूड सब्सिडी हमारी बढ़ गई गरीबी बढ़ गई मुफलिसी बढ़ गई लेकिन हम जैसे ही सेंसर्स इस देश का ले आएंगे वह और ज्यादा बढ़ जाएगा
हमें और गरीबी का सामना करना पड़ेगा उसको छुपाए रखी है और इन सबके बीच जो कृषि बजट था हमारा व एक लाख चौबिस हजार करोड़ से घटकर एक लाख पंद्रह हजार करोड़ हो गया इस फाइनेंशियल ईयर में जो फसल बीमा योजना थी वह पंद्रह हजार पाँच सौ पौंड थी वह घटकर तेरह हजार छः सौ पच्चीस
करोड़ हो गई
अब सवाल यह है कि आप किसी भी क्षेत्र में अगर आप यूनिवर्सिटी के हिस्से में जाते यूनिवर्सिटी को लेकर भी एक जानकारी हमारी टीम ने निकाली और यह इसलिए बहुत अच्छी जानकारी है क्योंकि सरकार इस बात का जिक्र बार बार करती है कि देखिए हमने इतने यूनिवर्सिटी बना ली और अलग अलग क्षेत्रों में कहा कि दो हज़ार चौदह में
सात सौ तीस यूनिवर्सिटी थी
आज की तारीख में एक हज़ार तैंतालीस यूनिवर्सिटी जब जानकारी अधिकारियों से और मिनिस्ट्री के जरिए पता चला तो पता चला नहीं नहीं नौ सौ पैंतालीस यूनिवर्सिटी ही काम कर रही है कि तो पहला स्टेज था दूसरा स्टेट इन नौ सौ पैंतालीस यूनिवर्सिटी में अगर पुरानी सात सौ तेईस यूनिवर्सिटी को हटा दिया जाए तो जो दो सौ बीस यूनिवर्सिटी
दौर में बनी उसमें सिर्फ सत्ताईस फीसदी स्टाफ है
यानी तिहत्तर फीसदी स्टाफ नहीं है तो कैसे पढ़ाई हो रही होगी और जो पुरानी बस्ती थी
उसमें तकरीबन बासठ फीसदी स्टाफ है
वहां भी अड़तीस फीसदी स्टाफ कम है और यहां पर तिहत्तर फीसदी स्टाफ का भाई कैसे पढ़ाई हो रही होगी यूनिवर्सिटी की इमारत बन गई सबकुछ तय हो गया लेकिन पढ़ाने वाला शख्स नहीं और फैकल्टी के तो में नहीं है यह जानकारी मिली कि लगभग बयालीस फीसदी ऐसे हैं जहां पर फैकल्टी ही नहीं है तो पढ़ाई कौन यह की
चल रहा है कि एक टीचर आएगा सबको पढ़ाकर चला जायेगा अब यहां पर बाकी सवाल भी आते हैं आईआईटी का सवाल आता है सोना आईआईटी से हम तेईस आईटी पर पहुंच गए प्रधानमंत्री ने कई बार जिक्र किया यहां पर बत्तीस पर्सेंट सीट खाली पड़ी
पढ़ाने वालों की जिनका काम होता है कि आपको जाकर पढ़ाना है ट्रिपल आईटी उसमें लगभग आपको उन चालीस पर्सेंट खाली मिलेगा आइआइएम इसमें लगभग पैंतालीस फीसदी
भर्तियां रुकी हुई है तेरह से बीस तक पहुंचे लेकिन इसी तरह से जब एम्स का जिक्र हम आपसे से पहले कर चुके हैं कि हम साथ से बाईस पहुंच गए क्या स्थिति है यहां पर तीन सवाल सबसे बड़े पहला सवाल इस देश की इकोनॉमी को संभालने और चलाने की स्थिति और इस देश के भीतर योजनाओं का
ऐलान और प्रधानमंत्री का चुनाव के वक्त योजनाओं का ऐलान उससे जुडी हुई रकम क्या यह मैच करती है
या यह मिसमैच है
यानी एक दूसरे से किसी का कोई जुड़ाव नहीं है चुनाव है तो आप इस रूप में ऐलान कर दीजिए घोषणा कर दी दीजिए तो क्या ऐसी परिस्थिति देश के भीतर आ गई है यह चल रहा है और इसका दूसरा हिस्सा यह है कि इसके ठीक समानांतर जो प्राइवेट सेक्टर है
उसका पूरा बिजनेस बढ़ता चला जा रहा और व बिजली का सेक्टर हो पानी कर सेक्टर हो एजुकेशन का सेक्टर हो या हेल्थ कर सकता हो क्योंकि इस देश के भीतर में जितने भी स्कूल कॉलेज चलते हैं उससे बड़ी तादाद में छात्रों की संख्या प्राइवेट हिस्सों
में जुड़ी हुई जो बिजली जहां लिया तो पूरी तरीके से प्राइवेट हाथों में दे दिया गया है जो मेडिकल इस सिचुएशन का जिक्र है वह भी प्राइवेट हाथों में दे दिया गया हमको लगता है कि इसके डाटा आपको जानकारी में आनी चाहिए जिससे बात और थोड़ी साफ हो जाएगी कि अच्छा ऐसी स्थिति है
अगर आप सिर्फ और सिर्फ अलग अलग जगहों पर देखिए तो इस देश के भीतर में कुल गवर्नमेंट हॉस्पिटल जो है वह अट्ठारह हजार दो सौ सत्ताईस
और अगर उसमें आप छोटे मोटे यानी जैसे मोहल्ला क्लिनिक दिल्ली में अब उस तरीके के भी अस्पतालों को जोड़ जाएगा तो यह तैंतालीस हजार चार सौ छियासी हो जाएंगे यानी छिटपुट झोपडी में भी चल रही है उसको भी मान लीजिए जो प्राइमरी हेल्थ इस विषमता उसको भी जोड़ दीजिए सब को जोड़ दीजिए तो देश भर में तैंतालीस हजार है लेकिन
चलने वाले अस्पताल अट्ठारह हजार दो सौ सत्ताईस है लेकिन प्राइवेट अस्पताल इस देश के भीतर में सत्ताईस हजार छः सौ सत्ताईस इसमें ज्यादा मेहनत मत कीजिए इस देश के टॉप बारह शहरों को ले लीजिए जिसमें दिल्ली है मुंबई है
कॉल करता है
हैदराबाद है
चेन्नई है बैंगलोर है चंडीगढ़ है
हैदराबाद है
पटना है इन बार तो दस ही लिए हमने दो का नाम और है बारह ले लीजिएगा अगर इन बारह जगहों पर जो नेटवर्क हेल्थ इंस्टीट्यूशन जो प्राइवेट सेक्टर के काम करते हैं उनकी जो कमाई है
इस देश का जो पोर्टल हेल्थ का बजट है जो सरकार का लगभग अस्सी तिरासी हजार करोड़ का है और राज्य दर राज्य जो भी बजट है मसलन राजस्थान का जोड़िएगा तो बाईस हजार करोड़ के लगभग आएगा इसी तरीके से तमाम जगहों का अगर आप बजट जोड़ते चले जाइएगा तो जितना बजट होता है उसको दस से गुणा कर दी थी
उतना प्रॉफिट इस देश के प्राइवेट हेल्थ सेक्टर को हर बरस हो रहा है
सरकार अपने तौर पर अपनी पीठ ठोक दी है कि हमने हेल्थ के सेक्टर में इतना काम किया हमने इतना एम्स बना लिया इसके ठीक पैरलल में एजुकेशन में आ जाइए
एजुकेशन के भीतर में जितने यूनिवर्सिटी काम कर रही है जितने कॉलेज काम कर रहे हैं जितने प्राइवेट सेक्टर्स काम कर रहे हैं छः बड़े शहर जो इस देश के एजुकेशन हब के तौर पर जाने जाते हैं उन जगहों पर एजुकेशन सेक्टर से कमाई जो है वो सिर्फ सालाना कमाई कमाई यानी प्रॉफिट वह छः लाख
करोड़ से ज्यादा का है जो पीने के पानी से कमाई है वह तकरीबन आठ लाख करोड़ के लगभग इस देश के भीतर पहुंच चुका है यह कमाई है प्रॉफिट कम हो जाता है लेकिन एजुकेशन सेक्टर में प्रॉफिट था जो हमने आपको जानकारी दी अगर इस देश को प्राइवेट सेक्टर चला रहा है और हर क्षेत्र में उसी
की मौजूदगी है तो फिर प्रधानमंत्री जब भाषण देते हैं और योजनाओं का ऐलान करते हैं और बतलाते हैं कि हमने इस देश के भीतर इतना इन्फ्रास्ट्रक्चर पैदा कर दिया
तो उस इन्फ्रा स्ट्रक्चर में कितना हाथ प्राइवेट सेक्टर का होता है अगर उसका एक साधारण तरीके से आकलन आपको करना है मसलन आप यह भी सोचिए कि जो सड़कें बनाई जाती है उस पर टोल जो लिया जाता है वह भी पीपीपी मॉडल के तहत होता है या फिर जो पैसा लगाता है उसको पैसा कमाना उस दृष्टि से काम किया जाता
हेल्थ सेक्टर में जिसको अस्पताल खोलना है उसको जमीन जो होती है बहुत ही नॉमिनल रेट पर दी जाती एक रुपए में दे दी जाती है सौ रुपए में दे दी जाती है और उसको कहा जाता है आपको पच्चीस पर्सेंट गरीबों का इलाज भी करना है वह करता है नहीं करता या फिर कभी रिपोर्ट में लेकिन स्थिति यह है कि सरकार इस देश की शोक
पूंजी है उसको प्राइवेट हाथों में देती है और उसका रेशियो जो दोनों का रहता है कि सरकार को इससे कितना राजस्व मिल रहा है और इसका कितना लाभ प्राइवेट सेक्टर को हो रहा है और प्राइवेट सेक्टर जनता को कितना उससे खींच रहा है इन तीनों चीज को मिलाइए का तो आसान शब्दों में सीधे समझिए कि सौर
की कमाई
जिसमें से अस्सी रूपये प्राइवेट सेक्टर लेगी
बीस रुपए जो सरकार के पास आते हैं उसको बढ़ाने का तरीका उस जीएसटी के जरिए होता है उस टैक्स के जरिए होता है उसमें चीजें और बढ़ जाती है
और वो फिर अलग हिस्सा है कि वह प्राइवेट सेक्टर जब किस तरीके से पॉलिटिकल फंडिंग करता है नहीं करता वो एक अलग हिस्सा है तो आखिर के जो तीन बड़े सवाल है
इस देश को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है और एम्स जैसी अस्पताल जिसमें तीन करोड़ साढ़े तीन करोड़ की एमआरआई मशीन तक न हो अगर है तो कम पड़ गई मरीजों के सामने उसको हम जुगाड़ कर पाने की स्थिति में नहीं है हमारा ध्यान लगातार योजनाओं के
को लेकर कि पहला सवाल दूसरा हुआ जो बेसिक स्ट्रक्चर होता है हेल्थ का एजुकेशन का पानी का बिजली का और घर का ये सारी चीजों के वादे जो सरकार करती है और उसके जरिए अगर कहीं दस गुना ज्यादा लाभ उन्हीं क्षेत्र में प्राइवेट
सेक्टर कर रहा है
तो फिर सरकार के होने का मतलब क्या है
और तीसरा सवाल जो शायद आज जिस बात से पास शुरू करनी थी वह यही सवाल है प्रधानमंत्री स्टार प्रचारक है
नेता हैं या प्रधान मंत्री भी हैं
अपनी पुरानी बातों को वह नए तरीके से दोहराने की स्थिति में हैं या पुरानी बातों से आंख मूंदकर नए नए ऐलान करने की दिशा में यही सवाल सबसे बड़ा इस देश के सामने बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत बहुत शुक्रिया