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Tuesday, 26 June 2018

तुर्की का सबक़

बनु उमय्या, बनु अब्बास और खिलाफत-ए-उस्मानिया में मुसलमानो की सब से ताक़तवर और लंबे अरसे तक चलने वाली खिलाफत , तुर्की की खिलाफत-ए-उस्मानिया है। जिसे इंग्लिश में Ottoman Empire कहते हैं।
ये खिलाफत तक़रीबन 600 साल तक क़ायम रही। दूसरी ख़िलाफ़तों में हम देखते हैं कि शुरू के बादशाह ज़हीन और मुदब्बिर होते थे और बाद के बादशाओं में ज़वाल आना शुरू होता था यहां तक कि उसी ज़वाल की वजह से ये ख़िलाफ़तें खत्म हो गई। मगर ख़िलाफ़तें उस्मानिया की ये खूबी है कि इस के इबतादाई खलीफाओं के बाद आने वाले ख़लीफ़ा उनसे भी ज़्यादा ज़हीन हुए और आखिरी वक्त तक उन्होंने एक एक इंच ज़मीन के लिए भी अपनी पूरी ताकत लगा दी। लिहाज़ा इनमें इसके बानी उस्मान खान हैं जिनके नाम से ये उस्मानिया खिलाफत कहलाती है, तो इनमें सुलतान मुहम्मद फातेह भी हैं जिन्होंने पहली बार कुस्तुन्तुनिया फतेह किया, तो सुल्तान बायजीद भी हैं जिनकी फ़ौज योरप में दाखिल होकर फ्रांस तक पहुंच गई। इस खिलाफत की इतनी धाक और दबदबा था कि दुनिया मे कोई मुसलमानो की तरफ आंख उठा कर नही देख सकता था।

बिल आखिर ये अज़ीमुश्शान खिलाफत 1924 में खत्म हुई। साज़िशों का एक जाल बिछाया गया। आस्तीन के सांपो को खड़ा किया गया, ईमान खरीदे गए और मुस्तफा कमाल पाशा के रूप में मग़रिब को वो मोहरा मिल गया। तुर्की में बगावत हुई, फौजी इन्कीलाब लाया गया और खिलाफत खत्म करके तुर्की को एक मॉडर्न और सेक्युलर स्टेट घोषित कर दिया गया। मुस्तफा कमाल अब तुर्की का अता तुर्क ( तुर्कों का बाप, दूसरे मानी में राष्ट्र पिता ) बन गया। इस्लामी लिबास पर पाबंदी लगी, दाढ़ी रखना ममनु क़रार पाया, सूट टाई नया लिबास बन गया, अज़ान अरबी की बजाए तुर्की ज़बान में शुरू करवाई गई। कुल मिलाकर तुर्की का इस्लाम से और मुस्लिम दुनिया से काटने की पूरी स्कीम अमल में लाई गई।
मगर आज तक़रीबन 100 साल के अरसे में तुर्क अवाम ने साबित कर दिया कि इस्लाम से उनका रिश्ता हमेशा क़ायम था। वो सिर्फ इस इंतज़ार में थे के कोई इस्लाम पसंद हुक्मरान उनको मयस्सर आए और तैयब एरदोगान की शक्ल में वो शख्सियत उन्हें मिल गई। आज दोबारा उनकी जीत से साबित हो गया कि अगर अवाम के दिल मे अपने दीन की मुहब्बत हो, और वैसा ही हुक्मरान उनके सामने हो तो जीत उसी की होती है।
ये बात भी ध्यान रहे कि ये इन्कीलाब किसी खून खराबे से नही बल्कि जम्हूरी तरीके से आया है। यानी अक्सरियत ने अपने वोट का इस्तेमाल कर के ये इन्कीलाबी बरपा किया है।

यहां सवाल ये पैदा होता है कि फिर पाकिस्तान और मिस्र में इस तरह तब्दीली क्यों नही आती ?
जबकि तुर्की का तो संविधान भी सेक्युलर है। उसके बावजूद अवाम ये काम कर सकती है तो पाकिस्तान तो इस्लामी जम्हूरीया पाकिस्तान कहलाता है।
साबित ये हुआ कि जब तक अवाम के दिल मे दीन रासिख और नाफ़िज़ न हो तब तक वो हुकूमत में नही आ सकता।

*गोया 13 साल की मक्की मेहनत से ही वो अफ़राद तैयार होते हैं जो मदीना में अपनी रियासत क़ायम करते हैं और फिर पूरे अरब पर गालिब आ जाते है।*

( तारीखी हवाले ; मिल्लत-ए-इस्लामिया की मुख्तसर तारीख, हिस्सा अव्वल, सरवत सौलत साहब )

Sunday, 24 June 2018

अक्सर हमारे गैरमुस्लिम भाइयों में यह ग़लतफहमी पायी जाती है के वो जिहाद जैसे शब्द का तथाकथित ब्राहम्णवादी लोगों से अलग अलग अर्थ समझकर मुसलमानों के अमन के पैगाम को ठुकरा देते है, आईये आज इसका सही मूल्य जानने की कोशिश करते है… » जिहाद: *अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष करना” , “जद्दो जेहद करना”.* इसका *मूल शब्द जहद है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष”.* ये अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए उपयोग होता है. जिहाद का अर्थ किसी की जान लेना, क़त्ल करना या किसी बेगुनाह को मारना नही है. *जिहाद एक पवित्र शब्द एवं कर्म है जिसे इस्लाम को न समझने वाले व्यक्तियों ने तोड़मरोड़ के पेश किया.* कई लोग जिहाद का अर्थ पवित्र युद्ध समझते हैं जो सरासर गलत है, क्योंकि *युद्ध के लिए अरबी भाषा में अलग शब्द “गजवा” या “मगाजी” उपयोग होता है.* इस्लाम के शुरुवाती दिनों में मक्का के अन्यायी मुशरिकीनो ने जब अमन का मुहायदा (शांति सन्देश) तोडा और मुस्लिमों का जीना दुश्वार कर दिया, तब इन्हे अपने हक के लिए जिहाद का हुक्म हुआ. – Ummat-e-Nabi जिहाद के दो किस्मे है – 1. जिहाद अल-अकबर (बड़ा जिहाद) – जिहाद अल-अकबर बड़ा जिहाद है जिसका मतलब होता है इन्सान खुद अपने अन्दर की बुराईयों लढ़े, अपने बुरे व्यवहार को अच्छाई में बदलने की कोशिश करे, अपनी बुरी सोचो और बुरी ख्वाहिशो को कुचल कर एक अच्छा और आस्थिक इन्सान बने. इस जिहाद को अल्लाह ने कुरान में जिहाद अल-अकबर यानी सबसे बड़ा जिहाद कहा है. 2. जिहाद अल असग़र (छोटा जिहाद) – जिहाद अल-असग़र का उद्देश्य समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ संघर्ष (जद्दो जेहद) करना होता है. जब समाज में ज़ुल्म बढ़ जाये, बुराई अच्छाई पर हावी होने लग जाये, अच्छाई बुराई के आगे हार मानने लग जाये, हक पर चलने वालो को ज़ुल्म व सितम सहन करना पड़े तो उसको रोकने की कोशिश (जद्दो जेहद) करना और उसके लिए बलिदान देना “जिहाद अल-असग़र” है। और इस जिहाद को अल्लाह ने जिहाद अल-अकबर से छोटा जिहाद कहा है. यानी *जिहाद अल-अकबर जो के खुद अपने अन्दर की बुराइयों से लड़ना बड़ा जिहाद है* और *तलवार की लडाई छोटी लडाई है जिसे अल्लाह ने जिहाद अल-असगर कहा है.* » जिहाद की अलग अलग परिभाषाये – 1) “अर्थात अपने हक के लिए संघर्ष करना भी एक प्रकार का जिहाद है.” 2) “जिहाद का एक अर्थ अन्याय के खिलाफ लड़ना या संघर्ष करना भी है.” 3) “सत्य के लिए जान की बाज़ी लगाना भी जिहाद है” 4) “माता-पिता की सेवा भी एक प्रकार का जिहाद है” 5) “अपनी नफ़्स (इन्द्रियों) को काबू करना भी एक प्रकार का जिहाद है. 6) “अपने वक्तव्यों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई भी एक जिहाद है. 7) “अपने लेखों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई जिहाद बिल कलम है. 8) “एक जगह इल्म हासिल करने को भी जिहाद के बराबर कहा गया है”. इस्लाम में जिहाद का बहुत महत्व है, इसे ईमान का एक हिस्सा कहा गया है. मीडिया एवं इस्लाम के दुश्मनों द्वारा आमजन जो अरबी भाषा और इस्लाम से अनभिज्ञ है, को जिहाद का गलत अर्थ बताकर जिहाद और इस्लाम को बहुत बदनाम किया गया है. अगर आप इस्लाम या इस्लाम से सम्बन्ध किसी भी विषय को समझना चाहते हैं तो हमें चाहिए की हम अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) साहब की जीवनी के साथ कुरान का अनुवाद पढ़ें. जिससे हमें परिपूर्ण ज्ञान मिल सके. https://youtu.be/OtkANBeAMLg लिंक पर जाकर सुनिए राष्ट्रीय माइनारिटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी प्रोफेसर विलास खरात साहब को सुनकर, जानकर आपको भारतियों के असली दोस्त और दुश्मन कि पहचान होगी

अक्सर हमारे गैरमुस्लिम भाइयों में यह ग़लतफहमी पायी जाती है के वो जिहाद जैसे शब्द का तथाकथित  ब्राहम्णवादी लोगों से अलग अलग अर्थ समझकर मुसलमानों के अमन के पैगाम को ठुकरा देते है, आईये आज इसका सही मूल्य जानने की कोशिश करते है…

» जिहाद: *अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष करना” , “जद्दो जेहद करना”.*

इसका *मूल शब्द जहद है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष”.*

ये अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए उपयोग होता है.
जिहाद का अर्थ किसी की जान लेना, क़त्ल करना या किसी बेगुनाह को मारना नही है. *जिहाद एक पवित्र शब्द एवं कर्म है जिसे इस्लाम को न समझने वाले व्यक्तियों ने तोड़मरोड़ के पेश किया.*
कई लोग जिहाद का अर्थ पवित्र युद्ध समझते हैं जो सरासर गलत है, क्योंकि *युद्ध के लिए अरबी भाषा में अलग शब्द “गजवा” या “मगाजी” उपयोग होता है.*
इस्लाम के शुरुवाती दिनों में मक्का के अन्यायी मुशरिकीनो ने जब अमन का मुहायदा (शांति सन्देश) तोडा और मुस्लिमों का जीना दुश्वार कर दिया, तब इन्हे अपने हक के लिए जिहाद का हुक्म हुआ. – Ummat-e-Nabi

जिहाद के दो किस्मे है –
1. जिहाद अल-अकबर (बड़ा जिहाद) –
जिहाद अल-अकबर बड़ा जिहाद है जिसका मतलब होता है इन्सान खुद अपने अन्दर की बुराईयों लढ़े, अपने बुरे व्यवहार को अच्छाई में बदलने की कोशिश करे, अपनी बुरी सोचो और बुरी ख्वाहिशो को कुचल कर एक अच्छा और आस्थिक इन्सान बने. इस जिहाद को अल्लाह ने कुरान में जिहाद अल-अकबर यानी सबसे बड़ा जिहाद कहा है.
2. जिहाद अल असग़र (छोटा जिहाद) –
जिहाद अल-असग़र का उद्देश्य समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ संघर्ष (जद्दो जेहद) करना होता है. जब समाज में ज़ुल्म बढ़ जाये, बुराई अच्छाई पर हावी होने लग जाये, अच्छाई बुराई के आगे हार मानने लग जाये, हक पर चलने वालो को ज़ुल्म व सितम सहन करना पड़े तो उसको रोकने की कोशिश (जद्दो जेहद) करना और उसके लिए बलिदान देना “जिहाद अल-असग़र” है। और इस जिहाद को अल्लाह ने जिहाद अल-अकबर से छोटा जिहाद कहा है.
यानी *जिहाद अल-अकबर जो के खुद अपने अन्दर की बुराइयों से लड़ना बड़ा जिहाद है*

और *तलवार की लडाई छोटी लडाई है जिसे अल्लाह ने जिहाद अल-असगर कहा है.*

» जिहाद की अलग अलग परिभाषाये –
1) “अर्थात अपने हक के लिए संघर्ष करना भी एक प्रकार का जिहाद है.”
2) “जिहाद का एक अर्थ अन्याय के खिलाफ लड़ना या संघर्ष करना भी है.”
3) “सत्य के लिए जान की बाज़ी लगाना भी जिहाद है”
4) “माता-पिता की सेवा भी एक प्रकार का जिहाद है”
5) “अपनी नफ़्स (इन्द्रियों) को काबू करना भी एक प्रकार का जिहाद है.
6) “अपने वक्तव्यों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई भी एक जिहाद है.
7) “अपने लेखों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई जिहाद बिल कलम है.
8) “एक जगह इल्म हासिल करने को भी जिहाद के बराबर कहा गया है”.

इस्लाम में जिहाद का बहुत महत्व है, इसे ईमान का एक हिस्सा कहा गया है. मीडिया एवं इस्लाम के दुश्मनों द्वारा आमजन जो अरबी भाषा और इस्लाम से अनभिज्ञ है, को जिहाद का गलत अर्थ बताकर जिहाद और इस्लाम को बहुत बदनाम किया गया है.
अगर आप इस्लाम या इस्लाम से सम्बन्ध किसी भी विषय को समझना चाहते हैं तो हमें चाहिए की हम अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) साहब की जीवनी के साथ कुरान का अनुवाद पढ़ें.
जिससे हमें परिपूर्ण ज्ञान मिल सके.

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राष्ट्रीय माइनारिटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी
प्रोफेसर विलास खरात साहब को
सुनकर, जानकर आपको भारतियों के असली दोस्त और दुश्मन कि पहचान होगी

modi ka bhasan suno 👇link
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Thursday, 21 June 2018

કોસંબા ની એક અજીબોગરીબ ઘટના ની સત્યતા ઇરશાદ નુરાની ની કલમે.

કોસંબા ની એક અજીબોગરીબ ઘટના ની સત્યતા ઇરશાદ નુરાની ની કલમે...🗣🗣🗣

કોસંબા મા પયંગબર સાહેબ ઉપર થયેલી ટીપ્પણી અંગે બનેલી ઘટના મા પોલીસ અને ભાજપ ના નામે આંતક મચાવતા અખ્તર કુરેશી , સાજીદ ડોન અને અબ્દુલ સત્તાર આરફ (હથોડા) ના ઓની ભુંડી ભુમિકા બહાર પડતા મુસ્લિમ સમાજમાં ભયંકર વિરોધ થયો હતો. કહેવાય છે કે ગણપત વસાવા અને રાજુ પાઠક સાથે મળીને સાજીદ ડોન અને ઉપરનાઓએ આ કાવતરું રચી પોતાના પસંદગીના આધારે 9  વ્યક્તિઓ ને મુખ્ય આરોપી તરીકે ચીતર્યા હતા જે કેમેરામાં સ્પષ્ટ કેદ થઇ હતી. આગળની કાર્યવાહી મા જયારે કોર્ટ સમક્ષ રાત્રિના 10 થી 2 વાગ્યા ના સીસીટીવી ફૂટેજો હાજર કરાશે જેમા આ રાક્ષસો પોલીસ સ્ટેશને બેસી જે વ્યુહરચના ઘડે છે તે સાફ જોઈ સકાસે.

વધુ મળેલી માહિતી મુજબ પ્રથમ ધોરણે કોસંબા પોલીસ ટોળા વિરૂદ્ધ ફરિયાદ કરી આગળ ની કાયૅવાહી હાથ ધરવા માંગતી હતી પરંતુ આ મોકા નો લાભ લઈ  સાજીદ ડોન , અખ્તર કુરેશી ખાટકી અને અબ્દુલ સત્તાર આરફ હથોડા નાઓ એ દોડધામ કરી રાજકારણીઓ ને ફોન કરાવી પોલીસ સાથે ગોઠવી પોતાની મેલી રમત રચી કોંગ્રેસી યુવાનો તથા અન્ય 250 મુસ્લિમ નિર્દોષો ના ઉપર ખોટી કલમો હેઠળ ગુન્હા દાખલ કરવામાં સફળતા મળી હતી. તેમ થતા જે વ્યક્તિ ઓ કેમેરામાં તોડફોડ કે ગેરરીતિ કરતા દેખાય છે તેઓ ભાજપા સમર્થક હોય તેમનાઓનો બચાવ કરાયો હતો.

ત્યાર બાદ આ વાત ઉપરોકત અધીકારીઓ તથા કોર્ટ ની કાયૅવાહી ની દીશા મા વધતી ચીમકી મળતા કોસંબા પોલીસે આબરૂ તથા નોકરી બચાવવા બીજા દિવસે ફરીથી અન્ય નવા નામો સાથે વધુ એક એફ આઇ આર કરી હતી જે ઘણીજ આશ્ચર્યજનક અને હાસ્યાસ્પદ છે.

અબ્દુલ સત્તાર આરફ હથોડા ના ઓ આગામી ચુંટણી મા ઝંપલાવવા માંગતો હોય આ બધા કાવતરા રચી રહ્યો હોય તેમ જાણવા મળ્યું છે.  હાલ અખ્તર કુરેશી અને સાજીદ ડોન નાઓ પરદાફાસ થઇ જતા લોકોના ઘરેઘર જઇ ભીંખ માંગી રહયા છે કે આપ ભાજપા મા જોડાઈ જાઓ હમારી ઉપર ખાતે વાત થઇ ગઈ છે આપના દિકરાઓને હમો છોડાવી લાવીશું એમને હાજર કરાવી દીયો... પરંતુ જાગૃત પ્રજા એ એમને ધિક્કારતા ધોબી નો કુતરો ના ઘરનો ના ઘાટ નો જેવી પરિસ્થિતિ માં મુકાયા છે.

દિણોદ ગામ ના વકીલ શ્રી એ કોસંબા પોલીસ એમ.બી. તોમર વિરૂદ્ધ ગુન્હો દાખલ કરાવી જણાવ્યું હતું કે તોમર ના ઉશ્કેરણી જનક શબ્દો " તમે પાકિસ્તાન ચાલ્યા જાઓ " થી જ મામલો બીચકયો હતો અને શાંતિ ખોળવાય હતી.

સમાજમાં અને ગામોગામ આ ઘટના પ્રસરી જતા જમિયતે ઉલેમા એ હીંદ તથા અન્ય ધર્મ ના અગ્રણીઓ એ ઠેર ઠેર વિરોધ કરી આવેદનપત્ર પાઠવતાં રાજુ પાઠક, ગણપત વસાવા અને કોસંબા નો કુખ્યાત ગુન્હેગાર સાજીદ ડોન નાઓના તંબુ માં ગભરાટ ફાટી નીકળતા ભાજપના છુપા એજન્ટ પપ્પુ ફૈઝલ બાવા , યાસ્મીન દાવજી અને અંદાજ ફુટેલી કારતુસ ના ઓ ને અંત્યંત દબાણ કરી અખ્તર કુરેશી ના ઘરે જઈ આ કૌંભાંડ ને દબાવવા માટે ભાજપા ના મોટા માથાઓએ આદેશ આપ્યો હતો.

કોસંબા કોંગ્રેસ ના નવયુવાનો તથા અન્ય અગ્રણીઓ ના વિરોધ છતા ભાજપા ના છુપા એજન્ટો યાસ્મીન દાવજી , ફૈઝલ પપ્પુ બાવા અને અંદાજ શેખ કારતુસ ના ઓ એ પોતાના માલીકો એ આપેલા દબાણ ખાતર પોતાના ભાજપા ના સંબંધો બચાવવા અખ્તર કુરેશી ના ઘરે મીટીંગ કરતા ઝડપાઇ જતા મુસ્લિમ સમાજ તથા કોંગ્રેસ કાર્ય કર્તા ઓ દ્વારા જબરજસ્ત વિરોધ થઇ રહ્યો છે. કહેવાય રહ્યુ છે કે કોંગ્રેસ ના પરાજય માટે આવા ભૂંડા કોંગ્રેસીઓ જ છે જે પોતાના સ્વાર્થ ખાતર  કોમની અને પાર્ટી ની દલાલી કરે છે તેવા તર્ક વિતર્ક સાથે આ કૌંભાંડી ઓ નો રાજકારણ તથા સામાજિક પ્રસંગે ઉપસ્થિત થાય તો વિરોધ કરાશે.

થોડાંક સમય અગાઉ દરબાર સમાજ ના યુવાનો એ ઉશ્કેરાઈ કોસંબા પોલીસ સ્ટેશને તોડ ફોડ કરી ભારી નુકશાન પહોંચાડ્યું હતું તેમ છતા એમના વિરૂદ્ધ કોઇ કાર્ય વાહી થઇ ના હતી .. જાટ સમાજ એકજુથ ... પાટીદાર સમાજ એકજુથ ... દલીત સમાજ એકજુથ.... પરંતુ ફકત મુસ્લિમ સમાજમાં જ આવા રાક્ષસો નો ત્રાસ હોય મુસ્લિમ સમાજને પોતાના સ્વાર્થ ખાતર અંદરો અંદર લડાવી ભાગલા પાડી ગંદુ રાજકારણ રમાય છે..

2019 ના ચુનાવ પહેલા આવા કેટલાય ઉશ્કેરણી જનક સંદેશા ઓ ફેલાતાં થશે તથા કેટલાક નિર્દોષો ને ભાજપા ઇશારે ખોટા કેસો મા જેલ ભોગવાસ કરવો પડસે પરંતુ હિંદુ-મુસ્લિમ ભાઇઓ એ વિનમ્રતા દાખવી સંયમ અને સહનશીલતાની સાથે કામ લઇ દેશ ની એકતા ને મજબૂત કરવા પ્રયાસ કરવા નમ્ર અપીલ છે તથા નાત જાત ના અને ધર્મ ના ભેદ ભાવ વગર ના લોકો એ આગળ વધી કોસંબા જેવા શાંતિ પ્રિય ગામની કમાન સંભાળી આવા જાલીમો ને ગાંમ બહાર કરી કાયમી ધોરણે કોમી એકતા જળવાય તેવા પ્રયત્નો કરવા જોઈએ  !!

तबलिग जमातसे जुरी खबर

تبلیغی چورڈاکو پکڑے گئے

مركز تبلیغ جماعت نظام الدین دہلی میں امیرتبلیغ جماعت حضرت سعدجی کا لڑکا سعید سعید سعید
قطری مہمان کے بیگ پر ڈاکہ ڈالتے ہوئے رنگے ہاتھوں ✋ پکڑا گیا

Tbleegi Jamaat Ka Daqoo Hazrat Said. Ji.Markaz.Nizamuddin
DehliMe Pakrdagaya
حضرت جی اس پر راکھ ڈالنے میں مصروف
نظام الدین میں یہ واقعہ آگ کی طرح پھیلا ہوا ہے
یہ واقعہ 8 جون 2018 بروز جمعہ کا ہے کہ قطر کے شیخ جاثم درویش جن کو مولوی سعد نے گمراہ کر رکھا ہے، 8 جون بروز جمعہ قطر سے نظام الدین پہونچے شیخ جاثم درویش نے عرب ممالک سے کئی کروڑ درہم کا چندہ جمع کیا تھا جو مولوی سعد کی خدمت میں پیش کرنا تھا. شیخ جاثم درویش کو کمرہ نمبر 1 (جو کہ مولوی سعد کا کمرہ ہے) میں قیام کی غرض سے ٹھہرایا گیا، ادھر پیسے کا بیگ رکھ کر شیخ جاثم استنجاء کے لیے گئے
اور دوسری طرف سعد کاندھلوی کے بیٹے سعید نے وہ بیگ غائب کر دیا
شیخ جاثم کے مطابق اس پیسے کا علم خدام میں سے سوائے عبد العلیم کے کسی اور کو نہ تھا اور جس وقت وہ استنجے کے لیے گئے اس وقت صرف مولوی سعد کا بیٹا سعید کمرے میں تھا لیکن استنجاء خانے سے واپسی پر شیخ نے نہ تو پیسے کا بیگ پایا اور نہ ہی سعید کو
اس واقعے کا علم جب مولوی سعد کو ہوا تو اس پر راکھ ڈالنے کی غرض سے اس خطرناک چوری کا الزام نظام الدین کے دو خدمت گذار میواتیوں پر لگا دیا اور ان دونوں غریبوں کی جم کر پٹائی بھی کروا دی
شیخ جاثم پر اس واقعے کا گہرا اثر ہوا اور دلبراشتہ ہوکر قطر واپس ہونے کے لیے رخت سفر باندھا، رسوائی کی غرض سے مولوی سعد نے انہیں منت سماجت کرکے روکا اور سعید کو اس چوری کی سزا دینے کی یقین دہانی کرائی بہر حال شیخ جاثم رکے لیکن پھر انہوں نے مزید قیام کو بے سود سمجھ کر خاموشی سے قطر لوٹ جانا ہی مناسب سمجھااس دوران بہت سے احباب شیخ جاثم سے ملنے کے لیے آئے لیکن کمرے کے باہر سخت پہرہ لگا کر خدام کے ذریعے سے کسی نہ کسی بہانے سے انہیں روک دیا گیا اور کسی کو بھی ملاقات کی اجازت نہیں دی گئی گویا ایک طریقے سے شیخ کو نظر بند کر دیا گیا شیخ نے اس چوری کی اطلاع پولیس کو بھی دینی چاہی لیکن انہیں اس بات کا قوی اندیشہ تھا کہ جس طرح شیخ غسان اور شیخ فاضل کو مولوی سعد اینڈ کمپنی نے دہشت گرد بتا کر انہیں گرفتار کروانے کی کوشش کی تھی کہیں وہی کہانی پھر سے نہ دہرا دی جائے اس لیے شیخ نے نظام الدین کی بدنامی اور اپنے لیے نئی مصیبت سے بچنے کی غرض سے سکوت اختیار کیا
چوری اور غبن کا یہ کوئی پہلا واقعہ نہیں ہے بلکہ پچھلے دو سالوں میں یہ واقعات کئی بار ہو چکے ہیں جبکہ اس سے قبل بھی کئی برسوں سے مولوی سعد نے اپنی آمریت کے زور پر نظام الدین میں پوری دنیا سے آنے والے کروڑوں اربوں روپیوں پر پوری طرح اپنا حق جما کر اپنے ہی تصرف میں رکھا ہوا تھا جس میں سے اب تک کسی قسم کا حساب کتاب نہیں دیا. *بڑی تشویش اور افسوس کا مقام ہے کہ ہر بار امت کے ذریعے لائی گئی خطیر رقموں کو کسی نہ کسی طرح ہڑپ کر لیا جارہا ہے اور ان رقموں کا استعمال اپنی ذاتی عیاشیوں پر کیا جارہا ہے
نوٹ: یہ خبر شیخ جاثم کے متعلقین میں سے ایک شخص نے دی ہے اس واقعے کے بعد اہل عرب میں کافی تشویش ہے.
اب شیخ جاثم پر یہ شرعی ذمہ داری عائد ہوتی ہے کہ حقیقت حال سے امت کو جلد آگاہ کریں تاکہ مستقبل میں اس قسم کے حادثات سے بچا جاسکے.
شیخ منیر الحدادي کی فیسبک وال سے..

ترجمہ

مشکور قاسمی دہلوی
shahmashkoor78@gmail.com
*اصل عربی تحریر*
👇🏻
   فضيحة سعد وابنه سعيد
الكل يتذكر حين نشرنا صورة جاسم درويش القطري وتسائلنا سبب وجوده في الاجتماع الذي عقده الأمير المزعوم الذي افتى علماء ديونبد بضلاله وتكرر ذكر هذا الاسم في عدة مناسبات وآخرها حين استقدمه واصف الإسلام مع مجموعة من الخونة الذين يسعون فسادا في التبليغ الى بنكلاديش لاقناع وزير الداخلية البنكالي بالسماح لدخول سعد الى بنكلاديش، وكعادة اهل الباطل على مر العصور يعتمدون على المال لنشر ضلالهم، *فسعد استقبل جاسم درويش في غرفة رقم 1 التي تقع في الدور الأول جنب المحراب حيث قدم جاسم درويش بأموال جمعها من دول الخليج من قطر والكويت والامارات والسعودية.....* *وحسب شاهد عيان أن الملبغ بالملايين، وفي يوم 8 رمضان كان يتواجد في الغرفة بعض خدام سعد عاصم  وعبد العليم وكذالك سعيد ابن سعد حيث خرج جاسم درويش من الغرفة لقاضاء حاجته ظنا منه ان الموجودين ثقة، وحينما رجع للغرفة وجد الملايين قد اختفت وقد اختفى معها سعيد ابن سعد، ولتفادي الفضيحة اقدم سعد بالصاق التهمة بشخصين من افراد الحراسة من الميوات وتم ضربهما ضربا شديدا وتعذيبهما داخل المركز ليعترفو بانهما من سرقا المال مع ان سعد يعلم علم اليقين انه ابن سعيد هو من سرق الملايين وهرب دون ان يعلم احد وجهته ولحد الان هو مختفي.*
*غضب جاسم درويش غضبا شديد واراد ان يغادر الهند ويرجع الا ان سعد ترجاه وطلب منه المعذرة ووعده  بمعاقبة ابنه سعيد على فعلته الخسيسة،*
*فجلس جاسم  ولم يسافر ووضع سعد على باب الغرفة التي يقيم بها جاسم درويش حراسا وخداما لئلا يلتقي احد بجاسم وينتشر الخبر مع ان هناك اشخاص كثيرون جاؤا من دلهي للقاء جاسم درويش فمنعوا من طرف الحراس والخدام.*
نشرنا الحقيقة لم نزد ولم ننقص ونشرناهذه الواقعة الأليمة التي تدل على ان مركز نظام الدين لم يعد كما كان خاصة  بعد خروج المشايخ منه، وليعلم العالم انهم كانو على حق وصواب حين تركو المركز، فنظام الدين قيمته بمن كان فيه لابجدرانه.
             ✍ منير الحدادي

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=676717596016696&id=100010353842623

Wednesday, 13 June 2018

मोदी भगत फेशबुक पेज

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इस्लाम विरोधी फेशबुक पोस्ट लिंक

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मुस्लिम ओर दलित के आने वाले UPSC समस्या

WhatsApp  viral 13/06/2018

UPSC एग्जाम में तब्दीली के हवाले से PM आफिस से एक सुझाव आया है जिस पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग ने बाकी मिनिस्टरी से सजेशन माँगा है
सुझाव ये है जैसा कि यूपीएससी क्लियर करने के बाद रैंक की बुनियाद पर कैंडिडेट को अपना कैडर चुनने का हक़ था जैसे कि किसी की 10 रैंक आयी है और वो ये हक़ रखता है कि कोई भी कैडर चुन लें जैसे कि आईएएस या आईपीएस या आईएफएस लेकिन इस सुझाव के मुताबिक अगर इसे पास कर दिया गया तो जो एग्जाम क्लियर करने के बाद 4 माह की ट्रेनिंग होती है उस ट्रेनिंग के आधार पे कमेटी तय करेगी कि किसको कौन सा कैडर दिया जाये मतलब की किसी ने यूपीएससी एग्जाम क्लियर किया और 10वी रैंक हासिल की लेकिन अगर वो ट्रेनिंग में कमेटी के मुताबिक बेहतर परफॉर्मेंस न दे सका तो उसे आईएएस या आईपीएस की जगह निचले दर्जे का कैडर जैसे कि Indian Postal Service या Indian Trade Service दिया जाएगा
इसका सीधा मतलब ये हुआ कि मुसलमानों और दलितो को जिनका अब रुझान एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ बढ़ा है उसको रोकने का लीगल तरीका खोजा गया है अब ये होगा कि आप लाख मेहनत करके अच्छी रैंक लाये आपको डिप्लोमेसी में घुसने नही दिया जाएगा और आधार बनाया जाएगा कि आपका ट्रेनिंग परफॉर्मेंस बेहतर नही था या एक एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पे सूटेबल नही था....DMK ने इसे एंटी दलित और एंटी पिछड़ा कह विरोध किया है लेकिन अभी तक माइनॉरिटी और खासतौर से मुसलमान जिनको डिप्लोमेसी में जगह बनाने से रोकने के लिये लाया जा रहा है वहाँ बिल्कुल खामोशी है

मोबश्शिर एहसान अल अज़ीज़ी

Tuesday, 12 June 2018

social media मे आज मुस्लिम समाज ओर दुसरे समाज कंहा हे?,


तारीख:- 10/06/2018
सोशियल मिडिया मे हम कंहा हे???

*आज सोशियल मिडिया के  WhatsApp , Facebook , YouTube , जेसे दुसरे प्लेटफॉर्म का सरवे करते हे तो , हमे ये पता चलता हे , देशमे नफरत ओर लोगोको बातनी की सोच रखने वाले लोग बहोत प्लानिंग से एक दुसरे को स्पोर्ट करते हे , ओर अपना नेगेटिव काम बहोत बरीया तरीकेसे काम करते हे,*

*सोशियल मिडिया मे गुजर‍ातके पटेल समाज, दलित समाज, ओर दुसरे लोग बहोत अच्छे से अपने अधिकारों को लेकर ओर अपने समाजकी छोती बरी समस्याओं को लेकर बहोत अच्छे से पर्चार करते हे,*

*यंहा हम बात करते हे मुस्लिम समाजकी तो मुस्लिम समाज सोशियल मिडिया मे सिर्फ ओर सिर्फ एक दुसरे को सलाम ओर दिनी मेसेज एक दुसरे को शेयर करने के सिवा ओर कुच करते नजर नही आते हे,,*

*सोशियल मिडिया मे सलाम करो ये अच्छी बात हे लेकीन हमे इस बात पर सोचना हे के आज हमारे समाजके अधिकारों ओर समस्याओं पर बोलने वाला ना कोइ हमारा नेटा हे, ओर नाही हमारे पास कोइ इलेक्ट्रॉनिक मिडिया हे, एसे मे हम को इस टेक्नोलॉजीके युगमे जब अल्लाह रब्बुल इज्जतने सोशियल मिडिया का प्लेटफॉर्म दिया हे जिसका हम सही तरीकेसे इस्तीमाल नही करते हे, ये हम सोचना परेगा,*

*हमारे देशमे आने वाले  2019 के लोक सभा चुनाव मे मुस्लिम समाजके अधिकारों ओर समस्याओं के लिये गुजरात ओर खास करके भरुचके लिये बेहतरीन रणनीति तय्यार रक रहे हे, जिन साथियों के दिलो मे अपने समाजके लिये दिलमे दर्द हो ओर समाजके अधिकारों को लेकर कायदे ओर कानुन से जंग लरने का होसला हो वो तमाम साथी हमसे राबेता करे,*

*हुजैफा पटेल गुजरात भरुच*
SAF Team सामाजिक संगठन
मो.9898335767

Monday, 11 June 2018

भारत देशका मुस्लिम राजकीय खिलोना हे ,

Jaipal Blogs

कांग्रेस में पले बढ़े, प्रशिक्षित हुए 100 से अधिक पूर्व वरिष्ठ, परिपक्व कांग्रेसी आज बीजेपी में सांसद , मंत्री एवं विधायक है। आर एस एस के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं। एक आर्यन आक्रमणकारी नस्ल का सांसद अभिजीत चटर्जी मुस्लिम बहुल छेत्र से कांग्रेसी सांसद है जिसके पिता भी पूर्व कांग्रेसी सांसद एवं संकट मोचक थे, बाद में कांग्रेस द्वारा देश के सर्वोच्च पद पर बैठाए गये। नागपुर आर एस एस मुख्यालय पहुँच कर पूर्व कांग्रेसी आर एस एस संस्थापक हेडगवार को भारत का महान सपूत करार देते हुए आर एस एस के एजेंडे को बढाने का प्रोत्साहन दिया।

कांग्रेस हमेशा आर एस एस के लिये राजनीतिक प्रशिक्षण का केंद्र रहा है , कांग्रेस आर एस एस के लिये प्रयोगशाला के रूप में भी काम किया है। कांग्रेस के प्रशिक्षण केंद्र एवं प्रयोगशाला में केशव बलिराम हेडगवार, श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर जीबी पंत जैसे कट्टर मनुवादीयों को फलने फूलने का भरपूर अवसर मिला।

पिछले कुछ सालों तक अटल बिहारी बाजपेयी , लाल कृष्ण आडवाणी , मोदी , योगी, कई साध्वी से लेकर स्वामी तक को धार्मिक धुर्वीकरण का , अल्पसंख्यकों पर हमला करने का काँग्रेस ने खुली छूट दे रखी थी। अपने सत्ता के नशे में चूर काँग्रेस मुसलमानों को आर एस एस का डर दिखा कर वोट बैंक के रूप में लगातार प्रयोग करते हुए दमनात्कम कार्रवाई भी करती रही है। हजारों बेगुनाह मुस्लिम युवाओं को झूठे आतंकवाद के केस में फसा कर उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए भारतीय मुसलमानो को आतंकवाद समर्थित घोषित करने का असफल प्रयास भी किया था।

आज काँग्रेस ऐसे कगार पर खड़ी है की यदि भारतीय मुसलमान सिर्फ काँग्रेस को सबक सिखाने के लिये नोटा बटन का प्रयोग कर ले तो आने वाले सत्तर साल तक कांग्रेस के 1 भी सांसद वोट के नाम पर जनेऊ दिखाने से भी डरेंगे। आर एस एस का राजनीतिक प्रशिक्षण केंद्र कांग्रेस रूपी ध्वस्त हो जायेगा।

कुछ लोग विकल्प की बात करते हैं, जब कांग्रेस ध्वस्त होगी तो विकल्प नही परिवर्तन होगा चुंकी आर एस एस अपने राजनीतिक प्रशिक्षण केंद्र को ध्वस्त होने से बचाने के लिये बीजेपी से गठबन्धन कराने में भी संकोच नही करेगी। तब आम लोगों को कांग्रेस का छुपा क्रूर चेहरा नजर आएगा।

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...