Followers

Sunday, 24 June 2018

अक्सर हमारे गैरमुस्लिम भाइयों में यह ग़लतफहमी पायी जाती है के वो जिहाद जैसे शब्द का तथाकथित ब्राहम्णवादी लोगों से अलग अलग अर्थ समझकर मुसलमानों के अमन के पैगाम को ठुकरा देते है, आईये आज इसका सही मूल्य जानने की कोशिश करते है… » जिहाद: *अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष करना” , “जद्दो जेहद करना”.* इसका *मूल शब्द जहद है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष”.* ये अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए उपयोग होता है. जिहाद का अर्थ किसी की जान लेना, क़त्ल करना या किसी बेगुनाह को मारना नही है. *जिहाद एक पवित्र शब्द एवं कर्म है जिसे इस्लाम को न समझने वाले व्यक्तियों ने तोड़मरोड़ के पेश किया.* कई लोग जिहाद का अर्थ पवित्र युद्ध समझते हैं जो सरासर गलत है, क्योंकि *युद्ध के लिए अरबी भाषा में अलग शब्द “गजवा” या “मगाजी” उपयोग होता है.* इस्लाम के शुरुवाती दिनों में मक्का के अन्यायी मुशरिकीनो ने जब अमन का मुहायदा (शांति सन्देश) तोडा और मुस्लिमों का जीना दुश्वार कर दिया, तब इन्हे अपने हक के लिए जिहाद का हुक्म हुआ. – Ummat-e-Nabi जिहाद के दो किस्मे है – 1. जिहाद अल-अकबर (बड़ा जिहाद) – जिहाद अल-अकबर बड़ा जिहाद है जिसका मतलब होता है इन्सान खुद अपने अन्दर की बुराईयों लढ़े, अपने बुरे व्यवहार को अच्छाई में बदलने की कोशिश करे, अपनी बुरी सोचो और बुरी ख्वाहिशो को कुचल कर एक अच्छा और आस्थिक इन्सान बने. इस जिहाद को अल्लाह ने कुरान में जिहाद अल-अकबर यानी सबसे बड़ा जिहाद कहा है. 2. जिहाद अल असग़र (छोटा जिहाद) – जिहाद अल-असग़र का उद्देश्य समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ संघर्ष (जद्दो जेहद) करना होता है. जब समाज में ज़ुल्म बढ़ जाये, बुराई अच्छाई पर हावी होने लग जाये, अच्छाई बुराई के आगे हार मानने लग जाये, हक पर चलने वालो को ज़ुल्म व सितम सहन करना पड़े तो उसको रोकने की कोशिश (जद्दो जेहद) करना और उसके लिए बलिदान देना “जिहाद अल-असग़र” है। और इस जिहाद को अल्लाह ने जिहाद अल-अकबर से छोटा जिहाद कहा है. यानी *जिहाद अल-अकबर जो के खुद अपने अन्दर की बुराइयों से लड़ना बड़ा जिहाद है* और *तलवार की लडाई छोटी लडाई है जिसे अल्लाह ने जिहाद अल-असगर कहा है.* » जिहाद की अलग अलग परिभाषाये – 1) “अर्थात अपने हक के लिए संघर्ष करना भी एक प्रकार का जिहाद है.” 2) “जिहाद का एक अर्थ अन्याय के खिलाफ लड़ना या संघर्ष करना भी है.” 3) “सत्य के लिए जान की बाज़ी लगाना भी जिहाद है” 4) “माता-पिता की सेवा भी एक प्रकार का जिहाद है” 5) “अपनी नफ़्स (इन्द्रियों) को काबू करना भी एक प्रकार का जिहाद है. 6) “अपने वक्तव्यों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई भी एक जिहाद है. 7) “अपने लेखों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई जिहाद बिल कलम है. 8) “एक जगह इल्म हासिल करने को भी जिहाद के बराबर कहा गया है”. इस्लाम में जिहाद का बहुत महत्व है, इसे ईमान का एक हिस्सा कहा गया है. मीडिया एवं इस्लाम के दुश्मनों द्वारा आमजन जो अरबी भाषा और इस्लाम से अनभिज्ञ है, को जिहाद का गलत अर्थ बताकर जिहाद और इस्लाम को बहुत बदनाम किया गया है. अगर आप इस्लाम या इस्लाम से सम्बन्ध किसी भी विषय को समझना चाहते हैं तो हमें चाहिए की हम अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) साहब की जीवनी के साथ कुरान का अनुवाद पढ़ें. जिससे हमें परिपूर्ण ज्ञान मिल सके. https://youtu.be/OtkANBeAMLg लिंक पर जाकर सुनिए राष्ट्रीय माइनारिटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी प्रोफेसर विलास खरात साहब को सुनकर, जानकर आपको भारतियों के असली दोस्त और दुश्मन कि पहचान होगी

अक्सर हमारे गैरमुस्लिम भाइयों में यह ग़लतफहमी पायी जाती है के वो जिहाद जैसे शब्द का तथाकथित  ब्राहम्णवादी लोगों से अलग अलग अर्थ समझकर मुसलमानों के अमन के पैगाम को ठुकरा देते है, आईये आज इसका सही मूल्य जानने की कोशिश करते है…

» जिहाद: *अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष करना” , “जद्दो जेहद करना”.*

इसका *मूल शब्द जहद है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष”.*

ये अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए उपयोग होता है.
जिहाद का अर्थ किसी की जान लेना, क़त्ल करना या किसी बेगुनाह को मारना नही है. *जिहाद एक पवित्र शब्द एवं कर्म है जिसे इस्लाम को न समझने वाले व्यक्तियों ने तोड़मरोड़ के पेश किया.*
कई लोग जिहाद का अर्थ पवित्र युद्ध समझते हैं जो सरासर गलत है, क्योंकि *युद्ध के लिए अरबी भाषा में अलग शब्द “गजवा” या “मगाजी” उपयोग होता है.*
इस्लाम के शुरुवाती दिनों में मक्का के अन्यायी मुशरिकीनो ने जब अमन का मुहायदा (शांति सन्देश) तोडा और मुस्लिमों का जीना दुश्वार कर दिया, तब इन्हे अपने हक के लिए जिहाद का हुक्म हुआ. – Ummat-e-Nabi

जिहाद के दो किस्मे है –
1. जिहाद अल-अकबर (बड़ा जिहाद) –
जिहाद अल-अकबर बड़ा जिहाद है जिसका मतलब होता है इन्सान खुद अपने अन्दर की बुराईयों लढ़े, अपने बुरे व्यवहार को अच्छाई में बदलने की कोशिश करे, अपनी बुरी सोचो और बुरी ख्वाहिशो को कुचल कर एक अच्छा और आस्थिक इन्सान बने. इस जिहाद को अल्लाह ने कुरान में जिहाद अल-अकबर यानी सबसे बड़ा जिहाद कहा है.
2. जिहाद अल असग़र (छोटा जिहाद) –
जिहाद अल-असग़र का उद्देश्य समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ संघर्ष (जद्दो जेहद) करना होता है. जब समाज में ज़ुल्म बढ़ जाये, बुराई अच्छाई पर हावी होने लग जाये, अच्छाई बुराई के आगे हार मानने लग जाये, हक पर चलने वालो को ज़ुल्म व सितम सहन करना पड़े तो उसको रोकने की कोशिश (जद्दो जेहद) करना और उसके लिए बलिदान देना “जिहाद अल-असग़र” है। और इस जिहाद को अल्लाह ने जिहाद अल-अकबर से छोटा जिहाद कहा है.
यानी *जिहाद अल-अकबर जो के खुद अपने अन्दर की बुराइयों से लड़ना बड़ा जिहाद है*

और *तलवार की लडाई छोटी लडाई है जिसे अल्लाह ने जिहाद अल-असगर कहा है.*

» जिहाद की अलग अलग परिभाषाये –
1) “अर्थात अपने हक के लिए संघर्ष करना भी एक प्रकार का जिहाद है.”
2) “जिहाद का एक अर्थ अन्याय के खिलाफ लड़ना या संघर्ष करना भी है.”
3) “सत्य के लिए जान की बाज़ी लगाना भी जिहाद है”
4) “माता-पिता की सेवा भी एक प्रकार का जिहाद है”
5) “अपनी नफ़्स (इन्द्रियों) को काबू करना भी एक प्रकार का जिहाद है.
6) “अपने वक्तव्यों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई भी एक जिहाद है.
7) “अपने लेखों से अन्याय के खिलाफ लड़ाई जिहाद बिल कलम है.
8) “एक जगह इल्म हासिल करने को भी जिहाद के बराबर कहा गया है”.

इस्लाम में जिहाद का बहुत महत्व है, इसे ईमान का एक हिस्सा कहा गया है. मीडिया एवं इस्लाम के दुश्मनों द्वारा आमजन जो अरबी भाषा और इस्लाम से अनभिज्ञ है, को जिहाद का गलत अर्थ बताकर जिहाद और इस्लाम को बहुत बदनाम किया गया है.
अगर आप इस्लाम या इस्लाम से सम्बन्ध किसी भी विषय को समझना चाहते हैं तो हमें चाहिए की हम अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) साहब की जीवनी के साथ कुरान का अनुवाद पढ़ें.
जिससे हमें परिपूर्ण ज्ञान मिल सके.

https://youtu.be/OtkANBeAMLg

लिंक पर जाकर सुनिए
राष्ट्रीय माइनारिटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी
प्रोफेसर विलास खरात साहब को
सुनकर, जानकर आपको भारतियों के असली दोस्त और दुश्मन कि पहचान होगी

modi ka bhasan suno 👇link
https://www.facebook.com/100016061927577/posts/305702229975172/

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...