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Monday, 1 October 2018

इल्म और उम्मत ए मस्लिमा


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कुछ कथित मुस्लिम बुद्धिजीवी यह समझते हैं कि मुसलमान शुरू से लेकर आज तक इल्म से दूर रहे हैं और ज़हालत भरी जिंदगी जीते आये हैं !!
बेवकूफ़ खुद को बुद्धिजीवी भी कहते हैं !!
भाई एक समाज में हर तबके का योगदान होता है , गरीब भी होते हैं अमीर भी, और तभी बैलेंस बनता है !!
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रही बात तालीम , टेक्नोलॉजी और विज्ञान की तो
कभी *"भारत की महान बिभूतियां , महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद्र , तुलसी दास , सूरदास , बिहारी , भारतेंदु हरीश चंद्र शैक्सपीयर , विलियम वार्डस बर्थ" से फुरसत मिले तो वर्ल्डवाइड इस्लामिक इतिहास भी पढ़ कर देख लें'*
लेकिन कैसे पढ़ोगे उर्दू तो आती नही !!
ओह , उर्दू नही आती ?
फिर क्या खाक बुद्धिजीवी बने फिरते हो !!
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*स्पेन में कैम्ब्रेज और ऑक्सफ़ोर्ड से भी ज्यादा बड़ी मुस्लिम यूनिवर्सिटीज रही हैं , जहाँ लगातार रिसर्च और खगोल विज्ञानं , मेडिकल साइंस , केमिस्ट्री और टेक्नोलॉजी पर लिखी गयी हमारी खोजों को चुरा लिया गया !!*
लाखों बेशकीमती किताबों को सलिबिओं द्वारा जला दिया गया ,आज जो एजुकेशन पैटर्न यूनिवर्सटीज में है वह मुसलमानो ने इस दुनिया को दिया !!
मुस्लिम रेसर्चों को चुरा कर थोड़ा फेरबदल करके सलीबी अपने आप को साइंटिस्ट कहलवाते रहे !!
नासा का वजूद ही स्पेन (हस्पनिया) से चुराई गयी किताबों पर टिका है !!
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खैर और जो कुछ आज हमारे नाम पर है भी उसके बारे में हमारी क़ौम जानती नही , या सलिबिओं ने हमे अहसासे कमतरी में मुब्तिला करने के लिये उनके नाम बदल देते हैं,,
फॉर एक्सम्प्ल दुनिया के महानतम फुटवालर में से एक जिडेनिन जिदान दरअसल जैनुद्दीन जिदान हैं !!
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*बीएससी मैथ में पढ़ाई जाने वाली किताब अलजेब्रा दरअसल अल-ज़ब्रा है जिसका ताल्लुक अरब से है !!*
इसलिये बंधू हम वह लोग हैं जो टायर में पंचर ही नही लगाते बल्कि मुँह पर भी पंचर लगाते हैं !!
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पर कुफ़्फ़ार , सेकुलर , मुनाफ़िक़ , बुद्धजीवियों को जो हमारे एजुकेशनल स्टैण्डर्ड को लेकर फ़िक्र मंद हैं उन सभी का तहे दिल से शुक्रिया ,
लेकिन *मोहब्बतें मुहम्मदी को तर्क कर के अगर कोई तालीम हासिल हो तो हम ज़हालत को प्रेफर करते हैं ,* और हमे इस पर फख्र है !!
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कम्युनिज्म "मार्क्सवाद" सेकुलरवाद"
जब बात विचारों की हो तो यह जितने भी बाद बिवाद हैं सब के सब इस्लाम के सामने बौद्धिक और वैचारिक स्तर पर भिखारी नज़र आते !!
लेकिन बेचारे मुसलमान !!
इन बौद्धिक भिखारियों के आगे बिचारों की भीख मांगने के लिए लाइन लगाये खड़े हैं !!
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हर मुसलमान मर्द औरत पर इतना इल्म हासिल कर लेना फर्ज़ है कि वो हलाल हराम में तमीज़ कर सके !!
लेकिन इस वक्त खासतौर से औरत में इल्म-ए- दीन का होना होना वक़्त की अहम ज़रूरत है' क्यो कि औरत के पास इल्म-ए-दीन होने होगा तो नस्लों में सुधार होगा !!
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इस वक्त हमारी क़ौम के 97 फीसद बच्चे स्कूल्स कान्वेंट  कॉलेज यूनिवर्सिटीज में तालीम हासिल कर रहें हैं !!
और इन 97 फीसद बच्चों को सिर्फ दो बातें पढाई जा रही है दुनियावी तालीम के पूरे सिलेबस का दुजो निचोड़ है वो ये है की साहब जो कुछ भी है दुनिया में !!
ये सब फितरी तौर पर हो रहा है सब automatic तौर पे हो रहा है !!
इसको कोई चलाने वाला नही है यानी कुल मिलाकर *नास्तिकता का पाठ पढ़ाया जा रहा है ...*
और आखिरत नाम की कोई चीज़ नही है जो कुछ है बस यही दुनिया है !!
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आप बच्चे को घर पर पढाते हैं कि तुम को अल्लाह ने पैदा किया है'
वो पढाते हैं तुम सब बंदर प्रजाति हो !!
आप बच्चों को बताते हैं कि तुम्हारे बाप बाबा आदम हैं '
और वो बताते हैं बाबा आदम जो हैं वो बंदर हैं !!
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अब वहां पर जो बंदर पढाया जा रहा !!
यहां आदम पढाया जा रहा है !!
अब अगर यहां घर पे जो बच्चे को गाईड करने वाली मां है अगर उसने भी यही पढ़कर रखा है कि हम सब बंदर की प्रजाति हैं !!
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तो बच्चे की तरबीयत कौन करेगा और इसका नतीजा बहुत खराब ही निकलेगा !!
*यही बच्चा बड़ा होकर सोशल मीडिया पर इधर उधर विडियोज़ देखकर या किसी के भी बहकावे में आकर बहुत आसानी से ईमान का सौदा कर लेगा या आगे चलकर तारिक फतेह बन जायेगा या तस्लीमा नसरीन बनकर नास्तिकता स्वीकार कर लेगा ....*
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तो लिहाज़ा अगर इल्म -ए- दीन हासिल की हुयी हमारी मां-बहने हमारे घरों  में मौजूद होगीं ' तो ये अपने बच्चों को ऐंटी बायोटेक टैब्लेट दे सकेगीं !!
क्यूँ कि उसे तो स्कूल्स कान्वेंट से जरासीम लेकर आना ही आना है !!
और उस जरासीम को कंट्रोल भी नही किया जा सकता !!
क्यों कि उस सलेबस का नतीजा ही यही !!
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तो लिहाज़ा औरतों के लिए इल्म-ए- दीन इसलिये बेहद ज़रूरी है ताकि वो उस नास्तिकता के जराशीम को कंट्रोल में रखने के लिये अपने बच्चों को एंटीबायोटिक दे सकें और अपनी नस्लों को कमांड करें !!
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*एक वक्त था कि इस्लाम मे दाढी रखने वाली सुन्नत को ये कह कर टार्गेट किया जाने लगा था कि ये पिछङेपन का सबूत है*
अब तो जमाना क्लीन सेव का है लेकिन वक्त बदला और आज जमाना फिर से घूम कर वही आ गया !!
आज जमाना दाढी का है वो भी पूरी तरह से इस्लामिक ढंग वाली दाढी फैशन मे है !!
हालात यहां तक बदल गये है कि किसी महफिल मे क्लीन शेव कर के चले जाओ तो एलियन जैसा फील होता है !!
लङकियां भी क्लीन शेव वालों पर तंज़िया पोस्ट करने लगी है जैसे " घर की मुर्गी दाल बराबर, बिना दाढी का लङका माल बराबर" और *"Boys Without beard are my sisters."*
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इसी तरह इस्लाम मे औरतों को पर्दा करने का हुक्म दिया गया इसको लेकर भी आजतक लोगों मे गलतफहमियां है !!
और इसे औरतों पर अत्याचार की तरह पेश किया जाता है !!
लेकिन कुछ सालों मे तेजी से मुंह और बालों को ढकने का फैशन बढा है !!
तरह तरह के रंगीन स्कार्फ आ रहे है जिससे आधुनिक लङकिया मुंह और बालों को लपेट कर चल रही है !!
क्या सर्दी क्या गर्मी क्या बरसात मुंह और बालों को ढकना लङकियों को फायदेमन्द लग रहा है !!
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*इस्लाम ने कहा कि अपनी पैंट को टखनों के ऊपर पहनो जिससे गंदगी ना लगे !!*
लोगो ने इसका मजाक बनाया आज टखनों पर ऊपर पहनी जाने वाली जींस पैंट का क्रेज है !!
लोग घर पर रखी जींस कटा कर छोटी करा रहे !!
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*इस्लाम ने कहा 5 वक्त नमाज पढो लोगो ने इसे वक्त की बर्बादी कहा...*
आज वही लोग अपना कीमती वक्त निकाल कर जिम मे पसीना बहा रहे !!
जब कि नमाजी इबादत भी कर रहा और 5 वक्त की कसरत भी !!
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*इस्लाम ने कहा बैठ कर पानी पियो' लोगो ने कहा क्या बकवास है बल्कि खङा होकर पानी पीने से पानी ज्यादा अच्छे से अंदर सफर करेगा !!*
आज वही तंज़ करने वाले लोग बैठकर पानी पी रहे क्यो कि साबित हो चुका है कि खङे होकर पानी पीने से पानी गुर्दे से बिना छने निकल जाता है साथ ही दिल की गम्भीर बीमारियां होती है !!
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*इस्लाम ने कहा कि 1 महीना रोजा रखो लोगो ने कहा इसका नुकसान होता है*
वही लोग आज डॉक्टर्स की सलाह से महीने मे कुछ दिन खाना पीना छोङकर शरीर को कैंसर जैसी भयंकर बीमारी ओर अन्य नुकसान-देह बीमारियों को खत्म करने मे लगे है !!
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*इसका मतलब इस्लाम ना कभी पिछड़ा था ना आज पिछड़ा हैं और ना रोज़े क़यामत कभी पिछड़ेगा*
पिछङे तो हम लोग है लोगो की सोच हैं !!
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*मैं सलमान सिद्दीकी✍*

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...