कश्मीर से क्याकुमारी तक जितनी मुस्लिम कयादत की राजनीिक पार्टी है उनके दरवाजे पर जा कर पार्टी के मुख्या के हाथ मे यह पत्र दिया गया है और पिछले ८ सालों मे दर्ज़नो बार मीटिंग भी रखी गई और जब जब मीटिंग रखी गई उसके लिए दावतनमा के साथ यह पत्र भी देते रहे हैं मगर उन सबकी तरफ से कोई भी जवाब नही आया है इसलिए २५ दिसंबर २०२० को मेरठ की मीटिंग मे फैसला हुआ है की अप्रैल २०२१ से सब के दरवाज़े पर अनिश्चित कालीन धरना देकर इस पत्र का लिखित जवाब मांगा जायेगा।
पत्र संलग्न है।
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बिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रहीम
मुस्लिम लीडरशिप मे एक गठबंधन की ज़रूरत है इसलिए मुस्लिम लीडरों और रहबरों को सुझाव।
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(1) भारत देश मे सिंगल लीडरशिप का माहौल नही है बल्कि सामूहिक लीडरशिप का माहौल है और देश बहुत बड़ा है इसलिए कोई एक लीडर काफी नहीं है और सामूहिक लीडरशिप खड़ा करना मुश्किल काम तो है मगर सिंगल लीडरशिप खड़ा करना ना मुमकिन है।
(2) भारत देश राजनीतिक गठबंधन का ज़माना है और सभी पार्टीयों को गठबंधन की ज़रूरत है और गठबंधन करती भी है, मुस्लिम पार्टीयों को भी गठबंधन करने की कोशिश करनी चहिये।
(3) N.D.A, और U.P.A, की तरह देश में और मुस्लिम लीडरशिप में एक गठबंधन की ज़रूरत है मतलब एक मोर्चे के गठन होना चाहये जिसकी अगवाई मुस्लिम लीडरशिप करें।
(4) इत्तेहाद मोहीम का मक़सद यह नही है की सभी लोग की सोच एक जैसी हो जाये,बल्कि कारखानों जैसा इत्तेहाद कायम करना इस मोहीम का मकसद है।जैसे की एक कारखाने मे कई पार्टनर होते हैं, मगर सबकी सोच अलग होती है ,सबका खाना पीना अलग होता है ,कारखाने मे सबकी पूँजी अलग अलग लगी होती है ,कारखाने मे सबका हिस्सा अलग अलग मिलता है ,सबका काम का समय अलग अलग होता है ,सबकी कार्य छेत्र अलग अलग होता है ,सबका कार्य समय अलग अलग होता है ,कुछ लोग के धरम और विचारधारा भी अलग अलग होते हैं ,कुछ लोग की बोली और भाषा और संस्कृति भी अलग अलग होती है ,मगर सभी का इत्तेफ़ाक़ इस बात पर ज़रूर होता है की कारखाना चलना चाहिए और इसलिए काम से काम कारखाना चलने तक इनमे इत्तेहाद रह्ता है तभी कारखाना चलता है और और सभी को अपना अपना हिस्सा मिलता है और जिस कारखाने मे इत्तेहाद ख़तम हो जाता है वह कारखाना बर्बाद हो जाता है और उसके साथ सभी का नुकसान हो जाता है।
(5) मुस्लमानो ने सेक्युलरिज्म के नाम पर 1947 से 1975 तक बिना शर्त कांग्रेस का साथ दिया, 1977 में जय प्रकाश नारायण की लीडरशिप में जनता पार्टी बनी जिसमे RSS की साऱी तंज़ीमें शामिल थी और मुस्लमानो ने बिना शर्त जनता पार्टी का साथ दिया,1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की लीडरशिप में जनता दल और BJP के साथ समझौता हुआ और मुस्लमानो ने बिना शर्त जनता दल और BJP का साथ दिया,पश्चिम बंगाल में,C.P.M. aur C.P.I.को मुस्लमानो ने बिना शर्त इनका साथ दिया,आंध्र प्रदेश में तेलगुदेशम पार्टी को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,उत्तर प्रदेश में मायवती और मुलायम सींघ को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,बिहार में लालू प्रसाद और नितीश कुमार को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,आसाम में कांग्रेस और आसाम गणपरिषद को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,तमिल नाडु में जय ललिता और करुणा निधि को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,, कर्नाटका में कांग्रेस और देवेगौड़ा को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया.मध्य प्रदेश,राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र में कांग्रेस को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,मगर सभी ने मुस्लमानो को सिर्फ वोट बैंक से जयादा कुछ नहीं समझा और मुस्लमानो के पिछड़ने के ज़िम्मेदार ये सभी पार्टी हैं,कोई मुर्ख बनाकर मुस्लमानो का वोट चाहता है कोई कानून से डरा कर वोट चाहता है कोई दंगा फसाद से डरा कर वोट चाहता है ।
(6) हमारे पुरखों ने गोरे फिरंगियोंव से आज़ादी हासिल की थी मगर आज़ादी हाईजैक होकर काले फिरंगिओं के हाथ में चली गयी अब उसे फिर से हासिल करना है, क्यों कि काले फिरंगियोंव का पोलीटिकल सिस्टम पहले चोरी करना सिखाता है, फिर चोर पकड़ने के लिए क़ानून बनता है,फिर चोर को बचाने के लिए रिस्वत लेता है, फिर चोर और सिपाही दोनों साथ साथ रहते हैं,और देश में भरष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
(7) काले फिरंगियोंव का पोलीटिकल सिस्टम की वजह से देश भर में हैवानियत और दरिन्दगि का माहौल बढ़ता जा रहा है और इनके जाल में फंस कर लोग एक दूसरे के खिलाफ दरिन्दगी और दुश्मनी अपनाते जा रहे हैं और काले फिरंगियोंव का पोलीटिकल सिस्टम देश को गृहयुद्ध,धर्मयुद्ध और बटवारे की तरफ बढ़ा रहा है और उसका ज़िम्मेदार मुसलमानो को बनाने की कोशिश कि जा रही है।
(8) कांग्रेस,बीजेपी और कम्यूनिस्ट ये तीनो पोलिटिकल पार्टयिां 2% काले फिरंगियोंव के हाथ में हैं इस वजह से देश की राजनीति का दिवाला हो चूका है और आज तक कई बार पार्टी बदली, नेता बदले, झंडा बदला मगर काले फिरंगियोंव का पोलिटिकल सिस्टम ही कायम रहा है इसलिए देश में कोई बदलाव नहीं हो पा रहा है।
(9) कांग्रेस ने सेकुलरिज्म को नेहरू घराने की प्रॉपर्टी बना ली है, हिंदुत्व को बीजेपी ने हाईजैक करके नागपुर में क़ैद कर लिया है, समाजवाद पर मुलायम और लालू परिवार ने कब्ज़ा करलिया, लैफ़्ट ग्रुप ने लेनिनवाढ और मार्क्सवाद को सत्ते का गुलाम बना दिया.मायावती रामविलास पासवान,जीतन राम मांझी ,उदित राज,रामदास अठावले , ने बहुजनवाद को काले फिरंगियोंव के हाथ में गिरवी रख दिया है ।
(10) एक तरफ देखें तो देश का हर आदमी किसी ना किसी पार्टी और नेता का जय जय कार करता रहता है और एक दूसरे पर लानत मलामत करता रहता है और दूसरी तरफ उनसे पूछो के सच बताओ के देश हित में और जनता के हित में ईमानदार पार्टी या नेता कौन है तो सभी का जवाब होता है के कोई भी ईमानदार नहीं है और सब के सब जनता को उल्लू बना रहे हैं और जनता को आपस में लड़ा कर अपना मकशद पूरा करते हैं.
(11) महात्मा बुद्ध के विचार ,श्री कृष्णा के विचार, श्री राम चंद्र जी के आदर्श, श्री महावीर के विचार, गुरु नानक जी के विचार, हजरत ईसा के विचार, हजरत मोहम्मद (sw)के विचार हमारे देश की पूंजी है मगर काले फिरंगियोंव का पोलिटिकल सिस्टम उसको बदनाम और बर्बाद कर रहा है, इसलिये देश के सभी धर्मो का आदर करते हुए संविधान के दायरे में रहते हुए.कानून के पालन करते हुए एक स्वदेशी सियासी सिस्टम देश के सामने लाना चहिये जो अभी तक इस देश में नहीं हो पाया है ।
(12) इत्तेहाद के कारण भारत के 2 % काले फिरंगियोंव की हिकमत अमली सफल हो जाती है और वो हुकूमत में है और मुस्लिम, दलित और हिन्दू OBC और आदिवासी इन्तेशार के कारण उनकी हिकमत अमली नाकाम हो जाती है इसलिए वो गुलामी में है ।
(13) देश का सबसे बड़ा तबका हिन्दू OBC समाज है इसलिए उसको देश की बागडोर संभालनी चाहिये मगर वो मनुवादओर पूंजीवाद का खिलौना बन चूका है, उसके बाद बाड़ा तबका दलित का है और वो भी सियासी तौर पर बिखरा हुआ है, उसके बाद बड़ा तबका मुसलमानो है जो छोटी छोटी सियासी पार्टिओं में और मसलक बंटा हुआ है ।
(14) मुसलमानो को कभी बांग्लादेशी के नाम पर, कभी पाकिस्तानी के नाम पर, कभी आतंकवाद के नाम पर, कभी दंगा फसाद के कारण, कभी बम ब्लास्ट के नाम पर, कभी फ़र्ज़ी तंजीमों के नाम पर, कभी मुस्लिम बच्चों को बेजा तरीके से ग्रिफ्तार करके और कई तरीके से डराने, दबाने और उत्तेजित करने का काम हो रहा है ।
(15) अक्सर लोग सभी लीडरों पर किसी ना किसी का एजेंट होने का इलज़ाम लगाते रहते हैं मगर हमारा कहना है के मुसलमानो के पास जो सियासी लीडर मौजूद हैं उनको दुरुस्त करते हुए काम लेना पड़ेगा और इसी लीडरशिप से काम लेते हुए नयी पीढ़ी की भी लीडरशिप तैयार करनी होगी ।
(16) दंगा फसाद हो, फेक एनकाउंटर हो,बेक़सूर नवजवानों की गिरिफ्तारी हो,मस्जिद या मदरसा का मामला हो,क़ुरान की तौहीन हो,नबी (sw) का कार्टून हो, या बजरंगदल और विश्व हिन्दू परिषद की बद कलामी हो,हमारे नेता अकेले अकेले आवाज़ उठाते रहे हैं मगर इसका नतीजा सिर्फ अख़बार में छपने और Tv पर दिखने से ज्यादा कुछ नहीं हो रहा है, अगर आप लोग मिलकर एक साथ आवाज़ उठायें तो बहुत बेहतर नतीजा निकलेगा ।
(17) देश भर में 1 दर्ज़न मुस्लिम नेता हैं जिनको सियासी तौर पर एकजुट करने से पूरी क़ौम एकजुट हो सकती है और उसके बाद मुसलमानो के सारे मसले हल होने शुरू हो जायेंगे ।
(18) देश का मुस्लमान दिल से इत्तेहाद चाहता है मगर देखना है के है जो इस आवाज़ को सुन रहा है और महसूश कर रहा है और इस नेक मकशद के लिए कौन मुस्लिम लीडर आगे आ रहा है।
(19) अयेसी सूरत में मोरारजी देसाई, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच. डी. देवेगौड़ा, चंद्रशेखर, इंदरकुमार गुजराल की तरह इस मोर्चे का प्रधानमंत्री होने के रास्ते निकल सकते हैं।
(20) गैर मुस्लिम की बड़ी तादाद आप लोग की राह देख रहा है के मुस्लमान एकजुट होना चाहिये और वो इस गठबंधन के पीछे आने को तैयार हैं मगर जब तक मुस्लिम सियासी परिवार एक साथ खड़ा नहीं होगा तो दूसरे लोग हमारे साथ नहीं खड़े होंगे ।
(21) मादर-ए वतन के लोग मुस्लिम इत्तेहाद के इंतज़ार में हैं और हमारे संपर्क में हैं जिस दिन मुस्लिम इत्तेहाद होगया उस दिन से सियासी तौर पर OBC,DALIT,SIKH,Christian etc,हमारे साथ खड़े नज़र आयेंगे ।
(22) सभी मुस्लिम लीडर पर इलज़ाम लगता रहा है के RSS और BJP के एजेंट हैं मगर हमारा कहना है के जिस दिन इत्तेहाद हो जायेगा उसी दिन ये इलज़ाम भी ख़तम हो जायेगा।
(23) मुस्लिम इत्तेहाद होने से मुसलमानो की तालीमी, सियासी, समाजी, माली और क़ानूनी मसले जो आज़ादी के दिन से उलझे हुए हैं वो सभी हल होना सुरु हो जायेगे।
(24) मुसलमानो का पिछड़ापन सियासत के कारण है और सियासी लोगो ने ही पैदा किया है और इसका हल भी सियासी तरीके से ही होगा।
(25) मुस्लिम लीडरशिप की दर्ज़नो खानदानी पार्टी बनाना गलत हुआ है, बल्कि एक नेशनल,जम्हूरी, पार्टी बनाते और हर स्टेट की लीडरशीप मज़बूत करते तो अच्छा होता।
(26) आप सभी लोग कहते है के मुसलमानो मोत्तहिद हो जाओ. मगर मुस्लिम अवाम कहती है के तुम एक दर्ज़न लोग मोत्तहिद हो जाओ हम 25 करोड़ लोग मोत्तहिद हो जायेंगे और अगर तुम लोग बिखरे रहे तो 25 करोड़ लोग बिखरे रहेंगे।
(27) दलित दूसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है,यादव दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है,कुर्मी दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता हैi,ब्राह्मण दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है,और मुस्लमान भी दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है।
(28) पहले मुस्लिम सियासी परिवार को एकजुट करके मेजबानी केलिए तैयार होना चाहये उसके बाद दूसरे समाज के सियासी परिवार को भी दावत देनी चाहये।
(29) अब देश और कौम की भलाई के लिए या तो आपस में इत्तेहाद करो और मिलकर अध्यक्ष मंडल बना कर सामूहिक लीडरशिप कायम करो या किसी एक को लीडर माना जाये,और या तो सभी पार्टी को मिलाकर एक नेशनल पार्टी बनाव और उसके बाद देश की जो पार्टी खुलकर आप लोग का साथ दे उसके साथ सीट पर समझौता करो और सरकार का हिस्सेदार बनो।
(30) सभी मुस्लिम पार्टियों को मिलाकर एक फ्रंट बनायेँ और सभी सेक्युलर पार्टियों से सियासी गठबंधन का दरवाज़ा खुला रखें ताके सरकार में भागीदार हो सकें और मुसलमानो के साथ साथ दूसरे तबकों को भी इंसाफ दिला सकें।
(31) अयेसी हालत में सभी मुस्लिम पार्टियों को एकजुट होकर गृहयुद्ध,धर्मयुद्ध और बटवारे से बचाने के लिए देश की बाग डोर संभालनी चाहिये।
(32) कश्मीर मुस्लिम बहुल इलाका है इसलिये वहां के मुस्लिम सियासी लीडरों को चाहिए था कि देश भर के मुसलमानो कि नुमाइंदगी करते और देश में अपनी सियासी मौजूदगी दर्ज़ करते मगर वो लोग भी काले फिरंगिव के जाल में फंस कर अपना सियासी तरीका और अपनी सियासी जिम्मेदारी भूल कर कश्मीर में ही उलझ कर रह गए हैं ।
(33) देश के इत्तेहाद को खतरा है,देश के संविधान को खतरा है,देश के बॉर्डर को खतरा है,देश कि तहजीब को खतरा है,देश कि आज़ादी को खतरा है,इसलिये मुस्लिम इत्तेहाद कि ज़रूरत है. इसलिये जल्द से जल्द इसका इलाज जरुरी है क्यूं कि मुस्लमान होने के नाते हम इंसानियत के अलम्बरदार और ज़िम्मेदार हैं।
(34) आप लोगों से गुज़ारिश है के इत्तेहाद की अगुवाई करें और सभी लोग के साथ मीटिंग करें और सभी के सुझाव के मोताबिक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनायें और सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करें।
(35) अकेले हम बूँद हैं और मिल जायें तो सागर हो जायें,अकेले हम धागा हैं और मिल जायें तो चादर हो जायें।
(36) आप की खिदमत में एक वफद फ़रियाद लेकर आये हैं मेहरबानी करके उसपर गौर करें और देश के माहौल और ज़रूरत को देखते हुए, मुसलमानो के ख्वाइश और ज़ज़्बात को ध्यान में रख कर उसपर अमल करने की कोशिश करें.
मिल्लत में इन्तेशार क़यामत से कम नहीं,
मिल्लत में इत्तेहाद इबादत से कम नहीं.
इस्माईल बटलीवाला (राष्ट्रीय कन्वेनर: पोलिटिकल यूनिटी कैंपेन)
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