*जमियते उल्माए हिंद और अन्य मुस्लिम गुजराती संस्थान को ध्यान करवाने के लिये मेसेज कर रहा हु.*
Date:- 22 Jun 2021
_समय बहोत कठीन और साजिश के साथ अपना चेहरा दिखा रहा हे, एसे मे समय के साथ अपना तालमेल मिलाकर चलना हमारी सबसे बडी जरुरत हे._
फिलहाल गुजरात सरकार की तरफ से *लव जिहाद के नाम से कानून पास किया गया हे,* जिसके बाद सरकारी सिस्टम सक्रिय होकर अपना पुरा ध्यान इसी कार्यो पर लगाकर आगे बढना चाहते हे, इसी विषय से जुडी कुच घटनाएँ हम लगातार सोशल मिडिया और प्रिंट मिडिया के माध्यम से देख रहे हे, कई जगाह पर मुस्लिम समाज के धार्मिक गुरुओं और मस्जिद के इमामो और जिम्मेदार लोगो को प्रशासन जमा करके लव जिहाद कानून को लेकर आगह करने का कार्य करते नजर आ रहे हे.
मे देख रहा हु, इतनी गंभीर परिस्थितियां बन रही हे और हमारी तंजीमें खामोशी से सारा तमाशा देख रही हे, जमियते उल्माए हिंद और अन्य मुस्लिम संस्थान इस घटना को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभाये, और आने वाले मजिद खतरे से समाज को बचाने और आगाह करने के लिये अभी से एक्टिव हो.
क्या करने की जरुरत हे❓
नंबर 1️⃣ मस्जिदों के इमामो के साथ मजबुत संपर्क बनाये और उनकी जिल्ला और ब्लोक लेवल पर इमाम युनियन बनाने का प्रयास किया जाये.
नंबर 2️⃣ मस्जिद के इमामो को कानून और अधिकारों को लेकर जानकारी देने के साथ जिल्ला लेवल की हर इमाम युनियन को एक मजबूत एडवोकेट के साथ ग्राउंड लेवल पर मददगार साबित हो एसा साहसिक,निडर सामाजिक कार्यों मे सक्रियता रखने वाला एक व्यक्ति दिया जाये.
नंबर 3️⃣ हर जिल्ला मे महीने मे एक बार इमाम युनियन की मीटिंग रखते हुये, उनके पास आने वाली किसी भी सरकारी अर्ध सरकारी परिस्थितियों का सामना करने के लिये अभी से उनको आत्मनिर्भर किया जाये,और जब कोइ घटना घटित हो उस वक्त किस तरहा इसका सामना करना हे? उसकी जानकारी देने का प्रयास किया जाये.
नंबर 4️⃣ कीसी सरकारी प्रशासन की तरफ से किसी कार्य के लिये बुलाया जाये उस वक्त किस तरहा काम करना हे? उसकी मजबूत जानकारी देने के साथ उनका आत्मविश्वास मजबूत करने का मुकम्मल प्रयास किया जाये.
नंबर 5️⃣ मस्जिदों से जुडी छोटी मोटी समस्याओं को सुलझाने के लिये इमाम युनियन के साथ अन्य धार्मिक, सामाजिक संस्थान एक होकर समस्याओं का समाधान करने का मजबूत प्रयास किया जाये.
ये कार्य इस वक्त की सबसे बडी जरुरत हे 2021 की शदी फितने का डोर हे हमे इन फितनो और फसाद के साथ शैतानी चालों से बचने के लिये तदबीर करने के लिये आगे बढना पडेगा, वरना खाली सोशल मिडिया मे अपने आपको बडा मुस्लिम और मुसलमानों का खैरखाह बताने से कुच होने वाला नही हे.
ये काम करने मे अगर कोइ सफलता प्राप्त कर सकता हे तो वो *जमियते उल्माए हिंद* हे, इस मेसेज को तमाम मुस्लिम स्थान के जिम्मेदारों तक शेर करे.
अगर इस वक्त जमियते उल्माए हिंद इस कार्यो को अंजाम उस तरहा नही देती जिस तरहा उसको देना चाहिये ये निश्चित हो जायेगा JUH अपना वकार कुव्वत मिल्लत मे से खौ चुकी हे.
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*जो कौम हालात पर सोचना छोड देती हे, वो कोम जाहिल लीडर की गुलामी और जालीमों का शिकार होती रेहती हे.*