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Saturday, 8 September 2018

इमाम को मारने की घटना

गुजरात में शाकिल अभिषेक के उदय पर

शकील बन हनीफ का प्रलोभन विद्वानों और अरबाब फ़िक्रो नज़र के लिए मोहताज परिचय नहीं है पिछले कुछ वर्षों से देश के अन्य राज्यों की तरह उसने गुजरात में भी अच्छे खासे पैर पसार शुरू कर दिए हैं

ताजा घटना सूरत जिले के लिम्फोसाइट गांव है जहां इन लोगों ने उनकी राह में आने वाले और उनका मुकाबला करने वाले एक मौलवी के साथ सख्त पिटाई का मामला किया।

किस्सा संक्षेप है कि लिम्फोसाइट गांव में पिछले कुछ महीनों से यह मित्रों अपने विशिष्ट शैली भूमिगत मेहनत कर रहे थे इसी मेहनत के दौरान इमाम पी के एक बंगाली शिष्य उनके हत्थे चढ़ गया उन ने मिलकर विभिन्न प्रश्नों इस बंगाली मजदूर का मन खराब करना शुरू किया और वह इमाम पी जवाब लेकर अपना मन साफ ​​करता रहा मामला अत्यधिक बढ़ जाने पर अस्र की नमाज़ के बाद गांव के लोगों ने इमाम पी के साथ गांव के सक्रिय शकील की फहतिश और यह पिछले वारंटी ने यह भी कहा कि यदि इस तरह के कार्य हमारे दिल में पाए जाते हैं, तो नतीजा परिणाम होगा

इस धमकी फहतिश फलस्वरूप वह आदमी तो चला गया लेकिन इशा की नमाज़ के समय कामरेज चार रास्ते पाँच छह शकील उसके समर्थन में गांव आकर इमाम पी के साथ उलझने लगे लोग इकट्ठे हुए बात बढ़ने लगी टूटू में बढ़कर नौबत हाथापाई हालांकि, कुछ मामलों में, उन्हें मामले में स्थानांतरित कर दिया गया था

देर रात गए लगभग ग्यारह बारह बजे यह पांच छह सज्जनों लौटे और चौराहे पर बैठे चार पाँच नौजवानों को हथियार बताकर यह कह गए कि हिम्मत हो तो हमारे पीछे आओ हम दिखाते हैं

इन युवकों ने न आओ देखा न ताओ सवारी उठाकर उनके पीछे लपके उधर अल साद को खबर पहुंची वे युवाओं को रोकने के लिए दौड़े कि अब हम अंतिम बात कर ली है अब उनसे उलझन नहीं है भविष्य अगर उन्होंने कुछ हरकत तो नहीं छोड़ेगा

लेकिन इतने में यह युवा इन शकीलयों का पीछा करते हुए गांव के बाहर पहुंच गए पीछे अल साद भी पहुंचे वहां जाकर पता चला कि नियमित योजना के तहत पच्चीस तीस शकीलयों समर्थक वहाँ इकट्ठा उन्होंने पत्थरबाजी शुरू कर दी इतना बड़ा भीड़ देखकर युवा भाग उठे ताकि गांव से दूसरे लोगों को बलालाए अल साद जो फहतिश को पहुंचे थे उनके प्रलोभन परवरों हाथ लग गए तो उन्होंने बड़ी बेरहमी से डंडे सलाखों और लोहे और चमड़े की पाइप से इमाम पी मारना शुरू पच्चीस आदमियों इमाम सॉ की उपस्थिति में, अपराधियों ने इमाम इमाम को बड़े पैमाने पर मारा विल इमाम पी: आशय यह था कि आज काम ही सभी दे भगवान के लिए सहमत एक पुलिसकर्मी गश्त करते हुए वहां आ पहुंचा जिसे देखकर यह लोग भाग गए पुलिसकर्मी ने गांव वालों को फोन किया भागे हुए युवक भी भीड़ ाठालाए लेकिन तब तक देर हो चुकी थी इमाम पी हाथ की दवहडयाँ निकचर गईं और पसली की हड्डी भी दरार गई इसके अलावा हड्डियों और शरीर के विभिन्न भागों पर जो पाइप मारे गए वे अलग हैं

तुरंत इमाम पी अस्पताल ले गए देर रात होने के कारण डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो सके सुबह साथ बजे ऑपरेशन हुआ और अब अल साद बहमदललह सर्वशक्तिमान सुप्रभात हैं

इमाम पी नाम मौलवी लुकमान खानपवरी तम खोलोड़िय है गुजरात की प्रमुख शैक्षणिक संस्था जामिया डाभेल महोदय और लिम्फोसाइट गांव सक्षम और लोकप्रिय इमाम हैं पिछले कुछ महीनों से वह शकीलयों के खिलाफ सक्रिय थे जामिया के शिबहय सुरक्षा युवा शिक्षक मुफ्ती शोएब बम्बवी पी ज़ैद फ़ैज़ी इस संबंध में भी संपर्क थे

दूसरे दिन घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद हिंदू सूरत के जमीयत उलमा प्रतिनिधिमंडल; राष्ट्रपति आदरणीय सदस्य वीरता जामिया डाभेल मौलाना अरशद मीर स मदठलह नेतृत्व में वकीलों की टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे गांव के लोगों से हाल अहवाल लिए मिल बैठकर सलाह हुआ और भविष्य के लिए रणनीति तय पाया अस्पताल पहुंचकर इमाम पी की अयादत इसके अलावा
कठोर से पाठक जुबैर पी भी पहुँचे वहाँ भी सलाह हुआ जामिया से विभाग सुरक्षा मउकर ज़िम्मेदार शिक्षक प्रिय मुफ़्ती महमूदुल पी बार्डोलिय मदठलह ने सारी जानकारी मांगे ताकि प्रकाश आगे की कार्रवाई की जा सके

एफआईआर दर्ज हो चुकी है अपराधियों की तलाश जारी है सारे अपराधी फरार बताए जा रहे हैं देर सवेर कार्रवाई जरूर होगी शा अल्लाह!

अंत में हम एक सवाल मुसलमानाने गुजरात विवेक पर छोड़ जा रहे हैं कि जूकाम हमें बहुत पहले करना था वह काम भूमिगत दीमक की तरह फैलने वाले कायर शकील खुल्लम खुल्ला नहीं हो गया?

वैसे भी इस क्षेत्र में काम करने वालों का अनुभव है कि यहाँ कभी-कभी भाषाई हारून से अधिक िसाए मूसा प्रभावी होता है और चिंता सिद्दीकी कई गुणा खिताबी अपना काम दिखाती है

گجرات میں شکیلی فتنہ عروج پر

شکیل بن حنیف کا فتنہ اہل علم اور ارباب فکر و نظر کے لیے محتاج تعارف نہیں ہے پچھلے چند سالوں سے ملک کے دیگر صوبوں کی طرح اس نے گجرات میں بھی اچھے خاصے پاؤں پسارنے شروع کردیے ہیں

تازہ حادثہ سورت ضلع کے لسکانا گاؤں کا ہے جہاں ان لوگوں نے ان کی راہ میں آنے والے اور ان کا مقابلہ کرنے والے ایک عالم کے ساتھ سخت زدوکوب کا معاملہ کیا.

قصہ مختصر یہ ہے کہ لسکانا گاؤں میں پچھلے چند مہینوں سے یہ احباب اپنے مخصوص طرز پر زیر زمین محنت کررہے تھے اسی محنت کے دوران امام ص کا ایک بنگالی شاگرد ان کے ہتھے چڑھ گیا ان لوگوں نے مل کر مختلف سوالات سے اس بنگالی مزدور کا ذہن خراب کرنا شروع کیا اور وہ امام ص سے جواب لے کر اپنا ذہن صاف کرتا رہا معاملہ حد سے زیادہ بڑھ جانے پر عصر کی نماز کے بعد گاؤں کے لوگوں نے امام ص کے ساتھ مل کر گاؤں کے فعال  شکیلی کی فہمائش کی اور اسے آخری وارننگ بھی دے دی کہ اگر اس کے بعد تو ہمارے دیار میں اس قسم کی حرکتیں کرتا پایا گیا تو نتیجے کا  ذمے دار تو ہوگا

اس دھمکی آمیز فہمائش کے نتیجے میں وہ آدمی تو چلاگیا مگر عشا کی نماز کے وقت کامریج چار راستے سے پانچ چھ شکیلی اس کی حمایت میں گاؤں آکر امام ص کے ساتھ الجھنے لگے لوگ جمع ہوگئے بات بڑھنے لگی توتو میں میں سے بڑھ کر نوبت ہاتھا پائی تک پہنچ گئی بہر حال کسی طرح ان کو بھگا کر  معاملہ رفع دفع کیا گیا

دیر رات گئے قریبا گیارہ بارہ بجے یہ پانچ چھ حضرات واپس آئے اور چوراہے پر بیٹھے چار پانچ نوجوانوں کو ہتھیار بتاکر یہ کہہ گئے کہ ہمت ہوتو ہمارے پیچھے آؤ ہم دکھاتے ہیں

ان نوجوانوں نے نہ آؤ دیکھا نہ تاؤ سواری اٹھاکر ان کے پیچھے لپکے ادھر امام ص کو خبر پہنچی وہ ان نوجوانوں کو روکنے کے لیے دوڑے کہ اب ہم نے فائنل بات کرلی ہے ابھی ان سے الجھنا نہیں ہے آئندہ اگر انہوں نے کچھ حرکت کی تو چھوڑیں گے نہیں

مگر اتنے میں یہ نوجوان ان شکیلیوں کا تعاقب کرتے ہوئے گاؤں کے باہر پہنچ گئے پیچھے پیچھے امام ص بھی پہنچے وہاں جاکر معلوم ہوا کہ باقاعدہ پلاننگ کے تحت پچیس تیس شکیلیوں کے حمایتی وہاں جمع ہیں انہوں نے پتھر بازی شروع کردی اتنا بڑا مجمع دیکھ کر نوجوان بھاگ اٹھے تاکہ گاؤں سے دوسرے لوگوں کو بلالائے اور امام ص جو فہمائش کے لیے پہنچے تھے ان فتنہ پروروں کے ہاتھ لگ گئے چنانچہ انہوں نے بڑی بے رحمی سے ڈنڈوں سلاخوں اور لوہے اور چمڑے کی پائپوں سے امام ص کو مارنا شروع کیا پچیس آدمیوں کے سامنے امام ص کی کہاں تک چل پاتی ان ظالموں نے امام ص کو بڑے جابرانہ انداز میں مارا بقول امام ص: ارادے یہ تھے کہ آج کام ہی تمام کردے خدا کا کرنا کہ اتفاقا ایک پولیس والا گشت کرتے ہوئے وہاں آ پہنچا جسے دیکھ کر یہ لوگ بھاگ گئے پولیس والے نے گاؤں والوں کو فون کیا بھاگے ہوئے نوجوان بھی مجمع اٹھالائے مگر تب تک دیر ہوچکی تھی امام ص کی ہاتھ کی دوہڈیاں فیکچر ہوگئیں اور پسلی کی ہڈی بھی کریک ہوگئی اس کے علاوہ ہڈیوں اور جسم کے مختلف حصوں پر جو پائپ مارے گئے وہ الگ ہیں

فورا امام ص کو ہسپتال لے گئے رات دیر ہوجانے کے باعث ڈاکٹر دستیاب نہ ہوسکے صبح ساتھ بجے آپریشن ہوا اور اب امام ص بحمدللہ تعالی بخیر ہیں

امام ص کا نام مولوی لقمان خانپوری ثم کھولوڑی ہے گجرات کی معروف درسگاہ جامعہ ڈابھیل کے فاضل اور لسکانا گاؤں کے فعال و مقبول امام ہیں پچھلے چند مہینوں سے وہ شکیلیوں کے خلاف سرگرم تھے جامعہ کے شعبہء تحفظ کے نوجوان استاد مفتی شعیب بمبوی ص زید فیضی  سے اس سلسلے میں رابطے میں بھی تھے

دوسرے دن صبح واقعے کی اطلاع ملتے ہی جمعیت علما ہند سورت کا وفد;  صدر محترم رکن شوری جامعہ ڈابھیل مولانا ارشد میر ص مدظلہ  کی قیادت میں وکلا کی ٹیم کے ساتھ جائے وقوعہ پر پہنچا گاؤں کے لوگوں سے حال احوال لیے مل بیٹھ کر مشورہ ہوا اور آئندہ کے لیے لائحہ عمل طے پایا ہسپتال پہنچ کر امام ص کی عیادت بھی کی
کٹھور  سے قاری زبیر ص بھی پہنچے وہاں بھی مشورہ ہوا جامعہ سے شعبہ تحفظ کے مؤقر ذمے دار استاد محترم مفتی محمود ص بارڈولی مدظلہ نے ساری تفصیلات طلب کیں تاکہ اس کی روشنی میں آگے کی کارروائی کی جاسکے

ایف آئی آر درج ہوچکی ہے مجرموں کی تلاش جاری ہے سارے مجرم مفرور بتائے جارہے ہیں دیر سویر کارروائی ضرور ہوگی ان شاء اللہ!

اخیر میں ہم ایک سوال مسلمانان گجرات کے ضمیر پر چھوڑے جارہے ہیں کہ جوکام ہمیں بہت پہلے کرنا تھا کیا وہ کام زیر زمین دیمک کی طرح پھیلنے والے بزدل شکیلی کھلم کھلا نہیں کرگئے?

ویسے بھی اس فیلڈ میں کام کرنے والوں کا تجربہ ہے کہ یہاں بسا اوقات لسانِ ہارون سے زیادہ عصائے موسی مؤثر ہوتا ہے اور فکرِ صدیقی سے زیادہ ضربِ خطابی اپنا کام دکھاتی ہے

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...