तारीख:-05/03/2019
१९९२ के बाद; 21वीं सदी की शुरुआत में विशेषकर 2002 और 2008 के अंतराल में देश में कई जगहों पर जो बड़े बड़े बम धमाके हुए , वे सारे आरएसएस के ही कृत्य हैं।
सच कहें तो ऐसे बम धमाके होने के बाद उसकी जाँच की एक परंपरा बन गयी थी।जैसे ही कोई घटना हुई , आईबी (इंटेलीजेन्स ब्युरो) उसी दिन किसी मुस्लिम संगठन को दोष देकर उसके खिलाफ कार्यवाही करती थी।अगले 2-3 दिनों में देश के अलग-अलग स्थानों से बेगुनाह मुस्लिम युवाओं को गिरफ़्तार किया जाता था।और मिडिया इन खबरों को बड़े ज़ोर शोर से प्रकाशित करती थी।इसके बाद टीवी पर प्राइम टाइम चर्चासत्र, समाचार पत्रों में लेख-आलेख आदि में यह एक चर्चा का विषय बना रहता था।जिससे समाज में मुसलमानों के प्रति डर पैदा हो। टाडा, मकोका,... काले कानून संसद में पास कर सके ताकि बेगुनाह मुस्लिम लोगों को दहशतगर्दी के इल्जाम में कैद कर सके। साथ ही नक्सलवाद के आरोप में आदिवासियों को गिरफ्तार करने के लिए कड़े कानून बनाए जा सके, ताकि उनको वहाँ से भगाकर जंगल, वन, पहाड़ों में छुपी खनिज संपत्ति हासिल कर सके।
उस घटना को इससे पहले कि आप लोग भूलते तब तक और एक नई घटना हो जाती।उसकी भी इसी प्रकार जाँच की जाती और फिर मीडिया में नया विषय बना रहता।
संघ नियंत्रित “आईबी” +संघ और मीडिया के गठजोड़ से पिछले दो दशकोंसे इसी प्रकार इस देश में चल रहा है।
संघ को येनकेन प्रकरेण सत्ता इसीलिए चाहिए कि वह अपने आतंकवादियों को सुरक्षा दे सके और अपना मनुस्मृति ऐजेन्डा चला सकें और परमाणु हथियार हासिल कर सके। आँख पर पर्दा डाले लोग सावधान हो जाएँ।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भारत का पहले नंबर का आतंकवादी संगठन है।
देश में किसी भी आतंकवादी संगठन ने आरडीएक्स का इस्तेमाल इस प्रकार से नहीं किया है जिस प्रकार से आरएसएस ने किया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद फैलाने के जुर्म में आरएसएस और इसके सहयोगी दलों विरुद्ध कम से कम 18 चार्जशीटें दाखिल की जा चुकी हैं।
देश की सुरक्षा एजेंसी आईबी इंटेलिजेंस ब्यूरो भी आरएसएस के साथ मिलकर काम कर रहा है। इंटेलिजेंस ब्यूरो ऐसी एजेंसी है जो अपने काम के लिए सरकार या किसी और को जवाबदेह नहीं है इसी बात का फायदा उठा कर इसका इस्तेमाल ग़लत तरीके से किया जा रहा है। सरकारें आती हैं और चली जाती हैं लेकिन आईबी अपने काम में जुटी रहती है और उसके हर बयान को सच माना जाता रहा है।
पुलवामा हमला आरडीएक्स से लदी कार से कराया गया। कार बम यह मोसाद का भरौसेमंद हथियार है। किसी भी कार को रिमोट से संचालित करने में इजराइली कंपनियों कोे महारत हासिल है।
*पिछले साल आरएसएस आतंकवादी संदीप शर्मा ने अमरनाथ यात्रा पर हमला किया, लेकिन मुफ्ती महबूबा के काबिल पुलिस विभाग ने उसे दबोच लिया। अगर अब राष्ट्रपति शासन नही होता तो इसके असली गुनहगार अभी तक दुनिया के सामने होते? यह हमला राष्ट्रपति शासन कि अवधि बढ़ाने के लिए किया गया, ताकि वहाँ पर कभी चुनाव ना हो।*
पठाणकोट के हमलावर आरएसएस के आतंकवादी थे। यह हमला देश के सभी एअरफोर्स स्टेशन कि सुरक्षा में तैनात डीएससी ( डिफेंस सिक्युरिटी कॉर्प्स) के चयन प्रक्रिया को और सख्त बनाने के लिए था। दिल्ली से एअरफोर्स कि 'गरूड' कमांडो टिम हमले के एक रात पहले ही क्यों पहुंच गयी थी? वह पहले से ही पठाणकोट एअरफोर्स स्टेशन के टेक्निकल सेक्शन जहा पर सभी जहाज, हैंगर होता है वहाँ पहले से कैसे मौजूद थी? डीएससी में जो जवान रिटायर होते थे वह दोबारा भर्ती होते है। ट्रेड्समन: कुक, धोबी, हजाम, स्वीपर इनका प्रमोशन सिर्फ हवलदार तक सीमित होने कि वजह से यह लोग ज्यादा से ज्यादा २४-२६ साल ही नोकरी कर पाते है। रिटायरमेंट के बाद उन्हें ढंग की नौकरी नही मिलती इसलिए वे १६-१७ साल नौकरी करके दोबारा डीएससी सेना में आते थे। पठाणकोट हमले का मकसद ट्रेड्समन और टेक्निकल सेना के विभागों में काम करनेवाले जवानों को डीएससी में आने से रोकना था।
आज तक जितने धमाके, हमले हुए यह सब मोसाद, आयबी, आरएसएस द्वारा नियोजित साजिश है। मुंबई विस्फोट, दिल्ली विस्फोट, संसद हमला,भोपाल, अक्षरधाम मंदिर, रघुनाथ मंदिर, लाल किला, अजमेर, हैदराबाद, मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस, वाराणसी, नांदेड, परभणी, जालना, पुर्णा, कन्नूर, तेन काशी, पनवेल, ठाणे, वाशी, मडगाव विस्फोट, नगरोठा,गुरदासपुर, ऊरी, अमरनाथ यात्रा, पुलवामा हमला,.... यह सब भारत सरकार+आयबी+आरएसएस+ मोसाद कि साजिशे है।
ब्राह्मण आतंकवादी कर्नल पुरोहित का कनेक्शन आरडीएक्स मुहैया कराने में भी था।जितने धमाके हुए उन्हें सेना द्वारा आरडीएक्स मुहैया कराया गया। तभी तो पुरोहित अपनी वीडियो में कहता है जनरल जे जे सिंह अपने साथ है।
हेमंत करकरे की हत्या में खुफिया एजेंसी आईबी , मोसाद का हाथ है। करकरे, आतंकी गतिविधियों में हिंदू कट्टरवादी संगठनों की भूमिका की जांच कर रहे थे। वे मुंबई पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्तेट एटीएस के मुखिया थे। करकरे की हत्या में आईबी का हाथ होने के पुख्ता सबूत थे किंतु इसे साबित करने की सारी कोशिशें विफल रहीं। स्वतंत्र जांच की मांग हमेशा नकार दी गई। जब तक इसके लिए बड़े पैमाने पर जन आंदोलन नहीं चलाया जाएगा, तबतक इसे साबित नहीं किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , यह ब्राम्हणवादियों का ब्राम्हणवादियों के हित के लिए और ब्राम्हणवादियों द्वारा चलाया जा रहा एक अपंजीकृत संप्रादायिक संगठन है।
ब्राम्हणवादियों का झूठा प्रचार है कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है।बहुजनों और दलित युवाओं को संघ के साथ जोड़ने के लिए यह झूठा प्रचार किया जाता है।
पिछले कई सालों से चली आ रही विषमवादी जाति-व्यवस्था को बनाए रखना और सभी जातियों पर ब्राम्हणवादी वर्चस्व बनाए रखना यही इस संगठन का एक मात्र उद्देश्य है।
इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं , और परिस्थितियों के अनुसार अलग अलग षड्यंत्रों का उपयोग करते हैं।
पूर्वनियोजित हिन्दू-मुस्लिम दंगे करवाना ब्राम्हणवादियों का 20 वीं सदी का सबसे बड़ा षडयंत्र है।लेकिन 21 वीं सदी में आरएसएस ने अपने कार्यों में कुछ बदलाव किए हैं।हिन्दू- मुस्लिम दंगे कराने के अतिरिक्त मुस्लिम आतंकवाद का डर लोगों के दिल-दिमाग़ में भर देने का काम आरएसएस और अन्य ब्राम्हणवादी संगठन कर रहे हैं।
इसके अलावा अपने उद्देश्य को पुर्ण करने के लिए 36 नाजायज़ संगठनों में एक “अभिनव भारत”, सनातन , बजरंग दल,विश्व हिंदू परिषद, शि..सेना,... के नाम से और कई संगठन बनाए।
इन कार्यकलापों में थोड़ी सी रुकावट उस समय आई थी जब 2006 में नादेड़ बम धमाका हुआ।आरएसएस व बजरंग दल के आतंकी जब बम बना रहे थे उसी समय धमाका हुआ।घटना में दो की मौत हुई और चार लोग घायल हुए।लेकिन मीडिया ने इस घटना का ज्यादा प्रसारण नहीं किया , परिणामतः लोग उसे जल्दी भूल गये।
कुछ समय पश्चात फिर से पहले जैसे बड़े बम धमाके होने शुरू हो गये।साथ ही शुरू हुआ इन घटनाओं का आरोप मुस्लिम संगठनों पर लगाना एंव एटीएस जैसी राज्य स्तरीय पुलिस एजेन्सियों द्वारा मुस्लिम युवाओं को गिरफ्तार करना।
मीडिया ने भी पहले की तरह इन्हीं खबरों को अधिक प्रकाशित और प्रचारित करना शुरू कर दिया।इस तरह संघ , आईबी , एटीएस और मीडिया के गठजोड़ से इस देश में मुस्लिम आतंकवाद का झूठा माहोल फैलाने में आरएसएस धीरे धीरे कामयाब होने लगा।
लेकिन , सैल्यूट शहीद हेमंत करकरे को , इस आईपीएस पुलिस अधिकारी ने आरएसएस की सारी योजनाओं पर पानी फेर दिया।
सितंबर 2008 में मालेगाँव में हुए बम धमाके की जाँच करते समय उन्हें कुछ ऐसे सबूत मिले जिससे स्पष्ट हुआ कि सिर्फ़ मालेगाँव 2008 ही नहीं बल्कि इससे पहले जो भी बम धमाके हुए थे उसमें ज़्यादातर बम धमाके के लिए आरएसएस , अभिनव भारत और उनसे जुड़े ब्राम्हणवादी संगठन ज़िम्मेदार हैं।
साथ ही कुछ घटनाओं में बम रखते समय या तैय्यार करते समय धमाके हुए और उनमें भी आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के आतंकवादी बेनकाब हुए। नालासोपारा में सनातनी आतंकी वैभव राऊत हजारों बम बनाने लायक विस्फोटक के साथ पकड़ा गया।
मेरी जानकारी के अनुसार वर्तमान में संघ परिवार के खिलाफ संघ के कार्यकर्ता के कुन्नूर बम धमाके सहीत लगभग 22 मामले लंबित हैं।इनमें 17 केवल और केवल आरएसएस के खिलाफ है।और यदि अन्य मामलों की ईमानदारी से जाँच हो तो यह संख्या और बढ़ सकती है।
जेएनयू मामले के पीछे भी आरएसएस का हाथ है।
आरएसएस या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसी चालों के जरिये भारत को हिन्दू राष्ट्र में परिवर्तित करना चाहता है। उनका कहना था कि आरएसएस, एक व्यवस्था के अन्तर्गत काम रही है और यह ब्राह्मणवादी व्यवस्था है।
स्पष्ट है कि पिछले 90 साल से जो संगठन कथित रूप से देश में सामाजिक , सांस्कृतिक , देशप्रेम की भावना जगाने का कार्य कर रहा है , वह हकीकत में देश में आतंक फैलानेवाला एक आतंकवादी संगठन है और वह एक देशव्यापी देशद्रोही साज़िश का सूत्रसंचालन कर रहा है।