तारीख:-10/03/2019
Model Code of Conduct: क्या होती है चुनाव आचार संहिता, क्या है इसका मतलब?
By Ankur Sharma
Updated: Mon, Oct 8, 2018, 14:43 [IST]
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। जिन राज्यों में चुनाव का ऐलान हुआ है उनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना शामिल हैं। चुनाव ऐलान के बाद अब इन राज्यों में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा कि आखिर 'चुनाव आचार संहिता' होती क्या है और क्यों चुनाव आयोग इसे चुनावों के वक्त लागू करता है।
आदर्श आचार संहिता
चुनाव आचार संहिता / आदर्श आचार संहिता का मतलब है चुनाव आयोग के वो निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को करना होता है। जो इसका पालन नहीं करता है, उसे इसके लिए सजा सुनाई जाती है।राज्यों में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही वहां चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती हैं। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी सरकारें चुनाव आचार संहिता के दायरे में आती हैं।
Model Code of Conduct: क्या होती है चुनाव आचार संहिता, क्या है इसका मतलब?
By Ankur Sharma
Updated: Mon, Oct 8, 2018, 14:43 [IST]
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। जिन राज्यों में चुनाव का ऐलान हुआ है उनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना शामिल हैं। चुनाव ऐलान के बाद अब इन राज्यों में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा कि आखिर 'चुनाव आचार संहिता' होती क्या है और क्यों चुनाव आयोग इसे चुनावों के वक्त लागू करता है।
आदर्श आचार संहिता
चुनाव आचार संहिता / आदर्श आचार संहिता का मतलब है चुनाव आयोग के वो निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को करना होता है। जो इसका पालन नहीं करता है, उसे इसके लिए सजा सुनाई जाती है।राज्यों में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही वहां चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती हैं। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी सरकारें चुनाव आचार संहिता के दायरे में आती हैं।
यह भी पढ़ें:'माया की जिद से भाजपा को एमपी में मिल सकता है तगड़ा फायदा'
प्रदेश सरकार और प्रशासन पर कई अंकुश
आचार संहिता लगने के बाद मुख्यमंत्री या मंत्री अब न तो कोई घोषणा कर सकते हैं, न शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन कर सकते हैं।
सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं होगा, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचे।
मतदान केंद्र पर गैर जरूरी भीड़ जमा नहींं हो सकती है ।
जिन्हें चुनाव आयोग ने परमिशन ना दी हो वो मतदान केंद्र पर नहीं जा सकते हैं।
राजनीतिक दलों की हरकत पर चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नजर रखते हैं।
सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल मंत्री नहीं कर सकते हैं।
सरकारी बंगले का या सरकारी पैसे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के दौरान नहीं किया जा सकता है।
Model Code of Conduct: क्या होती है चुनाव आचार संहिता, क्या है इसका मतलब?
By Ankur Sharma
Updated: Mon, Oct 8, 2018, 14:43 [IST]
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। जिन राज्यों में चुनाव का ऐलान हुआ है उनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना शामिल हैं। चुनाव ऐलान के बाद अब इन राज्यों में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा कि आखिर 'चुनाव आचार संहिता' होती क्या है और क्यों चुनाव आयोग इसे चुनावों के वक्त लागू करता है।
आदर्श आचार संहिता
चुनाव आचार संहिता / आदर्श आचार संहिता का मतलब है चुनाव आयोग के वो निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को करना होता है। जो इसका पालन नहीं करता है, उसे इसके लिए सजा सुनाई जाती है।राज्यों में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही वहां चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती हैं। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी सरकारें चुनाव आचार संहिता के दायरे में आती हैं।
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प्रदेश सरकार और प्रशासन पर कई अंकुश
आचार संहिता लगने के बाद मुख्यमंत्री या मंत्री अब न तो कोई घोषणा कर सकते हैं, न शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन कर सकते हैं।
सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं होगा, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचे।
मतदान केंद्र पर गैर जरूरी भीड़ जमा नहींं हो सकती है ।
जिन्हें चुनाव आयोग ने परमिशन ना दी हो वो मतदान केंद्र पर नहीं जा सकते हैं।
राजनीतिक दलों की हरकत पर चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नजर रखते हैं।
सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल मंत्री नहीं कर सकते हैं।
सरकारी बंगले का या सरकारी पैसे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के दौरान नहीं किया जा सकता है।
धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं
राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न ही व्यक्तिगत।
धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें।
किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम
सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए।
दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लें कि जो स्थान उन्होंने चुना है, वहॉं निषेधाज्ञा तो लागू नहीं है।
सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें।
सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।
जुलूस संबंधी नियम
जुलूस का समय, शुरू होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय तय कर सूचना पुलिस को दें।
जुलूस का इंतजाम ऐसा हो, जिससे यातायात प्रभावित न हो।
राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले बात कर लें।
जुलूस सड़क के दायीं ओर से निकाला जाए।
जुलूस में ऐसी चीजों का प्रयोग न करें, जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सके।
मतदान के दिन संबंधी नियम
अधिकृत कार्यकर्ताओं को बिल्ले या पहचान पत्र दें।
मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर हो और उसमें प्रतीक चिह्न, अभ्यर्थी या दल का नाम न हो।
मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।
मतदान केन्द्र के पास लगाए जाने वाले कैम्पों में भीड़ न लगाएं।
कैम्प साधारण होने चाहिए।
मतदान के दिन वाहन चलाने पर उसका परमिट प्राप्त करें।
सत्ताधारी दल के लिए नियम
कार्यकलापों में शिकायत का मौका न दें।
मंत्री शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार के कार्य न करें।
इस काम में शासकीय मशीनरी तथा कर्मचारियों का इस्तेमाल न करें।
सरकारी विमान और गाड़ियों का प्रयोग दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए न हो।
हेलीपेड पर एकाधिकार न जताएं।
विश्रामगृह, डाक-बंगले या सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं हो।
इन स्थानों का प्रयोग प्रचार कार्यालय के लिए नहीं होगा।
सरकारी धन पर विज्ञापनों के जरिये उपलब्धियां नहीं गिनवाएंगे।
मंत्रियों के शासकीय भ्रमण पर उस स्थिति में गार्ड लगाई जाएगी जब वे सर्किट हाउस में ठहरे हों।
कैबिनेट की बैठक नहीं करेंगे।
स्थानांतरण तथा पदस्थापना के प्रकरण आयोग का पूर्व अनुमोदन जरूरी।