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Monday, 18 November 2019

इस्माईल बटलीवाला (राष्ट्रीय कन्वेनर: पोलिटिकल यूनिटी कैंपेन)

Ittehad Invitation..By Speed Post,Date-13-11-2019

जनाब क़ादिर मोहिउद्दीन (राष्ट्रीय अध्यक्ष इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग)मौलाना बदरुद्दीन अजमल (राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट),जनाब M.K फ़ैज़ी(राष्ट्रीय अध्यक्ष सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया),डॉ सय्यद क़ासिम रसूल इल्यास साहेब,(राष्ट्रीय अध्यक्ष वेलफेर पार्टी ऑफ़ इंडिया),डॉ. मोहम्मद अय्यूब साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष पीस पार्टी),मौलाना आमिर रसादि साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल),जनाब मुहम्मद सुलेमान साहेब,(राष्ट्रीय अध्यक्ष इंडियन नेशनल लीग),जनाब शमशेर खान पठान साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष आवामी विकास पार्टी) जनाब मरहूम सलीम पीरजादा साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष परचम पार्टी ऑफ़ इंडिया)मौलाना तौक़ीर रज़ा साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष इत्तेहाद -ए-मिल्लत कौंसिल),एडवोकेट वसी अहमद साहेब, (राष्ट्रीय अध्यक्ष आल इंडिया मुस्लिम मजलिस.जनाब मजीद उल्लाह खान (राष्ट्रीय अध्यक्ष मजलिस बचाओ तहरीक)

मनिवर,
इत्तेहाद के लिये मीटिंग राखी गयी है और उस मीटिंग में 12 पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव को नेवता भेजा गया है। आप से गुजारिश है की वक़्त पर पहोचने की कोशिश करें।

दिनांक:: 15 दिसंबर रविवार 2019

वक़्त::सुबह 10 बजे

पता ::401.बी,महविश टावर,पटेल काम्प्लेक्स,मीरा गांव, काशिमिरा,जिल्ला ठाणे -401107.

३५ पैराग्राफ का पत्र साथ में जोड़ा हुआ है।

इस्माईल बाटलीवाला
(राष्ट्रीय कन्वेनर: पोलिटिकल यूनिटी कैंपेन)

Iiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii
(1) मुस्लमानो ने सेक्युलरिज्म के नाम पर 1947 से 1975 तक बिना शर्त कांग्रेस का साथ दिया, 1977 में जय प्रकाश नारायण की लीडरशिप में जनता पार्टी बनी जिसमे RSS की साऱी तंज़ीमें शामिल थी और मुस्लमानो ने बिना शर्त जनता पार्टी का साथ दिया,1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की लीडरशिप में जनता दल और BJP के साथ समझौता हुआ और मुस्लमानो ने बिना शर्त जनता दल और BJP का साथ दिया,पश्चिम बंगाल में,C.P.M. aur C.P.I.को मुस्लमानो ने बिना शर्त इनका साथ दिया,आंध्र प्रदेश में तेलगुदेशम पार्टी को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,उत्तर प्रदेश में मायवती और मुलायम सींघ को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,बिहार में लालू प्रसाद और नितीश कुमार को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,आसाम में कांग्रेस और आसाम गणपरिषद को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,तमिल नाडु में जय ललिता और करुणा निधि को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,, कर्नाटका में कांग्रेस और देवेगौड़ा को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया.मध्य प्रदेश,राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र में कांग्रेस को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,मगर सभी ने मुस्लमानो को सिर्फ वोट बैंक से जयादा कुछ नहीं समझा और मुस्लमानो के पिछड़ने के ज़िम्मेदार ये सभी पार्टी हैं,कोई मुर्ख बनाकर मुस्लमानो का वोट चाहता है कोई कानून से डरा कर वोट चाहता है कोई दंगा फसाद से डरा कर वोट चाहता है .
(2) हमारे पुरखों ने गोरे फिरंगियोंव से आज़ादी हासिल की थी मगर आज़ादी हाईजैक होकर काले फिरंगिओं के हाथ में चली गयी अब उसे फिर से हासिल करना है, क्यों कि काले फिरंगियोंव का पोलीटिकल सिस्टम पहले चोरी करना सिखाता है, फिर चोर पकड़ने के लिए क़ानून बनता है,फिर चोर को बचाने के लिए रिस्वत लेता है, फिर चोर और सिपाही दोनों साथ साथ रहते हैं,और देश में भरष्टाचार को बढ़ावा देते हैं.
(3) काले फिरंगियोंव का पोलीटिकल सिस्टम की वजह से देश भर में हैवानियत और दरिन्दगि का माहौल बढ़ता जा रहा है और इनके जाल में फंस कर लोग एक दूसरे के खिलाफ दरिन्दगी और दुश्मनी अपनाते जा रहे हैं और काले फिरंगियोंव का पोलीटिकल सिस्टम देश को गृहयुद्ध,धर्मयुद्ध और बटवारे की तरफ बढ़ा रहा है और उसका ज़िम्मेदार मुसलमानो को बनाने की कोशिश कि जा रही है.
(4) कांग्रेस,बीजेपी और कम्यूनिस्ट ये तीनो पोलिटिकल पार्टयिां 2% काले फिरंगियोंव के हाथ में हैं इस वजह से देश की राजनीति का दिवाला हो चूका है और आज तक कई बार पार्टी बदली, नेता बदले, झंडा बदला मगर काले फिरंगियोंव का पोलिटिकल सिस्टम ही कायम रहा है इसलिए देश में कोई बदलाव नहीं हो पा रहा.
(5) कांग्रेस ने सेकुलरिज्म को नेहरू घराने की प्रॉपर्टी बना ली है, हिंदुत्व को बीजेपी ने हाईजैक करके नागपुर में क़ैद कर लिया है, समाजवाद पर मुलायम और लालू परिवार ने कब्ज़ा करलिया, लैफ़्ट ग्रुप ने लेनिनवाढ और मार्क्सवाद को सत्ते का गुलाम बना दिया.मायावती रामविलास पासवान,जीतन राम मांझी ,उदित राज,रामदास अठावले , ने बहुजनवाद को काले फिरंगियोंव के हाथ में गिरवी रख दिया है,
(6) एक तरफ देखें तो देश का हर आदमी किसी ना किसी पार्टी और नेता का जय जय कार करता रहता है और एक दूसरे पर लानत मलामत करता रहता है और दूसरी तरफ उनसे पूछो के सच बताओ के देश हित में और जनता के हित में ईमानदार पार्टी या नेता कौन है तो सभी का जवाब होता है के कोई भी ईमानदार नहीं है और सब के सब जनता को उल्लू बना रहे हैं और जनता को आपस में लड़ा कर अपना मकशद पूरा करते हैं.
(7) महात्मा बुद्ध के विचार ,श्री कृष्णा के विचार, श्री राम चंद्र जी के आदर्श, श्री महावीर के विचार, गुरु नानक जी के विचार, हजरत ईसा के विचार, हजरत मोहम्मद (sw)के विचार हमारे देश की पूंजी है मगर काले फिरंगियोंव का पोलिटिकल सिस्टम उसको बदनाम और बर्बाद कर रहा है, इसलिये देश के सभी धर्मो का आदर करते हुए संविधान के दायरे में रहते हुए.कानून के पालन करते हुए एक स्वदेशी सियासी सिस्टम देश के सामने लाना चहिये जो अभी तक इस देश में नहीं हो पाया है.
(8) इत्तेहाद के कारण भारत के 2 % काले फिरंगियोंव की हिकमत अमली सफल हो जाती है और वो हुकूमत में है और मुस्लिम, दलित और हिन्दू OBC और आदिवासी इन्तेशार के कारण उनकी हिकमत अमली नाकाम हो जाती है इसलिए वो गुलामी में है.
(9) देश का सबसे बड़ा तबका हिन्दू OBC समाज है इसलिए उसको देश की बागडोर संभालनी चाहिये मगर वो मनुवादओर पूंजीवाद का खिलौना बन चूका है, उसके बाद बाड़ा तबका दलित का है और वो भी सियासी तौर पर बिखरा हुआ है, उसके बाद बड़ा तबका मुसलमानो है जो छोटी छोटी सियासी पार्टिओं में और मसलक बंटा हुआ है.
10 मुसलमानो को कभी बांग्लादेशी के नाम पर, कभी पाकिस्तानी के नाम पर, कभी आतंकवाद के नाम पर, कभी दंगा फसाद के कारण, कभी बम ब्लास्ट के नाम पर, कभी फ़र्ज़ी तंजीमों के नाम पर, कभी मुस्लिम बच्चों को बेजा तरीके से ग्रिफ्तार करके और कई तरीके से डराने, दबाने और उत्तेजित करने का काम हो रहा है.
(11) भारत देश में सिंगल लीडरशिप का माहौल नहीं है बल्कि सामूहिक लीडरशिप का माहौल है और देश बहुत बड़ा है इसलिए कोई एक लीडर काफी नहीं है,सामूहिक लीडरशिप खड़ा करना मुश्किल काम तो है मगर सिंगल लीडरशिप खड़ा करना ना मुमकिन है.
(12) अक्सर लोग सभी लीडरों पर किसी ना किसी का एजेंट होने का इलज़ाम लगाते रहते हैं मगर हमारा कहना है के मुसलमानो के पास जो सियासी लीडर मौजूद हैं उनको दुरुस्त करते हुए काम लेना पड़ेगा और इसी लीडरशिप से काम लेते हुए नयी पीढ़ी की भी लीडरशिप तैयार करनी होगी.
(13) दंगा फसाद हो, फेक एनकाउंटर हो,बेक़सूर नवजवानों की गिरिफ्तारी हो,मस्जिद या मदरसा का मामला हो,क़ुरान की तौहीन हो,नबी (sw) का कार्टून हो, या बजरंगदल और विश्व हिन्दू परिषद की बद कलामी हो,हमारे नेता अकेले अकेले आवाज़ उठाते रहे हैं मगर इसका नतीजा सिर्फ अख़बार में छपने और Tv पर दिखने से ज्यादा कुछ नहीं हो रहा है, अगर आप लोग मिलकर एक साथ आवाज़ उठायें तो बहुत बेहतर नतीजा निकलेगा.
(14) देश भर में 1 दर्ज़न मुस्लिम नेता हैं जिनको सियासी तौर पर एकजुट करने से पूरी क़ौम एकजुट हो सकती है और उसके बाद मुसलमानो के सारे मसले हल होने शुरू हो जायेंगे.
(15) देश का मुस्लमान दिल से इत्तेहाद चाहता है मगर देखना है के है जो इस आवाज़ को सुन रहा है और महसूश कर रहा है और इस नेक मकशद के लिए कौन मुस्लिम लीडर आगे आ रहा है.
(16) गठबंधन का ज़माना है और सभी पार्टीयों को गठबंधन की ज़रूरत है और गठबंधन करती भी है, मुस्लिम पार्टीयों को भी गठबंधन करने की कोशिश करनी चहिये.
(17) N.D.A, और U.P.A, की तरह देश में और मुस्लिम लीडरशिप में एक गठबंधन की ज़रूरत है मतलब एक तीसरे मोर्चे के गठन होना चाहये जिसकी अगवाई मुस्लिम लीडरशिप करें.
(18) अयेसी सूरत में मोरारजी देसाई, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच. डी. देवेगौड़ा, चंद्रशेखर, इंदरकुमार गुजराल की तरह इस मोर्चे का प्रधानमंत्री होने के रास्ते निकल सकते हैं.
(19) गैर मुस्लिम की बड़ी तादाद आप लोग की राह देख रहा है के मुस्लमान एकजुट होना चाहिये और वो इस गठबंधन के पीछे आने को तैयार हैं मगर जब तक मुस्लिम सियासी परिवार एक साथ खड़ा नहीं होगा तो दूसरे लोग हमारे साथ नहीं खड़े होंगे.
(20) मादर-ए वतन के लोग मुस्लिम इत्तेहाद के इंतज़ार में हैं और हमारे संपर्क में हैं जिस दिन मुस्लिम इत्तेहाद होगया उस दिन से सियासी तौर पर OBC,DALIT,SIKH,Christian etc,हमारे साथ खड़े नज़र आयेंगे.
(21) सभी मुस्लिम लीडर पर इलज़ाम लगता रहा है के RSS और BJP के एजेंट हैं मगर हमारा कहना है के जिस दिन इत्तेहाद हो जायेगा उसी दिन ये इलज़ाम भी ख़तम हो जायेगा.
(22) मुस्लिम इत्तेहाद होने से मुसलमानो की तालीमी, सियासी, समाजी, माली और क़ानूनी मसले जो आज़ादी के दिन से उलझे हुए हैं वो सभी हल होना सुरु हो जायेगे
(23) मुसलमानो का पिछड़ापन सियासत के कारण है और सियासी लोगो ने ही पैदा किया है और इसका हल भी सियासी तरीके से ही होगा.
(24) मुस्लिम लीडरशिप की दर्ज़नो खानदानी पार्टी बनाना गलत हुआ है, बल्कि एक नेशनल,जम्हूरी, पार्टी बनाते और हर स्टेट की लीडरशीप मज़बूत करते तो अच्छा होता.
(25) आप सभी लोग कहते है के मुसलमानो मोत्तहिद हो जाओ. मगर मुस्लिम अवाम कहती है के तुम एक दर्ज़न लोग मोत्तहिद हो जाओ हम 25 करोड़ लोग मोत्तहिद हो जायेंगे और अगर तुम लोग बिखरे रहे तो 25 करोड़ लोग बिखरे रहेंगे.
(26) दलित दूसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है,यादव दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है,कुर्मी दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता हैi,ब्राह्मण दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है,और मुस्लमान भी दुसरों के सहयोग से हुकूमत बना सकता है.
(27) पहले मुस्लिम सियासी परिवार को एकजुट करके मेजबानी केलिए तैयार होना चाहये उसके बाद दूसरे समाज के सियासी परिवार को भी दावत देनी चाहये.
(28) अब देश और कौम की भलाई के लिए या तो आपस में इत्तेहाद करो और मिलकर अध्यक्ष मंडल बना कर सामूहिक लीडरशिप कायम करो या किसी एक को लीडर माना जाये,और या तो सभी पार्टी को मिलाकर एक नेशनल पार्टी बनाव और उसके बाद देश की जो पार्टी खुलकर आप लोग का साथ दे उसके साथ सीट पर समझौता करो और सरकार का हिस्सेदार बनो.
(29) सभी मुस्लिम पार्टियों को मिलाकर एक फ्रंट बनायेँ और सभी सेक्युलर पार्टियों से सियासी गठबंधन का दरवाज़ा खुला रखें ताके सरकार में भागीदार हो सकें और मुसलमानो के साथ साथ दूसरे तबकों को भी इंसाफ दिला सकें.
(30) अयेसी हालत में सभी मुस्लिम पार्टियों को एकजुट होकर गृहयुद्ध,धर्मयुद्ध और बटवारे से बचाने के लिए देश की बाग डोर संभालनी चाहिये.
(31) कश्मीर मुस्लिम बहुल इलाका है इसलिये वहां के मुस्लिम सियासी लीडरों को चाहिए था कि देश भर के मुसलमानो कि नुमाइंदगी करते और देश में अपनी सियासी मौजूदगी दर्ज़ करते मगर वो लोग भी काले फिरंगिव के जाल में फंस कर अपना सियासी तरीका और अपनी सियासी जिम्मेदारी भूल कर कश्मीर में ही उलझ कर रह गए हैं
(32) देश के इत्तेहाद को खतरा है,देश के संविधान को खतरा है,देश के बॉर्डर को खतरा है,देश कि तहजीब को खतरा है,देश कि आज़ादी को खतरा है,इसलिये मुस्लिम इत्तेहाद कि ज़रूरत है. इसलिये जल्द से जल्द इसका इलाज जरुरी है क्यूं कि मुस्लमान होने के नाते हम इंसानियत के अलम्बरदार और ज़िम्मेदार हैं.
(33) आप लोगों से गुज़ारिश है के इत्तेहाद की अगुवाई करें और सभी लोग के साथ मीटिंग करें और सभी के सुझाव के मोताबिक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनायें और सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करें.
(34) अकेले हम बूँद हैं और मिल जायें तो सागर हो जायें,अकेले हम धागा हैं और मिल जायें तो चादर हो जायें,
(35) आप की खिदमत में एक वफद फ़रियाद लेकर आये हैं मेहरबानी करके उसपर गौर करें और देश के माहौल और ज़रूरत को देखते हुए, मुसलमानो के ख्वाइश और ज़ज़्बात को ध्यान में रख कर उसपर अमल करने की कोशिश करें.

मिल्लत में इन्तेशार क़यामत से कम नहीं,
मिल्लत में इत्तेहाद इबादत से कम नहीं.

इस्माईल बटलीवाला (राष्ट्रीय कन्वेनर: पोलिटिकल यूनिटी कैंपेन)
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पुरुषों का डीएनए एक महिला के शरीर में 4 महीने 10 दिन तक मौजूद रहता है

पुरुषों का डीएनए एक महिला के शरीर में 4 महीने  10 दिन तक मौजूद रहता है 

मुस्लिम महिलाओं की ईद्धत और डीएनए का वैज्ञानिक शोध

डीएनए ..(डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड)
फ्लोरिडा के डॉक्टर जेम्स 1968 में एक प्रयोगशाला में मानव  डीएनए पर शोध कर रहे थे
वह एक ईसाई था, उसकी पत्नी काली थी और उनके तीन बच्चे थे,
पड़ोस में एक मुस्लिम परिवार रहता था, डॉ. जेम्स की पत्नी मुस्लिम परिवार में आती जाती थी।
 मुस्लिम महिला का पुरुष इस बीच मर जाता है, इसलिए महिला अपने पति की मृत्यु के बाद  ईद्धत में बैठती है।
डॉ। जेम्स की पत्नी अपने पति के साथ घर में मुस्लिम महिला की ईद्धत का उल्लेख करती थी कि यह कैसा धर्म है जो महिला को  4 महीने  10 दिनों तक  घर में कैद रखता है।
डॉ. जेम्स वैज्ञानिक अनुसंधान के शौकीन बन गए और उन्होंने इस्लामिक अध्ययनों पर मुस्लिम महिलाओं की ईद्धत पर शोध किया और इस बीच उनके शरीर में डीएनए पर शोध शुरू किया।
जैसा जैसा उन्होंने शोध किया, अल्लाह ने इस डॉक्टर की बुद्धि पर से पर्दा हटा दिया,
वह उस नतीजे पर पहुंचा कि
ईद्धत के समय की वजह से मुस्लिम महिलाएं अन्य धर्मों की महिलाओं की तुलना में अधिक पवित्र रहती हैं।
कारण, यह कि एक पुरुष का डीएनए एक महिला के शरीर में 4 महीने और 10 दिनों के लिए मौजूद रहता है
जब किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है या एक महिला का तलाक हो जाता है, तो इस्लाम उस महिला के लिए 4 महीने  10 दिन तक ईद्धत मे रहना अनिवार्य कर दिया है। ताकि
जब विधवा या तलाकशुदा महिला दूसरी शादी करती है, तो उसके शरीर में पहले पति का डीएनए मौजूद ना रहें। वह तलाक़ शुदा  या विधवा महिला जो 4 महीने  10 दिनों की अवधि के भीतर किसी अन्य पुरुष से शादी करती है, वह शुद्ध नहीं है।
क्योंकि उसके शरीर में पहले पति का डीएनए होता है,
जो समय के भीतर शादी करने वाली दूसरी महिला के पति से पैदा हुए बच्चों के बीच स्थानांतरण हो जाता है, जो इस्लाम में अत्यधिक निषिद्ध है।
इस शोध को करते समय, डॉ. जेम्स ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों के डीएनए का उनकी प्रयोगशाला में परीक्षण किया तो उनकी पत्नी के शरीर में 4 अलग-अलग लोगों के नमूने पाए।और उनके एक बच्चे को छोड़कर, शेष दो बच्चों में  दो अन्य लोगों के डीएनए के नमूने सामने आए।डॉ.जेम्स ने एक बेटे को अपने पास रखा, जिसमें केवल डॉक्टर और उसकी पत्नी का डीएनए पाया था और अपनी पत्नी के साथ दो बच्चों को छोड़कर मुस्लिम बन गया था।और कनाडा में एक मुस्लिम महिला से शादी की। डॉ. जेम्स ने ईसाई धर्म छोड़ दिया  इस्लाम  में प्रवेश किया और डॉ जॉन का नाम अपना लिया,
उन्होंने एक कनाडाई अखबार में एक रिपोर्ट के साथ अपना शोध प्रकाशित किया तो डॉ. जून के कई  दोस्तों ने इस्लाम स्वीकार कर लिया।
यूरोप में, डीएनए पर वैज्ञानिक अनुसंधान 1960 के दशक में शुरू किया गया था,
इस्लाम  में सदियों पहले ईद्धत की बुनियाद पर मानव डीएनए की ओर इशारा दिया गया है...

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Sunday, 10 November 2019

गुजरात के मुस्लिम समाजमे पोलिटिकली बदलाव हो सकता है?

गुजरात के मुस्लिम समाजमे क्या पोलिटिकली बदलाव हो सकता है ???
जिधर की हवा चली उधर को चल दिये ना सोचा ना समजा बस नारे लगा दिये..


नोंध :-आजका लेख खास गुजरात के मुसलमानो को लेकर है.👇👇👇

السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ
_तारिख:- ऑक्टोबर 29,2019_

✒ Huzaifa Patel (Dedicated Worker)

आजका विषय ओर हमारा ये आर्टिकल मुस्लिम समाजकी वर्तमान पोलिटिकल प्रतिनिधित्व में परिवर्तन ओर बदलाव को लेकर हमारा अभ्यास ओर एनालिसिस है, हो सकता है विषय के अनुसार आजका ये हमारा लेख लंबा हो आपका कीमती समय निकाल कर पूरा परहे।

किसीभी समाजकी सामाजिक शक्ति (ग्राउंड लेवल से मजबूती) ओर बेहतरीन  रणनीति के बगेर वो समाज भारत जैसे विशार देशमें पोलिटिकली बदलाव नही "ला" सकता है, _सोश्यल एम्पावर के बगेर आप पोलिटिकली प्रतिनिधित्व में पावर हासिल नही कर सकते है,_ सबसे पहले मुस्लिम समाजको इस बातको बहोत गहराई से समजने की जरूरत है, ओर वोभी उनको जो आज कल बहोत जोरो से सोशियल मीडियामें पोलिटिकली बदलाव और परिवर्तन की बात करते है.

हमारे देश के हालात को लेकर ओर खास कर मुस्लिम समाजकी पोलिटिकल प्रतिनिधित्व को लेकर मुस्लिम  समाजके कुछ चिंतित लोग आज जिस तरहा सोशियल मीडियाके माध्यमसे समाजके सामने अपने कूच विच्चार रखते है,मुस्लिम समजको  अब पोलिटिकल बदलाव की जरूरत है, ओर हमारे पास ऐसा नेता है जिसके लीडरशिप में हम बहोत आसानी से बदलाव ला सकते है, वो लोग हमारे सर्वे के अनुसार  बहोत हदतक खुदको ओर समजको वर्तमान सच्चाई से दूर करने की ओर वर्तमान हक्कीत के परिस्थियो से गुमराह कर रहे है, सबसे पहले ये समजना ओर मानना पड़ेगा हमारे भारत देशमे तमाम समुदाई में अगर किसी समाजकी पोलिटिकली प्रतिनिधित्व की परिस्तिथि का अभ्यास करें तो इसमे सबसे ऊपर के लेवल पर कमजोर समाज मुस्लिम समाज है, जिसको समाजका कोइभी समजदार ओर हालात का इल्म रखने वाला बखूबी  जानता है.

अब सच्चाई की तरफ एक कदम उठाकर करते है, भारत देशकी वर्तमान राजनीति और तमाम परिस्तिथियों जैसे देशका मीडिया, सरकारी प्रसासन ओर समाजकी लीडरशीप ओर वैचारिक गुलामी, के बाद क्या मुस्लिम समाज सिर्फ नारे बाजी ओर  ओर जुलूस बाजी ओर खास किसी एक व्यक्ति को लेकर आसानी से इतने गम्भीर समयमे बदलाव ला सकते है?? अगर आप ये सोचते है के हम किसी खास एक व्यक्ति ओर कूच नारे बाजी जनूनी बातों और बयानों, भाषणों से समाजमे बदलाव ला सकते है,तो  हमारा अनुमान केहता है आप गलत दिशामे जा रहे है, मुस्लिम समाजकी ग्राउंड रियलटी ओर मॉनसिक गुलामी एक ऐसा विषय है जिस को समजें बगेर कोइभी ओर कितना भी बड़ा व्यक्ति ओर समूह, संस्था, संगठन कभी बदलाव नही ला सकता है, कूच लोग पिछेले कुछ सालों से हालात को लेकर कूच लोंगोंकी बातों ओर भाषणों से प्रभावित होकर पूरे समाजको प्रभावित करने की बात करते है,और बिना सोश्यल एम्पोवर मजबूत किये बगैर पोलतिकली बदलाव और परिवर्तन की बात करते हैं..


हमारा मानना है, गुजरात के मुस्लिम समाजकी जो पोलतिकली प्रतिनिधित्व को लेकर समस्या है, वो दूसरे स्टेट से बहोत अलग है, जिसमे बहोत बड़ा अभ्यास ओर समाजके संघर्ष और ग्राउंड रियलिटी के अनुभवी ओर सक्रिय लोगो की बहोत बड़ी प्रकिया कार्य रणनीति के बाद ओर बहोत सारे लंबे समय के बाद कूच हदतक सफलता मिल सकती है, लेकिन पिछले कूच समयसे सोशियल मीडिया ओर कुछ मीटिंगों,प्रोगामो के माध्यमसे जो बातें चल रही है, हमारा 100% दावा है इस मे बहोत से युवाओं का समय और बहोत से लोगोके साथ समाजका बहोत से प्रोग्राम ओर कूच लोंगोंकी शक्ति लगाने के बादभी 10% सफलता प्राप्त कर नही सकते है,  अगर हमारे दावा आपको लगता है के गलत है आप निस्चित रूप से हमारा संपर्क कर कसते है, लेकिन दल्ली ओर ग्राउंड रियलटी के अनुभव के बगेर हमार संपर्क ना करे।

समाजकी तमाम परिस्थितियों में बदलाव के लिये जनून, जज्बात, ओर सिर्फ विरोध विरोध से बदलाव की उम्मीद रखने वाले हमारे हिसाब से समाजकी वर्तमान समस्या से हल करने के बजाये कूच लोगो की सोशियल मीडिया में कूच एक्टिविटी ओर कुछ ग्राउंड एक्टिविटी ओर बिना आयोजन ओर रणनीति से सफलता प्राप्त नही कर सकते, समाजके चिंतीत अनुभवी संघर्ष करने की सोच के बगेर ओर हमेशा सक्रियता में कोई बदलाव नही हो सकता है चाहे आप देशका कितना बड़ा मुस्लिम समाजका  चेहरा समाजके सामने कुछ प्रोग्राम ओर जलसों जुलूस के बड़े बड़े स्टेज ओर नारों से बदलाव नही ला सकते है, समाजको कुछ हदतक बिना समजें बदलाव की उम्मीद रखना खुदको ओर समाजको गुमराह ओर नुकसान करने के बराबर है...


समाज के युवाओं और चिंतीत लोंगोको समाजके लिये तैयार करना जरूरी है, चुनाव से पेहले 2-3 या फिर ज्यादा से ज्यादा 5 महीने पेहले ओर कूच छोटे छोटे कार्यो से बदलाव की उम्मीद करना, हमारी बहोत  बड़ी बेवकूफी ओर समजको बहोत बड़ा नुकसान कर सकता है,गोरे के पुतले पर सवार होकर आप एक जगाह से दूसरी जगाह पर नही जा सकते है, सिर्फ आप गोरे पर बैठे होने का एहसास कर सकते है या फिर मजा ले सकते है, लेकिन बिना असली जानदार गोर के ऊपर सवार किये बगैर आप अपना सफर कामयाब नही कर सकते है, गोरे के पुतले की सवारी से उतरकर असली गोर को सवारी करने में अपने आपको लगाये ऐसी उम्मीद करते हैं।

इस विषय मे आगे और मजीद बात करेंगे अगर आजके विषय को लेकर लेखमें लिखी गई बातों में कूच कड़वाहट है, हमारे कूच साथियो के लिये तो माफी चाहते हैं हमारे मकसद कभी आपके हौसलों को पस्त करने का नही है, लेकिन जो बात आप दिमाग से सोचते हो और बदलाव लाना चाहते हो उसकी बिना तैयारी के उम्मीद रखना बेवकूफी है...

अगर बदलाव लाना है तो पहले खुदमे बदलाव लाने का प्रयास करे और इसकी कूच बाटे में नीचे बता रहा हु, उम्मीद है इस पर बादमे बात करेंगे.

आज मुस्लिम समाजको क्या जरूरत है???
👉 _मशल्क नही मकसद चाहिये,_
👉 _फिरकापरस्ती नही फिरासत चाहिये,_
👉 _जातिवाद नही जिम्मेदारी चाहिये,_

बुलंद इरादों को लेकर चल साथमे कुरबानी देते चल,
मिल्लत (समाज) मे उम्मीद देते चल..
खुद तेरा मददगार होगा इसबात पर विश्वास करते चल,

इस मैसेज को मुस्लिम समाजके समजदार युवा और चिंतीत वडिलो तक शेर जरूर करे,
         SAF🤝Team Bharuch Guj.

                      Mo.9898335767

फेसबुक पोस्ट 9-10 नवेम्बबर 2019




बाबरी मस्जिद के सुप्रीम कोर्ट चुकड़ें के बाद फेसबुकमें हमारी तरफसे की गई पोस्ट।



जिधर की हवा चली उधरको चल दिये,ना सोचा ना समजा बातें बना लिये ओर नारे लगा दिये।
SAFTEAM
8 नवेम्बर 2016 नोटबन्धी 9 नवेम्बर 2019 बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला याद रखना ये इतिहास।
आजकी तारीख फिरसे इतिहास के पन्नो में लिखा जायेगा, सुप्रीम कोर्ट के बाबरी चुकादे के बाद मुसलमानो की खामोसी वफादारी की निसानी है।
भारत की राजनिति कभीबी मुस्लिम इसयु के बगैर नही हो सकती जेहनो से निकाल दो के बाबरी कोई बात नही,विवाद तो अब सुरु होगा। समजें।
मस्जिदों को खतरा भगवाधारियों से ज्यादा हर गांव मोहल्ले के मस्जिद संचालकों जो वक्फ की मिलकत पर कब्जा जमाए बैठे है,खतरा कोंन❓
मुसलमानो बाबरीका चुकादा गम्भीर नही है, लेकिन हमारे आपस के विवाद गम्भीर है, जिसके कारण हमारा अस्तित्व खतरे में है,समजें।
हम हमारी मजबूरी में जीना चाहते है,के गुलामी की जंजीरें बांधकर ओर शिकार होना चाहते है???
સુપ્રીમ કોર્ટ / ચુકાદાના 1045 પેજમાં 527 વખત અયોધ્યા, 417 વખત રામ અને સૌથી વધુ 1144 વખત મસ્જિદ શબ્દનો ઉલ્લેખ ।
मुसलमानो अल्लाह रब्बुल इज्जत कल कयामत दिन तुम्हारे किरदार के बारे में पूछेंगे,ना के तुमने किसकी कितनी इज्जत की उसका सवाल नही करेंगे ।
जो ये नही चाहते के मुस्लिम समाजकी सामाजिक और राजक्रिय लीडरशीप मजबूत हो,वो लोग आज रेहबर,लीडर बनने के दावे करते है।
SAFTEAM
8 नवेबर 2016 नोटबन्धी के दिन आर्थिर्क मजबूत हुये आज 9 नवेम्बर 2019 मानसिकता मजबूत की गई,ये है सामाजिक नेतृत्व की निशानी।
SAFTEAM
आजके बाबरी फैसले को लेकर हमे सोचना पदेगा हमारी बड़ी बड़ी तंजीमो ओर लीडरशीप के पास कितनी ताकत और कमजोरी है।
SAFTEAM
बाबरी मस्जिद के फैसले से चिंतित लोग कास अपने अपने मोहल्ले गांव की मस्जिदों के संचालन पर थोड़ी तववजु कर लेते।
SAFTEAM
बाबरी मस्जिद के चुकादे को लेकर आज जो बात करने वाले थे कल करेंगे इन्शाअल्लह कूच रिप्रोट की कमी है, कल दलील के साथ बात रखेंगे। SAF
8 नवेम्बर 2016 को मोदी जितने उत्साह से नोटबन्धीका भाषण दीया फिरसे 9 नवेम्बर 2019 को फिरसे बाबरी के चुकादे के बयाद देखने को मिला।
जिस समाज की सामाजिक जड़े मजबूत नही होती,उस समाज की राजनीति कामयाब नही होती।
क्रांतिकारी कांशीराम साहब।
















Babri masjid chukada 09/11/2019

બાબરી મસ્જિદનો નિર્ણય સંઘ પરિવારના રાજકીય ઉદ્દેશોને જ પૂર્ણ કરે છે. *એસ.ડી.પી.આઇ.*

નવી દિલ્હી (પ્રેસ રિલીઝ). *સોશિયલ ડેમોક્રેટિક પાર્ટી off ઈન્ડિયા (એસડીપીઆઈ)* સુપ્રીમ કોર્ટના નિર્ણયથી આશ્ચર્ય છે કે બાબરી મસ્જિદને સમર્પિત જમીન રામ મંદિર બનાવવા માટે દિલ્હીની હિન્દુત્વ સરકારને આપવામાં આવી છે અને સંઘ પરિવારના રાજકીય ઉદ્દેશોએ નિ .શંકપણે પરિપૂર્ણ કર્યું છે. આ અંગે પક્ષના રાષ્ટ્રીય અધ્યક્ષ એમ.કે. ફૈઝીએ એક નિવેદનમાં જણાવ્યું છે કે સુપ્રીમ કોર્ટના ન્યાયાધીશો, બંધારણની કલમ 142 હેઠળની સત્તાનો ઉપયોગ કરીને, બંને પક્ષોને સંપૂર્ણ ન્યાય પૂરા પાડતા નથી. સુપ્રીમ કોર્ટે સ્વીકાર્યું છે કે રામની પ્રતિમા બળજબરીથી મસ્જિદની અંદર સ્થાપિત કરવામાં આવી હતી પરંતુ તે જ સમયે રામ લલાને સમર્પિત જમીન પ્રદાન કરી હતી, જે કુદરતી ન્યાયની મૂળભૂત વિભાવનાઓને દૂર કરે છે. તેવી જ રીતે, અયોધ્યા શહેરમાં ક્યાંય પણ પાંચ એકર જમીન આપવી એ લોકોના રોષને ઠંડક આપવાનો પ્રયાસ છે. બાબરી મસ્જિદનો કેસ બંધારણની જુદી જુદી શાખાઓની સત્તાઓ અને જવાબદારીઓ માટે એક પરીક્ષણ રહ્યું છે કે કેમ કે તે જાતિ, જાતિ અથવા ધર્મને ધ્યાનમાં લીધા વિના જાતિ, સમાનતા અને ન્યાયના મૂળ સિદ્ધાંતો દ્વારા બંધાયેલા છે કે કેમ. કમનસીબે ત્રણેય શાખાઓ એક કે બે વાર નિષ્ફળ ગઈ છે. આ નિર્ણય આઘાતજનક છે કારણ કે તે સુપ્રીમ કોર્ટના સર્વોચ્ચ ચરણનો આશરો લેનારા લાખો ભારતીય નાગરિકોમાં ભય અને હતાશાની લાગણી પેદા કરે છે. લાંબા ગાળે તે દેશના બિનસાંપ્રદાયિક અને લોકશાહી જૂથને નબળી બનાવવામાં મદદ કરશે. કરશે એસડીપીઆઈએ મુસ્લિમ સંગઠનોને આ અન્યાયને દૂર કરવા અને દેશના સુપ્રીમ કોર્ટમાં વિશ્વાસ પુન restore સ્થાપિત કરવા માટે વધુ કાયદેસરના ઉપાયો શોધવા જણાવ્યું છે.

Thursday, 7 November 2019

સાંતી સમિતિ ભરૂચ બાબત

તા.૦૬ નવેમ્બર ૨૦૧૯ મા મીટીંગ થઈ જેમા મુસ્લિમ સમાજના લિડર અબદુલ કામથી ને જાણ કરવામા ના આવી ...

આ વિષયમા અબ્દુલ ભાઈની ઓફિસ પર તેમણે  પોતે વાત કરી ..

જે વિષયને નોધ લેવામાં આવે ..

વકફ મિલ્કત ભાડા પટ્ટા નિયમો-૨૦૧૪

*વકફ અધિનિયમ-૧૯૯૫*
*વકફ સુધારા અધિનિયમ-૨૦૧૩*
હેઠળ ભારતની કેન્દ્ર સરકારે ઘડેલા
*વકફ મિલ્કત ભાડા પટ્ટા નિયમો-૨૦૧૪*
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*નિયમ:૩:*
(૧). મસ્જીદ, દરગાહ, ખાનકાહ, કબ્રસ્તાન, ઈમામબાડાની જગ્યા ભાડા પટ્ટે આપવાના અધિકાર નથી. મુખ્ય જગ્યાની બહારની બાજુએ આવેલ હોય તે જમીન ભાડા પટ્ટે આપી શકાય.
(૨). એક વર્ષથી ઓછા સમય (૧૧ મહીના) માટે ભાડા પટ્ટે આપવાના અધિકાર મેનેજીંગ કમીટીને છે. રસ ધરાવતા લોકોને નિમંત્રીત કરવા માટે જાહેરાત કરવી ફરજીયાત છે. નોટીસ પ્રસિધ્ધ કરીને/ચોપાનીયા વહેંચીને/જાહેર ખબર આપીને/દાંડી પીટાવીને/મસ્જીદ કે અન્ય જાહેર સ્થળોએ નોટીસ ચોંટાડીને જાહેરાત કરવી ફરજીયાત છે. નાના નગર કે ગ્રામ્ય વિસ્તારમાં સમાચાર પત્રોમાં જાહેરાત આપવી જરૂરી નથી પરંતુ ઉપર મુજબ બહોળી પ્રસિધ્ધિ કરવી જોઈશે.
સૌથી ઉચી બોલી બોલનારને મિલ્કત ભાડા પટ્ટે આપવી જોઈશે.
*(મેનેજીંગ કમીટીની મીટીંગમાં ઠરાવ કરીને મિલ્કત ભાડા પટ્ટે આપવા અંગે કાર્યવાહી કરવા અને પટ્ટેદાર સાથે કરવાના કરારખતમાં સહી કરવાની સતા પ્રમુખને આપવી જોઈશે.)*
(૩). મુતવલ્લી/મેનેજીંગ કમીટીના સભ્ય અથવા તેમના પત્ની, માતા, પિતા, પુત્ર, પુત્રી, ભાઈ, બહેન, ભાભી, બનેવી, ભાઈના પુત્ર/પુત્રી, બહેનના પુત્ર/પુત્રી વકફ મિલ્કત ભાડા પટ્ટે મેળવવા પાત્ર ગણાશે નહીં.
(૫). ભાડાની રકમ મિલ્કતની બજાર કિંમતના ૫% કે તેથી વધુ હોવી જોઈશે.
(૮). પ્રતિવર્ષ ભાડાની રકમના ૫% ભાડું વધારવાનું રહેશે.
(૧૧). ત્રણ મહીનાના ભાડાની રકમ જેટલી રકમ સિક્યોરીટી ડીપોઝીટ તરીકે જમા રહેશે.
(૧૨). મુતવલ્લીની પરવાનગી વગર પટ્ટેદાર મિલ્કતમાં વધારાનું બાંધકામ કે સુધારા-વધારા કરી શકશે નહીં.
(૧૩). તમામ ભાડા પટ્ટાની વિગતો ગુજરાત રાજ્ય વકફ બોર્ડને મોકલવાની રહેશે.
(૧૫). પેટા ભાડે આપવાની પરવાનગી આપી શકાશે નહીં.
(૧૯). ભાડું અગાઉથી નિયમિત રીતે આપવાનું રહેશે.
(૨૪). *વકફની કોઈપણ મિલ્કત વેંચાણ, બક્ષીસ, ગીરો, વિનિમય, તબદીલ કરી શકાશે નહી.*
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*:નિયમ:૬:* કરવેરા, લાઈટ બીલ, નિભામણી ખર્ચ, સમારકામ ખર્ચ, બીજા બધા ખર્ચા પટ્ટેદારે ભોગવવાના રહેશે.
પટ્ટેદાર કોઈપણ પ્રકારનો બોજો કે ધારણાધિકાર ઉપસ્થિત કરી શકશે નહીં.
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*નિયમ:૯:* કોઈપણ વિવાદ, પ્રશ્ર્ન, ભાડા પટ્ટે આપેલ મિલ્કત ખાલી કરાવવા સબંધી અથવા પટ્ટે આપનાર અને પટ્ટેદારના હકો અને જવાબદરીઓ બાબતે ટ્રીબ્યુનલ નિર્ણય કરી શકશે.
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*વકફ ટ્રીબ્યુનલની રચના થઈ ગયેલ હોવાથી વકફની મિલ્કતો અને વકફના વહીવટ બાબતમાં દાવા દાખલ કરવાની કે ચાલુ દાવામાં નિર્ણયો કરવાની સીવીલ કોર્ટને કોઈ સતા નથી.*
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Gujrati whatsapp masej

આ બયાનમાં ધ્યાનમાં આવેલી બાબતો એ છે કે
👉દરેક મદ્રેસા વકફમાં નોધણી થયેલ છે; જેની કાનૂની માહિતી કે જાણકારી કોઇ મોહતમીમને હોતી નથી બધું કામ કાજ કારકૂન કરતાં હોય છે.એટલે પહેલાં બધાં મોહતમીમોએ રાજીનામું આપી દેવું જોઈએ.અને કારકુન ને ટ્રસ્ટી બનાવવા જોઇએ.
*👉મદ્રેસામાં આલીમોજ પઢાવતા હોય છે અને બધા જાણે જ છે કે મોહતમીમ કેવી રીતે તેઓને ધમકાવે છે થોડા વખત પર એક મુલાજીમ આલીમ નો મૂહતમીમ સાથે ની વાતચીતનો ઓડિયો વાયરલ થયો હતો તે જોતાં આલીમની નાકદરી કરનારા સૌથી વધારે મોહતમીમ જ થશે કારણકે સૌથી વધુ આલીમો મદ્રેસામાં જ હોવાના, એટલે મરતી વખતે બદન કાળુ પડી જવું અને ફોડાફુંસીની શકયતાઓ મુહતમીમ પર વધારે જણાય છે.*
*👉રહી વાત ચંદાના પૈસાની તો હદ ઉપરાંત ચંદો કરી લોકોની જકાત નો પૈસો વધી પડતા જમીનોમાં રોકાણ કરે છે, જકાત ના પૈસા એક વર્ષમાં વાપરી કરવામાં ન આવે તો જકાત અદા થતી નથી.અને આ શરીઅતનો મસલો શું તેઓ જાણતાં નથી?(મતલબ શરીઅતના જાણકાર પણ નથી)માટે વકફના પૈસા નો સૌથી વધુ દુરુપયોગ આ મોહતમીમોજ કરે છે,તો સુરજ ડૂબતા પહેલાં એ લોકોએ જ રાજીનામું મુકી દેવું જોઇએ.👈*
👉અને રહી વાત ઓડીટ કરાવવાની તો  હજરત પોતે જ કહે છે કે *"મદ્રેસા ના ઓડીટમાં લાપરવાહી વર્તવામાં આવે છે"* એનો મતલબ મોહતમીમો નાએહલ છે.ટ્રસ્ટી બનવાને લાયક નથી! સૂરજ ડૂબતા પહેલાં રાજીનામું આપી દેવું જોઇએ.બયાન કરનાર હજરતની સંસ્થા 2011માં શરૂ થઇ અને 2018માં ઓડીટ કરાવ્યું બોલો કયા મોઢે શીખામણ આપે?
*👉અને વિડિયો ની શરૂઆતમાં હજરત હારૂન સા.નદવી ફરમાવે કે "કોઈ જાહીલને મૉતવલ્લી ન બનાવો" પણ લોકો તો જાહીલોને જ બનાવે છે!એનો મતલબ સારા માણસો ની અછત છે અથવા તો આલીમો પર ભરોસો નથી જેથી તેઓને  મુતવલ્લી બનાવવામાં આવતા નથી.*👈
*🤞મૌલાના કહે છે કે"ગલ્લો બધાની સામે ખોલો કે કોઈને શક નહીં જાય"ઘણી સારી વાત પણ આ બધું જાહીલ મોતવલ્લીતો સમજવાના નથી તો પછી અમલ કોણ કરશે? અને અવામ જાહીલ ટ્રસ્ટી ઓ એ ગલ્લો તો જાહેર માં ખોલવાનો કે જેમા પાઁચ પચ્ચી રૂપિયા હોય, અને મોહતમીમો એ કરોડોનો ચંદો લાવીને ગુપ્ત રાખવાનો પછી તેમાથી નવ નંબરના ચંપલ જેવડો મોબાઈલ અને મોધીંદાત ગાડી ખરીદવાની અને અંગત નામે વકફના પૈસાથી મીલ્કતો ખરીદવાની, તેનુ રજીસ્ટ્રેશન કરાવવાની સલાહ કેમ ન આપી?🤞*
*✅ટૂંકમાં આ સલાહ જે અવામ માંથી ટ્રસ્ટી બને તેનાં માટે છે મુહતમીમ માટે નથી બ કોલે મુફતી સા.તેઓને તેઓની નમાઝ જન્નત માં લઈ જશે✅.*
લી..હનીફ સ્ટાર.
મો. નંબર..9426855906

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...