बाबरी मस्जिद के सुप्रीम कोर्ट चुकड़ें के बाद फेसबुकमें हमारी तरफसे की गई पोस्ट।
जिधर की हवा चली उधरको चल दिये,ना सोचा ना समजा बातें बना लिये ओर नारे लगा दिये।
SAFTEAM
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8 नवेम्बर 2016 नोटबन्धी 9 नवेम्बर 2019 बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला याद रखना ये इतिहास।
आजकी तारीख फिरसे इतिहास के पन्नो में लिखा जायेगा, सुप्रीम कोर्ट के बाबरी चुकादे के बाद मुसलमानो की खामोसी वफादारी की निसानी है।
भारत की राजनिति कभीबी मुस्लिम इसयु के बगैर नही हो सकती जेहनो से निकाल दो के बाबरी कोई बात नही,विवाद तो अब सुरु होगा। समजें।
मस्जिदों को खतरा भगवाधारियों से ज्यादा हर गांव मोहल्ले के मस्जिद संचालकों जो वक्फ की मिलकत पर कब्जा जमाए बैठे है,खतरा कोंन❓
मुसलमानो बाबरीका चुकादा गम्भीर नही है, लेकिन हमारे आपस के विवाद गम्भीर है, जिसके कारण हमारा अस्तित्व खतरे में है,समजें।
हम हमारी मजबूरी में जीना चाहते है,के गुलामी की जंजीरें बांधकर ओर शिकार होना चाहते है???
સુપ્રીમ કોર્ટ / ચુકાદાના 1045 પેજમાં 527 વખત અયોધ્યા, 417 વખત રામ અને સૌથી વધુ 1144 વખત મસ્જિદ શબ્દનો ઉલ્લેખ ।
मुसलमानो अल्लाह रब्बुल इज्जत कल कयामत दिन तुम्हारे किरदार के बारे में पूछेंगे,ना के तुमने किसकी कितनी इज्जत की उसका सवाल नही करेंगे ।
जो ये नही चाहते के मुस्लिम समाजकी सामाजिक और राजक्रिय लीडरशीप मजबूत हो,वो लोग आज रेहबर,लीडर बनने के दावे करते है।
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8 नवेबर 2016 नोटबन्धी के दिन आर्थिर्क मजबूत हुये आज 9 नवेम्बर 2019 मानसिकता मजबूत की गई,ये है सामाजिक नेतृत्व की निशानी।
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आजके बाबरी फैसले को लेकर हमे सोचना पदेगा हमारी बड़ी बड़ी तंजीमो ओर लीडरशीप के पास कितनी ताकत और कमजोरी है।
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बाबरी मस्जिद के फैसले से चिंतित लोग कास अपने अपने मोहल्ले गांव की मस्जिदों के संचालन पर थोड़ी तववजु कर लेते।
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बाबरी मस्जिद के चुकादे को लेकर आज जो बात करने वाले थे कल करेंगे इन्शाअल्लह कूच रिप्रोट की कमी है, कल दलील के साथ बात रखेंगे। SAF
8 नवेम्बर 2016 को मोदी जितने उत्साह से नोटबन्धीका भाषण दीया फिरसे 9 नवेम्बर 2019 को फिरसे बाबरी के चुकादे के बयाद देखने को मिला।
जिस समाज की सामाजिक जड़े मजबूत नही होती,उस समाज की राजनीति कामयाब नही होती।
क्रांतिकारी कांशीराम साहब।
क्रांतिकारी कांशीराम साहब।