सुरत के एज्युकेशन के प्रोग्राम में आयें पूरे भारत से आनेवाले मुसलमानों को 'सीमी' (SIMI) के आरोप में पकडे गये 127 आरोपीयों को सुरत चीफ मेजिस्ट्रेट ने 20 साल बाद सभी को बाइज्जत बरी किया..
ओल इन्डिया माइनोरिटीज एज्युकेशनल बोर्ड के जरिये सुरत में राजश्री होल में मुसलमानों के एज्युकेशन के मस्लों पर बात करने के लिये एक सम्मेलन बुलाया गया था. सुरत पुलिस के अठवा पुलिस इनस्पेकटर पंचोली ने खूफिया जानकारी का हवाला दे कर संमेलन में शामिल सभी मुसलमानों को 'सीमी'(SIMI) के कार्यकर्ता बता कर गिरफ्तार कर लिया, जिस में पूरे भारत से आलिम, डोकटर, एन्जीनीयर्स और सोश्यल एकटिविस्ट शामिल थे. उन पर यह इल्जाम था कि वोह लोग कुछ गलत काम के इरादे से जमा हुये है. 11 महिने जेल में रखने के बाद गुजरात हाईकोट ने सब को जामीन पर मुक्त किया. इस दौरान मिडीया ने आरोपीयों के खिलाफ बहोत झहेरीला प्रचार किया...बहोत से आरोपीयों की नौकरीयां चली गई, करोबार खतम हो गये, बदनामी के दाग से हर जगह लोकल पुलिस उन्हें परेशान करती रही..
आज 20 साल बाद सुरत चीफ मैजिस्ट्रेट ए.एन. दवे साहब ने 'सीमी' (SIMI) के आरोप में पकडे गये सभी आरोपीयों को बाइज्जत बरी किया...20 साल तक कोर्ट के चक्कर खाने के बाद आज इन्साफ मिला. इस मौके पर बेगुनाहों के लिये दुआ करनेवाले आम मुसलमान, हौसला बढानेवाले हमारे दीनी व मिल्ली जिम्मेदार और आजमाईश के दौर में बेगुनाहों के घरवालों का ताअव्वुन देनेवालों के लिये दुआ करते है, अल्लाह उन्हें आखिरत में बहेतरीन बदला अता करें...
रिहा होने वाले आरोपीयों के वकील एडवोकेट एम एम. शेख साहब ने बताया कि- "किसी भी आरोपी के खिलाफ प्रतिबंधित संस्था 'सीमी' के होने का कोइ सबूत न मिलने की वजह से कोर्ट ने सभी को बाइज्जत बरी किया है. कोर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि किसी ने भी कोई गैरकानूनी काम नहि किया है." आरोपीयों की और से व्हील चेर में आयें 86 साल के सहारनपुर के मौलाना अताउर रहेमान वजदी साहब ने कहा कि- "पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन के जरिये अपनेी ताकत का गलत इस्तेमाल कर के अगर इसी तरह किसी को 20 साल परेशान किया जायें, तो यह मुल्क और समाज के लिये बडी गलत मिसाल साबित होगी. जिन 127 लोगों को और उन के परिवारवालों को 20 साल जो भुगतना पडा उस का मुआवजा कौन भरपाई करेगा ??"
इस नफरत के माहौल में एक इन्साफ पसन्द जज दवे साहब ने यकीनन सब को इन्साफ में यकीन दिलाया है लेकिन 20 साल के इस झूठे इल्जाम में बहोत से लोगों की सरकारी नौकरीयां गई, कारोबार खतम हुये, शादीयां तक रुक गई, लोगों के इल्जाम और तंज सहते रहे ... .लेकिन अल्लाह का शुक्र है कि वोह हम पर अपनी ताकत से ज्यादा बोझ नहि डालता.
हिफाजत जिन सफिनों की उसे मंजूर होती है..
किनारे तक ला के खुद तूफां उसे छोड जाते है.
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06 Mar 2021 Saturday
गुजरात में सूरत की एक अदालत ने शनिवार को 122 लोगों को प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य तौर पर दिसंबर 2001 में यहां हुई एक बैठक में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया। इन सभी को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ए एन दवे की अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए इन्हें बरी कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान पांच आरोपियों की मौत हो गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित करने के लिए‘‘ठोस, विश्वसनीय और संतोषजनक‘’साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा कि आरोपी सिमी से जुड़े हुए थे और प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एकत्र हुए थे।
अदालत ने कहा कि आरोपियों को यूएपीए के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सूरत की अठवालाइंस पुलिस ने 28 दिसंबर 2001 को कम से कम 127 लोगों को सिमी का सदस्य होने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। इन पर शहर के सगरामपुरा के एक हॉल में प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को विस्तार देने के लिए बैठक करने का आरोप था।
केंद्र सरकार ने 27 सितंबर 2001 को अधिसूचना जारी कर सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस मामले के आरोपी गुजरात के विभिन्न भागों के अलावा तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं। अपने बचाव में आरोपियों ने कहा कि उनका सिमी से कोई संबंध नहीं है और वे सभी अखिल भारतीय अल्पसंख्यक शिक्षा बोर्ड के बैनर तले हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे।