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Saturday, 13 March 2021

वसीम रिजवी नामक एक संघी

वसीम रिजवी नामक एक संघी*_ को क़ुरआन की कुछ आयतों से दिक्कत हैं, अनुसूचित जाति के कई लोगों को मनुस्मृति से दिक्कत हैं। वामपंथियो में जो नास्तिक हैं उन्हें सभी धर्मों से दिक्कत हैं। तो हर कोई एक या दूसरे धर्म ग्रन्थ में फेरबदल कराने के लिए कोर्ट में चला जायेगा तो क्या होगा? 

तो सवाल ये है कि *सर्वोच्च अदालत समेत देश की किसी भी कोर्ट को क्या कोई धर्म ग्रँथ में संसोधन करने का, फेर बदल करने का, और रद्द करने का कोई अधिकार हैं?*

_*इस का जवाब है: ना, ना, और ना!*_

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के तहत कोर्ट को जो ज्युडिसियल रिव्यू के अधिकार मीले है उस में किसी भी धर्म के धार्मिक प्रावधानों को रद्द करने का अधिकार शामिल नहीं हैं। 

भारत की कोई भी कोर्ट क़ुरआन शरीफ की 26 आयतें तो क्या, एक आयत या एक ज़बर जैर में फेरबदल करने का या रद्द करने का अधिकार नहीं रखती! 

तो अब सवाल ये उठता हैं कि वसीम रिजवी ने ये याचिका दाखिल क्यों की, जब कि उसे भी मालूम हैं कि कोर्ट पहली सुनवाई में ही इस याचिका को खारिज कर देगी! 

आप को याद होगा कि *वसीम रिजवी पहले भी मुस्लिमो और इस्लाम के खिलाफ बयान बाजी और इस्लाम की विचारधारा से विपरीत फिल्में बनाता आया हैं।* अभी के _हालिया विवाद को पैदा करने के पीछे उस का मकसद ये है कि उस के हथकण्डे की वज़ह से आम जनता, जिस में हिँदु मुस्लिम सभी शामिल है वो ये जाने कि क़ुरआन पाक में वो 26 आयतें कौन सी है_ जिस पर गैर मुस्लिमो के साथ साथ नास्तिक और प्रगतिशील मुस्लिम को एतराज होना चाहिए! ये प्रगतिशील मुस्लिम वो हैं जो पढ़ लिखकर खुद को सेक्युलर-अल्ट्रा मॉडर्न-तर्कशील मुस्लिम मनवाने में जुटे हुए है। 

*मुस्लिम और मोमिन में फर्क है, ईमान बगैर कोई भी मुस्लिम हो सकता है मग़र बगैर ईमान के मोमिन नहीं हो सकता।*

आजकल कोई भी आलतू फालतू खुद को बड़ा तीसमारखां समझनेवाला मुस्लिम वो 26 आयतें ढूंढ रहा है। और *वामपंथियो को, नास्तिकों को, इस्लामद्वेषियो को अपना एजंडा मिल गया है, जो हर जगह ये 26 आयतें विकिपीडिया के ट्रांसलेशन के साथ इधर उधर शेर फ़ॉरवर्ड करने लगे है।*

अब ये बात कोई भी आम मुसलमान समझ सकता है कि कौन सी आयत कब उतरी, क्यों उतारी गई, और किस हाल में किस वाकये के लिए उतारी गई है वो जब तक समझ मे न आये तब तक क़ुरआन पाक का जुबानी तर्जुमा सुन लेने से या पढ़ लेने से ईमान वालो के लिए गुमराही का बाइस बन सकता हैं। 

अग़र इंटरनेट पर आप *One World Order* या *ID2020* सर्च करोगे तो आप को पता चलेगा कि *1990 से पूरी दुनिया को नास्तिक बनाने का, फ्री सेक्स में मुब्तिला करने का, LGBT को बढ़ावा देने का एक व्यवस्थित कार्यक्रम चल रहा हैं,* जिस में इजरायल, अमरीका, समेत यूरोप के कई बड़े संघठनो, और सरकार का समर्थन है। 

अब जाहिर सी बात हैं कि इस कार्यक्रम के अमल में सब से बड़ी रुकावट कोई ओर मजहब नहीं, सिर्फ इस्लाम रुकावट बना हुआ हैं। क्योंकि *रोजाना 8000 लोग इस्लाम मे दाखिल हो रहे हैं।* यूरप और अमरीका में सब से तेजी से फैलने वाला मजहब इस्लाम है, जब कि मुसलमानों की सब से बड़ी आबादी भारतीय उपखण्ड में हैं। इस लिए वसीम रिजवी जो कुछ भी कर रहा है वो सिर्फ भाजपा एजंडा या संघ प्रचार नहीं है। वास्तव में वसीम रिजवी जैसे कम से कम 100 कमीने आज भी देश मे *One World Order के एजंट है जिन का एजंडा बिल गेट्स से लेकर इवांका ट्रम्प जैसे तय करते हैं।* 

इस लिए मेरा अपना मानना है कि मैं वसीम रिजवी का विरोध करूँगा मग़र कभी भी वो 26 आयते कौन सी है उस का जिक्र कहीं पर भी नहीं करूंगा। क्योंकि मुझे वसीम रिजवी के ओरिजिनल एजंडा को आगे नहीं बढाना हैं। उसे रोकना हैं। 

अब जो लोग वो 26 आयतें ढूंढ रहे है वो या तो इतने समझदार नहीं है, और भोले है। या फिर ऐसे लोग वामपंथियो, नास्तिकों और सँघियों के एजेन्ट है जो फेसबुक पर या वोट्सएप पर वो 26 आयते दुसरो को फारवर्ड करते हैं। 

अब आप तय कीजिये आप के सम्पर्क में कौन कैसा हैं!

Note: ईन 26 आयतों पर अनगिनत किताबे सही समझ के लिए लिखी गई है, उन किताबो की PDF फारवर्ड करते रहना जरूरी हैं। ताकि जो लोग अनजाने में फ़ितने में मुब्तिला हो रहे हो, उन्हें सही समझ मिल पाए। 

✍️ Salim Hafezi, Ahmedabad 

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