प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में देशभक्ति से भरपूर यह कविता पढ़ते हैं। इस गीत को प्रसून जोशी ने लिखा है।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।
मेरी धरती मुझसे पूछ रही,
कब मेरा कर्ज़ चुकाओगे,
मेरा अम्बर मुझसे पूछ रहा,
कब अपना फर्ज़ निभाओगे
मेरा वचन है भारत माँ को,
तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा,सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।
वो लूट रहे हैं सपनों को,
मैं चैन से कैसे सो जाऊँ,
वो बेच रहे अरमानों को,
खामोश मैं कैसे हो जाऊँ,
हाँ मैंने कसम उठाई है,
मैं देश नहीं बिकने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।वो जितने अंधेरे लाएंगे,
मैं उतने सूर्य उगाऊँगा,
वो जितनी रात बढ़ाएंगे,
मैं उतने उजाले लाउंगा,
इस छल फरेब की आँधी में,
मैं दीप नहीं बुझने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।
वो चाहते हैं जागे न कोई,
ये रात ये अंधकार चले,
हर कोई भटकता रहे यूंही,
और देश यूंही लाचार चले,
पर जाग रहा है देश मेरा,
पर जाग रहा है देश मेरा,
हर भारतवासी जीतेगा,
हर भारतवासी जीतेगा,मांओं बहनों की अस्मत पर
गिद्ध नज़र लगाए बैठे हैं
हर इंसां है यहां डरा-डरा
दिल में खौफ़ जमाए बैठे हैं
मैं अपने देश की धरती पर
अब दर्द नहीं उगने दूंगा
मैं देश नहीं रुकने दूंगा
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।
अब घड़ी फ़ैसले की खाई
हमने है कसम अब खाई
हमें फिर से दोहराना है
और ख़ुद को याद दिलाना है
ना भटकेंगे न अटकेंगे
कुछ भी हो इस बार
हम देश नहीं मिटने देंगे
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।
हमारे ये ब्लोग आपको हमारी SAFTEAM के सामाजिक कार्यों ओर अनुभव के साथ इतिहास,वर्तमान ओर भविष्य को लेकर बेहतरीन जानकारियाँ देता रहेगा, साथमे हमारे इस ब्लोग मे आपको सोशीयल मिडिया के जानकारी वाले वायरल मेसेज आपतक शेर करेंगे. हमारे बेहतर भविष्य के लिये हमे बदलाव लाना हे। हमारे कार्यो मे आप सहयोगी बनना चाहते हे, कोमेन्ट करे.
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Sunday, 25 April 2021
प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में देशभक्ति से भरपूर यह कविता पढ़ते हैं। इस गीत को प्रसून जोशी ने लिखा है।
कपडवंज में पुलिस के साथ जिन की झड़प हुई क्या वो नमाझि नहीं थे? क्या वो दंगाई थे?
Saturday, 24 April 2021
શું ‘પ્રોટોકોલ’નો અર્થ સત્ય છૂપાવવાનો અને જવાબદારીથી ભાગવાનો છે?
Tuesday, 20 April 2021
RT-PCR test: क्यों होता है यह टेस्ट और क्या है इसका रेट, जानें सब कुछ.
आरटी पीसीआर (RT- PCR) टेस्ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट। इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस (Corona Virus) का पता लगाया जाता है। इसमें वायरस के आरएनए (RNA) की जांच की जाती है। जांच के दौरान शरीर के कई हिस्सों से सैंपल लेने की जरूरत पड़ती है।
- क्या है आरटी पीसीआर टेस्ट?
आरटी पीसीआर टेस्ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट। इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस का पता लगाया जाता है। इसमें वायरस के आरएनए की जांच की जाती है। जांच के दौरान शरीर के कई हिस्सों से सैंपल लेने की जरूरत पड़ती है। ज्यादातर सैंपल नाक और गले से म्यूकोजा के अंदर वाली परत से स्वैब लिया जाता है। - इस टेस्ट की रिपोर्ट आने में कितना समय लगता है?
आरटी पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में सामान्यतः 6 से 8 घंटे का समय लग सकता है। कई बार इससे ज्यादा समय भी लग सकता है। आरटी पीसीआर टेस्ट आपके शरीर में वायरस की मौजूदगी का पता लगाने में सक्षम है। यही वजह है कि कुछ लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण सामने न आने के बावजूद भी ये टेस्ट पॉजिटिव आता है। हालांकि, आगे चलकर वायरस के कोई लक्षण सामने आएंगे या नहीं, या फिर वायरस कितना गंभीर रूप ले सकता है, इसके बारे में आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए पता नहीं चल पाता। - इस टेस्ट के लिए कोई तैयारी भी करनी पड़ती है या भूखे पेट सैंपल देना पड़ता है?
इस टेस्ट के लिए किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन अगर आप कोई विशेष दवा, काढ़ा या जड़ीबूटी का सेवन कर रहे हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही सैंपल दें। ऐसा इसलिए, ताकि आप जो दवा या काढ़े का सेवन कर रहे हैं, उसका रिपोर्ट पर असर नहीं दिखे। सैंपल देने के लिए भूखे रहने की आवश्यकता नहीं होती है। सैंपल कभी भी दिया जा सकता है। - क्या रेट है इस टेस्ट का?
जब कोरोना वायरस का प्रकोप देश में फैला था, उस समय इस टेस्ट का रेट दिल्ली में 2400 रुपये था। लेकिन बीते साल 30 नवंबर को दिल्ली सकार ने एक आदेश निकाल कर आरटी पीसीआर टेस्ट का रेट घट कर 800 रुपये कर दिया था। यदि किसी व्यक्ति को अपने घर में ही सैंपल देना हो तो फिर उसका रेट 1200 रुपये होगा। - कुछ और भी सस्ते हैं विकल्प?
स्पाइसजेट एयरलाइन की सब्सिडियरी कंपनी स्पाइसहेल्थ ने दिल्ली में कोविड टेस्टिंग फेसिलिटी बनाई है। कंपनी ने घोषण की है कि उनके यहां 499 रुपये से ही आरटी पीसीआर टेस्ट की शुरूआत हो जाती है। यही नहीं, इसमें टेस्ट की रिपोर्ट भी महज छह घंटे में ही मिल जाती है। जबकि आमतौर पर इस रिपोर्ट के आने में 24 घंटे तो लगते ही हैंं। हालांकि इसकी सेवा दिल्ली और मुंबई में ही ज्यादा है। - मुंबई एयरपोर्ट पर क्या है रेट?
मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट (CSMIA) ने आरटी पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) की दर 30 प्रतिशत घटाकर 600 रुपये कर दी है। महाराष्ट्र में कोविड-19 (covid-19 in Maharashtra) संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच यह कदम उठाया गया है। महाराष्ट्र सरकार के ताजा निर्देशों के मुताबिक संशोधित शुल्क 1 अप्रैल से प्रभावी हो गया है।
क्या इन सवालो के जवाब दुनिया मे होंगे.
Monday, 19 April 2021
સમસ્યાનું નિરાકરણ:નવસારી ખાટકીવાડ મસ્જિદ-દરગાહના વિવાદનો સુખદ અંત આવતા બંને પક્ષે રાહત.
નવસારીમાં આવેલ ખાટકીવાડ મસ્જિદમાં એક સપ્તાહ પહેલા કોર્ટના હુકમને લઇને પ્રાંત અધિકારી અને ડીડીઓની હાજરીમાં ચુસ્ત પોલીસ બંદોબસ્ત વચ્ચે મસ્જિદ સિલ કરવામાં આવી હતી. જો કે તે જ દિવસથી નવસારી અને વડોદરાના ટ્રસ્ટીઓ વચ્ચે સમાધાનના પ્રયાસો હાથ ધર્યા હતા અને બને પક્ષો વચ્ચે સમાધાન થયું હોવાની માહિતી મળી છે.
નવસારી ટાટા સ્કૂલ રોડ ખાતે આવેલ ખાટકીવાડ મસ્જિદ માં આવેલ સૈયદ અમીર એ મિલ્લત ની દરગાહ આવેલ છે. મસ્જિદ પક્ષ અને દરગાહ પક્ષનો 14 વર્ષથી વિવાદ ચાલતો હતો. જેનો અંત તાજેતરમાં વડોદરા ખાતે મળેલી મિટિંગમાં આવ્યો હતો. વધુમાં 14 વર્ષ દરમિયાન થયેલ 18 મિટિંગ નિષ્ફળતા બાદ મસ્જિદ પક્ષ તરફથી આશ્વાસન આપવામાં આવ્યું હતું કે, અમો નવસારીના સમજદાર મુસ્લિમ હોઈ આ વિવાદનો હંમેશ માટે નિવારણ કરશું અને અમોએ કરેલ સમજૂતી બંને પક્ષને માન્ય રહેશે. તેવી રજુઆત થઈ હતી.
વડોદરા ખાતે આવેલ ખાનકાહ એહલે સુન્નતના ગાદી પતિ સૈયદ મોઈનનુદીન બાવા સાહેબ દરગાહ તરફથી અને જનાબ સબ્બીરભાઈ મદદ (કુરેશી) ટ્રસ્ટી મસ્જિદ તરફથી તેમજ બંને પક્ષના અગ્રણીઓએ સાજીદભાઈ ઝવેરી, ઝુબીન કુરેશી, બુરહાનભાઈ મલેક, આશીફભાઈ બરોડાવાળા, અંજુમભાઈ શેખ વગેરે અને વડોદરાથી જનાબ મુસ્તુફાભાઈ હાલોલ, બાબુભાઈ વકીલ, નુરુલ્લાભાઈ પઠાણ, મોહમદ હાજી સિદ્દીકભાઈ, મોઇન ભાઈ મકરાણી વગેરેની હાજરીમાં ચાર મુદ્દા પર સમાધાન થયું હતું. હવે આ સમાધાન કોર્ટમાં રજૂ કરવામાં આવશે પછી મસ્જિદ બાબતે નામદાર કોર્ટ નિર્ણય લેશે. આ બાબતે નવસારીમાં જાણ થવાથી મુસ્લિમ સમાજમાં આનંદની લાગણી છવાઈ હતી.
કઈ બાબતો વચ્ચે સમાધાન થયું
- મજાર શરીફને અડીને આવેલ દાદર તેમજ મજારની ઉપરથી થયેલ દાદરનું બાંધકામ દૂર કરવું.
- મજારની જમણી બાજુએ આવેલ સંડાસોનું બાંધકામ દુર કરી ત્યાંથી મજાર પર જવાનો એક દરવાજો રાખવો.
- ઈ :સ 2007 પહેલા આવેલ બે મજાર જે આપે સ્લેબ નીચે દબાવેલ છે, તેને પાછા બહાર કાઢવા અને ત્રણે મજારનું રિનોવેસન દરગાહ પક્ષ પોતાને ખર્ચે કરશે
- ઈ:સ 2007 પહેલા જે રીતે મસ્જિદમાં વાર્ષિક ઉર્સનું આયોજન થતું હતું, તે રીતે થશે જેમાં મસ્જિદ ટ્રસ્ટ સહકાર આપશે.
આ દરેક મુદ્દા પર મસ્જિદ પક્ષ તૈયાર થયો હતો. આ સમજૂતી પત્ર હવે માન્ય ગુજરાત હાઈ કોર્ટમાં મૂકી ટૂંક સમયમાં મસ્જિદનું સીલ ખોલવાની પ્રક્રિયા શરૂ થશે.
‘न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’- कोरोना के साथ भी, कोरोना के बाद भी आने वाला हे मनुष्य के लिये गुलाम बनाने वाली नितीया.
कोरोना के साथ चलते हुए दुनिया बदल रही है। दबी ज़ुबान से कुछ जानकार यह मान भी रहे हैं कि कोरोना एक बीमारी या महामारी नहीं है। अगर उनकी बात में लेशमात्र भी सच्चाई है तो वाकई कोरोना एक समयावधि है। एक काल-खंड है। एक अंतराल है। जिसे बीतना ही है। लेकिन यह तब तक नहीं बीतेगा जब तक पूरी दुनिया में पूंजीवाद का नया ‘वर्ल्ड ऑर्डर’ स्थापित होकर अमल में नहीं आ जाता। चूंकि दुनिया के तमाम देश अलग-अलग भू-राजनैतिक परिस्थितियों में बसे हुए हैं और इस विविधता से भरी दुनिया में किसी एक दिन कोरोना की समाप्ति की घोषणा नहीं की जा सकती है इसलिये अलग-अलग देशों के लिए यह काल-खंड या समयावधि अलग- अलग हो सकती है।
Parliament: कोरोना के बाद न्यू वर्ल्ड ऑर्डर हो रहा तैयार, भारत को भी बनना होगा मजबूत प्लेयरः PM मोदी
‘न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’ स्थापित करने के लिए दुनिया की महाशक्तियाँ पूरी तन्मयता से लगी हुई हैं। यह एक ऐसा लंबा विराम है जिसमें दर्शकों के सामने पर्दा गिरा दिया गया है और ग्रीन रूम में अभिनेता पोशाक बदल रहे हैं। जब पर्दा उठेगा तो मंच पर साज- सज्जा बदली हुई होगी। कलाकार कमोबेश वही होंगे लेकिन उनके परिधान से लेकर चाल चरित्र बदल चुके होंगे। इस बदलाव में कालावधि का ध्यान रखा जाएगा। ताकि दर्शक उस नाटक को निरंतरता में ही देखे।
नाटक या सिनेमा की खूबी यही होती है कि दर्शक अपने स्थान पर ही बैठा रहता है और मंच सज्जा, संगीत संयोजन और प्रकाश संयोजन के प्रभाव और कलाकारों की रूप-सज्जा में फेर बदल करके उसे समय से आगे-पीछे ले जाया जा सकता है। दर्शक इसे कला कहते हैं और उस कला के प्रभाव में आकर उसी के साथ समय के उलट-फेर में हिचकोले खाने लगते हैं।
यह कला वैश्विक स्तर पर एक विराट रंगमंच पर उतर आयी है। दुनिया के अधिकांश देशों के नागरिक इस विराट मंच के प्रेक्षक बना दिये गए हैं। वो टकटकी लगाए देख रहे हैं जो उनके सामने घटित हो रहा है। वो वह भी देखेंगे जो उनके सामने आने वाले समय में घटित होगा।
अन्य देशों के बारे में, उन देशों के कलाकारों के बारे में, उन देशों के दर्शकों के बारे में कुछ सूचनाओं के आधार पर अटकलें लगाईं जा सकती हैं लेकिन अपने प्यारे भारतवर्ष में घटित होती घटनाओं के बारे में, दर्शकों की प्रतिक्रियाओं के बारे में और अपने कलाकारों के बारे में बहुत कुछ ठोस रूप से बताया जा सकता है।
दुनिया रुकी नहीं है। फिलवक्त वह अपनी धुरी पर ही घूम रही है। जो जहां था वो वहीं है। मंच पर चित्र बदल रहे हैं। प्रसंग बदल रहे हैं और किरदार बदल रहे हैं। भारतवर्ष भी अपनी धुरी पर पकड़ बनाए हुए इस घूमती हुई धरती से अपनी संगत बनाए हुए है। दो महीने के सम्पूर्ण लॉकडाउन से उपजी एकरसता अब टूटने लगी है। हिंदुस्तान में अच्छा ये है कि यहाँ मनोरंजन के लिए बहुत कुछ है। अपने-अपने घरों में कैद लोगों के सामने एक टेलीविजन है। डिजिटल तकनीकी से युक्त सर्विस प्रोवाइडर्स हैं। और अनगिनत चैनल हैं। हर चैनल पर कुछ न कुछ एक्स्लुसिव चल रहा है। इसके अलावा इन्टरनेट है, एंड्रायड फोन्स हैं, फेसबुक है, वाट्सएप है, नेटफ्लिक्स है, एमाज़ोन प्राइम है, ज़ी 5 है, हॉट स्टार है जिन पर नयी नयी फिल्में हैं, वेब सीरीज हैं।
यहाँ की राजनीति भी मनोरंजन है। उसमें गहरे संदेश भी हैं लेकिन उन्हें डी-कोड करने की सलाहीयतें नहीं हैं या बहुत कम हैं इसलिए तर्क-वितर्क के खलल नहीं हैं।
कुछ दावे हैं, कुछ वादे हैं, कुछ संकल्प हैं कुछ सिद्धियाँ हैं, कुछ एजेंडे हैं, कुछ गफ़लतें हैं, कुछ भरोसे हैं, कुछ निराशाएं हैं। कहीं चुनाव हैं, कहीं उप-चुनाव हैं, कहीं सरकारों की उठा-पटक है, तो कहीं डिजिटल रैलियाँ हैं तो इनके बीच सभी जगहों से आ रही स्वास्थ्य सेवाओं के कुप्रबंधन की नाकाबिले गौर खबरें भी हैं। बेरोजगारी है, महंगाई है, रेंगती हुई अर्थव्यवस्था है। ढहती हुई संस्थाएं हैं, औचित्यहीन होता सेक्युलरिज़्म है, अहंकारी और एकतरफ तराजू का पलड़ा झुकाये बैठा न्याय-तंत्र है आखिरकार एक दम तोड़ता हुआ 70 साल का बूढ़ा लोकतन्त्र है। लेकिन यह सब मंच के एक हिस्से का ब्यौरा है। जो कमोबेश पहले से मौजूद था।
कोरोना नामक इस कालावधि में जो नया है वो है बीमार हो चुके या बीमारी से जूझते या बीमार हो जाने की भरपूर संभावनाओं के बीच लोगों की कलुषित प्रवृत्तियों को बाहर लाना जबकि इस अवस्था में और इस अवधि में इन्हें बाहर नहीं आना था। इस देश में नया है, बीमारों के प्रति नज़रिया। बीमारी फैलाने के लिए कुछ लोगों की शिनाख्त और उसके बहाने एक पुराने एजेंडे की खुराक की असीमित सप्लाई। मुफ्त मुफ्त मुफ्त।
कोरोना को एक अंतराल या समयावधि कहने की ज़ुर्रत दो महीने पहले नहीं होती। पर आज है क्योंकि सरकारों के आचरण से उनकी प्राथमिकताओं से यह लग नहीं रहा है कि कोरोना वाकई एक संकट है या सबको एक साथ अपनी जद में ले सकने की ताक़त रखने वाली कोई विकराल बीमारी या महामारी है।
देश के शीर्षस्थ नेताओं ने अपने आचरण से यह बार- बार बताया है कि यह एक अंतराल ही है जिसका चयन आप अपनी सुविधा से कर सकते हैं। आप जब चाहें कोरोना पॉज़िटिव हो सकते हैं। जब चाहें क्वारींटाइन हो सकते हैं। आप एकांतवास में जा सकते हैं। आप चाहें तो दो दिन पहले की कोरोना पॉज़िटिव रिपोर्ट को धता बताकर बाहर आ सकते हैं (संदर्भ शिवराज सिंह चौहान)। आप चाहें तो संक्रमण के संदेह में 14 दिन पाँच सितारा हस्पताल में मेडिकल टूरिज़म कर सकते हैं और किसी अन्य शहर में लगी पेशी में पेश होने से खुद को बचा सकते हैं (संदर्भ संबित पात्रा)। आप चाहें तो कोरोना काल में किसी बड़े पाँच सितारा हस्पताल का विज्ञापन कर सकते हैं और इस तोहमत से भी बच सकते हैं कि विज्ञापन करने वाले खुद उस उत्पाद का इस्तेमाल नहीं करते (संदर्भ-अमिताभ बच्चन)।
किसी बड़े समारोह का आमंत्रण नहीं मिला तो सवालों की आबरू रखने के लिए भी यह कोरोना रूपी अंतराल एक सहूलियत देता है। इससे पहले कि लोग पूछें आपको बुलाया नहीं गया? आप तपाक से कह सकें कि पॉज़िटिव आ गया। और फिर ट्विटर पर जाकर सर्वसाधारण को सूचित कर दें।
ये सब आचरणगत बदलाव हैं। कोरोना जो तथाकथित रूप से आपको कफन से ढंकने आया था आपने उसे अपने धतकर्म ढंकने के काम ले लिया। जो यहाँ सरकार हैं उनके लिए देह की दूरी एक अचूक युक्ति साबित हुई। जिसे कल तक बुराई भी माना जाता था आज एहतियात में बदल गयी है। इस पूरी समयावधि में अपने-अपने चुनाव-क्षेत्र के जन प्रतिनिधि कहाँ रहे? यह पूछने वाला कोई नहीं क्योंकि कोरोना है। जो बीमारी नहीं अंतराल है। पहले से ही राजनैतिक व्यवहार और आचरण में चली आ रही यह दूरी इस अंतराल में वैधता पा जाती है। यह कोरोना वारीयर्स क्यों नहीं बने जबकि इन्हें अपनी जनता के साथ इस संकट में होना था? यह एक अनुत्तरित सवाल रहेगा। कोरोना से निपटने के लिए पुलिस है, स्वास्थ्य कर्मी हैं, सफाई कर्मी है और मीडिया है। क्यों नहीं पहले दिन से जन प्रतिनिधियों को इस संकट का सामने करने में अगुवाई दी गयी? जो जन प्रतिनिधि इसे स्वास्थ्यगत कारणों के रूप में देख रहे हैं उन्हें यह बात तब ठीक से समझ में आएगी जब यह अंतराल बीत जाने पर उन्हें पता चलेगा कि ऐसे कितने निर्णय जिनमें उनकी भागीदारी ज़रूरी थी, लिए जा चुके हैं। उनकी गैर-मौजूदगी में उनकी शक्तियाँ छीन ली गईं।
यहाँ उल्लेखनीय यह भी है कि देश में नीति आयोग के साथ ही सारी बड़ी परियोजनाओं में स्थानीय जन प्रतिनिधियों की भूमिका खत्म की जा चुकी है। इनके स्थान पर स्पेशल पर्पज़ व्हीकल जैसे नए पद सृजित हो चुके हैं। मसलन इंडस्ट्रीयल कोरिडोर्स, मैन्यूफैक्चरिंग जोन्स, विशेष आर्थिक क्षेत्र आदि अलबत्ता ये अनभिज्ञ थे और अब जब वापस काम पर लौटेंगे तो अपनी कुर्सी तलाश करेंगे। यह तय है कि देश में तमाम यान्त्रिकी का सम्पूर्ण कॉर्पोरेटीकरण इस अंतराल का सबसे बड़ा ‘आउट कम’ होने जा रहा है।
यह नया वर्ल्ड ऑर्डर जिसमें दूरी एक केन्द्रीय तत्व है हमारे जीवन के हर पहलू पर असर करने वाला है। इस दूरी को अशोक वाजपेयी ने एक व्याख्यान में बहुत दिलचस्प अंदाज़ में बताया है जिसे पढ़ा जाना चाहिए। वो कहते हैं कि – “हमारी राष्ट्रीय कल्पना से गरीब गायब हो चुके होंगे। राष्ट्र की सारी कल्पनाएं भद्र लोक, उच्च वर्ग और मध्य वर्ग तक सिमट गई होंगी। इस विराट राष्ट्रीय कल्पना से वही नहीं होंगे जो सबसे ज़्यादा होंगे। सत्ता की नागरिकता से, मध्य वर्ग की दूरी अपने अंत:करण से, पुलिस की दूरी सुरक्षा से, न्यायतंत्र की दूरी न्याय से, राजनीति की नीति से, मजदूरों की दूरी रोजगार से”।
लिखना, भूलने के विरुद्ध एक कार्यवाही है। इसलिए यह भी लिखा जाना चाहिए कि इस ‘अंतराल को अवसर’ में बदलने का हुंकार किसी और ने नहीं देश के प्रधानमंत्री ने भरी थी और उन्होंने इसे करके दिखाया है। जो काम मंच पर दर्शकों के आगे पर्दा डाले बिना नहीं हो सकते थे वो काम अब किए जा रहे हैं बिना किसी संकोच, लिहाज और नीति के। जो काम इस अंतराल के बीत जाने के बाद किए जा सकते थे वो भी अभी ही निपटा लिए जा रहे हैं। तमाम निगमों, सरकारी कंपनियों, इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेचना हो या सार्वजनिक जीवन को प्रभावित करने वाली नीतियां बनाना और लागू करना हो। सरकार की आलोचना करने वाले बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ दबाना हो। सब कुछ इसी दौर में अविलंब किया जाना है।
देश अब अनलॉक हो चुका है लेकिन राजनैतिक कार्यक्रमों (असल में नागरिक जुटान, प्रतिरोध या प्रदर्शन) आज भी वर्जित हैं। धार्मिक कांड किए जा सकते हैं। सरकारोन्मुखी सामाजिक काम भी किए जा सकते हैं। यह एक स्थायी कायदा होने जा रहा है जो भी इस न्यू वर्ल्ड ऑर्डर के लिए मुफीद होगा।
(लेखक पिछले 15 सालों से सामाजिक आंदोलनों से जुड़कर काम कर रहे हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
Thursday, 15 April 2021
इतिहास मे कई महा बिमारियां फैली हे.
कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच सरकार ने कंपनियों को राहत देने के लिए कानून में किया बड़ा बदलाव.
SAFTEAM 15 APRIL 2021
कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच सरकार ने कंपनियों को राहत देने के लिए कानून में किया बड़ा बदलाव.
कोरोना वायरस (Coronavirus Pandemic) की वजह से कंपनियों को हो रहे भारी नुकसान में राहत देने के लिए सरकार (Government of India) ने बड़ा फैसला लेते हुए IBC (Insolvency and Bankruptcy Code) में बदलाव किया है. आइए जानें इसके बारे में...
नई दिल्ली. सरकार ने एक अध्यादेश (Ordinance) के जरिए इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC-Insolvency and Bankruptcy Code) में बदलाव कर दिया है. इस संसोधन के बाद कोविड-19 महामारी की वजह से जिन कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है, उन्हें उनके लेंडर्स (कर्ज़ देने वाली बैंक या कंपनी) IBC (कोर्ट) में नहीं घसीट सकते हैं. सरकार ने ऑर्डिनेंस के जरिए IBC के सेक्शन 7, 9 और 10 को फिलहाल सस्पेंड कर दिया है. अगर आसान शब्दों में कहें तो आपने कारोबार चलाने के लिए बैंक में कर्ज लिया है और लोन नहीं चुकाने की वजह से अगर आपको डर हैं कि कहीं आप पर आईबीसी के तहत कार्रवाई न हो जाए तो इसका इंतजाम कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने दिवाला से संबंधिन एक नए अध्यादेश को लागू करने की मंजूरी दे दी है. ये कानून आपको कर्जों से फिलहाल राहत देने में मददगार है.
मार्च तक मिली कंपनियों को राहत- कोरोनवायरस और लॉकडाउन की वजह से 60 दिनों तक आर्थिक गतिविधियां ठप रहीं जिसके वजह से कई कंपनियों ने डिफॉल्ट कर दिया है.
ऑर्डिनेंस के मुताबिक, 25 मार्च 2020 के बाद से अगले 6 महीने या 1 साल तक किसी भी कंपनी के खिलाफ CIRP का आवेदन नहीं किया जा सकता यानी उन्हें IBC में लेकर नहीं जाया जा सकता.
केंद्रीय कैबिनेट ने 3 जून को उस प्रस्ताव को पास कर दिया जिसमें IBC के तहत इनसॉल्वेंसी की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.
सरकार ने इस प्रक्रिया पर अभी इसलिए रोक लगाई है क्योंकि अभी डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों की संख्या बहुत ज्यादा है.ऑर्डिनेंस के मुताबिक, डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों पर सेक्शन 10 A 25 मार्च से अगले छह महीने या 1 साल तक लागू नहीं होगा.
क्या है आईबीसी-इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के अंतर्गत कर्ज न चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के अंदर कर्ज वापसी के प्रयास किए जाते हैं. इस कोशिश से बैंकों की आर्थिक स्थिति में कुछ हद तक सुधार जरूर हुआ है.
कुंभ मेले को लेकर सरकारी बजेत को लेकर कुच रिपोर्ट .
SAFTEAM
15 APRIL 2021
Haridwar Kumbh 2021 : कोरोना का झटका, 4000 करोड़ का कुंभ 800 करोड़ में सिमटा
कुंभ मेला 2021: आपको कुंभ नहाने का मिल सके पुण्य, इसके लिए रेलवे ने की बड़ी तैयारी
Kumbh Mela 2021 : केंद्र सरकार ने कुंभ मेला के लिए 375 करोड़ रुपए दिए
Haridwar Kumbh 2021: कुंभ को लेकर केंद्र सरकार ने जारी की गाइडलाइन, श्रद्धालुओं को रखना होगा इस बात का ध्यान.
Tuesday, 13 April 2021
कोरोना क्या वाकीमे बिमारी हे? षड्यंत्र हे? साजिश हे, कोरोना से गरीबों की क्यु मौत होती हे?
हरिद्वार कुंभ मेला 2021 कोरोना काल का महाकाल हे .
डॉ अंबेडकर ने सबसे पहले आगाह किया था कि भक्त सामाजिक और राजनीति में तानाशाही को जन्म देते हैं।
Thursday, 8 April 2021
इटली के कोरोना से मृत मरीज का पोस्टमार्टम कोरोना का पर्दाफाश .
गदीरे खुम की हदीस . WhatsApp acopy
कोरोना महामारी के बाद अब बिल गेट्स ने की दो अगली आपदाओं की भविष्यवाणी.2015
- बिल गेट्स ने कोरोना वायरस महामारी की भविष्यवाणी वर्ष 2015 में ही कर दी थी।
- माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बोले- कोरोना के बाद अब दो और खतरनाक बीमारियां आएंगी।
- दी चेतावनी कि कोरोना के बाद अब श्वसन और जलवायु संबंधी महामारी आएंगी।
नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और अध्यक्ष बिल गेट्स ने 2015 में ही कोरोना वायरस जैसी महामारी की चेतावनी दी थी। कोरोना वायरस के बाद अब गेट्स ने दो और आपदाओं की चेतावनी दी है। गेट्स का कहना है कि कोरोना के बाद अब दो ऐसी भयानक विपदाएं आने वाली हैं, जो इंसान को झकझोर के रख देंगी।
BIG NEWS: कोरोना वायरस से ठीक हो चुके व्यक्तियों में वैक्सीन का एक शॉट ही कारगर
वर्ष 2015 में बिल गेट्स की दी हुई भविष्यवाणी 2020 में सच साबित हुई। अभी लोग कोरोना जैसी भयानक महामारी से उबरे भी नहीं हैं और आम जनता तक वैक्सीन पहुंची भी नहीं है, ऐसे वक्त में गेट्स की ये भविष्यवाणी क्या कोहराम मचाएगी, सोचने वाली बात है।
बिल गेट्स के हिसाब से अब कोरोना वायरस से भी भयानक आपदाएं लोगों के ऊपर मंडराने वाली हैं। गेट्स ने ये भविष्यवाणी इसलिए भी की ताकि लोग पहले से ही सतर्क हो जाए और भविष्य में आने वाले इस संकट से अपना बचाव कर सकें।
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Wednesday, 7 April 2021
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Friday, 2 April 2021
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