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Thursday, 15 April 2021

इतिहास मे कई महा बिमारियां फैली हे.

हारून रशीद के दौर में एक बहुत बडी महामारी फेल गयी इस महामारी के असरात समरकन्द से लेकर बगदाद तक और कूफ़ा से लेकर मराकीज़ तक ज़ाहिर होने लगे, हारून रशीद ने महामारी से निपटने के लिए तमाम तदबीरें अपना ली गल्ले के गोडाउन खोल दिये, टेक्स माफ कर दिए, पूरी सल्तनत में सरकारी लंगरखाने क़ायम कर दिए। और तमाम उमरा व ताजीरों को मुतास्सिरिन की मदद केलिए मुबलाइज़ कर दिया मगर इसके बावाजूद अवाम की हालत ठीक ना हुई। 

एक रात हारून रशीद बहुत टेंशन में थे, उन्हें नींद भी नही आ रही थी, टेंशन के इस आलम में उनके वज़ीर याह्या बिन खालिद को तलब किया। याह्या बिन खालिद हारून रशीद के उस्ताद भी थे। याह्या बिन खालिद ने बचपन से हारून रशीद की तरबियत की थी। हारून रशीद ने याह्या बिन खालिद से कहा उस्ताद! मुझे ऐसी कहानी या ऐसी दास्तान सुनाए जिसे सुनने के बाद मुझे करार आ जाये। याह्या बिन खालिद मुस्कुराये और अर्ज़ किया बादशाह सलामत। मैने अल्लाह के किसी नबी की हयाते तय्यैबा में एक दास्तान पढ़ी थी, दास्ताने मुकद्दस किस्मत और अल्लाह की रज़ा की सबसे बड़ी और शानदार तश्बी है। अगर आप इज़ाजत दे तो वो दास्तान आपके सामने दोहरा दु। बादशाह ने बैचेनी से फ़र्माया या उस्ताद! बिल्कुल फरमाइए।

किसी जंगल मे एक बंदरिया सफर केलिए रवाना होने लगी, उसके साथ एक बच्चा था, वह बच्चे को साथ नही ले जा सकती थी चुनांचे वह शेर के पास गई, उसने अर्ज़ किया जनाब आप जंगल के बादशाह है। में सफर पर रवाना होने वाली हूं, मेरी ख्वाइश है आप मेरे बच्चे की जिम्मेदारी आप खुद ले लो, शेर ने हामी भर ली। बंदरिया ने अपना बच्चा शेर के हवाले कर दिया। शेर ने बच्चा कंधे पर बैठा लिया बंदरिया सफर पर रवाना हो गई। अब शेर बच्चे को रोज़ाना कंधे पर बैठाता और जंगल मे अपने रोजमर्रा के काम करता रहता। एक दिन वह जंगल मे घूम रहा था के अचानक आसमान से एक चील ने गोता लगाया शेर के करीब पहुंची बंदरिया का बच्चा उठाया, और आसमान में गुम हो गई। शेर जंगल मे भागता दौड़ता रहा, लेकिन वह चील को ना पकड़ सका। याह्या बिन खालिद रुके चेन की सांस ली, और हारून रशीद को अर्ज़ किया:

"बादशाह सलामत! चंद दिन बाद बंदरिया वापस आई और शेर से अपने बच्चे का मुतालबा किया, शेर ने शर्मिंदगी से जवाब दिया तुम्हारा बच्चा तो चील ले गई है, बंदरिया को गुस्सा आ गया और उसने चिल्लाकर कहा: "तुम कैसे बादशाह हो ? तुम एक अमानत की हिफाज़त नही कर सकते ? तुम ये सारे जंगल का निज़ाम कैसे चलाओगे ? शेर ने अफसोस से अपना सर हिलाया और बोला में ज़मीन का बादशाह हूँ, अगर ज़मीन से कोई आफत तुम्हारे बच्चे की तरफ बढ़ती तो में रोक लेता। मगर ये आफत आसमान से उतरी थी। और आसमान की आफ़तें सिर्फ और सिर्फ आसमान वाला ही रोक सकता है। 

ये कहानी सुनाने के बाद याह्या बिन खालिद ने हारून रशीद से अर्ज़ किया: "बादशाह सलामत! ये आफत भी अगर ज़मीन से निकली होती तो आप रोक लेते, ये आसमान का अज़ाब है, इसे सिर्फ अल्लाह तआला ही रोक सकता है। चुनांचे आप इसे रोकने केलिए बादशाह ना बने, फ़क़ीर बने ये आफत रुक जाएगी। 

दुनियां में आफ़तें दो किस्म की होती है, आसमानी मुसीबतें और ज़मीनी आफ़तें, आसमानी आफत से बचने केलिए अल्लाह तआला का राज़ी होना ज़रूरी होता है, जबके ज़मीनी आफत के बचाव केलिए इंसान का मुत्तहिद होना ज़रूरी होता है।   

याह्या बिन खालिद ने हारून रशीद से कहा था आसमानी आफत उस वक़्त तक खत्म नही होती, जबतक इंसान अपने रब को राजी ना करदें। आप इस वक़्त का मुकाबला बादशाह बनकर नही कर सकेंगे। चुनांचे अपने आप को फ़क़ीर बनाये। अल्लाह के हुजूर गिर जाए, उससे मदद मांगे, दुनिया के तमाम मसाइल उसके हल के दरमियान सिर्फ इतना फ़ासला होता है जितना माथे और "जानमाज़ में होता है। दोस्तों अपने मसाइल केलिए हम सात समंदर पार तो जा सकते है। लेकिन माथे और जानमाज़ के दरमियान के मौजूद चंद इंच का फ़ासला तैह नही कर सकते। 

मेरे दोस्तों इस कहानी से मुराद ये है के अल्लाह भी हमसे इस वक़्त नाराज़ है, पूरी दुनिया के ऊपर एक छोटे से वायरस को ऐसे मुसल्लत कर दिया है के तमाम दुनिया को रोककर रख दिया है। तमाम दुनिया के कारोबार रुक गए।

जब कोई शख़्स अपने किसी करीबी से नाराज होता है तो उसे अपने घर पर बुलाना भी पसंद नही करता। अब हम इससे अंदाज़ा लगा सकते है, खानाए काबा पर जाने से रोक लगा दी, मस्जिदों में जाने से रोक लगा दी। मगर तौबा के दरवाजे आज भी खुले है। बस हमें बादशाह से फ़क़ीर बनना है। इंशाअल्लाह, 

अल्लाह ये मसला चुटकी में हल कर देगा।

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