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Sunday, 25 April 2021

प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में देशभक्ति से भरपूर यह कविता पढ़ते हैं। इस गीत को प्रसून जोशी ने लिखा है।


सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा - प्रधानमंत्री मोदी अक्सर पढ़ते हैं 

प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में देशभक्ति से भरपूर यह कविता पढ़ते हैं। इस गीत को प्रसून जोशी ने लिखा है। 

सौगंध मुझे इस मिट्टी की, 
मैं देश नहीं मिटने दूंगा, 
मैं देश नहीं मिटने दूंगा, 
मैं देश नहीं झुकने दूंगा। 

मेरी धरती मुझसे पूछ रही, 
कब मेरा कर्ज़ चुकाओगे, 
मेरा अम्बर मुझसे पूछ रहा, 
कब अपना फर्ज़ निभाओगे 
मेरा वचन है भारत माँ को, 
तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा,

सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।

वो लूट रहे हैं सपनों को,
मैं चैन से कैसे सो जाऊँ,
वो बेच रहे अरमानों को,
खामोश मैं कैसे हो जाऊँ,
हाँ मैंने कसम उठाई है,
मैं देश नहीं बिकने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।

वो जितने अंधेरे लाएंगे,
मैं उतने सूर्य उगाऊँगा,
वो जितनी रात बढ़ाएंगे,
मैं उतने उजाले लाउंगा,
इस छल फरेब की आँधी में,
मैं दीप नहीं बुझने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।

वो चाहते हैं जागे न कोई,
ये रात ये अंधकार चले,
हर कोई भटकता रहे यूंही,
और देश यूंही लाचार चले,
पर जाग रहा है देश मेरा,
पर जाग रहा है देश मेरा,
हर भारतवासी जीतेगा,
हर भारतवासी जीतेगा,

मांओं बहनों की अस्मत पर
गिद्ध नज़र लगाए बैठे हैं
हर इंसां है यहां डरा-डरा
दिल में खौफ़ जमाए बैठे हैं
मैं अपने देश की धरती पर
अब दर्द नहीं उगने दूंगा
मैं देश नहीं रुकने दूंगा 
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।

अब घड़ी फ़ैसले की खाई
हमने है कसम अब खाई
हमें फिर से दोहराना है
और ख़ुद को याद दिलाना है
ना भटकेंगे न अटकेंगे
कुछ भी हो इस बार
हम देश नहीं मिटने देंगे 
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं मिटने दूंगा,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।

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