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Thursday, 30 June 2022

बिहार: ओवैसी के 5 में से चार विधायक भागे, आरजेडी बनी सबसे बड़ी पार्टी


  • बिहार पटना,
  • 29 जून 2022,

पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. आरजेडी के 75 विधायक चुनकर आए थे और बीजेपी के 74 थे. वहीं, AIMIM ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपना परचम लहराया था.

      
  • RJD बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है
  • बिहार में AIMIM के पांच विधायक जीते थे

महाराष्ट्र के बाद बिहार में बड़ा सियासी बवंडर मचा है. यहां AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी को तगड़ा झटका लगा है. AIMIM के चार विधायकों ने RJD का दामन थामने का फैसला किया है. बिहार में AIMIM के पांच विधायक चुनाव जीते थे. 

AIMIM के टिकट से अमौर सीट से अख्तरुल ईमान, बायसी से सैयद रुकनुद्दीन अहमद, जोकीहाट से शाहनवाज आलम, कोचाधामन से मोहम्मद इजहार असफी, बहादुरगंज से मोहम्मद अंजार नईमी विधानसभा पहुंचे थे. इसमें चार RJD में शामिल होंगे. अमौर सीट से अख्तरुल ईमान अभी AIMIM के साथ हैं. चार विधायकों के AIMIM छोड़ने के बाद RJD बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. 

दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. आरजेडी के 75 विधायक चुनकर आए थे और बीजेपी के 74 थे. इस चुनाव में वीआईपी के टिकट पर चार उम्मीदवार जीतकर विधायक निर्वाचित हुए थे, जिसमें एक का निधन हो गया था. ऐसे में तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इससे बीजेपी का आंकड़ा 77 पहुंच गया था.

वहीं, आरजेडी के विधायकों के आंकड़े को देखे तो 2020 में 75 विधायक जीते थे और 2022 में हुए उपचुनाव में एक सीट आरजेडी के खाते में आई. इससे उसका आंकड़ा 76 पहुंच गया था. अब ओवैसी की पार्टी के चार विधायक आरजेडी में शामिल होने से उसके 80 विधायक हो गए हैं और वो सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. 

 सीमांचल में लहराया था परचम

AIMIM ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपना परचम लहराया था. सीमांचल इलाके में 24 सीटें हैं. इनमें से अधिकतर सीटें मुस्लिम बहुल है जिस पर महागठबंधन के जीतने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन लोगों ने एआईएमआईएम के हक में फैसला सुनाया था.

कहीं ना कहीं AIMIM के जीतने से महागठबंधन को नुकसान हुआ था. कई सीटें ऐसी भी थी जहां महागठबंधन और AIMIM के बीच वोटों का अंतर बहुत ही कम था. हालांकि अब इसकी भरपाई लगभग हो गई है. 


बिहार: AIMIM के 4 विधायक RJD में, बदला विधानसभा का गणित.. BJP-JDU में अंतर्कलह के बीच क्या खत्म होगा NDA राज?

NDA से 6 विधायक कम हो जाएं तो उनके पास 120 सीटें बचेंगी और एक निर्दलीय को साथ लेकर भी वह जादुई आंकड़े से दूर रह जाएगी. वहीं महागठबंधन को 7 और विधायकों की जरूरत होगी.


 

बिहार: AIMIM के 4 विधायक RJD में, बदला विधानसभा का गणित.. BJP-JDU में अंतर्कलह के बीच क्या खत्म होगा NDA राज?

NDA से 6 विधायक कम हो जाएं तो उनके पास 120 सीटें बचेंगी और एक निर्दलीय को साथ लेकर भी वह जादुई आंकड़े से दूर रह जाएगी. वहीं महागठबंधन को 7 और विधायकों की जरूरत होगी.

एक नजर विधानसभा के गणित पर

बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं. 2020 चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें आरजेडी के खाते में आईं. कांग्रेस, महागठबंधन की उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतर पाई. वहीं वामदलों ने ठीक ठाक प्रदर्शन किया. बीजेपी ओर जेडीयू सरकार बनाने लायक सीटें ले आईं. सहयोगियों का समर्थन था ही. सो सरकार भी बन गई. मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को 3 सीटें मिली थी. लेकिन बीजेपी ने एक झटके में उसके तीनों विधायक अपने पाले में कर लिए. ऐसे में सहनी के आरजेडी के साथ जाने की संभावना तो खत्म हो गई. लेकिन एआईएमआईएम के 4 विधायकों के साथ आने से आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के हाथ मजबूत हुए हैं.

सत्ता पक्ष

NDA126
भाजपा77
जेडीयू45
हम4

विपक्ष

महागठबंधन115
आरजेडी80
कांग्रेस19
लेफ्ट16

निदर्लीय- 1

एआईएमआईएम- 1

महागठबंधन सत्ता से कितनी दूर?

अब विधानसभा में आरजेडी के 80 विधायक (स्वीकृति मिलने के बाद) हो गए हैं. कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 मिलाकर, महागठबंधन के पास कुल 115 सीटें हो गई हैं. वहीं बीजेपी(77), जेडीयू(45) और हम(4) को मिलाकर एनडीए के पास अब भी 126 विधायक हैं. यानी उसके पास 122 के जादुई आंकड़े से 4 सीटें ज्यादा है. कुल मिलाकर महागठबंधन अभी भी जादुई आंकड़े से दूर है और ऐसे में फिलहाल सत्ता में उलफेर की संभावना बनती नजर नहीं आ रही है. सरकार बनाने के लिए उन्हें एनडीए के खेमे से कम से कम 6 विधायक तोड़ने होंगे. एनडीए से 6 विधायक कम हो जाएं तो उनके पास 120 सीटें बचेंगी और एक निर्दलीय को साथ लेकर भी वह जादुई आंकड़े से दूर रह जाएगी. वहीं महागठबंधन को जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए 7 और विधायकों की जरूरत है.

ये 4 विधायक आरजेडी में शामिल हुए

Bihar Politics

अख्तरुल इमाम के दावे की निकली हवा!

वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को पांच सीटों पर जीत मिली. इनमें पूर्णिया ओर किशनगंज जिले की विधानसभा सीटें अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज शामिल हैं. इनमें से जिन चार सीटों पर जीते विधायक अब आरजेडी में शामिल हुए हैं, उनमें कोचाधामन सीट से विधायक मुहम्मद इजहार अस्फी, जोकीहाट से विधायक शाहनवाज आलम, बायसी से विधायक रुकनुद्दीन अहमद, बहादुरगंज से विधायक अनजार नईमी शामिल हैं.

एआईएमआईएम नेता अख्तरुल इमाम ने पिछले दिनों कहा था कि बिहार में उनकी पार्टी एक छोटी पार्टी है और इसलिए बड़ी पार्टियां 2020 विधानसभा चुनाव के बाद से ही हमारी पार्टी के विधायकों से संपर्क कर रही हैं. उनका दावा था कि उनकी पार्टी के नेता कहीं नहीं जा रहे हैं. अब उनको छोड़ बाकी चारों विधायक आरजेडी में शामिल हो गए हैं और इमाम के दावों की हवा निकल ग



Prostitution या वेश्यावृत्ति पर क्या कहता है भारतीय कानून? 2022

 
     
Updated:Feb 16, 2022, 
डीएनए हिन्दी : भारत में वेश्यावृत्ति कानूनी तौर पर जुर्म नहीं है. यह पंक्ति पूरी तरह से सही है. भारत में पैसे के बदले  सेक्स करने में कोई कानूनी व्यवधान नहीं है. हाँ, इसके लिए कुछेक शर्त ज़रूर हैं. अव्वल तो यह कि इसमें केवल दो वयस्क लोग सहमति से शामिल हों. इसके अतिरिक्त भी कई और शर्तें हैं जिसकी वजह से वेश्यावृत्ति की भारत में वैधता पर सवाल लगाये जा सकते हैं.
   

एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर वेश्यावृत्ति (Prostitution) कानूनी है  तो फिर इसे छिपाकर क्यों किया जाता है? 

वह विधेयक जिसकी वजह से  वेश्यावृत्ति के कानूनी होने पर भी इसे दबे छिपे ढंग से किया जाता है, वह दरअसल इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 है. यह कानून वेश्यावृत्ति से जुड़ी हुई कुछ हरकतों को अपराध की शृंखला में रखता है.


Brothel या चकलाघर चलाना है क्राइम

इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 के सेक्शन 3 के मुताबिक चकलाघर, वेश्यालय या brothel चलना अपराध है. इसकी परिभाषा में हर वह घर, कमरा या जगह आता है जिसका इस्तेमाल वेश्यावृत्ति के लिए किया जाता है. वहीं इस कानून के सेक्शन 4 के मुताबिक किसी का वेश्या की कमाई पर ज़िन्दगी बसर करना भी अपराध है. परिवार के सदस्य भी ऐसा करें तो भी यह आपराधिक है.


सेक्शन 5 किसी भी व्यक्ति को वेश्यावृत्ति के लिए लुभाना, उसे इस पेशे में डालने को बाध्य करने को अपराध मानता है. यानि पिम्पिंग या दलाली सरीखी चीज़ें अपराध हैं.

सेक्शन 7 के मुताबिक किसी सार्वजनिक जगह में पैसे के बदले सेक्स करना अपराध है. यानि किसी होटल, हॉस्पिटल, प्रार्थना स्थल या फिर अन्य घोषित सार्वजनिक जगहों पर इसमें लिप्त होना आपराधिक है.

इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 का आठवां सेक्शन

इस एक्ट का आठवां सेक्शन पैसे के लिए किये जाने वाले सेक्स की ख़ातिर किसी को रिझाना, अपनी ओर आकर्षित करना, इशारे करना या सजेस्टिव संकेत देना अपराध है. हालाँकि, इस सेक्शन को विवादित और स्त्री विरोधी भी माना जाता है. यह समान अपराध के लिए पुरुषों को महिलाओं से लगभग आधी सज़ा देता है. महिलाओं के लिए जेल का टर्म एक साल तक हो सकता है पर पुरुषों के लिए यह सात दिन से अधिकतम तीन महीना है.

लब्बो लुआब यह है कि वेश्यावृत्ति अपराध नहीं है पर इन सेक्शन का ख़याल रखना बेहद ज़रूरी है. 







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Explainer: SC ने वेश्यावृत्ति को पेशा माना, क्या भारत में बदल जाएगी सेक्स वर्कर्स की जिंदगी?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा वेश्यावृत्ति को पेशे का दर्जा दिए जाने के साथ ही राज्य, केन्द्र सरकार और पुलिस को भी कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, कॉल गर्ल को भी सजा का प्रावधान

  • कई देशों में वेश्यावृत्ति नहीं है जुर्म

सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशे का दर्जा दे दिया है. गुरुवार को अपने एक फैसले में शीर्ष कोर्ट ने अन्य पेशे की तरह यौन पेशे को भी लीगल करार देने के साथ ही इस बाबत राज्य और केन्द्र सरकार के साथ ही पुलिस को भी कई दिशा निर्देश जारी किए हैं. यौन कर्मियों यानी सेक्स वर्करों को लेकर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करने पर जोर दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों से कहा है कि हर पेशे की तरह मानवीय गरिमा और शालीनता के साथ जीवन जीने के लिए बुनियादी सुरक्षा यौन कर्मियों के लिए भी है. पुलिस और प्रशासन को यौन कर्मियों यानी सेक्स वर्कर्स के साथ भी आम नागरिक की भांति गरिमापूर्ण और सम्मानजनक बरताव व्यवहार करना चाहिए. यानी उनके साथ पुलिस मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करे.

क्या कहता है हमारा कानून?

भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार, वेश्यावृत्ति वास्तव में अवैध नहीं है, लेकिन कुछ गतिविधियां ऐसी हैं जो वेश्यावृत्ति का एक बड़ा हिस्सा हैं और अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत दंडनीय हैं, जैसे...


सार्वजनिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति

  • होटलों में वेश्यावृत्ति करना.
  • एक सेक्स वर्कर की व्यवस्था करके वेश्यावृत्ति में शामिल होना.
  • एक ग्राहक के लिए यौन क्रिया की व्यवस्था करना.

कॉल गर्ल को भी सजा

अनैतिक ट्रैफिक (रोकथाम) अधिनियम, 1986 मूल अधिनियम का एक संशोधन है. इस अधिनियम के अनुसार, वेश्याओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए अगर वे खुद के साथ संबंध बनाने को कहती हैं या दूसरों को बहकाते हुए पाई जाती हैं. इसके अलावा, कॉल गर्ल को अपने फोन नंबर सार्वजनिक करने की मनाही है. ऐसा करते पाए जाने पर उन्हें 6 महीने तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है.

भारत में क्या है स्थिति

हमारे देश में वेश्यावृत्ति गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसके लिए किसी को फोर्स करना और सार्वजनिक वेश्यावृत्ति करना गैरकानूनी है. वेश्यालय का मालिकाना हक भी अवैध है.

अगर केंद्र सरकार ने कोर्ट के निर्देश को मान लिया तो भारत में क्या बदलेगा?

  • यौनकर्मियों को समान कानूनी सुरक्षा दी जाएगी.
  • यदि कोई यौनकर्मी किसी आपराधिक/यौन या अन्य प्रकार के अपराध की रिपोर्ट करता है, तो पुलिस इसे गंभीरता से लेगी और कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी.
  • यदि किसी वेश्यालय पर छापा मारा जाता है, तो इसमें शामिल यौनकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, दंडित नहीं किया जाएगा.
  • कोई भी यौनकर्मी जो यौन उत्पीड़न का शिकार है, उसे तत्काल चिकित्सा देखभाल सहित जरूरी सेवाएं दी जाएंगी.
  • पुलिस को सभी यौनकर्मियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना होगा और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं कर सकते.

क्या है अन्य देशों में वेश्यावृत्ति को लेकर कानून
कुछ देशों ने वेश्यावृत्ति पर पूरी तरह से रोक लगा रखा है. जबकि अन्य देशों में वेश्यावृत्ति लीगल है. यौनकर्मियों को स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ दिया जाता है.

इन देशों में वेश्यावृत्ति नहीं है जुर्म

न्यूजीलैंड: वेश्यावृत्ति 2003 से कानूनी है. सार्वजनिक स्वास्थ्य और रोजगार कानूनों के तहत लाइसेंस प्राप्त वेश्यालय भी संचालित होते हैं, और उन्हें सभी सामाजिक लाभ मिलते हैं.

फ्रांस: फ्रांस में वेश्यावृत्ति कानूनी है, हालांकि सार्वजनिक रूप से इसके लिए कहने की अभी भी अनुमति नहीं है.

जर्मनी: वेश्यावृत्ति को वैध कर दिया गया है और वेश्यालय हैं. सेक्स वर्कर को स्वास्थ्य बीमा दिया जाता है. टैक्स का भुगतान करना पड़ता है, और उन्हें पेंशन जैसे सामाजिक लाभ भी मिलते हैं.

ग्रीस: यौनकर्मियों को समान अधिकार मिलते हैं और उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए भी जाना पड़ता है.



कनाडा: कनाडा में वेश्यावृत्ति सख्त नियमों के साथ कानूनी है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 19.07.2011 को द‌िए आदेश में कहा कि यदि मीडिया ग्राहकों के साथ सेक्स वर्कर्स  की तस्वीरें प्रकाशित करता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 सी के तहत अपराध को लागू किया जाना चाहिए. प्रेस काउंस‌िल ऑफ इंडिया को इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में ही सेक्स वर्कर्स  के लिए एक पैनल का गठन किया था जिसने इस समस्या से जुड़े तीन पहलुओं की पहचान की थी. एक तो तस्करी की रोकथाम, दूसरा यौन कार्य छोड़ने की इच्छा रखने वाली सेक्स वर्कर्स  का पुनर्वास, और तीसरा संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों के अनुसार सेक्स वर्कर्स को सम्मान के साथ जीने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाना. 

आसनसोल स्थित यौनपल्ली में बंटी मिठाइयां

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यौनकर्मियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. बंगाल के सबसे बड़े यौनपल्ली में से एक आसनसोल का दिशा स्थित यौनपल्ली में इस फैसले के बाद मिठाइयां बांटी गई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां के यौनकर्मियों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद भी जताया. इनका कहना है कि अक्सर पुलिस द्वारा उन्हें और उनके ग्राहकों को परेशान किया जाता था, लेकिन अब इस फैसले के बाद वे अपना पेशा अन्य पेशेदारों की तरह इज्जत से चला पाएंगे.


'सेक्स वर्क भी पेशा', गिरफ्तारी पर रोक से लेकर और क्या है सुप्रीम कोर्ट के आदेश में, पढ़ें पूरी खबर



ખાનગીકરણ વ્યવસ્થા નહીં પણ પુન: રજવાડાની વ્યવસ્થા છે.

 ખાનગીકરણ વ્યવસ્થા નહીં પણ પુન: રજવાડાની વ્યવસ્થા છે.

માત્ર સીતેર વર્ષમાં જ સાલી બાજી પલ્ટી ગઈ, આપણે જ્યાંથી શરૂ કર્યું હતું ત્યાંજ પહોંચી રહ્યા છીએ. ફર્ક માત્રા એટલોજ છે કે બીજો રસ્તો પસંદ કરવામાં આવ્યો છે જેના પરિણામ ખૂબ જ ગંભીર હશે.
1947 મા જયારે દેશ આઝાદ થયો હતો નવી નવેલી સરકાર અને તેના મંત્રીઓ દેશના રજવાડાઓને દેશનો હિસ્સો બનાવવાને લઈને પરેશાન હતા.
562 રજવાડાઓને ભારતમાં ભેળવવા માટે શામ, દામ, દંડ, ભેદની નીતિ અપનાવીને કોશિશ કરવામાં આવી હતીઃ કારણ કે દેશની મોટાભાગની સંપત્તિ આ રજવાડાઓ પાસે હતી.
કેટલાક રજવાડાઓએ નખરા પણ કર્યા, પરંતુ ફૂટ નીતિ અને ચતુર નીતિથી તેને આઝાદ ભારતનો હિસ્સો બનાવી ભારત ના નામે એક સ્વતંત્ર લોકતંત્રની સ્થાપના કરી.
અને દેશની તમામ સંપત્તિ ભેગી કરી ગણ તાંત્રિક(પ્રજા સતાક) લોક શાહી પદ્ધતિ વાળા સાર્વભોમ ભારતની પાસે આવી ગઈ.
ધીરે ધીરે રેલ, બેન્ક, કારખાનાઓ વિ.નુ રાષ્ટ્રીયકરણ કરવામાં આવ્યું અને એક શક્તિશાળી ભારતનું નિર્માણ થયું.
માત્ર સીતેર વર્ષ પછી સમય અને વિચારે પડખું ફેરવ્યું છે. ફાંસીવાદી તાકાતો પુંજીવાદી વ્યવસ્થાના ખંભા પર સવાર થઈને રાજકીય પરિવર્તન પર ચડી બેઠી છે.
લાભ અને નુકશાનની વૈચારિક વીશુદ્ધ વિચારસરણી પર આધારિત આ રાજનીતિક વિચાર ફરી દેશને 1947 ની પાછળ લઇ જવા માંગે છે. એટલેકે દેશની સંપત્તિ પુન:રજવાડાઓ પાસે...!
પરંતુ આ નવા રજવાડા ધનપત્તિ અને મોટા મોટા રાજનેતાઓના
ખાનગીકરણની આડમાં પુન:દેશની સંપત્તિ કેટલાક ધનપતિઓને સોપાવાની કુટિલ ચાલ રમવામાં આવી રહી છે, આની પછી શુ?
ચોક્કસ લોકતંત્રનું વજૂદ જ ખતમ થઈ જશે. દેશ એ ધનપતિઓની આગળ નતમસ્તક થઈ જશે જે જે રજવાડાઓની જેમ ઉભરીને સામે આવી રહ્યા છે, કદાચ રજવાડા કરતાંય વધારે ક્રૂર અને સખ્ત
ખાનગીકરણ એટલે દેશને 1947ની પહેલાની સ્થિતિમાં લઇ જાવાનું ગાંડપણ છે.  બાદમાં સતા સ્થાને ફક્ત દલાલી કરવાનું જ કામ રહેશે.
વિચારીને આશ્ચર્ય કરો કે 562 રજવાડાઓની સંપત્તિ માત્ર થોડાક પુંજીપતિ ગૃહોને સોંપી દેવામાં આવશે.
મફતમાં ઈલાજનું દવાખાનું, ધર્મશાળા, કે પાણીના પરબ બનાવવાના નથી જે રજવાડાઓમાં બનાવવામાં આવતા હતા, આ લોકો ડગલે અને પગલે પૈસા ઉગાડવા વાળા અંગ્રેજ હશે.
ખાનગીકરણ એક વ્યવસ્થા નથી પણ સંપુણઁ પુન:રજવાડાકરણ છે.
થોડાક સમય પછી આ નવા રજવાડાવાળા કહેશે કે સરકારી હોસ્પિટલ, સ્કૂલ, કોલેજોથી કોઈ લાભ નથી તેને ખાનગી હાથોમાં સોંપી દેવી જોઈએ એવુ થશે તો જનતાનું શુ થશે?
જો દેશની આમ જનતા ખાનગી સ્કૂલો અને હોસ્પિટલોના લૂંટતંત્રથી સંતોષ છે તો રેલવેને પણ ખાનગી હાથોમાં સોંપવાનું સ્વાગત કરવું જોઈએ.
આપણે સારી સુવિધાની વ્યવસ્થાઓ માટે સરકાર બનાવી છે નહીં કે સરકારી સંપત્તિને નફાખોરી કરતા લોકોને વેચવા માટે
સરકાર ખોટનું બહાનું બતાવી સરકારી સંસ્થાઓને કેમ વેચી રહી છે? જો વહીવટી વ્યવસ્થા બરાબર નથી તો બરાબર કરો, ભાગવાથી કામ નહીં ચાલે.
આ એક ષડયંત્રની જેમ સુનિયોજિત રીતે કરવામાં આવી રહ્યું છે.
પહેલા સરકારી સંસ્થાઓને બરાબર કામ કરવા ન દો,પછી બદનામ કરો, જેથી ખાનગીકરણ કરવામાં કોઈ ન બોલે, પછી ધીરે ધીરે પોતાના આકાઓને વેચી નાખો જેમણે ચૂંટણીમાં મોટુ ફન્ડિંગ કર્યું હોય.
યાદ રાખો ધનવાનોની પ્રિય પાર્ટીમાં ગરીબ મજુર, ખેડૂત. પૈસા નથી આપતાં પરંતુ ધનવાનો આપે છે અને તેઓ ધનવાનો આ દાન નથી કરતા પણ એક જાતનું રોકાણ કરે છે. ચૂંટણી પછી નફાની લણણી(પાકની લણણી)કરે છે.
આવો આપણે ખાનગીકરણનો વિરોધ કરીએ અને સરકારને પોતાની જવાબદારીમાંથી છટકી ન શકે તેનો અહેસાસ કરાવીએ, સરકારી કંપનીઓને વેચે નહીં જો ખોટમાં હોય તો વહીવટ સારી રીતે કરે,આમ પણ સરકારનું કામ સામાજિક હોય છે નફાખોરી નહીં !
પોતપોતાના બાળકોના ભવિષ્યને બચાવવાં માંગતા હો તો વધારેમાં વધારે શેર કરો

सिंचाई विभाग का पोर्टल तैयार, नियम उल्लंघन पर जाना होगा जेल

 

सिंचाई विभाग का पोर्टल तैयार, नियम उल्लंघन पर जाना होगा जेल

मनीष निगम, अमर उजाला, महोबा Published by: प्रभापुंज मिश्रा Updated Sat, 05 Dec 2020 03:51 PM IST

सरकारी बोरिंग हो या निजी, इसे कराने वालों के लिए अब नियम कड़े होने जा रहे हैं। भूजल का इस्तेमाल करने वालों को भूजल प्रबंधन एक्ट का पालन करना होगा। शासन की ये नई गाइडलाइन न केवल महोबा, बल्कि पूरे प्रदेश में लागू होगी। अब निजी और व्यावसायिक इस्तेमाल करने के लिए बोरिंग कराने वालों को लघु सिंचाई विभाग में पंजीयन कराना होगा।

इसके लिए पोर्टल भी तैयार हो गया है। गाइडलाइन के उल्लंघन पर सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अरुण कुमार यादव ने बताया कि अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि बोरिंग कराने वालों को शासन व प्रशासन से अनुमति लेनी पड़े। इसका फायदा उठाकर लोग मनमाने तरीके से बोरिंग कराकर भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

तमाम लोग तो भूजल का व्यावसायिक इस्तेमाल कर मोटी रकम कमा रहे हैं। बकौल अधिशासी अभियंता, अब सभी तरह की बोरिंग कराने से पहले अनुमति लेनी होगी। लघु सिंचाई विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह व्यवस्था निजी, कृषि, औद्योगिक व व्यावसायिक तौर पर भूगर्भ जल का इस्तेमाल करने सभी पर लोगों पर लागू होगी। 

बताया कि निजी और कृषि कार्य के लिए बोरिंग कराने को कोई रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं देना होगा, जबकि व्यावसायिक और औद्योगिक इस्तेमाल करने के लिए बोरिंग कराने वालों को पांच हजार रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होगा। नियमों के अवहेलना करने पर दंड का भी प्रावधान शासन ने किया है। भूगर्भ जल उपभोक्ता नियम उल्लंघन करता है तो दो से तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है।

साथ ही, 10 लाख रुपये अर्थदंड का भी प्रावधान है। पहली बार उल्लंघन पर पांच लाख से कम का अर्थदंड नहीं होगा। साथ ही, गाइडलाइन का पालन कराने को गांव स्तर पर ग्राम पंचायत भूगर्भ जल समिति और ब्लॉक स्तर पर खंड पंचायत भूगर्भ जल समिति गठित की जा चुकी है।

गैर जिले की मशीनें कर रहीं धरती को छलनी
लघु सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, महोबा में 10 बोरिंग मशीन संचालक हैं। जिले का भूभाग वृहद होने से ग्रामीण इलाकों में गैर जिलों हमीरपुर, बांदा और छतरपुर से महोबा की सीमा सटी होने से इन जिलों के मशीन संचालक बोरिंग का काम रहे हैं। अधिकांश रात के अंधेरे में ही बोरिंग की जाती है। लघु सिंचाई विभाग के स्तर से वर्ष 2014 तक ही जिले में किसानों के खेतों में बोरवेल लगाए गए।

इसके बाद सरकारी स्तर से बोरिंग बंद होने से निजी मशीन संचालक पूरी तरह इस धंधे में उतर आए हैं। किसानों को बोरिंग के लिए प्रेरित किया जाता है और सौदा तय होने के बाद तय स्थान पर मशीन पहुंचा दी जाती है। पिछले छह सालों से रोक के बावजूद जिले में धरती को छलनी करने का काम धड़ल्ले से जारी है। लघु सिंचाई विभाग का फोकस अब जिले में गैर जनपदों से आने वाली बोरिंग मशीनों पर होगा। इसके लिए बाकायदा विभागीय अधिकारी कार्रवाई की रूपरेखा बना रहे हैं।


Sunday, 26 June 2022

लोग मिले लेकीन ?

 *लोग मिले* लेकी दर्द से खाली मिले.

*लोग मिले* लेकीन सोचने मे कमजोर मिले.

*लोग मिले* लेकीन काम मे भटकते मिले.

*लोग मिले* लेकीन समझने मे भ्रमित मिले.

*लोग मिले* लेकीन समय से पिछे मिले.

*लोग मिले* लेकीन दुशमन के हवारी मिले.

*लोग मिले* लेकीन संघर्ष मे सक्षम ना मिले.

*लोग मिले* लेकीन समस्या मे उलझे मिले.

*लोग मिले* लेकीन बिना मकसद के मिले.

*लोग मिले* लेकीन बिना इरादों मे मिले.

 ✒️  *Huzaifa Patel*
         Bharuch-Gujarat
     *Dedicated Worker*
       Date: 26 Jun 2022

Saturday, 25 June 2022

सोशल मिडिया के माध्यम से मुस्लिम समाज को भ्रमित करने वाले मुस्लिम नेताओं के "झूठ का पर्दाफाश"

  सोशल मिडिया के वोटसएप पर 24 जुन को इदुल अजहा को लेकर पोस्ट वायरल हुई जिसमे मुस्लिम समाजके कुच नेता सस्ती पब्लिसीटी पाने केनलिये समाज को गुमराह कर रहे हे.

  हम अकस सोशल मिडिया की पोस्ट को समझने की कोशिश नही करते हे, इस विषय मे मेरा ध्यान तभी गया जब मेने एक पोस्ट को देखा जिसमे  एक मुस्लिम भाईका मेसेज मे कुच मुद्दे परहे जिसमे गुजरात  DGP की तरफसे वायरल किया गया लेटर और मुस्लिम नामके नेता के वायरल लेटर मे  जब Date  का उल्लेख देखा  मुझे बहोत हैरत हुई जब देखा के वाकीमे बंदे के बात सही हे.


      सबसे पहेले  DGP वायरल लेटर देखे .
     मुस्लिम नेताओं के नाम पर वायरल लेटर देखे.


        हमारा मकसद हे मुस्लिम समाजको गलतफहमी मे बचाना के ये मुस्लिम नामके नेता आपके अधिकार और अन्याय के लिये कुच कर सकते हे, इनके फरेब की और दिखावे की बातों को समझना जरुरि हे,  निचे वो मेसेज वायरल करता हूं जो सोशल मिडिया मे  उसी दीन रात को वायरल हुवाथा.

     कोपी 

अससलामो आलयकुम दोस्तों आज हमारे जुठे लोगों का दिखावा अवाम में सामने रखने का ऐक और मौक़ा अल्लाह ने हम सबको दिया है देखो ये दरीयापुर के विधायक जी कितनी जल्द बाजी में हे और जुठ का खाना लोगों को परोश रहें हे DGP साहब ने पुलिस डिपार्टमेंट को 20.06.2022 को लिखा वो मुस्लिम समाज को कोई परेशानी ना हो इसलिए ऐक सर्क्युलेशन किया ताकि कुर्बानी में किसीको तकलीफ नहो वे से सबसे पहले हम मुस्लिम समाज की ओर से ऐक छोटा कार्यकर्ता होने के बावजूद उसका सुकिॅया अदा करतें हैं। लेकिन ये भाई साहब गुजरात के मुस्लिम समाज के उनसे बड़ा कोई लिडर नहीं हे में हुं में का घमंड रखनें वालें नक़ली अहमद पटेल साहब बनने की जल्दबाजी में हमारी अवाम बेवकूफ बना ना बन्द करों और माफी मांगों हमारे समाज से ओर शोशीयल मीडिया का दूर उपयोग करना बंद करों और आखरी में बाक़ी के दोनों विधायकों को भी इस सखस से बचके रहने की गुजारिश करता हूं।हम चुनाव आने तक ईनसा अल्लाह ये जुठे विघायक को हम पुरी तरह बेनकाब करेंगे ईनसा अल्लाह।
जवाब मांगों इन लोगों से।
🙏🏻 दोनों लेटर की डेट पे ग़ौर करना बंघ हों जाओ जुठठो अवाम बेवकूफ नहीं है। डीजीपी साहब का लेटर पहले आता है और ये भाई साहब नोटंकी करके 24.06.2022 को रजुआत करतें हैं और काम मेरे कहने पे हुवा वो बताने की जल्दबाजी में भाई चुक गये 🥱 संभल जाओ नहीं तो अवाम की छटकी तों फिर 🤙

  इस मेसेज को ध्यान से परहे  इस बातको ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम समाज तक पोहचाने आगे शेर करे.

    ये लोग दिखावे से बहार आये और हमारे मुस्लिम समाजको जागृत करने आप अपनी जिम्मेदारी निभाये.

Thursday, 23 June 2022

अदालत ने 'बुली बाई' ऐप मामले में गिरफ्तार तीन छात्रों को दी जमानत.

मुस्लिम लड़कियों की सोशल मिडिया मे एप बनाकर बोली लगाने वाले विवाद पर न्यायालय का अजीब रूख.


एक बड़ी खबर के अनुसार मुंबई की सत्र अदालत ने ‘बुली बाई’ ऐप मामले में गिरफ्तार तीन छात्रों को जमानत दे दी है। बता दें कि, ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म ‘गिटहब’ पर डाले गए ‘बुली बाई’ ऐप पर ‘नीलामी’ के लिए अनुमति लिए बिना सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की फर्जी तस्वीरें अपलोड किए गए थे।  

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एबी शर्मा ने इस मामले में गिरफ्तार नीरज बिश्नोई, ओंकारेश्वर ठाकुर और नीरज सिंह को जमानत दे दी है। बिश्नोई ने अधिवक्ता शिवम देशमुख के माध्यम से दायर अपनी जमानत याचिका में दावा किया कि, उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया था। उन्होंने जमानत की मांग की थी क्योंकि उनके सह-आरोपियों को जमानत दे दी गई थी।



उल्लेखनीय है कि, इसी मामले में अप्रैल में शहर के बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपी विशाल कुमार झा, श्वेता सिंह और मयंक अग्रवाल को जमानत दे दी थी। पुलिस ने मार्च में दायर अपने आरोप पत्र में दावा किया था कि, बिश्नोई ने एक सह-अभियुक्त को 100 “प्रसिद्ध गैर-भाजपा मुस्लिम महिलाओं” की तस्वीरें भेजने के लिए कहा ताकि उन्हें नीलामी के लिए रखा जा सके।

पुलिस की तरफ से दायर चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि, बिश्नोई ने सबसे पहले बुल्ली बाई ऐप का लिंक अपने ट्विटर ग्रुप पर शेयर किया था। इस ग्रुप के सभी सदस्य इस बात से पूरी तरह वाकिफ थे कि, इसका इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने के लिए किया जाने वाला है। इस ऐप का उद्देश्य लक्षित महिलाओं को अपमानित करना और डराना था, जिनमें से कई सक्रिय सोशल मीडिया उपयोगकर्ता हैं।


बुल्ली एप के आरोपीयो को मिली जमानत मुस्लिम लड़कियों को बोली लगाने वाले .



Tuesday, 14 June 2022

नुपुर शर्मा Z सुरक्षा

 
   हिंदी ट्रांसलेशन 
मैं राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के आपके प्रयासों की प्रशंसा करता हूं और श्री अजय गुप्ता को जेड सुरक्षा प्रदान करने में आपकी गहरी दिलचस्पी भी प्रशंसनीय है। वर्तमान परिदृश्य में, मैं आपको देहरादून में श्रीमती नूपुर शर्मा के परिवार के लिए उभरते खतरों का गंभीर मूल्यांकन करने और तत्काल आधार पर जेड सुरक्षा प्रदान करने की सलाह देता हूं।

मुझे विश्वास है कि आप इस कार्य को अच्छी तरह से और कुशलता से निष्पादित करेंगे। श्री अजय गुप्ता और श्रीमती नुपुर शर्मा दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए प्रतीक हैं जो अंततः हमें हिंदू राष्ट्र लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगी। मुझे आशा है कि आप इस कार्य की संवेदनशील प्रकृति को समझेंगे और अपना प्रमुख महत्व देंगे। आपको और आपकी टीम को मेरी शुभकामनाएं।

अगनीवीर Agniveer

 अगनीवीर सरकार की नई योजना 
Date :14 Jun 2022 घोषणा की राजनाथ शिह ने.




11 लाख रोजगार की बात और आर्मी में 17 से 21 साल  के लौड़ों को चार साल हथियार की ट्रैनिंग दे के छोड़  देना  :
मतलब देश के कोने कोने में आर्मी से  हथियार की ट्रैनिंग लिए हुई हिंदू भीड़ ।

समझ रहे हैं यह क्या है?

यह दंगाईयों की फ़ौज खड़ी हो रही है जो ट्रेंड होने के वजह से भागेंगे नही आगे आगे रहेंगे ।
आरएसएस की हिंदू युवाओं को शस्त्र ट्रेनिंग का हिस्सा है ये रोज़गार योजना ।

अब यह साफ हो गया के मुस्लिमों के जेनोसाइड की  प्लानिंग चालू है ।

क्योंकि आर्मी को देश में मुसलमानों को खिलाफ़  उतारेगी  तो एक तो बार्डर सुरक्षा को खतरा होगा  बदनामी भी होगी बाकी उससे भी अहम बात यह के वोह ऑर्गनाइज होगी तो सत्ता भी पलट सकती है एक बार बॉर्डर से देश के अंदर आ गई तो हो सकता दिल्ली में मोदी को हटा के खुद बैठ जाए।

पर यह आर्मी से आर्म ट्रेंड लौंडे अनऔरर्गनाइज्ड होंगे जिसका आसानी से इस्तेमाल संभव होगा ।

अपनी सफों को दुरुस्त कल लीजिये वक्त कम है


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#भविष्य_में_देश_में_चलेगा_मिलिट्री_रूल??
#सेना_के_RSS_करण_की_नींव_साबित_होगी_सेना_भर्ती_में #अग्निपथ_भर्ती_योजना ???
      इस योजना से RSS सेना का आरएसएसी करण के अपनें वर्षों पुराने मंसूबे को अंजाम देगी ? 46,000 नौजवानों को प्रति वर्ष अस्थाई तौर पर सेना में भर्ती करके 4 साल की अस्थाई सेवा के बाद RSS अपनें मंसूबे को अंजाम देगी जिसमें मूल्यांकन के आधार पर 25% यानी 11,500 रिक्रूटो की स्थायी भर्ती की जायेगी, शेष 75% रिक्रूटो को विशेष पैकेज के साथ रिटायर्ड कर दिया जायेगा, यहीं से RSS अपनें मंसूबों को अंजाम देगी स्थायी कमीशन पानें वाले रिक्रूटो में RSS की विंग विधा भारती के नियंत्रण में चलनें वाले सरस्वती शिशु मंदिर व अन्य स्कूलों के अधिकांश सवर्ण रिक्रूट होंगे जो RSS की विचारधारा के अनुरूप सेना में कार्य योजना को अंजाम देंगें ? 
     पाठकों के जहन में एक सवाल जरूर गुलाठे मार रहा होगा कि ऐसा करनें से RSS को क्या लाभ होगा ?  
     RSS को लाभ यह होगा कि भविष्य में RSS देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था खत्म करके मिलिट्री रूल से देश चलायेगी ऐसी योजना गढ़ने की जरूरत इसलिये होगी क्योंकि RSS को अनुमान होगा कि लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया में EVM व DM ज्यादा लम्बे समय नहीं चल पायेंगे इसलिये सेना के आरएसएसी करके लम्बे समय तक मिलिट्री रूल से देश पर मनमाने तरीके से राज किया जा सकता है ?
     इस योजना को लेकर जनता को ऐसे सब्जबाग दिखाये जायेंगे जैसे इस योजना से सेना रातों-रात अमेरिकी सेना को भी पीछे छोड़ देगी, लेकिन असल मकसद ऊपर वर्णित उद्देश्य प्राप्ति ही होगा ?
     मोदी सरकार नें नोटबंदी से काला धन लानें, जीएसटी लागू करनें व्यापार सुगम बनानें, FDI से मौटा विदेशी निवेश होनें, मेक इन इंडिया से चमत्कारिक परिवर्तन होनें, धारा 370 हटानें से आतंकवाद का समूल नष्ट होनें व कश्मीरी पंडितों के श्रेष्ठतम पुनर्वास होनें आदि का ढिंढोरा पीटा था लेकिन उपरोक्त महत्वाकांक्षी योजनाओं से देश में कितना परिवर्तन आया आप सब जानते हैं ?
     ऐसे ही इस योजना से भी सैन्य क्षेत्र में असंख्य लाभ होनें के सपने जनता को दिखाये जायेंगे, इस योजना से प्रचार किया जा रहा है कि सेना में युवाओं को भर्ती किया जायेगा इसमें नयी बात क्या है सेना हमेशा से ही युवाओं को ही भर्ती करती आयी है अधेड़ और बूढ़े को कब भर्ती किया है सेना नें सेना में भर्ती की आयु 17 साल 6 माह से 21 वर्ष रही है यह युवावस्था ही तो है फिर नयी योजना में कौन सी अलग बात हो गयी लेकिन जनता के दिमाग में इस योजना से चमत्कारिक परिवर्तन होनें के सब्जबाग दिखाये जायेगें, बिकाऊ मीडिया दिन-रात योजना का गुणगान करके आपको इसके असल मकसद पर सोचनें ही नहीं देगा ?
आर एस एस और भाजपा की नीतियों से सहमत या भयभीत राजनीतिक पार्टियों की आहुतियां दी जायेंगी ! भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मनुस्मृति के अनुसार संचालित किया जाएगा! आर एस एस का थिंक टैंक नीति आयोग पर कब्जा कर चुका है बैंकों और चुनाव आयोग के बाद अब भारतीय सेना भी आर एस एस के नियंत्रण में रहेगी जो आर एस एस की नीतियों का विरोध करेगा उसके घर पर बुलडोजर चलाया जाएगा। रामराज में जीवन यापन के लिए तैयार रहो और अपनी सुरक्षा के लिए शिवलिंग की तलाश करो।

Monday, 13 June 2022

Nupur sharama

Date:13 Jun 22
નુપુર શર્માના પોસ્ટર લગાડનાર નાનપુરાના યુવાનોને મળ્યા જામીન

*એડવોકેટ નદીમ ચૌધરીની* દલીલોને કોર્ટે ગ્રાહ્ય રાખી જામીન મંજુર કર્યા (સુરત - કોર્ટ)


નુપુર શર્માના પોસ્ટરો લગાડી પોસ્ટ કરનાર નાનપુરા અને કાદરશાની નાળના પાંચ યુવાનોને પોલીસે ઝડપી પાડી કોર્ટમાં રજુ કરી એક દિવસના રિમાન્ડ મંજુર કર્યા હતા ત્યાર બાદ ફરી કોર્ટમાં રજુ કરાતા કોર્ટે *એડવોકેટ નદીમ ચૌધરીની* દલીલોને ગ્રાહ્ય રાખી આરોપીઓને જામીન મુક્ત કરતો હુકમ કર્યો હતો.


ભાજપની તત્કાલીન પ્રવક્તા અને હાલ સસ્પેન્ડ થયેલી નુપુર શર્મા દ્વારા મુસ્લિમોના પૈયગમ્બર સાહેબ વિરૂદ્ધ કરેલી ટિપ્પણીને લઈ મુસ્લિમ સમાજમાં ભારે રોષ જોવા મળી રહ્યો છે. અને નુપુર શર્માની ધરપકડની માંગ કરાઈ રહી છે જો કે તેમ છતા તેની ધરપકડ ન કરાતા દેશના કેટલાક વિસ્તારોમાં હિંસક દેખાવો થયા હતા. તો સુરતમાં પણ નાનપુરા અને કાદરશાની નાળના યુવાનો દ્વારા પોસ્ટરો લગાડી પોસ્ટ કરાઈ હતી. જેને લઈ અઠવા પોલીસે જાતે ફરિયાદી બની નાનપુરાના યુવાનો વિરૂદ્ધ ગુનો નોંધી તપાસ હાથ ધરી હતી. અને નાનપુરાના પાંચ યુવાનો ઈમરાન, તૌફીક, સદ્દામ સહિત પાંચેયની ધરપકડ કરી કોર્ટમાં રજૂ કરતા કોર્ટે એક દિવસના રિમાન્ડ મંજુર કર્યા હતા. તો રિમાન્ડ પુર્ણ થતા સોમવારે કોર્ટમાં રજુ કરાયેલા આરોપીઓ તરફે એડવોકેટ નદીમ ચૌધરીએ ધારદાર રજૂઆતો કરતા કોર્ટે *એડવોકેટ નદીમ ચૌધરીની* દલીલોને ગ્રાહ્ય રાખી તમામ આરોપીઓને જામીન મુક્ત કરતો હુકમ કર્યો હતો.

(અજહર કુરેશી જી 24 ન્યુઝ)

Tuesday, 7 June 2022

आदरणीय मौलाना महमूद मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, दिल्ली के अध्यक्ष।

 
आदरणीय मौलाना महमूद मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, दिल्ली के अध्यक्ष।
          आदरणीय मौलाना महमूद मदनी साहब!
 आप से अनुरोध है कि: भाजपा प्रवक्ता नोपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा पवित्र पैगंबर के अपमान के नौ दिनों के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण नौ दिनों के लिए कानूनी कार्रवाई के बिना केवल निलंबन कुछ दिनों के लिए एक राजनीतिक धोखा है। क्लीन चिट देने में जल्दबाजी से बचें इस मुद्दे और अन्य संबंधित मुद्दों पर भाजपा को और भाजपा की प्रशंसा की।
 दोस्तों आप पर कितना भी दबाव क्यों न हो लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले सात-आठ साल से बीजेपी सरकार मुसलमानों के दम घुटने के हालात पैदा कर रही है.नोपुर शर्मा और नवीन जंदल को सस्पेंड कर बीजेपी ने अपना आपा नहीं खोया है. उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज करने के बावजूद अब तक उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
वहीं दूसरी तरफ देश को भी खड़ा करो, तुम्हारे पीछे खड़ा हो जाएगा, लेकिन चुप रहना ही बेहतर है।
 आप पर बीजेपी को क्लीन चिट देने का दबाव होगा क्योंकि आपने मुस्लिम देशों, खासकर अरब देशों के शासकों को एक बयान भेजा है, जिन्होंने इस मुद्दे पर अपना गुस्सा और नाराजगी व्यक्त की है और बीजेपी को न्याय का सबक सिखाया है. यह तर्क दिया जाए कि साहिब जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसी ऐतिहासिक मुस्लिम पार्टी के अध्यक्ष भी मुसलमानों के साथ भाजपा के न्याय को स्वीकार करते हैं और दया के साथ इसकी सराहना करते हैं।
  हालांकि, व्यावहारिक सच्चाई यह है कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मुसलमानों पर मुसलमानों के खिलाफ इतने अत्याचार किए गए हैं कि मुसलमानों को दीवार से बंद कर दिया गया है, न तो जान और न ही संपत्ति सुरक्षित है और न ही सम्मान और गरिमा और आप और मुसलमानों का विश्वास। इस्लाम और पैगंबर के खिलाफ ईशनिंदा और कुरान सरकार समर्थक बदमाशों का पसंदीदा शगल बन गया है। मुसलमानों को नष्ट करके कुचलने के लिए एक सुव्यवस्थित और सुनियोजित अभियान चलाया जा रहा है। मुसलमानों को आवाज उठाने के लिए मजबूर किया गया है इस स्थिति के खिलाफ अपनी गर्दन पर खून मत लो, इस उत्पीड़ित राष्ट्र पर आपकी दया और उपकार महान होगी!
 معذ असुविधा के लिए खेद है, अब्दुल रहमान आबिद जामिया नगर ओखला नई दिल्ली 6/6/2022

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...