सिंचाई विभाग का पोर्टल तैयार, नियम उल्लंघन पर जाना होगा जेल
मनीष निगम, अमर उजाला, महोबा Published by: प्रभापुंज मिश्रा Updated Sat, 05 Dec 2020 03:51 PM IST
सरकारी बोरिंग हो या निजी, इसे कराने वालों के लिए अब नियम कड़े होने जा रहे हैं। भूजल का इस्तेमाल करने वालों को भूजल प्रबंधन एक्ट का पालन करना होगा। शासन की ये नई गाइडलाइन न केवल महोबा, बल्कि पूरे प्रदेश में लागू होगी। अब निजी और व्यावसायिक इस्तेमाल करने के लिए बोरिंग कराने वालों को लघु सिंचाई विभाग में पंजीयन कराना होगा।
इसके लिए पोर्टल भी तैयार हो गया है। गाइडलाइन के उल्लंघन पर सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अरुण कुमार यादव ने बताया कि अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि बोरिंग कराने वालों को शासन व प्रशासन से अनुमति लेनी पड़े। इसका फायदा उठाकर लोग मनमाने तरीके से बोरिंग कराकर भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसके लिए पोर्टल भी तैयार हो गया है। गाइडलाइन के उल्लंघन पर सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अरुण कुमार यादव ने बताया कि अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि बोरिंग कराने वालों को शासन व प्रशासन से अनुमति लेनी पड़े। इसका फायदा उठाकर लोग मनमाने तरीके से बोरिंग कराकर भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
तमाम लोग तो भूजल का व्यावसायिक इस्तेमाल कर मोटी रकम कमा रहे हैं। बकौल अधिशासी अभियंता, अब सभी तरह की बोरिंग कराने से पहले अनुमति लेनी होगी। लघु सिंचाई विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह व्यवस्था निजी, कृषि, औद्योगिक व व्यावसायिक तौर पर भूगर्भ जल का इस्तेमाल करने सभी पर लोगों पर लागू होगी।
बताया कि निजी और कृषि कार्य के लिए बोरिंग कराने को कोई रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं देना होगा, जबकि व्यावसायिक और औद्योगिक इस्तेमाल करने के लिए बोरिंग कराने वालों को पांच हजार रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होगा। नियमों के अवहेलना करने पर दंड का भी प्रावधान शासन ने किया है। भूगर्भ जल उपभोक्ता नियम उल्लंघन करता है तो दो से तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है।
साथ ही, 10 लाख रुपये अर्थदंड का भी प्रावधान है। पहली बार उल्लंघन पर पांच लाख से कम का अर्थदंड नहीं होगा। साथ ही, गाइडलाइन का पालन कराने को गांव स्तर पर ग्राम पंचायत भूगर्भ जल समिति और ब्लॉक स्तर पर खंड पंचायत भूगर्भ जल समिति गठित की जा चुकी है।
गैर जिले की मशीनें कर रहीं धरती को छलनी
लघु सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, महोबा में 10 बोरिंग मशीन संचालक हैं। जिले का भूभाग वृहद होने से ग्रामीण इलाकों में गैर जिलों हमीरपुर, बांदा और छतरपुर से महोबा की सीमा सटी होने से इन जिलों के मशीन संचालक बोरिंग का काम रहे हैं। अधिकांश रात के अंधेरे में ही बोरिंग की जाती है। लघु सिंचाई विभाग के स्तर से वर्ष 2014 तक ही जिले में किसानों के खेतों में बोरवेल लगाए गए।
इसके बाद सरकारी स्तर से बोरिंग बंद होने से निजी मशीन संचालक पूरी तरह इस धंधे में उतर आए हैं। किसानों को बोरिंग के लिए प्रेरित किया जाता है और सौदा तय होने के बाद तय स्थान पर मशीन पहुंचा दी जाती है। पिछले छह सालों से रोक के बावजूद जिले में धरती को छलनी करने का काम धड़ल्ले से जारी है। लघु सिंचाई विभाग का फोकस अब जिले में गैर जनपदों से आने वाली बोरिंग मशीनों पर होगा। इसके लिए बाकायदा विभागीय अधिकारी कार्रवाई की रूपरेखा बना रहे हैं।
साथ ही, 10 लाख रुपये अर्थदंड का भी प्रावधान है। पहली बार उल्लंघन पर पांच लाख से कम का अर्थदंड नहीं होगा। साथ ही, गाइडलाइन का पालन कराने को गांव स्तर पर ग्राम पंचायत भूगर्भ जल समिति और ब्लॉक स्तर पर खंड पंचायत भूगर्भ जल समिति गठित की जा चुकी है।
गैर जिले की मशीनें कर रहीं धरती को छलनी
लघु सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, महोबा में 10 बोरिंग मशीन संचालक हैं। जिले का भूभाग वृहद होने से ग्रामीण इलाकों में गैर जिलों हमीरपुर, बांदा और छतरपुर से महोबा की सीमा सटी होने से इन जिलों के मशीन संचालक बोरिंग का काम रहे हैं। अधिकांश रात के अंधेरे में ही बोरिंग की जाती है। लघु सिंचाई विभाग के स्तर से वर्ष 2014 तक ही जिले में किसानों के खेतों में बोरवेल लगाए गए।
इसके बाद सरकारी स्तर से बोरिंग बंद होने से निजी मशीन संचालक पूरी तरह इस धंधे में उतर आए हैं। किसानों को बोरिंग के लिए प्रेरित किया जाता है और सौदा तय होने के बाद तय स्थान पर मशीन पहुंचा दी जाती है। पिछले छह सालों से रोक के बावजूद जिले में धरती को छलनी करने का काम धड़ल्ले से जारी है। लघु सिंचाई विभाग का फोकस अब जिले में गैर जनपदों से आने वाली बोरिंग मशीनों पर होगा। इसके लिए बाकायदा विभागीय अधिकारी कार्रवाई की रूपरेखा बना रहे हैं।