भारत में मुख्य रूप से ग्राम पंचायत की निम्नलिखित जिम्मेवारी होती है!
1. घरेलु उपयोग के लिए पानी का इंतजाम करना
2. गाँव में पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करना व पोखड़ यानी जोहड़ का रख रखाब करना
3. पशु पालन व्यवशाय को बढ़ावा देना, दूध बिक्री केंद्र और डेरीकी व्यवस्था करना! साथ में दुधारू पशुओं के लिए उनके अच्छे खाद्य पदार्थों का इंतजाम करना व पशुओं को बीमारी से बचाव के उपाय करना व फैलने वाली बीमारी से बचाना
4. गाँव के रोड को पक्का करना, उनका रख रखाव करना व पानी के ड्रेनेज की व्यवस्था करना
5. सिचाई के साधन की व्यवस्था करने में ग्रामीणों की मदद करना
6. गाँव में स्वच्छता बनाये रखना व ग्रामीणों की सेहत और स्वास्थ्य के लिए जरुरी इंतजाम करना
7. गाँव में पब्लिक बिल्डिंग्स, घास वाली जमीन, जंगल, पंचायती जमीन, गाँव के कुओं, गाँव के टैंक और पथवेज़ को बनाना, उनको रिपेयर करना और उनका रख रखाव करना
8. गाँव के पब्लिक प्लेसेस जैसे की विलेज चौपाल, गली व सामाजिक स्थानों पर लाइट्स का इंतजाम करना
9. गाँव में मेले, दंगल, कबड्डी, बाजार और पब्लिक मार्किट में व्यवस्था बनाये रखना और जहाँ जरुरी ही पार्किंग और स्टैंड की व्यवस्था करना
10. दाह संस्कार (Cremation) व कब्रिस्तान (Cemetery) का रख रखाव करना
11. एग्रीकल्चर डेवलपमेंट प्रोग्राम में हिस्सा लेना व ग्रामीणों को कृषि से सम्बंधित डेवलपमेंट्स के बारे में बताना और कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रयोगों को इस्तेमाल करने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करना
12. गाँव में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना व देसी विदेशी का फर्क बताकर ग्रामीणों को देसी वस्तुओं का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना
13. गाँव में पब्लिक लाइब्रेरी की स्थापना करना, प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना और जरुरी हो तो ऊँचे लेवल के स्कूल की स्थापना के लिए जरुरी कार्यवाही करना
14. बच्चों के लिए खेल के मैदान का इंतजाम करना व खेल कूद से सम्बंधित सामान की व्यवस्था करना! साथ में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता कराकर बच्चों में खेल और पढाई की भावना को प्रोत्साहित करना
15.स्वछता अभियान को आगे बढ़ाना, गाँव में पब्लिक टॉयलेट और लैट्रिन बनाना व उनका रख रखाव करना! साथ में घरेलु लैट्रिन बनाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करना
16. ग्रामीण रोड्स व पब्लिक प्लेसेस पर पर पेड़ लगाना व उनका रख रखाव करना! ग्रामीणों में वृक्षारोपण की भावना को बढ़ावा देना
17. गाँव के टैक्सेज जैसे की चूल्हे टैक्स वगेरा की कलेक्शन करना
18. गर्ल चिल्ड्रन को बचाने व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम को आगे बढ़ाना
19. ग्रामीणों को दुर्व्यशन जैसे की शराब की बुरी लत, ड्रग्स का इस्तेमाल करने आदि से दूर रहने की सलाह देना और जरुरी हो तो इन सब बातों को बढ़ावा देने वाले लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करना
20. गाँव में फारेस्ट स्कीम इंट्रोडूस करना व गाँव में आमदनी वाले पेड़ पोधे लगाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करना
21. चौकीदार के साथ मिलकर जनम मृत्यु विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना और एडमिनिस्ट्रेशन को इन्फॉर्म व अपडेट करना
22. गरीब बच्चों के लिए फ्री एजुकेशन और ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करना
23. जवान बच्चों के लिए हायर एजुकेशन व जॉब ओरिएंटेड प्रोग्राम की व्यवस्था व उनको अपडेट करना
24. गाँव में भाई चारे का माहौल बनाना, झगड़ों को सुलझाना व दोस्ताना माहौल पैदा करना
25. गाँव की भलाई के लिए सरकार से ग्रांट और गरीबों के मदद के रास्ते तलाशना
26. गाँव में किसी भी अनहोनी की सूरत में मिल बैठकर सबके दुःख को बाटना व समस्या का समाधान करना
28. आगनवाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करना
29. गरीबों के लिए प्लाट काटना व ग्राम पंचायत की जमीन को पटटे पर दकरना
30. मनोरंजन, सोशल वेलफेयर स्कीम, बचत भावना, इन्शुरन्स, कृषि ऋण, मुआवजा, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, पेन कार्ड, पासपोर्ट, पब्लिक/ गवर्नमेंट स्कीम, स्वछता अभियान, कन्या बीमा योजना आदि के बारे में जानकारी रखना, उनके जरुरी फॉर्म रखना व इन सभी कार्यों के लिए जितना जरुरी हो मदद करना
सरपंच गाँव का मुखिया होता है उसे गाँव के मुखिया के रूप में गाँव की भलाई के लिए फैसले लेने होते है और ग्राम पंचायत के लिए जो कार्य ऊपर लिखे गए है उनमें सरपंच की अहम भूमिका होती है! इन सभी कार्यों को करने के लिए सरपंच के पास पावरहोती है, इन कार्यों को करने की उसकी जिम्मेवारी होती है और उसका दायित्व होता है की वह गाँव की भलाई के लिए हर वह सामाजिक कार्य करे जिससे जन जन का भला होता हो! उसे सभी के सुख दुःख में शामिल होना चाहिए व एक सच्चे सेवक की भांति कार्य करना चाहिए!
पंच का चुनाव एक वार्ड में किया जाता है! एक विलेज पंचायत में 5 से लेकर 21 मेंबर तक हो सकते है! गाँव की पापुलेशन के आधार पर पंच की कुछ सीट SC, BC और लेडीज के लिए रिजर्व्ड होती है! पंच भी गाँव में एक बहुत ही महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है, पंच की मेजोरिटी के आधार पर ही एक सरपंच कोई कार्य प्लान और परफॉर्म कर सकता है! जबतक सरपंच के पास पंच की मेजोरिटी नहीं होगी वह कोई कार्य नहीं कर सकता है!
[1/1/2017 8:29 PM] Hanif Bhai: *सरपंच पंचायत का प्रमुख होता है*।
सरपंच भारत में स्थानीय स्वशासन के लिए गांव स्तर पर विधिक संस्था ग्राम पंचायत का प्रधान होता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद ४० में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया हैं। 1991मैं संविधान में ७३वां संविधान संशोधन अधिनियम, १९९२ करके पंचायत राज संस्था को संवैधानिक मान्यता दे दी गयी हैं।
बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें (1957) -
अशोक मेहता समिति की सिफारिशें (1976) -
पंचायती राज पर एक नजरसंपादित करें
24 अप्रैल 1993 भारत में पंचायती राज के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मार्गचिन्ह था क्योंकि इसी दिन संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संबैधानिक दर्जा हासिल कराया गया
73वें संशोधन अधिनियम, 1993 में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं:
एक त्रि-स्तरीय ढांचे की स्थापना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या मध्यवर्ती पंचायत तथा जिला पंचायत)
ग्राम स्तर पर ग्राम सभा की स्थापना
हर पांच साल में पंचायतों के नियमित चुनाव
अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण
महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण
पंचायतों की निधियों में सुधार के लिए उपाय सुझाने हेतु राज्य वित्ता आयोगों का गठन
राज्य चुनाव आयोग का गठन
73वां संशोधन अधिनियम पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में काम करने हेतु आवश्यक शक्तियां और अधिकार प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को अधिकार प्रदान करता है। ये शक्तियां और अधिकार इस प्रकार हो सकते हैं:
संविधान की गयारहवीं अनुसूची में सूचीबध्द 29 विषयों के संबंध में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और उनका निष्पादन करना
कर, डयूटीज, टॉल, शुल्क आदि लगाने और उसे वसूल करने का पंचायतों को अधिकार
राज्यों द्वारा एकत्र करों, डयूटियों, टॉल और शुल्कों का पंचायतों को हस्तांतरण
ग्राम सभासंपादित करें
ग्राम सभा किसी एक गांव या पंचायत का चुनाव करने वाले गांवों के समूह की मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था है।
गतिशील और प्रबुध्द ग्राम सभा पंचायती राज की सफलता के केंद्र में होती है। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे:-
पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार ग्राम सभा को शक्तियां प्रदान करें।
गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अवसर पर देश भर में ग्राम सभा की बैठकों के आयोजन के लिए पंचायती राज कानून में अनिवार्य प्रावधान शामिल करना।
पंचायती राज अधिनियम में ऐसा अनिवार्य प्रावधान जोड़ना जो विशेषकर ग्राम सभा की बैठकों के कोरम, सामान्य बैठकों और विशेष बैठकों तथा कोरम पूरा न हो पाने के कारण फिर से बैठक के आयोजन के संबंध में हो।
ग्राम सभा के सदस्यों को उनके अधिकारों और शक्तियों से अवगत कराना ताकि जन भागीदारी सुनिश्चित हो और विशेषकर महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों जैसे सीमांतीकृत समूह भाग ले सकें।
ग्राम सभा के लिए ऐसी कार्य-प्रक्रियाएं बनाना जिनके द्वारा वह ग्राम विकास मंत्रालय के लाभार्थी-उन्मुख विकास कार्यक्रमों का असरकारी ढंग़ से सामाजिक ऑडिट सुनिश्चित कर सके तथा वित्तीय कुप्रबंधन के लिए वसूली या सजा देने के कानूनी अधिकार उसे प्राप्त हो सकें।
ग्राम सभा बैठकों के संबंध में व्यापक प्रसार के लिए कार्य-योजना बनाना।
ग्राम सभा की बैठकों के आयोजन के लिए मार्ग-निर्देश/कार्य-प्रक्रियाएं तैयार करना।
प्राकृतिक संसाधनों, भूमि रिकार्डों पर नियंत्रण और समस्या-समाधान के संबंध में ग्राम सभा के अधिकारों को लेकर जागरूकता पैदा करना।
73वां संविधान संशोधन अधिनियम ग्राम स्तर पर स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में ऐसी सशक्त पंचायतों की परिकल्पना करता है जो निम्न कार्य करने में सक्षम हो:
ग्राम स्तर पर जन विकास कार्यों और उनके रख-रखाव की योजना बनाना और उन्हें पूरा करना।
ग्राम स्तर पर लोगों का कल्याण सुनिश्चित करना, इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, समुदाय भाईचारा, विशेषकर जेंडर और जाति-आधारित भेदभाव के संबंध में सामाजिक न्याय, झगड़ों का निबटारा, बच्चों का विशेषकर बालिकाओं का कल्याण जैसे मुद्दे होंगे।
73वें संविधान संशोधन में जमीनी स्तर पर जन संसद के रूप में ऐसी सशक्त ग्राम सभा की परिकल्पना की गई है जिसके प्रति ग्राम पंचायत जवाबदेह हो।