21 सदी मे अवाम मे इल्मे इजाफे पर फितना लगता हे.
हम किस उल्मा को मानेंगे ?
जो कुरान के साथ सिरते पाक स.अ.और अहादीस के साथ तारीख़ पर हक और सही बात करेंगे.
जो उल्मा बात करेंगे वो बात नहिं प्रेकटीकली रेहबरी करेंगे.
दुसरा फिरका वारी बतवा उम्त मे नहीं करेंगे.
बडे बडे उल्मा कि इज्जतोग करते हे छोटे गरीब और इल्म के साथ जिंदगी गुजारने वाले उल्मा की इज्जत पर कोइ बात नही?
उल्मा अंदरो अंदर आपस मे बुखज रखते हे लेकिन अवाम सवाल करे तो मुरतद कहा जाता हे.