Followers

Monday, 3 May 2021

कोरोना काल और उसके बाद ?

अब बचेगा वही जो चौकन्ना होगा..

• आने वाले दौर के लिए तैयार रहे ख़ास तौर पर अपनी औलाद और आने वाली पीढ़ी को तैयार करें, क्योंकि आपने तो अपनी ज़िंदगी लगभग काट ली है.

• बहुत से लोग अभी भी ये समझ रहे हैं कि दुनियां दोबारा पुरानी डगर पर वापस आ जायेगी.

• आप होश में आ जाएं, दुनियां बदल चुकी है, न्यू वर्ल्ड आर्डर की इब्तिदा हो चुकी है, दुनियां उस डगर पर लौट कर कभी नहीं आएगी.

• दज्जाली निज़ाम की इब्तिदा हो चुकी है, आप दुनियाबी घटनाक्रम की क्रोनोलॉजी पर जरा नज़र डालें. 

• आतंकवाद, इस्लामो फोबिया, नरसंहार-क़त्लेआम, पूरे दुनिया पर फ़ासिस्ट ताकतों का शिकंजा, फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद, पूरी वर्ल्ड इकॉनमी कॉर्पोरेट के हाथो में जाना, पूरी दुनिया मे फाइनेंसियल इमरजेंसी लगी है लेकिन कोई इस लफ्ज़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहता.

रेसेशन उरूज पर है, नफरते-नफ़सानीयतें उरूज पर हैं, बेरोज़गारी, आत्म हत्याएं, अपराध, भुख्मरी, गरीबी चरम पर है, न्यूक्लियर हत्या, बायो वेपन्स, मीडिया प्रोपोगंडा, और एक के बाद एक तमाम दीगर फ़ितने जारी है. 

• जेरूसलम यहूदियों के हाथ जा चुका है, इजराइल और अरब समझौते के बाद यहूद ने हिजाज़ में भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. पहले ही हिजाज़-ए-मुक़द्दस का निज़ाम ख़रीजीओ, मुनाफिकों, दौलत और अय्याशी के ठेकेदारों के पास है. 

• सीरिया, यमन, अफ़ग़ानिस्तान, इराक, म्यांमार हम सब भूलते जाते हैं. हमे लगता है ये सब जगह दूर हैं लेकिन हम गफलत में हैं. 

इस दौर के बारे में बहुत तफ़सील से बताया गया है लेकिन हमने दीन को पढा ही नहीं है. हर फितना आने वाले फ़ितने से बड़ा होगा. दुनिया अभी कोरोना से ही हिल गयी है. आप मेरी बात लिख लें कि बहोत ही जल्द इस से बड़ा फितना वुजूद में आएगा. 

असल मौज़ू पर आता हूं..

• स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और दीगर तालीमी इदारे अब लम्बे अरसे तक शायद बंद रहें. अब बच्चों को तवील अरसे तक मां बाप की निगरानी में घरों में ही रहना है अपने बच्चों को आने वाले दौर के लिए तैयार करें.

• जिस्मानी तौर पर भी.
• जेहनी तौर पर भी और 
• रूहानी तौर पर भी.

• उनको उर्दू, अंग्रेज़ी, अरबी और हिन्दी लाज़मी तौर पर सिखाएं. दीनी उलूम, तारीख और तहज़ीब के बारे में मुकम्मल आगाह करें. अपने बच्चों को लाज़िमन कोई हुनर या फन या उलूम सिखाएं या कोई ना कोई हाथ का काम जो उनको मसरूफ भी रखे और जिससे आने वाले वक़्त में ये कार - आमद हो सकें और वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें. 

सुल्तान अब्दुल हमीद कारपेंटर थे, लकड़ी से बनाया हुआ उनका फर्नीचर आज भी महफूज़ है. सुल्तान सुलेमान ज़ेवरात बनाते थे. औरंगज़ेब बादशाह कुरआन करीम लिखते थे और बांस की डलिया बनाकर खुद बेचने जाते थे. 
• अपने बच्चों की जिस्मानी और ज़हनी तौर पर लाज़िमन ऐसी तरबियत करें कि मुश्किल और ना मुआफिक हालात में वो बर्दाश्त करने के क़ाबिल हों. जिस तरह एक NCC कैडेट की तरबियत होती है. जंगल में खैमा लगाना. आग जलाना. खाने पकाना. शिकार करना और हथियार चलाना. आजकल हमारे बच्चे बहुत आराम तलब और नाजुक हो चुके हैं. जिसके कसूरवार भी मां बाप ही हैं, माज़ी में हमारा तमाम तर तालीमी निज़ाम बच्चों को दीन और अदब के साथ हुनर भी सिखाता था. तमाम मुसलमान अपने हाथों में मख्सूस हुनर रखते थे और हाथ से काम करते थे. कोई लोहे का काम जानता तो कोई लकड़ी का. कोई कपड़ा बनाता तो कोई चमड़े का. कोई मुर्गियां पालता तो कोई गल्ला बेचता था खेती करता. आज के वक़्त में भी ऐसे तमाम उलूम, पढ़ाई, कामकाज, हुनर हैं, जिन्हें सीखकर क़ौम मजबूत हो सकती है, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बहोत कुछ सीखा जा सकता है. उस्तादों से या अपने बड़ो से सीखा जा सकता है. किताबो से सीखा जा सकता है. हुनरमंद बने… तालीम हासिल करें… अपने अंदर अच्छी खसलतें, खूबियां, उसूल और ईमान को पैदा करें. तिज़ारत के बारे में सोचे भले ही छोटे लेवल पर, कोई भी काम छोटा नहीं होता. फ़क़त उसकी कमाई
हलाल होनी चाहिए. आगे आने वाला दौर मुश्किलात और जंगों का दौर है अपने बच्चों को इसके लिए तैयार करें अब डिग्रियां हाथ में लेकर कॉलेज से निकल कर नौकरियां तलाश करने का
दौर खत्म हो गया…सरकारी नौकरियों का दौर भी लगभग जा चुका है.

आगे के फितने इससे भी मज़ीद सख्त होंगे. ये कोई फर्जी बात नहीं. एक तो सब हालात आंखों के सामने हैं और मजीद इन सब हालात की खबर अफज़लुल रसूल सरकारे दो आलम नबी ए मुहतरम ने हमें दी हुई है कि ये सब होकर रहेगा.

अब बचेगा वही जो चौकन्ना होगा..

क़ुदरत भी सरवाईवल ऑफ द फिटेस्ट की नीति पर काम करती है. दानिशमंदी और ईमान व अमल इख़्तियार करें. जिस्मानी, ज़हनी, और रूहानी तौर पर मजबूत बनें और दूसरों को बनाएं. कम्फर्ट जोन से बाहर आ जाएं. कुएं के मेंढक बनकर न जियें बल्कि दुनियाबी स्तर पर जो घटनाक्रम चल रहा है उस से इबरत लें और जद्दोजहद करें. क्योंकि अब बचेगा वही जो चौकन्ना होगा…


*मनक़ूल*

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...