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अगर मैं आज से 4 साल पहले किसी से कहता कि हमारी नागरिकता खत्म करने का कानून पास होगा तो सायद ही कोई इस बात पर यकीन करता, मुल्क के हालात हर दिन बिगड़ते जा रहे हैं,हमारे सफर का खाना तक बदल चुका है, सफर में कवाब लेकर चलने वाला आज आलू की सब्जी लेकर निकलता है, कल का दिन क्या खबर लेकर आये कुछ खबर नहीं , NRC बिल पास होने के चंद दिन पहले तक इसकी भनक भी नहीं थी मैं नवम्बर खत्म पर में नार्थ ईस्ट के सफर पर था और पहुँचकर एक दो दिन ही हुये थे कि 7 दिसम्बर आसाम के तिन्सुकिया से विरोध शुरु हुआ और देखते देखते पूरे मुल्क में प्रोटेस्ट फैल गया जो कि दिल्ली दंगे और कोरोना पर खत्म हुआ ।
कोरोना लाकडाऊन की भी एक दिन पहले तक कोई खबर नहीं थी और मेरा 14 मार्च महाराष्ट्रा का सफर था पहुँचा ही था कि 21 को जनता कर्फ्यू और फिर लाकडाऊन और पूरा भारत थम गया और हम तीन महीने के लिये फस गये, 27 मार्च निजामुद्दीन मरकज का मामला उठा और कोरोना बम और न जाने क्या क्या पूरा महीना मुसलमानों को न्यूज डिबेट में बदनाम किया गया, हालात ऐसे किये गये कि जमात बताओ ईनाम पाओ की मुहिम चालू की गई ।
जुमा के दिन को दंगा डे, हरियाणा में पार्क में होती जुमा नमाज़ पर बवाल, अज़ान पर बवाल, हिजाब पर हंगामा , नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहिवसल्लम की ज़ात पर कीचड़ उछालना विरोध करने पर बुल्डोजर , जेल और गोली, जगह जगह धर्म संसद के नाम पर जहर उगलना खुलेआम कत्लेआम की धमकी रैली में हिंसात्मक और घिनौनी नारे बाजी , आर्थिक बहिस्कार की मुहिम और गरीब मजबूर मुसलमानों को पीटना , भगवा लव ट्रेप में मुस्लिम लड़कियों को जाल में फसाने की मुहिम , घर वापसी और मुस्लिम दाईयों को जेल और उनकी जमानत तक न होना क्या कुछ नहीं हो रहा है, कौम के फिक्रमंद नौ जवानों को जेल, कभी गौर भी किया इन बातों पर ?
अब तो आप अकेले तन्हा भी कहीं नमाज़ नहीं पढ़ सकते जो अब तक स्टेशन या पार्क में पढ़ लेते थे , न जाने कौन विडिओ बनाये और वायरल करें और जेल की हवा खानी पढ़ जाये, कुछ दिन में हो सकता है मस्जिद में नमाज़ भी जुर्म हो जाये और फिर घर पर भी, माथे पर सज़्दे का निशान देख संदिग्ध बोलकर हिरासत में ले लिया जाये कुछ कहा नहीं जा सकता ।
लेकिन आप लोग पैदल हज पर बहस करिये यह सबसे जरूरी मसला है , आज जिस मसले पर इक्तिलाफ की कोई गुंजाइश ही नहीं है उस मसले पर लोग दो धड़ो में बट चुके है,
न जाने हम कब एक होगें ?
न जाने कब फिक्र मंद होगें ?
न जाने कब अपनी जिम्मेदारियों को समझेगें ?
न जाने कब हम एक उम्मत बनेगें ?
सायद उस वक़्त , जब हम बहुत कुछ खो चुके होगें 😢!!