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Saturday, 7 October 2023

Supreme Court: 'मुकदमे के डर के बिना अपनी राय रखने का अधिकार', 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

 Freedom of Speech: सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या कहें 'फ्री स्पीच' पर अहम टिप्पणी की है. अदालत का कहना है कि भले ही तथ्यों के आधार पर कोई रिपोर्ट गलत ही क्यों नहीं हो, फिर भी उसे लिखने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती है. सुप्रीम किस मामले पर हुई सुनवाई?


दरअसल, 'ए़डिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' (EGI) के अध्यक्ष और उसकी फैक्ट-फाइंडिंग टीम के सदस्यों ने हाल ही में मणिपुर में मैती और कुकी समुदायों के बीच हुई हिंसा को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की. इस रिपोर्ट को भड़काऊ बताते हुए उनके ऊपर एफआईआर दर्ज की गई है. सुप्रीम कोर्ट इस बात की सुनवाई कर रही है कि क्यों EGI के ऊपर एक भड़काऊ रिपोर्ट लिखने पर दर्ज एफआईआर को रद्द करना चाहिए. 


शीर्ष अदालत ने क्या कहा? कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि 'फ्री स्पीच' का मतलब मुकदमे के डर के बिना अपना दृष्टिकोण रखना है. 

देश की शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि पत्रकारों को उनके जरिए लिखे गए आर्टिकल को लेकर विभिन्न समुदायों या समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ावा देने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. पिछले कुछ सालों में फ्री स्पीच एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. मीडिया संस्थानों से लेकर राजनीतिक नेताओं तक के ऊपर उनके बयानों और रिपोर्ट्स को लेकर केस दर्ज हुए हैं, जिन्हें उन्होंने सीधे तौर पर फ्री स्पीच का उल्लंघन बताया है.





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