अमेरिकन ख़ुफ़िया विभाग वैचारिक इस्लाम को चार भागो मे विभाजित करता है !!
1-फंडमेंटलिस्ट इस्लाम
2-पॉलिटिकल इस्लाम
3-ट्रेडिशनल इस्लाम
4-मॉडर्न/ लिबरल इस्लाम
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वैसे तो इनकी व्याख्या बहुत ही लंबी और इलमी है लेकिन यहाँ मैं मुख़्तसर से लफ़ज़ो मे मोटा-मोटी आपके सामने रखता हूँ !!
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पहला जो फंडमेंटलिस्ट इस्लाम है इसको वो लोग फॉलो करते है जो हथियार के ज़रिये सत्ता पे क़ाबिज़ होना चाहते है या अमेरिका के मफाद के लिये सबसे बड़ा ख़तरा है !!
इस नज़रिए के लोग इस्लाम को मज़हब नही बल्कि दीन जिसमे खिलाफत का तस्वव्वूर हो !!
जहाँ इस्लाम का मआशरे से लेकर सियासत और आर्थिक नीतिया भी इस्लाम की रोशनी मे बने और रियासत की हाकमियत अल्लाह के सुपुर्द हो इसके लिये कोशिश और जद्द-ओ-जहद करते है !!
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दूसरा जो वैचारिक इस्लाम है उसे पॉलिटिकल या सियासी इस्लाम कहते है इस नज़रिये के लोग क़ानून के दायरे मे रह कर लोकतांत्रिक तरीके से इस्लाम का निफाज़ चाहते है जैसे की मिस्र मे इखवान-ऊल-मुसलेमीन और ट्यूनीशिया मे अल नहदा या हमारे यहाँ बर्रे सग़ीर मे जमात-ए-इस्लामी और जमीयत उलमा-ए-इस्लाम है !!
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तीसरा तबका जो है उसे हम ट्रेडिशनल इस्लाम कहते है ये वो लोग जो खानकाहो,मस्जीदो और मदरसो मे पाय जाते है !!
जिनका पूरा ज़ोर नमाज़,रोज़ा,हज और दूसरी इस्लाही और इख्लाकि मामलात तक महदुद हो इस तरह के लोग हमारे तबलीगी जमात हो बल्कि हम आम मुसलमान भी इसी कैट्गरी मे आते है !!
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चौथा तबका जो है उसे सेक्युलर और लिबरल इस्लाम कहा जाता है जिनके यहाँ मज़हब की हैसियत वही होती है जो भूसे मे सुई की !!
इसकी मिसाल के लिये मैं आपका जाना पहचाना नाम देना चाहूँगा जिसे हम #शाहरुख_ख़ान के नाम से जानते है !!
और शाहरुख ख़ान ने अपने कई ब्यान मे ये स्वीकारा है की वो मॉडर्न इस्लाम को फॉलो करते है !!
आप इसे ऐसे समझे की जहाँ मज़हब से ज़यादा मगरिबियत की मरूबीयत हो वहाँ मॉडर्न इस्लाम है !!
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मेरे सामने जॉर्डन से निकलने वाली मैगज़ीन The Muslim 500 है जिसमे Ideological Divisions नाम से चैप्टर है !!
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जहाँ CIA चार भागो मे वैचारिक इस्लाम को विभाजित करता है !!
तो वही ये मैगज़ीन तीन भागो मे विभाजित करती है मेरे इस मैगज़ीन के हवाले की बुनियाद ये है की ये मैगज़ीन वैचारिक इस्लाम के विभाजित मतो के मानने वालो की संख्या विभाजित करती है !!
इस मैगज़ीन के अनुसार मुसलमानो का 90% ट्रेडिशनल इस्लाम जिसे इसमे ओर्थोडॉक्स इस्लाम भी लिखा है उसको फॉलो करता है वहीं 9%मुसलमान फंडमेंटलिस्ट इस्लाम के मत मे विश्वास करते है और मात्र 1% मुसलमानो का ताल्लुक मॉडर्न या लिबरल इस्लाम से है !!
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मेरे ये बताने का मक़सद क्या है अब उस पे मैं आता हूँ ??
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CIA ने जो इस्लाम को चार भागो मे विभाजित किया है ये उस प्लान का हिस्सा है जिसमे वो परखती है मौजूदा मुसलमानो की वैचारिक स्थिति क्या है इस्लाम और वेस्ट के मध्य तहज़ीब से लेकर युद्ध और उसके बाद हज़रत ईसा अलही सलाम के नज़ुल तक और इन समयो के बीच आने वाले कशमकश के बारे मे यकीन और तय्यरी तक और उस तय्यरी के खिलाफ शहूनियत की शाजिशो को समझने और उसके खिलाफ उठने तक !!
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मैं पहले भी कह चुका हू की अमेरिका को मज़हब-ए-इस्लाम से कोई ख़तरा नही उन्हे ख़तरा दीन-ए-इस्लाम से है !!
मामला ये है की अमेरिका भी ये जानता है की इन्फरादी ज़िंदगी से लेकर इज़माई ज़िंदगी मे दीन-ए-इस्लाम का निफाज़ सिर्फ़ वही लोग कर सकते है !!
जिसे वो फंडमेंटलिस्ट इस्लाम कहता है लेकिन पहले वो इनसे बेफ़िक्र था क्योंकि की इनकी तादाद बेहद मामूली थी आप इसे अफ़ग़ानिस्तान की स्वेत यूनियन के खिलाफ जंग और उसके बाद की परस्थितियो से समझ सकते की कैसे इस तबके को अमेरिका ने पहले हिमायत की लेकिन जब उसने ये देखा की जो ट्रेडिशनल और पॉलिटिकल तबका है वो भी जब भी मौका पड़ेगा फ़ौरन उनके साथ आ सकता है !!
जो अमेरिका के खिलाफ है और ये बात अफ़ग़ान जंग के आख़िर मे वो भाँप गये थे !!
पॉलिटिकल इस्लाम की नुमाइंदा जमात-ए-इस्लामी के और ट्रेडिशनल इस्लाम की नुमाइंदा पाक-ओ-अफ़ग़ान मदरसो के तालिब-ए-इल्मो की उनको हिमायत और फिर इन तीनो तबको की हिमायत मे बनने वाली होकूमत और वो होकूमत जो वेस्टर्न सिस्टम तक को चैलेंज कर दिया !!
और उस होकूमत के सिस्टम के दूसरे मुस्लिम मुल्क पे पड़ने वाले असर को भाँप कर बाद मे उस होकूमत को ही ख़त्म कर दिया !!
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मतलब ये की ये तीनो तबका कभी भी एक साथ आ सकता है
और यहूदियत व ईसाइयत को चैलेंज कर सकता है !!
इसके लिये उन्होने लिबरल और मॉडर्न इस्लाम का प्रचार शुरू किया !!
और इसके लिये उन दढ़छिल्ले स्कॉलर को जिनकी पूरी ज़िंदगी इस्लामी आकायद के साथ पूरे इस्लामी निज़ाम पे तनकीद करने मे गुज़री थी !!
उन्हे हक़ीक़ी इस्लामिक स्कॉलर के नाम से पेश किया और पैसो के मूँह खोल दिए गये लेकिन इनको मूँह की खानी पड़ी !!
जिसके बाद अब इन्होने फिर से अपनी पॉलिसियो पे विचार विमर्श शुरू किया !!
और इसमे तब्दीली लाते हुए हुये ये किया की अब इन्हे तीन भागो मे बाँट दिया पहला फंडमेंटलिस्ट या रेडिकल इस्लाम दूसरा पॉलिटिकल इस्लाम और तीसरा सूफ़ी इस्लाम.....
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मामला ये है की जो पहला विभाजन था वो कम ख़तरनाक था जितना ये है क्योंकि उसमे सिर्फ़ वैचारिक विभाजन था !!
लेकिन इसमे वैचारिक विभाजन के साथ मसलकी विभाजन का भी तड़का लगा दिया गया है !!
और ये तड़का वहाबीयत और सूफिज़्म को विभाजन का है !!
जिसमे से इस्लाम के इत्तेहाद की हर कोशिश को सिर्फ़ फ़िक्री ही नही मसलक के आधार पे तोड़ दिया गया !!
और इसके लिये दुनिया भर मे यहूदी तंज़िमो ने NGO से लेकर मीडिया तक के ज़रिए सूफिज़्म इस्लाम का भरपूर प्रचार कर रहे है !!
और पैसो के मूँह खोल दिये है और मुस्लिम मुमालिक मे बेहद ख़ुफ़िया और ख़तरनाक तरीके से सत्ता पे क़ब्ज़ा कराने के लिये इनका इस्तेमाल करा रहे है !!
ताकि वो इनका अपने मफाद के लिये इस्तेमाल कर सके जहाँ पाकिस्तान मे ये काम ताहिर-ऊल-कादरी के ज़रिए हो रहा है !!
तो वही तुर्की मे फ़तेहउल्लाह गुलेन के नाम पे तख्तापलट की कोशिश की गयी !!
और जहाँ मुसलमान अल्पसंख्यक है उन्हे उनके इत्तेहाद को तोड़ने और दुनिया भर के मुसलमानो के साथ उनके कलबी रिश्ते को ख़त्म करने के लिये उन मुल्को की इस्लाम दुश्मन तंज़िमो का इस्तेमाल कर उन मफादपरस्त मुल्ले जिनकी बौद्धिकता का ये हाल हो की उन्हे वहाबियो के साथ जाने के बजाय यहूदियो के शाजिशो का इस्तेमाल होना पसंद करते हो !!
उनको अपनी शाजिश मे शामिल कर उनका इस्तेमाल कर रहे है !!
और मुसलामनो मे तफरका और नफ़रते फैला रहे है !!
और अपनी असली और हक़ीक़ी मंज़िल को भुला चुके है !!
और शाजिशो का शिकार हो रहे है!!
और इसकी सबसे बड़ी ख़तरनाक बात ये है की जो ट्रेडिशनल तबका था जिसकी तादाद सबसे अधिक थी !!
और वो यहूदियो के लिये ख़तरा बन रहा था उसमे उन्होने शगाफ़ डाल दिया है....
एक बात मैं यहाँ क्लियर कर दू की तसव्वूफ एक अलग चीज़ है और सूफिज़्म इस्लाम अलग !!
क्यों कि तसव्वूफ का ताल्लुक सियासत से कभी हो ही नही सकता !!
आप औलिया अल्लाह की तारीख उठा के देख ले किसी का भी अपने वक़्त के बादशाह के साथ मफाद नही जुड़ा था यानी की जैसे ही आप तसव्वूफ को सियासत से जोड़ते है वैसे ही फ़ौरन तसव्वूफ का रिश्ता आपसे ख़त्म हो जाता है !!
और जो बचता है वो सिर्फ़ सियासत होती है जो अपने मफाद की सियासत होती है !!
और तथाकथित सूफ़िज़म इस्लाम कुछ लोगो के मफादपरस्ती का नतीजा है जो यहूदी शाजिश का का हिस्सा है !!
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