Date:- 26 जनवरी 2019
समय :- 12:30 Am
इन्सान की जिंदगी उसके बदलाव से सफलता प्रपात करती हे, अगर इन्सान अपनी बरती उमर ओर जिम्मेदारियों के साथ अपने अंदर सामाजिक व्यवस्था को समजने मे अपना योगदान नही देता हे,
तो वो " ना " अपने परिवार को "ना" अपने समाजको "ना" मानवता के लिये अपनी अच्छी सोचके साथ फायदा पोहचा सकता हे,
*इसी लिये कइ महानुभाव का केहना हे ,*
समय के साथ चलने वाला अपनी मंजिल पाता हे,
समय से जो कदम से कदम मिलाता हे वो मंजिल पाता हे,
मेने कइ बरे बुजुर्गों , युवाओं को देखा हे खास कर लोग आजकल जो पारिवारिक , सामाजिक , समस्याओं मे उलझे हे, ओर इसका कोइ इलाज नजर नही आता हे उसकी एक ही वजाह हे ,
समय के साथ खुद मे बदलाव लाने मे इन्सान आज बहोत पिछे हे,
यानी वर्तमान समयमे हो रही सामाज ओर मानवता विरोधी प्रवृत्ति को समजने की सोच "ना" होने की वजाह से आज इसका इलाज कया हे इसको समजने की सोच ओर सलाहयत समाजके बुद्धिजीवी , लिडर के पास नही हे , इनके पास समाजकी वर्तमान परिस्थितियों को बदलने की जिम्मेदारी के साथ प्रवृत्ति "ना" होने से ये सुनिश्चित करता हे, के इनके पास समाजको बेहतर व्यवस्था देने के लिये उपाइ नही हे ,
ये बात अगर आप अच्छी तरहा समज लेते हे तो आप निश्चित तोर पर एक बेहतर विचार की तरफ अपना कदम बरहा सकते हे,
समाज को बेहतर व्यवस्था समाज मे से ही कुच लोग देते हे , जो समाज की बदलती दिशा ओर दशा को देखकर अपनी बरती (बदलती) उमर के साथ जिम्मेदारी उथाने के लिये अपनी सोचने की समजने की बोलने मे बदलाव लाते हे,
एसे लोगो की खास पेहचान ये हे के ये लोग अपने जिवन मे एक लक्ष्य रखते हे, जिस पर चलने के लिये वो अपने इच्छाओं को कुरबान करते हुये आगे बरते हे , अपने कार्य मे आने वाली हर रुकावट (मुश्किलों) को वो बखुबी निपटना जानते हे,
*हमे उम्मीद हे आप इस लेख को अपना खुदका लेख समजकर लोगो तक पोहचाने के लिये शेयर जरुर करेंगे , ओर इस विषय पर आप अपने दोस्तों से चर्चा जरुर करेंगे ।*
हर इन्सान अपनी ओर अपने परिवार के साथ समाज को बेहतर व्यवस्था चाहता हे लेकीन ये व्यवस्था हमे निर्माण करनी परेगी जिसके लिये हमे बदलाव की सख्त जरुरत हे, ओर हमे खुद आगे आनेकी जरुरत हे,
समाज, देश ओर दुनिया के हालात आज हमारे सामने हे, जो बरी बरी घटनाएँ होती हे इससे हमारी जिंदगी से कहीना कही जरुर संपर्क होता हे, बस उसको हमे किसी ओर की समस्या समजने के बजाये हमारी समस्या बना लेनी हे, उसमे हम समाज ओर इन्सानियत के लिये खुदमे बदलाव ओर बुलंद इरादों के साथ खरे होते हे, तो दुनिया मे हम जरुर हमारी जिंदगी से कुच ना कुच अपने परिवार, समाज ओर देशके लिये फायदेमंद हो सकते हे,
*साथियों आज का लेख केसा लगा जरुर कोमेन्ट करे।*
हुजैफा पटेल भरुच गुजरात
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