Whatsapp bairam 28/07/2019
*तुम क्या सोचते हो मॉब लिंचिंग कोई नयी क्रिया है ?*
नही नही ये तो बहुत पुरानी प्रक्रिया है हजरत अबु बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु पर भी भीङ ने हमला किया था ।
हजरत यासिर बिन अम्मार रज़ियल्लाहु अन्हु को भी उस वक़्त के खुदा लात, हुबल, मनात के नारे लगाने पर मजबुर किया गया था।
हज़रत बिलाल को भी मजबूर किया गया था,
और खुद हमारे नबी हज़रत मोहम्मद स. पर ताइफ़ में भीड़ द्वारा पत्थर बरसाए गए।
लिहाज़ा जान लो बीमारी एक हो तो उसका ईलाज भी एक ही होगा
उस वक्त ये बीमारी जिस तरह दूर हुई थी उसी तरह आज भी ये बीमारी दुर होगी।
उस वक़्त जिस तरह से दीन की दावत दी गई थी। उस दावत की जरूरत आज भी है।
सिर्फ बदला लेने, जगह जगह विरोध प्रदर्शन के बारे में न सोचें बल्कि उन तक सही दीन पहुचाने को कोशिश की जाए,
अल्लाह के रसूल ने फरमाया है,
ज़ालिम और मज़लूम दोनों की मदद की जाए,
मज़लूम की मदद ये है कि उसकी सहायता की जाए और ज़ालिम की मदद ये है कि उसके हाथ पकड़ लिए जाएं, उन तक हिकमत के साथ सही बात पहुँचाई जाए।
इसका एक पहलू तो ये है और दूसरा पहलू हज़रत मोहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान भी याद करना होगा
जिसमें उन्होंने कह दिया था जब तुममें दुनिया की मोहब्बत और मौत से नफरत हो जाएगी तो ये क़ौमे तुम पर टूट पड़ेंगी।
आज मुसलमानो में ऐश परस्ती, दीन से दूरी इसका अहम कारण हैं
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:क़रीब है कि क़ौमें तुम पर इस तरह टूट पड़ेंगी जैसे भूखे दस्तरख़ान की की तरफ़ लपकते हैं।सहाबा ने सवाल किया:क्या यह इस वजह से होगा कि हमारी तादाद कम होगी?आप ने फरमाया:नहीं, तुम उस वक्त तादाद में बहुत ज़्यादा होगे, मगर तुम सैलाब के झाग के मानिंद बे-हैसियत हो जाओगे, तुम्हारे दुश्मन के दिल से तुम्हारा रौब निकल जाएगा, और तुम्हारे दिलों में वहन दाख़िल हो जाएगा।सहाबा ने सवाल किया:"वहन"क्या चीज़ है आप ने फरमाया:
*"दुनिया की मोहब्बत और मौत से नफ़रत"*
(सुनन अबु दाऊद)
अल्लाह उस क़ौम की हालत तब तक नहीं बदलता जब तक वो खुद अपने आपको न बदल डालें
*(क़ुरआन 13:11)*