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Sunday, 22 May 2022

राजनीति और सियासत .

 सियासत व्यवस्था हे,राजनीति गुलामी हे।
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हम ने आवाज उठाई है की विदेशी पॉलिटिकल सिस्टम भगाओ और स्वदेशी पॉलिटिकल सिस्टम लाओ।
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लोग हम से सवाल करते हैं की स्वदेशी पॉलिटिकल सिस्टम और विदेशी पॉलिटिकल सिस्टम क्या है,उन लोगों को मोटे मोटे तरीके से बताना चाहता हूं।
काले फिरंगियोंव का पोलीटिकल सिस्टम पहले चोरी करना सिखाता है, फिर चोर पकड़ने के लिए क़ानून बनता है,फिर चोर को बचाने के लिए रिस्वत लेता है, फिर चोर और सिपाही दोनों साथ साथ रहते हैं,और देश में भरष्टाचार को बढ़ावा देते हैं.
विदेशी पॉलिटिकल सिस्टम गोरे फिरंगियों का है जो काले फिरंगियों के हाथ में देकर गए थे और यह लोग अभी भी उसी को चला रहे हैं।
महात्मा बुद्ध के विचार,श्री कृष्णा के विचार,श्री राम चंद्र जी के आदर्श,श्री महावीर के विचार,गुरु नानक जी के विचार,हजरत ईसा के विचार,मोहम्मद (sw)के विचारों में स्वदेशी पॉलिटिकल सिस्टम मौजूद है और पूरे देश के लोग इनके सिस्टम को ही पसंद करते हैं इसलिए इस देश में इस सिस्टम को लाना होगा और इसको लागू करने में बहुत आसानी है।
हमारे पुरखों ने गोरे फिरंगियों से देश की जमीन खाली करा लिए थे और अब हमारी जिम्मेदारी है की उनके पॉलिटिकल सिस्टम से देश को खाली करना है तभी आजादी मुक्कमिल होगी।
राजनीति और सियासत का फ़र्क़ का वीडियो लिंक। https://youtu.be/2lvC8g5SQUg
राजनीति की खूबी और खराबी का वीडियो लिंक। https://youtu.be/P_XKKd40Xwo 
अच्छे लीडर बनाने के लिए 13 सुझाव.वीडियो लिंक। https://youtu.be/dxwBN6dYmNA 
राजनीतिक,सामाजिक संस्था वालों को धन उगाहने का सुझाव. https://youtu.be/LWiuLQLQtKQ 
जय हिन्द,
इस्माईल बटलीवाला मुंबई मोबाइल न-9029341778

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जनाब इस्माईल बाटलीवाला साहेब,आपकी यह बात सौ फीसद सच है कि राजनीति हराम है और सियासत हलाल है।
मदरसों में आलिमाना कोर्स में एक सब्जेक्ट फलसफा पढ़ाया जाता है आज की जदीद साइंस साईकालजी तर्क शास्त्र पोलिटिकल साइंस इस तरह के तमाम बौद्धिक विषय फलसफा से ही बनाए गये विषय हैं ।
मैंने फलसफा में सियासत की जो परिभाषा पढ़ी थी उसको राजनीति के माने में कतई नहीं लिया जा सकता राजनीति का मतलब जैसा कि शब्द से पता चलता है , राज+नीति= राजनीति यानी राज करने के लिए बनाए गये, नियम कानून।
अब देखिए सियासत का क्या मतलब होता है सियासत का मतलब जैसा कि फलसफा में बताया गया है।अक्ल-व-हिक्मत से किसी समस्या का समाधान या अक्ल व तदबीर से हालात ठीक करना तथा सुख शांति स्थापित करना। 
इसकी तीन किस्में बताई गई हैं।

(1)सियासत-ए-शख्सी (व्यक्तिगत सियासत) 
(2)सियासत-ए-बैती(बैत-घर) घरेलू सियासत। 
(3)सियासत-ए-मदनी शहर या मुल्क की सियासत।

मतलब अक्ल तदबीर से व्यक्तिगत हालात ठीक करना एंव सुख और शांति स्थापित करना या अपने घर के हालात ठीक करना या फिर शहरों और मुल्कों के हालात ठीक करना तथा शांति स्थापित करना। 
जबकि चाणक्य नीति के अनुसार राजनीति साम दाम दण्ड भेद का दमनात्मक एक स्वार्थी नियम मात्र है जो मानने से ज्यादा मनवाने पर बल देता जिसे मानवीय कतई नहीं कहा जा सकता है। 

इसलिए इस्माईल बाटलीवाला साहेब ने बिल्कुल सही कहा कि सियासत जायज़ है और राजनीति नाजायज़ है।

आप का मोहम्मद शफीक खलीलाबाद उत्तर प्रदेश मोबाइल  98389 11349
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मोहतरम जनाब इस्माईल बाटलीवाला साहब बहुत ही सही टापिक "राजनिति और सियासत" आप आवाम के बीच लेकर आये और इस टापिक पर अगर भारत का हर आम व खास शख्स गौर फ़िक्र करे तो इसके बहुत ही दूरगामी परिणाम निकलेंगे l

आपने अपनी वाल पर मोहम्मद शफ़ीक साहब खलिलाबाद ने इस टापिक पर अपनी बात रखी है जिसमे उन्होने 3 किस्मे सियासत की बताई है बहुत ही लाजवाब है 

(1)सियासत-ए-शख्सी (व्यक्तिगत सियासत) 
(2)सियासत-ए-बैती(बैत-घर) घरेलू सियासत। 
(3)सियासत-ए-मदनी शहर या मुल्क की सियासत 
और इन तीनो में से सिर्फ़ पहली और दूसरी सियासत की किस्म पर गौर फ़िक्र करे तो तीसरी तरह की सियासत कैसी हो उसके लिये भी रास्ता साफ़ दिखाई दे रहा है l 

पहली और दूसरी दोनो तरह की सियासत को अगर थोड़ा डिटेल मे बताऊ तो वो साफ़ पता चलता है कि सियासत खुद की भलाई और दूसरे मे अपने घर परिवार की भलाई हर हाल मे हर कीमत में कोई भी इंसान चाहेगा और इसी को आगे बढाते हुए अगर इंसान शहर और मुल्क की सियासत करता है तो अपने शहर और मुल्क की भलाई के लिए और उसकी तरक्की के लिए काम करेगा l 
बेशक अगर एक अल्फ़ाज़ मे कहू तो कुर्बानी के बगैर सियासत मुमकिन नहीं है या सियासत का दूसरा नाम कुर्बानी है l 
जबकि राजनीति इसके ठीक उल्टा प्रचलन है l 
राजनीति मतलब यही से निकल जाता है राज करने की नीति भारत में अंग्रेजी हुकुमत के काबिज़ होने की तह में जाते है तो पाएंगे अंग्रेजों ने हुकूमत हासिल करने के लिए हर वो रास्ता अख्तियार किया जो कोई अपनो के साथ नहीं कर सकता सिर्फ़ इसलिए किया कि हम भारतीय  उनके अपने नही थे जितना लूट सके उन्होने लूटा जितना जुल्म कर सकते थे उन्होने किया हुकुमत चलती रहे उसके लिए जितना लडा सकते थे हम भारतीयों को आपस मे लडाया l 
ये छोटा सा example दिया l 

आखिर मे यही कहूंगा अपनो पर हुकुमत सियासत का हिस्सा है और गैरो पर हुकुमत करना राजनीति का हिस्सा हैं l 
भारत में वही अंग्रेजों वाली राजनीति की आदत पडी हुई है जिसमे राजनेता आम शहरियो को अंग्रेजी हुकुमत की तरह अपना गुलाम तस्लीम करते हुए साम दाम दन्ड भेद हर नुक्सा अपनाते है जो कि आज़ाद भारत की तरक्की की राह में बड़ा रोडा है l 
अगर हम चाहते हैं स्वतंत्रता आंदोलन मे अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीदो की सोच वाला भारत बने तो हमे सियासत को अपने बीच मज़बूती देने की ज़रूरत है जिसका दूसरा नाम कुर्बानी है l 

शुक्रिया
मो.खालिद चौधरी 
प्रदेश संयुक्त सचिव ,#Aimimup मोबाइल -97114 39404
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इस्माईल बाटलीवाला साहब,आप की बात बिलकुल दुरुस्त है की सियासत और राजनीति अलग अलग है।
जबकि जम्हूरी हुकुमत कायम करने को सियासत कहते हैं और इसी को जमीनी हकीकत से जोडने के लिये सियासत,के अमल से जोडना होता है तभी इंसाफ कायम होगा।
राजनीति तो एक फितना है जो मुआशरा के इत्तेहाद को रोकने के लिये यूरोप के सभी देशो ने मिल कर गढ़ा है और सारे मुआशरा पर थोप दिया,जो तारीख जानते है उन लोगो को यह पता है।
एक तरफ भारत के मुसलमान भारत की आजादी के लिए लड रहे थे दुसरे महाज़ पर सियासी आदोलन को भी ऐक बेहतर अंदाज़ में सियासत के लिए लड रहै थे।
लेकिन आज दुनिया भर में कहां सियासत और कहां हक की बात हो रही है एक मुरदार मुआशरा है जिस पर हम हम लोग चल रहे हैं।
ऐक मिसाल देता हु,
आप ने कई वक्त यह सुना होगा  के,साम दाम दंड भेद से राजनीति चलता है।
अगर सियासत को कायम करना है, यानि इंसाफ को कायम करना है तो इस को समझना पडेगा।
राजनीति,और सियासत में फर्क क्या है_
(1) राजनीति का मतलब ताकत और सिर्फ अपनी ताकत को बचाऐ रखने के लिये हर हरबा यूज करना,अपने ही नागरिकों को एक तरह से लोगो को गुलाम बनाऐ रखना,
(2) सियासत का मतलब है,इंसाफ कायम करना,अगर सीधा कंहु तो अपने नागरीको के लिये नीतियां बनाना,और उन के मुस्तकबिल के लिये,सब को बराबरी का दरजा देना,देश वासियों ने जो जिम्मेदारी दी है उस को फर्ज जानते हुए लोगो की पूरी ईमानदारी से रक्षा करना
जनता के टैक्स के पैसो को वापस देश के लोगो को विकास के रूप में वापस देना,और पुरे दुनिया मै और देश में इंसानियत का राज कायम करना,हर धर्म की रक्षा के साथ साथ सभी मजहबो की धर्मस्थल  यानी,मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारा,और बौद्ध विहार की रक्षा करना और उस की हिफाज़त करना,यह सियासत है जो पूरे देश में लागू होना चाहिए,तभी यह देश विश्वगुरु बनेगा,यही है सियासत,
इरशाद खान, औरंगाबाद ,महाराष्ट्र मोबाइल--99754 46402
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*सियासत व्यवस्था हे,राजनीति गुलामी हे"*
सियासत और राजनीति अलग अलग हे भले वो किसी एक काम के लिये बोला जा रहा हो लेकिन दोनों के उद्देश्य अलग अलग हे.
सियासत इस्लामिक विचारधारा  शब्द से आता हे, जो सामाजिक व्यवस्था निर्माण करने का उद्देश्य देता हे,और राजनीति गुलामी से आजाद होने के बाद राज करने की नीतियों पर आधारित हे.
शब्दों मे बहुत कुछ छुपा होता हे जिसमे वर्तमान और भविष्य होता हे खास नीति, पॉलिसी,एजेंडा होता है।
इस्माईल बाटलीवाला साहब की बात से मैं सहमत हूं।

सियासत और राजनीति अलग अलग हे.
राजनीति लोगों को गुलाम बनाने के लिये बनाई गई आज आप दुनिया भरके उन मुल्क के हालात उठाकर देखलो जो आजद हुये जंहा राजनीति की जाती हे,वंहा की सामाजिक व्यवस्था का एनालिसिस कर लो,राज करने की नीतियों पर बहुत कुछ समझ आ जायेगा.
असल मे सियासत के उसुल और ज्ञान से मुसलमानों ने इस सदी मे अपने आपको बहुत पीछे कर लिये जिसकी वजह से हमने सोचने समझने की शक्ती को खो दिया मानने के बात तो दुर हे,लेकिन हम परिस्थितियों ना समझ सकने की वजह से शब्दों की मायाजाल मे फस जाते हे.
जो मुस्लिम पार्टियां पॉलिटिक्स से जुडी हे वो अगर सियासत के उसूलों पर अपने आपको आने वाले 10 साल मे ला सकते हे तो बहुत कुछ हो सकता है।

बाकी राजनीति मे सत्ता हासिल करने के लिये सिर्फ चिल्लाते रहना नुकसान कर सकता हे.
सियासत पुरे समाज को बेहतर निजाम के लिये तैयार करता हे.
राजनीति कुछ खास लोगों को तैयार करता हे प्रजा पर अंकुश लगाने के लिये भटका ने के लिये उलझाने के लिये राज करने की नीतियाँ पर काम होता हे,अब आप तय करे आप क्या करना चाहते हे❓
पूंजीपतियों और राज घरानों  के साथ दबंग लोगों की कठपुतली  बना रहना चाहते हे ❓ या फिर सामाजिक व्यवस्था की तरफ सोच बनाते हे❓
आपकी सोच आपको दिशा दिखाती हे. अगर सोच नही होगी कुछ नही होगा.

   एक विषय तेभी हे के समाज सेवा के कार्य और सामाजिक बदलाव के कार्य क्या दोनों एक हे❓
   समाज सेवा के कार्य से जुडे लोग राजनीति को मददगार हो सकते हे,सामाजिक बदलाव के कार्य से जुडे लोग सियासत को मददगार हो सकते हे.
Huzaifa Patel,Dedicated Worker,Gujarat-Bharuch,Mo.9898335767 

सेवा में,
 सम्मानित, श्रीमान जनाब इस्माइल बाटलीवाला साहब जी, विदेशी पोलटिक्स पिछले 73 सालों भारत देश का पूरा स्वरूप ही खराब कर दिया है अगर हम विदेशी पॉलटिक्स सिस्टम नही अपनाते तो देश के ये हालात नही होते। 
सियासत  पूरी तरह स्वदेशी है और देश की जनता की खुशहाली व बेहतरी के लिए काम कर रहा हूँ,विदेशी पॉलिटिकल सिस्टम ने देश को जख्मी बना दिया देश चरित्र को खराब कर दिया ह। 
हम आपकी बात से पूरी तरह से सहमत है जब तक स्वदेशी पॉलिक्स सिस्टम को नही अपनाया जायेगा तब तक व्यवस्था किसी भी कीमत पर नही सुधरेग। 
आज देश की राजनीति अग्रेजो के सिस्टम पर चल रही हैं आम जनता गांव गरीब किसान मजदुर का शोषण हो रहा है और जब ये शोषण अग्रेजो के समय मे हो रहा था। 
आज  फिर आजादी कैसी है लोग पहले गोरे अग्रेजो के गुलाम थे आज काले अग्रेजो के गुलाम है आजादी व स्वतंत्रता केवल कहने मात्र है, देश के लोगो को विदेशी व स्वदेशी राजनीतिक सिस्टम को समझना होगा नही तो आगामी समय मे हालात और खराब होंग। 
हम  सियासत चाहते हैं राजनीति नही चाहते हैं क्यों की सियासत स्वदेशी है राजनीति विदेशी है, यह फर्क है सियासत और राजनीति में इस को समझना होगा और देश के लोगो को अध्ययन करना होग। 
सियासत अध्ययन मांगती राजनीति का कोई अध्ययन नही है चार बात को जानने वाला खुद को राजनीतिक बना लेता है सियासत सघर्ष का नाम है और आम जनता के हितों और लोगो की भलाई के लिये काम करने का नाम है। 
जबकी राजनीति जनता का शोषण करती है लोगो को बांटने का काम करती है अपने हितों के लिये झूठ फरेब मौका परस्ती करना जाति व धर्म के नाम पर लोगो को बाटने का नाम राजनीति है और भी बहुत कुछ जो हम आपको लिखकर भेजेंगे आपका सुझाव हमारे लिये सर्वोपरी है आपके सहयोग और समर्थन की हमे सदैव अपेक्षा रहेगी मंगल कामनाओ सहित ।
परम समानित श्रीमान इस्माईल बाटलीवाला जी आपकी सकारात्मक सोच की क्रांति पूरे देश मे जायेगे और आपकी सोच और विचारों का आज के युवाओं को लाभ लेना होगा।
आपका अपना संजय गुर्जर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत बचाओ सविधान बचाओ आंदोलन. मोबाइल न 8851202163

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...