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Friday, 25 October 2019

गलामी जिंदा बाद

असदुद्दीन ओवैसी आर•एस•एस• के एजेंट हैं !
बदरुद्दीन अजमल कांग्रेस के दलाल हैं !
SDPI मे गुस्सा है हिकमत नही है
जमीयत उलेमा ए हिन्द से हमारा इख्तीलाफ है !
अशरफ ए मिल्लत बी जे पी से मिले हुए हैं !
तौकीर रज़ा खांन हमारी निगाहों में खुदगर्ज़ हैं !
कोई मुसलमान ,,मुसलमान के हक़ में बोले तो वो अपनी राजनीति चमका रहा है 

लेकिन ,

राहुल गांधी मसीहा-ए-क़ौम हैं।
मुलायम सिंह रफीकुल मुल्क हैं।
अखिलेश यादव मुस्लिम परस्त हैं।
मायावाती मुसलमानों की गॉडमदर है।
प्रकाश अंबेडकर मुसलमानों का सच्चा रहनुमा है
मुकामी b j p लीडर हमारे काम आते.

*वाह क्या सोच है.....*

70 साल की तबाही, कमोबेश 70 हज़ार दंगें।
कई लाख मुसलमान सलाखों के पीछे, कई लाख औरतें बेवा, बच्चे यतीम और बच्चियों की लूटी गई असमतें, मुसलमानों की बुनियादी हुकूक की लूट के बाद पर्सनल लॉ और पोशाक व दाढ़ी तक पर उठती उँगलियाँ ।
बाबरी से दादरी तक, हाशिमपुरा से मुज़फ्फरनगर तक, गवर्नरी और नवाबी से रिक्शे और अंडे की दुकान, गुजरात महाराष्ट्र और तो और मस्जिद के इमाम तक आ गए,

70 साल से सेक्युलरिज़्म का पट्टा गले में डाल कर जिंदाबाद मुर्दाबाद करने के नतीजे में जिन्होंने ये सब कुछ सौग़ात में दिया है, वो तो मसीहा, लीडर और क़ाईद हैं।
लेकिन
वो लोग जो अपनी कम्युनिटी से उठ कर सामने आकर हमारे मुद्दों पर बात करते हैं, आवाज़ उठाते हैं, सड़क से संसद व अदालत तक की जंग लड़ते हैं, वो दलाल और एजेंट हैं।

अफ़सोस है क़ौम पर, और एैसी सोच पर।

अगर अब भी अपनी नीति और सोच नहीं बदली ,,,तो हमारी हालत धीरे-धीरे शूद्रों से भी बदतर बना दी जायेगी ...

गुलामी ज़िन्दाबाद

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...