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Wednesday, 30 December 2020

मध्यप्रदेश के उज्जैन का मुसलमान .

मध्यप्रदेश के उज्जैन और मंदसौर के एक गांव में राम मंदिर के नाम पर चंदा मांगने के लिये जुलूस निकाला जा रहा था। जुलूस में मुसलमानों को आतंकित करने वाले नारे, और ‘गाने’ बजा रहे थे। इस पर मुस्लिम समाज ने आपत्ति दर्ज कराई, बात बढ़ी और पथराव तक जा पहुंची। यह घटना उज्जैन की है, इसके बाद पुलिस और सरकार ने पथराव के ‘आरोपियों’ के मकानों पर बुल्डोजर चला दिया। दर्जनों को गिरफ्तार किया गया, कईयों पर रासुका लगाई गई। ऐसा ही मंदसौर में हुआ वहां मुस्लिम आबादी वाले एक गांव पर पड़ोस के गांवों से आए भगवाधारियों ने हमला किया,मस्जिद पर हमला किया, मीनार पर भगवा फहरा दिया। मध्यप्रदेश में लंबे समय से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे हैं, उनकी छवी एक औसत ‘सेक्यूलर’ नेता की रही है। लेकिन मार्च 2020 में फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज पूरी तरह सांप्रदायिक हो गए हैं। क्या उन्हें इसी शर्त पर मुख्यमंत्री बनाया गया है कि वह नफरत की सियासत करें? इसका जवाब तो मुख्यमंत्री खुद जानते होंगे। लेकिन अहम सवाल मुसलमानों को आतंकित करने का है, उनकी इबादतगाहों पर दंगाईयों के हमले और घरों पर चले बुल्डोजर का है। इस तरह की कार्रावाई प्रधानमंत्री के उस दावे की पोल खोल रही है जिसमें उन्होंने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का दावा किया था। लेकिन देखने में यह आया है कि 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा शासित राज्यों की सरकारों का नज़रिया पूरी तरह बदल चुका है। अब शिवराज सिंह चौहान ‘मामा’ से ‘योगी’ बनने की ओर अग्रसर हैं।

मंदसौर, उज्जैन में जिस तरह मध्यप्रदेश पुलिस ने कार्रावाई की है वह साफ इशारा कर रही है, भाजपा शासित राज्यों का सरकारी तंत्र मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिका स्वीकार कर चुका है। कैसी विडंबना है कि पुलिस की मौजूदगी में भगवाधारी दंगाई मस्जिद पर भगवा लगा रहे हैं, और तोड़ फोड़ कर रहे हैं। लेकिन पुलिस मूक दर्शक बनी खड़ी है। जब कार्रावाई की बात आई तो गिरफ्तारियां भी पीड़ित समुदाय के लोगों की हुईं, उन्हीं के निर्माण को अवैध बताकर तोड़ दिया गया, रासुका लगाकर जेल में डाल दिया गया। गिरफ्तारियों का सिलसिला अभी थमा नहीं है। इतना तो तय है कि दिल्ली की तरह मध्यप्रदेश में भी एक ही समुदाय को निशाना बनाया जाएगा। ऐसा कब और कहां होता है? ऐसा सिर्फ वहीं होता है जहां एक वर्ग विशेष सुपरमैसी से ग्रस्त हो जाए और दूसरे समुदाय को अपना गुलाम समझना शुरु कर दे। संघ परिवार और ह्वाटसप यूनिवर्सिटी ने एक बहुत वर्ग के (जिसमें पुलिस प्रशासन भी शामिल है) मस्तिष्क में बैठा दिया है कि यह देश हिंदुओं का है, और यहां हिंदू ही राज करेगा। यहां पर रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमान, हिंदुओं के रहमो करम पर हैं, वे हिंदुओं के टैक्स के पैसे पर पलते हैं, वग़ैरा वग़ैरा....। इसीलिये राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिये नफरत की सियासत करने वाली भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक के साथ साथ पुलिस प्रशासन में भी ऐसी मानसिकता का तेजी से उदय हुआ है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है। इस मानसिकता के पतन इतना आसान नही है इसमें कमसे कम 20 साल का समय लगना है। या आप यूं समझ लीजिये कि अगले 20 वर्षों भारतीय मुसलमान पर भारी हैं।

फिलहाल के लिये मुसलमानों के पास खुद को दंगाईयों से बचाने के दो उपाय हैं। पहला यह कि वे जहां जिन बस्तियों में इक्का दुक्का रह रहे हैं वहां से पलायन करें और ‘अपनों’ के बीच जा बसें। दूसरा यह कि वे उस बस्ती के लोगों के साथ डायलॉग करें और उनसे इस बात की ज़मानत लें कि कल अगर ‘बाहर’ के दंगाई हमारे घरों पर हमला करते हैं, हमारी इबादतगाहों पर हमला करते हैं तब आपको हमारी ढ़ाल बनना होगा। बाकी पुलिस प्रशासन, सरकार से न्याय और निष्पक्षता की उम्मीद न करें, और न इस भरोसे रहें कि पुलिस सुरक्षा करेगी, क्योंकि पुलिस सरकार की नीति की अनुयायी होती है।
*Wasim Akram Tyagi✍✍*

Gujarat chunav BTP MIM DAGHBANDHAN

Sarve

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Tuesday, 29 December 2020

किसान आंदोलन 2020

         किसान आंदोलन 2020
           एक साथ एक बात
              29 Dec 2020 

   कृषि बिल से संबंधित तीन कानून को लेकर पिछले 25 से ज्यादा दिनों  से दिल्ली धरनें पर किसान बैठे हे,जिसमे कइ बडे बुजुर्ग बडी उमर के बडी तादाद मे सामील हे, आप जानते हे ये  तानाशाही वाली पूंजीपतियों की सरकार किस तरहा एक के बाद एक काले कानुन और भारत देशके संविधान विरोधी कानुन बनाकर संविधान खतम कर रही हे,साथमे इस देशकी जनताको फिरसे गुलामी मे ढकेलना चाहती हे,जिस बात को इस देश के हर समुदाय के बुद्धिजीवी,लोग अच्छे से समझकर विरोध पर विरोध कर रहे.

    आप जानते ये इस वक्त सर्दियों का मौसम चल रहा हे, एसे मे  इतने दिनो तक आंदोलन खुल्ले मेदान मे और बिना कोइ सहूलियात के बुजुर्गों का आंदोलन करना जिसमे हजारों की संख्या हे, हम और आप आराम से अपने घरों मे बैठे हे, लेकीन इस देशकी जनता मे  90% जनता जानती नही के ये लडाई किसान की नही बलके हर गरीब मध्यमवर्गीय परिवार के लिये हे, जिसको समझाना हमारा नैतिक फर्ज बनता हे,हम कमसे कम ये सोचे दिल्ली और देश के अलग अलग जगाह आंदोलन कर रहे किसान अपने  परिवार को छोड़कर इतनी ठंड मे सड़कों पर बैठा हे, क्या हम हमारे परिवार के साथ रहेते हुये इस आंदोलन को समर्थन नही दे सकते हे❓ भारत देशके तमाम समुदाय के मानवतावादी और बुद्धिजीवियों के साथ चिंतित वडिलों युवाओं से अपील करता हु. *उठो जागो*

   हम अपने परिवार के साथ किसान आंदोलन को समर्थन किस तरहा करे❓ और कैसे करे❓ इसको आसान करने के लिये हम आपके सामने ये प्रोग्राम लेकर आये हे, जिसको आप लोग जरुर समर्थन करे, हम किसान आंदोलन को और मजबूत बनाने और तानाशाही सरकार को इस बिलको वापस लेने मे मजबूर कर सकते हे, अगर हम समय के साथ एक साथ एक आवाज बनकर काम करे.

सबसे पेहले हम इसमें  तीन प्रकार के कार्यों को समझे A.B.C.

A. इसमें  रोजाना रात के 09 से लेकर 11 बजे तक सोशल मिडिया के हर प्लेटफॉर्म पर किसान आंदोलन से जुडी खबरें लोगों तक खुब खुब शेर करे, और इस कार्यो को अपने साथी मित्रों के साथ मिलकर और मजबूत बेहतर बनाकर  फेसबुक, वोटसएप जेसे प्लेटफॉर्म पे बडी ताकत से आपके आसपास और देश दुनिया तक किसान आंदोलन के मेसेज खुब वायरल करे.और देशकी जनता का  आंदोलन की तरफ ध्यान केंद्रित करवाने मे अपना समय,शक्ति,बुद्धि  का सही इस्तेमाल करे।

B . इसमे आप  रोजाना  सुबह के  09 से 10 बजे  तक कम से कम  लोगों तक किसान आंदोलन की बातें  पोहचाने मे मददरुप हो.

C . इसमे हम कम से कम जबभी किसान आंदोलन को लेकर कोइ भी पोस्ट सोशल मिडिया मे देखें उसको आगे शेर करे. खासकर फेसबुक पर इसका ज्यादा से ज्यादा  अमल करना हे.

 *किसान आंदोलन को लेकर सोशल मिडिया मे अगर कम से कम हम  एक पोस्ट शेर नही कर सकते हम किसान के दुशमन हे.* 

अगर हम चाहते हे के हमारे किसान आंदोलन की जीत हो तो हमे अपने घर परिवार दोस्तों के साथ रेहकर इतना तो करना जरुरी हे बाकी हम लोग सुबह-शाम जो अनाज खाते हे उसका हक अदा नही कर सकते हे.  और इस बात पर ध्यान रखना हे ये लडाई सिर्फ और सिर्फ किसान की नही पुरी मानवजाति की लडाई हे.

अगर इस मरतबा ये आंदोलन इस तानाशाही सरकार को झुका नही सकी तो समझ लेना इसके बाद आपके मोहल्ले,गांव शहेर की रोड- गटर, पानी, बिजली , जैसी अनेकों समस्याओं के आंदोलन का प्रभुत्व (ताकत) खतम हो जायेगी। 

हमे ये याद रखना हे हमारे बाप दादा ने अंग्रेज़ी हुकूमत से इस दिन को देखने के लिये आजादी की जंग नही लडी थी .

उठो जागो जगावो और कम से कम अपने परिवार के साथ रेहकर किसानों को समर्थन करो, अगर इस मेसेज को पढने के बाद आप इसपर अमल नही करते निश्चित रुपसे आप किसान की मजदूरी से उगाए अनाज के खाने के लाइक नही हे. 

एक तरफ अंध भक्त और दलाल मिडिया किसान आंदोलन के विरोध मे काम कर रहे हे क्या हम इन किसानों  को साथ नही दे सकते हे❓

   अगर आप किसान के साथ हे तो इतना जरुर करे.👇
मेसेज पढने के बाद कम से कम 100 व्यक्ति  और 10 ग्रुप मे शेर जरुर करे.

✍️ Huzaifa Patel Guj. Bharuch
          SAF 🤝 TEAM
Social Dedicated Worker.

WhatsApp 9898335767 

Telegram
@safteamgujarat

Sunday, 20 December 2020

तकरीबन 80 साल पेहले मुसलमानों के हालात के बारे लिखी गई बात जरुर परहे.

*"अल्लामा इकबाल"*
*तकरीबन 80 साल*
*पहले लीखी बात.*

  =*==*==*==*=


कल मज़हब पूछकर
जिसने बख्श दी थी
जान मेरी,

*आज फिरका पूछकर*
*उसने ही ले ली जान मेरी*


मत क रो रफादेन पर
इतनी बहस मुसलमानों,

*नमाज़ तो उनकी भी*
*हो जाती है जिनके*
*हाथ नही होते....*


तुम हाथ बाँधने और
हाथ छोड़ने पर बहस
में लगे हो,

*और दुश्मन तुम्हारे*
*हाथ काटने की साजिश*
*में लगे हैै*


ज़िन्दगी के फरेब में हम
ने हजारों सज्दे क़ज़ा
कर डाले....

*हमारे जन्नत के सरदार*
*ने तो तीरों की बरसात*
*में भी नमाज़ क़ज़ा*
*नही की....*


 सजदा-ए-इश्क़ हो
तो "इबादत" मे "मज़ा"
आता है.....

*खाली "सजदों" मे*
*तो दुनिया ही बसा*
*करती है.....*


लौग कहते हैं के बस
"फर्ज़" अदा करना है.....

*एैसा लगता है कोई*
*"क़र्ज़" लिया हो रब से.....*


तेरे "सजदे" कहीं तुझे
"काफ़िर ना कर दें.....

*तू झुकता कहीं और*
*है और "सोचता" कहीं*
*और है.....*


कोई जन्नत का तालिब
है तो कोई ग़म से परेशान है.....

*"ज़रूरत" सज्दा*
*करवाती है "इबादत"*
*कौन करता है.....*


क्या हुआ तेरे माथे पर
है तो "सजदों" के निशान.....

*कोई ऐसा सजदा भी*
*कर जो छोड़ जाए*
*ज़मीन पर निशान.....*


फिर आज हक़ के लिए
जान फ़िदा करे कोई.....

*"वफा" भी झूम उठे*
*यूँ वफ़ा करे कोई..*


नमाज़ 1400 सालों से
इंतेज़ार में है.....

*कि मुझे "सहाबाओ"*
*की तरह अदा करे कोई...*


एक ख़ुदा ही है जो सजदों
में मान जाता है.....

*वरना ये इंसान तो*
*जान लेकर भी*
*राज़ी नही होते.....*


देदी अज़ान मस्जिदो में
"हय्या अलस्सलाह".....

*ओर लिख दिया बाहर*
*बोर्ड पर अंदर ना आए*
*फलां और फलां.....*


ख़ोफ होता है शौतान
को भी आज के
मुसलमान को देखकर,

*नमाज़ भी पढ़ता है*
*तो मस्जिद का*
*नाम देखकर.*


मुसलमानों के हर
फिरके ने एक दूसरे
को काफ़िर कहा,

*एक काफ़िर ही है*
*जो उसने हम सबको*
*मुसलमान कहा.*                    *बहस करना बेकार है दोस्तोअपने आमाल अपने साथ*                                         *अल्लाह हम सबको सहि समज नसिब फरमाय*              *आमिन*

Wednesday, 2 December 2020

कृषिकानून किसान आंदोलन दिल्ली मे क्यु हुवा ?

Nov. 2020 किसान आंदोलन 
🇮🇳 
कृषि कानून में सरकार का एक एजेंडा बहुत साफ है कि 
● सैकड़ों एकड़ के खेत इकट्ठे कर के उन्हें कॉरपोरेट में बदल कर खेती की जाय। 
● खेतो के स्वामित्व अभी जिनके पास हैं, उन्हें कुछ पैसे देकर खेतो को लीज पर ले लिया जाय। 
● क्या बोया जाय, और क्या न बोया जाय, यह कॉरपोरेट का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर तय करेगा। 
● फसल वही बोई जाएगी जो कॉर्पोरेट को मुनाफा देगी। 
● सरकार से कॉरपोरेट को राहत के नाम पर इसमे नुकसान दिखा कर सब्सिडी और अन्य राहत प्राप्त किया जाय। 
● औद्योगिक लॉबी की तरह एक एग्रो इंड्रस्ट्री लॉबी बना कर एक मजबूत दबाव ग्रुप तैयार किया जाय। 
● राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा देकर उपकृत किया जाय ताकि वे अपने ख्वाबगाह में से बस पांच साल बाद ही निकले। 
● शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, रेल, सड़क, हवाई यातायात, सब के सब, जितना हो सके निजी क्षेत्रों को बेच दिया जाय। इससे सरकार की जिम्मेदारी ही कम हो जाएगी। 
● शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये बीमा और लोन की प्रथा नशे की तरह फैला दी जाय। ताकि इस पर जब कोई महंगी शिक्षा और स्वास्थ्य पर सवाल उठाये तो सरकार हांथ झाड़ कर अलग हो जाय। 
● जब कोई इन जनहित के मुद्दों पर आंदोलन खड़ा हो तो, उन्हें देशद्रोही अलगाववादी गुंडे मवाली पाकिस्तानी बता  कर हतोत्साहित किया जाय। 
● जब सीमा में घुसपैठ हो जाय और हमारे सैनिक शहीद हो जांय तो यह कह कर पल्ला झाड़ लिया जाय कि, न तो कोई घुसा था और न कोई घुसा है। 
● जमाखोरी को कानूनन मान्यता दे दी जाय। 
● किसान उसी कॉरपोरेट खेतो में खेत मज़दूर बन जांय। 
● जो बचें वे उद्योगों में मजदूरी करे। 8 घन्टे के बजाय 12 घँटे काम करें। 
● न्यूनतम वेतन भी इतना न हो कि बेहतरी के लिये सोच सके और इतना कम भी न हो कि वे मजदूरी लायक भी न बचे। यह शोषण का सामंती तरीका है।

इन शब्दों  का आधार है कि, देश को जाति धर्म में बांटकर देश जनता के असल मुद्दों को गायब कर दिया
● 2016 में देश के कुछ पूंजीपतियों और राजनीतिक एकाधिकार स्थापित करने के लिये, कालाधन, आतंकवाद नियंत्रण और नकली मुद्रा को खत्म करने के लिये नोटबन्दी की गयी। पर न तो कालाधन मिला, न आतंकवाद पर नियंत्रण हुआ और न नक़ली मुद्रा का जखीरा पकड़ा गया। 
● इसके विपरीत, अनौपचारिक क्षेत्र और उद्योग तबाह हो गए। 2016 - 17 से लेकर 2020 तक जीडीपी गिरती रही। अब तो कोरोना ही आ गया है। 
● नोटबंदी करके सब कुछ तहस-नहस कर दिया सारा आरोप कोराना पर लगा कर अपनी तिजोरी भरली आरक्षण लगभग समाप्ति की तरफ है रिटायर फौजियों की पेंशन आधी कर दी किसानों को खूब लॉलीपॉप बांटे गए मजदूर से बदतर हालत कर भिकारी बनाने की कगार पर पहुंचा दिया सेना के जवानों की शहादत किसानों की आत्महत्या लगातार बढ़ रही है
● जीएसटी की जटिल प्रक्रिया से व्यापार तबाह हो गया। पर उसकी प्रक्रियागत जटिलता को दूर करने का कोई प्रयास नही किया गया। 
● एक भी बड़ा शिक्षा संस्थान जिंसमे प्रतिभावान पर विपन्न तबके के बच्चे पढ़ सकें नहीं बना। 
● निजी अस्पताल, कोरोना में अनाप शनाप फीस वसूलते रहे। सरकार ने उन पर केवल कोरोना से पीड़ित लोगों के लिये फीस की दरें क्यों नही कम करने के लिये महामारी एक्ट में कोई प्राविधान बनाया ? लोगो ने लाखों रुपए फीस के देकर या तो इलाज कराये हैं या उनके परिजन अस्पताल में ही मर गए हैं। 

🌑यह कानून देश की खेती को ही नही दुनिया की सबसे बेमिसाल, कृषि और ग्रामीण संस्कृति के लिये एक बहुत बड़ा आघात होगा। यह गहराई से समझने वाले बुद्धिजीवियों की  राय है  लेकिन  चापलूस बुद्धिजीवी  चापलूस  मीडिया केंद्र सरकार के हर काम को ऐतिहासिक बताती है सभी देशवासियों को सरकार की इन हवाई जनकल्याणकारी योजनाओं पर या यू कहे हैं अपनी मनमाफिक जनता के विश्वास में ठोकर मार कर लागू कर देना संविधान का अपमान देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर करना झूठ गुमराह नफरत को मजबूती के साथ उठाकर सच्चाई को दबा देना खुद को बुद्धिमान बता कर बुद्धिजीवियों को बेवकूफ समझना जागरूकता को सूखे पेड़ से बांध देना  हमारे पूर्वजों का जिन्होंने देश आजादी के लिए अपनी कुर्बानी देकर दुनिया से चले गए हमें  सभी का  अधिकार सम्मान  संविधान देकर देश की बागडोर देशवासियों को सौंप दी और हमेशा के लिए  अमर हो गए  लेकिन निजी स्वार्थ अंग्रेजी शासन की  कहानियों को ताजा कर रही है

🌑 सभी देशवासी करें विचार
किसान व मजदूर विचारा बीजेपी सरकार में फिरता मारा मारा ढूंढे किनारा मिले ना सहारा सबका साथ सबका विकास भूल भुलैया की वादियों में गुम हो गए अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल गए भाई भाई एक दूसरे के दुश्मन बन गए कृषि बिल विरोध किसान आंदोलन क्या रंग लाएगा अंदाजा लगाना मुश्किल

🌑  जय जवान जय किसान  हम सबका भारत देश महान  एकता जिंदाबाद सबका सम्मान जिंदाबाद

 तानाशाही मुर्दाबाद हम भारतवासियों को जाति धर्म में बांटने वाली नीति मुर्दाबाद

 भाकियू (बलराज)  प्रदेश अध्यक्ष  (चौधरी शौकत अली चेची)

मुस्लिम समाज का वर्तमान और आने वाला भविष्य कैसा हे.

सत्य_की_कोई_सीमा_नही_होती_वोतो_असीमित_होता_है_इसलिए_सत्य_से_कभी_मुह_नही_मोडना_चाहिए...!!
                      ०१.१२.२०२०

असत्य पर सत्य का विजय देर से ही सही पर निश्चित होता है सत्य त्याग बलिदान समर्पण को समर्पित होता है फिर उसके सामने जुठका अंधेरा चाहे कितनाही गहरा क्यु नहो उसे मिटानेके लिए सत्य की एक किरण काफी होती है ! जीवन में शब्दों का इस्तेमाल भी सोच समझकर करना चाहिए क्योंकि हमारी वाणी ही हमारी परवरिश का प्रमाण पत्र होती है आज आधुनिक युग में शब्द कितनी भी "समझदारी" से इस्तेमाल किजिए फिर भी सुनने वाला "अपनी योग्यता" और "मन के विचारों" के अनुसार ही उसका "मतलब" समझता और निकालता है !

याद रहे जरूरी भी नहीं की आपकी सत्य बातें सब समझ सके पर सत्य परोसना कभी बंध नही होना चाहिए उसमे कठिनाइयों काभी सैलाब उमड सकता है पर सत्य की नजरसे देखोगे तो पता चलेगा वो सैलाब नही सिर्फ धुंआ है जिंदगी का कुछ न कुछ मकसद तो होना चाहिए वर्ना जीवन तो जानवर भी बसर कर रहे है क्या ? सिर्फ खाना पीना काम करना घरपर लौटना मनोरंजन करना बच्चे पैदा कर उनकी परवरिश करना यहां तक ही जीवन सीमित है क्या इसके अलावा कोई कार्य नहीं हो सकता है.!

यहां सवाल यह भी हो सकता है की लोग ईबादत भी करते है नमाजे भी पढते है  भारत के मुसलमानों की पांच वक्त की नमाज में तादात २% ताजा सर्वे के मुताबिक है हालांकि नमाज मुसलमान पर फर्ज है जुमा में १०% अब हम बडी शान से यह कहते है की भारत में २५ करोड मुसलमान रहते है !

पर कहा पर है वो ज्यादातर तबका ? जो मोबाईल के साथ चाय की किटली एवम पान के थडो पर चौक चौराहे मोहल्ले की नुक्कड वाली गली पर समय बर्बाद करते हुए पुलिश एवम सियासीदानो की मुखबिरी करने में मस्त नजर आता हो वो समुदाय क्या तरक्की के ख्वाब देख सकता है !

हम जानते है की भारतीय मुस्लिम समुदाय की माली हालत भी इतनी मजबूत नही की वो हरवक्त इबादत में गुजार शके पर मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवी वर्ग एवम शिक्षित युवावर्ग को  आगे चलकर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे जिससे समुदाय को मुख्य धारा में लाया जा शके वर्ना आने वाले समयमे गरीब पिछडे सेभी पिछडे समुदाय में मुस्लिम समुदाय की गिनती होना तय है !

क्योकि वर्तमान स्थिति यह साबित कर रही है की अब गुलामी वाली सोच मुस्लिम समुदाय पर हावी होती जा रही नजर आ रही है ज्यादातर मामलों में हर जगह पर फिजूल खर्ची अगर कोई समुदाय कर रहा है तो वो मुस्लिम सवाल होगा कैसे तो कुछ उदाहरणों से आप को आगाह करना चाहता हूं जो वर्तमान स्थिति पैदा करने के लिए खास तौर पर जिम्मेदार है !

 (१) पिछले दिनों लोक डाउन की वजह से समूहसादी सिर्फ परिवार के ग्यारह व्यक्तियों को आमंत्रित कर सादगी से कर दी गई अब उसमें कुछ परिवारों ने आर्थिक परिस्थितियों को नजर अंदाज करते हुए दावत का इन्तेजाम किया जिसमें चिकन बिरयानी बनाई गई वोभी ईधर उधर का कर्ज लेने के बाद ३० से ३५ देग फिरभी आधे से ज्यादा महेमान भूखे लौटने को मजबूर अब उस घर में एक बच्चा पढाई करने में ज्यादा दिलचस्पी रखता हो और परिवार यह सवाल करे की हमारे बच्चे के पास स्मार्टफोन न होने की वजह से उसकी ऑन लाईन पढाई नहीं हो पा रही है अब बताए इसका जवाब क्या हो सकता है !

(२) पिछले साल एक जनाब का एक्सीडेंट हुआ माली हालत खराब होने की वजह से कुछ संस्थाओ के माध्यम से ३५ हजार अस्पताल का बिल जमाकर छुट्टी दिलाई गई बाद में घरपर कुछ दिनों के लिए राशन एवम प्राथमिक खर्च के लिए भी हमारे एक साथी ने मदद की उसके बाद दुशरे साल उस भाई ने अपने घर पर मंडप डेकोरेशन के साथ  खान पान करते हुए डी.जे के ताल पर खुद का जन्मदिन सेलिब्रेट किया अब बताए इनका क्या किया जाए !

(३)रमजान के मुबारक महीने के खैरात जकात सदके के पैसो से कुछ लोगों को गोद भराई की रश्मों में पुरीरात डी. जे के ताल पर नाचते हुए भी हमने देखा है क्या ऐसा समाज तरक्की के ख्वाब देख सकता है ! 

उपरोक्त तीनो तथ्य मुस्लिम समुदाय की वास्तविक तस्वीर बया कर रहे है यह सच्चाई हमे स्वीकार कर मुस्लिम समुदाय को वैचारिक रूप से मजबूत करने के लिए सबसे पहले ध्यान केंद्रित करना होगा यहीं वर्तमान समय की मांग है !

                        शकील संधी...!!
                      

Tuesday, 1 December 2020

अन्ना_हजारे_आंदोलन_से_केजरीवाल_की_आम_आदमी_पार्टी र्डाक्यूमेन्ट्री .

.
आज मे समाज के उन लोगों कव  लिये पोस्ट लेकर आया हु, जो देश और जनता की भलाई के लिये भष्टचार और विकाश के मुद्दों पर की जा रही पोलिटिक्स (राजनीति) मे बदलाव देखने की उम्मीद रखते हे.

निचे मे एक लिंक लेकर आया हु, जो एक डॉक्यूमेंट्री हे दिल्ली का जन लोकपाल बील आंदोलन से लेकर केजरीवाल के आम आदमी पार्टी मे कीस तरहा देशकी जनता के परहे लिखे अपने करीबी साथियों  ने धोका खाया हे, ये डॉक्यूमेंट्री 05:19:24 मिनट का हे जरुर अपना समय निकाल कर देखें, ये र्डाक्यूमेन्ट्री खास पोलिटिकल कार्यो से देशकी जनता को और खास करके परहे लिखे लोगों को कैसे बेवकूफ बनाते हे देखे.

नोध -  आज देशका वो तबका जो जवान हे और पोलिटिकल कार्यो से देश और जनता ली भलाई चाहते हे, इनके लिये ये र्डाक्यूमेन्ट्री सोचने और समझने मे बहोत उपयोगी हो सकती हे, साथमे वो तबका जो अवाम हे जो कुच बाते देखकर और सुनकर  किसीभी मायाजाल को समझें बगेर उसके पिछे लग जाते हे, उनके लिये ये र्डाक्यूमेन्ट्री बहोत बहोत बहोत जानकारी दे सकती हे.

इस र्डाक्यूमेन्ट्री को देखने के लिये निचे दोये लिंक पर जाकर डाउनलोड करे.👇👇👇
खास अपील आपके आसपास राजनितिक कार्य करने वालों तक ये पोस्ट शेर जरुर करे.

हमारा पकसद इस पोस्ट के साथ खास येहे के हम चाहते हे हम समाझ के मिडल वर्ग के युवा और चिंतित वडीलो को सामाजिक शक्तिखी तरफ लाना चाहते हे, और देशकी गंदी बिकाव  और झूठी मक्कार राजनीति से अपने आपको और पुरे देशको बचाने मे अपना योगदान देने के लिये तैयार करे.

✍️
Huzaifa Patel Guj. Bharuch
          SAF 🤝 TEAM
Social Dedicated Worker.

Sunday, 29 November 2020

Amod Darul Ulum

#ગ્રાઉન્ડ_રિપોર્ટ 

આજ રોજ તારીખ ૧૯ માર્ચ ના ગુરૂવારના રોજ આમોદ બચ્ચોં કા ઘર ની મુલાકાત માટે હમારી ટીમ તરફથી હુ પોતે અને મોલાના ઈમરાન  ગયા હતા, પાછલા દિવસોમાં બનેલ ઘટના ની સત્ય હકીકત શું  છે ? આ ઘટના મિડીયા માં  આવેલ ત્યારબાદ લગાતાર આ વિષયમાં માહિતી મેળવવા માટે અલગ અલગ વ્યક્તિ અને બચ્ચોં કા આમોદ ના મોહતમીમ નો સંપર્ક કરીને જાણકારી મેળવતા રહિયા હતા.

આ ઘટના જેમ મિડીયા મા છાપવામાં આવી ત્યારબાદ ગણા આપણા મિત્રો અને સમાજના જાગૃત લોકો આ ઘટનાના વિષયમાં સત્ય હકીકત માટે વારંવાર પ્રિન્ટ મિડીયા ના છાપામાં  આવેલ નુયુજ અને ઈલેક્ટ્રોનિક મિડીયા ના નુયુજ વિડીયો શેર કરીને સત્ય હકીકત માટે કોલ કરીને જાણવા માંગતા હતા, આ ઘટનાના વિષયમાં હમારી પાસે જેતે સમય વધુ કોઈ પણ માહિતી ના હોવાથી કોઈ પણ જાણકારી આપી શકતા "ના" હતા.

આજ રોજ હમો ખાસ હેતુથી બચ્ચોં કા ઘર આમોદ ની મુલાકાત લીધેલ હતી,જેમા હમારો પેહલો હેતુ આ ઘટના બાબત વધુમાં  વધુ  જાણકારી મેળવી સમાજના લોકો સુધી તેની સત્ય હકીકત મુકવી,તે માટે હમો બચ્ચોં કા ઘર આમોદ ના મોહતમીમ સાહાબની મુલાકાત કરીને જેમની સાથે પેહલા પણ આજ વિષયમાં ટેલિફોનીક વાતચીત કરેલ હતી,પણ રૂબરૂ મા જઈને આ ઘટના બાબતના મજબુત પુરાવા મેળવી તેની હકીકત સુધી પોહચવું.

આ મુલાકાત ના લઈને જેટલી ગંભીરતા હમો જોવા માંગતા હતા  બચ્ચોં કા ઘર આમોદ ના મોહતમીમ અથવા સંચાલકો માં  તે કોઈ ખાસ જોવા મળેલ નથી જેનુ મને ગણું  દુખ છે, હમો આ ઘટનાને લઈને મહત્વની જાણકારીના ડોક્યુમેન્ટ કોપી મેળવી તેની નાની નાની માહિતી સુધી પોહચવું પેહલો ઉદ્દેશ્ય હતો,જેમા  એફ આઈ આર કરેલ ની કોપી, પોલિસ પ્રશાસન તરફથી બચ્ચોં કા ઘર આમોદ મા પડતી બાળકીઓ ના સ્ટેટમેન્ટ ની કોપી,મેડિકલ રિપોર્ટ અને કાનુની કાર્યવાહી કરેલ હોય તો તેની એક કોપી જેના માધ્યમથી વધુ સારી રીતે ઘટનાનો અભ્યાસ કરીને માહિતી મેળવી આગળ નું કાર્ય કરવામાં  આવે.

પણ દુખ સાથે કેહવુ પડે છે આવી ઘટનાઓ કોઈને કોઈ ષડયંત્ર નો ભાગ જરૂર હોઈ છે, આવી પરિસ્થિતિ માં  સંસ્થાના સંચાલક મા કોઈ ખાસ સહયોગ ના મળવો અને જેતે વિષયમાં તેના કોઈ પણ કાનુની કાર્યવાહી ના ડોક્યુમેન્ટ "ના"હોવા ગણું ગંભીર માની શકાય એમ છે,આવા વિષયમાં આજે નબળા થી નબળા માણસ આવી ઘટનાથી એક આલીમ ના લઈને ચિંતિત હોય અને સાહાનુભૂતિ રાખતા હોય તેવા સમયે ખાસ ભરૂચ જિલ્લાના ઉલ્માએ કિરામ આ બાબત મા શાંત બેસીને તમામ પરિસ્થિતિ જાણે કઈ થયું  નથી અને આવા સમયે કોરોના વાયરસ માટે મીટીંગ બોલાવીને શું સાબિત કરવા માંગે છે, તે મને પોતે સમજમાં આવતું  નથી,વધુમાં બચ્ચોં કા ઘરના મોહતમિમ તરફથી તેમના વકીલ પાસે તમામ માહિતી છે તેમ જાણવી હમો સમાજની નાના મોટા વિષયમાં ચર્ચા કરી ત્યાંથી રજા લઈને બહાર નિકળ્યા હતા.

આ વિષયમાં હમો હજુ તપાસ કરી રહેલ છે,જ્યાં સુધી મજબુત પુરાવા અને જાણકારી નથી મળતી જેતે વિષયમાં હમો આપને ૧૦૦% કોઈ જાણકારી નથી આપી સકતા,હા આ વિષય ઉપર હમો હમેશા ધ્યાન રાખીને જાણકારી જરૂર શેર કરીશું, હમો બસ એટલું જરૂર કહી શકીએ છીએ #આ_ષડયંત્ર_છે,જેમા અંગત કારણો ના લઈને  મિડીયા માં  વધુ ઉછેરવામાં આવેલ છે,જેમા આપણા દેશની મિડીયા ની ભુમિકા આપણે સૌ જાણીએ છિએ, આ ઘટના  મિડીયા મા જે વાત દર્શાવવામાં આવેલ છે,તેની પુસ્તી હજુ બાકી છે,જેમ જાણકારી મળશે તેમ આપને જાણ કરવામાં  આવશે.ઈન્શાઅલ્લાહ

આ કાર્ય SAFTEAM ના  છઠ્ઠા નંબર ના ઉદ્દેશ્ય પુરા કરવા માટે કરવામાં  આવેલ.

બાકી અલ્લાહ વધુ જાણકારી રાખનાર છે.

Huzaifa Patel, Bharuch GUJ.
       (Dadicated Worker)
SAF🤝TEAM📱9898335767

MIM और BJP की हिन्दू मुस्लिम राजनिती का षड्यंत्र समझें .


ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल काॅर्पोरेशन (GHMC) के चुनाव में भाजपा ने अपने स्टार नेता प्रचार में उतारे हुए हैं। दिलचस्प यह है कि जीएचएमसी में BJP ने पिछली बार सिर्फ चार सीट ही जीती थीं, जबकि TRS ने 99 और AIMIM ने 44 सीट जीतीं थीं। लेकिन इस बार भाजपा एंव मीडिया का गठजोड़ इस चुनाव को AIMIM बनाम भाजपा बना रहा है, जानते हो क्यो? यहां से अब मीडिया और भाजपा की सियासत को समझिए। भाजपा चाहती है कि इस देश में सिर्फ दो पार्टी रहें एक हिंदू पार्टी दूसरी मुस्लिम पार्टी, इसके अलावा कोई पार्टी न रहे। हिंदू पार्टी के तौर पर भाजपा ने खुद को स्थापित किया है, जबकि मीडिया द्वारा मुस्लिम पार्टी के तौर पर AIMIM को स्थापित करने की सियासत जारी है। इसीलिए सरकार के हर छोटे बड़े फैसले पर ओवैसी की राय ली जाती है। ओवैसी जिस राज्य से आते हैं उस राज्य में कई और दल ओवैसी से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं. ओवैसी की पार्टी के मात्र दो सांसद हैं जबकि उसी राज्य में TRS के पास 9 सांसद हैं लेकिन सरकार के फैसले, सरकार की नीतियों पर प्रतिक्रिया लेने के लिए मीडिया का माईक ओवैसी के मुंह के सामने ही जाता है, तमाम विपक्ष को दरकिनार करते हुए 'मुख्य विपक्ष' के तौर पर ओवैसी को दिखाया जाता है। ओवैसी मतलब मुसलमान, और मुसलमान मतलब भाजपा और मोदी विरोधी। यानी सारी कोशिश यह है कि सरकार के फैसले से सभी वर्ग खुश हैं सिवाय एक समुदाय विशेष के, दूसरी ओर मुसलमानों को भी यह संदेश दिया जाता है कि अगर इस देश में तुम्हारा कोई खेवनहार है तो वह सिर्फ ओवैसी ही है।

अब GHMC जैसे चुनाव मे भी योगी आदित्यनाथ तथा अमित शाह जैसे स्टार नेता को प्रचार में उतारा गया है। भाजपा के पास यहां खोने के लिए कुछ नही है, लेकिन बताने को बहुत कुछ है। जैसे योगी ने कल अपनी सभा में कहा कि "जब फैजाबाद अयोध्या बन सकता है तो हैदराबाद भाग्यनगर क्यों नहीं बन सकता"।  इस बयान पर ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा "कि जो शख्स हैदराबाद का नाम बदलना चाहता है उनकी नस्लें तबाह हो जाएंगी"। ज़ाहिर है पिछले चुनाव में चार सीट जीतने वाली भाजपा इस 40 पर तो नहीं पहुंच सकती, लेकिन अगर वह दहाई का आंकड़ा पार करती तो भाजपा का मीडिया इसे भाजपा की 'जीत' के तौर पर ही बताएगा, वह बताएगा कि ओवैसी के 'गढ़' में भाजपा जीती है, जबकि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित TRS की हार अथवा जीत को शायद ही मीडिया में जगह मिल पाए। क्योंकि इससे भाजपा का मुस्लिम पार्टी बनाम हिंदू पार्टी का ऐजेंडा सफल नहीं होता।

*Wasim Akram Tyagi✍✍*

Monday, 23 November 2020

सना खान और मुफती अनस की निकाह

निकाह तारीख़  20 Nov 2020 
जुम्मा मस्जिद कोसंब्बा  निकाह पढाने वाले मोलाना  अहमद लाथ साहाब हाजरी देने वालो मे   मोलाना कलिम शद्दिक साहाब  

इस सादी को सादग केहना   इस पर हमारी  बात रखना हे.
निकाह के दिन इमेज 
दुसरे दिन इमेज 

मोदी का परिवारवाद विकाश जरुर परहे.

*क्या आप इनमें से किसी को भी जानते हैं ?*

1. सोमाभाई मोदी (75 वर्ष) सेवानिवृत्त स्वास्थ्य अधिकारी, *वर्तमान में गुजरात में भर्ती प्रक्रिया में अध्यक्ष हैं।*
2. अमृतभाई मोदी (72 वर्ष) जो एक निजी कारखाने में कार्यरत थे, *आज वर्तमान में सेवानिवृत्त हैं, अहमदाबाद और गांधीनगर में सबसे बडे़ रियल एस्टेट कारोबारी हैं।*
3. प्रह्लाद मोदी (64 वर्ष) की राशन की दुकान थी और *आज वर्तमान में अहमदाबाद, वडोदरा में हुंडई, मारुति और होंडा फोर व्हीलर शो रूम है।*
4. पंकज मोदी (58 वर्ष) सूचना विभाग में नौकरी, *आज गुजरात में भर्ती प्रक्रिया में सोमा भाई के साथ उपाध्यक्ष है।*
5. भोगीलाल मोदी (67 वर्ष) जो किराने की दुकान के मालिक हैं  *आज वर्तमान में अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा में रिलायंस मॉल है।*
6. अरविंद मोदी (64 वर्ष) स्क्रैप का व्यवसाय था, *आज वर्तमान में प्रमुख निर्माण कंपनियों को स्टील की आपूर्ति और रीयल एस्टेट के नामी गिरामी ठेकेदार हैं।*
7.भरत मोदी (55 वर्ष) एक पेट्रोल पंप पर काम कर रहे थे। *आज वर्तमान में अहमदाबाद, गांधीनगर में अगियारस पेट्रोल पंप के मालिक हैं।*
 8. अशोक मोदी (51 वर्ष) के पास पतंग और किराने की दुकान थी। *आज वर्तमान में वह रिलायंस में भोगीलाल मोदी के साथ साझेदारी कर रहे हैं।*
9. चन्द्रकांत मोदी (48 वर्ष) गौशाला में काम कर रहे थे। *आज वर्तमान में अहमदाबाद, गांधीनगर में नौ बड़े और शानदार डेयरी उत्पादन केन्द्र है।*
10. रमेश मोदी (६४ वर्ष) जो एक शिक्षक के रूप में काम कर रहा था *आज वर्तमान में वह पांच स्कूलों और तीन इंजीनियरिंग, आयुर्वेद, होम्योपैथी, फिजियोथेरेपी कॉलेज और एक मेडिकल कॉलेज का मालिक है।*
11). भार्गव मोदी (44 वर्ष) जो ट्यूशन क्लास में काम कर रहे थे। *आज वर्तमान में कॉलेजों में रमेश मोदी के साथ भागीदारी हैं।*
12. बिपिन मोदी (42 वर्ष) अहमदाबाद लाइब्रेरी में काम करते थे *आज वर्तमान में केजी से मानक बारह तक पुस्तक प्रकाशकों के साथ एक साझेदारी है।*

*नंबर 1 से 4 ऊपर, प्रधानमंत्री मोदी के सगे भाई हैं।*
 *No. 5 से 9, मोदी के चचेरे भाई नरसिंहदास मोदी के बेटे हैं। वह प्रधानमंत्री का चचेरा भाई है।*
*नंबर 10 जगजीवनदास मोदी के बेटे रमेश, नंबर 11 भार्गव कांतिलाल के चाचा के बेटे, आखिरी बिपिन, प्रधान मंत्री के सबसे छोटे चाचा जयंतीलाल मोदी के बेटे हैं।*

जी हाँ, ये है हमारे प्रधानमंत्री जी का परिवारवाद-विस्तार। बस फर्क ये है कि राजनीति में नहीं है परंतु सारे के सारे इतने काबिल तो नहीं हो सकते की सब अरबपति हो इनसभी को नरेंद्र मोदी ने लाभ तो अवश्य दिया है हां इन सबपर मीडिया बात नहीं करेगी ना। साहेब की फकीरी वाली छवि धूमिल जो होगी..
परंतु कोई बात नहीं, हम अपने शोधकर्ताओं के माध्यम से मोदी के परिवारवाद का बहीखाता निकाल लाये हैं..
और बाकीयों का भी जल्द से जल्द लाएंगे।😎🧐🤣🤣👍

Tuesday, 13 October 2020

sahi bukhari 3062

ہم سے ابوالیمان نے بیان کیا ‘ کہا ہم کو شعیب نے خبر دی، انہیں زہری نے (دوسری سند) مجھ سے محمود بن غیلان نے بیان کیا، کہا ہم سے عبدالرزاق نے بیان کیا ‘ انہیں معمر نے خبر دی ‘ انہیں زہری نے ‘ انہیں ابن مسیب نے اور ان سے ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے بیان کیا کہ   ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ ایک غزوہ میں موجود تھے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک شخص کے متعلق جو اپنے کو مسلمان کہتا تھا ‘ فرمایا کہ یہ شخص دوزخ والوں میں سے ہے۔ جب جنگ شروع ہوئی تو وہ شخص ( مسلمانوں کی طرف ) بڑی بہادری کے ساتھ لڑا اور وہ زخمی بھی ہو گیا۔ صحابہ نے عرض کیا ‘ یا رسول اللہ! جس کے متعلق آپ نے فرمایا تھا کہ وہ دوزخ میں جائے گا۔ آج تو وہ بڑی بے جگری کے ساتھ لڑا ہے اور ( زخمی ہو کر ) مر بھی گیا ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اب بھی وہی جواب دیا کہ جہنم میں گیا۔ ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے بیان کیا ‘ کہ ممکن تھا کہ بعض لوگوں کے دل میں کچھ شبہ پیدا ہو جاتا۔ لیکن ابھی لوگ اسی غور و فکر میں تھے کہ کسی نے بتایا کہ ابھی وہ مرا نہیں ہے۔ البتہ زخم کاری ہے۔ پھر جب رات آئی تو اس نے زخموں کی تاب نہ لا کر خودکشی کر لی۔ جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو اس کی خبر دی گئی تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ اکبر! میں گواہی دیتا ہوں کہ میں اللہ کا بندہ اور اس کا رسول ہوں۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے بلال رضی اللہ عنہ کو حکم دیا ‘ اور انہوں نے لوگوں میں اعلان کر دیا کہ مسلمان کے سوا جنت میں کوئی اور داخل نہیں ہو گا اور اللہ تعالیٰ کبھی اپنے دین کی امداد کسی فاجر شخص سے بھی کرا لیتا ہے۔

Monday, 12 October 2020

Sahi Bukhari 2311 Ayatul kursi Ki Hadis

اور عثمان بن ہیثم ابوعمرو نے بیان کیا کہ ہم سے عوف نے بیان کیا، ان سے محمد بن سیرین نے، اور ان سے ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے بیان کیا کہ   رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے رمضان کی زکوٰۃ کی حفاظت پر مقرر فرمایا۔ ( رات میں ) ایک شخص اچانک میرے پاس آیا اور غلہ میں سے لپ بھربھر کر اٹھانے لگا میں نے اسے پکڑ لیا اور کہا کہ قسم اللہ کی! میں تجھے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی خدمت میں لے چلوں گا۔ اس پر اس نے کہا کہ اللہ کی قسم! میں بہت محتاج ہوں۔ میرے بال بچے ہیں اور میں سخت ضرورت مند ہوں۔ ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے کہا ( اس کے اظہار معذرت پر ) میں نے اسے چھوڑ دیا۔ صبح ہوئی تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھ سے پوچھا، اے ابوہریرہ! گذشتہ رات تمہارے قیدی نے کیا کیا تھا؟ میں نے کہا یا رسول اللہ! اس نے سخت ضرورت اور بال بچوں کا رونا رویا، اس لیے مجھے اس پر رحم آ گیا۔ اور میں نے اسے چھوڑ دیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ وہ تم سے جھوٹ بول کر گیا ہے۔ اور وہ پھر آئے گا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے اس فرمانے کی وجہ سے مجھ کو یقین تھا کہ وہ پھر ضرور آئے گا۔ اس لیے میں اس کی تاک میں لگا رہا۔ اور جب وہ دوسری رات آ کے پھر غلہ اٹھانے لگا تو میں نے اسے پھر پکڑا اور کہا کہ تجھے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی خدمت میں حاضر کروں گا، لیکن اب بھی اس کی وہی التجا تھی کہ مجھے چھوڑ دے، میں محتاج ہوں۔ بال بچوں کا بوجھ میرے سر پر ہے۔ اب میں کبھی نہ آؤں گا۔ مجھے رحم آ گیا اور میں نے اسے پھر چھوڑ دیا۔ صبح ہوئی تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا اے ابوہریرہ! تمہارے قیدی نے کیا کیا؟ میں نے کہا یا رسول اللہ! اس نے پھر اسی سخت ضرورت اور بال بچوں کا رونا رویا۔ جس پر مجھے رحم آ گیا۔ اس لیے میں نے اسے چھوڑ دیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اس مرتبہ بھی یہی فرمایا کہ وہ تم سے جھوٹ بول کر گیا ہے اور وہ پھر آئے گا۔ تیسری مرتبہ میں پھر اس کے انتظار میں تھا کہ اس نے پھر تیسری رات آ کر غلہ اٹھانا شروع کیا، تو میں نے اسے پکڑ لیا، اور کہا کہ تجھے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی خدمت میں پہنچانا اب ضروری ہو گیا ہے۔ یہ تیسرا موقع ہے۔ ہر مرتبہ تم یقین دلاتے رہے کہ پھر نہیں آؤ گے۔ لیکن تم باز نہیں آئے۔ اس نے کہا کہ اس مرتبہ مجھے چھوڑ دے تو میں تمہیں ایسے چند کلمات سکھا دوں گا جس سے اللہ تعالیٰ تمہیں فائدہ پہنچائے گا۔ میں نے پوچھا وہ کلمات کیا ہیں؟ اس نے کہا، جب تم اپنے بستر پر لیٹنے لگو تو آیت الکرسی «الله لا إله إلا هو الحي القيوم» پوری پڑھ لیا کرو۔ ایک نگراں فرشتہ اللہ تعالیٰ کی طرف سے برابر تمہاری حفاظت کرتا رہے گا۔ اور صبح تک شیطان تمہارے پاس کبھی نہیں آ سکے گا۔ اس مرتبہ بھی پھر میں نے اسے چھوڑ دیا۔ صبح ہوئی تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے دریافت فرمایا، گذشتہ رات تمہارے قیدی نے تم سے کیا معاملہ کیا؟ میں نے عرض کیا یا رسول اللہ! اس نے مجھے چند کلمات سکھائے اور یقین دلایا کہ اللہ تعالیٰ مجھے اس سے فائدہ پہنچائے گا۔ اس لیے میں نے اسے چھوڑ دیا۔ آپ نے دریافت کیا کہ وہ کلمات کیا ہیں؟ میں نے عرض کیا کہ اس نے بتایا تھا کہ جب بستر پر لیٹو تو آیت الکرسی پڑھ لو، شروع «الله لا إله إلا هو الحي القيوم» سے آخر تک۔ اس نے مجھ سے یہ بھی کہا کہ اللہ تعالیٰ کی طرف سے تم پر ( اس کے پڑھنے سے ) ایک نگراں فرشتہ مقرر رہے گا۔ اور صبح تک شیطان تمہارے قریب بھی نہیں آ سکے گا۔ صحابہ خیر کو سب سے آگے بڑھ کر لینے والے تھے۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے ( ان کی یہ بات سن کر ) فرمایا کہ اگرچہ وہ جھوٹا تھا۔ لیکن تم سے یہ بات سچ کہہ گیا ہے۔ اے ابوہریرہ! تم کو یہ بھی معلوم ہے کہ تین راتوں سے تمہارا معاملہ کس سے تھا؟ انہوں نے کہا نہیں۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ وہ شیطان تھا۔






Sunday, 11 October 2020

Sahi Bukhari 3348 Hindi Or urdu


इमान  की सही राह के तलबगार इल्म हासिल करके अपनी राह बनाते हे.

इल्म वाले इल्म से इत्तिफाक करते हे.
फसाद वाले इल्म से इखतिलाफ करते हे.

इमान की  हक्कित इल्म से मिलती  हे.
जहालत से इमान के बाद भी  गुमराही  मिलती हे.
مجھ سے اسحاق بن نصر نے بیان کیا، کہا ہم سے ابواسامہ نے بیان کیا، ان سے اعمش نے، ان سے ابوصالح نے اور ان سے ابو سعید خدری رضی اللہ عنہ نے بیان کیا کہ   نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ اللہ تعالیٰ ( قیامت کے دن ) فرمائے گا، اے آدم! آدم علیہ السلام عرض کریں گے میں اطاعت کے لیے حاضر ہوں، مستعد ہوں، ساری بھلائیاں صرف تیرے ہی ہاتھ میں ہیں۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا، جہنم میں جانے والوں کو ( لوگوں میں سے الگ ) نکال لو۔ آدم علیہ السلام عرض کریں گے۔ اے اللہ! جہنمیوں کی تعداد کتنی ہے؟ اللہ تعالیٰ فرمائے گا کہ ہر ایک ہزار میں سے نو سو ننانوے۔ اس وقت ( کی ہولناکی اور وحشت سے ) بچے بوڑھے ہو جائیں گے اور ہر حاملہ عورت اپنا حمل گرا دے گی۔ اس وقت تم ( خوف و دہشت سے ) لوگوں کو مدہوشی کے عالم میں دیکھو گے، حالانکہ وہ بیہوش نہ ہوں گے۔ لیکن اللہ کا عذاب بڑا ہی سخت ہو گا۔ صحابہ نے عرض کیا: یا رسول اللہ! وہ ایک شخص ہم میں سے کون ہو گا؟ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ تمہیں بشارت ہو، وہ ایک آدمی تم میں سے ہو گا اور ایک ہزار دوزخی یاجوج ماجوج کی قوم سے ہوں گے۔ پھر نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے، مجھے امید ہے کہ تم ( امت مسلمہ ) تمام جنت والوں کے ایک تہائی ہو گے۔ پھر ہم نے اللہ اکبر کہا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ مجھے امید ہے کہ تم تمام جنت والوں کے آدھے ہو گے پھر ہم نے اللہ اکبر کہا، پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ ( محشر میں ) تم لوگ تمام انسانوں کے مقابلے میں اتنے ہو گے جتنے کسی سفید بیل کے جسم پر ایک سیاہ بال، یا جتنے کسی سیاہ بیل کے جسم پر ایک سفید بال ہوتا ہے۔

मुझे से इसहाक बीन नसर ने बयान किया, हमसे अबुउसामा ने बयान किया उनसे अएमश ने उनसे  अबु सालेह और अबुसइद खुदरी र.अ. बयान किया के नबी करीम स.अ.व. ने फरमाया के अल्लाह ( क्यामत के दीन) फरमायेगा ऐ आदम ! अदाम अ.स. अरज करेंगे  मे इताअत के लिये हाजीर हु, मुस्तइद हु सारी भलाई सिर्फ तेरे ही हाथ मे हे, अल्लाह ताआला फरमायेगा जहन्नम मे जाने वालों को (लोगों मे से अलग ) निकाल लो, अदाम अ.स. अर्ज करेंगे ऐ अल्लाह जहन्नमीयो की तादात कितनी हे, अल्लाह ताआला फरमाये के हर एक हजार मे से  नोवसौ निन्नवै (999) उस वक्त ( कि होल नाकी वहसत से ) बच्चे बुरहे हो जायेंगे और हर हामीला औरत अपना हमल गिरा देंगी उस वक्त तुम ( खौफो देहसत से ) लोगों को मदहोसी के आलम मे देखोंगे  हाला के वो बेहोस ना होंगे लेकीन अल्लाह का अजाब बराही श्खत होगा , सहाबा ने अर्ज किया या. र.ल. वो एक श्खस हम्मे से कोन होंगा? नबीऐ करीम स.अ.व. फरमाया के तुमहे बसारत हो वो ऐक आदमी तुम्मे और एक हजार दोजखी याजुद माजुद की कौम से होंगे, फिर नबी ए करीम स.अ.व. उस जात की कसम जिसके हाथ मे मेरी जान हे मुझे उम्मीद हे के तुम ( यानी उम्मते मुस्लिमा ) तमाम जन्नत वालों के एक तिहाई होंगे फिर हमने अल्लोहु अक्कबर तो आप स. अ. व. फरमाया के मुझे उम्मीद हे के तुम तमाम जन्नत वालों के आधे होंगे फिर हमने औल्लहु अकब्बर कहा फिर आप स.अ.व. ने फरमाया के ( महसर ) तुम लोग तमाम इन्सानो के मुकाबले मे इतने होंगे जितने किसि सुफैद बेलके जिस्म एक सियाह बाल या जितने किसी सिया बेल के जिस्म एक सुफैद बाल होता हे, 

सही बुखारी 3348

Saturday, 10 October 2020

Ahadis ka khajana

1. Tamaam kaamo ka darumadaar niyyat par hai aur aadmi ke liye sirf wahi hai jis ki us ne niyyat ki (Sahih bukhari 1)

2. Allah ta’ala tumhaari shaklo aur tumhaare amwaal ko nahi dekhta, balke tumhaare dilo aur amaal ko dekhta hai (Sahih muslim 2564)

3. Logo Allah ke huzoor tauba wa isteghfaar karo, main Allah ke huzoor din mein 100 martaba tauba karta hoon (Sahih Muslim 20702)

4. beshak Allah ta’ala us waqt tak bandhe ki tauba qubool karta rehta hai jab tak mauth ki kayfiyath taari na ho (Jaame Tirmizi 3537)

5. jo Shaqs Allah ta’ala aur aakhirath ke din par imaan rakhta hai ose chahiye ke acchi baath kahe warna chup rahe (Sahih Bukhari 6138)

6.  Sabr wahi hai jo sadme ke shuro mein ho (Sahih Bukhari 1238)

7. Mumin Ke Maamle par Ta’ajjub hai ke
Us ka har Maamla Khair par Mabni Hai,
Aur Ye Ezaaz Sirf Mumin Hi ko Haasil hai, 
Ke Agar Use Khushi Haasil hoti Hai to Wo Uspar Allah Ta’ala ka Shukr Karta hai,
Aur ye Shukr Ada Karna Uske liye Nihayath Mufeed hai,
Aur Agar Use Koyi Musibath ya Pareshani Laheq hoti hai to Wo Uspar Sabr karta hai,
Us Sabr karne mein bhi Uske liye Khair Wa Barkath hai

<3 Sahih Muslim 2999

8. Taaqatwar Wo nahi Jo Logo ko Kushti mein Pachad de, haqiqi Taaqatwar Wo hai Jo Gusse ke Waqt Aapne Aap par Qaabo pa le

<3 Sahih Bukhari 6114

9. Ek Shaqs ne Nabi ﷺ se Arz kiya, Mujhe Nasihath Farmaiye.
Aap (Saw) Ne Irshad Farmaya Gussa Na Karo,
Usne Baar Baar Nasihath ki Darkhast ki,
Aap ﷺ ne Har Baar Use irshad farmaya: Gussa Na Karo

<3Sahih Bukhari 6116

10. Jo Cheez Tumhe Shaq mein daale Use Chod kar Us Cheez ko Ikhtiyar karo jo Shaq Mein na Daale,
Beshak Sacchayi Sukoon Qalb ka baayes hai aur
Jhoot Insaan ko Muztarab aur Pareshaan rakhta hai

<3  Tirmizi 2518

11. Tum jaha aur jis jagah bhi ho Allah ta’ala se daro aur gunaah ke baadh naki karo, wo us gunaah ko khatam kar degi, nez logo ke saath husn sulook se pesh aao

 (Jaame Tirmizi 1987)

12. Ye bhi insaan ke Islam ki qoobi hai ke jis maamle se us ka talluq nahi ose chohd de

 (Jaame Tirmizi 2317)

13.  2 nemate aisi hai jin ki aksar log qadar nahi karte – Seheth aur Faraaghath

 (Sahih Bukhari 6412)

14. jab bandha bimaar hota hai ya safar ki haalath mein hota hai to us ke naam-e-amaal mein un amaal ke barabar likh diye jaate hai jo wo apne ghar mein haalat-e-sehet mein kiya karta tha (Sahih Bukhari 2996)

15. Har neki Sadqa hai 

(Sahih Bukhari 6021)

16. Jo musalmaan koi pauda (ya daraqt) lagata hai, to us se jo kuch kha liya jaaye wo us ke liye sadqa (charity) ban jaata hai, us se jo kuch chori ho jaaye wo us ke liye sadqa hai, darinde us se jo kuch kha jaaye wo us ke liye sadqa hai, jo kuch parinde chak jaaye wo us ke liye sadqa hai, aur jo koi ose nuqsaan pahonchaaye wo us ke liye sadqa hai 

(Sahih Muslim 1552)

17. Neki aur maroof ke kisi bhi kaam ko haqeer na jaanu, qaah apne (Musalmaan) bhai ko khandah peshaani se milna hee ho (yaani has kar, muskura kar milna bhi neki hai) 

(Sahih Muslim 2626)

18. Jahannam ki aag se bacho qaah khajoor ke ek tukde hee ko sadqa wa khairaath kar ke bach sako

 (Sahih Bukhari 1417)

19. Qiyamath ke din Adam ki saari aulaad ki sardaari mere paas hogi, main hee wo shaqsiyath hoon jis ki qabr puri makhlooq mein sab se pehle kholi jaegi, main hee sab se pehle bargah-e-ilaahi mein sifaarish karonga aur meri hee sifaarish sab se pehle qubool ki jaegi

 (Sahih Muslim 2278)

20. tum mein se jo shaqs mere baadh zinda raha wo bahuth se eqtelafaath dekhega. qabardaar! deen mein nayi nayi bid’aath ejaadh karne se bachna kyo ke ye gumraahi hai. agar tum mein se koi ye zamaana paale to ose chahiye ke meri sunnath aur hidayath yaafta khulafa-e-rashideen ke tariqe ko laazim pakde, un ko daadho se mazboth pakde 

(Jaame Tirmizi 2676)

21. tum may say jo shaks meri baad zinda raha vo bahut say iqtelafaat  dekhega. Qabardaar  !  deen may naye naye bidaat eajaad karne say bachna kyun kay ye gumraahi hai.agar tum may say koye ye zamaana paale to usay chahiye ke meri sunnat aur hidaayat yaafta khulfa- e- rashedeen ke tarekhay ko laazim pakad le . in ko daadhon se mazboot pakad le .

 (Jamia Tirmizi 2676)

 23. jo logon par rahem nahi karta Allah Ta’ala bhi us par rahem nahi karega

.(sahi muslim 2319)

24. Ek doosray say hasad na karo,  na khareed va farokht may (dhoka  denay kay liye) boli badhaoo, na ek doosre se baghz rakho, na ek doosre say berukhi  barto aur na tum may se koi doosray kay s  ka bhai hai musalmaano uday  pzlm karenuar  souda kare.Allah kay bando bhai bhai ban jaao

.(sahi muslim 2564)

25. musalmaan musalmaan ka bhai hai, na us par zulm karen na usay (madad kay waqt be-yaaro madadgaar chod kar) rusva kare, aur na usay haqeer jaane.

(sahi muslim2564).

26. apnay bhai ki madad karo, vo zalim ho ya mazloom. ek aadmi nay arz kiya: Allah kay Rasool(saw) ! agar vo mazloom ho tab to us ki madad karo, lekin jab vo zalim ho to us ki madad kaisay karon?Aap nay ershaad farmaya: tum us ko zulm say roko,yahi us ki madad hai

.(sahi bukhari 6952)

27. musalmaan kay musalmaan par paanch haq hai: salaam ka javaab dena,mareez ki timardaari karna, janazay kay liye jaana, daavat khubool karna aur cheenk ka javaab dena. 

(sahi bukhaari 1240).

28. jo banda dunya may kisi banday ki parda poshi karta hai, Allah ta’ala qiyamat kay din zaroor us kay aiboon par parda daalega

.(sahi muslim 2590).

29. jo shaks Allah ta’ala aur aakhirat kay din par emaan rakhta hai usay chahiye kay sila rahmi (yaani rishtedaaron say acha (sulook) kare.

 (sahi buqaari 6138).

30. jis nay do bachhon ki tarbiyat aur parvarish ki hatta kay vo balogat ko pahonch gaye, qiyamat kay din vo meray saath(us tarah qareeb hoga). Aap( S.W.S) nay apni ungliyon ko milaaya

(sahi  muslim 2631)

देश की सत्ता पर बैठे लोगों की क्रोनोलोजी को समझिए.

क्रोनोलोजी को समझिए, 
    1. उन्नाव में रेप किसने किया भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर ने, FIR किस पर दर्ज   की गई?...रेप पीड़ित बच्ची पर, अंत में उसके परिवार पर ट्रक चढ़वा दिया सो   अलग।
    2. बलात्कार किसने किया बीजेपी के गृहमंत्री "स्वामी चिन्मयानंद"   ने, एफआईआर किस पर दर्ज हुई? पीड़ित बच्ची पर।
    3. भीमा कोरेगांव में हिंसा किसने फैलाई? मोदी जी के गुरु सम्भाजी भिड़े ने।   FIR किस पर हुई? पिटने वाले प्रोफेसरों, लेखकों और ऑर्गेनाइजरों पर। और उन्हें   अर्बन नक्सली भी घोषित कर दिया।
    4. छत्तीसगढ़ में आदिवासी सौनी सोरी के चेहरे पर तेजाब किसने फिंकवाया? डीएसपी   कल्लूरी ने। FIR किसपर की गई? पीड़ित सौनी सोरी पर (कल्लूरी का क्या हुआ? कल्लूरी   का प्रमोशन हुआ)
    5. अखलाक की हत्या किसने की? बीजेपी विधायक संगीत सोम समर्थक भीड़ ने। FIR   किसपर दर्ज हुई? मृतक अखलाक के परिवार पर।
    6. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 100 से अधिक बच्चों की मौत हुई, जिम्मेदारी आनी   थी योगी पर। लेकिन FIR किसके नाम चढ़ा दी गई? डॉ कफ़ील पर.., उस इंसान पर जो वहां   बच्चों को बचाने के लिए दौड़-धूप कर रहा था। डा. कफील पर ही FIR क्यों चढ़वाई?   क्योंकि उस बेचारे के नाम में ही मुसलमान था, और योगी का नाम उस केस में से कैसे   भी करके निकालना था।
    6. इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को गोली किसने मारी? भाजपा समर्थकों ने । माला   पहनाकर स्वागत किसका किया गया? सुबोध के हत्यारों का..।
    7. JNU प्रेजिडेंट आइशी घोष के सर पर रॉड किसने मारी? डीयू से बुलाए गए ABVP   के नकाबपोश गुंडों ने। FIR किसपर दर्ज हुई? पीड़ित
    आईशी पर, जो खुद मरने से जैसे-तैसे बची है।
    8. योगी ने मुख्यमंत्री बनते ही स्व जांच करके खुद के ऊपर की सारी FIR हटा   लीं। कुछ दिन पहले मोदी जी को गुजरात दंगों के लिए क्लीन चिट मिल ही चुकी है।   अमित शाह के केस में जज 'जस्टिस लोया' का क्या हुआ सबको मालूम है ही।
    8. अंत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एक बात "इस सरकार में मंत्रियों   के इस्तीफे नहीं होते। ये एनडीए है, यूपीए नहीं। " मतलब आप कितने भी कांड   कर दीजिए, कोई एफआईआर नहीं होनी, कोई जांच नहीं होनी, कोई इस्तीफे नहीं   होने।
   9. दिल्ली डंगे कीस्ने करवाऐ ? कीस्को जैल भेजा गया? सब से ज्यादा मुसल्मान मरे, सब से ज्यादा मुसल्मानो के घर - मस्जीद जला दी गई! मुसल्मांनी दुकाने लुंटी गई , क्या ये सब मुसल्मांनो ने खुद कीए थे ??? सब जानते हे वो कोन आतंकवादी हे जिन्हो ने इस डंगे को भडकाया ! ओर बावजुद उच्च न्यायालय के आदेश के कपील मिश्रा , अनुराग ठाकोर जैसे लोग पर ऐफआइआर  पुलिस नही लिख पाई! ओर खुद नुकशाश उठाने वाले बेकसुर मुसल्मांन जैल मे डाल दिऐ गऐ!
    और सबसे मजेदार चीज और सुनिए, सभी राज्यों की पुलिस, सेना, अर्धसैनिक, इस देश   में होने वाले अपराधों के लिए, सुरक्षा के लिए, किसे रिपोर्ट करती है? गृह   मंत्रालय को, यानी कि तड़ीपार अमित शाह को! जो खुद एक क्रिमिनल है, जिसपर खुद   दर्जनों हत्याओं और अपहरणों के केस चल रहे हैं।
    लेकिन आप टेंशन मत लीजिए, जबतक आपके खुद के किसी दोस्त, भाई, प्रेमिका,   रिश्तेदार की 'सरकारी हत्या' नहीं होती, तबतक आप व्हाट्सएप पर गुड मॉर्निंग   भेजते रहिए.
    सबेरा और उजाला तब नहीं होता जब सूर्योदय होता है, उसके लिए आंखें भी खोलनी पडती है।

Sunday, 4 October 2020

सर्वे : कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक 15 बीमारियों की हुई पहचान

सर्वे : कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक 15 बीमारियों की हुई पहचान

पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है. देश के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की भरमार है. दीर्घकालिक स्थितियों वाले रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही है. सरकार को तेजी से काम करना चाहिए और गैर-कोरोना रोगियों के लिए समान सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

हैदराबाद : पूरी दुनिया पिछले दस महीने से कोरोना वायरस से जूझ रही है. दुनियाभर में कोरोना से मरने वालों की संख्या दस लाख पहुंच गई है. जिस देश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर है, उन्हें इस महामारी की वजह से दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. भारत जैसे देश में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बेहतर नहीं है. इस महामारी ने मौजूदा प्रणालियों में कमजोरियों को उजागर किया है.

जैसे-जैसे इस महामारी का संकट गहराता जा रहा है, विकासशील देश नॉन-कोविड (अन्य रोग) ​​स्वास्थ्य सेवाओं पर चिकित्सा ध्यान सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

नवीनतम लैंसेट सर्वेक्षण ने 15 बीमारियों की पहचान की है, जो कोरोना से अधिक घातक हैं. उनमें से प्रत्येक की सालाना मृत्यु 10,00,000 है. यह अध्ययन हमारी वास्तविक स्वास्थ्य संबंधी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता पर जोर देता है. हृदय रोगों (1.78 करोड़), कैंसर (96 लाख), वृक्क रोगों (renal diseases ) (12 लाख), तपेदिक ( tuberculosis ) (11 लाख) लोंगो की मौत हो गई है. इन रोगों से हर साल 4.43 करोड़ लोगों की मौत हो रही है.

ज्यादातर जगहों पर इन बीमारियों के लिए चिकित्सीय चिकित्सा सुविधाएं घटिया हैं. कोरोना प्रकोप के पहले तीन महीनों के दौरान, दुनियाभर में 2.84 करोड़ सर्जरी (भारत में 5.8 लाख सहित) अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गईं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण इस साल 16.6 लाख लोग तपेदिक के शिकार हो सकते हैं. क्या स्थिति सब के बाद बदल जाएगी?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जनगणना के अनुसार, देशभर में लाखों बच्चों को अकेले मार्च 2020 में निर्धारित समय पर टीका नहीं लग सका. कोरोना के अतिरिक्त अन्य बीमारियों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं हैं.

हैदराबाद की एक गर्भवती महिला और उसके भ्रूण की मृत्यु हो गई, क्योंकि अस्पतालों ने भर्ती देने से इनकार कर दिया.

अधिकांश निजी अस्पतालों ने तालाबंदी के दौरान डायलिसिस, कीमोथेरेपी, रक्त आधान और बच्चे की डिलीवरी जैसी आपातकालीन सेवाओं को रद्द कर दिया गया.

केंद्र ने सख्त दिशानिर्देश जारी किए और अस्पतालों को पूर्ण कामकाज सुनिश्चित करने का आदेश दिया, लेकिन हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नियंत्रण क्षेत्रों में नेत्र देखभाल सुविधाओं को बंद रखने का निर्देश दिया.

आधिकारिक और अनौपचारिक प्रतिबंध कई के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बना रहे हैं. मानसून और मच्छर जनित संक्रमणों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए पीएमओ के आधिकारिक आदेशों के बावजूद, वास्तविक स्थिति केवल बिगड़ रही है.

देश में इस समय लगभग 9 करोड़ में थैलेसीमिया और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं. लाखों लोग अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं.

जबकि, अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की भरमार है. दीर्घकालिक स्थितियों वाले रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही है. सरकार को तेजी से काम करना चाहिए और गैर-कोरोना रोगियों के लिए समान सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.



किसान कृषि बिल 2020 | Agriculture Farm Bill 2020


किसान कृषि बिल 2020 PDF 2020 –
 मोदी सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए, अनेक प्रकार की योजनाओं और सेवाओं को शुरू कर रही है। जिसके माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधर हो सके। और किसानों की आय को बढ़ाया जा सके। जिसके लिए मोदी सस्कार द्वारा एक नया किसान बिल लाया गया। जो किसानों की फसल, बाजार, फसल मूल्य तथा बाजार मूल्य आदि से जुड़ा हुआ था। Farmers Bill को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 14 सितंबर, 2020 को लोकसभा में प्रस्तुत किया था। जिसे 5 जून, 2020 को अध्यादेश के रूप में विधेयक रखा गया था। इस बिल का मुख्य उद्देश्य कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य को सरलीकरण करना।जो लोकसभा में 17 सितंबर 2020 को पारित किया गया। था जबकि राज्य सभा ने आज इस विधेयक को पारित कर दिया।

kisan Krishi Bill के बारे में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टिय के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने किसानों के हित के लिए अनेक प्रकार की योजनाओं तथा सेवाओं का शुभारम्भ किया है। जिससे किसानों को उनके उत्पाद की गई फसल की, अच्छी कीमत मिल सके। और किसानों की आर्थिक स्तर, सामजिक स्तर तथा जीवन स्तर उठ सके। इस प्रक्रिया के लिए भारत सरकार पिछले 6 सालों से अनेक प्रकार की योजनओं को शुरू कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि अनाजों की ख़रीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जारी रहेगी। kisan Krishi Bill पर प्रधानमंत्री मोदी जी ने किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि, एमएसपी की दरों में 2014-2020 के बीच बढ़ोत्तरी की गई है। जो इस समय रबी सीजन के लिए एमएसपी की घोषणा आगामी सप्ताह में की जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इन विधेयकों में किसानों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।

नया किसान बिल के मुख्य प्रावधान-

  • नया किसान बिल में किसानों को फसल बेचने के लिए स्वतंत्र कर दिया है। अब कोई भी किसान अपनी फसल को मंडी के बहार भी व्यापारी के पास बेच सकता है।
  • किसान अपने फसल को देश के किसी भी हिस्से में कहीं भी बेच सकता है।
  • किसानों को किसी भी प्रकार का कोई भी उपकर नहीं देना होगा। साथ ही बिल के अनुसार अब माल ढुलाई का खर्च भी देना होगा।
  • नये किसान कृषि विधेयक के अनुसार किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच प्रदान किया जायेगा। जिससे माध्यम से इलेक्ट्रोनिक निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके।
  • kisan Krishi Bill के तहत मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फॉर्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी।
  • इस बिल के माध्यम से किसान और व्यापारी सीधे एक दूसरे जुड़ सकेंगे जिससे बिचौलियों का लाभ समाप्त होगा।

शंकाएँ

  • सरकार द्वारा निर्धारत किया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगा।
  • किसान फसल को मंडी से बहार बेचता है। तो एपीएमसी मंडियां समाप्त हो जाएंगी
  • ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा?

समाधान

  • MSP पर पहले की तरह फसल की खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। आगामी रबी
  • सीजन के लिए एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।
  • किसान को अनाज मंडी के अलावा दूसरा ऑप्शन भी मिलेगा।
  • सरकार द्वारा शुरू की गयी ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।
  • इलेक्ट्रानिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी और समय की बचत होगी।

Wednesday, 30 September 2020

बाबरी गीराने वालों को देश की न्यायालय ने निर्दोष छोड दिया.

यह फैसला अत्यधिक दुखद और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। – मौलाना महमूद मदनी


बाबरी मस्जिद की शहादत में संलिप्त सारे दोषियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद आज आश्चर्यजनक तौर पर बाइज़्जत बरी कर दिया। इस पर अपनी प्रतिक्रिया को प्रकट करते हुए जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि यह फैसला अत्यधिक दुखद और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। जिस तरह से प्रमाणों (सुबूतों) को उपेक्षित किया गया और खुले आम दोषियों के शर्मनाक और आपराधिक कार्यों पर पर्दा डाला गया है। इसका उदाहरण मुश्किल से ही मिलता है। यह एक ऐसा फैसला है जिसमें न इंसाफ किया गया है और न इसमें कहीं इंसाफ दिखता है। इसने न्यायालय की आज़ादी पर वर्तमान में लगाए गए प्रश्नवाचक चिन्ह को और गहरा कर दिया है। जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी और जग हंसाई का कारण बनता है। मौलाना मदनी ने आगे कहा कि यह निर्णय चिंताजनक भी है क्योंकि जहां एक तरफ इससे फासिस्टवादी और कट्टरपंथी तत्व जो कि दूसरी मस्जिदों को निशाना बनाने के लिए पर तोल रहे हैं। उन्हें बढ़ावा मिलेगा और देश में शांति सद्भाव को जबर्दस्त ख़तरा पैदा होगा। वहीं दूसरी तरफ देश में अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों के बीच निराशा फैलेगी और न्यायालय पर से विश्वास में कमी आने के कारण बहुत सारे विवाद शांतिपूर्ण तरीके से हल किए जाने के बजाय ज़ोर ज़बरदस्ती और हिंसा के माध्यम से निर्धारित करने का चलन स्थापित होगा। मौलाना महमूद मदनी ने देश के आम हितों एवं इंसाफ के सिद्धांतों के दृष्टिगत यह मांग रखी है कि सीबीआई को इस फैसले के खिलाफ़ उच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए और यह यकीनी बनाना चाहिए कि इस फैसले से पैदा होने वाले नुकसान से देश को कैसे बचाया जा सके। मौलाना मदनी ने कहा कि 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करना एक आपराधिक कार्य था। और इसके करने वालों को सज़ा मिलनी चाहिए।

6 दिसंबर 1992 को लाखों की संख्या में जमा हुए सांप्रदायिक और फासिस्ट शक्तियों व राजनीतिक दलों के नेताओं और उनके समर्थकों ने दंगा भड़काने वाले भाषण दिए। और नारे लगाए। और फिर मिलकर 500 वर्षीय पुरानी बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। देश और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसके वीडियो और फोटो बनाए। जो आज भी रिकॉर्ड में मौजूद हैं। इसलिए यह कहा जाना कि बाबरी मस्जिद का गिराया जाना षड्यंत्र नहीं था सरासर गलत है। क्योंकि इतनी मजबूत इमारत को अत्यधिक संसाधनों के बगैर अचानक ध्वस्त नहीं किया जा सकता था । इस संबंध में जस्टिस लिब्राहन कमीशन की रिपोर्ट भी बहुत ही स्पष्ट है। इसके अलावा देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारूकी केस 1994 फैसले में स्पष्ट तौर से कहा था कि जिन लोगों ने मस्जिद को ध्वस्त किया है। ऐसा करने वालों ने अपराधिक और शर्मनाक कार्य किया है। हिंदू समाज को अपने अन्य सम धर्मी लोगों के ऐसे कार्य पर शर्मिंदा होना चाहिए। उन्होंने न सिर्फ एक धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाया है। बल्कि देश के कानून, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के आदर्शों सिद्धांतो को भी ध्वस्त किया है। हाल में वर्तमान में बाबरी मस्जिद संपत्ति मुकदमें में भी सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रुप से कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी धार्मिक ढांचे को तोड़ कर नहीं बनाया गया। बल्कि 6 दिसंबर को एक धार्मिक ढांचा ध्वस्त किया गया जो कुछ भी इस दिन कार्य किया गया, वह एक आपराधिक कार्य था और देश के कानून का उल्लंघन था।

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૧૯૬૯માં જ્યારે હિંન્દુ મુસલમાનના રમખાણો થયાં હતાં.
ત્યારે મારો જન્મ પણ નહોતો થયો.
પરંતુ મારા દાદા તે વખતનાં રમખાણો ની વતો કરતાં અને કહેતા કે ૧૯૬૯ના હિંન્દુ મુસલમાનના રમખાણોથી ૧૯૮૦સુધી અમદાવાદની શાંતી ઉડીને આંખે વળગતી હતી.
શાંત અને રમણીય જુનુ શહેર.
ચારે તરફથી ખુલ્લું અને આહલાદક વાતાવરણથી છલકતું  કાંકરીયા તળાવ.
પોળો ,મહોલ્લાઓ,ચાલીઓથી ધબકતું અમદાવાદ શહેર.
જુના અમદાવાદમાં આવેલી સિનેમાંઓ ની ભરમાર.
હિંન્દી ગુજરાતી ફિલ્મોનાં મસમોટા આકાશને આંબતા હોર્ડિંગ્સ,.
સિદ્દીસૈયદની ઝાળી
રાણીનો હજીરો
ઝુલતો મિનારો
મિલોના ભૂંગળા
જુના શહેર ફરતે નક્શીકામ કરેલા તોતિંગ આલિશાન દરવાજાઓ થી શોભતું અહમદશાહ બાદશાહે વસાવેલું અમદાવાદ શહેર હતું,,,

એ સમયે ઘડિયાળો ખુબજ ઓછી હતી.અને..
મજુરો માટે તો ભૂઉઉઉઉઉઉઉઉ....ભૂઉઉઉઉઉઉઉઉ કરતી મીલોની સાયરન જ એમની ઘળિયાળ હતી.
કાપડની મીલોમાં અમદાવાદ માન્ચેસ્ટર કહેવાતું હતું.
એ જમાનામાં અમદાવાદ ફક્ત ભારતમા જ નહી પરંતુ દુનીયાનાં લગભગ દેશોમાં કાપડ સપ્લાય કરતું હતું...
કાપડની મીલોનો તો એવો આલમ હતો કે એ જમાના પારકી થાપણ નામની ગુજરાતી ફિલ્મમાં એક હેલો પણ ગવાયો હતો...

એ હેલો કઇંક આવો હતો.... 

""હે...એ એ...કાંકરિયાની પાળે ને આથમતે અજવાળે,
આંખડીયુંની ચાળે મારો મીઠોમીઠો પ્રેમ કેરો હેલો સાંભળોજી,,,
હે,,જીરે..મારો હેલો સાંભળો,,જી..
ગોરી તને વાત કહું આજે મારા દિલની, સાડીઓ પહેરાવું તને જુદી જુદી મીલની, હેએ.... કસ્તુરભાની કાળી ને લાલભાઈની લાલી હે સારાભાઈની સાડી મારો મીઠોમીઠો પ્રમ કેરો હેલો સાંભળો જીઇઇઇ,...

આવા કઇંક હેલા, દુહા,રાસ ગરબા,ના તાલે ઝુમતા અમદાવાદને ૧૯૮૦પછી કોંગ્રેસનાં પાપે કલંક લાગ્યું,.
તે વખતે લાલીયાંઓ (સામ્યવાદીયોં)નું બહુ જોર  હતું છાશવારે હડતાલો દ્વારા મીલોને તાળાબંધી,મીલમાલિકોને મીલના ઝાંપા પર બંગડીઓ પહેરાવવાના કાર્યક્રમો થતાં અને મીલોનું તંત્ર ઠપ થઇ જતું,જેનાથી મીલમાલિકો કંટાળી ગયા હતા.
આજની જેમ તે સમયે પણ મીલ માલિકો અને વહેપારીઓના ઈશારે સરકાર ચાલતી હતી.
તે વખતે મિલોના આંદોલનોને ખાળવા કોંગ્રેસ સરકાર,મીલમાલિકો,મજુર મહાજનો અમુક કહેવાતા કૉમરેડો દ્વારા ચાલતા ટ્રેડ યુનિયનો, મજુર યુનિયનોની મીલી ભગતથી ૧૯૮૧માં ઓબીસી,એસસી,એસટી, વિરુધ અનામત આંદોલન નો પલિતો ચંપાયો જેમાં મીલમાલિકો સફળ રહ્યા.
તે સમયે ઇલેકટ્રોનિક્સ મિડીયા ન હતું પરંતુ પ્રિંટમિડીયા હતું જેમા ગુજરાત સમાચારે સરકાર,મીલમાલિકો સાથે મળી સવર્ણોના સમર્થનમાં ખભેખભો મિલાવી દલિતો વિરુધ્ધ એટલું જાતિવાદી ઝેર ઓક્યું હતું કે તે તેના સમાચાર પત્રમાં ઢેઢા શબ્દનો પણ ભરપુર ઉપયોગ કરતો હતો.
૧૯૮૧ થી ૧૯૮૫ સુધી દલિતો પર જ્યારે પણ અત્યાચાર અને જુલ્મો થતાં ત્યારે અમદાવાદ શહેરનો એક જ સમાજ દલિત સમાજની પડખે ઉભો રહેતો હતો અને તે હતો મુસ્લિમ સમાજ રાતદિવસ ચાલતા રમખાણોમાં વારંવાર કરફ્યું લાગતો જેમા અનાજ કરિયાણું દુધ શાક ના ફાંફાં પડતાં,.
સવર્ણોને તો સરકાર દ્વારા પોલીસ  વાનમાં ખાવા પીવાની સામગ્રી પહોચતી કરવામાં આવતી હતી જ્યારે દલિત સમાજને મુસ્લિમ સમાજ તમામ પ્રકારની મદદ કરતો હતો.
૧૯૮૧ થી ૧૯૮૭ સુધી જે મુસ્લિમ સમાજ *દલિત* સમાજ ની પડખે સુખ દુ:ખમાં સહભાગી થતો હતો તે મુસલમાનને *મુસલમાન* માથી *મિંયો* બનાવવાની કવાયત શરુઆત થઈ.!!!
ઝાંઝરકા ના ગાદીપતી બળદેવદાસ ટુંડીયા ભાજપના ૫૦ પૈસાના સભ્ય બન્યા. અશોકભટ્ટ, હરિનપાઠક, મયુરદવે , કેશુભાઈપટેલ, જેવા ભાજપના ટોચના નેતાઓ અમદાવાદ શહેરની ગંદી ઝુપડપટ્ટીના ગોબરા  દલિતની ચાલીઓમાં  ઝાંઝરકાના ગાદીપતી બળદેવદાસ બાપુને ખભે ઉપાડીને પરિક્રમા શરૂ કરી અને દલિતોમાં પગ પેસારો કર્યો..
પછી નિરંતર દલિતોનું બ્રેઇનવૉશ કરવાનું ચાલું કર્યું .
અશોકભટ્ટ, હરિનપાઠક, મયુરદવે.જેવા સવર્ણો  ઓબીસી,એસસી,એસટી, વિરુધ ના અનામત આંદોલનમાં ઢેઢા કહીને સંબોધતા હતાં તેઓએ   બળદેવદાસ બાપુની આડમાં દલિતોને હિંન્દુ બનાવવાનું કાવતરું ચાલું થયું...
જે હરિનપાઠક, અશોકભટ્ટ, જગરૂપસિંહ જેવા નેતાઓએ અમદાવાદ શહેરમાં આવેલ બાબાસાહેબના સ્ટેચ્યુંંને ટ્રકથી ખેંચી તોડી પાડવા આગેવાની લીધી હતી એજ અશોકભટ્ટ અને હરિનપાઠકને દલિતો હારતોરાથી આગતા સ્વાગતા કરવા લાગ્યા.
ધીરે ધીરે ભાજપે એવો પગદંડો જમાવ્યો કે આપણે ઢેઢા માંથી દલિત અને દલિતમાંથી "હિંન્દુ"સોરી"હિંન્દુનહી સવાયા હિંન્દુ બની ગયા...

૧૯૮૧ થી ૧૯૮૫ સુધી જે મુસ્લિમ સમાજ દલિતો માટે મુસલમાન હતો,,
તે "મુસલમાન" મુસલમાન માંથી દલિતો માટે "મિંયો" ક્યારે બન્યો એની ખબર સુધ્ધા ના રહી,,,

*આદીકાળથી મીલકાળ સુધીનો જાતિવાદ*

સવર્ણ મીલમાલિકો ની જાતિવાદી માનસિક્તાનું ઉદાહરણ મીલોના યુગમાં મીલમાલિકો સવર્ણોને અલગથી ટેકનિકલ તાલિમ આપતા જેમાં મશીનરી ચલાવવી તેમજ તેને રિપેર કરવી ત્યારબાદ ત્યાંજ નોકરી પર રાખી લેવો અને સાહેબ જેવો લાગે તેવુંજ કામ સોંપવું.... 

જ્યારે દલિતો અને મુસ્લિમોને.
બારેમાસ 45ડીગ્રી ટેંમ્પરેચર વાળુ બોઇલર ચલાવવું.
બોઇલરથી એક કિલોમિટર દુર ઉતારવામાં આવેલ બળતરના કોલસા ભરેલી લોખંડની લારીઓ ખેંચવી.
કાપડ બનાવવામાં વપરાતાં જીવલેણ કેમિકલો મિક્ષ કરવા.
બોઇલરમાં કોલસો બળીને ખાખ થયેલી રાખોડી કાઢવી તેને લારીમાં ભરી ત્યાંથી દુર નાંખવી.તેમજ દરેક પ્રકારનો શરીરને નીચોડીને થકવી નાંખતો શ્રમ કરવો..

*જયસંવિધાન  20th jan 2020

Gujarat gunda act 21 sep 2020

विरोध-प्रदर्शनों में गुंडागर्दी रोकने के लिए गुजरात सरकार लागू करेगी नया कानून, होगी 10 साल जेल.


23 sep 2020 Pas 

Saturday, 26 September 2020

उल्मा और दिनी रेहबर कोन ?

दिन के इल्म रखने वाले मुस्लिम समाज मे उल्मा ए किराम कहे जाते हे, इल्म के जानकार चाहे इसमे दुनिया या फिर  किसी भी उलुम का जानकार हो उसको अरबी मे आलीम (जानकार) कहा जाता हे.

अब उम्मत को क्या करना हे? सबसे पेहले दिने इस्लाम के नाम पर जो लोग दुनियावी मफाद के खातिर इल्म हासिल करते हे, और उम्मते मुहम्मदी को अपना गुलाम बनाते हे, फिरको मे बात ते हे और उम्मत को माअासी (सामाजिक)  लेवल से कमजोर करते हे,  एसे उल्मा ए किराम से मिल्लत को और खुद को कैसे बचाये?

*सबसे पेहले हमे ये ते करना होगा हम दिन का आलिम और दिन का रेहबर मे अंतर समझना और मिल्लत को समझाना जरुरी हे,* जैस मेने कहा हमारे उल्मा मिल्लत को गुलाम बनाते हे, चाहे फिरको मे बात कर हो चाहे मशलको मे उलझा कर हो वो मिल्लत को कमजोर करते हे, तो एसे मे हमे सबसे पेहले दिन के जानकार सिर्फ कहे जाने वाले उल्मा की वैचारिक बातों की रुप रेखा समझने के साथ मिल्लत को  समझाना जरुरी हे.

ये लोग अपनी गुलामी मे रखने के लिये अकसरो बेस्तर उल्मा के फजाइल से डर और खौफ मे  रखने की  कोशिश  ये लोग हमेशा करते हे, जो गैर इस्लामी विचारधारा हे, मिल्लत के उल्मा जो उम्मत को गुलाम बनाने मेलगे हे वो हमेशा अपनी बातों (बयानों ) मे उल्मा की  इज्जत करो और उल्मा अंबिया के वारिस हे एसी बातें  करके दर और खोफ मे रखते हे, इसको बहोत गेहराइ से मिल्लत के समझदार और परहे लिखे जिम्मेदार लोगों  को समझने की बहोत बहोत जरुरत हे.

सबसे पेहले उम्मत एक बात समझले दीनी इल्म के जानकार लोग जो उल्मा हे उनके इल्म की इज्जत जरुर करेंगे लेकीन  दिन इल्म के साथ तिन किरदार रखने वाले उल्मा ए किराम को ही हम सिर्फ हमारा रेहबर और अंबिया का वारिस समझेंगे बाकी सिर्फ दिन के इल्म वाले उल्मा की इल्म के वजाह से इज्जत जरुर करेंगे लेकीन दिनी इल्म से रेहबरी ना करने को लेकर हम उनको अंबिया का वारिस नही और उल्मा ए किराम नही समझेगे .

*"दीन के इल्म रखने वाले दिनी रेहबर और उल्मा का तफावत और  तीन किरदार को लेकर बात करते हे"*

1️⃣ 👉 *जो दीन का जानकार आलीम बात करे उस पर वो अमली जिंदगी बसर करता हो.*

2️⃣ 👉 *कुरान और सही अहादी दिस मे रेहकर  अपनी बात रखने की कुव्वत (तकवा) रखता हो.*

3️⃣ 👉 *मिल्लत को फिरकावारी कमजोर सोच और साजिश से बचाने मे अपना बेहतरीन योगदान अदा करे.*

*जो उल्मा दिन के इल्मे से रेहबर नही वो अंबीया का वारिस कैसे हो सकता हे?*

ये चंद बाते हे इस पर गोर करो

कोरोना वायरस, 5G और एजेंडा नैनो-चिप.


इकोनोमिस्ट मैगज़ीन अप्रैल 2020 शुमारे में 5 खुफिया प्लान का ऐलान किया गया है। 
इस तहरीर में पाँचों यहूदी प्लान को डिकोड किया जायेगा।

नंबर 1: Everything is Under Control.
इसका अर्थ है... “हर चीज़ तयशुदा मंसूबे के मुताबिक हमारे कंट्रोल में है”.
एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना से डरकर घरों में बैठी हुई है, हुकूमतें सिकुड़कर दारुल-हुकूमतों तक महदूद हो गयीं, अवाम को दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गये, कई मुल्कों को अपनी हैसियत बरकरार रखने के लिये खतरे का सामना है... 
लेकिन आप देखें, वहीं यहूदी मैगज़ीन फखरिया अंदाज़ में कहता है कि Everything is Under Control.
ये बात अक्लमंदों के कान खड़े करने के लिये काफी है।

कोरोना वायरस के जरिये जिस जाल को बिछाया गया है वो बिल्कुल उम्मीद के ऐन मुताबिक पूरा हो रहा है, तभी तो यहूदी मैगज़ीन फख्र से कहता है कि सब कुछ तयशुदा मंसूबे के मुताबिक उनके कंट्रोल में है। 
नंबर 2: Big Government
इससे मुराद आलमी हुकूमत है।_
इस बड़ी हुकूमत को यहूदी दाना बुजुर्गों की खुफिया दस्तावेज़
दी इलुमिनाटी प्रोटोकोल्स में “सूपर गवर्नमेंट” के नाम से बार-बार बयान किया गया है। इसकी तफ्सीलात भी बयान की गयी हैं जिनके मुताबिक पूरी दुनिया की एक ही “आलमी सूपर गवर्नमेंट” बनाई जायेगी जिसका हुक्मरान फिरऔन व नमरूद की तरह पूरी दुनिया पर अपने मसीहा के जरिये हुक्मरानी करेगा। 

यहाँ ये बताना भी जरूरी समझूँगा कि इनकी आलमी हुकूमत बन चुकी है... ये अक्वामे मुत्तहिदा है। सिर्फ इसका ऐलान नहीं किया गया। इनका मंसूबा ये है कि भविष्य में किसी भी वक्त दुनिया में क्राइसिस पैदा करके (जैसे इस वक्त हैं) अक्वामे मुत्तहिदा को एक आलमी सूपर हुकूमत में तब्दील कर दिया जायेगा। 
अक्वामे मुत्तहिदा के जो भी इदारे होंगे उन्हें विज़ारतों में तब्दील करके उसे आलमी सूपर गवर्नमेंट करार दे दिया जायेगा और इस हुकूमत की बागडोर यहूदी नस्ल के ऐसे व्यक्ति को दी जायेगी जो दज्जाल के लिये हैकले सुलेमानी निर्माण करेगा और यहूदियों को छोड़कर बाकी पूरी दुनिया की कौमों को अपना गुलाम बना लेगा। 
अब मौजूदा दौर में आ जायें,
ब्रिटिश प्रधानमंत्री से लेकर बहुत से आलमी रहनुमाओं ने अब खुलकर कहना शुरू कर दिया है कि एक आलमी हुकूमत बननी चाहिये। ये सब उसी आलमी सूपर गवर्नमेंट बनाने की राह हमवार कर रहे हैं। 
अब अगर अक्वामे मुत्तहिदा का कोई ऐसा हुक्मरान बन जाये जो वैक्सीन देने का ऐलान कर दे......तो दुनिया का कौनसा मुल्क होगा जो उसकी हुक्मरानी तस्लीम ना करेगा??
नंबर 3: Liberty
लिबर्टी का मतलब है “आजादी”।
यहाँ आजादी से मुराद दुनिया को जो आजादी हासिल है उसका कंट्रोल इस “खुफिया हाथ” के पास है जो इकोनोमिस्ट ने बतौर अलामत अपने कवर फोटो पर नुमायाँ किया है। ये वो “खुफिया हाथ” है जो पर्दे में रहकर पूरी दुनिया को चलाता है। आप इस हाथ को यहूदियों के 13 खुफिया खानदान समझें, जो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था, ट्रैडिंग, मीडिया, हुकूमत मतलब हर चीज़ की बागडोर संभालते हैं, वर्ल्ड बैंक हो या आईएमएफ ये तमाम इदारे इनके फंड से चलते हैं। अक्वामे मुत्तहिदा का खर्चा पानी यही देते हैं, अक्वामे मुत्तहिदा के सभी बड़े इदारों के मुखिया इनके अपने लोग और यहूदी नस्ल के हैं। 
अक्वामे मुत्तहिदा को आप इनके घर की लौंडी समझें, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसे संस्थान हकीकत में अक्वामे मुत्तहिदा के संस्थान ही हैं। 
आज ये 13 यहूदी खानदान अपने मसीहा के इंतेज़ार में हैं जिसके बारे में हाल ही में इजराइली यहूदी रब्बी और यहाँ तक कि इजराइली सरकारी नेतृत्व भी ऐलान कर चुके हैं कि मसीहा इसी साल आ रहा है। 
एक ने तो ये भी कह दिया है कि वो मसीहा से मुलाकात भी कर चुका है और बता दिया कि मसीहा इसी साल किसी भी वक्त आ जायेगा। 
यानि ये लोग जानते हैं कि मसीहा कौन है लेकिन इसका फिलहाल ऐलान नहीं कर रहे। 
नंबर 4: वायरस
यानि कि “कोरोना वायरस” का कंट्रोल भी इसी “खुफिया हाथ” के पास है। जब पूरी दुनिया वायरस के खौफ से काँप रही है... तो ये लोग कौन हैं जो कहते हैं कि वायरस उनके काबू में है?
या हम यूँ कह सकते हैं कि वायरस के जरिये उन्होंने पूरी दुनिया को अपने काबू में कर रखा है। 
इजराइली रक्षामंत्री खुद कहते हैं कि हमें वायरस से कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि जब 70% आबादी को कोरोना प्रभावित कर लेगा तो फिर स्वत: समाप्त हो जायेगा। 
यानि वो पहले से जानते हैं कि इतने प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी लेकिन साथ ही किसी किस्म की उन्हें परेशानी भी नहीं है। ये इस बात का प्रतीक है कि पर्दे के पीछे वो बहुत कुछ जानते हैं तभी तो बिल्कुल संतुष्ट हैं, इसीलिये ना लॉकडाउन करते हैं ना ही उन्हें कोई परेशानी है बल्कि अधिसूचित करते हैं कि वायरस उनके काबू में हैं। 
नंबर 5: The Year Without Winterv
इसको अगर डिकोड करें तो इस
का मतलब होगा कि इस साल दुनिया को सर्दी का मौसम घरों में कैद रहकर गुजारना पड़ सकता है।_* 
याद रहे इस वक्त साल का चौथा महीना यानि अप्रैल चल रहा है... लेकिन उन्होंने ऐलान कर दिया है कि इस साल सर्दी का मौसम नहीं होगा यानि दुनिया सर्दी के मौसम के मजे इस साल नहीं ले सकेगी। 
अगर लॉकडाउन कुछ महीने अधिक चलता है तो हर देश के पास खाने-पीने की सामग्री की किल्लत हो जायेगी, डाके पड़ना शुरू हो जायेंगे, इस दफा लोग पैसे नहीं बल्कि रोटी और राशन छीनने के लिये एक दूसरे पर बंदूक चलाएंगे,
इसके अलावा... कुछ और कारक भी हैं जिन्हें अभी तक इकोनोमिस्ट मैगज़ीन ने उजागर नहीं किया। शायद अगले महीने के पत्रांक में प्रस्तुत कर दें। मैं आपको पहले ही आगाह कर देता हूँ। 

पहला प्रोजेक्ट 5G है -
सबसे पहले 5G इंस्टालेशन है जो लॉकडाउन के दौरान दुनिया के अधिकांश देशों में चुपके से की जा रही है। वैश्विक मीडिया को इसकी रिपोर्टिंग से रोका गया है। मीडिया पर आपको 5G से संबंधित कोई खबर नहीं मिलेगी। लंदन में मुकम्मल लॉकडाउन है लेकिन वहाँ 5G इंस्टालेशन के कर्मचारी फिर भी दिनरात पोल्स पर टॉवर स्थापित करने में व्यस्त हैं। 
पाकिस्तान में टेलीनॉर और ज़ोंग कंपनियों ने विज्ञापनों के द्वारा 5G की प्रोमोशन शुरू कर दी है। 

आखिर ये 5G क्या बला है?
ये आपके लिये समझना बहुत जरूरी है। ये वास्तव में इंटरनेट गति की तीव्रतम रफ्तार है, जो अगर किसी इलाके में लगा दी (इंस्टाल कर दी) जाये तो उस पूरे इलाके को एक “सूपर कंप्यूटर” के द्वारा हर वक्त वीडियो पर देखा जा सकेगा, इलाके का कोई व्यक्ति ऐसा नहीं बचेगा जिसकी जासूसी मुमकिन ना हो। 
मोबाईल से लेकर टीवी, एलसीडी या एलएडी, फ्रिज, ऑटो-पार्ट्स और घर की तमाम सुविधाओं में स्थापित छोटे खुफिया कैमरों के द्वारा चौबीस घंटे हर व्यक्ति की जासूसी मुमकिन हो जायेगी। 
सैन्य स्तर पर ये काम पहले ही दुनिया की बड़ी फौजें करती रही हैं लेकिन सार्वजनिक स्तर पर इसे लाने का बहुत ज्यादा वैज्ञानिक नुकसान भी है, क्योंकि... इस टेक्नॉलजी की किरणें इंसानी दिमाग के लिये बहुत खतरनाक हैं, विशेषज्ञों के अनुसार 5G सिग्नल में रहने वाला इंसान ऐसा होगा जैसे उसका दिमाग माइक्रोवेव ओवेन में पड़ा हुआ हो। ये इंसान को विभिन्न मानसिक रोगों का शिकार कर देगी लेकिन खुफिया हाथ को इसकी परवाह नहीं है कि इंसानों के दिमाग पर क्या बीतती है, उन्हें सिर्फ पूरी दुनिया को डिजिटलाइज़ करना है और इस मकसद के लिये लाखों इंसानों को मारना पड़ा तो वो इससे भी संकोच नहीं करेंगे। 
दूसरा प्रोजेक्ट Nano Chip वैक्सीन द्वारा 
हाल ही में एक आर्टिकल पढ़ा जिसमें बिल गेट्स ने 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया। ये ऐलान पूरी दुनिया को डिजिटलाइज़ करने से संबंधित था। सवाल ये है कि पूरी दुनिया को डिजिटलाइज़ कैसे किया जायेगा?
इसका जवाब है... 5G और Nano Chip से। 
देखें... 5G के टॉवर बज़ाहिर तो आपको इंटरनेट की तेज रफ्तार देने के लिये होंगे, लेकिन उनका असल खुफिया मकसद इंसानों में लगी नैनो चिप (बहुत ज्यादा छोटी चिप) में जमा होने वाला डाटा... (यानि आपकी दिमागी सोच) किसी खुफिया जगह जमा करना होगा। 
वो खुफिया हाथ जिसे आप इकोनोमिस्ट मैगजीन पर देख सकते हैं, पूरी दुनिया के इंसानों के दिमागों में पैदा होने वाली सोच को किसी अंजान जगह पर अपने “सूपर कंप्यूटर” के जरिये देखेगा। 
मैं जिम्मेदारी से कह सकता हूँ
वो यहूदियों का मसीहा होगा जो “अक्वामे मुत्तहिदा की सूपर गवर्नमेंट” संभालते ही इन टेक्नॉलजी से इंसानों के दिमाग भी पढ़ लेगा बल्कि किसी के बोलने से पहले उसके विचार भी जान लेगा। 
यहाँ ये भी साबित होता है कि दज्जाल और उसकी कुव्वतों को शयातीन की मदद हासिल हो जायेगी। यानि वो किसी ऐसी टेक्नॉलजी हासिल करने में कामयाब हो जायेंगे जिससे दुनिया में मौजूद अदृश्य प्राणियों यानि जिन्नात से उनका राबता मुमकिन हो जायेगा और इसी की मदद से दज्जाल शैतानों से मदद लेगा। 
अब इस सारे मंजरे आम को संक्षेप में बयान किया जाये तो ये कुछ ऐसा होगा कि;
खुफिया हाथ कामयाब हो रहा है, हर चीज़ तयशुदा मंसूबे के मुताबिक उनके कंट्रोल में है। कोरोना वायरस के जरिये दुनिया को लॉकडाउन करवाकर वो अपने मंसूबे में कामयाब हो रहे हैं, साथ ही उन्होंने चुपके से 5G इंस्टालेशन शुरू कर दी है और बिल गेट्स ने नैनो चिप्स की शुरुआत के लिये अक्वामे मुत्तहिदा से 1 बिलियन डॉलर का अनुबंध भी कर लिया है। 
इस अनुबंध में वैक्सीन बनेगी और इसी वैक्सीन के अंदर इतनी छोटी नैनो चिप होगी कि जो इंसान को माइक्रोस्कोप से ही नज़र आ सकती है, वो दुनिया के हर इंसान को दी जायेगी... जिससे उनको किसी खुफिया जगह से मॉनीटर किया जा सकता है। 
मुझे पूरा यकीन है... 
बिल गेट्स भी अक्वामे मुत्तहिदा को चलाने वाले खुफिया हाथ के साथ मिलकर ऐसी ही वैक्सीन बनाएगा जो नाक या मुँह में डाली जायेगी और इसी के जरिये नैनो चिप भी हर इंसान के

जिस्म में दाखिल की जायेगी। चूँकि चिप सूक्ष्म है और किसी भी वैक्सीन के जरिये जिस्म में डाली जा सकती है, लिहाज़ा किसी इंसान को पता ही नहीं चलेगा कि वो चिप्ड हो चुका है। 
दज्जाल को दुनिया में खुश आमदीद कहने के लिये तैयारियाँ उरुज पर हैं, जो पहले से इस फितने से आगाह होंगे वही इससे बच पायेंगे।

जो लाइल्म होंगे वो फँस जायेंगे, बहक जायेंगे, गुमराह हो जायेंगे, सैलाबी पानी में तिनकों की तरह बह जायेंगे।

ख्वातीन व हज़रात से दरख्वास्त है कि इस दज्जाल के फितने को कुरआन व सुन्नत की रौशनी में समझने की भरपूर कोशिश करें, और इस फितने से बचने के लिये दीने इस्लाम में जो राहनुमाई दी गयी है उसे अपनी ज़िंदगियों में फौरी तौर पर अख्तियार करें ताकि कहीं बेखबरी में अपनी दुनिया व आखिरत अपने हाथों से बर्बाद ना कर लें। 

दज्जाल के फितने से बचने के लिये सूरह अल-कहफ की पहली दस आयात की रोजाना तिलावत करें और दज्जाल के फितने से बचने की मसनून दुआएं याद करके अपने मामूल के अज़कार में शामिल फरमायें । 

अल्लाह तआला हमें तौबा करने और कुरआन व सुन्नत के मुताबिक ज़िंदगी गुजारने की तौफीक अता फरमाए, आमीन.

ઈસસે બડી કયામત કી અલામત કયા હોગી?


નાતે -પોતે ખેલ લગાને કી ઔર કબ્ર મે પૈર લટક રહે હો ઉસ ઉમ્ર કી કુંવારી ખવાતિન કો આખરી દૌર કે લિયે કલમે કા શરીક કોઈ ભી નહી મિલા?_
છેલ્લા બે દિવસથી સૌરાષ્ટ્ર ના 64 વર્ષીય મુસ્લિમ મહિલા નુ મેરેજ રજિસ્ટ્રેશન નોટિસ ફોર્મ સોશિયલ મિડીયા મા વાઈરલ થઈ રહયુ છે. આ ફોર્મ માં અપાયેલ  વિગતો મુજબ એ મહિલા ની વય 64 વર્ષ છે તે આ ઉંમરે  કુંવારા છે અને જેની સાથે તે લગ્ન કરવા જઈ રહયા છે તે "ગૈર-મુસ્લિમ" ની ઉમર 60 વર્ષ  દર્શાવાઈ છે. આ ઉંમરે તેઓ જે કરવા જઈ રહયા છે તે મુદ્દો ટોક ઓફ ધ સ્ટેટ બની ગયો છે. આ અંગે સોશિયલ મીડિયા મા એવા અહેવાલો વહેતા થયા હતા કે એ મહિલા પરણેલા છે અને તેમના પુત્રો એ તેમને કાઢી મુક્યા છે અને તેમને ખાવાના સાંસા છે અને જેની સાથે તેઓ લગ્ન કરવા જઈ રહયા છે તે રિટાયર્ડ ઉચ્ચ અધિકારી છે અને કરોડપતિ વ્યકિત છે. જો કે ઝીણવટભરી તપાસ કરતા અલગ જ માહિતી સામે આવી છે.  આ મહિલા ની માં એ વર્ષો અગાઉ કરોડપતિ મુસ્લિમ સાથે લગ્ન કર્યા હતા, એ મુસ્લિમ બાપ ની મિલ્કત વારસા મા આવ્યા બાદ ના તો એમણે ઈસ્લામ નુ કોઈ જ્ઞાન લીધુ છે કે ના કદી ઝિંદગી માં નમાઝ કે કુર્રાન પઢયા છે અને કંઈક અજ્ઞાત ભય ને લીધે એ મહિલા એ લગ્ન કર્યા ન હતા, અને કરવાના પણ ન હતા. હમણા થોડા સમય થી બંને કિડનીઓ મા બિમારી લાગતા નિયમિત ડાયાલિસીસ કરાવવા જતા હતા એ ડોકટર ના હેલ્પર કમ વોર્ડબોય "હીરો હિરાલાલ" ના સંપર્ક મા આવ્યા અને એનાથી એટલા મોહિત થઈ ગયા છે કે પોતાની તમામ મિલ્કત ની વસિયત આ "હીરો હિરાલાલ" ના નામે કરી નાખી છે!!! આ મુરતિયા ની ઉમર ફોર્મ મા 60 વર્ષ દર્શાવવા મા આવી છે એમાંય ભંયકર ગોટાળો જ લાગે છે. આ ઉંમરે આવુ બધુ ના શોભે એવી સલાહ આપવા વાળા ને પણ તેઓ જોઈ લેવાની કાયદાકીય ધમકીઓ આપેછે.  
આ ઉંમરે લગ્ન કરવા જઈ રહેલા કુંવારા મહિલા ને "બા" તરીકે સંબોધવા કે "આંટી" તરીકે, "માજી" કે પછી "નવવધુ" કહેવા તે સમજાતુ નથી.

Thursday, 24 September 2020

आने वाला वक्त कैसा होगा? WhatsApp Masej

*एक दरख़्वास्त ( इत्मिनान से पढ़ें और दुसरो को भी बताएं)*

आने वाले दौर के लिए तैयार रहें और ख़ास तौर पर अपनी औलाद और आने वाली पीढ़ी को तैयार करें क्योंकि आपने तो अपनी ज़िंदगी लगभग काट ली है।

बहुत से लोग अभी भी ये समझ रहे हैं कि दुनियां दोबारा पुरानी डगर पर वापस आ जायेगी। 
आप होश में आ जाएं, दुनियां बदल चुकी है, न्यू वर्ल्ड आर्डर की इब्तिदा हो चुकी है, दुनियां उस डगर पर लौट कर कभी नहीं आएगी।
दज्जाली निज़ाम की इब्तिदा हो चुकी है,

आप दुनियावी घटनाक्रम की क्रोनोलॉजी पर जरा नज़र डालें, 
ISIS,आतंकवाद, इस्लामोफोबिया, नरसंहार-क़त्लेआम, पूरे दुनिया पर फ़ासिस्ट ताकतों का शिकंजा, फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद, पूरी वर्ल्ड इकॉनमी कॉर्पोरेट के हाथो में जाना, पूरी दुनिया मे फाइनांशियली इमरजेंसी लगी है लेकिन कोई इस लफ्ज़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, रिसेशन उरूज पर है, नफरते-नफ़सानीयतें उरूज पर हैं, बेरोज़गारी, आत्महत्याएं, अपराध, भुख्मरी, गरीबी चरम पर है,, नन्यूक्लियर हथियार, बायो वेपन्स, मीडिया प्रोपोगंडा, और एक के बाद एक तमाम दीगर फ़ितने,

जेरूसलम यहूदियों के हाथ जा चुका है, इजराइल और अरब समझौते के बाद यहूद ने हिजाज़ में भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है पहले ही हिजाज़ ए मुक़द्दस का निज़ाम ख़रीजीओ/मुनाफिकों, दौलत और अययाशी के ठेकेदारों के पास है, 
सीरिया, यमन, अफ़ग़ानिस्तान, इराक, म्यांमार, हम सब भूलते जाते हैं

हमे लगता है ये सब जगहें दूर हैं लेकिन हम गफलत में हैं,,
इस दौर के बारे में बहुत तवील से बताया गया है लेकिन हमने दीन को पढ़ा ही नहीं है, हर फितना आने वाले फ़ितने से बड़ा होगा, दुनिया अभी कोरोना से ही हिल गयी, और आप मेरी बात लिख लें कि बहुत ही जल्द इस से बड़ा फितना वुजूद में आएगा,,

असल मौज़ू पर आता हूं,
स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और दीगर तालीमी इदारे अब लम्बे अरसे तक शायद बंद रहें
अब बच्चों को तवील अरसे तक मां बाप की निगरानी में घरों में ही रहना है अपने बच्चों को आने वाले दौर के लिए तैयार करें...
जिस्मानी तौर पर भी..ज़हनी तौर पर भी और रूहानी तौर पर भी...! उनको उर्दू, अंग्रेज़ी और अरबी लाज़मी तौर पर सिखाएं.. दीनी उलूम, तारीख और तहज़ीब के बारे में मुकम्मल आगाह करें...

अपने बच्चों को लाज़िमन कोई हुनर या फन या उलूम सिखाएं, या कोई ना कोई हाथ का काम जो उनको मसरूफ भी रखे और जिससे आने वाले वक़्त में ये कारआमद हो सकें और वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें,
अपने बच्चों की जिस्मानी और ज़हनी तौर पर लाज़िमन ऐसी तरबियत करें कि मुश्किल और ना मुसाइद(ना मुआफिक़) हालात में वो बर्दाश्त करने के क़ाबिल हों.. जिस तरह एक NCC कैडेट की तरबियत होती है..
जंगल में खैमा लगाना..
आग जलाना..
खाने पकाना..
शिकार करना और हथियार चलाना, आजकल हमारे बच्चे बहुत आराम तलब और नाजुक हो चुके हैं..जिसके कसूरवार भी मा बाप ही हैं, 

 माज़ी (पास्ट) में हमारा तमाम तर तालीमी निज़ाम बच्चों को दीन और अदब के साथ हुनर भी सिखाता था..तमाम मुसलमान अपने हाथों में मख्सूस हुनर रखते थे और हाथ से काम करते थे...

कोई लोहे का काम जानता तो कोई लकड़ी का.. 
कोई कपड़ा बनाता तो 
कोई चमड़े का.. 
कोई मुर्गियां पालता तो 
कोई गल्ला बेचता था खेती करता...!

आज के वक़्त में भी ऐसे तमाम उलूम, पढ़ाई, कामकाज, हुनर हैं, प्रोफेशन हैं जिन्हें सीखकर क़ौम मजबूत हो सकती है, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बहोत कुछ सीखा जा सकता है, उस्तादों से या अपने बड़ो से सीखा जा सकता है, किताबो से सीखा जा सकता है, हुनरमंद बने, तालीम हासिल करें, अपने अंदर अच्छी खसलतें, खूबियां, उसूल और ईमान को पैदा करें, तिज़ारत(बिज़नेस) के बारे में सोचे भले ही छोटे लेवल पर, कोई भी काम छोटा नहीं होता फ़क़त उसकी कमाई हलाल होनी चाहिए, 

आगे आने वाला दौर मुश्किलात और जंगों का दौर है.. अपने बच्चों को इसके लिए तैयार करें
अब डिग्रियां हाथ में लेकर कॉलेज से निकल कर नौकरियां तलाश करने का दौर खत्म हो गया, सरकारी नौकरियों के दौर भी लगभग जा चुका है,

आगे के फितने इससे भी मज़ीद सख्त होंगे.. और ये कोई फर्जी बात नहीं..एक तो सब हालात आंखों के सामने हैं.. और मजीद इन सब हालात की खबर अफज़लुल रसूल सरकारे दो आलम नबी ए मुहतरम ने हमें दी हुई है कि ये सब होकर रहेगा..
अब बचेगा वही जो चौकन्ना होगा...

क़ुदरत भी सरवाईवल ऑफ द फिटेस्ट की नीति पर काम करती है, दानिशमंदी और ईमान व अमल इख़्तियार करें, जिस्मानी, ज़हनी, और रूहानी तौर पर मजबूत बनें और दूसरों को बनाएं।

कम्फर्ट जोन से बाहर आजाएं, कुएं के मेंढक बनकर न जियें, बल्कि दुनियावी सतह पर जो घटनाक्रम चल रहा है उससे इबरत लें और जद्दोजहद करें।
इंशा अल्लाह कामयाबी ज़रूर मिलेगी।

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...