Followers

Monday, 31 May 2021

भारत के 11में राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद जिनको हमेशा याद रखा जायेगा. जाने इनके जिवन को. Abdul Kalam

SOCIAL NETWORK 31 May 2021
        Gujarat, Bharuch 

    अविश्वसनीय और चौंकाने वाली जानकारी अवश्य पढ़ें।

 डीडी पोधिगई ने श्री पी एम नायर (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, जो डॉ अब्दुल कलाम सर के राष्ट्रपति थे, के सचिव थे) के साथ एक साक्षात्कार का प्रसारण किया।

 मैं उन बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करता हूं जो उन्होंने भावनाओं से घुटी हुई आवाज में बोले थे।

  श्री नायर ने "कलाम प्रभाव" नामक पुस्तक लिखी

 1. डॉ कलाम जब भी विदेश जाते थे तो उन्हें महंगे उपहार मिलते थे क्योंकि कई देशों में यह प्रथा है कि वे आने वाले राष्ट्राध्यक्षों को उपहार देते हैं।

 उपहार से इंकार करना राष्ट्र का अपमान और भारत के लिए शर्मिंदगी बन जाएगा।

 इसलिए, उन्होंने उन्हें प्राप्त किया और उनकी वापसी पर, डॉ कलाम ने उपहारों को फोटो खिंचवाने और फिर सूचीबद्ध करने और अभिलेखागार को सौंपने के लिए कहा।

 इसके बाद उन्होंने कभी उनकी ओर देखा तक नहीं।  राष्ट्रपति भवन से निकलने पर मिले उपहारों में से उन्होंने एक पेंसिल भी नहीं ली।

 2. 2002 में, जिस साल डॉ कलाम ने पदभार संभाला था, रमजान का महीना जुलाई-अगस्त में आया था।

 राष्ट्रपति के लिए इफ्तार पार्टी की मेजबानी करना एक नियमित प्रथा थी।

 डॉ कलाम ने श्री नायर से पूछा कि उन्हें उन लोगों के लिए एक पार्टी की मेजबानी क्यों करनी चाहिए जो पहले से ही अच्छी तरह से खिलाए गए हैं और उनसे यह पता लगाने के लिए कहा कि इसकी लागत कितनी होगी।

 श्री नायर ने बताया कि इसकी लागत लगभग रु.  22 लाख।

 डॉ कलाम ने उनसे उस राशि को कुछ चुनिंदा अनाथालयों को भोजन, कपड़े और कंबल के रूप में दान करने के लिए कहा।

 अनाथालयों का चयन राष्ट्रपति भवन में एक टीम पर छोड़ दिया गया था और इसमें डॉ कलाम की कोई भूमिका नहीं थी।

 चयन होने के बाद, डॉ कलाम ने श्री नायर को अपने कमरे के अंदर आने के लिए कहा और उन्हें 1 लाख रुपये का चेक दिया।

 उन्होंने कहा कि वह अपनी निजी बचत से कुछ राशि दे रहे हैं और इसकी जानकारी किसी को नहीं देनी चाहिए।

  मिस्टर नायर इतने चौंक गए कि उन्होंने कहा, "सर, मैं बाहर जाकर सबको बता दूंगा। लोगों को पता होना चाहिए कि यहां एक आदमी है जिसने न केवल वह दान किया जो उसे खर्च करना चाहिए था बल्कि वह अपना पैसा भी दे रहा है"।

 डॉ कलाम हालांकि एक धर्मनिष्ठ मुसलमान थे, उन वर्षों में इफ्तार पार्टियां नहीं हुई थीं, जिनमें वे राष्ट्रपति थे।

 3. डॉ कलाम को "यस सर" प्रकार के लोग पसंद नहीं थे।

 एक बार जब भारत के मुख्य न्यायाधीश आए थे और किसी बिंदु पर डॉ कलाम ने अपना विचार व्यक्त किया और श्री नायर से पूछा,
  "क्या आप सहमत हैं?"  श्री नायर ने कहा "

 नहीं सर, मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं।"
 मुख्य न्यायाधीश चौंक गए और अपने कानों पर विश्वास नहीं कर सके।

 एक सिविल सेवक के लिए राष्ट्रपति से असहमत होना असंभव था और वह भी इतने खुले तौर पर।

 श्री नायर ने उनसे कहा कि राष्ट्रपति बाद में उनसे सवाल करेंगे कि वे असहमत क्यों थे और यदि कारण तार्किक 99% था तो वे अपना विचार बदल देंगे।

 4. डॉ कलाम ने अपने 50 रिश्तेदारों को दिल्ली आने के लिए आमंत्रित किया और वे सभी राष्ट्रपति भवन में रहे।

  उसने उनके लिए शहर के चारों ओर जाने के लिए एक बस का आयोजन किया जिसका भुगतान उसके द्वारा किया गया था।

 कोई आधिकारिक कार इस्तेमाल नहीं की गई थी।  डॉ कलाम के निर्देश के अनुसार उनके ठहरने और खाने की सारी गणना की गई और बिल 2 लाख रुपये आया, जिसका उन्होंने भुगतान किया।

 इस देश के इतिहास में किसी ने ऐसा नहीं किया है।

 अब, चरमोत्कर्ष की प्रतीक्षा करें, डॉ कलाम के बड़े भाई पूरे एक सप्ताह तक उनके साथ उनके कमरे में रहे क्योंकि डॉ कलाम चाहते थे कि उनका भाई उनके साथ रहे।

 जब वे चले गए तो डॉ कलाम उस कमरे का भी किराया देना चाहते थे।

 कल्पना कीजिए कि एक देश का राष्ट्रपति उस कमरे का किराया दे रहा है जिसमें वह रह रहा है।

  यह किसी भी तरह से कर्मचारियों द्वारा सहमत नहीं था, जिन्होंने सोचा था कि ईमानदारी को संभालने के लिए बहुत अधिक हो रहा था !!!।

 5. जब कलाम सर को अपने कार्यकाल के अंत में राष्ट्रपति भवन छोड़ना था, तो स्टाफ का हर सदस्य उनके पास गया और उनसे मुलाकात की और उन्हें पुष्प गुच्छ भेंट किया।

 मिस्टर नायर अकेले उनके पास गए क्योंकि उनकी पत्नी का पैर टूट गया था और वह बिस्तर तक ही सीमित थीं।  डॉ कलाम ने पूछा कि उनकी पत्नी क्यों नहीं आई।  उसने जवाब दिया कि वह एक दुर्घटना के कारण बिस्तर पर थी।

 अगले दिन, श्री नायर ने अपने घर के आसपास बहुत सारे पुलिसकर्मियों को देखा और पूछा कि क्या हुआ था।

 उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति उनसे मिलने उनके घर आ रहे हैं.  वह आया और अपनी पत्नी से मिला और कुछ देर बातें की।

 श्री नायर का कहना है कि किसी भी देश का कोई भी राष्ट्रपति किसी सिविल सेवक के घर नहीं जाएगा और वह भी इतने साधारण बहाने से।

 मैंने सोचा कि मुझे विवरण देना चाहिए क्योंकि आप में से कई लोगों ने प्रसारण नहीं देखा होगा और इसलिए यह उपयोगी हो सकता है।

 एपीजे अब्दुल कलाम का छोटा भाई छाता मरम्मत की दुकान चलाता है।

 जब श्री नायर कलाम के अंतिम संस्कार के दौरान उनसे मिले, तो उन्होंने श्री नायर और भाई दोनों के सम्मान में उनके पैर छुए।

 इस तरह की जानकारी को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जाना चाहिए क्योंकि मुख्यधारा का मीडिया इसे नहीं दिखाएगा क्योंकि यह तथाकथित जीबी टीआरपी नहीं रखता है।

 डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम द्वारा छोड़ी गई संपत्ति का अनुमान लगाया गया था।
 
 उसका है
 6 पैंट (2 DRDO वर्दी)
 4 शर्ट (2 DRDO वर्दी)
 3 सूट (1 पश्चिमी, 2 भारतीय)
 2500 पुस्तकें
 1 फ्लैट (जो उसने दान किया है)
 १ पद्मश्री
 १ पद्मभूषण
 १ भारत रत्न
 16 डॉक्टरेट
 1 वेबसाइट
 1 ट्विटर अकाउंट
 1 ईमेल आईडी

 उसके पास कोई टीवी, एसी, कार, आभूषण, शेयर, जमीन या बैंक बैलेंस नहीं था।

 यहां तक ​​कि उन्होंने पिछले 8 साल की पेंशन भी अपने गांव के विकास के लिए दान कर दी थी.
vh
 वे एक सच्चे देशभक्त और सच्चे भारतीय थे

 भारत सदैव आपका आभारी रहेगा सर।

 सुनिश्चित करें कि आपके सभी दोस्त और प्रियजन इसे बिना असफल हुए पढ़ें
 कृपया अंबानी की बेटी की शादी के वीडियो को फॉरवर्ड करने के बजाय इसे पढ़ें और फॉरवर्ड करें।

Friday, 28 May 2021

बिल गेट्स इतना प्रसिद्ध क्यों हे?

क्या आप जानते हैं कि बिल गेट्स इतना प्रसिद्ध क्यों है? इसलिए कि इंसान को आज उसके गुण और स्वभाव से नहीं, बल्कि दौलत, पद, शक्ति और कार्यकारिता के नजरिये से नापा जाता है। हम यह नहीं सोचते कि एक अपराधी ने इतना धन कैसे कमा लिया। अगर वह निःस्वार्थ सेवा कर रहा है, तो उसका व्यापार कैसे फल-फूल रहा है?

क्या बिल गेट्स के कम्प्युटर से वैक्सीन की दूनिया में कदम रखते ही उसमें बदलाव आ गया? नहीं। उसने सिर्फ मिडिया को पटाकर और जनसम्पर्क बेहतर करके (Media Management और Public Relations के जरिए) अपनी छवि सुधार लिया। आज भी उसकी आपराधिक गतिविधियाँ विद्यमान हैं, पर मिडिया इन बातों को दबा देती है। उसने कम्प्यूटर के क्षेत्र में भी मोनोपली यानि एकाधिकार बनाने के लिए कई अपराध किये थे। उसने अपने बिजनेस पार्टनर को धोखा भी दिया था। इस तरह विश्व का सबसे धनी व्यक्ति बनने के बाद उसने टीके की दूनिया में कदम रखा। उसका हृदय परिवर्तन तो नहीं हुआ, पर मिडिया (पैसा खाकर) उसकी छवि सुधारने में जुट गया। दिखावे का दान देकर बिल गेट्स महान बन गया। ऐसे दान उसके दो और काम आये- टैक्स कम भरना पड़ा और व्यावसायिक स्वार्थ भी सिद्ध हुआ। आगे इसका उदाहरण मिलेगा।

बिल गेट्स और मिडिया ने मिलकर हमें बेवकुफ बनाया। ऐसा क्यों हुआ? दरअसल, हम खोखलेपन के शिकार हैं। हमें यह नहीं दिखता कि कोई इंसान जैसा है, उसका काम भी वैसा ही होगा। स्वभाव से ही कर्म उपजता है। हमें तो सिर्फ फल खाने से मतलब है, फिर चाहे वह फल कैसे भी उगाया गया हो। उस फल के अंदर जहरीले रासायनिक तत्त्व भरे हों सकते हैं, जो कि सार और कीटनाशक के रूप में जमीन और छिड़काव से पौधे में प्रवेश कर जाते हैं। वह फल बिना बीज का या अप्राकृतिक जेनेटिकली माॅडिफाइड/genetically modified (आजकल नया नाम चला है- बायोफर्टिफाइड/biofortified) हो, तो भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। तो, यही लापरवाही हमें बरबाद कर रही है।

और लापरवाही क्यों न हो? हम कर्म में यकीन ही नहीं रखते, हमें सिर्फ फल चाहिए। यह हमारा स्वभाव ही बन गया है। दुनियादारी सीखकर हम उसी की राह पर shortcut to success यानि सफल होने का द्रुततम मार्ग ढूंढते है। नैतिकता का विसर्जन न दिये होते, तो बिल गेट्स को समझना, उसका अभिप्राय बहुत ही आसान common sense की बात होती।

World Health Organization (विश्व स्वास्थ्य संगठन) क्यों कोरोना के बचाव में सिर्फ और सिर्फ वैक्सीन की पैरवी कर रहा है, जब कि हर वैक्सीन  experimental (प्रायोगिक) है? इन vaccine (वैक्सीन/टीकों) के long-term effect (दीर्घकालीन प्रभाव) का अभी आकलन नहीं हो सका है। इसके दुष्प्रभाव के लिए न तो वैक्सीन बनानेवाली कम्पनियाँ उत्तरदायी होंगी, न ही सरकारें। फिर इतने सारे लोगों को टीका लगवाने के किसी भी दुष्परिणाम का जिम्मेदार कौन होगा? डाॅक्टर या नर्स?

टीकों पर पहले से ही बहुत से सवाल हैं। ये दवा से काफी अलग होते हैं। न तो इनका double blind placebo study होता है, न ही इन टीकों में मिलाये गये वस्तुओं की जानकारी मिलती है। और तो और, डाॅक्टरों को भी इन चीजों का पूरा ज्ञान नहीं होता।

इन बातों को समझने के लिए इस खेल के अगले परत में चलते हैं। यहाँ शुद्ध व्यापार मिलेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन को सबसे ज्यादा आर्थिक सहायता बिल गेट्स से मिलता है। इस संगठन के आधिकारिक भ्रष्टाचार में डुबे हुए हैं। सब बड़े बड़े फार्मास्यूटिकल कंपनियों के पिट्ठू हैं। तो, ये लोग बिल गेट्स की वैक्सीन के धंधे को बढ़ावा दे रहे हैं। बिल गेट्स कहीं भी यूँ ही दान नहीं देता, उसके दिये हुए पैसे कई गुणा बढ़कर उसके पास वापस आ जाते हैं। दान करने के इस ढोंग से उसकी छवि सुधर जाती है। मिडिया उसे महान और हमारी उद्धार करनेवाला मसीहा बना देता है। उसे ऐसे दान से टैक्स में भी छुट मिलती है, सो अलग।

क्या अब आप बिल गेट्स की किरदार समझ पा रहे हैं? बताइये तो, कि बिल गेट्स के पास कौन सी डाॅक्टरी चिकित्सा का ज्ञान है? या उसके पास कौन सा तजुर्बा है जिसके कारण मिडिया उसकी बातों का प्रचार करता है? बिल गेट्स महामारी के इस साजिश में एक अहम भूमिका निभा रहा है। इवेंट 201 के जरिये वह पहले ही इस फर्जी महामारी का अभ्यास करा चुका है।

तो, सतर्क रहिए और समझदारी से काम लीजिए। इस खेल का एक और परत है, जिसके बारे में अब जागरूकता बढ़ने लगी है। इस परत में आपको New World Order (नयी विश्व व्यवस्था) depopulation (जनसंहार), total control (पूर्ण नियंत्रण) और  technocracy (तकनीकी तंत्र) मिलेगा।

कुछ संकेत दे रहा हूँ। Wealth Pyramid, Occupy Wall Street आंदोलन, 1% और 99% का टकराव, इत्यादि विषय का ज्ञान प्रयोग कीजिए। अगले कदम पर 5G, Internet of Things, Internet of Bodies, RFID chip implants, Transhumanism, Fourth Industrial Revolution, इत्यादि बातों पर एकसाथ चिंतन कीजिए। आपको एक technocracy की झलक मिलेगी। अब उस technocracy पर सवार इन एजेंडों को देखिए- CBDC (Central Bank Digital Cryptocurrency), Social Credit Score और Surveillance State. आपको Economic dependence and slavery (अर्थनैतिक निर्भरता और दासता) मिलेगी। Artificial Intelligence, Supercomputer system और Robotics के युग में आपका जरूरत कम होता जाएगा। वैसे भी हमारी (99% लोगों की) संख्या ज्यादा होने के कारण हम सब पर नियंत्रण मुश्किल है। तो जनसंख्या घटाया जा रहा है। जो बचेंगे, वे मूलतः smart cities में Universal Basic Income scheme के तहत One World Government का गुलाम बने रहेंगे। पूरी धरती के संसाधनों पर, इंसानो पर भी 1% elites का राज होगा। खेतीबाड़ी भी उन्ही के अधीन होगा। Farm Bills का मुख्य उद्देश्य भी यही है।

अब सवाल उठता है, कि इन सबसे फर्जी महामारी और टीके का क्या संबंध है? तो, कुछ संकेत दूँगा। 5G से भी बीमारी होती है, और उसके उपसर्ग फर्जी कोरोना से मिलते हैं। क्या यह सिर्फ संयोगवश है? मैं इनलोगों के कर्मपद्धति से परिचित हूँ। इनका प्लान काफी जटिल होता है, तभी तो लोग समझ नहीं पाते हैं, और गुत्थी सुलझा नहीं पाते हैं। मसलन, तरह तरह की हिदायतें, दवाइयाँ और चिकित्सा पद्धति को देखिए। ये आधिकारिक सुझाव हमें इतना भ्रमित कर चुके हैं कि हम सोचना बंद कर दिये हैं। इनके योजना में बहुत सारी परतें होती हैं, जैसा कि हम देख रहे हैं। बिल गेट्स सिर्फ इनका एक कारिंदा है, असल योजनाकार पीछे से छुपकर वार कर रहा है।

कुछ और संकेत देखें। पहले लाॅकडाउन में 5G के टावर लगे। क्या यह essential services में आती है, या देश के economy के लिए इतना महत्त्वपूर्ण था? न ही यह essential service था (repair का काम होता, तो ऐसा मान भी सकते थे), न ही economy के लिए जरूरी। कितने लोग बेरोजगार हो गये, भूखे मरे, आत्महत्या कर लिए, किसान खेती नहीं कर पाया- फिर 5G से कौन सी अर्थनीति की बात कही जा सकती है? क्या tower लगानेवाले लोगों की जान को खतरा नहीं था? दूसरा लाॅकडाउन फिर फ्लू के मौसम में हुआ। इसबार 5G का परीक्षण हो गया। कई जगहों से शिकायतें आईं। तीसरे लाॅकडाउन में 5G चालु हो जाएगा, या फिर उसकी frequency (फ्रीक्वेंसी) बढ़ाकर घातक कर दी जाएगी। न तो मोदी चिकित्साविज्ञान के जानकार हैं, न ही अरविंद केजरीवाल। पर दोनों अपने अपने राजनीति के अनुभव से जानते हैं कि तीसरा लहर और लाॅकडाउन होना है, जिसमें बच्चे भी शिकार होंगे। यही योजना है। राजनीति, मिडिया, इत्यादि हर महत्वपूर्ण क्षेत्र 1% elites के कब्जे में है। पैसा बोलता है। इसके अलावा वे हर चीज पर कब्जा करने के तरीके जानते हैं। ये तरीके मनस्तत्त्व, विज्ञान, गुप्त हथियार, गुप्त हत्याओं से लेकर blackmail और mind control तक जाते हैं। 

वैक्सीन में शुरू से ही nanoparticles होते थे। इस कोरोना के कुछ वैक्सीन में और भी तत्त्व होंगे, जो शायद मैग्नेट इत्यादि को टीके के स्थान से चिपका दे रहे हैं। तो, ये 5G radiation से ज्यादा प्रतिक्रिया करेंगे। तो, ऐसे में बच्चों का टीकाकरण खतरों से खाली न होगा। बचाव के नाम पर धोखाधड़ी से मारना elites (एलिट्स) की फितरत है।

जरूरत है सारा खेल समझकर उसका विरोध करने का। हमारी संख्या 99% से भी कहीं अधिक है। हमारी चेतना, नैतिकता और आध्यात्मिकता हमारी शक्ति है।

विशेष द्रष्टव्य: सही मायने में देखा जाए तो ये एलिट हमको वशीभूत करके रखे हैं। इनके Central Banks (केंद्रीय बैंक), जैसे कि भारत में RBI, Fiat Currency (फियाट करेंसी) छापती है, जिसके पीछे हमलोग जिन्दगीभर भागते रहते हैं। शिक्षा-व्यवस्था भी इनके अधीन होकर हमें गुलाम बना रही है। इनका ये सारा षडयंत्र सदियों से चला आ रहा है, और हम इन सब से अनजान बने रहे हैं, क्योंकि ये छुपकर अपने काम को अंजाम देते हैं। इनके बहुत सारे गुप्त संगठन (secret societies) दुनियाभर में सक्रिय रहकर इन षडयंत्रों को अंजाम दे रहे हैं। ये धीरे धीरे हमारे समाज को पतन की ओर ले जा रहे हैं।

इनके काम करने का अंदाज बड़ा ही खुफिया होता है। सरकारों पर इनकी पकड़ है। मिडिया भी इनके अधीन है। ये लोग एक pyramid structure (पिरामिड स्ट्रक्चर) को मडेल बनाकर चलते हैं। ये दुनियाभर में धन, आय, तथ्य, नियंत्रण, सब इसी पिरामिड मडेल पर चलाते है। ये निर्मम और निरंकुश लोग हैं, जो आज्ञाकारिता के बलबूते पर अपना काम करवाते हैं। इस 1% के अंदर भी पिरामिड मडेल है। दरअसल, मुट्ठीभर लोग (100 से 150 लोग) ही सारे निर्णय लेते हैं। शेष इनके हिसाब से चलते हैं।

कुदरती आपदा और सेवाभावी तन्जीमो का किरदार.


      आजादी के बाद से हमारे देश मे सभी धर्मो मे शमाजी,मझहबी चेरेटी ट्रस्ट,N.G.O.वजुद में है,जो कुदरती आपदा जेसे आधी तुफान,शेलाब,अर्थ वेक(जलजले )या फीर कोमी फसादात।मे अपने अपने तोर से मुतासिरो की मदद करने के लिए पेश पेश रहते है।
कुछ रोज पहले ही गुजरात में *ताऊ ते *नामी तेज आधी और बारिश का तुफान आया था,काफी नुक्शानात और परेशानी हुइ है,काफी लोग मुतासिर भी हुए हे।जिसका मुजे बेहद रन्जो गम हुआ और हे।
इस हालात से निपटने के लिए और मुतासिर लोगो की नुशरत (मदद)के लिए भारत सरकार ने प्रधान मंत्री राहत कोस से 1000 करोड और गुजरात सरकार की तरफ से 500 करोड यानी 1500 करोड की सहायता राशि का एलान हुआ है।अब हमारी मुस्लिम नामक तंजीमे जो अन्य मुस्लिम तंजीम के हसद की बीना पर मुतासीर इलाको में जाकर बडे बडे
 एलान कर दीये हम इतने मकानो की तामीर करेगे और मुतासिरो के कन्धो पर चंदा अपील की बंदूक फोडी जायगी😭
अभी फिलहाल मुतासिरो को दवाईया और तेयार खाने सहुलते मील नी चाहिये।
निस्वार्थ खिदमत के लिये वहा पर अपना टेन्ट कायम किया जाए और हकुमत की जानीब से जो इमदाद का एलान हुआ है उसके मुताबिक मुतासिरो के नुक्सानात का सर्वे कराया जाय जो काफी हद तक जरुरी होगी,कोम पर बोज डालने की कोइ जरुरत नहीं है।
हकुमत की जानीब से इतनी मदद का एलान हुआ है के मुतासिरो अन्य मदद की जरूरत नही है।
सिर्फ केश डॉलस का जो मापदंड तय हुआ है वही अगरचे हमारी मुस्लिम तंजीम के खिदमत गुजार इमानदारि से हकुमत से दिलवा ने काम करना शुरू किया जाय तब मुतासिरिनो को घरो मे खाने-पीने के राशन की कमी नही रह सकती।
हकुमत की ओर से बालिग को रोजाना प्रती एक को ₹100और बच्चो को प्रती एक को ₹ 60 की मदद पहले चरण में 60 दीन तक और ज्यादा 90 दीन का हे,अब इस बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि यदी एक घर मे तीन बडे और चार छोटे रहते है तब उन्हे रोजाना ₹540 सहायता राशि प्राप्त हो सकती हे यानी पुरे माह के ₹16,200, दो माह के 32,400,तीन माह के 48,600 बनते हे,और मिल्कतो,खेत ख्लियानो,बागानो को हुआ नुक्सान अलग से !!!जिसकी लिंक उपर भेजी हे। क्या खिदमतगुजार तंजीमे यह मदद हकुमत से दिलवाने मे पीछे क्यो हटते हे?यदी हकुमत ने मदद का कोइ एलान नही कीया है तब  तंजीमो के मदद करे वह सही है।
क्या मुस्लिमो की तंजीमो के सरदार  हकुमत से मिलने वाली इमदाद को हराम करार देते हे ?या अपने लाभ को देखते हुए मुसलमानो को उससे जानबुज कर महरूम रखते हैं?
एक बात यह भी सही है कि हकुमतो से इमदाद दिलाने के लिए खिदमत अंजाम देगे तब मलाई,मखन,घी खाने को कहा से मिलेगा🤣🙏
**😭✍अब्दुल लतीफ ए शेख।
सिनियर असिस्टेंट इन्वेस्टीगेटर
न्यूयोर्क लाइफ इन्स्योरंस कंपनी ओफ अमेरिका**

Thursday, 27 May 2021

લક્ષદ્વીપ ભારત દેશનુ બિજુ કશ્મીર બનાવા તરફ જઈ રહેલ છે.

 
           15 ઓગસ્ટ 1947 થી આજ સુધી ક્યારેય વિવાદમાં ચમકેલ નહીં એવો . . .લક્ષદ્વીપ . . .વિવાદ દેશમાં મીડિયાના માધ્યમથી અચાનક દેશની જનતા સમક્ષ આવ્યો અત્યાર સુધી માત્ર પાઠય પુસ્તકમાં એટલું ભણાવવામાં આવ્યું હતું કે ભારતનો કેન્દ્ર શાસિત ભાગ છે કેવરતી એની રાજધાની છે . . .આમતો આવોજ વિવાદ જે 1947 થી ક્યારેય સામે નહોતો આવ્યો એ અચાનક 1990 માં હિંસાના માધ્યમ દ્વારા દેશ સમક્ષ સામે આવ્યો હતો કાશ્મીર વિવાદ જે આજે પણ ચાલુ છે . .
  
પણ અહીં આપણે નવા વિવાદની વાત કરવી છે . . .સામાજિક ધાર્મિક પ્રાદેશિક નસલવાદી ધ્રુવીકારણ ભારતીય જનતા પાર્ટીની સ્થાપનાથી આજ સુધીનો મુખ્ય એજન્ડા રહ્યો છે જેણે ભારતના અલગ અલગ ભાગોમાં આ ધ્રુવીકારણ સંકુચિત અને સાંસ્કૃતિક ધાર્મિક રાષ્ટ્રવાદ ફેલાવી બહુમત લોકસમુદાયના મનમાં નફરત અને હિંસાના ઝેરનું વાવેતર કરી અને સત્તાના સર્વોચ્ચ સ્થાન ઉપર પહોંચી જવું અને ત્યાં સત્તા કાયમ ટકાવી રાખવીએ પાર્ટીનો મુખ્ય સિદ્ધાંત રહ્યો છે . . .શરૂઆતી પ્રયોગ કાશ્મીર રામ મંદિર હિન્દુત્વ રાષ્ટ્રવાદી એજન્ડા ગણાવી શકાય જેના દેશને નુકશાન પહોંચાડતા ઘેરા પડઘા પણ પડ્યા છે સામાજિક ધાર્મિક હિંસા અને માણસ માણસ ના મન વચ્ચે ભેદ અને સળગતી સરહદનું નિર્માણ કર્યું છે . . .
જેના આગામી સમયમાં ઘેરા પડઘા પડવાની પણ શરૂઆત થવાની છે , કેરલથી પૂર્વ દિશામમાં અરબી સમુદ્રમાં આવેલાઆ અંદાજીત 50 ટાપુઓનો સમૂહ છે  જે લક્ષદ્વીપ આઇલેન્ડથી ઓળખાય છે ટાપુઓ નો કુલ વિસ્તાર અંદાજીત 50 સ્કવેર કિલોમીટરથી વધુ નથી અને અને તે પૈકી માત્ર  10 ટાપુઓ ઉપર  ગણીને  65 હજાર જેટલી વસ્તી ધરાવે છે મુખ્ય લોકોમાં અહીં કોઈ વસવાટ નહોતો પણ આ ટાપુઓનો ઉલ્લેખ મળી આવે છે ભારતના કેરળના લોકો ત્યાં સૌથી પહેલાં પહોંચ્યા હતા ત્યારબાદ  ચૌલ આરબ પોર્ટુગીઝ કન્નુર ટીપું અને છેલ્લે અંગ્રેજ શાસન ત્યારબાદ 1956 થી આજ સુધી કેન્દ્રશાસિત પ્રદેશ રહ્યું છે .
        અહીંના મુખ્ય ધંધામાં માછીમારી નાળિયેરની ખેતી પ્રવાસન મુખ્ય છે સ્વભાવે સરળ આ લોકોની મુખ્યભાષા મલયાલમ છે , આરબ સાગરમાં આવેલ આ ટાપુઓની સુંદરતા માલદીવને પણ ટક્કર આપે તેવી છે , આમ આ વસ્તી અને વિસ્તારની દ્રષ્ટિએ મારા જિલ્લા પોરબંદર કરતાં પણ ખૂબ નાનો છે , પણ આ ટાપુઓનું વ્યહાત્મક અને લશ્કરી મહત્વ ખુબજ અગત્યનું છે . . .બહું ઓછા લોકોને ખબર હશે કે . . .બે દિવસ પહેલાં શ્રીલંકાના કોલંબોમાં આવેલ . . .હબનટોટા બંદર . . .ઉપર શ્રીલંકન સરકારે ચીનને અધિકારો આપી દીધા છે આ વિસ્તારમાં શ્રીલંકા અથવા અન્ય કોઈ દેશના નાગરિક ને હવે ચીનના વિઝા અનિવાર્ય છે ચલણ પણ ત્યાં હવે શ્રીલંકાનું નહીં પણ ચીનનું માન્ય રહે છે . . .આવા સંજોગો વચ્ચે . . .હવે શાંત રહેલા . . .ભારતીય લોકો સાથે હળીમળી અને રહેલા વિસ્તારમાં . . .ભારતીય જનતા પાર્ટીએ આગ ચાંપવાનો પ્રયાસ કર્યો છે . . .જેના પ્રત્યાઘાત માલદીઉ શ્રીલંકા સહિત ભારતમાં કેરળ તામિલનાડુ કર્ણાટકમાં પણ વિરોધના રૂપમાં શરૂ થઈ ચૂક્યા છે . . .સમગ્ર વિવાદ શું છે તે હવે નીચે બતાવેલ મુદ્દાઓ છે . 
   
       અત્યાર સુધી લક્ષદ્વીપમાં એડમિસ્ટ્રેટર તરીકે . . .IAS . . .ઓફિસરની નિમણૂક થતી હતી અને ભારતીય જનતા પાર્ટીએ પહેલીવાર કોઈ નેતાને મુક્યો અને તેમની પસંદગી ગુજરાત માંથી . . .પ્રફુલ ખોડા પટેલના રૂપમાં થઈ અને તાત્કાલિક એક ડ્રાફ્ટ પેસ કરવામાં આવ્યો જે અત્યાર સુધી ક્યારેય ભૂતકાળમાં થયો નથી આ ડ્રાફ્ટનું નામ છે . . .LPDA . . .લક્ષદ્વીપ પ્લાનિંગ ડેવલોપમેન્ટ ઓથોરિટી. . .આ ડ્રાફ્ટમાં કેટલાંક પ્રાવધાન એવા છે કે અહીં અને દક્ષિણ ભારતમાં તેના ઘેરા પડઘા પડવા શરૂ થયા છે . . .અહીં ગુનાખોરીનું પ્રમાણ . 0. . .ઝીરો પોઇન્ટ છે . . .ચોરી લૂંટ મર્ડર મારામારી જેવા ગુનાઓ અહીં થતા નથી અને દેશમાં સૌથી ઓછો આર્થિક અસમાનતા અહીં વસવાટ કરતા લોકોની છે 32 હજારની વસ્તી સામે અહીં 37 હજાર ફિશિંગ બોટ છે અને નાળિયેર નાળિયેર ફાઇબર ઉદ્યોગ માં પ્રવાસન માં અહીં ખૂબ લોકો પૈસા કમાઈ છે . . .અને છતાં અહીં . . .PASA . . .એકટની મંજૂરી આપી સરકાર અને પ્રશાસન ગમે ત્યારે ગમે તે સંજોગોમાં કોઈની ધરપકડ કરી શકે અને કોઈ પણ જાતની જામીનગીરી કે કોર્ટ વગર . . .જેલમાં રાખી શકે છે . . .મતલબ સાફ જે દેશમાં મારામારી નથી થતી ત્યાં શાંત બેસી રહેવા માટે પણ ગુનો બનાવવો જેથી જેલર નો રોટલો નીકળે . . .? . . .ભૂતકાળમાં કોઈ સરકારે અહીં આવું કાર્ય કે કામ કર્યું નથી . . .અહીંનો રોજીંદો મોટાભાગે વ્યવહાર અને વ્યાપાર કેરળ સાથે જોડાયેલ છે તેઓની ભાષા પણ સૌથી વધારે મલયાલમ બોલે છે અને મોટે ભાગે અહીંના લોકોના બીજા ઘર પણ કેરળમાં ખરીદી રાખ્યું હોય છે લગ્ન પ્રસંગ હોસ્પિટલ પણ કેરળ સાથે સાંસ્કૃતિક રીતે જોડાયેલ હોવા છતાં . . .કેરળ સાથે વ્યાપાર રોજગરણ પ્રતિબંધ મૂકી . . .કર્ણાટકના મેગ્લોર માં કરવાનું . . .મોહમદ બિન તઘલઘ . . .ઉર્ફે પ્રફુલ ભાઈ પટેલ દ્વારા નિર્ણય લેવામાં આવ્યો . . .આ સદીઓથી એમના સબંધ મિલકત સામાજિક સાંસ્કૃતિક વૈવાહિક સબંધ ઉપર સરકારી હડપ નહીં તો શું કહેવાય . . .

 . .વળી અહીં સરકાર જ્યારે ધારે ત્યારે સરકારી અને ડેવલોપમેન્ટ ના નામ ઉપર કોઈ કારણ આપ્યા વગર કોઈની જમીન મકાન કે અન્ય સ્થાયી પ્રોપર્ટી પોતાના હસ્તક કરી શકે અને ગમે તેં કંપની અથવા વ્યક્તિને આપી શકે છે. . .મતલબ આપ આ ટાપુઓ ઉપર સદીઓથી વસવાટ કરો છો અહીંના વિકાસમાં ફાળો આપ્યો છે છતાંય સરકાર ગમે ત્યારે આપને અહીં ભિખારી બનાવી શકે છે . . .અહીં ગૌ પાલન થતું નથી કારણકે માત્ર. . .ચાલીસ સ્કેવર કિલોમીટર . . .વિસ્તારમાં જમીન આવેલ છે  બહું સીમિત માત્રામાં છે અને ગાય ઉછેર માટે પ્રોપર પણ નથી અહીંના લોકો માછલી સિવાય અન્ય નોન વેજિટેરિયન વસ્તુઓ ખાવા માટે કેરળ ઉપર આધારિત છે . . .અહીં ગૌ માંસ ખાવા ઉપર પ્રતિબંધ મૂક્યો છે . . .આવા કેટલાય વિવાદાસ્પદ પ્રવધાનો ભારતીય જનતા પાર્ટીએ બનાવ્યા છે. . .જેનો વિરોધ અત્યારે લક્ષદ્વીપ સહિત સમગ્ર દક્ષિણ ભારતમાં થવા માંડ્યો છે . . .હવે ઉત્તર ભારતમાં ભારતીય જનતા પાર્ટીના ગુનેગાર નેતાઓ લક્ષદ્વીપની શાંત જનતાને . . .આતંકવાદ તરફી . . .બતાવવાનો પ્રયાસ કરશે અને વધું એક ચૂંટણી સફળતા માટે ધ્રુવીકારણનો પ્રયોગ લક્ષદ્વીપ ટાપુઓમાં કરશે . . .એક મહત્વનું મને ગમતું પ્રાવધાન નીચે કહું છું . . .*

*. . .ઉપરાંત અહીંના મોટાભાગના લોકો સાંસ્કૃતિક રીતે ઇસ્લામ ધર્મનું પાલન કરે છે . . .ગુજરાતની. . .જેમ અહીં . . .દારૂબંધી. . .છે . . .માત્ર બહારથી આવતા પ્રવાસીઓ માટે . . . બગરામ ટાપુને. . .બાદ કરતાં અન્ય કોઈ પણ ટાપુઓ ઉપર દારૂ વેચવો કે પીવો ગુનો ગણાય છે. . .જ્યારે પ્રફુલ પટેલે આ ડ્રાફ્ટમાં . . .એવો કાયદો લાવ્યાકે. . .લક્ષદ્વીપના વિકાસ માટે ટુરિઝમ વિકાસ માટે દારૂબંધી હટાવી લેવી જોઈએ જેનો સ્થાનિકોએ ખૂબ વિરોધ કર્યો છે . . .કહ્યું આ અમારી સરળ શાંત સંસ્કૃતિ માટે જોખમી છે. . .અરે ભાઈ પ્રફુલ તારે આજ વિકાસ કરવો હોય તો . . .ચાલ ગુજરાતનામાં અહીં . .  દારૂબંધી . . .હટી જાય તો લક્ષદ્વીપ કરતાં વધારે વિકાસ કરશે અહીં મોટાભાગના યુવાનો અત્યારે . . .ઝેરી કેમિકલ મિલાવટ વાળો બે નંબરી અંગ્રેજી દેશી આરોગી . . .મૃત્યુને નાની ઉંમરે આમંત્રણ આપે છે. . .અહીં ટુરિઝમ અને અન્ય ઉદ્યોગોનો મોટાપાયે વિકાસ થશે . . .આપને મદદ જોઈતી હશે તો . . .માંગણી કરો એટલે હું . . .કીર્તિમંદિર અને ગાંધી આશ્રમ બંને જગ્યાએ . . .દારૂ પિય અને સવિનય કાનૂન ભંગ કરીશ . . .વળી જે દેશ આજ સુધી મર્ડર મારામારી ચોરી ડકેતિ લૂંટ બળાત્કાર જેવા ગુનાઓથી અપરિચિત છે . .  ત્યાં કાયદા પાસાના ઘડો છો . . .અને જ્યાં દારૂબંધી કાગળ ઉપર છે તે ગુજરાતમાં . . .કાયમ માત્ર અમદાવાદની ક્રાઇમરેટ . . .તો તપાસ કરો . . .ટૂંકમાં વધું એક કાશ્મીરનું નિર્માણ દેશમાં આપે કરવાનો નીર્ધાર કરી લીધો છે . . .જેનો પરવાનો . . .આપશ્રીને . . .પ્રધાનમંત્રો અને ગૃહમંત્રી આગળથી મળી ગયો છે . . .ઠીક છે આ બહાને ક્યારેય સમાચાર માધ્યમમાં ના 8ચમકતું . . .લક્ષદ્વીપ . . .દ્વીપ બની ચમકવા લાગ્યું ખરું . . .* . . .
 .સર્વે મિત્રોના વિચાર પ્રતિભાવ આવકાર્ય છે . . .Raju Odedra*

Wednesday, 26 May 2021

સંચાલન સુધારો એતિકાફ આંદોલન વોટસએપ મેસેજ

*"સંચાલન સુધારો એતિકાફ આંદોલન"*
      _દોસ્તી પણ અલ્લાહ માટે અને દુશ્મની પણ અલ્લાહ માટે._

તા.૨૬ મે ૨૦૨૧ 
  *સોસિયલ નેટવર્ક*
મસ્જિદ,મદ્રેસાઓ, કબ્રસ્તાન  અન્ય ધાર્મિક સંસ્થાઓના  સંચાલન  બાબત મા આજે મુસ્લિમ બહુમતી ધરાવતા ગામમાં અને મોહલ્લા સોસાયટીઓ માં  દિવસે દિવસે વિવાદ વધુ ગંભીર થય રહેલ છે તેવા સમયે શું  કરવું ❓ તેવો સવાલ સમાજના જાગૃત લોકોમાં ચિંતાનો વિષય છે.

    મે પોતે  સામાજિક કાર્યોના અલગ અલગ વિષયમાં  અનુભવ સાથે આ વિષયમાં પણ સમાજની પરિસ્થિતિઓ ને વધુ સારી રીતે પ્રયાસ સાથે અનુભવ કરેલ છે, આવા ગંભીર વિષયમાં મુસ્લિમ સમાજના જાગૃત લોકોએ  અલ્લાહ ના ઘર અને મુસ્લિમ સમાજની સંસ્થાઓ ના સારા સંચાલકો મળે તે માટે એક મહત્વનું અને મજબુત કામ સારી રિતે કરવા તરફ ધ્યાન કરાવવામાં મારો ફાળો રહે તેને ધ્યાનમાં રાખી આ સમસ્યાના સમાધાન માટે કાર્યનિતી બતાવી રહેલ છુ, ફક્ત સોશિયલ મિડીયા અને સમાજમાં વિવાદ ઉભો કરીને તમે કોઈપણ નાની મોટી સમસ્યાઓ ખતમ નથી કરી શકતા તે માટે આપની કાર્યનિતી અને આપના વિચારો મહત્વનું પાર્ટ ભજવે છે.

     સૌપ્રથમ તમામ એવી મસ્જિદો જેમા સંચાલકો ના લઈને મોટી સમસ્યાઓ અને સમાજમાં ચર્ચાઓ નો વિષય બનેલ હોય તેવી તમામ મસ્જિદ ના નમાજિયો એક અભિયાન સરૂ કરે,જેની રણનીતિ નિચે મુજબ બનાવી આગળ વધે, પ્રથમ આ આંદોલન નુ નામ *સંચાલન સુધારો એતિકાફ આંદોલન* નામ આપી આગળની કાર્યનિતી મા જેતે મસ્જિદના અને ગામ મોહલ્લાના જાગૃત લોકો સાથે મળીને એક મજબુત સાફ લોકો જેઓ આંદોલનને સફળ બનાવા માટે પોતાના અંગત સ્વાર્થ અને દુશ્મની છોડી આંદોલન નો હિસ્સો બને. 

     તેમા પોઝિટિવ વિચારો રાખી સમસ્યાના સમાધાન માટેનો ઉદ્દેશ્ય હોય નાકે સમસ્યાઓ ઉભી કરીને સમાજને વધુ સમસ્યા મા નાખી ભાગલા પાડવાનો પ્રયાસ હોય અને સાથે આંદોલન ફક્ત અલ્લાહ ને રાજી કરવા માટે હોય નાકે વિવાદ ઉભો કરવા માટે તેનું ખુબ ધ્યાન રાખી આગળ કાર્યોમાં જેતે જાગૃત લોકો ભેગા થઈ, પહેલા તબક્કામાં જેતે  મસ્જિદમાં એક દિવસ માટે એતિકાફ કરાવાની નિય્યત સાથે ભેગા થાય જેતે એતિકાફ મા બેસેતા લોકો ખાવાની અન્ય વ્યવસ્થા પોતાના ખર્ચે કરવામાં ઉત્સુક લોકોનેજ સમાવેશ કરવામાં  આવે , આ એકદિવસીય એતિકાફ મા જેતે મસ્જિદના વિષયમાં સમસ્યાઓ માટેની લિસ્ટ તૈયાર કરી તેમા સુધારો લાવવા માટે કેવા પ્રયાસો કરવાની જરૂર છે ? અને કેવી રિતે કરવી તે બાબતમાં ઉંડાણપૂર્વક ચર્ચા કરી, તેની નોધ કરીને સમાજમાં અન્ય લોકોને આ વિષયમાં જાગૃત કરવા માટે કેવા પ્રયાસ કરવા જોય્યે તે માટેના વિચારો અને સારો લોકોની એક લિસ્ટ તૈયાર કરીને તે બાબત અલગ અલગ લોકોને તેની જવાબદારી આપવામાં આવે, સાથે આ કાર્ય બાબત અલ્લાહ પાસે સૌ સાથે મળીને દુવાઓ કરે , અલ્લાહ રબ્બુલ ઇજ્જત આ કામના ફિતના થી તમામ ઉમ્મતની હિફાજત કરે અને તેની ભલાઈ તમામ ને નસીબ કરે.

      આટલા કાર્યો કરિયા બાદ આગળ હવે ત્રણ દિવસનો એતિકાફ આ વિષયમાં કરવા માટેના દિવસો નક્કી કરવા માટે મશવેરો (ચર્ચા) કરી તેની તારીખ નક્કી કરી આવતા સમયે વધુ લોકો આ એતિકાફ મા જોડાય સાથે એ વાતનું  ધ્યાન રાખે એતિકાફ આંદોલન ના નિયમોનું પ્લાન કરવામાં  સહયોગી હોય તેવા લોકોને એતિકાફ આંદોલન સાથે જોડવા માટેની રણનીતિ તૈયાર કરવી. 

   એક દિવસના એતિકાફ જો સફળ થાય તો તેમાં થયેલ તમામ ચર્ચાઓ બાબત વિસ્તારથી અને સારી રિતે લેખિતમાં પેપર તૈયાર કરવા ગણું  જરૂરી કાર્ય છે જેને યાદ રાખવું.

   આપણા મુસ્લિમ સમાજની ગણી સમસ્યાઓ છે પણ જેને સમાધાન સુધી લઈ જવા પોઝિટિવ  અને મજબુત રણનીતિ ના હોવા સાથે એક બિજા સાથે તાલમેલ ના હોવો તે આપણી સમસ્યાઓ દિવસે દિવસે વધવાનું મુખ્ય કારણ છે.
          *ભુલચુક માફ*
    હુજૈફા પટેલ ભરૂચ,ગુજરાત 
      SAFTeam Mo.9898335767

Sunday, 23 May 2021

फलस्तिन के मुस्लिम जुल्म के शिकार मुस्लिम मुल्क के हुक्मरान समझोते के लिये इज़राइल के साथ.

मे कीस मुस्लिम की बात पर लिखु कश्मीर के फलस्तीन❓   _ना हमारी लीडरशिप ना हमारे मुल्कों  की हुकूमत हमारे लिये हे._

    Date:-10 May 2021
     इज़राइल के  यहूदीओ का शिकार हो रहे हे, फलस्तिन की अवाम दुसरी तरफ हमारे मुस्लिम कहे जाने वाले मुल्क के जिम्मेदार बडे बडे नेता खुफिया मीटिंग करके इस बात पर शपथ लेते हे, हम फलश्तिन के लिये इज़राइल के सामने आपस मे इत्तिहाद नही करेंगे.
   खबर के अनुसार पाकिस्तान और साउदी हुक्मरानों की चीन के माध्यम से शपथ लेने के लिये मीटिंग करवाई गई जिसमे मुस्लिम मुल्कों के तमाम बडे बडे नेता (जिम्मेदार ) जमा होकर इस बात पर हस्ताक्षर किये के हम इज़राइल चाहे कितने जुल्म करे फलस्तिन के मुसलमानों पर हम इज़राइल के  सामने कोई सवाल नही करेंगे.
      
        "हा अगर कुच हालात खराब हुये तो ट्विटर पर जरुर लिख देंगे"
    भारतीय मुसलमानों के  लिये कश्मीर की कुच खबरें परही जिसमे कश्मीर का पुरा निजाम बदल दिया गया हे, पुरी सिस्टम के साथ मुस्लिम वक्फ प्रोपर्टी को लेकर कानून बनाया गया हे, खास बात अगर कुच करना हे तो ये याद रखना.
    
     हम खुद मे बदलाव लायेंगे , हम उम्मीद की किरन बनेंगे.
    हम मकसद पर आयेंगे, मसले हल होते जायेंगे.
     हम सच बोलने सुन्ने और गालिब करने कुरबानी देंगे,
दुनिया हमारे कदमों पर आयेंगी.
             इन्शाअल्लाह 
         Huzaifa Patel 
Founder - SAF Team 
Social Dedicated Worker 
        Bharuch Gujarat.

हिन्दु राष्ट्र अधिनियम- कैसा होगा हिन्दू राष्ट्र .



       वोटस्एप वायरल मेसेज २३ मे २०२१ 
दिल्ली चलो-
तारीख की घोषणा होगी शीघ्र

प्रमुख मांगे-
01. हिन्दुस्थान अब हिन्दू राष्ट्र कहा जायेगा. जिसमे शाषन का प्रमुख धर्म-शनातन हिन्दू धर्म व उसकी उपशाखाओं जैन, बौद्ध, सिख होगा.

02. जिस राज्य में हिन्दू व उसके घटकों कि जनसँख्या 50% से कम होंगे, उन्हें वहां सभी अल्पसंख्यक लाभ मिलेंगे.

03. देश के प्रमुख संवेधनीक पदों जैसे PM, राष्ट्रपति, निर्वाचन आयुक्त, मुख्य न्यायधीश, HC  मुख्य न्यायधीश, राज्यपाल, CM, गृह, रक्षा मंत्री, स्पीकर, तीनो सेना प्रमुख, मेयर, कलेक्टर, मुख्य सचिव, केबिनेट सचिव, RBI गर्बनर आदि मुख्य पदों पर अब सिर्फ हिन्दू व उसकी उपशाखाओं से सम्बंधित व्यक्ति ही आशीन होगा.

04. देश व राज्य की सरकारी नोकरियो, शिक्षा, चुनाव क्षेत्रो पर  हिन्दू व इसके घटकों की अधिकतम सीमा 90% से ज्यादा होगी.

05. विभिन्न कारणों से धर्मान्तरित देशी-विदेशी परिवार, व्यक्ति, समूह के  हिन्दू धर्म में घर वापसी पर इन्हें हिन्दू वर्ग में शिक्षा, नोकरी में 5% आरक्षण दिया जाए.

06. अल्पसंख्यक आयोग व अन्य लाभ हिन्दू राष्ट्र के बनने पर ही दिए जाएं.

07. अब 70% से अधिक जनसंख्या वाले हिन्दू  जिलों में हिन्दू व घटकों की आबादी में अन्य को सम्पति खरीद व व्यपार सरकारी लाभ बन्द हो.

08. SC-ST का धर्मान्तरण पूर्णतया प्रतिबन्ध रहेगा.

09. जबरन, धोखे, छल कपट, लालच से हिन्दुओ के धर्मान्तरण के लिए उम्रकैद, 50 लाख जुर्माना.

और भी आगे विडिओ के लिंक पर है।

10. हिन्दू लड़के-लड़की से शादी करने वाले को अनिवार्य हिन्दू धर्म अपनाना पड़ेगा.

11. जनसंख्या नियंत्रण लेकर एक विवाह, 2 बच्चो की अनिवार्य जनसंख्या नीति लायी जाए या फिर हिन्दुओ को भी 4 विवाह, 40 बच्चे, विवाह उम्र 18 वर्ष करे.

12. हिन्दुओ की संपति खरीदने से पहले अन्य को 1 साल पहले जिला कलेक्टर को इसकी सूचना देनी होगी.

13. हिन्दू व इसके घटक अगर अन्य धर्म को अपनाते है तो उन्हें 1 साल पहले इसको जिला कलेक्टर को इसकी सूचना देनी पड़ेगी.

14. हिन्दू व इसके घटकों के मंदिरो, मठो, तीर्थो, ट्रस्टों, पैगोड़ा, गुरूदरों पर कोई भी Tex, स्वामित्व सरकार का नही होगा.

15. हर जिले में एक केन्दीय संस्कृत महा विद्यलय व 5 उच्च माध्यमिक आधुनिक संस्कृत स्कूले होगी.

16. प्रथम  से स्नातक तक संस्कृत अनिवार्य विषय होगा.

17. हर जिलों में 1-1 उन्नत गोशाला व नंदी शाला होगी.

18. बाघ के साथ अब गाय को भी राष्ट्र पशु का दर्जा मिले.

19. गाय के मास की बिक्री पूर्ण पाबन्दी होगी.

20. गाय हत्या, तस्करी, मास विक्रय पर उम्रकैद

21. रामायण, गीता, गुरु ग्रंथ साहिब, जैन व बोद्ध ग्रंथ राष्ट्रीय पुस्तक घोषित होगी.

22. सरकारी नोकरी पर हिन्दू व इसके घटकों के लिए 90% पद आरक्षित रहेंगे. अन्य की पद सीमा 10% पदों से अधिक न हो.

23. संसद, विधानसभा, परिषदों के 90% पद हिन्दू व इसके घटकों के लिये आरक्षित होंगे.

24. सभी हिन्दू व इसके घटकों के धर्मिक स्थलों, क्षेत्रो के अतिक्रमण का पुनः हिन्दू नामकरण, शिलान्यास

25. पुनः इतिहास लेखन

26. अन्य के धार्मिक स्थलों की निश्चित सीमा हो.

27. अल्पसंख्यक आयोग भंग करें.

28. तुस्टीकरण व वोटबैंक के नाम पर बने वक़्फ़ बोर्ड, मदरसा शिक्षा, इशलमिक Study, कट्टरता, वामपंथ आदिबपर पूर्ण पाबन्दी लगे.

29. BPL, विकलांग, SC-ST, स्त्रियों के धर्मान्तरण पर पूर्ण पाबन्दी लगे..

30. वोट अब सिर्फ आधार अंगूठे से सत्यपित होने के बाद ही हर देश वासी का मत दिया जाये..

31. धर्म व जाति, नश्ल के आधार पर बनी रेजिमेंटे भंग होकर अब हिन्दुस्थान सेना ही एक रेजीमेंट हो..

32. चुनावों में सिर्फ उमीदवारों के नाम पर ही चुनाव हो उसमे जाति का उल्लेख न हो..

33. हिन्दुओ को अपनी संपत्ति अन्य धर्म को बेचने से 1 साल पहले जिला कलेक्टर को सूचित करना होगा..

34. हिन्दू धर्म, देवी देवताओं, सभ्यता व उसके घटकों, संस्कृति, रीति-रिवाजों, इतिहास आदि के नाम पर निंदा, फ़िल्म, लेख, वेब सीरीज, लघुफ़िल्म, नाटक,
विज्ञापन के जरिये दुष्प्रचार, गलत तथ्य आदि पर पूर्ण पाबन्दी हो, अवेहलना पर भारी सजा हो..

35. संविधान की नई प्रस्तावना ये हो..
"संपूर्ण प्रभुता सम्पन्न हिन्दुत्त्ववादी लोकतांत्रिक गणतांत्रिक हिन्दुस्थान "

36. हिन्दुत्व मंत्रालय जो कि इनके हितों के लिए काम करेगा.

37. 2023 के बाद दो से ज्यादा अर्थात तीसरे बच्चे व एक से अधिक विवाह वाले मुस्लिमों को वोट अधिकार, सरकारी लाभ, सरकारी नोकरी, चुनाव लड़ने, संवेधनीक पद नहीं देने के प्रवधान के साथ साथ  चौथा बच्चा होते ही उस मुस्लिम को उसके परिवार के साथ देश से बाहर छोड़ दिया जाएगा..  जिसके बाद उन्हें भारत में दुबारा नहीं लिया जाएगा..
38.धर्म की परिभाषा मान्य किया जायेगा ।विधर्म की परिभाषा निश्चित की जायेगी ।
जो धर्म की परिभाषा पूरी नहीं करते ।उस धर्म की मान्यता समाप्त। 
_____ एक सपना हे जैसे ये देखो.👇👇👇_________
 

Thursday, 13 May 2021

जानते हैं इज़राइल का इतिहास ????






*इज़रायल नाम का नया राष्ट्र 14 मई सन् 1948 को अस्तित्व में आया , इसके पूर्व इज़राइल नाम का कोई देश नहीं था। इज़रायल राष्ट्र, प्राचीन फ़िलिस्तीन अथवा पैलेस्टाइन का ही बृहत् भाग है।*

*दरअसल , इसके पहले यहूदियों का कोई अलग राष्ट्र नहीं था, वह पूरी दुनिया के हर हिस्से में फैले हुए थे इसी तरह फिलीस्तीन के इस हिस्से में भी कुछ फैले हुए थे।*

*इतिहास है कि ,छठी ई. तक इज़रायल पर रोम और उसके पश्चात् पूर्वी रोमी साम्राज्य बीज़ोंतीन का प्रभुत्व कायम रहा। खलीफ़ा हज़रत अबूबक्र रजि• और खलीफ़ा हज़रत उमर रजि• के समय अरब और रोमी (Bizantine) सेनाओं में टक्कर हुई।*

*सन् 636 ई. में खलीफ़ा हज़रत उमर रज़ि• की सेनाओं ने रोम की सेनाओं को पूरी तरह पराजित करके फ़िलिस्तीन पर, जिसमें इज़रायल और यहूदा शामिल थे, अपना कब्जा कर लिया।*

*खलीफ़ा हज़रत उमर रजि• जब यहूदी और अपने इस्लामिक पैगंबर हज़रत दाऊद अलैहेस्सलाम के प्रार्थनास्थल पर बने यहूदियों के प्राचीन मंदिर में गए तब उस स्थान को उन्होंने कूड़ा कर्कट और गंदगी से भरा हुआ पाया।*

*हज़रत उमर रजि• और उनके साथियों ने स्वयं अपने हाथों से उस स्थान को साफ किया और उसे यहूदियों के सपुर्द कर दिया।*

*यह भाग भले अरबी साम्राज्य के अंतर्गत था परन्तु यहूदी यहाँ रहते थे।*

*जर्मनी यहूदियों का सबसे बड़ा गढ़ था , एडोल्फ हिटलर ने जब जर्मनी में यहूदियों का कत्ले-आम प्रारंभ किया और चुन चुन कर एक एक यहूदियों को मारने लगा तब मुस्लिम राष्ट्रों ने अपने धर्म इस्लाम की एक मान्यता प्राप्त किताब "तोरेत" और अपने ही धर्म के एक पैगम्बर "हज़रत दाऊद अलैहेस्सलाम" को मानने वाले यहूदियों को अपनी ज़मीन पर पनाह दी , और फिर जर्मनी से जान बचाकर भाग रहे सभी यहूदी इस क्षेत्र में जमा हो गये , यह क्षेत्र यहूदी बहुल हुआ तो धीरे धीरे पूरी दुनिया के यहूदी इसी क्षेत्र में आ कर बसने लगे।*

*इस्लामिक राष्ट्रों के द्वारा यहूदियों की जान बचाने के लिए दी गयी इस मदद के बदले "यहूदियों" ने फिलिस्तीन और इस्लामिक राष्ट्रों को धोखा दिया और अमेरिका की व्यवस्था में घुस गये यहूदियों के माध्यम से अमेरिका के प्रभाव का प्रयोग करके उस शरणार्थी क्षेत्र को अलग राष्ट्र "इज़राइल" 14 मई सन् 1948 को घोषित करा लिया।*

*अरब राष्ट्रों के अकूत प्राकृतिक संपदा पर गिद्ध दृष्टि जमाए अमेरिका के लिए यह क्षेत्र सभी इस्लामिक देशों पर अपना नियंत्रण रखने का एक अड्डा बना और आज सारे मुस्लिम राष्ट्र अमेरिका की इसी नीति से अस्थिर हैं।*

*यह है कहानी "कर भला तो हो बुरा" , विपत्ति के समय यहूदियों  को जान बचाने के लिए दी गयी मुसलमानों द्वारा शरण आज उन्हीं यहूदियों  से जान बचाने की स्थिति में वही मुसलमान आ गये जिन्होंने कभी इनकी जान बचाई थी।*

*इज़राइल का इतिहास है कि वह किसी का सगा नहीं , यहाँ तक कि अमेरिका के रहमों करमो पर पलने वाला यह देश अक्सर अमेरिका को भी धमकी देता रहा है।*

*इज़राइल "काला नाग" है , जिसका दूध पीता है उसी को डसता है , इज़राइल , इस्लामिक देशों में अमेरिका के आतंकवाद फैलाने और उनको अस्थिर करने का मुख्यालय है , भारत इसीलिए सदैव इस देश से दूर रहा और फिलिस्तीन का समर्थक रहा है।*

*जब अमेरिका में 9/11 हमला वलड़ट्रेट पर हुआ तब सभी यहूदियों जो उस बिल्डिंग में काम कर रहे थे वोह  एडवांस 8 दिन की छुट्टी पर था.?*

#yusufPrmar
#IndiaWithPalestine #FreePalestine #Palestine

Tuesday, 11 May 2021

मस्जिद अल अक्सा 2021 - 27 RAMJAN MAY




दरअसल दो दिन पहले ट्विटर पर #indiastandwithisrael टाॅप ट्रेन्ड कराया गया। वह इसलिए कि इज़राईल ने "अल-अक्सा" मस्जिद में नमाज़ पढ़ते मुसलमानों पर गोली चलाई।

वह लोग जो खुद के परिजनों की लाशें मुसलमानों के हाथों जलवा रहे हों , जिनकी सासें मुस्लिम मुल्कों से आई आक्सीजन पर चल रही हो , जो खुद खड़े नहीं हो पा रहे हों , वह मुस्लिमों से नफरत में इतने अंधे हो गये हैं कि आईसीयू में 12 प्वाइंट आक्सीजन प्रेसर पर सांस लेकर इज़राईल के साथ खड़े होने की घोषणा कर रहे हैं।

खैर , जहरीले लोग अपनी हरकत से बाज नहीं आने वाले। आईए देखते हैं कि वहाँ गोली क्युँ चली ? क्युँकि मौजूदा दौर में किसी एक धर्मस्थल को लेकर जो सबसे अधिक विवाद है वह है 

                                       "अल अक्सा मस्जिद"

येरुसलम में बनी अल अक्सा मस्जिद दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शुमार है तो यह मस्जिद दुनिया के सबसे बड़े विवाद के कारण फिलिस्तीन और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष की वजह भी है।

असल में कभी कभी दया , नेकी , इंसानियत , मदद और हमदर्दी , इसके करने वाले के लिए ही काल बन जाती है। फिलिस्तीनी आज उसी काल से जूझ रहे हैं।

जर्मनी में हिटलर के जनसंहार के आतंक से जब यहूदी जर्मनी से भाग कर 1943 से पहले विभिन्न देशों में शरण लिए तो मानवता के नाते मुस्लिम बहुल मुल्क फिलिस्तीन की तब की "अग्रेजी हुकूमत" ने भी तब अपने यहाँ उनको बड़े पैमाने पर शरण दी , और फिलिस्तीन की बंजर ज़मीनों पर उनको बसाया और उस सरकार की यही दया , नेकी , इंसानियत , मदद और हमदर्दी, मुसलमानों पर भारी पड़ गयी जिसकी कीमत वह आज भी अपनी जान देकर चुका रहे हैं।

इसके पहले 1-2% यहूदी जिस ज़मीन पर रह रहे थे वह बहुत बड़ी संख्या में आकर फिलिस्तीन के एक बंजर हिस्से पर काबिज़ हो गये। यह यहूदी धीरे धीरे उस ज़मीन पर अपना अधिकार जताने लगे और अमेरिकी व्यवस्था में घुन की तरह घुसे यहूदियों ने फिलिस्तीन का 1947 में संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से बँटवारा कर दिया।

और फिलिस्तीन को दो हिस्सों में विभाजित किया। इस तरह 55 प्रतिशत हिस्सा यहूदियों को मिला जिसे आज "इज़राईल" कहा जाता है और बाकी 45 प्रतिशत जमीन फिलिस्तीनियों के हिस्से में आई।

यह मानवीय आधार पर किसी देश में शरणार्थी बने लोगों द्वारा उसी देश पर कब्ज़ा करने का इकलौता उदाहरण है।

1967 में इजरायल के वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी समेत पूर्वी जेरुसलम पर कब्जा करने के बाद से "अल अक्सा मस्जिद" की इस जमीन को लेकर विवाद और बढ़ गया क्युँकि यह पूर्वी जेरूसलम में ही स्थित है। 

बाद में जॉर्डन और इजरायल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि "इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ" का अल अक्सा मस्जिद के कंपाउंड के भीतर के मामलों पर नियंत्रण रहेगा जबकि बाहरी सुरक्षा इजरायल संभालेगा। 

इसके साथ गैर-मुस्लिमों को मस्जिद परिसर में आने की इजाजत होगी लेकिन उनको प्रार्थना करने का अधिकार नहीं होगा।

यथास्थिति बनाए रखने के वादे के बावजूद, पिछले कुछ सालों में यहूदियों ने मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की जिससे तनाव की स्थिति भी बनी।

इन यहूदी लोगों ने येरूसलम स्थित "अल अक्सा" मस्जिद को हड़पने की कोशिश की और इसी कारण फिलिस्तीन और इज़राईल में संघर्ष बढ़ता गया।

इस "अल अक्सा मस्जिद" को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया हुआ है जो कि तीन धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है।

यह प्राचीन शहर येरूसशम यहूदी, ईसाई और मुसलमानों का पिछले सैकड़ों सालों से विवाद का केंद्र है। तो इसका कारण यह है कि तीनों ही धर्म के लोगों का "पैगंबर हज़रत सुलेमान अलैहिससलाम" को लेकर अलग अलग मत है और वह "अल अक्सा मस्जिद" को लेकर अलग अलग योजनाएँ रखते हैं।

ध्यान रहे कि "हज़रत सुलेमान अलैहिससलाम" तीनों ही धर्म ईसाई , यहूद और इस्लाम के स्विकार्य पैगंबर हैं। इस्लाम और कुरान भी इन धर्मों और इनकी किताबों तौरात , जबूर और इंजील को मान्यता देता है।

"तौरात" हज़रत मूसा अलैहेस्सलाम पर तो "ज़बूर" हज़रत दाउद अलैहेस्सलाम पर और "इंजील" हज़रत ईसा (मसीह) अलैहेस्सलाम पर उतारी गई। और कुरआन इस्लाम की वह अंतिम किताब है जो आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम पर उतारी गयी।

इन तीनों धर्मों में महत्वपुर्ण विवाद केवल किताबों को सबसे अधिक महत्व देने का है वर्ना इनकी सत्यता सभी तीनों धर्म के लोग स्विकार करते हैं।

आज से कोई 5000 साल पहले के हज़रत इब्राहिम अलैहेस्लाम तीनों धर्म के लोगों के पैगंबर हैं , इसीलिए तीनों धर्म को "अब्राहम धर्म" भी कहा जाता है।

खैर , अब आते हैं "अल अक़्सा मस्जिद" पर

मुसलमानों का ईमान है कि "मस्जिद अलअक़्सा" हज़रत आदम अलैहेस्लाम (धरती के पहले मानव) के ज़माने की है और ज़मीन पर बनी दूसरी मस्जिद है।

"मस्जिद अल अक़्सा" के बारे में क़ुरआन में "सुरह अलक़सास" में ज़िक्र है। 

इस्लाम के इतिहास में "मस्जिद अलअक़्सा" को "क़िबला ए अव्वल" कहकर पुकारा जाता है। क्युँकि सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत मुहम्मद के ज़माने में जब तक काबा पर गैरमुस्लिमों का क़ब्ज़ा था , मुसलमान "अलअक़्सा मस्जिद" की तरफ़ मुँह करके नमाज़ पढ़ते थे।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत मुहम्मद ने 17 महीनों तक मस्जिद अल अक़्सा की तरफ़ रुख़ करके नमाज़ अदा की है।

अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों के लिए मक्का , मदीना के बाद तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। "अल अक्सा मस्जिद के पास ही सुनहरा गुम्बद 'डोम ऑफ द रॉक' भी है, जिसे सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम हज़रत मोहम्मद के स्वर्ग जाने से जोड़कर देखा जाता है।

"अल अक़्सा मस्जिद" का 35 एकड़ का हाता है जिसमें इस्लामिक इतिहास के इसी तरह के 44 पुरातात्विक साक्ष्य मौजूद हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब फ़िलस्तीन का बंटवारा हुआ तब भी "मस्जिद अल अक़्सा" फ़िलस्तीन का हिस्सा मानी गई।

अब सवाल यह है कि जो "मस्जिद अलअक़्सा" हज़रत आदम के ज़माने से लेकर हज़रत याक़ूब, हज़रत सुलैमान, हज़रत इब्राहीम, हज़रत इस्माईल, हज़रत मूसा और हज़रत ईसा अलैहिससलाम से लेकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक मुसलमानों के पास रही, उस पर यहूदी क़ब्ज़ा क्यों करना चाहते हैं ? 

दरअसल यहूदियों का मानना है कि "मस्जिद अल अक़्सा" ही वह जगह है जहाँ इज़राईल बनाने वाले हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ और उन्हें वहाँ अपना धर्मस्थल बनाना है। इसलिए यहूदी "मस्जिद अलअक़्सा" पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं।

यहूदी दावा करते हैं कि इस जगह पर पहले यहूदियों के प्रार्थना स्थल हुआ करते थे, लेकिन बाद में यहूदी कानून और इजरायली कैबिनेट ने उनके यहां प्रार्थना करने पर प्रतिबंध लगा दिया। यहां मौजूद वेस्टर्न वॉल को वह अपने उस मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं।

जबकि मुसलमान इसी दीवार को "अल बराक की दीवार" कहता है। उनका मानना है कि ये वही दीवार है जहां पैगंबर मोहम्मद साहब ने "अल बराक" को बांध दिया था। ऐसा वहाँ पुरातात्विक साक्ष्य भी है।

मुसलमानों का इमान है कि कि पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह से बातचीत के लिए इसी अल-बराक जानवर की सवारी की थी।

यहूदी मानते हैं जिस दिन वह इसी स्थान पर हज़रत सुलैमान अलैहिससलाम का धर्मस्थल बना लेंगे तो उन्हें वह तिलिस्मी किताबें हासिल हो जाएंगीं जिनकी मदद से वह अपने मसीहा "दज्जाल" को जल्दी बुला लेंगे और वह दुनिया से इस्लाम को ख़त्म कर देगा।

और वह यहूदियों को वह इस्राइल अता करेगा जिसकी झूठी दलील वह अपनी किताब "तौरेत" में गढ़ चुके हैं। यहूदी भी मस्जिद में इस्राइली पुलिस की सिक्योरिटी के साथ अब भी पूजा के लिए आते हैं।

एक आँख वाले दज्जाल का ज़िक्र हदीस में भी है , जिसका आगमन कयामत की कई निशानियों में से एक बतायी गयी है।

अब इसाईयों का पक्ष समझिए

दरअसल "मस्जिद अलअक्सा" की 35 एकड़ ज़मीन के एक हिस्से पर ही "हज़रत ईसा(मसीह) का जन्म हुआ था और वहाँ उनका "बैतुल अहम" है। इसाई लोग उस जगह को पाना चाहते हैं।

कुल मिलाकर तीन धर्मों के विवाद में एक मस्जिद फंसी है जो हमेशा से मुसलमानों की मस्जिद थी। और कई बार इस्राइली फौजों और पुलिस ने कई हथकंडे अपना कर "मस्जिद अलअक़्सा" पर क़ब्ज़े की कोशिश की है।

कई बार वह 50 साल से ज़्यादा उम्र के फ़िलस्तीनियों के मस्जिद में एंट्री पर रोक लगाते रहे हैं और मस्जिद की बुनियाद को खोदते रहे हैं ताकि मस्जिद को कमज़ोर करके उसे गिराकर हादसे के तौर पर दिखा दिया जाए।

यही नहीं जब मस्जिद पर इस्राइल का क़ब्ज़ा था उसकी दीवारों पर इस्राइलियों ने ख़तरनाक कैमीकल पेंट कर दिया जिससे वह जर्जर हो जाए।

अपने अगले प्रयास में इस्राइली पुलिस ने "मस्जिद अलअक़्सा" से जुड़े दस्तावेज़ चुरा लिए जो मस्जिद की देख रेख कर रही "अलक़ुद्स इस्लामी वक़्फ़" के दफ्तर में रखे हुए थे। यह दस्तावेज़ साबित करते हैं कि मस्जिद अलअक़्सा पर फ़िलस्तीनियों और मुसलमानों का हज़ारों साल का हक़ है।

इस्राइली पुलिस अब भी मस्जिद कम्पाउंड में ही डेरा डाले हुए है और बात बेबात पर गोलियाँ चलाती हैं जिसमें अब तक हज़ारो लोग मारे जा चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले भी नमाज़ियों पर गोली चलाई गयी।

"मस्जिद अल अक़्सा" की आज़ादी तब होगी जब वहाँ इस्राइली यहूदी पुलिस हटेगी, उसका पूरी तरह से क़ब्ज़ा फ़िलस्तीनियों को मिलेगा।

18 अक्टूबर 2016 को "संयुक्त राष्ट्र" की सांस्कृतिक शाखा "यूनेस्को" की कार्यकारी बोर्ड ने तमाम अध्ययन और रिसर्च के बाद एक प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा है कि यरूशलम में मौजूद ऐतिहासिक "अल-अक्सा मस्जिद" पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है।

https://www.bbc.com/hindi/international-37695142

उसने अरब देशों के ज़रिए पेश किए गए एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक़्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है।

हालांकि यहूदी उसे आज भी "टेंपल माउंट" कहते हैं और ना तो वह संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को मान रहे हैं और ना "मस्जिद अल अक्सा" को आज़ाद करने को तैय्यार है।

____________पार्ट-2____________
फिलिस्तीन के लिए ज्यादा परेशान मत होइए, क्योंकि फिलिस्तीन इज़राइल से बिल्कुल परेशान नहीं है… यदि फिलिस्तीनी मौत के खौफ़ से परेशान होते या ज़रा भी घबराये हुए होते तो दुनिया के सबसे बड़े शैतान को कंकरी मारने की हिमाक़त कभी ना करते.. बल्कि कई साल पहले ही इज़राइल की सरपरस्ती कबूल कर लेते। 

ना फिलिस्तीन के लिए ज्यादा दुआएँ करने की जरूरत है। दुआ कीजिए खुद के लिए। दुआओ की,हिम्मत की, हौंसले की जरूरत हमें है। हम ख़ुद के लिए दुआ करें कि हम में थोड़ा सा फिलिस्तीनी पैदा हो। 

वहाँ 5 साल का बच्चा भी इज़राइली टैंकों से सीना तानकर बात करता है। यहां चिन्दी फासिस्टो ने सारा सिस्टम कब्जे कर रखा है दूर दूर तक किसी में सर उठाकर बात करने की हिम्मत नहीं है। चंद लोगों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश लोग हिटलर के चेलों के आगे "जी हुकम" पोज़िशन में बिछे पड़े हैं। फ़िलिस्तीनियों के लिए सबसे बड़ा अचीवमेंट है अपने वतन और अर्ज़े मुकद्दस के लिए शहीद हो जाना। वहाँ माऐं अपनी औलादों को शहीद होना सिखाती है। यहाँ माऐं अपने बच्चों को छिपकली से डरना सिखाती है। 

फिलिस्तीनी किसी गोले बारूद मिसाईल बन्दूक से नहीं डरते।  वे अपनी जमीन के लिए मौत को गले लगाने को तैयार बैठे हैं।  वे कहीं भागने वाले नहीं है, पलायन को उन्होंने खुद पर हराम कर रखा है। वे मर जाएंगे, विस्थापित नहीं होंगे। उनके लिए बन्दूक से निकली मौत कोई अनोखी चीज़ नहीं है। वे किसी हाल में मैदान नहीं छोडेंगे। जैसे बहादुर शाह ज़फ़र ने मौत को गले लगा लिया लेकिन मैदान नहीं छोड़ा था। चाहते तो अंग्रेज़ो की अधीनता स्वीकार कर जीवन भर आधे सुल्तान बने रहते। फिलिस्तीनीयो के लिए शहादत सबसे बड़ा फ़ख्र है। ज़ालिम जब जुल्म करता है तब वे हंसते है क्योंकि ज़ालिम का ज़ुल्म उनके लिए इबादत है। ज़ालिम सोचता है अज़ाब है। 

दुआ कीजिए खुद के लिए.. हम में थोड़ा सा फिलिस्तीनी पैदा हो...


Monday, 10 May 2021

Kasmir Gujarati artical

*જમ્મુ-કાશ્મીરમાં ગૃહ મંત્રાલયે છેલ્લા 30 દિવસમાં લીધેલા નવ મોટા નિર્ણયોની કોઈએ નોંધ લીધી છે?*

1.. 5 લાખ હિન્દુ-શીખ પરિવારો
જમ્મુ-કાશ્મીરના અધિકૃત નિવાસી બન્યા.
2. ઓમર અબ્દુલ્લા અને મહેબૂબા મુફ્તીની બધી છૂટછાટો પાછી ખેંચી લેવામાં આવી.
3. જમ્મુ-કાશ્મીર લો યુનિવર્સિટી સહિતની તમામ યુનિવર્સિટીઓ પર કાશ્મીરનું શાસન રદ કરવામાં આવ્યું છે!
4 હિન્દુ મંદિરો પર કાશ્મીરનું
અમલ રદ!
5. 1990 માં, કાશ્મીરમાં હિન્દુઓ દ્વારા બાકી રહેલી સ્થાવર મિલકત પર અતિક્રમણ કરનારાઓને હાંકી કાઢવાનો અધિકાર સક્ષમ અધિકારીઓને અપાયો !
6. જમ્મુ-કાશ્મીર ના  તમામ ગોલ્ફ અને અન્ય ક્લબનો નિયંત્રણ કેન્દ્ર સરકાર હસ્તક. 
7. જમ્મુ-કાશ્મીર મુખ્યમંત્રીની યુનિવર્સિટી બાબતોની દખલ સમાપ્ત!
8. જમ્મુ-કાશ્મીરમાં 42 વર્ષ પહેલા દેશ વિરોધી તત્ત્વોને આપવામાં આવેલ કાયદાકીય સુરક્ષાને દૂર કરવામાં આવી છે!
જાહેર સલામતી અધિનિયમ 1978 હેઠળ દોષિતોને હવે જમ્મુ-કાશ્મીરની બહારની જેલમાં બંધ કરી શકાય છે!
9. જમ્મુ સચિવાલય હવે કાશ્મીર ખસેડવામાં આવશે નહીં. હવે જમ્મુમાં સચિવાલય રહેશે!
કેટલાક વધુ નિર્ણયો.
.. પૂર્વ મુખ્ય પ્રધાનો ફારૂક, ઓમર, આઝાદ અને મહેબૂબાના નિવાસસ્થાન અને વાહન સહિતની અન્ય તમામ છૂટછાટોને દૂર કરવામાં આવી છે.
2. હવેથી, તમામ યુનિવર્સિટીઓ નવી દિલ્હીના સીધા અધિકારક્ષેત્ર હેઠળ રહેશે. આ યુનિવર્સિટીઓમાંથી
અભ્યાસક્રમ કાશ્મીર કેન્દ્રિત નથી
તેમા સુધારણા કરવામાં આવશે.
3. હિન્દુ મંદિરો ચેરિટેબલ ટ્રસ્ટ અથવા મંદિર બોર્ડ દ્વારા ચલાવવામાં આવતા હતા. બોર્ડ હવે સીધા ગૃહ મંત્રાલયને જવાબદાર રહેશે. એટલું જ નહીં, પરંતુ જમ્મુ-કાશ્મીર વકફ બોર્ડ (વકફ) ને પણ નવી દિલ્હીએ કબજો કર્યો છે. નિયાઝથી  અને કાશ્મીરી મુસ્લિમો તરફથી દાન મળ્યું છે એવી દરેક 
 સંપત્તિ
નો કબજો લેવામાં આવ્યો છે અને નવી દિલ્હી દ્વારા સંચાલિત કરવામાં આવશે.
4 નવી દિલ્હીએ સ્થાનિક સરકારને પંડિતો પાસેથી ખરીદેલી વસાહતોમાંથી સ્થાનિક લોકોને હાંકી કાઢવાનો અધિકાર આપ્યો છે. વેચાણ અમાન્ય જાહેર કરી દેવાયા છે.
5. નવી દિલ્હીમાં ફક્ત ગોલ્ફ કોર્સ જ નહીં પરંતુ વનની તમામ જમીન અને પર્યટન વિકાસ અધિકારીઓ કાર્યરત થયા છે. તેઓ ભારતમાં કોઈપણને વ્યૂહાત્મક સ્થળો અને સુવિધાઓ વેચી અને ભાડે આપી શકે છે.                  જય ભારત 🇮🇳 🇮🇳

Sunday, 9 May 2021

મોદી અસ્તાચળને આરે....

તંત્રીલેખ 🌍 દિલીપ ભટ્ટ

[  ગુજરાત સમાચાર, શનિવાર, 8/5/21 ] 

WhatsApp viral 
----------------------------

કદાચ વડાપ્રધાન પદે મિસ્ટર મોદી ભલે મુદત પૂરી થતાં સુધી આસન ધારણ કરી રાખે પરંતુ કોરોના કાળમાં પ્રજાહિતમાં તેમણે દાખવેલી ઘોર ઉપેક્ષાને કારણે હવે તેમની જે થોડી ઘણી પણ લોકપ્રિયતા શેષ હતી તેનો વિનાશ થયો છે. મોદી શબ્દનું જ આંતરરાષ્ટ્રીય રીતે અવમૂલ્યન થયું છે. આજકાલ દરરોજ યુનેસ્કોના વિવિધ વિભાગીય સત્તાવાહકો અને ધુરા સંભાળનારાઓ દરરોજ કોઈ ને કોઈ રીતે મોદીની બેદરકારી જેવા રસ્તે ન જવા દુનિયાના અન્ય વડાઓને ચેતવણી આપતા રહે છે. નાના ગરીબ આફ્રિકન દેશોના વડાઓ પણ મોદી કરતાં વધુ બુદ્ધિમાન, જાગૃત અને શ્રેષ્ઠ પ્રજાપાલક રાજનેતાઓ સાબિત થઈ રહ્યા છે. આ વાત પણ યુનેસ્કોએ એના છેલ્લા બુલેટિનમાં જગત સમક્ષ મૂકી છે.

દુનિયાની સૌથી ઊંચી પ્રતિમા તરીકે સ્ટેચ્યુ ઓફ યુનિટીની સ્થાપના કરવામાં આવી. પરંતુ સરદાર પટેલ જેવી દૂરંદેશીતાનો વર્તમાન શાસકોમાં સદંતર અભાવ જ રહ્યો. ફક્ત સ્વકેન્દ્રી અભિલાષા પ્રેરિત માર્ગે ચાલતા રાજનેતાઓ પોતાના પક્ષનું ભલું અને દેશનું જબ્બર નુકસાન કરતા હોય છે તેના સળગતા ઉદાહરણો આપણે જોઈ રહ્યા છીએ. મોદી સરકારની નીતિરીતિમાં કેવડા મોટા ગાબડા છે એ કહેવાની પ્રજાને જરૂર નથી રહી. દર ત્રણ દિવસે સરકારનો કાન આમળવાનું કામ જુદા જુદા રાજ્યની હાઈકોર્ટ અને સુપ્રિમ કોર્ટ કરી રહી છે. મહારાષ્ટ્ર, ઉત્તરપ્રદેશ, ગુજરાત, રાજસ્થાન, કર્ણાટકમાં જ્યારે રોજના હજારો અને લાખો કોરોનાના કેસો આવી રહ્યા હતા, દિલ્હીની સરહદ પર હજુ જ્યાં ખેડૂતો આંદોલન માટે આટલા મહિનાઓથી બેઠા છે અને લદાખ સરહદે ચાઈનાએ પોતાની અવળ ચંડાઇ ફરીથી ચાલુ કરી દીધી છે એવા સમયે મિસ્ટર મોદી બંગાળી ભાષાના અમુક વાક્યો ઉચ્ચારીને બંગાળ સર કરવા તેના કાફલા સાથે નીકળી પડ્યા હતા. આવા સમયે પ્રજાને અનાયાસે જ રોમન શાસક નિરોની યાદ આવી જાય તે સ્વાભાવિક છે. 

કેન્દ્રની સંસદીય સમિતિએ છેક ગયા નવેમ્બરમાં ઓક્સિજનના ઉત્પાદનની ઝડપ અને જથ્થો વધારવા માટે દરખાસ્ત મૂકી હતી. સ્ટેચ્યુ ઓફ યુનિટી પાસે જ્યારે મુલાકાતીઓ માટે આખું પ્રદર્શન સીટી ખુલ્લું મુકાયું અને મિસ્ટર મોદી તેના હાથ ઉપર પોપટ જેવા પક્ષીઓ બેસાડી રહેલા એ સમયે જ એઇમ્સ અને બીજી પ્રતિષ્ઠિત સંસ્થાઓના નિષ્ણાત ડૉક્ટરોએ કોરોનાની બીજી લહેરની ગંભીરતાપૂર્વક ચેતવણી આપી હતી. વેક્સિન આવશે ત્યારે તેના કાળાબજાર થશે અને રાજકારણ ખેલાશે એ  આગાહી પણ અહીંથી કરવામાં આવેલી. જે ખોટી પડી, કારણ કે ફક્ત વેક્સિન જ નહીં જીવનજરૂરી દવાઓ, ઇન્જેક્શન પણ બ્લેક માર્કેટમાં વેચાવા લાગ્યા અને હિન્દુસ્તાન આખાની પબ્લિકને વેક્સિનના બે ડોઝ આપવા સક્ષમ સિરમ ઇન્સ્ટિટ્યૂટના સીઇઓને દેશ છોડવાની ફરજ પડી. વર્તમાન સરકારને  દેશના મીડિયાએ અને આંતરરાષ્ટ્રીય મીડિયાએ અનેક વખત ચેતવી હતી પણ પૂર્વતૈયારીનું એક પણ પગલું લેવામાં આવ્યું નહીં. બેદરકારીની પરાકાષ્ઠાનું વરવું પ્રદર્શન આપણે જોયું. 

પુત્રના લક્ષણ પારણામાંથી દેખાય એ જ રીતે વડાપ્રધાનની તાસીર આપણે સૌ જાણતા હતા. ભારતના ઇતિહાસમાં ક્યારેય કોઈએ ન લીધા હોય એવા નીતનવા નિર્ણયો લઈને અભૂતપૂર્વ વિક્રમો સ્થાપવાનો તેમનો જૂનો શોખ છે. નોટબંધી, નવી નવી કરન્સી નોટ, જીએસટી, અનેકવિધ દેશોનો વ્યર્થ પ્રવાસ વગેરે તેના ઉદાહરણો છે. આના પગલે ભારતમાં હવે વિક્રમો સર્જવાની પરંપરા ચાલુ થઈ ગઈ. દરરોજ કોરોનાના પોઝિટિવ કેસમાં એક નવો વિશ્વવિક્રમ બને છે અને પાકિસ્તાન કે બાંગ્લાદેશ જેવા દેશો પણ મદદ કરવા માટે હાથ લાંબો કરે છે. છેક દૂરના પોલેન્ડના ઓક્સિજન કોન્સનટ્રેટર મંગાવાય પણ પંજાબથી સો કિલોમીટર દૂરના પાકિસ્તાનમાંથી ઓક્સિજનની મદદ લેવાની વડાપ્રધાન કેમ ના પાડે એનો જવાબ આ સરકાર આપશે? વર્તમાન સંજોગોમાં વડાપ્રધાને પોતાના દેશના નાગરિકોના સ્વાસ્થ્યનું વિચારવાનું હોય કે એક પક્ષના નેતા તરીકે પોતાની છાપની સાચવણી કરવાની હોય? 

કોરોના સામે લડવા માટે વેક્સિન જ અત્યારે એકમાત્ર હાજર હથિયાર છે. તો વેક્સિનેશનની આખી વ્યવસ્થા પણ સખત નિરાશાજનક છે. વેકસિનના ડોઝ પૂરા મળતા નથી, એપ્લિકેશન ક્રેશ થઈ જાય છે અને યુવાનોને વેક્સિન મળતી નથી. દેશને કોરોનામુક્ત કરવો હોય તો બધા લોકોને સત્વરે વેક્સીન આપવી આવશ્યક જ નહીં અનિવાર્ય છે પરંતુ જે જુસ્સેદાર અભિગમ ભાજપની રેલીઓમાં જોવા મળે છે એ વેકસિનેશનમાં જોવા મળતો નથી. છબરડાઓની અસ્ખલિત હારમાળા સર્જીને વર્તમાન સરકારે નવો વિક્રમ સ્થાપ્યો છે. સી-પ્લેન અને રો-રો ફેરી સર્વિસની જેમ જ વેકસીનેશનની વ્યવસ્થા હેન્ડલ કરવામાં આવે છે.  હતાશ નાગરિકોને એવો વિચાર આવી જવો સ્વાભાવિક છે કે વેક્સિનના ડોઝ આપવાનો કોન્ટ્રાકટ ખાનગી કંપનીઓને મળ્યો હોત તો આ વર્ષના અંત સુધીમાં આખા દેશને રસી મળી ગઈ હોત. પરંતુ ઇચ્છાશક્તિ અને અમલ કરવાની વૃત્તિનો ભયંકર અભાવ જોવા મળે છે. આઝાદી પહેલા પણ આટલો ગમગીની ભર્યો માહોલ હિન્દુસ્તાને જોયો નથી.

કાબા વિના આ દુનિયા રોકાઈ શકે છે.


SAFTEAM GUJ. 09 May 2021

  સુબ્હાનઅલ્લાહ

  અમેરિકાના એક મોટા લેખક કે જણાવ્યું છે :   

જો મુસલમાનો આ પૃથ્વી ઉપર *કાબા શરિફ* પાસે  તવાફ કરવાનું અથવા પ્રાર્થના કરવાનું બંધ કરશે , તો આપણી ધરતીનું પરિભ્રમણ અટકશે, કારણ કે કાળા પથ્થર પર કેન્દ્રિત સુપર કંડક્ટરનું પરિભ્રમણ હવે ઇલેક્ટ્રોમેંગ્નેટિક તરંગોને વેર વિખેર કરશે નહીં.
  15 યુનિવર્સિટીઓના સંશોધનનાં પરિણામો મુજબ બતાવે છે કે મકકા શહેરમાં  આવેલું    "હજરે અસવદ"  એક ઉલ્કા છે .  જેનુ ધાતુ ખૂબ ઊંચુ છે . 
જે હાલની સ્ટીલ કરતા 23,000 ગણી ઉંચી છે.  કેટલાક અવકાશયાત્રીઓ કે જેમણે પૃથ્વી પરથી નીકળતો અને સંશોધન કર્યા પછી ખૂબ કાબૂમા કરતો પ્રકાશ જોયો છે , જે કાબા માંથી નીકળે છે .  સુપર કંડક્ટર   હજરે અસવદ છે,   
 જે માઇક્રોફોનની જેમ કાર્ય કરે છે જે બ્રોડકાસ્ટ થાય છે અને હજારો માઇલ બ્રોડકાસ્ટ રેન્જ સુધી પહોંચે છે.

  પ્રો. લોરેન્સ ઇ. યોસેફ - ફ્લ વ્હિપલે લખ્યું છે :

 "મુસ્લિમો નુ આપણી ઉપર ખરેખર  મોટું દેવું છે, કારણ કે મુસ્લિમો રાત દિવસ કાબા પાસે  તવાફ અને પ્રાર્થનાઓ કરતાં હોવાથી આખી દુનિયામાં સુપર કંડક્ટર   સમયસર થાય છે.  

 લા ઇલાહા ઇલ્લલલ્લાહ,અલ્લાહુ અકબર.
હજ અને ઉમરાહની હિલચાલની પ્રચંડતા જોઈને આપણે કેટલા રોમાંચિત છીએ.

  link

  હવે તમારી પાસે બે પસંદગીઓ છે.
  1. આ લેખને આ પૃષ્ઠ પર છોડી દો જેથી અન્ય વાંચી ન શકે.
  2. 'શેર' પર ક્લિક કરીને અન્ય મિત્રોને મોકલો  જેથી અન્ય લોકોને દુનિયા ની સૌથી મોટી ખુબી ની જાણ થાય.

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...