Followers

Saturday, 31 December 2016

मुस्लिम समाजके हालात के कुच कांरण अोर हक्कित की बात

30/12/2016               गुरु वार   टाइम :- 10:00 am

अस्सला मुअलय कुम वालेकुम सलाम वर्हमतुल्लोह

✒ हुजैफा पटेल मुलिवासी योध्दा  गुजरात भरुच

साथीयो अोर दोसतो अोर  मुस्लिम समाज के सामाजीक धार्मिक (उल्मा ) पोलीटीकल लिदरो को अोर मेरी मां अोर बेहनो को मेरा प्यार भरा सलाम ,

साथी यो मे ये लेख अपने अनुभव अोर कुच आपके सामने हो रहे हालात को अपने नजरीये से समजाना चाहुंगा आसाहे के आप पुरा लेख परहेंगे ,

हमा बात करेगे मुस्लिम समाज के हलात जब जब देश मे इल्कसन आताहे तब कया होता हे इसके बारे मे जानेगें ,

चुके मे गुजरात भरुच से रेहने वाला हु आपमे से बहोत से साथी मुजे जानते हे इसलीये मे सीधी बात करुंगा के गुजरात के दो जिल्ले अेसे हे जो सबसे बरी मुस्लिम आबादी वाला गिना जाता हे गुजरात के जिल्लो मे  कच्छ अोर भरुच इनमे मुस्लिम बसती जय्दा हे मे बात यंहा के हालात से जो के मे वाकीफ हु तो यंहा के हालात से आपको पुरे देशके हालात को समजाने मे आसानी होंगी अेसे अंदाज मे बात लिखने की कोसीस करुंगा आसा हे के आप अपना किमटी समय देकर अोर आगे परहेंगे ,

यंहा भरुच मे भरुच सहर के मुस्लिम जितनी भी सोस्यटी हे वंहा जंहा जंहा भी सोस्यटी की कमीटी का गंधन होता हे वो पोलीटिक लोगो के दव्रा बनाइ जाती जे जिसकी वजाह से पोलीटीकल पारटींया अपने अपने लोगो को कमीटी बना देते हे अोर इसका वो लोग सिर्फ अोर सिर्फ खाली मत के लीये उपयोग करते हे जो कमीटी सोस्यटी के फायदे के लिये बनाने की बात की जाती हे वो सिर्फ पोलीटीकल  पार्ती की गुलाम बनजाती हे अोर वो लोग अपनी सोस्यटी के जो बेजीक काम होते हे उसको छोर कर अपनी पुरी ताकात पार्ती को मजबूत करने मे लगा देते हे जिसका नुकसान सोस्यटी के लोगो को भोगत ना परता हे अोर ये हालात भरुच सहेर के हरवो जगाह जंहा मुस्लिम बसती जयादा हे वंहा भी ये हालात पाये जाते हे , अोर मेरा तो यंहा तक्का अनुभव हुवा हे के आजसे  30 या 35 साल पेहले के जो लोग थे जिनहोने सिर्फ अोर सिर्फ समाजके हित मे कामीती या फ़िर संसथा ये बानाइ थी जिनके बदोलत आज भरुच के हर अलग अलग मुस्लिम समाज के लोगो ने दिन ( धर्म ) अोर दुनीया मे तरक्की हुइ थी उसपर भी आज हर मुस्लिम गांव मे आसानी देखा जाता हे के जंहा समाज हित मे काम होरहा था वंहा अब पार्ती के लीये काम होता हे हर सोसयती या गांव या समाज मे कीसी भी कमीटी का गधन होता हे वो समाज के अच्छे काम अोर समाज मे अेकता बनी रहे अोर समाज हर काम मे आगे बरहे इके लीये होता हे लेकीन देखा ये जाता हे के ये कमीटी के जंहा जंहा होती हे वंहा समाज हित को छोर कर अपनी अपनी पार्ती को जायदा सपोर्त करते हे जिसकी वजाह बहोत हे दोसतो अगर हम ये देखे के जंहा जंहा मुस्लिम बसती जयादा हे अोर वंहा कोय कमिती हे तो वो बाजाये मुस्लिम के जो हक्क अोर अधीकार जो इस देशमे मीले हे उसका फायदा ना पोहचाते हुये अोर इसका अेहसास ना करवाते हुये ये लोग मुस्लिम समाज के दानिसवरो से समाज के लिये चंदा करते हे अोर कय जगाह ये बात पाइ गइ हे के भरच के कय मुस्लिम आबादी वाले गांव मे मुस्लिम समाजके हित के लिये सामाजिक अोर आरधीक जितने भी काम हुये हे वो मुस्लिम समाजके दानिसवारो के दान से  90% किया हुवा  हे अगर मेरी बात गलत हे तो आप अपनी एक नजर गुमालेना आपको इसका अेहसास हो जायेंगा ,
मे मेरे गांव के हालात की बात करु तो हमारे गांव मे अाजसे 30 से  35 साल पेहले के लोग इतनी बेहतर तरीके से मेहनत करतेथे की जिसकी वजाहसे हामारे गांव मे इसलामीक मां आसरे मे बहोत बरी तबदिली आइ थी अोर समाजीक पेहलु मे भी बहोत बरी तरक्की समाज ने पाइथी अोर अारथीक पेहलु अोर समाजके अेजयकेशन पेहलु भी बहोत बरी तरहा कामीयाबी मीली थी जिसकी वजाहथी मुस्लिम समाज के वो हमारे बापदाद हे जिनहोने समाजकौ एक बेजतर तरीकेसे निर्मान किया था अोर उनकी निय्यत इतनी साफथी के उनहोने बिना कोय स्वारर्थ अोर बिना कोय उचनीच अोर मसलकी विवाद ना रखते हुये समाज को बहोत बरी इबरत अोर समाजको एक सबक सीखा के गये थे आज जोभी मुस्लिम समाज की तरक्की हे वा किसि पोलिटिकल पार्ती के बदोलत नही हे बलके ये हमारे बाप दादा की निखालस से समाज के लीये कुरबानी देना की वजाहसे हे ,
हम हमारे बापदादा की मेहनत कौ आगे ना लेगाये जिसकी वजाहसे आज हमारे अंदर सामजीक अोर धार्मीक कंजोरीया आ गइ हे अगर हम ये सोचे के जब उनकी मेहनत थी तो वो मेहनत गइ कंहा तो इसकि दो वजाह हे सबसे पेहले हमने इस मेहनत कौ समजा नही अोर इस मेहतन कौ आगे लेजाने के लिये आगे नही आये अोर दुसरि वजाह हे हमारे समाजके पोलिटिकल लिदरो ने अपने अपने रुतबे को काइम रखने के लिये अेसी मेहनत को जो वो लोग पोलिटिकली इसतीमाल कर सकते थे अेसी मेहनत को पुरी तरहा कबजा करलिया हे इनके मनसे को पुरा करे अोर जो उनकर साथ खरे रहे अेसे लोगो को इसतिमाल किया अोर उस मेहनत को अपने पोलीटीकल फायदे के लिये इसतिमाल किया हे ,
***मुस्लिम समाज का सामाजीक हालात का कुच नजरिया करले ***
हमारे समाज मे जयादातर जबभी चुनाव का वक्त होताहे तो हमारे समाजके लोग अपने अपने लिदर पर पुरी पकर ना करना ये एक बहोत बरी फेक बात हे जिसको हमे जान ना अोर समजना अोर  समजाना जरुरी हे अगर जो लोग पोलिटीकस मे अपना वक्त देते हे या इनमे अपनी बात रखने की कोसिस करना चाहते हे अेसे लोगो को चाहीये के हमारे लिदर को जो काम करने चहीये उस काम का पुरा जाइजा लिया जाये अोर इस्से हम खुद वाकीफ हो अोर हमारे दोसतो से इसकी गुफतगू करे जिस्से हमे अोर बहोत कुच सिखने को अोर समजने को मिले गा दोसतो अगर हम हमारे समाज पर्ती अगर कुच करना चाहते हे तो हमे कमसे कम दरजे मे हमारे जिनेभी पोलीटिकल लिदर हे उनके हर काम कौ बारीकी से जाने या जान्ने की कोसीस करे अगर हमारे लिदि समाज हित मे काम नही करते हे तो हमे इसका पुर जोर से विरोध करना होगा
आगे बात बाद मे लिखा जायेगा
********************************************************
date 01/01/2017  को ट‍ाइम 00:22 
को मेने ये मेसेज वोाटस अोप अोर फेशबुक पर सेर कीया
अस्सला मुअलय कुम व.व.व.
गुजरात भरुच के उलमा अे हक्क अोर मुस्लिम समाजके हक्की की समाज सेवक के लिये मेरा ये मेसेज हे ,

मेरा नाम हुजैफा पटेल गुजरात भरुच से हु मेने पिछ्ले कय साल से समाज हित मे सोच रखते हुये बहोत कुच अेसे अनुभव किये हे जिसका आपतक रखने की कोसीस करुंगा

साथीयो दोस्तो अोर वदिलो से मेरा प्यार भरा सलाम ,

हमारे भरुच के  मुस्लिम समाज का जाइजा लीया जाये  समाज हित की अेक नजर अगर गुमा लिजाये तो ये आम तोर पर  देखा जाता हे के हमारे मुस्लिम समाज के समाज सेवक अोर समाज के जिम्मेदार लोग मेरे अनुभव से समाज के युवाअो के पर्ती कुच बेहतर मेहनत के साथ उनको समाज की जिम्मेदारींया समजाकर  अगर उनपर मेहनतबहो तो हमारे मुस्लिम युवा एक मिसाल काइम कर सकतेहे लकीन सर्त ये हे के समाज हीतमे हो नाके कीसीभी पार्ती के हितमे हो ,

मे ये लेख लिखकर खास बात समजा ना चाहता हु जिसकी वजाह अभी जो गांम पंचायत के इलेकस्न हुये हे इसका खास तोर पर जाइजा लेतो हमारे मुस्लिम युवा एक बहोत बरी गुमराही के अोर बिना मकसद के अपनी सलाहीयत अोर वक्तको करुबान करते नजर आते हे वोभी अेसी जगाह जंहा कोय फायदा अोर नुकसान देखे बिगेर उस काम मे लग जाते हे मे बात करता हु दो दिन पेहले हुये इलेकस्न के रिजल्त के दिन की करता हु भरुच के जंबुसर तालुका के  गांव की जो हालात होती हे चुनाव के वकत वो बहोत ही गंभिर बिमारी की तरहा होती हे जिसमे कय धर, खान्दान, गांव मे अके लाराय जगरे का माहोल होजाता हे अोर इसमे चुनाव के रिजलत के बाद जिसतरहा जुलुसका जो माहोल बन्ता हे उस्से समाजको बचाने की अोर इसका नफा अोर नुकसान समजाने की कोसिस करने की बहोत जरुरत हे चुनावके बाद जिसतरहा बाज गांवमे तो सुबहा के पांच बजे तक मर्द, अोरत, बच्चे, बुरहे , अोर हमारे समाजकी युवा सकती जिसतरहा चुनाव के विजय के बाद पुरे गांव मे लोगो मे अपनी अकलका पदरसन कीया वो भी बहोत सोचने अोर समजने की जरुरत हे हमारे समाजके लिये अेसे लोग तय्यर हो जो सिर्फ अोर सिर्फ समाज हित का काम करे अेसे अफराद तय्यार किये जाये अेसी मेहनत की बहोत जरुरत हे अोर ये काम की जिमदारी मुस्लिम समाजके हर वो फर्द पे लाजीम हे जो अपने आपकौ समाज से जुरा हुवा मांनता हे अोर खास कर मे भरुच के उलमा अोर मुस्लिम लिदर से ये सवाल करना चाहता हु के आपकी अोर से अेसी कोय मेहनत नही होती हे आप लोग जलद से जलद ये काम करना सुरु करदो वरना हमारे युवा अोर आने वाली नसले बहोत बुरी तरहा से गुमराह होजायेंगी अोर अपने हक्क अोर अधीकार को खो बेथेंगी ,

आप ये सोच ते होंगे के आप ने अेसा सवाल कुंयु किया ये मेरे ज्जबात हे समाज पर्ती अोर फिकर हे अोर इसके लिये मे मेहनत भी करता हु अोर जिसतरहा अाप लोगो ने मुस्लिम पर्सनल्लो बोर्द की दस्तखट मुहीम को चलाकर जिसतरहा समाज हित मे काम किया अोर समाज को एक अोर बेदार किया अेसे ही मु.प.बो.  की ( दिन अोर दसतुर बचावो तेहरिक ) तेहरीक से एक बहोत बरी मेहनत से समाज को एक करना अोर बरदार करने के लिये इस मेहनत कौ आगे बरहाने की कोसीस करे ताके आप अपने समाज कुच दे सको अोर समाज हित मे काम करपावो ,.

इस नादान से अगर को भुल अोर खता हुइ होतो माफ करना

Thursday, 29 December 2016

जरत ख्वाजा बख्तियार काकी ( रह०अ०) की आजखरी खोहीस

हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी (रहoअo) का जब इन्तेक़ाल हुआ तो उनकी नमाज़े जनाज़ा के लिए लोग इकठ्ठा हुए। भीड़ में ऐलान हुआ की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए कुछ शर्तें हैं जिनकी वसीयत हज़रत ने की थी:

(1) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसने कभी भी बग़ैर वज़ूू आसमानतरफ़ न देखा हो

(2)मेरी नमाज़े जनाज़ा वो पढ़ाएगा जिसने कभी किसी पराई औरत पर निगाह न डाली हो.

(3)मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी अस्र की 4 रक्अत सुन्नत कभी न छूटी हो.

(4)मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी तहज्जुद की नमाज़ कभी न छूटी हो

जैसे ही भीड़ में ये ऐलान हुआ सारी भीड़ में एक सन्नाटा छा गया।

सब एक दुसरे का मुँह देखने लगे। सबके क़दम ठिठक गए। आँखे टकटकी लगाए हुए उस शख़्स का इंतज़ार करने लगीं की कौन है वो शख़्स! वक़्त गुज़रता जा रहा था लाखों की भीड़ मगर कोई क़दम आगे नहीं बढ़ा रहे थे। सारे लोग परेशान । सुबह से शाम होने को आने लगी मगर कोई क़दम आगे न बढ़ा।

◆ बड़े-बड़े उलेमा, मोहद्दिस, मुफ़स्सिर, दायी, सब ख़ामोश सबकी नज़रें नीची, कोई नहीं था जो इन चारों शर्तों पर खरा उतरता। एक अजीब बेचैनी थी लोगों में.

◆ अचानक भीड़ को चीरता हुआ एक नक़ाबपोश आगे बढ़ा और बोला "सफ़ें सीधी की जाएं मेरे अन्दर ये चारों शर्तें पायी जाती हैं।"

◆ फिर नमाज़े जनाज़ा हुई लोग बेचैन थे उस नेक और परहेज़गार इन्सान की शक्ल देखने के लिए.

नमाज़ ख़त्म होने के बाद वो शख़्स मुड़ा और अपने चेहरे से कपड़ा हटाया, लोगों की हैरत की इन्तेहा न थी, अरे ये तो बादशाहे वक़्त हैं ! अरे ये तो सुल्तान शमसुद्दीन अल्तमस हैं !

◆ बस यही अल्फाज़ हर एक की ज़ुबान पर थे। और इधर ये नेक और पाक दामन बादशाह दहाड़े मार कर रो रहा था और कह रहा था "आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया"
"आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया। वरना कोई मुझे नहीं जानता था"

मुसलमानो, ये है हमारी तारीख़ और ये हैं हमारे नेक और पाकदामन हुक्मरान।

◆ अपनी ज़िन्दगी इन लोगों की तरह जीने की कोशिश करो, कल लोग थोड़ा खाकर भी अल्हम्दुलिल्लाह कहते थे, आज अच्छा और ज़्यादा खाकर भी कहते हैं मज़ा नहीं आया।

◆ कल इन्सान शैतान के कामों से तौबा करता था, आज शैतान इन्सान के कामों से तौबा करता है।

◆ कल लोग अल्लाह के दीन के लिए जान देते थे, आज लोग माल के लिए जान देते हैं।

◆ कल घरों से क़ुरआन की तिलावत की  आती थी, आज घरों से गाने की आवाज़ आती है।

◆ कल औलाद माँ-बाप का कहा मानती थी, आज माँ-बाप औलाद के कहने के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते है।

◆ कल लोग क़ुरआन व हदीस के मुताबिक ज़िंदगी गुज़ारते थे, आज लोग माडर्न फ़ैशन के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं ।

◆ कल मुसलमान दयानतदारी, सच्चाई और हिम्मत व बहादुरी के लिए मशहूर था, आज मुसलमान चोरी, धोखा और ग़द्दारी के लिए बदनाम है।

◆ कल लोग रात-दिन दीन सीखने और अल्लाह की इबादत में गुजारते थे, आज लोग अपना रात-दिन शोहरत और माल व दौलत कमाने में गुजारते है।

◆ कल लोग दीन के लिए सफर करते थे, आज लोग गुनाहों के लिए सफर करते है।

◆ कल लोग अल्लाह की रज़ा कोई लिए हज करते थे, आज लोग नाम व शोहरत के लिए हज करते है।

◆ अल्लाह से दुआ है की - " ऐ दिलों के फेरने वाले हमारे दिलों को आज के बजाए कल की तरफ़ फेर दे, ऐ अल्लाह जो हमारे हक़ में बेहतर हो ऐसा हमें अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमा, हमारी बुराईयां हमसे दूर फ़रमा।"

           ★ आमीन ★

Wednesday, 28 December 2016

मस्लिम समाज के हालात आर्थीक अोर सामाजीक खराब कुंयु हे

सुरु करता हु अल्लाह के नामसे
'' बिस्बील्लाह हिर रहमानीर रहीम "
नंबर  १ हामरी समाजीक लिदर शिप बहोत कंजोर हे
नंबर २ हमारे पोलिटीकल लिदर समाज हित मे नहि हे
नंबर  ३ हमारी धार्मीक पकर बहोत कंम्जोर हे
नंबर  ૪ हमारे समाज मे परहे लिखे लोग समाज हिट काम से बहोत दुर हे
नंबर  ५ हमारे समाजके युवा सक्ती का समाज से दुर होना
ये बात सुरु करेंगे कुच दलिल के साथ अोर इसके लिये हम जलद कुच हालात पर नजर रखते हुये बात करेंगे ताके आपको लेख मे लिखी बात बेहतर तरीके से समज मे आये ,

Monday, 26 December 2016

મુલ્કે શામ અોર સીરીયા કે હાલાત ઈસલામ કી રોશની મે

મુલ્કે શામ (સીરીયા) કે હાલાત ઇસ્લામ કી રોશની મેં....

હદીષે ષાક મેં ઇરશાદ હૈ,
રસુલુલ્લાહ ﷺ ને ફરમાયા :
જબ એહલે શામ તબાહી વ બરબાદી કા શિકાર હો જાએ તો ફિર તુમ મેં કોઇ ખૈર બાકી ના રહેગી.
( ﺳﻨﻦ ﺍﻟﺘﺮﻣﺬﯼ 2192: ،ﺑﺎﺏ ﻣﺎ ﺟﺎﺀ ﻓﯽ ﺍﻟﺸﺎﻡ،ﺣﺪﯾﺚ ﺻﺤﯿﺢ )

યાદ રખો ! હદીષે મુબારક કી રુ સે મુલ્કે શામ (સીરીયા) વ એહલે શામ સે ઉમ્મતે મુસ્લિમા કા મુસ્તકબીલ વાબસ્તા હૈ, અગર મુલ્કે શામ ઐસે હી બરબાદ હોતે રહા તો પુરી ઉમ્મતે મુસ્લિમા કી ભી ખૈર નહિં. વૈસે તો ૯૦ ફિસદ બરબાદ હો ચૂકા હૈ.

અબ જબકી પાંચ સાલા ખૂનરેઝી મેં ૮ લાખ સુન્ની માસુમ બચ્ચે, બુળ્હે, ઔરતે શહીદ ઔર લાતાદાદ દુસરે મુલ્ક કી સરહદો પર ઝીંદગી કી ભીખ માંગતે હુએ શહીદ હો રહે હૈ ઐર ઇતની હી તાદાદ મેં ઝખ્મી યા માઅઝુર હો ચૂકે હૈ.

લિહાજા મુલ્કે શામ મુકમ્મલ તબાહી કે બાદ અબ મુલ્ક નઝઅ કી હાલત મેં હૈ, ઇસ હદીષ કે હિસાબ સે અરબ મુમાલીક કે સુનહરે દૌર કે ખાત્મે કી અહમ વજહ મુલ્કે શામ કે મૌજુદા હાલાત હૈ, ગોયા નબી ﷺ કી એક ઓર પેશનગોઇ અલામત ઝાહીર હો રહી હૈ યા હો ચૂકી.

યાદ રખો કે મુલ્કે શામ કે મુતઅલ્લીક ઇસરાઇલ, રશીયા, ઇરાન વ અમેરીકા જો ભી ઝુઠે બહાને બનાયે લેકીન ઇન સબકા અસલ હદ્ફ જઝીરા એ અરબ હૈ, કયુંકી કુફ્ફાર કા અકીદા હૈ કે દજ્જાલ મસીહા હૈ, ઇસ વજહ સે યેહ લોગ દજ્જાલ કે ઇન્તિઝામાત મુકમ્મલ કર રહે હૈ, જીસકે લીયે અરબ મુમાલીક મેં અદમ ઇસ્તિહકામ પૈદા કરના હૈ, કયુંકી મુલ્કે શામ પર યહુદી વ નસારા કબ્ઝા કરના ચાહતે હૈ ઔર યેહ હોકર રહેગા હઝરત મહેંદી અલયહીસ્સલામ ઝુહુર સે કબ્લ.

ચૂનાંચે કીતાબે ફિતન મેં હૈ કે
આખરી જમાને મેં જબ મુસલમાન હર તરફ સે મગલુબ હો જાએંગે, મુસલસલ જંગે હોગી, શામ (સીરીયા) મેં ભી ઇસાઇઓ કી હુકુમત કાયમ હો જાએગી, ઉલમાએ કીરામ સે સુના હૈ કે સઉદી, મિસ્ર, તુર્કી ભી બાકી ના રહેગા. હર જગહ કાફીરો કે ઝુલ્મ બઢ જાએંગે, ઉમ્મત ઐસી ખાના જંગી કા શિકાર રહેગી. અરબ (ખલીજી મુમાલીક સઉદી અરબ વગૈરહ) મેં ભી મુસલમાનો કી બાકાયદા પુરેપુરી હુકુમત નહિં રહેગી, ખૈબર (સઉદી અરબ કા છોટા શહેર જો મદીના મુનવ્વરા સે ૧૭૦ કી.મી. દૂર હૈ) કે કરીબ તક યહુદ વ નસારા પહુંચ જાએંગે, ઔર ઇસ જગહ તક ઇનકી હુકુમત કાયમ હો જાએગી. બચે કુચે મુસલમાન મદીના મુનવ્વરા પહુંચ જાએંગે, ઇસ વક્ત હઝરત ઇમામ મહદી મદીના મુનવ્વરા મેં હોંગે. દુસરી તરફ દરીયાએ તબરીયા ભી તેજી સે સુખ રહા હૈ જો કી હઝરત મહદી અલયહીસ્સલામ કે ઝુહુર સે કબ્લ ખુશ્ક હોગી.

ઇસ લીએ જબ મશરીક વસતા કે હાલાત કો ખાસકર મુસલમાનો ઔર સારી દુનિયા કે હાલાત કો દેખતે હૈ તો સાફ નઝર આતા હૈ કી દુનિયા હોલનાકીયો કી તરફ બઢ રહી હૈ. ફ્રાન્સ મેં હાલમેં હુએ હમલો કે બાદ ફ્રાન્સ ઔર યુરોપ ભી આલમી જંગ કી બાત કર ચૂકે હૈ. સવાલ પૈદા હોતા હૈ ઇસ આલમી જંગ કા મરકઝ કૌનસા ખિત્તા હોગા, સાફ નઝર આ રહા હૈ કે વો મશરીકી ઇલાકા (સીરીયા, ઇરાક વગૈરહ) હી હૈ.

આનેવાલા દૌર ફિતનો સે ભરા નઝર આતા હૈ ઔર ઇસકે મુતઅલ્લીક ભી સરકાર ﷺને ફરમાયા થા કે મેરી ઉમ્મત પર એક દોર ઐસા આએગા જીસમેં ફિત્ને ઐસે તેઝી સે આએંગે જૈસે તસબીહ તૂટ જાને સે તસ્બીહ કે દાને તેઝી સે જમીન કી તરફ આતે હૈ.

લિહાજા અપની નસલો કી અભીસે તરબીયત ઔર ઇમાન કી ફિક્ર ફરમાએ, વરના આઝમાઇશ કા મુકાબલા મુશ્કિલ હોગા. ઔર દુઆઓ કા ખુબ એહતેમામ કરેં, અલ્લાહ ઔર ઉસકે પાક રસુલ ﷺ કે હુકમો કે મુતાબીક ઝીંદગી ગુજારે, યહુદી ઔર ઇસાઇઓ જૈસે ચહેરે ઔર લિબાસ કો છોડે ઔર પ્યારે નબી ﷺ કે મુબારક તરીકો પર ઝીંદગી ગુજારે. નમાજો કે એહતેમામ કરેં, ટી.વી. કી લાનત સે અપને ઘરો કો પાક કરે.
.

दलित सब्द की पुरी जानकारी अोर बाबा साहेब की बात

🙏🏼सोचें🙏🏼समझें🙏🏼और🙏🏼जानें🙏🏼
🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺
*हमारे लोगों को निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग आम जीवन, सार्वजनिक स्थानों और अपने उद्बोधनों में करने से परहेज करना चाहिए*

"यदि कोई दूसरा भी इनका उपयोग करें, तो बेझिझक उसे ऐसा करने से रोक देना चाहिए"

1. *दलित* एक असंवैधानिक शब्द है
2. *भंगी* भी एक आपत्तिजनक शब्द है
3. *चमार* भी एक अपमानजनक संबोधन है
4. *ढेड* अयोग्यता दर्शाता है
5. *गंवार* से रूढ़िवादिता प्रदर्शित होती है
6. *अपभ्रंस उपनाम* मूलनाम को बिगाड़ने की कुरीति बताता है
7. *अछुत* अस्पृश्यता का भाव पैदा करता है
8. *शूद्र* वर्ण-व्यवस्था का हिस्सा बताता है
9. *शोषित* लाचारी प्रदर्शित करता है
10. *वंचित* कमजोरी दर्शाता है
11. *आर्य* विदेशी जाति का प्रतीक है

*उक्त जैसे और भी अनेक असंवैधानिक शब्द हैं जिनका प्रयोग आपत्तिजनक है*

*अतः उक्त असंवैधानिक शब्दों को लेखन, उद्बोधन, संबोधन में कतई काम में ना लें*
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
इसके अतिरिक्त हमें निम्नलिखित शब्दों की अभिव्यक्ति पर भी विशेष ध्यान रखना चाहिए

1. *हिन्दुस्तान* देश का असंवैधानिक नाम है, *भारत* देश का संवैधानिक नाम है
2. *हिन्दुस्तानी* इस देश की नागरिकता नहीं हैं, *भारतीयता* इस देश की संवैधानिक नागरिकता है
3. *भारत माता* के बोलने के बजाय *मेरा भारत महान* बोलना चाहिए जिसमें देश की महानता का प्रदर्शन है ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
*बाबा साहब ने 6743 जातियों को बहुत गहरी और दूरगामी सोच के साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के नामकरण के साथ तीन समूहों में समाहित कर सामाजिक एकता के क्षेत्र में जबरदस्त अनुकरणीय काम किया था* और 6743 जातियों के समूह को अपरोक्ष रूप से एक संदेश दिया था कि जब भी तीनों समूहों में सामाजिक समरसता की सोच उत्पन्न हो जाएं, तो SC+ST+OBC तीनों समूह एक हो सकते हों क्योंकि *बाबा साहब ने SC+ST+OBC तीनों को सामाजिक और भौगोलिक आधार पर एक पिता की ही संतान* भारत के मूलनिवासी माना था जो *सन् 2001 की डीएनए रिपोर्ट के आधार पर प्रमाणित भी हो गया है कि SC+ST+OBC का आनुवांशिकी आधार पर वैज्ञानिक तौर पर डीएनए 99.99% मिलता है*

जब बाबा साहब ने SC+ST+OBC की 6743 जातियों को एक ही माना है और वैज्ञानिकों ने भी बाबा साहब की बात को प्रमाणित कर दिया है, तो हमें भी SC+ST+OBC को एक पिता की तीन संतानें मानकर एक हो जाना चाहिए

*अर्थात हम भारत के SC+ST+OBC के लोग भारत की मूलजाति द्रविड़ों की संताने भारत के मूलनिवासी हैं*
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
अतः जब हम ही *दलित, शोषित, अछूत, वंचित, अस्पृश्य, ढेड, गंवार* जैसे शब्दों की अभिव्यक्ति संबोधन में करेंगे, तो अनारक्षित समाज तो उक्त शब्दावली का खुलकर दुरुपयोग करेगा ही और प्रमाण के तौर पर हमारे संबोधनों के उदाहरण प्रस्तुत भी करेगा और इन असंसदीय शब्दों के उच्चारण से हमारा वर्ग भी हिन भावना से ग्रसित होता है

अत: उक्त शब्दों के प्रयोग पर SC+ST+OBC के लोगों को ही पाबंदी लगानी होगी, तभी हम दूसरों को उक्त असंवैधानिक शब्दों के इस्तेमाल पर रोक-टोक सकते हैं
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
अब हमारे मार्गदर्शकों को ऐसे असरकारक संबोधन का प्रयोग करना चाहिए जिसके संबोधन से हमारे लोगों में गौरव की भावना का संचार हो सकें और वो पूर्व-अधिरोपित सामाजिक हिन भावना से उभर सकें और हमारे गौरवशाली इतिहास पर गर्व महसूस कर सकें........

वह संबोधन है
*मूलनिवासी*

इस एक नाम की अभिव्यक्ति में *एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की 6743 जातियों को समता, समानता, बंधुत्व और सामाजिक समरसता के आधार पर एकता के सूत्र में समा सकते हैं* और हमारी गौरवशाली ऐतिहासिक पहचान का असरदार प्रदर्शन भी कर सकते हैं

*यह एक नाम पूरे ब्राह्मणवाद को ध्वस्त करने के लिए काफी है*

अपनी कोमेंट जरुर दे

Sunday, 25 December 2016

दरजे कुरआन 25/12/2016 भरुच IJ अोफीश

sanday  टाइम  02:30 to 04:30
कुरआन की सुरत सुरेये कयामत
दो.समसुद्दी मुलाकाती अनुभव
खिर्सचन के साथ
खीर्सचन ने काहा के कबरका अजाब अेसा हे जेसा खराब खवाब
अोर इसको बरलवी खयाल के अलिम लोग ये केहते हे जेसे खिस्चन केहती हे
,
अमेरीकान ने  1945  जापान पर हिरोसेमा नागासाकी सहेर पर हमला परमारु बंम का अोर इस का तेमंपरेजर  6000 दिगरी हो गइ थी,

मो.इरफान पुरन जनम पर बात बलाकोदिरी ने कुरान की आयात
की बात की जिस जिसम ने गुनाह की  उसकोशजा मेलवगी ,

नफसकी तिन किसमे हे 
१ नफसाह अम्मारा :-  गुनाह पर आमदा करता हे (जमिर )
२ नफसे लव्वामाह :-  गुनाह से  बचाता हे
३ नफसेह मुतमइन्नाह :- मुसलसल कोसिस से अच्छे कामकी अोर आगे बरता हो
,,,,'

अल्लाह का पेगाम कुरान मे
के अे इनसान कया मेने तुकोनअेसे ही पेदा कीया हे
मेने तुमको बारे पलानके साथ पेदा किया हे
जेसे कोय साइंतीश को चीज को बना ता हे बिना कुच पलान के कुच नही होता हे
,,,

मुस्लमानो कि सोच कया हे
इसकी चरचा हुइ

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...