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Wednesday, 7 December 2016

६ दिसेंबर अोर बाबा साहेब कलिम शीद्दकि कि कलम से

आज बाबा साहेब आम्बेडकर कि पुन्य तिथि है लेकिन इस दिन को भारतीय छ दिसम्बर (बाबरी मस्जिद शहादत के नाम से ज्यादा ययद किया जाता है इस दिन को बाबरी मस्जिद गिराने के लिए चुनना संघ का एक षड्यंत्र था ताकि लोग बाबा साहेब को न याद कर मंदिर मस्जिद के झगडे में उलझे रहें
आओ आज दलित संघर्ष और सदी के महँ नायक बाबा साहेब की बात करते हैं
दलित समाज हजारो साल से वर्ण व्यवस्था के कारण शोषित समाज रहा है इस समाज ने वह दौर देखा है जब इन्हें हिन्दू वर्ण व्यवस्था में अन्य तीन वर्णों कि सेवा करने के लिए रखा जो ऊंची जातियों की एक साज़िश थी वर्षो से दलितों को साजिशन सामाजिक , आर्स्थिक , शैक्षणिक और राजनैतिक तौर पर पिछड़ा रखा गया दलितों का सबसे अधिक हानि अश्प्रिश्यता की प्रथा ने पहुंचाई इस प्रथा के तहेत इन्हें गावों से दूर एक किनारे बसाया जाता था और हिन्दू लोग इनके साथ जानवरों से भी बाद तर सुलूक किया करते थे दलित समाज इन कुरूतियों के खिलाफ समय समय पर बगावत करते आए हैं लेकिन हिंदुत्व की साजिशें इतनी मज़बूत रही हैं कि आज भी इनको इनकी जाति के नाम पर अत्याचार सहना पड़ता है इन्हों ने वह समय देखा है जब इन्हें मदिर के पास से गुजरने पर ब्राह्मण इन पर अत्याचार करते थे इन्हें सडको पर चलने की इजाजत नहीं थी इनकी महिलाओं को स्तन ढकने की इजाजत नहीं थी इन कुरूतियों को खत्म करने के लिए अय्यनकली जैसे समाज सुधारकों ने दलितों को संघठित कर संघर्ष किया १९०० में अययन कली के प्रयासों से दलितों को सड़कों पर चलने की इजाजत मिली १९१४ में स्कूलों में पढाई की व्यवस्था की गई ज्योतिबा फूले ने दलित महिलाओं की शिक्षा के लिए कई स्कूल खोले ज्योतिबा फूले ने कन्या भ्रूण हत्या और विधवाओं के हक की लड़ाई लड़ी
दलित संघर्ष में सब से महत्वपूर्ण युग आम्बेडकर युग रहा है बाबा साहेब ने दलितो के अधिकार के लिए समाज को राजनैतिक तौर पर इकठ्ठा किया इन्हें शिक्षित , संघठित हो कर संघर्ष करना सिखाया १९२७ में बाबा साहेब ने समाज समता संघ की स्थापना की २० मार्च १९२७ को महाड सत्याग्रह किया इस सत्याग्रह के बाद दलितों को सामन्य तौर पर तालाब से पानी इस्तेमाल का अधिकार मिला लाख कोशिशों के बाद भी कुरूतियों के करण दलितों को अपने नहीं मिल प् रहे थे दिसम्बर १९३० में बाबा साहेब ने मनुस्मृति को जलया और समर्थकों को जलने को कहा जिस मनु स्मृति को बाबा साहेब ने जलाया उस मनुस्मृति की प्रतिमा को भाजपा के लोगो ने जयपुर उच्च न्यायालय के बाहेर खड़ा कर दिया जिसका आज देश भर के दलित उसी जगह मनुस्मृति को जला कर विरध करने वाले हैं
बाबा साहेब ने पूना पैक्ट के तहेत राजनिति में आरक्षण और दलितों के लये शिक्षा की व्यवस्था करवाई बाबा साहेब कि कोशिशो से सरकारी नौकरयों , कार्यपालिका , विधायका इत्यादि में दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई
आम्बेडकर युग में वह दलित समाज जो धर्म की आड़ में सदियों से पिस्ता रहा है इस युग ने उसे लड़ना , संघर्ष करना प्रश्न करना सिखाया बाबा साहेब भारतीय संविधान के रचियता हैं इन्हों ने संविधान के द्वारा हर धर्म व् जाति को सामान अधिकार दिया . बाबा साहेब दलित समाज में पैदा होने के कारण इन्हें भी ऊंची जातियों की साजिशों का शिकार होना पड़ा संविधान की रचना के लिये जब चुनाव हुआ तो ऊंची जाति कांग्रेसियों ने षड्यंत्र कर के बाबा साहेब को बोम्बे से चुनाव हरवा दिया ताकि वह संविधान सभा में न पहुँच सकें संविधान सभा में बाबा साहेब की उपयोगिता को देखते हुए मुस्लिम लीग ने मुस्लिम बहुल बंगाल की सीट से संविधान सभा पहुंचे और चेयरमैन भी बनाये गए
बाबा साहेब ने कहा था कि इक्कीसवीं सदी दलितों कि होगी लेकिन आज इस सदी में उन जैसी घटनाएँ होती हैं दलित महिलाओं के साथ रैप कर उन्हें पेड़ पर लटका दिया जाता रोहित वेमुला को आत्म हत्या के लिए मजबूर किया जाता है यह सब महेज़ इस लिए हो रहा है क्योकि केंद्र और राज्यों में हिंदूवादी ताकतों के पास सत्ता है हिन्दू ह्रदय सम्राट इस देश का रजा है
इसी दौर में टीना डाभी दलित समाज का गौरव बनती है आई ए एस टॉप करती है एक दलित काबाली  जैसी सुपर हिट फिल्म बनाता है दलित अत्याचार के खिलाफ ये पैंथर आन्दोलन करते हैं तो गुजरात जैसे राज्य में दलितों के आक्रोश में गुजरात  की मुख्या आनंदी बेन बलि दी जाती है गुजरात में हुए दलित अत्याचार के खिलाफ दलित समाज जब खड़ा हुआ तो सिर्फ मुस्लमान ही नहीं बल्कि राहुल शर्मा , प्रवीण मिश्रा , निर्जारी सिन्हा जैसे ब्राह्मण दलितों के दर्द को अपना दर्द समझते हैं इन सब बातों से लगता है कि ये संभव है कि यह सदी २०१९ के बाद दलितों कि हो
जय भीम , दलित संघर्ष जिंदाबाद
कलीम सिद्दीकी अहमदाबाद
Mob. 9276848549

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...