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Saturday, 17 December 2016

भारत देश के मुसलमानो की हालात अेक नजर

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वर्तमान भारत के मुसलमानों की समस्यायों का  मूल कारण स्वार्थी मुसलमान(मुसंघी) ही हैं।

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         ★   दुनिया के तमाम जानकार लोग जानते हैं कि,  किसी समाज की तरक्की, उन्नति के लिए उस समाज के बुद्धिजीवी लोग ही जिम्मेदार होते हैं। इसका मतलब है कि जिस समाज के बुद्धिजीवी लोग अपने समाज की तरक्की की जिम्मेदारी लेते हैं उसी समाज की तरक्की होती है। दुआ करने से, भीख मांगने से, किसी पर दोषारोपन करने से या फूट फूट कर रोने से किसी समाज की तरक्की, उन्नति नहीं होती। दुनिया में यह बात बहुतों बार प्रमाणित हो चुकी है।

           ★★★  इतिहास से पता चलता है कि— अमेरिका में मार्टिन लुथर किंग अगर अपनी जान को खतरे में डाल कर भी काला ( black) आदमियों के अधिकारों के लिए आन्दोलन नहीं करते तो आज काला ओबामा अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं बन सकते थे। साउथ अफ्रीका में अगर नेलसन मैंडेला  27 साल तक जेल में नहीं रहते और पूरा देश में बहुत बड़ा आन्दोलन नहीं करते तो उस देश के काले लोगों को हक-अधिकार, मान-सम्मान नहीं मिलता। भारत में अगर गांधीजी कांग्रेस के नेतृत्व में बहुत बड़ा आन्दोलन नहीं करते, बहुत बार जेल न जाते तो आज भारत में ब्राह्मणों का राज नहीं होता। भारत के शूद्रों, अछूत और आदिवासी (Sc, St, Obc) लोगों के लिए अगर महात्मा ज्योतिबा फूले, ड: बी आर अम्बेडकर, जोगेन्द्रनाथ मंडल, मान्यवर काँशीरामजी, दीनाभानाजी, वामन मेशरामजी पूरा जीवनभर लड़ाई-आन्दोलन नहीं करते तो आज उन लोगों की हालत नहीं बदलती। सच्चर कमीशन के चेयरमैन राजिन्द सिंह सच्चर ने कहा था कि भारत के मुसलमानों का हाल अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति के लोगों से भी ज्यादा बदतर है। इसका मतलब यह हुआ कि फूले, अम्बेडकर, कांशीराम, दीनाभाना, मेशरामजी इन तमाम लीडरों के आन्दोलन से उन लोगों की तरक्की हुई।

       ★★★  अब सवाल यह है कि मुसलमानों की तरक्की क्यों नहीं हुई। आजादी से पहले मुसलमानों के जो लीडर थे वह यह हैं— मौलाना शाह वलीउल्लाह, सैयद अहमद बेरेलवी, मौलाना शाह इसमाईल शहीद, सर सैयद अहमद खान, मौलाना मुहम्मद अली, मौलाना शौकत अली, जष्टिस अमीर अली, अल्लामा ड: इकबाल, मौलाना अकरम खान, शहीद तीतूमीर, हाजी शरीयतुल्ला, हाजी मुहम्मद मुहसीन, बेगम रोकिया, काजी नजरुल इसलाम जैसे महान चिंतकगण।

        ★★★  और आजादी के बाद हमारे नेता बने हुए हैं— करीम चागला, मौलाना अबुल कलाम आजाद, राष्ट्रपति ड: जाकिर हुसैन, उपराष्ट्रपति हिदायेतुल्ला, राष्ट्रपति अब्दुल  कलाम, शेख अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला, मुफती मुहम्मद सईद, सैयद सहाबुद्दीन, हन्नान मुल्ला, मुहम्मद सलीम, हाजी सुलतान अहमद, कलीमुद्दीन शमस, हाशिम अब्दुल हलीम सिकन्दर बख्त, मुखतार अब्बास नकवी, शाह नवाज हुसैन, गुलाम नबी आजाद प्रमुख स्वार्थी लोग, जो ब्राह्मणों को पसंद करनेवाले लोग हैं। यह लोग हमारे मुसलमानों की समस्यायों को समाधान करने के लिए नेता नहीं बने थे बल्कि उन लोगों को ब्राह्मणों ने हमारे सामने project किया, ब्राह्मणों ने उनको नेता बनाये और हमलोग उनके पीछे चलने लग गये।

       ★★★  दूसरी तरफ, आजादी के बाद से जो लोग हमारे मुसलमानों के धर्म के नेता बने हुए हैं वह यह हैं— 
दिल्ली का शाही इमाम मौलाना अब्दुल्ला बुखारी, काँग्रेस का पसंदीदह और selected M.P. मौलाना असद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना ताहिर, मौलाना सिद्दीकुल्लाह चौधुरी, मौलाना-पीर ताहा सिद्दीकी, ड: जाकिर  नायेक, असदुद्दीन वैसी-अकबरुद्दीन वैसी, कोलकाता के दो बड़ी मसजिदों के इमाम ऐसे प्रमुख मौलवी-मौलाना लोग हैं। यह लोग सिर्फ और सिर्फ गरमा गरम भाषणबाजी करते हैं। समाज को बदलने के लिए इन मौलवियों के पास कोई विकल्प नहीं है।

        ★★★   मुसलमानों के एलावा दूसरे समाज की तरक्की जिस तरीके से हुई उसी तरीके से मुसलमानों की भी तरक्की होती।  अगर मुसलमानों में जो लोग नेता बने हुए हैं वह लोग उन दूसरे समाज के लीडरों की तरह जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार होते। मैं सवाल खड़ा करना चाहता हूं कि—आजादी के बाद से अबतक भारत के मुसलमानों में नेलसन मैंडेला जैसा नेता एक भी पैदा हुआ ? मार्टिन लुथर  किंग जैसा नेता क्या मुसलमानों में आप ने देखा ? ज्योतिबा फूले-ड: अम्बेडकर-कांशीराम-मेशराम जैसा एक भी नेता मुसलमानों में क्यों नही पैदा हुआ ? RSS की तरफ से मुसलमानों को बहुत बुरा-भला कहा जाता है कि मुसलमान लोग ज्यादा बच्चा पैदा करते हैं। मेरा पूछना है कि अगर हम लोग ज्यादा बच्चा पैदा कर सकते हैं तो उन जैसा  लायक, संगठक, समाजसेवी, ईमानदार, Thinker, Philosopher एक भी पैदा क्यों नहीं कर सके ? जो लोग मदरसे में पढ़ कर मौलवी बनकर निकलते हैं वे सिर्फ नमाज, रोजा,  दुआ, दरूद, आखिरत के लिए काम करते हैं। और जो लोग स्कूल-कालिज-यूनिवर्सिटी में पढ़कर निकलते हैं वे लोग ब्राह्मणों के साथ मिलकर या उनके चमचें बनकर अपने पेट के  लिए या ब्राह्मणों के लिए काम करने लग जाते हैं। अपने समाज की तरक्की करने की सोच उनके दिल में नहीं होती ही नहीं है।

       ★    मान्यवर कांशीरामजी कहते थे कि  " जिस समाज का नेता बिकाऊ होता है वह समाज भी बिकाऊ होता है। " तो हम देखते हैं कि अब " पूरा मुसलमान समाज बिकाऊ समाज बन चुका है।"  इस से निकलने के लिए हमारे अंदर नई सोच, नये नेता, और new leadership पैदा करनी चाहिए। लेकिन वह कैसे हो सकता है ? इस विषय पर हमलोगों को गौर से सोचना तथा इसका समाधान निकालना बहुत ही जरूरी है।

      ★★★    मेरा यह सुझाव है कि—
मुसलमानों में ऐसा कुछ लोगों को तैयार करना होगा कि, जो लोग नए तरीके से सोच सके, नए तरीके से समाज को जोड़ सके, नए तरीके से अपने समाज को अपने साथ ले कर आगे बढ़ सके। इस बारे में philosopher कार्लाइल कहते हैं कि, " ऐसे समाज में कम से कम एक ऐसा आदमी पैदा हो जो कि (1) अपने समाज की ऐसी बुरी हालत होने के कारणों को पहचानेगा, identification कर सकेगा और (2) इस समाज को आगे बढ़ाने के लिए या इस समाज के लिए क्या क्या करना चाहिए उन कामों को भी identification कर सकेगा। (3) इन दोनों काम के बाद अगर वह अपना समाज को अपनी तरफ आह्वान करे फिर वह समाज  उनके साथ चलने के लिए तैयार हो जाए तो दुनिया की कोई ताकत उन्हें रोक नहीं सकती।

           ★   मि: कार्लाइल की इस बात से मालूम होती है कि, आजादी से लेकर अब तक हमारे पूरे भारत के मुसलमानों में ऐसा एक आदमी भी पैदा नहीं हुआ। अगर होते तो हम जरूर आगे बढ़ते। यहां मुसलमानों को और ज्यादा लूटनेवाले, ज्यादा बहकानेवाले, ज्यादा धोखा देनेवाले  मुसलमान लीडर या मौलवी-मौलाना, बुद्धिजीवी , Intalectuals,  Scholars पैदा हुए हैं। यह मुसलमानों के लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण बात है।

         ★   अब भारत में हमारे सामने RSS का आन्दोलन यानी 'ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद' आगे बढ़ रहा है, इसका मुकाबला करने के लिए हमारे सामने इस देश के मूलनिवासियों का "बामसेफ" ( B.A.M.C.E.F.) के नाम से Sc, St, Obc,minority  का आन्दोलन तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह हम अपनी आंखों से खुल्लम खुल्ला देख रहे हैं। फिर भी हमारे पढ़े -लिखे लोग नहीं समझ रहे हैं। मेरा मानना है कि मुसलमानों की अवनति और दुर्गति के लिए ब्राह्मण लोग बाहर से साजिश जरूर कर रहे हैं लेकिन मुसलमानों के अंदर  रहते हुए मुसलमान बुद्धिजीवी लोग मुसलमानों के लिए कोई आन्दोलन नहीं कर रहे हैं इसलिए मुसलमान बुद्धिजीवी लोग जरूर जिम्मेदार हैँ।

        ★★★       एक आशा—
अब भारत के मुसलमानों के लिए बड़ी खुश खबरी की बात है, "बामसेफ" के नेतृत्वकर्ता मान्य वामन मेशरामजी के साथ मुसलिम पर्सनल ला' बोर्ड के नेतृत्वकर्ता मौलाना वली रहमानी,मौलाना खलीलुर रहमान, सज्जाद नोमानी आदि इनके सपोर्टर्स इन दोनों संगठन आपस में " दीन बचाव दस्तूर बचाव" "Save faith & constitution "  के नाम से एक साथ मिलकर बहुत बड़े आन्दोलन की शुरूआत कर दी है। मुसलमानों के लिए यह आखरी मौका है कि, हम सब मिल कर ब्राह्मणों की साजिश को नाकाम करके, ब्राह्मणवाद को खतम करके हमारा देश में मूलनिवासियों का राज स्थापित कर के समता-स्वतंत्रता-बंधुता और न्याय पर आधारित एक शान्तिपूर्ण समाज हम कायम कर सकते हैं।यही व्यस्था हमारे महापुरुष भी देखना चाहते थे।
                  मुकेश शेषकर
                  (जिलाध्यक्ष)
                 'बामसेफ' बैतूल।

!!जय मूलनिवासी!!
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