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Monday, 19 December 2016

सिरीया के मुस्लिम पर इजराइल का कहेर

[12/19, 10:35 AM]  *⚔सीरिया_के_हवाले_से_एक_सबक़आमेज़_तारीख़ी_वाक्या⚔*

किसी दानिश्वर (बुद्धिजीवी) का कथन है कि - "इतिहास इंसानी कर्म का रिकॉर्ड है, लेकिन इतिहास को अगर अफ़साना बना दिया जाए तो वह एक ऐसा ज़हनी क़ारखाना बन जाती है, जिसमे सिर्फ़ ख़ुशफ़हमी की घातक गोलियाँ तैयार होती हैं" लिहाज़ा अपने अस्लाफ़ के कारनामों पर फ़ख़्र करने के साथ-साथ उनसे सबक़ लिया जाये, सीख ली जाए, नसीहत ली जाए ||
*इब्ने असाकिर* और दूसरे *लेखकों* ने लिखा है कि जब रोमी सेना मुस्लिम सेना के सामने पराजित होने लगी तो *"रोमी सल्तनत" के बादशाह* (सीरिया भी उसी के ज़ेरे हुकूमत था) *"हेरक्ल"* बहुत घबराया और अपने देश के बुद्धिमानों और बड़े-बड़े लोगों को बुला कर उनसे कहने लगा कि--तुम पर लानत है, क्या ये लोग जिनसे तुम लड़ रहे हो, वो तुम्हारे ही जैसे इंसान नहीं हैं ? "हेरक्ल" की बात सुनकर उन लोगों ने जवाब दिया--हाँ, हैं तो हमारे ही जैसे इंसान | फ़िर उसने पूछा कि-- वो ज़्यादा हैं या तुम लोग ? उन लोगों ने जवाब दिया कि --"हम लोग उनसे हर हैसियत में ज़्यादा हैं" | "हेरक्ल" ने कहा कि -- फ़िर क्या बात है कि जब भी तुम उनसे लड़ते हो पराजित हो जाते हो, "हेरक्ल" की बात सुनकर उन लोगों ने झुँझलाकर सर झुका लिया | लेकिन उन लोगों में से एक बूढ़े व्यक्ति ने हिम्मत की और "हेरक्ल" से कहा--"क्या आप वाक़ई इसकी वजह मालूम करना चाहते हैं' | उस बूढ़े ने कहा कि--"वो हम पर इसलिए हावी हो जाते हैं *कि रात को तो इबादत गुज़ार होते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं और दिन में रोज़ा रहते हैं, वो जो वादा करते हैं उसको पूरा करते हैं, भलाई का हुक्म देते हैं और बुराई से रोकते हैं, बगैर किसी मुक़दमा व अदालत के एक दूसरे के साथ न्याय करते हैं* और हमारा ये हाल है कि-- हम शराब पीते हैं, ज़िना (व्याभिचार) करते हैं, जो वादा करते हैं उसको पूरा नहीं करते, हम ग़रीबों व मुह्ताजों पर गुस्सा होते हैं और उस पर ज़ुल्म करते हैं, ख़ुदा को नाराज़ करने वाली बातों का हुक्म देते हैं और उसे ख़ुश करने वाली बातों से रोकते हैं, हम फ़साद व बिगाड़ पैदा करते हैं |"
उस बूढ़े की बातों को सुनकर *"हेरक्ल"* ने कहा तुम ठीक कहते हो, "हेरक्ल" ने एक दूसरे व्यक्ति (जो कुछ दिनों तक मुस्लिम सेना की क़ैद में रहा था) से कहा तुम उन लोगों (मुसलमानों) के बारे में बताओ वो कैसे हैं, तुमने वहाँ क्या देखा ? उस व्यक्ति ने कहा-- *हम उनके दिन व रात का आपके सामने ऐसा नक्शा खीचेंगे, जैसे आप उन्हें देख रहे हों |वो दिन में घुड़सवार और रात में इबादत गुज़ार होते हैं, अपने अधीन रहने वालों से ख़रीदे बगैर कोई सामान नहीं लेते, जब किसी के पास जाते हैं तो सलाम किये बगैर उसके पास नहीं जाते, जिनसे जंग करते हैं इस तरह करते हैं कि पराजित कर देते हैं" | उस व्यक्ति ने जिसने मुसलमानों को बहुत क़रीब से देखा था,* हेरक्ल के सामने ऐसा नक्शा खींचा कि वो हैरान रह गया, उस पर ऐसा *खौफ़ तारी* हुआ कि चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी, कलेजा थाम कर बैठ गया, *वो ये समझ गया कि ऐसे लोग कभी पराजित नहीं हो सकते* | रोमी सेना के जत्थे उनके सामने टिक नहीं सकते ! इसलिए हेरक्ल ने उस व्यक्ति से कहा कि तुमने जो खूबियाँ बयान की हैं अगर वो सही हैं तो एक दिन वो हमारे तख़्त व ताज पर कब्ज़ा करके रहेंगे | फ़िर जब रोमियों को पराजय पर पराजय हुई तो एक दिन उसने सीरिया के एक टीले पर खड़ा होकर सीरिया को खैराबाद कहते हुए कहा, सीरिया ! तुझे मेरा आखरी सलाम ! आज के बाद जो रोमी भी यहाँ आएगा *खौफ़जदा व होश हवास* खोये हुए होगा ||

*मिटाया क़ैसर ओ किसरा के इस्तिब्दाद को जिस ने*
*वो क्या था ज़ोर-ए-हैदर फ़क़्र-ए-बू-ज़र सिद्क़-ए-सलमानी*
*कोई अंदाज़ा कर सकता है उस के ज़ोर-ए-बाज़ू का*
*निगाह-ए-मर्द-ए-मोमिन से बदल जाती हैं तक़दीरें*
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*तू राज़-ए-कुन-फ़काँ है अपनी आँखों पर अयाँ हो जा*
*ख़ुदी का राज़-दाँ हो जा ख़ुदा का तर्जुमाँ हो जा*
*हवस ने कर दिया है टुकड़े टुकड़े नौ-ए-इंसाँ को*
*उख़ुव्वत का बयाँ हो जा मोहब्बत की ज़बाँ हो जा* 
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लाखो का क़त्ल करोडो लोग बेघर, हालात गंभीर, सोई हुई है मुस्लिम कौम ? धीरे धीरे सारी दुनिया से ये कौम ख़तम हो जाएगी

    

सीरिया पर इजराईल द्वारा कई सालो से चलते आरहे जुल्म कम होने का नाम नहीं ले रहे. लेकिन यहूदियों के खिलाफ अक्सर इस्लामिक देश खामोश नजर आरहे है. यह खामोशी बहुत खतरनाक है. अब मुस्लिम राष्ट्रों को खामोश नहीं रहना चाहिए अगर अब भी खामोश रहे और जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाई तो वह देश मुस्लिम राष्ट्र कहने के लायक नहीं. सीरिया के लिए सोशल मीडिया पर मुस्लिम राष्ट्रों के प्रति नाराजी व्यक्त की जा रही है.

पैगम्बर हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम सीरिया की तबाही के हवाले से फरमाते हैं-
” जब अहले शाम तबाही बर्बादी का शिकार हो जाएं, तो फिर तुम में कोई खैर बाकी न रहेगी। मेरी उम्मत में हमेशा एक ऐसी जमाअत रहेगी जिसे अल्लाह की तरफ हमेशा सहायत मिलती रहेगी। और उसे नीचा दिखाने वाले कियामत तक उस जमात को कोई नुकसान नही पहुंचा सकेंगे”

इस हदीस की मुराद सीरिया से लेकर फलस्तीन, फलस्तीन से लेकर लेबनान के मुसलमानो से है । फलस्तीनी पहले ही इस्राइलियों की दरिंदगी का शिकार होकर अपनी ज़मीन से हाथ धो बैठे। लेबनान के बाशिंदों की हालत इस वक़्त बहुत खस्ता है। सीरिया से लेकर फलस्तीन लेबनान तक के मुल्कों में मरने वालों की संख्या लाखों में हैं करोड़ो लोग घर छोड़ने पर मजबूर हुए। सीरिया की क़दीम तारीख में इतनी भयानक तबाही के कोई तथ्य नही मिलते। सीरिया के मुसलमानो से ही पूरी दुनिया के मुसलमानो का भविष्य जुड़ा है। इतना सब कुछ होने के बाद भी मुस्लिम हुक्मरान से लेकर उम्मते मुहम्मदिया सोई हुई है।

याद रखिए अहले शाम इसी तरह तबाह बरबाद होते रहे तो फिर उम्मते मुस्लिमा के लिए खैर की बात नही। हमारा भविष्य अहले शाम ही है।

हमले की रात एलेप्पो {सीरिया} से ट्वीट कर रहीं कार्यकर्ता लीना ने लिखा, “पूरी दुनिया के लोगों, सोना मत. आप कुछ कर सकते हो, प्रदर्शन करो. इस नरसंहार को रोको.”

अपने वीडियो संदेश में लीना ने कहा, “हर कोई जो मुझे सुन सकता हो. घेराबंदी में फंसे अलेप्पो में नरसंहार हो रहा है. ये मेरा अंतिम वीडियो हो सकता है. तानाशाह असद के ख़िलाफ़ विद्रोह करने वाले 50 हज़ार से अधिक लोगों पर नरसंहार का ख़तरा है. लोग बमबारी में मारे जा रहे हैं. हम जिस इलाक़े में फंसे है ये दो वर्गमील से भी छोटा है. यहां गिरता हर बम एक नरसंहार है. अलेप्पो को बचाओ, इंसानियत को बचाओ.”

अलेप्पो से आ रहे बाक़ी संदेशों में उम्मीद ख़त्म होती दिखती है. इस वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है, “हम बातचीत से थक गए हैं, भाषणों से थक गए हैं. कोई हमारी नहीं सुन रहा है. कोई जवाब नहीं दे रहा है. वो देखो बैरल बम गिर रहा है.”

मंगलवार की सुबह ज़िंदा उठे मांथर ईताकी लिखते हैं, “मैं अभी जिंदा हूं, अपने ख़ास दोस्तों के साथ नरसंहार का सामना करने के लिए. दुनिया कुछ नहीं कहेगी. उम्मीद करता हूँ कि अपनी मौत तुम्हारे लिए लाइव ब्रॉडकास्ट कर सकूं.”

अलेप्पो पर बशर अल असद की सरकार का क़ब्ज़ा हो गया है. सीरिया में पांच सालों से लड़ाई जारी. अलेप्पो पर सरकारी फ़ौज के क़ब्ज़े के बाद लोग बुस्तान अल-क़स्र के इलाक़े में शुरू हो गई हिंसा से भाग रहे हैं. अलेप्पो पर क़ब्ज़ा पांच साल से जारी जंग में सीरियाई विद्रोहियों के लिए सबसे बड़ी हार है.

सरकारी फ़ौज का एक समर्थक फ़रदौस में एक बच्चे से बातचीत करते हुए. पूर्वी अलेप्पो के इस इलाक़े में भारी बर्बादी हुई थी. सीरियन ऑबज़रवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा है कि विद्रोही सूबे के छह दूसरे इलाक़े से भाग खड़े हुए हैं. सीरियाई महिला अपने बच्चों के साथ. एक सीरियाई महिला फरदोस में अपने बच्चों के साथ. हज़ारों की तादाद में लोग अभी भी विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाकों में फंसे हैं.

भारी बमबारी के बीच लोग कुछ इलाक़ों से भाग निकलने में कामयाब हो पाए हैं. सीरियाई सरकारी फ़ौज के क़ब्ज़े में वापस कलासेह जैसे इलाक़ों को पहचानना मुश्किल है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि सरकारी सेना की बमबारी इतनी तेज़ थी कि बहुत सारे लोग अपने परिजनों के शवों को न तो निकाल पाने और ना ही उन्हें दफ़नाने में कामयाब हो सके.

 

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