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Monday, 24 February 2020

मुसलमानो के शांतिपूर्ण आंदोलन को देशके लिये खतरा केहना ओर दुसरे समुदाय के हिंसक आंदोलन को लेकर सरकार चुप एसा भेदभाव कुंयु???

आंदोलनों का इतिहास और शाहीनबाग :-

शाहीन बाग का आंदोलन स्वतंत्र भारत ही नहीं पूरे भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा "अहिंसक आंदोलन" है , फिर भी उच्चतम न्यायालय , पूरी सरकार और पूरी भाँड मीडिया इसके पीछे पड़ी है।


भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिंसा हुई , काकोरी , चौरीचौरा जैसें हिंसक कांड हुए , असेंबली में बम फेंके गये , "तुम मुझे खून दो" जैसे हिंसा को बढ़ावा देते नारे लगे पर 70 वें दिन में प्रवेश कर रहे शाहीनबाग और शाहीनबाग की आत्मा से जीवित देशभर के 2500 शाहीनबागों में एक कंकड़ भी कहीं नहीं चला , ना कहीं हिंसक बातें हुईं।

हाँ जालियाँवालाबाग की तर्ज पर जामिया , एएमयू और उत्तर प्रदेश में सरकार प्रायोजित हिंसा हुई पर देश के 2500 शाहीनबाग शांतिपुर्ण लोकतांत्रिक तरीके से चलते रहे फिर भी देश की सारी व्यवस्थाओं को शाहीनबाग से समस्या है। उसे खत्म करने के हर तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं , इस प्रयास में उच्चतम न्यायालय भी शामिल है।

स्वतंत्रत भारत में हज़ारों आंदोलन हुए हैं , जेपी आंदोलन हुआ है , 25 जून 1975 की रात में  देश में आपातकाल लगा , जय प्रकाश के नेतृत्व इसके खिलाफ़ आंदोलन हुए। भीड़ इंडियन नेशन-आर्यावर्त में आग लगाने का प्रयास हुआ एक कांग्रेसी मंत्री के सुजाता होटल में भी आग लगाई गई।

पर शाहीनबागों ने ऐसा कुछ नहीं किया "तिरंगा सीने से लगाए संविधान की प्रस्तावना पढ़ते रहे"।

फिर इसी देश में मंडल आयोग की रिपोर्ट्स को लागू करने के खिलाफ आंदोलन हुए , जिसमें बड़े पैमाने पर हिंसा "राजीव गोस्वामी" के आत्मदाह करने से शुरू हुई। देश के सभी विश्वविद्यालयों , सड़कों पर हिंसा का तांडव हुआ।

पर शाहीनबागों ने ऐसा कुछ नहीं किया "तिरंगा सीने से लगाए संविधान की प्रस्तावना पढ़ते रहे"।

फिर इस देश में मंडल आयोग के विरोधियों को भगवा चोला पहना कर इसी देश में एक और आंदोलन चलाया गया , "राम मंदिर आंदोलन"।

यह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन था , भारतीय इतिहास का सबसे हिंसक आंदोलन था जिसमें दंगे थे , बर्बादी थी , बलात्कार और सामूहिक बलात्कार था , आडवाणी की रथयात्रा जिधर जिधर से गुज़री दंगे उस क्षेत्र को अपनी चपेट में लेते चले गये , कत्लेआम हुए , एक धर्म की इबादतगाह तोड़ दी गयी , उसे गैरकानूनी तरीके से संविधान , उच्चतम न्यायालय और संसद के मान सम्मान को ध्वंस करके विद्वंस कर दिया गया।

पर शाहीनबागों ने ऐसा कुछ नहीं किया "तिरंगा सीने से लगाए संविधान की प्रस्तावना पढ़ते रहे"।

भरतपुर के बयाना में 21 मई 2015 को गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला(अब भाजपा मे) के नेतृत्व में गुर्जरों ने महापंचायत की और सरकार को मात्र एक घंटे में वार्ता शुरू करने का अल्टीमेटम दिया। इसके बाद वे पैदल मार्च निकालकर पटरियों तक पहुंचे और पटरियों पर बैठकर आंदोलन करने लगे।

गुर्जर आंदोलन के कारण केवल रेल विभाग को ही 100 करोड़ रूपयों से ज्यादा का नुकसान हुआ , 21 तारीख से केवल रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट, आईआरसीटीसी पर ही लाखों की संख्या में यात्रियों के टिकट रद्द हुए और सैकड़ों ट्रेने रद्द हुईं।

पर शाहीनबागों ने ऐसा कुछ नहीं किया "तिरंगा सीने से लगाए संविधान की प्रस्तावना पढ़ते रहे"।

हरियाणा में चले जाट आरक्षण आंदोलन से सरकारी आँकड़ों के अनुसार ₹34,000 करोड़ का नुकसान और 18 जानें गयीं , कुल 1000 ट्रेनें प्रभावित हुईं और 10 लाख से भी ज्यादा पैसेंजर परेशान हुए। 

एक पूरे शहर रोहतक को जलाकर खाक कर दिया गया , कारों के शोरूम हज़ारों कारों समेत जलाकर खाक कर दिये गये।

पर शाहीनबागों ने ऐसा कुछ नहीं किया "तिरंगा सीने से लगाए संविधान की प्रस्तावना पढ़ते रहे"।

बाबा रामपाल , बाबा राम रहीम के अनुयायियों का आंदोलन याद करिए , पूरा का पूरा शहर हिंसा की चपेट में रहा , तमाम लोग मारे गये।

पर शाहीनबागों ने ऐसा कुछ नहीं किया "तिरंगा सीने से लगाए संविधान की प्रस्तावना पढ़ते रहे"।

पाटिदार आंदोलन को याद कर लीजिए , पूरा अहमदाबाद , बड़ौदा , सूरत बंधक बना रहा , तमाम लोग मारे गये , बड़े पैमाने पर हिंसा हुई।

ये इस देश में हुए हज़ारों आंदोलनों का एक चरित्र है।

पर शाहीनबागों ने ऐसा कुछ नहीं किया "तिरंगा सीने से लगाए संविधान की प्रस्तावना पढ़ते रहे"।

फिर भी शाहीपबाग के 150 मीटर के एकतरफ की रोडब्लाक से इतनी समस्या कि यह राष्ट्रीय समस्या हो गयी ? और उच्चतम न्यायालय , पूरी सरकार और पूरी भाँड मीडिया इसके पीछे पड़ी है।

उच्चतम न्यायालय की नियुक्त मध्यस्थ जिस तरह शाहीनबाग में मंच से बैठ कर धमकी पर धमकी , डाँटना , चिल्लाना कर रहीं थीं फिर भी वह सम्मान पाती रहीं तो शाहीनबाग का चरित्र समझिए और सोचिए कि यही मध्यस्थ उपरोक्त आंदोलन में जा कर यही व्यवहार करते तो इनका क्या होता ?

और फिर तुर्रा यह कि हम हिंसक होते हैं।

Sunday, 23 February 2020

जमीअत उलेमा-ए-हिंद के बैनर तले आयोजित चर्चा में एनपीआर के खिलाफ "दिल्ली घोषणापत्र' पारित।

एनपीआर को देश के बुद्धिजीवियों  ने अस्वीकार किया

जमीअत उलेमा-ए-हिंद के बैनर तले आयोजित चर्चा में एनपीआर के खिलाफ "दिल्ली घोषणापत्र' पारित

जनता से कहा गया कि डेटा एकत्रित करने वालों से असहयोग प्रकट करें

घोषणपत्र में राज्य सरकारों से एनपीआर प्रक्रिया निलंबित करने की मांग

देशभर के प्रदर्शकारियों की कुर्बानियों को सलाम

 

नई दिल्ली, 22 फरवरी।

सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर आज जमीअत उलेमा-ए-हिंद मुख्यालय नई दिल्ली में ‘जागरुक भारतीय नागरिकों के बीच चर्चा शीर्षक से एक महत्वपूर्ण और निर्णायक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसकी अध्यक्षता जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने की। इस कार्यक्रम के संयोजक जमीअत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी और संयुक्त संयोजक कमाल फारूकी थे। कार्यक्रम में सभी धर्मों से संबंधित देश के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, दलित नेताओं और सभी मुस्लिम संगठनों के लोग शामिल हुए।

बैठक में लगभग चार घंटे की लंबी चर्चा और विभिन्न कानूनी मामलों पर विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से एक घोषणापत्र पारित किया गया, जिसका नाम ‘दिल्ली घोषणापत्र’ दिया गया है। इस घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से जल्द होने वाले एनपीआर को अस्वीकार करने के लिए घोषणा की गई और जनता से कहा गया कि एनपीआर एक अप्रैल से 30 सितम्बर 2020 तक होगा। डेटा एकत्रित करने वाले घर घर जाएंगे, हमें विनम्रता के साथ उनसे सहयोग करने से इनकार करना चाहिए और उन्हें किसी तरह की जानकारी प्रदान नहीं करनी चाहिए।

ज्ञात हो कि चर्चा में एक मसौदा समिति भी बनाई गई थी जिसके अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान थे। इस समिति में प्रसिद्ध टिप्पणीकार अबू सालेह शरीफ, ईसाई नेता जान दयाल, अनिल चमड़िया, एमएमआर अंसारी, कासिम रसूल इलियासी, धनराज वंजारी और ओवैस सुल्तान खां शामिल थे। कमेटी ने अपने प्रस्तव को लेकर कानूनी पहलुओं का भी अवलोकन लिया और फिर उपस्थित लोगों की सहमति से सर्वसम्मति से सात सूत्रीय घोषणापत्र पारित किया है जो निम्नलिखित है।

 

1.            हम स्पष्ट रूप से एनपीआर अस्वीकार करते हैं क्योंकि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का खुला उल्लंघन है। एनपीआर नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता नियम 2003 के तहत एनआरसी तैयार करने की दिशा में डेटा जमा करने के लिए पहला कदम है। यह साफ तौर पर भेदभावपूर्ण, विभाजनकारी, बहिष्कारी और असंवैधानिक है और यह समुदायों को धर्म, जाति, वर्ग और लिंग के आधार पर अलग करने वाला है।

2.            एनपीआर की प्रक्रिया 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक चलेगी। डेटा जमा करने वाले घर-घर का दौरा करेंगे। हमें विनम्रतापूर्वक उन्हें सहयोग करने या किसी भी तरह की जानकारी उपलब्ध कराने से मना करना चाहिए।

3.            हम सभी राज्य सरकारों से एनपीआर प्रक्रिया को तत्काल बंद करने की अपील करते हैं। इसके अलावा हम कानून-व्यवस्था से जुड़ी सभी एजेंसियों से अपील करते हैं कि वे भारतीय लोगों के विरोध-प्रदर्शन के संवैधानिक अधिकार कर सम्मान करें।

4.            हम विभिन्न राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश में पुलिस फायरिंग में निशाना बनाकर मारे गए शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की कार्रवाई की कठोर शब्दों में निंदा करते हैं। उत्तर प्रदेश शांतिपूर्ण असहमति को सरकारी तंत्र द्वारा दमन किए जाने की प्रयोगशाला बन चुका है। हम पुलिस फायरिंग, सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने, बेकसूरों की गिरफ्तारी और प्रदर्शनकारी नागरिकों से पेनाल्टी की विचित्र वसूली की निंदा करते हैं।

5.            हम देशभर के कई शाहीन बागों में चलने वाले बिना धर्म के किसी भेदभाव के युवाओं, छात्रों और महिलाओं के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की सराहना करते हैं।

6.            हम देशद्रोह और ऐसे दूसरे काले कानूनों के तहत लोगों की पक्षपातपूर्ण की गई गिरफ्तारियों की निंदा करते हैं। इसके साथ ही हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई और उनके विरुद्ध लगाए गए सभी तरह आरोपों को खारिज करने की मांग करते हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान देशभर में हुई शारीरिक क्षति, मानसिक तनाव, सम्पत्तियों को हुए नुकसान और सामानों की क्षति के लिए उचित मुआवजा दिए जाने की मांग करते हैं।

7.            हम लोगों से हर हाल में शांति बनाए रखने और किसी तरह के उकसावे, दुष्प्रचार और अभियान को खत्म करने की साजिशों में न आने की अपील करते हैं।

 

इस सभा में उपस्थित लोगों की सूची

मौलाना कारी सैय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी, मौलाना महमूद मदनी, कमल फारूकी,अबू सालेह शरीफ, अबु बकर सब्बाक, अंबरीश राय, अमरीक सिंह बंगर एम एम अंसारी, आसिफ अंजर नदवी, बेलैया नायक तेजावथ, दलीप निम, मावल्ली शंकर,जॉन दयाल,के रहमान खान,ओवैस सुल्तान खान, एमजे खान, मीनाक्षी सखी,मुज्तबा फारूक, शब्बीर नदवी, नरेंद्र कुमार शर्मा, पीएमए सलाम, एसक्यूआर इलियास, सामी सलमानी, शकील अहमद सैय्यद,नदीम खान, जीशान अहमद, खालिद अंसारी,मल्लवी पवन कुमार, जितेंद्र दक्ष, बिशंभर पटेल, पीर खालिक अहमद, राहुल चंदन, राकेश बहादुर, राकेश रफीक, डूंगर राम गेदार, धर्मपाल करटारिया, बीआर भास्कर प्रसाद, सुशील गौतम, टी जॉन, धनराज वंजारी, डॉ ई सावंत, वीके त्रिपाठी, गुलजार सिंह, हाजी मोहम्मद मोहम्मद हारुन, वेदपाल सिंह, जयपाल सिंह , रंजीत सिंह,तेज सिंह प्रियदर्शी तेलंग, रत्नेश काटुलकर,मोहम्मद साजिद,इम्तियाज पीरजादा

मुश्फिक रजा खान,सैय्यद अहमद, अब्दुल वाहिद खत्री, हाफिज नदीम नदीम सिद्दीकी, कालू राम, धना राम मेहदा, धर्मपाल कटारिया,  अद्दंकी दयाकर, लक्ष्मण बापूराव माने , जयकांत मिश्रा, अनवर पाशा, नियाज अहमद फारुकी, सैय्यद दानिश,उज्मी  जमील , जनाब सलीम इंजीनियर जमाते इस्लामी हिन्द, डॉ जफरुल इस्लाम खान, अनिल चमड़िया मोहम्मद शीश,राजकुमार जैन, मोहम्मद अदीब, सैफुल्लाह, खालिद सैफी, विशंभर पाटिल

Friday, 21 February 2020

गयासुद्दिन शेख गुजरात अहमदाबा के धारा सभ्य NRC,CAA,NPR के लिये कागज नही दिखायेंगे अभियान गली गली घर घर लेकर पोहचे,स्टिकर लगाकर जनता जागृति अभियान.

गयासुद्दिन शेख गुजरात के धारा सभ्य का कागज नी दिखांये  अभियान दिन ब-दीन गुजरात के   अहमदाबाद  मे घर घर पोहच रहा हे.

                     SOCIAL MEDIA  VIRAL 
safteamgujarat
21 FEB 2020 ,07:00pm
Gujarat, Ahmadabad 

           गुजरात के एक लोटे मुस्लिम नेता जो  NRC के काले कानुन को लेकर लगातार विरोध करते नजर आ रहे हे, जो हमेशा मिडिया मे  अपी बात रखते नजर  आ रहे हे, जिसको लेकर उनके इस कार्यो मे  समाज की बहोत अच्छे  से सराहना ओर साथ सहयोग मिल रहा हे.

        अहमदाबाद  दरियापुर के विधानसभा  के धारा सभ्य  गयासुद्दीन शेख वेसे कोंग्रेस पार्टी से चुनाव जित कर आये हे, लेकिन   गुजरात के  एक लोटे नेता जो अपनी   पार्टी  के   आला कामान कोभी   NRC  के  काले कानुन का विरोध करने  के लिये हमेशा दबाव बना रहे हे, जिसका मेसेज  वायरल हुवा हे देखे  इमेज.     
                            स्क्रीनशॉट

         NRC को हमेशा  अपना  लगातार  विरोध  करते हुये  अपनी  बात  रखते   आ रहे हे. जो  आजकल सोशल मिडिया के साथ इलेक्ट्रॉनिक  ओर प्रिंट  मिडिया मे छाये हुये हे.


             आजकी ता. २१ फरवरी  के दिन   कागज नहीं  दिखायेंगे  अभियान  को   जन  जागृति  के  लिये घर घर जाकर  NONRC NOCAA NONPR  लिख स्टिकर लगाते नजर  आये  जिसके इमेज   सोशल मिडिया मे बहोत जोर शोर से  वायरल हो रहे हे.


             गुजरात के मुस्लिम  नेता कब   गयासुद्दीन शेख  जेसा कार्य करके समाज को काले कानुन को लेकर जागृत करने मे आगे   आयेंगे?????


फेसबुक पर आने वाली हर नई खबर सबसे पेहले ओर एकही जगाह पर पाने के लिये,हमारे जन संपर्क जागृति अभियान,फेसबुक गुरुप से जुडे.

इस गुरुप मे आपको देश-दुनिया ओर समाजके हालात को लेकर जानकारी मिलती रहेगी.



       धन्यवाद  शुकरिया    हमारे ब्लोक से जुडने के लिये.

पुलवामा हमाले को लेकर आवेदन पत्र देने के लिये,गुजरात के भरुच की जमियत दो हिस्से देखे पुरा रिपोर्ट .

 जमायते उलमाऐ हिन्द से जुड़े प्रचारक और भरूच शहर के मुस्लिम समाजके जागृत युवा मित्रों के लिये है,         


SAFTEAMGUJ. 10:00am
21 Feb 2019 फेसबुक पोस्ट.
Huzaifa Patel.
              "पूरा परहे  ओर जवाब जरूरी लिखे"
          जिस प्लेफॉर्म से देशको अंग्रेज हुक़्तम से आजादी दिलाने में सबसे बड़ी कुर्बानी देनेका जज्बा बनाने में देशके मुस्लमान को तैयार करने वाली जमातके हालात पूरे देशके नही हम सिर्फ गुजरात के भरूच जंहा मुस्लिम दुसरे नंबर की संख्या हे वंहा की बात करते है,
         इस पॉस्ट का मकसद है हमारे कहै और माने जाने वाले ओर खुदको रहबर कहने वालो को सही दिशा दिखाना ओर इनकी सोच और कार्यो को देश और जमियत के बारे लीडरो तक शेर करना हैओर जमियत के कार्य को लेकर भरुच शहेर के मुसलमानो को ध्यान करवाना हे.

            ------- इस पॉस्ट को पूरा रहे ------ 

          पुलवामा को लेकर एकही शहर में एकही संगठन के बेनर तले अलग अलग लोगो के माध्यम से अलग अलग दिन जिला कलेक्टर को आवेदन पत्र देने कितना उच्चित है?????? 

                                ये मेरा पहला सवाल है ,

          इस बात को लेकर मुजे बहोत दुख है के जिस जमियत ने इस देशको जुल्म सितम से देशको आजादी दिलाने में हजारों नही लाखो मुसलमानो की कुरबानी दिलाई हो वो आज इतने  नीचे सतह पर  आ चुका है के उसके साथ जुड़े हुये कहे जाने वाले बड़े आलिम ओर रहबर एक दिन के लिये किसी मुद्देको लेकर किसी सरकारी पालिका में एक दिन साथ नही जा सकते है तो सोचो मिल्लत को एक जगह मुत्तहिद करने में ये कहे जाने वाले जमियत के कार्यकर्ता हालात का सामना करने मे सफलता प्रप्त कर सकते है???   ये फिर ये कहे के हालात का समझने  ओर इसका हल निकाल ने के लिये कुच बेहतर रणनीति  बना सकते हे????

                     ये मेरा दूसरा सवाल

         एक ही मुद्दे पर एकहि संगठन के नाम से अलग अलग आवेदन पत्र देकर क्या हम हमारी कमजोरी  सरकारी पालिका में बैठे लोगों के सामने खुद अपनी जहालत ओर ना   इतिफाकी वजहसे खोल नही रहे है???

                      ये मेरा तीसरा सवाल 

        क्या जमियत वाकी में इतने नीचे सतह पर आ चुकी है के उसके पास अपनी क्रन्तिकारी कुर्बानी की सोच और उसके  उद्देश्य  को पुरा करनेकी प्रवुतियां करने वालो की कमी है ???

                         ये मेरा चौथा सवाल 

       हमे जमियत के प्लेटफार्म से लेकर क्या वाकीमे फिकर करने की जरूरत नही है ? उसके साथ जुड़े तमाम ज़िला ओर तहसीला लेवल के तमाम बड़े बड़े पदाधिकारी के जमियत की क्रांतिकारी ओर आजादी जैसे कार्यो को पूरा करने की स्लाहयत ओर अनुभव और समय के साथ हिम्मत "ना" होना क्या जमियत के प्लेटफार्म को लेकर हमे चिंतित होने की जरूरत नही है ???????  
                         ये मेरा पांचमा सवाल 

इस पॉस्ट को लेकर किसी कोभी आपत्ति हो मुजे कोल करे ,

हुजैफा पटेल भरूच गुजरात 
SAF Team 9898335767

Tuesday, 18 February 2020

જનાબ શકીલ સંધી નડિયાદ, સમાજ માટે હમેશા સક્રિય અને ચિંતિત રેહતા તેમના વિચારો વાંચો...


ગુજરાત નડિયાદ ના હમેશા સમાજિક પરિવર્તન અને સામાજિક જન જાગૃતિ ના કાર્યો કરતા રહે છે,તેઓ હમેશા પોતાના  અનુભવ અને અભ્યાસ સમાજ સુધી  સોશિયલ મિડીયામાં શેર કરે છે...


SAFTEAMGUJ.
17 FEB 2020, 12:00Am
Huzaifa Patel 

       હમારા બ્લોગ મા સમાજના ચિંતિત અને સક્રિય સમાજ માટે સંઘર્ષ કરતા યુવાનોઅને વડીલો ના વિચારો હમેશા જન જન સુધી પેહચે તે માટે  હમેશા તત્પર  રહે છે,  જે પણ મિત્રો પોતાના અનુભવ  અને અભ્યાસ સમાજ સુધી  સોશિયલ મિડીયામાં  મુકતા રહે છે, તેમને નમ્ર અપીલ  આપના વિચારો  હમારા  WhatsApp  નંબર પર શેર કરે.             ભાષા હિંદી અને ગુજરાતી 

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                            ૧૪ ફેબ્રુઆરી ૨૦૨૦, મેસેજ-૧
વિષય
દિન પ્રતિદિન આર્થિક અસમાનતાની સ્થિતિ ગુજરાત માં સાથે સાથે પુરા દેશમાં વિકરાળ સ્વરૂપ ધારણ કરી રહી છે.શું ? આ.ચિંતા નો વિષય નથી..

      અધૂરામાં પૂરું સરકાર દ્વારા આવી વિકરાળ પરિસ્થિતિ ને આધુનિક યુગમાં પણ દીવાલ બનાવી છુપાવવાની કોશિશ કરી એક અજ્ઞાનતા નું ઉદાહરણ એ દેશના રાષ્ટ્રપતિ સમક્ષ મુકવામાં આવી રહ્યું છે કે જ્યારે મોરબી મચ્છુડેમ ની જે હોનારત ૧૯૭૯ માં બની હતી ત્યાં સૌ પ્રથમ જાનકરી આજ અમેરિકાએ સેટેલાઇટ ના માધ્યમ થી ભારત ને આપી હતી વાહ સાહેબ વાહ...

    મૂળવાત પર પરત ફરી જાણવાની કોશિશ કરીએ કે દુનિયાની દરેક વ્યક્તિ ઈચ્છે છે કે મૂળભૂત જરૂરિયાતો સહેલાઈથી સંતોસાતી રહે મૂળભૂત જરૂરિયાતો માં ભરપેટ ભોજન પહેરવા માટે કપડાં અને રહેવામાટે ઘરનો સમાવેશ થાય છે.

        ઉપરોક્ત તમામ વસ્તુઓને મેળવવા માટે તે મજૂરી નોકરી વેપાર કે વ્યવસાય પોતાના જ્ઞાન સમજ બજારની પરિસ્થિતિ મૂડી રોકવાની ક્ષમતા વિવિધ પરિબળો ના આધારે કરે છે તેમાં વળી કેટલાક લોકો બહુ પૈસા કમાય છે અને તેમની જીવન જરૂરિયાત ની વસ્તુઓની ઉપલબ્ધી ઉપરાંત અસંખ્ય મકાનો પુષ્કળ રોકડ અને જબરજસ્ત રોકાણો ઊભા કરીલે છે.

       તો વળી કેટલાક સરેરાશ આવક હાંસલ કરે છે અને તેમની જીવન જરૂરિયાતો આસાનીથી પૂર્ણ થતી રહે છે,
કેટલાક એવા પણ હોય છે જેમની મૂળભૂત વસ્તુઓ માંડ ભેગી થાય છે અને કેટલાક લોકો એવાપણ હોય છે કે જે પોતાની મૂળભૂત જરૂરિયાતો પૂરી કરી શકતાં નથી.

    વિશ્વમાં આવકની અસમાનતાને લઈને ગણા અર્થશાસ્ત્રીઓ ચિંતા વ્યક્ત કરતા આવ્યા છે  પણ કોઈ ચોક્કસ નિદાન કરી શક્યા નથી તેનાં પાછળ નું મુખ્ય કારણ એ પણ છે કે મુક્ત બજારમાં પૈસા કમાવવાની અસંખ્ય તકો ઉપલબ્ધ છે.

     સાથે સાથે ઈજારાશાહી અને પૂર્ણ સ્પર્ધાત્મક બજાર એના માટે એજ્યુકેશન ખૂબ આવશ્યક છે અને તે ગરીબ માણસ માટે અત્યારના યુગમાં સપના સમાન છે અત્યારે લોકોની આવકને અંકુશમાં કરવાની કે પછી આવક સંબધિત નિયમો ઘડવાની કોઈ ફર્મ્યુલા નથી છતાંય અમીરી અને ગરીબી વચ્ચે અંતર ઓછું થાય તે ખૂબ જરૂરી છે.

        આધુનિક યુગમાં આર્થિક ક્ષેત્રે માનવજાતની તકલીફ ખૂબ ચિંતા જનક છે જેમાં આજે કેટલાક ઉદ્યોગ સાહસિકો અને વેપારીઓ પણ માનસિક તણાવ અનુભવી રહ્યા છે અને કેટલાક કિસ્સાઓમાં સહ પરિવાર સામુહિક આત્મહત્યા ના કિસ્સા પણ સામે આવ્યા છે તે દરેક વ્યક્તિ વિશેષ માટે ચિંતા નો વિષય છે.....!!

    
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                 ૧૫ ફેબ્રુઆરી ૨૦૨૦,મેસેજ-૨

વિષય
ભારતીય હોવાને નાતે દરેક નાગરિકે સત્તા ના સિંહાસન પર બિરાજમાન નેતાઓને સવાલો કરવા અતિ આવશ્યક છે.

      આપણા દેશમાં વખતો વખત આંતરરાષ્ટ્રીય આર્થિક સંસ્થાઓ પાસે થી લૉન લીધેલ છે.આ લોનની ચુકવણી પણ આપણા દેશ માટે શક્ય નથી કે તે નજીકના ભવિષ્યમાં પણ કરી શકે.

     પરંતુ તેનુ વ્યાજ દર વર્ષે અવશ્ય ચૂકવવું પડે છે આ વ્યાજ ની રકમ કદાચ તમને ખબર નથી હકીકતમાં આપણા દેશની કુલ આવક નાં ૧૮% થાય છે.

      ઉપરોક્ત રકમ જે આપણે વ્યાજ પેટે ચૂકવીએ છીએ તે ખરા અર્થમાં દેશના ઉદ્ધાર માટે ખર્ચાય તો આપણા દેશ માંથી પાંચ વર્ષ માં અનેક સમસ્યાઓનો ઉકેલ લાવી શકાય તેમ છે.

       સરકાર સમસ્યાનો ઉકેલ લાવવા માટે જો કટીબદ્ધ હોત તો આજે ટ્રમ્પ ને ત્રણ કલાક માટે બોલાવી ૧૦૦ કરોડ રૂપિયા થી ઉપરનો ધુમાડો ના ઉડાડત ઠીક છે ભાઈ દિવાળી કોના બાપની સરકારને તો રાંધણ ગેસ પેટ્રોલ ડીઝલ અને રાસન ઘરવખરી નાં ભાવ વધારી ગરીબ અને મધ્યમ વર્ગ ની જનતા પાસેથી વસુલવાના છેને એમાં ક્યાં પરસેવો પાડવાનો વળી આવે હવે સમયની માંગ પ્રમાણે જાગી આવા તાયફાઓ કરી દેશ ને અધોગતિ તરફ દોરી જનાર નો વિરોધ થવો જરૂરી છે.

      બનાવી અને ઉપજાવી કાઢેલી વાતો થી દેશની જનતા ને ક્યાં સુધી છેતરતાં રહેશે એક ને એક દિવસ સત્ય સામે આવશે અને તે દિવસ દૂર નથી કે ગલી મહોલ્લામાં જનતા તેમનું સ્વાગત જુતાના હાર થી અવસ્ય કરશે કોઈપણ વસ્તુ અતિશય અને અતિરેક થઈ જાય તો તેનું અંત નિશ્ચિત હોય છે.
______________________________________________
                        ૧૬ ફેબ્રુઆરી ૨૦૨૦, મેસેજ-૩

વિષય 
ખરેખરમાં અત્યારે દેશની સામે એક મોટી સમસ્યા એ છે કે સત્તાધારીઓને કારણે.

        ભારતની આર્થિક અને રાજનીતિક નીતિઓ રખડી પડી છે ભલે નાણાં મંત્રી બજેટ રજૂ કરતાં પણ તેમનીજ સરકારની નીતિઓ એવી છે કે ગરીબોના બદલે અમીરોના હિતને સંતોશે છે એવામાં રખડતી રાજનીતિક અને આર્થિક નીતિઓને પાટા પર લાવવા માટે પણ આજે પૂર્વ પ્રધાનમંત્રી શ્રી ડૉ મનમોહનસિંહજી ની ઘણી પ્રાસંગિક વાતો આજે પણ મને યાદ આવે છે.

      કારણ કે તેમણે પ્રજા ના હિત માટે અનેક યોજનાઓ અમલમાં મૂકી ૨૦૦૯ માં પુરા વિશ્વમાં મોંઘવારી બેરોજગારી અને મંદી એ માજા મૂકી હતી તેવા સમયે ભારતમાં તેનો પડછાયો પણ નહોતો પડવા દીધો તેવા પ્રખર વિદ્વાન અને અર્થશાસ્ત્રી પૂર્વ પ્રધાનમંત્રી શ્રી ડૉ મનમોહનસિંહજી ની ખરાઅર્થમાં આજે પણ એટલીજ દેશ ને જરૂર છે.

            બાકી મોટા ભાગના નેતાઓ મુસ્લિમ સમાજની ટોપી પહેરી સમાજ ને અંધારામાં રાખી પોતાની રાજનીતિ નો ધમધમતો ધન્ધો ચમકાવવામાં સફળ રહે છે તેમનાથી દૂર રહેવું જોઈએ અને સાચી રીતે જેમની પાસે આપણ ને સમજવાના મૂળ સૂત્રો હોય તેમની વાતો પર વિશ્વાસ મૂકી અમલ કરવો જોઈએ જેથી કરીને આવનાર સમયમાં મુસ્લિમ રાજનીતિ નું સમીકરણ બદલી મુશ્કેલીઓ માંથી સ્વાભાવિક રીતે બચી શકાય અને ગુજરાતમાં ફરજીયાત સમીકરણ બદલાશે અને સફળતા પ્રાપ્ત થશે.

       મુસ્લિમ સમાજ માટે સમય સ્પર્ધાત્મક છે અને રાજનીતિક સફળતા મેળવવા માટે પણ ફક્ત કઠોર પરિશ્રમ થી કામ ચાલશે નહી કઠોર પરિશ્રમ તો સફળતાને માટે જરૂરી તત્વોમાંથી એક છે પરંતુ તેની સાથે બીજી ઘણી બધી વાતો પર ધ્યાન કેન્દ્રિત કરવું જરૂરી છે..

      
          

Sunday, 16 February 2020

कुरान ओडियो ३० पारे एक क्लिक पर सुने कुरान उर्दु तर्जुमा के साथ.Quran Audio

कुरान को समझना ओर इस की एक  एक बात पर अध्ययन  करना बहोत जरुरी  हे, कुरान  को समझने के लिये   हामरे  फौलोवर्स  के लेिये बेहतरीन  मोका  जब भी  आपके पास समय हो   आप निचे दिये कुरान के  ३०  पारों के एक एक  पारे  उर्दू  तर्जुमे   के साथ सुन सकते हे।
SAFTEAMGUJ.
16 FEB 2020 , 10:00 Am
Huzaifa patel ...



भारत देशके विकाश के लिये संविधान बनाया गया, लेकीन पुरी दुनिया के मानवजाति के लिये मार्गदर्शन देने वाला कुरान इन्सानियत  के लिये उतारा गया.

जो मुस्लमान वक्त ओर हालात से अपने आपको मुसलमान समझता हे, ओर कुरान को नही समझता वो कभी इस्लाम को नही सझम सकता हे.

मसलमानो मे बहोत से लोग हे जो कुरान को देखकर नही पड सकते हे, उनके लिये बेहतरीन विकल्प हे, इस पोस्ट मे जाकर कुरान को उर्दू तर्जुमा के साथ सुने ओर कुरान समझे.

जो कुरान पडना जानते हे, वो कुरान को समझने के लिये अपना समय निकाल कर इस पोस्ट मे जाकर कुरान को तर्जुमा के साथ सुने कुरान को समझे.





پارہ نمبر 1 - http://bit.ly/2qpLHGY
ارہ نمبر2   - http://bit.ly/2qnS2Ha
ارہ نمبر3   - http://bit.ly/2sbSqoq
پارہ نمبر4 - http://bit.ly/2r6TOeq
پارہ نمبر5 - http://bit.ly/2qzzsYk
پارہ نمبر6 - http://bit.ly/2qI4EE2
پارہ نمبر7 - http://bit.ly/2rW88HS
پارہ نمبر8 - http://bit.ly/2qK0aO4
پارہ نمبر9 - http://bit.ly/2rBqzB0
پارہ نمبر10 - http://bit.ly/2s3dkdd
پارہ نمبر11 - http://bit.ly/2so5po5
پارہ نمبر12 - http://bit.ly/2rzgVP9
پارہ نمبر13 - http://bit.ly/2rSIJ1l
پارہ نمبر14 - http://bit.ly/2sk5Lid
پارہ نمبر15 - http://bit.ly/2rKJHw3
پارہ نمبر16 - http://bit.ly/2sMTr7y
پارہ نمبر17 - http://bit.ly/2r9opp2
پارہ نمبر18 - http://bit.ly/2rpK4c8
پارہ نمبر19 - http://bit.ly/2rpq1iW
پارہ نمبر20 - http://bit.ly/2rAX4Mc
پارہ نمبر21 - http://bit.ly/2rBv2Aa
پارہ نمبر22 - http://bit.ly/2sbmkft
پارہ نمبر23 - http://bit.ly/2rtPXpH
پارہ نمبر24 - http://bit.ly/2sfUCOE
پارہ نمبر25 - http://bit.ly/2smfZxF
پارہ نمبر26 - http://bit.ly/2tLUEvC
پارہ نمبر27 - http://bit.ly/2tru5wz
پارہ نمبر28 - http://bit.ly/2rXeW98
پارہ نمبر29 - http://bit.ly/2s5NLEk
پارہ نمبر30 - http://bit.ly/2s1BBB4

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Saturday, 15 February 2020

क्या हम मुसलमान हे? क्या हम इस्लाम की दूरदस्ती के इल्म से हालात को सोचने ओर समजने की सलाहियत खो चुके हे.

कया आप मुसलमान है ? ओर ये जानते है,
और क्या ऐसा हो नहीं रहा है...

SAFTEAMGUJ.
15 FEB 2020,11:30 Pm
WhatsApp Copy

दि.मिडिया प्रोफाई,नई दिल्ली, एम हसनैन की कलम से WhatsApp  वायरल मेसेज___

मीडिया प्रोफ़ाइल के पिछले अंक ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। मुस्लिम समाज के हर तबके़ पर इसका कुछ न कुछ असर पड़ा है। और इन तबक़ों से मुताल्लिक़ लोगों ने इस पर कुछ न कुछ तबसरा भी ज़रूर किया है। ज़्यादातर लोगों ने यह बात मानी है कि मुसलमान हर तरफ़ से घिर गए हैं। कुछ लोगों ने इसे ‘‘महज़ बकवास’’ भी क़रार दिया है। इसके साथ ही कुछ लोगों ने इसे ग़ैर-ज़रूरी दूरअंदेशी का नाम भी दिया है। ऐसे रीडर्स भी हैं जो चाहते हैं कि अगर वाक़ई यह हालात पेश आने हैं तो इनका हल भी बताया जाए।

मीडिया प्रोफ़ाइल उन तमाम लोगों का शुक्रगुज़ार है जिन्होंने पिछले अंक को पढ़ने के बाद अपनी अपनी समझ के मुताबिक़ सवालात और अंदेशे ज़ाहिर किये हैं। जो लोग इसे ‘‘महज़ बकवास’’ क़रार दे रहे हैं वह शायद हमारी नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें ऐसा करने का हक़ भी हासिल है क्योंकि पिछले 70 वर्षों के दौरान वो इतनी बार जल चुके हैं कि छाछ को भी फूंक कर पीना उनकी मजबूरी है। कोई हल पेश करने से पहले हम कुछ बातें साफ़ कर देना चाहते हैं। असल में कोई भी हल उस वक़्त तक कारगर नहीं हो सकता जब तक इस बात पर हम सब सहमत नहीं हो जाते कि जो कुछ लिखा है वो या तो कहीं न कहीं हो रहा है या कहीं न कहीं हो चुका है मगर जिसे याद करके हम अपना सुकून बर्बाद नहीं करना चाहते। किसी बहस में उलझे बग़ैर नीचे लिखी इबारतों को ध्यान से पढ़ें और फिर बताएं कि क्या यह सब हो नहीं रहा है?

(1) क्या यह सच नहीं है कि दादरी में पांच सौ से अधिक लोगों की भीड़ ने मरहूम इख़लाक़ के घर पर मंदिर के लाउडस्पीकर से यह एलान सुनकर चढ़ाई कर दी कि उसके घर में गाय का गोश्त पकाया जा रहा है और कुछ सुने बग़ैर बाप बेटे को इस बुरी तरह पीटा कि इख़लाक़ ने दम तोड़ दिया और बेटा हफ़्तों अस्पताल में भर्ती रहा।

  (2) क्या हरियाणा के अटाली गांव में मुसलमानों को स्थानीय हिन्दुओं से इन शर्तों पर समझौता नहीं करना पड़ा कि मस्जिद से अज़ान नहीं होगी, मीनार और गुंबद नहीं बनाए जाएंगे, बाहर से कोई इमाम नहीं लाया जाएगा, मस्जिद के बाहरी हिस्से में वुजूख़ाना नहीं बनेगा और जो लोग दंगों के दौरान ज़ख़्मी हुए हैं उनकी कोई एफ.आई.आर दर्ज नहीं होगी।

  (3) क्या महाराष्ट्र के स्कूलों में सूर्य नमस्कार और योगा को सभी के लिए अनिवार्य क़रार नहीं दे दिया गया है, और क्या दिल्ली तक के सरकारी स्कूलों में सरस्वती वंदना, वंदे मात्रम, भारत माता की जय, भोज मंत्र और गायत्री मंत्र का पाठ नहीं हो रहा है?

  (4) क्या हिन्दू संगठन एक ज़माने से यह मांग नहीं करते आ रहे हैं कि मुसलमानों से वोट डालने का अधिकार छीन लेना चाहिए। आखि़र जब वोट डालने का अधिकार ही छिन जाए तो कोई चुनाव कैसे लड़ सकता है और फिर हाउस में पहुंचकर कोई बात किस तरह की जा सकती है।

  (5) क्या आए दिन बजरंग दल, शिवसेना, आर.एस.एस, राम सेना और इन्हीं जैसे अन्य संगठनों से जुड़े लोग अपने अपने जुलूसों में यह नारा नहीं लगा रहे हैं ‘‘हिंदी हिंदू हिन्दुस्तान, मुल्ला भागें पाकिस्तान, जो न भागे पाकिस्तान उसको भेजो क़ब्रिस्तान’’।

  (6) क्या मशहूर इस्लामी स्कॉलर ज़ाकिर नाईक पर सिर्फ़ इसलिए शिकंजा नहीं कसा जा रहा है कि उन्होंने अपनी दलीलों से इस्लाम को दुनिया का सबसे अच्छा मज़हब साबित किया और दूसरे मज़हबों की किताबों का हवाला देकर उनकी कमी दुनिया वालों पर जा़हिर की?

  (7) क्या मुसलमान देश की पुलिस, पैरामिलिट्री और सेना में अपनी आबादी के दसवें हिस्से के बराबर भी हैं? क्या थानों में हमारे साथ बदसुलूकी नहीं होती, बेवजह आतंकवादी नहीं कहा जाता या पाकिस्तानी कह कर ज़लील नहीं किया जाता?

  (8) क्या बीफ़ की अफ़वाह फैलाकर राजस्थान के एक गांव को लूट नहीं लिया गया? क्या मेवात में इसी इल्ज़ाम के तहत दो माँ बेटियों के साथ बलात्कार नहीं हुआ? क्या मध्य प्रदेश में दो ग़रीब मुस्लिम औरतों को खुले आम पुलिस की मौजूदगी में यह कहकर नहीं पीटा गया कि वह अपने साथ गाय का गोशत ले जा रही थीं? क्या ख़ुद दिल्ली में दो लोगों को कार से बाहर खींच कर इतना नहीं पीटा गया कि उनमें से एक ने दम तोड़ दिया और दूसरा बुरी तरह घायल हुआ? क्या इसी दिल्ली में एक ड्राईवर को उसके हिंदू मालिक ने केवल इस आधार पर अपने एक साथी के साथ मिलकर पीट पीट कर मार नहीं डाला क्योंकि वह बक़रईद मनाने के लिए अपने घर जाना चाहता था?

  (9) क्या अस्पतालों में मुस्लिम औरतों को हर साल बच्चे पैदा करने का ताना देकर ज़लील नहीं किया जाता? क्या ख़्वामख़्वाह भी उनके आप्रेशन नहीं होते ताकि तीसरे बच्चे का ऑप्शन ही ख़़त्म हो जाए? क्या किसी जोड़े के दो बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से कमज़ोर हों तब भी उन्हें तीसरा बच्चा पैदा करने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए? क्या देश में ऐसा कोई क़ानून है कि आप तीसरा बच्चा पैदा ही
न करें भले पहला बच्चा हिजड़ा और दूसरा मानसिक रूप से कमज़ोर ही क्यों न हो?

  (10) क्या हज पर दी जाने वाली सब्सिडी को ख़त्म करने की मांग बार बार नहीं उठ रही है? क्या इस बार कई सरकारी संगठनों ने खु़द को मुस्लिम संगठन जा़हिर कर के सांकेतिक बकरे का केक नहीं काटा है ताकि आइंदा सांकेतिक कु़र्बानी की मिसाल देकर ईदुल अज़हा की कु़र्बानी पर पाबंदी लगवाई जा सके?

  (11) क्या यह सच नहीं है कि मुसलमान कम उम्र में ही ख़तरनाक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं और चालीस से पचास साल की उम्र के दौरान ही उनकी बड़ी तादाद अपने आखि़री सफ़र पर रवाना हो जाती है। क्या किसी सरकारी इदारे ने संजीदगी के साथ इसकी वजह जानने की कोशिश की है?

  (12) लाखों हिंदू मुस्लिम इलाक़ों में चल रहे होटलों में आकर बीफ़ (भैंस का गोश्त), मटन या चिकन का शौक़ पूरा करते हैं। मगर क्या कोई मुसलमान किसी हिंदू कालोनी में जाकर किरयाना की दुकान भी खोल सकता है? क्या नार्मल रेट पर किसी मुसलमान को शहर के अच्छे शापिंग सेंटर में आसानी से कोई दुकान किराए पर मिल सकती है? क्या हिन्दू सोसाइटी में किसी मुसलमान के लिए घर ख़रीदना आसान है? क्या मुस्लिम किरायेदार को बेजा बंदिशों का सामना नहीं करना पड़ता? क्या ऊंची सोसायटी के लिबरल हिंदू भी बुर्क़ापोश मुस्लिम औरतों को नफ़रत की निगाह से नहीं देखते? क्या दाढ़ी आतंकवादियों की पहचान नहीं बना दी गई है?

  (13) क्या राजधानी में मुसलमान नालों की सफ़ाई का काम नहीं कर रहे हैं? याद रखें यह स्थायी कर्मचारी नहीं होते। स्थायी कर्मचारी तो वो वाल्मीकि होते हैं जिन्हें दिल्ली नगर निगम से 35-40 हज़ार रुपये तंख़्वाह मिलती है। वो बिहार, झारखंड या बंगाल से आने वाले ग़रीब मुसलमान को पांच-छह हज़ार रुपये पर नौकर रख लेते हैं और सरकारी रजिस्टर में अपनी हाज़िरी लगाकर उन्हें काम से लगा देते हैं। क्या यह सरकारी पैसों की बर्बादी नहीं है? और कहीं सरकार जानबूझकर तो ऐसा नहीं कर रही है ताकि हिंदुओं का मोराल ऊंचा हो और मुसलमान ज़िल्लत की ज़िंदगी जियें?

  (14) क्या दूसरी सरकारी ज़बान होने के बावजूद स्कूलों में मुस्लिम बच्चों को उर्दू पढ़ने से रोका नहीं जा रहा है? क्या किसी सरकारी विभाग में आपने कोई उर्दू का ट्रांसलेटर देखा है? क्या आप बैंक को उर्दू में चेक दे सकते हैं? क्या उर्दू में किसी सरकारी विभाग से ख़त व किताबत की जा सकती है?

  (15) क्या क़ब्रिस्तानों पर क़ब्ज़े नहीं किए जा रहे हैं? क्या मस्जिदें शहीद नहीं की जा रही हैं? क्या पुलिस आप का नाम सुनते ही अपने तेवर नहीं बदल लेती? क्या हम ऐसी बस्तियों में रहने पर मजबूर नहीं हैं जहां बिजली, पानी या गैस अपनी मर्जी़ से आते जाते हों? आखि़र हमारा ऐरिया नेगेटिव ऐरिया क्यों कहा जाता है? क्यों सीलमपुर के मेट्रो स्टेशन पर पहुंचते ही यह ऐलान शुरू हो जाता है कि जेब कतरों से होशियार रहें? क्या दूसरी जगहों पर साधू बसते हैं या वहां जेब कटने की वारदातें नहीं होतीं?

  (16) क्या सरकार बार बार यह नहीं कह रही कि सबके लिए एक का़नून बनाया जाएगा? क्या अदालतें बार बार यह फ़ैसला नहीं सुना रही हैं कि मुल्क का क़ानून सबसे ऊपर है? क्या इससे यह मतलब नहीं निकलता कि हर वो का़नून जो हिन्दुत्व से टकराएगा उसे बदलना होगा? अगर वो अरबी को विदेशी भाषा बता कर उस पर पाबंदी लगा दें तो क्या आप उनका हाथ पकड़ लेंगे? क्या नमाज़ संस्कृत में पढ़ी जाएगी या अज़ान हिन्दी में होगी? क्या आगे चल कर जब शादी ब्याह और तलाक़ के का़नून हिन्दुआना रस्मों से जोड़ दिए जाएंगे तो आप उन्हें अपनी फूल जैसी मुस्कुराहटों से लुभा कर सीधे रास्ते पर ले आएंगे?

  (17) क्या मुज़फ़्फ़र नगर का रेप अलग है और दिल्ली कर निर्भया कांड अलग? क्या डेंगू और चिकुनगुनिया में मारे जाने वाले बीस मुसलमानों की जान (ओखला) इतनी सस्ती है कि उसका इंदराज भी सरकारी रजिस्टर में नहीं हो सकता? सरकार अगर गऊ मूत्र को किसी जान लेवा बीमारी का इलाज बता कर ज़बरदस्ती पिलाना शुरू कर दे तो उसे किस तरह रोका जाएगा?

  (18) क्या लव जिहाद की कहानी तैयार करके हर उस जोड़े को परेशान नहीं किया जा रहा है जहां लड़की हिन्दू और लड़का मुसलमान है और उन्होंने अदालत में अपनी पसंद से शादी की है?

  (19) क्या आप यह जानते हैं कि प्राइमरी सतह पर मुस्लिम बच्चों के नाम ख़ामोशी से बदल दिए जाते हैं? मुहीत को मोहित, सलीम को सलील, हसनैन को हंस नैन, हारिस को हरीश, आएशा को आशा, शमा को श्यामा, निसा को निशा, कुलसूम को कुसुम और कौसर को कौशल लिख देना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है। टोकने पर कहा जाता है कि ‘‘हमसे तुम्हारे नाम नहीं लिए जाते, वैसे भी नाम में क्या रखा है, नाम ऐसा होना चाहिए जिसे सब आसानी से ले सकें’’।

  (20) क्या यह सच नहीं है कि तमाम मस्जिदों में जुमे के मौक़े पर कोई न कोई पुलिस का मुख़बर ज़रूर होता है जो सरकार को पल पल इस बात की इत्तेला देता है कि खु़तबे में इमाम ने क्या क्या बातें कही हैं। क्या यह सच नहीं कि बड़ी सड़कों पर मुसलमानों के मज़हबी जुलूस नहीं निकल सकते और न ही उन सड़कों के किनारे कोई आलीशान मस्जिद बनाई जा सकती है?

  (21)  क्या दाढ़ी रखने वालों और बुर्क़ा ओढ़ने वालियों की बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, दिल्ली मेट्रो या हवाई अड्डों पर बहुत अच्छी तरह तलाशी नहीं ली जाती? क्या उन गाड़ियों को बेवजह नहीं रोका जाता जिन पर कोई इस्लामी लेबल लगा हो? क्या हमारे पासपोर्ट, आधार कार्ड, आई. कार्ड और ड्राईविंग लाईसेंस इतनी ही आसानी से बन जाते हैं जितनी आसानी से औरों के?

सोचिए और ख़ूब सोचिए कि अगर आप की गाड़ी रोक कर बीफ़ की तलाशी ली जाने लगे तो आप किस से फ़रियाद करेंगे? अगर आपकी बहन बेटियों का पर्दा इस बहाने से तार तार कर दिया जाए कि इस पर्दे में किसी दहशतगर्द के छिपे होने का अंदेशा है तो आप पर क्या बीतेगी? अगर कॉलिज या यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले किसी बच्चे से, ख़्वाह वो लड़का हो या लड़की, यह पूछा जाए कि उसने पिछली बार बीफ़ कब खाया था या यह कि पिछली रात उसने जो बीफ़ खया था उसकी मेडिकल जांच के लिए उसे फ़लां लैबारेट्री तक उनके साथ चलना होगा तो वो अपनी जान किस तरह छुड़ाएंगे? क्या ऐसी जांच से बचने के लिए बच्चे अपना सब कुछ पेश करने के लिए मजबूर नहीं हो जाएंगे? क्या यह ज़रूरी है कि वो लैबारेट्री के नाम पर कहीं और नहीं ले जाए जाएंगे? अगर किसी अंजान इलाक़े में आपको दो में से एक शर्त मानने को कहा जाए कि या तो अपनी जान बचा लो या अपनी इज़्ज़त तो आप किस से हाथ धोना पसंद करेंगे? यह कहना बहुत आसान है कि यह दूर की कौड़ी है मगर कहीं न कहीं ऐसा हो तो रहा है और सारी दुनिया उसे देख भी रही है। फ़र्क़ इतना है कि यह सब का़नूनी तौर पर नहीं हो रहा है। मगर क़ानून कुछ कर भी तो नहीं रहा है! हमारा कु़सूर निकले तो मुर्दे तक उखाड़ लाए जाएं और उनकी बारी हो तो बरसों तफ़तीश होगी फिर भी नतीजा शून्य।
जिन लोगों ने हमसे हल पूछा है क्या उन्होंने यह सवाल उन से भी किया है जिन्हें वो पिछले 70 बरसों से वोट देते आए हैं या जिनके कहने पर आज तक किसी न किसी  पार्टी को वोट देते आए हैं। हल पूछना आप का हक़ है और हल बताना हमारी ज़िम्मेदारी। मगर इससे पहले यह तय हो जाना चाहिए कि हम किस मसले का हल ढूंढ रहे हैं। यह भी तय हो जाना चाहिए कि हम वाक़ई हल ढूंढ भी रहे हैं या महज़ दिल लगी की ख़ातिर क़ौम का वक़्त ख़राब कर रहे हैं। याद रखें! पिछले 70 बरसों की लापरवाही के नतीजे में हम नालों के किनारे जा बसे हैं। अगले 70 बरसों तक हम किसी मज़ाक़ के मुतहम्मिल नहीं हो सकते वरना तारीख़ हमें कभी मुआफ़ नहीं करेगी।

आगे सेर करे ओर कोमेट भी करे

सामाजिक कार्य मे संघर्ष करने वाले साथियों के लिये, आत्मविश्वास होना बहोत जरुरी हे, तमाम संघर्ष कारी क्रांतिकारी साथियों के लिये मोटिवेट (होशला अफजाइ) करने वाली कुच बाते.

“निडरता से डर को भी डर लगता है।”

हर बात में धीरज रखें, विशेषकर अपने आप से. अपनी कमियों को लेकर धैर्य न खोएं अपितु तुरन्त उनका समाधान करना शुरू करें-हर दिन कर्म की नई शुरुआत है,

SAFTEAMGUJ. 02:00pm

14 FEB 2020 


हमारे जीवन का उस दिन अंत होना शुरू हो जाता है जिस दिन हम उन विषयों के बारे में चुप रहना शुरू कर देते हैं जो मायने रखते हैं.

खुशी केवल उन्हीं लोगों को प्राप्त होती है जो दूसरों को खुश करने में प्रयासरत रहते हैं.”

“लोग इसलिए अकेले होते हैं क्योंकि वह मित्रता का पुल बनाने की बजाय दुश्मनी की दीवारें खड़ी कर लेते हैं.”

“आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए. मानवता एक सागर की तरह है, यदि सागर की कुछ बूंदे खराब हैं तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता है.

“ऐसा व्यक्ति जो मानव के हृदय में साहस बोता है, वह सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है.”

“हमारी पहचान हमेशा हमारे द्वारा छोड़ी गई उपलब्धियों से होती है।”

“निडरता से डर को भी डर लगता है।”

“जीवन में अनेक विफलताएं केवल इसलिए होती हैं क्योंकि लोगों को यह आभास नहीं होता है कि जब उन्होंने प्रयास बन्द कर दिए तो उस समय वह सफलता के कितने करीब थे।”

“ऐसा नहीं है कि कार्य कठिन हैं इसलिए हमें हिम्मत नहीं करनी चाहिए, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम हिम्मत नहीं करते हैं इसलिए कार्य कठिन हो जाते हैं।”

हमें यह मानना बन्द कर देना चाहिए कि ऐसा कार्य जिसे पहले कभी नहीं किया गया है, उसे किया ही नहीं जा सकता है।”

“ऐसे लोगों के लिए परिणाम सर्वश्रेष्ठ रहते हैं जो कि सामने आने वाली परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ कार्य निष्पादन करते हैं।”

“अपने सम्मान की बजाय अपने चरित्र के प्रति अधिक गम्भीर रहें। आपका चरित्र ही यह बताता है कि आप वास्तव में क्या हैं जबकि आपका सम्मान केवल यही दर्शाता है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं।”

“अपने सम्मान की बजाय अपने चरित्र के प्रति अधिक गम्भीर रहें। आपका चरित्र ही यह बताता है कि आप वास्तव में क्या हैं जबकि आपका सम्मान केवल यही दर्शाता है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं।”

“प्रतिकूल परिस्थितियों से कुछ व्यक्ति टूट जाते हैं, जबकि कुछ अन्य व्यक्ति रिकार्ड तोड़ते हैं।”

“यदि आप बार बार नहीं गिर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप कुछ नया नहीं कर रहे हैं।”

“जीवन की त्रासदी इस बात में नहीं है कि आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचते हैं। त्रासदी तो इस बात की है कि आपके पास प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं है।”

“छोटी छोटी बातों में आनन्द खोजना चाहिए, क्योंकि एक दिन ऐसा आएगा जब आप पिछले जीवन के बारे में सोचेगें तो यह पाएंगे कि वह कितनी बड़ी बातें थीं।”

सोचना आसान होता है। कर्म करना कठिन होता है। लेकिन दुनिया में सबसे कठिन कार्य अपनी सोच के अनुसार काम करना होता है।”

“कोई आज छाया में इसलिए बैठा हुआ है क्योंकि किसी ने काफी समय पहले एक पौधा लगाया था।”

“निडरता से डर को भी डर लगता है।”

“गति और प्रगति में संदेह न करें। कोल्हू के बैल दिन भर चलते हैं लेकिन कोई प्रगति नहीं करते है।”

“एक बार किसी कार्य को करने का लक्ष्य निर्धारित कर लेने के बाद, इसे हर कीमत तथा कठिनाई की लागत पर पूरा करें। किसी कठिन कार्य को करने से उत्पन्न आत्म विश्वास अभूतपूर्व होता है।”

“यदि आपने हवाई किलों का निर्माण किया है तो आपका कार्य बेकार नहीं जाना चाहिए, हवाई किले हवा में ही बनाए जाते हैं। अब, उनके नीचे नींव रखने का कार्य करें।”

“निडरता से डर को भी डर लगता है।”

“मैंने काफी समय से यह देखा है कि सफल व्यक्ति बैठ कर घटनाओं का इंतजार नहीं करते हैं अपितु वे आगे बढ़ते हैं और कार्य को अंजाम देते हैं।”

“महान कार्यों को पूरा करने के लिए न केवल हमें कार्य करना चाहिए बल्कि स्वप्न भी देखने चाहिए। न केवल योजना बनानी चाहिए, अपितु विश्वास भी करना चाहिए।”

“दूसरों की पुष्टि पर निर्भर करने की तुलना में स्वयं को जानने तथा स्वीकार करने- अपनी शक्तियों तथा अपनी सीमाओँ को जान लेने से वास्तविक विश्वास की उत्पत्ति होती है।”

“सकारात्मक सोच से संभवतः आपकी सभी समस्याएं हल नहीं होंगी, लेकिन इससे पर्याप्त संख्या लोग ईर्ष्या करेंगे कि यह प्रयास करना बहुमूल्य होगा।

“मानव अपनी सोच की आंतरिक प्रवृति को बदलकर अपने जीवन के बाह्य पहलूओं को बदल सकता है।”

“हमें यह शिक्षा दी जानी चाहिए कि हमें किसी कार्य को करने के लिए प्रेरणा की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। कर्म करने से हमेशा प्रेरणा का जन्म होता है। प्रेरणा से शायद ही कर्म की उत्पत्ति होती हो।”

“जब हम कठिन कार्यों को चुनौती के रुप में स्वीकार करते हैं और उन्हें खुशी और उत्साह से निष्पादित करते हैं, तो चमत्कार हो सकते हैं।”

“हमारी महानतम विशालता कभी भी न गिरने में नहीं अपितु हर बार गिरने पर फिर उठने में निहित होती है।”

“यदि आप यह मानते हैं कि आप कर सकते हैं, तो संभवतः आप कर सकते हैं। यदि यह सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते, तो आप सुनिश्चित रुप से नहीं कर सकते। विश्वास वह स्विच है जो आपको आगे बढ़ाता है।”

“निडरता से डर को भी डर लगता है।”

हमारी इस पोस्ट के बारे मे जरुर अपना अनुभव शेयर करे ,

सामाजिक कार्योको करने के लिये हमारे SAF टीमसे जुरे ओर ज्यादा जानकारी के लिये निचे दिये नंबर पर संपर्क कर,



मोदी ओर ट्रम्प की मानव विकाश के लिये बनाइ जा रही हे, 600 मीटर 8 फुट उंची दिवार GUJARATA Ahmdabad

गुजरात / अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को झोपड़पट्‌टी न दिखे, इसके लिए बनाई जा रही 600 मीटर लंबी  दीवार बना रहा है नगर निगम.


SAFTEAM 
15 Feb 2020, 10:00 pm .
Gujarat,ahmdabad 

सार

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यौते पर दो दिन के दौरे पर भारत आने वाले हैं। वह और प्रधानमंत्री मोदी 24 फरवरी को गुजरात के अहमदाबाद पहुंचेंगे। यहां दोनों नेता रोड शो करेंगे।

विस्तार

ऐसे में अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को इंदिरा ब्रिज से जोड़ने वाली सड़क के साथ एक दीवार बना रहा है ताकि झुग्गी बस्तियों वाले क्षेत्र को छुपाया जा सके। नागरिक निकाय जिस दीवार निर्माण कर रहा है वह आधे किलोमीटर से ज्यादा लंबी और छह से सात फीट ऊंची है। इसे अहमदाबाद हवाई अड्डे से गांधीनगर की ओर जाने वाली सड़क पर सौंदर्यीकरण अभियान के तहत मोटेरा में सरदार पटेल स्टेडियम के आस-पास बनाया जा रहा है।


एएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अनुमानित 600 मीटर की दूरी पर झुग्गी बस्तियों को छुपाने के लिए 6-7 फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। यहां पर पौधारोपण अभियान भी चलाया जाएगा।' 500 से ज्यादा कच्चे मकानो में रहने वाली 2500 की आबादी दशको पुराने देव सरन या सरनियावास झुग्गी बस्तियों के क्षेत्र का हिस्सा हैं।

एएमसी साबरमती नदी के किनारे पर सौंदर्यीकरण के तहत खजूर के पेड़ लगाएगी। इससे पहले ऐसे ही सौंदर्यीकरण का काम तब किया गया था जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे अपनी पत्नी अकी आबे के साथ दो दिन के गुजरात दौरे पर 2017 में 12वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह पत्रकारों से यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा है कि हवाई अड्डे से नए स्टेडियम (मोटेरा) तक 5 से 7 मिलियन लोग वहां मौजूद होंगे। जो लगभग पूरे अहमदाबाद शहर की जनसंख्या है।

गणतंत्र दिवस पर नहीं आ पाए थे डोनाल्ड ट्रंप

भारत ने पिछले साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने के लिए ट्रंप को आमंत्रित किया था लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति व्यस्त होने के कारण समारोह में नहीं आ पाए थे। ट्रंप से पहले उनके पूर्ववर्ती अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी दो बार 2010 और 2015 में भारत दौरे पर आए थे। 2015 में ओबामा गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर आए थे। उस दौरान भारत-अमेरिका के बीच कई अहम कारोबारी समझौते हुए थे।

‘हाउडी मोदी’ में रखी गई थी न्योते की नींव

प्रधानमंत्री मोदी ने बीते साल सितंबर में अमेरिका का दौरा किया था। जहां उन्होंने ह्यूस्टन में 50 हजार लोगों की एक बड़ी रैली ‘हाउडी मोदी’ को संबोधित किया था। इसकी मेजबानी पीएम मोदी ने की थी। इस दौरान ट्रंप और पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया था। पीएम मोदी ने ट्रंप को भारत आने के लिए आमंत्रित किया था। मोदी ने कहा था कि उनका भारत दौरा दोनों देशों के साझा सपनों को एक नई ऊंचाई देगा। 


Friday, 14 February 2020

अहमदाबा के रखियाल "शाहीन बाग" आंदोलन की महिलाओं ने मुस्लिम नुयुज पेपर गुजरात टुडे का पेपर जलाकर विरोध किया.

गुजरात टुडे कहे जाने वाले मुस्लिम नुयुज पेपर का अहमदाबाद  की  आंदोलन कर रही मुस्लिम  महिलाओं  ओर बच्चो ने नुयुज  पेपर जलाकर विरोध किया.
SAFTEAM 
14 FEB 2020 , 10:00 pm
Gujarat,Ahmadabad 

 देश मे चल रहे  CAA,NRC,NPR  शाहीन बाग  के आंदोलन के बाद पुरे देशमे हर जगाह शाहीन बाग  आंदोलन चल रहा हे, जिसकी  सुरुआत गुजरात के अहमदाबाद के रखियाल मे ता.14 जनवरी को हुइ, थोडे दिनो बाद  इस   आंदोलन को दबाने के लिये  सरकार  की तरफसे इस   आंदोलन के  आयोजक मे से सुफियान राजपुत को  पोलिश द्वारा गिरफ्तार किया गया, जिसको जामिन के बाद  छोड़ दिया गया.


जिसके बाद   हमारे मित्रों से मालुमात हुई  हे, इस  आंदोलन को कमजोर करने के लिये  कुच  स्थानीय  सामजिक ओर पोलिटिकल  लीडर्स ने  29 जनवरी  के दिन  रखियाल के  शाहिन बाग  आंदोलन से  थोड़े  दुर  दुसरा आदोलन सुरु किया जिसको लेकर गुजरात टुडे  नुयुज पेपर की भुमिका    आंदोलन  को दिशा से भटका ने के लिये  नुयुज मे छपी  खबर का विरोध   स्थानीय  महिलाएं  जो  पेहले दिनसे  रखियाल के  आंदोलन का हिस्सा हे नुयुज पेपर जलाकर अपना विरोध किया.

इमेज -१


इमेज - २
इमेज - ३


अहमदाबा के रखियाल  आंदोलन  के आयोजक  मित्रों से जानकारी लेने के बाद पता चला हे, गुजरात टुडे समाज के नेताओं  ओर  समाजके नामचीन  लोगों  की वाहवाही  के लिये  अहमदाबाद  के राखियाल शाहिन बाग आंदोलन  जो १૪ जनवरी  २०२० जिसका आज १ महिना पुरा हुवा   उस  आंदोलन   को  बाद मे सुरु लिया गया इस तरहा का नुयुज  मे छापने के विरोधमे  अपना   दुख व्यक्त किया  ओर गुजरात टुडे नुयुज  पेपर जिसको मुस्लिम  नुयुज पेपर कहा जाता हे, वो सिवाय पोलिटिकल  लोगों की   कठपुतली के   सिवा  कुच नहीं  हे, एसा लग रहा हे.

 विडियो देखें 

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Huzaifa Patel, Bharuch GUJ.
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"गुजरात के भरूच बायपास चोकडी"पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि दे कर शहीदों की शहादत को याद किया.PULWAMA-SHAID

आज १૪ फरवरी २०२० के रोज गुजरात के भरुच बायपास   चोकरी पर पुलवामा हमले मे शहीद  हुये तमाम शहीदों को श्रद्धांजलि  दी गइ.


SAFTEAMGUJ.
14 FEB 2020, 06:30 pm
GUJARAT

 जेसा के हम सब जानते हे, हमारे देशमे लाखो करोडो की संख्यामे देशके विर जवान देशके लिये कुरबान होते रेहते हे,लेकिन   14 Feb. 2019 के रोज पुलवामा हमला  एक साजिश  हे ये बात आज देशका हर बुद्धिजीवी वर्ग केहता हे, 2019 के लोकसभा चुनाव से पेहले इस तरहा हमला वो साजिश हे ये बात सोचने पर सबको मजबुर करता हे.


पुलवामा हमले मे कइ इसे  बातें  हे, जो शंका करने पर आज देशके जागृत नागरिक को मजबुर करता हे,300 किलो  RDX   अलग अलग बटालियन के  जवान एकही बसमे ट्रावेल करना, 300 किलो RDX भरी  गाडी  देशमे  सिधे  देशके जवानो  की बस के साथ तकराना एसे कइ सवाल हे.


आज के  प्रोग्राम से जुडे विडियो को देखने के लिये  निचे दिये लिंक पर जाकर देख सकते हे.


आज के  इस कार्यक्रम मे  इंडियन आर्मी - जिंदाबाद ओर याद करो याद करो - शहीदों नी शहादत ने याद करो.जेसे नारा लगाये गये  शहीदों को  श्रद्धांजलि  दी गइ  देश के लिये कुरबान  हुई  सभी  शहीदों  को सलामी   देकर    देशकी जनता तक   विरो जवानों की शहादत याद दिलाने कि  कोशिश  की गइ.




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शाहीन बाग के आंदोलन पुरे देश मे कंहा कंहा पर २૪ घंटे चल रहे हे.

नागरिकता क़ानून के विरोध में दिन रात 24 घंटे धरना प्रदर्शन हो रहे जगहों के नाम।                  

safteamgujarat 
14 FEB 2020
GUJARAT

1. जम जम बाग बायसी...
2. शाहीन बाग़, दिल्ली
3. जामिया, दिल्ली
4. आराम पार्क, ख़ुरेज़ी, दिल्ली
5. सीलामपुर फ्रूट मार्केट, दिल्ली
6. जामा मस्जिद, दिल्ली
7. तुर्कमान गेट, दिल्ली
8.सब्ज़ी बाग़, पटना,बिहार
9. शांति बाग़, गया,बिहार
10. मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार
11.अररिया, सीमांचल बिहार
12. बेगूसराय, बिहार
13 .पकरीबरावां,नवादा बिहार
14.मज़ारचौक, किशनगंज
15. मुग़लाख़ार, नवादा, बिहार
16. मधुबनी, बिहार
17.आज़ाद चौक,मेहसौल,बिहार
18.अम्बेडकरपार्क,सिवान
19. अम्बेडकर चौक गोपालगंज,
20.धुले, नांदेड, हिंगोली, प्रमाणि, अकोला, महाराष्ट्र
21.कोंडवा पुणे, 
22.सर्कस पार्क, कोलकाता
23.क़ाज़ी नज़रुल बाग़, आसनसोल, पश्चिम बंगाल
24.इस्लामिया मैदान,बरेली
25. रोशन बाग़, इलाहाबाद
26.मंसूर पार्क, इलाहाबाद
27.मोहम्मदअली पार्क, कानपुर
28..शास्त्रीचौराहा,इटावा
29. घण्टाघर, लखनऊ
30.रामनिवास बाग़, राजस्थान
31.कोटा, राजस्थान
32.इक़बाल मैदान, भोपाल
33. जामा मस्जिद ग्राउंड,इंदौर
34. माणिक बाग़, इंदौर
35.अहमदाबाद, गुजरात
36.मैंगलोर, कर्नाटक
37.अंसारनगर, नवादा, बिहार
38. बड़वाली चौकी, इंदौर
39.सत्यानंद हॉस्पिटल, महाराष्ट्र
40.Bettiah,Bihar
41. QILAGHAT, DARBHANGA 
42.LALBAGH, DARBHANGA 
43.Samastipur, BIHAR 
44. Azad chauk, Shrirampur, Maharashtra
45.Mumbra thane Mumbai 
46.Zeromile MADHUBANI 
47. Hum hain bharat madhepura
48. Hum hain bharat, patna
49.सकरी मधुबनी
50.Near 3 jahanabaad arwal road, jahanabaad Bihar
51.लोआम दरभंगा
52.Ambedkar chock Gopalganj (bihar)
53.Siwan near darbar masjid (bihar)
54.मिथिला अवामी फ्रंट, दरभंगा
55.kazi bagh Hamzapur Sherghati   (Gaya)
56. KADRU HAJ HOYSE .RANCHI JHARKHAND
57. mazar chowk Kishanganj Bihar
58.Ali Hussain chowk Bhadurganj Kishanganj Bihar
59.Bhatta Hat Kishanganj Bihar

60.powakhalli Kishanganj Bihar
61.Bishanpur kishanganj
62.sontha hat..
63.mazgama hat purnia      

63. Rakiyal, Ahmedabad,Gujrat.
64 Juhapura Ahmedabad
65 Tandalja Baroda
66 Ajit Mill Ahmedabad
67 शाहीनबाग-मनावर (म.प्र.)
68  Limbayat .surat 
लिस्ट बहुत मेहनत से तैयार हो रही हैं ।आगे शेयर करें।


अहमदाबाद रखियाल 

Thursday, 13 February 2020

PM मोदी की SPG सुरक्षा में 24 घंटे में खर्च होते हैं 1 करोड़ 62 लाख रुपये

हिंदुस्तान में एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीआरपीएफ की सुरक्षा 56 लोगों को मिली हुई है. इस साल के बजट में एसपीजी के लिए मिलने वाले फंड में 10 फीसदी का इजाफा भी किया गया है.



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में रोजाना एक करोड़ 62 लाख रुपये खर्च होते हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद में दिए एक लिखित जवाब में इसकी जानकारी दी. आपको बता दें कि हिंदुस्तान में अब सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) सुरक्षा मिली हुई है. इस संबंध में संसद ने कानून बनाया है, जिसमें प्रावधान किया गया कि सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा दी जाएगी. प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद 5 साल तक एसपीजी सुरक्षा रहेगी और फिर हटा ली जाएगी.


संसद में डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने सवाल किया था कि देश में कितने लोगों को एसपीजी और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा मिली हुई है. इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि वर्तमान में सिर्फ एक शख्स को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है. हालांकि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया.


उन्होंने उन वीआईपी लोगों की भी जानकारी नहीं दी, जिनको सीआरपीएफ की सुरक्षा मिली हुई है. किशन रेड्डी ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए यह भी नहीं बताया गया कि साल 2014 के बाद किन वीआईपी लोगों की सीआरपीएफ सुरक्षा हटाई गई और किन लोगों को दी गई. उन्होंने केवल इतना बताया कि सिर्फ 56 लोगों को सीआरपीएफ सुरक्षा दी गई है. हालांकि डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने जिन लोगों को सीआरपीएफ सुरक्षा मिली है, उन लोगों की जानकारी भी मांगी थी.


एसपीजी सुरक्षा को लेकर संसद में सवाल उस समय उठाया गया, जब बजट में एसपीजी सुरक्षा के लिए आवंटित फंड में 10 फीसदी का इजाफा किया गया. साल 2020-21 के लिए एसपीजी के लिए 592.55 करोड़ रुपये बजट आवंटित किया गया है. पिछली बार बजट में एसपीजी के लिए 540.16 करोड़ रुपये के फंड का आवंटन किया गया था, तब चार लोगों को एसपीजी सुरक्षा मिली थी यानी एक व्यक्ति की सुरक्षा में 135 करोड़ रुपये का खर्च आता था.


पिछले साल एसपीजी एक्ट में संशोधन के बाद अचानक एसपीजी के फंड में इजाफा किया गया है. एसपीजी एक्ट में संशोधन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गांधी परिवार यानी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा को मिली थी. पिछले साल सरकार ने गांधी परिवार को मिली एसपीजी सुरक्षा हटा ली थी. अब गांधी परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा मिली हुई है.


https://aajtak.intoday.in/video/reasons-behind-central-government-withdrawn-spg-cover-of-gandhi-family-1-1135749.html?jwsource=cl


Shahin Bag 21मी सदी का मुसलमान कंहा पर हे, शाहीन बाग के आंदोलन के बाद सोचना जरुरी हे.

शाहीन बाग आंदोलन से हम क्या इबरत (सबक) हासिल करे?


SAFTEAM 
11 Feb 11:00pm 
Gujarat 

शाहीन बाग के महिला आंदोलन से मुस्लिम समाजकी बहोत सी परिस्थितियों का समजना बहोत जरुरी हे, जिसमे सबसे पेहले महिलाओं का अपने घर बार को छोड़कर  इतने लंबे  समय तक आंदोलन करना एक नई क्रांति का आगाज हे.

दुसरा इस आंदोलन को मजबुती से चलाये रखने के लिये मुसलमानो को आर्थिक  योगदान कितना ? अगर इस पर बात करे तो हमने इस आंदोलन के बाद जिस तरहा शिख समुदाई के भाइने अपना मकान बेचकर एक मिशाल काइम  की हे,जिसकी  जानकारी हमे सोशियल मिडिया से मिली हे, उसकी बराबरी करना सायद किसी के बसकी बात नही हे.

शाहीन  बाग के इतिहासिक आंदोलन को बचाने के लिये वंहा पेहले से शिख समुदाय ने लंगर चला रखाथा , कुच समस्याओं के चलते  उस लंगर के हताया गया जिसके बाद उस लंगर के पेहले से हिस्सा बने शिख  भाई  जिस तरहा   अपने परिवार के मना करने के बावजुदअपना मकान बेचकर लंगर चलाया  हे.




ये कार्य चुंके मुसलमानो को करना था लेकिन  चुंके  मुसलमान आजादी  के  इस तरहा के  आंदोलन की तरफ रुजान (ध्यान ) नही  किया जिसको लेकर आज  उसके पास इस तरहा का  जुनून  बाकि  नहिं  रहा  जो  आज    होना चाहिये.

जैसे  मेने ये बात सोशियल मिडिया मे सुनी मुजे मेरे समाज के शखिदातओ की शखावत पर बहोत हेरत हुइ, जिस इस्लाम को हम मानते हे, उसका सबसव पेहले मकसद हे इन्सानियत को सबसे बेहतरीन सामाजिक व्यवस्था देना लेकीन मुजे बहोत दुख के साथ केहना पडेगा हमने हमारी हालाल कमाइ का बहोत बदा हिस्सा सिर्फ ओर सिर्फ मस्जिदो-मदरसों के साथ अपना नाम उचा करने मे लगा दिया जिसके कारण  आज ना हमारी करोडो की कीमत मस्जिदें  जिसकी  सुरक्षा  करने की हो ओर चाहे कितना भी दिनी इल्म देने वाला मदरसों दावा करता हो लेकीन समाजकी सामाजिक रिसर्च करने के बाद ये निश्चित पता चलता हे, हमने हमारी हलाल कमाई का बहोत हिस्सा हमारे समाजके बेहतर भविष्य ओर सुरक्षा को लेकर लगाना चाहिये उस दिशा मे कभी हमारा ध्यान नही दिया हे.


इसी लिये आज ७३ सालो के बाद शाहीन बाग के इस आंदोलन को बचाने के लिये हमारे शिख भाई को अपना मकान बेचना पडा जिसको समजने के बाद पता चलता हे, हम अभी इस्लाम के सबसे पेहले उद्देश्य से बहोत दुर हे.


आने वाले समय मे अब रमजान आ रही हे, मुस्लिम  समाजकी संघर्ष करने वाले संस्थान को चाहिये हमारे समाज को इस दिशा से निकाल कर यानी समाजके शखिदातोकी हलाल कमाय का २५% हिस्सा  सामाजिक आंदोलन मे मददरुप बनाने मे अपनी रणनीति  तैयार करे हम मानते हे, हमारा समाज अभी इस विषय मे इतना तैयार नही हे, लेकीन आज हम कोशिश करेंगे कल आने वाले समयमे इसमे बदलाव जरुर होगा जो समाजके शाखिदाताओ को सामाजिक बदलाव के कार्यो मे साहभागी बनेंगे. इन्शाअल्लाह

"हमारे बेहतर भविष्य  के लिये हमे बदलाव लाना हे"

हमारा    आंदोलन केसा हो???



हमारी टीम से जुडे साथी इसपर जरुर ध्यान देने की कोशिश  करे. हम जलद इस पर हमारा कार्य सुरु करेंगे.

सामाजिक बदलाव,परिवर्तन ओर अधिकारों के आंदोलन बिना बहोत बडे आयोजन ओर रणनीति तैयार  करे बगेर सामाजिक बदलाव परिवर्तन   युवा नेतृत्व खदा करना  होना मुश्किल हे, जिसके लिये आंदोलन करनी वाले संस्थान के पास बेहतरीन हुनरबाज ओर इमानदार सक्रिय-समर्पित कार्यकर्ता  ओर  सामजके समजदार फिकरमंद डोनर जो अपनी हलाल कमाइ से शाखवत करे बहोत  जरुरत होता हे,अगर   अभी  से हम  इस विषय  पर हमारा कार्य सुरु करते हे, कल समाजके सामने   आने वाले बदे बदे खतरात का मुकाबला करने के लिये लोकतांत्रिक  तरीके से आदोलन करने  बदी संखया मे जन विरोध करने मे  शक्ति  बनाने के  लिये उसकी  जरुरत को पुरा कर सकते हे.



"इस विषय  से जुडे  आपके  अनुभव ओर विचार जरुर शेर करे."

Tuesday, 11 February 2020

गुलज़ार साहब ने कितनी खूबसूरती से बता दिया कि जिंदगी क्या है।



कभी तानों में कटेगी,
कभी तारीफों में,
ये जिंदगी है यारों,
पल पल घटेगी !!

पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं,
फिर भी क्यों चिंता करते हो,
इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,
ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी!

बार बार रफू करता रहता हूँ,
जिन्दगी की जेब !!
कम्बखत फिर भी,
निकल जाते हैं...,
खुशियों के कुछ लम्हें !!

ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...
ख़्वाहिशों का है !!
ना तो किसी को गम चाहिए,
ना ही किसी को कम चाहिए !!

खटखटाते रहिए दरवाजा...,
एक दूसरे के मन का,
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए !!

उड़ जाएंगे एक दिन ...,
तस्वीर से रंगों की तरह !
हम वक्त की टहनी पर...,
बेठे हैं परिंदों की तरह !!

बोली बता देती है,इंसान कैसा है!
बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!
घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।
संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !

ना राज़  है... "ज़िन्दगी",
ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी"
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!

जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये,
पर...बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!
  ✍✍"गुलजार"✍✍

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...