शाहीन बाग आंदोलन से हम क्या इबरत (सबक) हासिल करे?
SAFTEAM
11 Feb 11:00pm
Gujarat
शाहीन बाग के महिला आंदोलन से मुस्लिम समाजकी बहोत सी परिस्थितियों का समजना बहोत जरुरी हे, जिसमे सबसे पेहले महिलाओं का अपने घर बार को छोड़कर इतने लंबे समय तक आंदोलन करना एक नई क्रांति का आगाज हे.
दुसरा इस आंदोलन को मजबुती से चलाये रखने के लिये मुसलमानो को आर्थिक योगदान कितना ? अगर इस पर बात करे तो हमने इस आंदोलन के बाद जिस तरहा शिख समुदाई के भाइने अपना मकान बेचकर एक मिशाल काइम की हे,जिसकी जानकारी हमे सोशियल मिडिया से मिली हे, उसकी बराबरी करना सायद किसी के बसकी बात नही हे.
शाहीन बाग के इतिहासिक आंदोलन को बचाने के लिये वंहा पेहले से शिख समुदाय ने लंगर चला रखाथा , कुच समस्याओं के चलते उस लंगर के हताया गया जिसके बाद उस लंगर के पेहले से हिस्सा बने शिख भाई जिस तरहा अपने परिवार के मना करने के बावजुदअपना मकान बेचकर लंगर चलाया हे.
ये कार्य चुंके मुसलमानो को करना था लेकिन चुंके मुसलमान आजादी के इस तरहा के आंदोलन की तरफ रुजान (ध्यान ) नही किया जिसको लेकर आज उसके पास इस तरहा का जुनून बाकि नहिं रहा जो आज होना चाहिये.
जैसे मेने ये बात सोशियल मिडिया मे सुनी मुजे मेरे समाज के शखिदातओ की शखावत पर बहोत हेरत हुइ, जिस इस्लाम को हम मानते हे, उसका सबसव पेहले मकसद हे इन्सानियत को सबसे बेहतरीन सामाजिक व्यवस्था देना लेकीन मुजे बहोत दुख के साथ केहना पडेगा हमने हमारी हालाल कमाइ का बहोत बदा हिस्सा सिर्फ ओर सिर्फ मस्जिदो-मदरसों के साथ अपना नाम उचा करने मे लगा दिया जिसके कारण आज ना हमारी करोडो की कीमत मस्जिदें जिसकी सुरक्षा करने की हो ओर चाहे कितना भी दिनी इल्म देने वाला मदरसों दावा करता हो लेकीन समाजकी सामाजिक रिसर्च करने के बाद ये निश्चित पता चलता हे, हमने हमारी हलाल कमाई का बहोत हिस्सा हमारे समाजके बेहतर भविष्य ओर सुरक्षा को लेकर लगाना चाहिये उस दिशा मे कभी हमारा ध्यान नही दिया हे.
इसी लिये आज ७३ सालो के बाद शाहीन बाग के इस आंदोलन को बचाने के लिये हमारे शिख भाई को अपना मकान बेचना पडा जिसको समजने के बाद पता चलता हे, हम अभी इस्लाम के सबसे पेहले उद्देश्य से बहोत दुर हे.
आने वाले समय मे अब रमजान आ रही हे, मुस्लिम समाजकी संघर्ष करने वाले संस्थान को चाहिये हमारे समाज को इस दिशा से निकाल कर यानी समाजके शखिदातोकी हलाल कमाय का २५% हिस्सा सामाजिक आंदोलन मे मददरुप बनाने मे अपनी रणनीति तैयार करे हम मानते हे, हमारा समाज अभी इस विषय मे इतना तैयार नही हे, लेकीन आज हम कोशिश करेंगे कल आने वाले समयमे इसमे बदलाव जरुर होगा जो समाजके शाखिदाताओ को सामाजिक बदलाव के कार्यो मे साहभागी बनेंगे. इन्शाअल्लाह
हमारी टीम से जुडे साथी इसपर जरुर ध्यान देने की कोशिश करे. हम जलद इस पर हमारा कार्य सुरु करेंगे.
सामाजिक बदलाव,परिवर्तन ओर अधिकारों के आंदोलन बिना बहोत बडे आयोजन ओर रणनीति तैयार करे बगेर सामाजिक बदलाव परिवर्तन युवा नेतृत्व खदा करना होना मुश्किल हे, जिसके लिये आंदोलन करनी वाले संस्थान के पास बेहतरीन हुनरबाज ओर इमानदार सक्रिय-समर्पित कार्यकर्ता ओर सामजके समजदार फिकरमंद डोनर जो अपनी हलाल कमाइ से शाखवत करे बहोत जरुरत होता हे,अगर अभी से हम इस विषय पर हमारा कार्य सुरु करते हे, कल समाजके सामने आने वाले बदे बदे खतरात का मुकाबला करने के लिये लोकतांत्रिक तरीके से आदोलन करने बदी संखया मे जन विरोध करने मे शक्ति बनाने के लिये उसकी जरुरत को पुरा कर सकते हे.
SAFTEAM
11 Feb 11:00pm
Gujarat
शाहीन बाग के महिला आंदोलन से मुस्लिम समाजकी बहोत सी परिस्थितियों का समजना बहोत जरुरी हे, जिसमे सबसे पेहले महिलाओं का अपने घर बार को छोड़कर इतने लंबे समय तक आंदोलन करना एक नई क्रांति का आगाज हे.
दुसरा इस आंदोलन को मजबुती से चलाये रखने के लिये मुसलमानो को आर्थिक योगदान कितना ? अगर इस पर बात करे तो हमने इस आंदोलन के बाद जिस तरहा शिख समुदाई के भाइने अपना मकान बेचकर एक मिशाल काइम की हे,जिसकी जानकारी हमे सोशियल मिडिया से मिली हे, उसकी बराबरी करना सायद किसी के बसकी बात नही हे.
शाहीन बाग के इतिहासिक आंदोलन को बचाने के लिये वंहा पेहले से शिख समुदाय ने लंगर चला रखाथा , कुच समस्याओं के चलते उस लंगर के हताया गया जिसके बाद उस लंगर के पेहले से हिस्सा बने शिख भाई जिस तरहा अपने परिवार के मना करने के बावजुदअपना मकान बेचकर लंगर चलाया हे.
ये कार्य चुंके मुसलमानो को करना था लेकिन चुंके मुसलमान आजादी के इस तरहा के आंदोलन की तरफ रुजान (ध्यान ) नही किया जिसको लेकर आज उसके पास इस तरहा का जुनून बाकि नहिं रहा जो आज होना चाहिये.
जैसे मेने ये बात सोशियल मिडिया मे सुनी मुजे मेरे समाज के शखिदातओ की शखावत पर बहोत हेरत हुइ, जिस इस्लाम को हम मानते हे, उसका सबसव पेहले मकसद हे इन्सानियत को सबसे बेहतरीन सामाजिक व्यवस्था देना लेकीन मुजे बहोत दुख के साथ केहना पडेगा हमने हमारी हालाल कमाइ का बहोत बदा हिस्सा सिर्फ ओर सिर्फ मस्जिदो-मदरसों के साथ अपना नाम उचा करने मे लगा दिया जिसके कारण आज ना हमारी करोडो की कीमत मस्जिदें जिसकी सुरक्षा करने की हो ओर चाहे कितना भी दिनी इल्म देने वाला मदरसों दावा करता हो लेकीन समाजकी सामाजिक रिसर्च करने के बाद ये निश्चित पता चलता हे, हमने हमारी हलाल कमाई का बहोत हिस्सा हमारे समाजके बेहतर भविष्य ओर सुरक्षा को लेकर लगाना चाहिये उस दिशा मे कभी हमारा ध्यान नही दिया हे.
इसी लिये आज ७३ सालो के बाद शाहीन बाग के इस आंदोलन को बचाने के लिये हमारे शिख भाई को अपना मकान बेचना पडा जिसको समजने के बाद पता चलता हे, हम अभी इस्लाम के सबसे पेहले उद्देश्य से बहोत दुर हे.
आने वाले समय मे अब रमजान आ रही हे, मुस्लिम समाजकी संघर्ष करने वाले संस्थान को चाहिये हमारे समाज को इस दिशा से निकाल कर यानी समाजके शखिदातोकी हलाल कमाय का २५% हिस्सा सामाजिक आंदोलन मे मददरुप बनाने मे अपनी रणनीति तैयार करे हम मानते हे, हमारा समाज अभी इस विषय मे इतना तैयार नही हे, लेकीन आज हम कोशिश करेंगे कल आने वाले समयमे इसमे बदलाव जरुर होगा जो समाजके शाखिदाताओ को सामाजिक बदलाव के कार्यो मे साहभागी बनेंगे. इन्शाअल्लाह
"हमारे बेहतर भविष्य के लिये हमे बदलाव लाना हे"
हमारा आंदोलन केसा हो???
हमारी टीम से जुडे साथी इसपर जरुर ध्यान देने की कोशिश करे. हम जलद इस पर हमारा कार्य सुरु करेंगे.
सामाजिक बदलाव,परिवर्तन ओर अधिकारों के आंदोलन बिना बहोत बडे आयोजन ओर रणनीति तैयार करे बगेर सामाजिक बदलाव परिवर्तन युवा नेतृत्व खदा करना होना मुश्किल हे, जिसके लिये आंदोलन करनी वाले संस्थान के पास बेहतरीन हुनरबाज ओर इमानदार सक्रिय-समर्पित कार्यकर्ता ओर सामजके समजदार फिकरमंद डोनर जो अपनी हलाल कमाइ से शाखवत करे बहोत जरुरत होता हे,अगर अभी से हम इस विषय पर हमारा कार्य सुरु करते हे, कल समाजके सामने आने वाले बदे बदे खतरात का मुकाबला करने के लिये लोकतांत्रिक तरीके से आदोलन करने बदी संखया मे जन विरोध करने मे शक्ति बनाने के लिये उसकी जरुरत को पुरा कर सकते हे.
"इस विषय से जुडे आपके अनुभव ओर विचार जरुर शेर करे."