ता.04 फरवरी 2020
SAFTEAM
बादशाह मामून ने ऐलान करवा दिया कि जिस ने क़ुरआन को कलामुल्लाह कहा गर्दन उड़ा दी जाएगी क़ुरआन कलाम नहीं मख्लूक़ है सैकड़ों औलमा शहीद कर दिए गए कई जेलों में डाल दिए या मुल्क बदर कर दिए गए, ऐसे में इमाम अहमद बिन हम्बल رحمتہ اللہ علیہ उम्मत की रहनुमाई के लिए बढ़े और डट गए,मुनाज़रे का ऐलान हुआ लेकिन मामून के इंतिक़ाल के सबब टल गया. मोतसिम बिल्लाह हाकिम बना और वही अक़ीदा बातिल अपनाया.
इमाम को मुनाज़रे के लिए बुलाया गया इमाम ने दलाइल के अंबार लगा दिए. लेकिन मोतसिम के सरकारी मुनाज़रों को डर था कि अगर हार तस्लीम कर ली तो जान से जाएंगे. तीन दिन मुनाज़रा हुआ इमाम की एक ना सुनी गई- और इमाम को साठ कोड़ों की सज़ा मुक़र्रर कर दी गई।जुमा का दिन मुक़र्रर हुआ इमाम को ज़ंजीरों में जकड़ कर लाया जा रहा है बग़दाद के लोग इमाम की एक झलक देखने को उमड़ आए. इमाम सर झुकाए जा रहे हैं. एक लम्बा तगड़ा शख्स हुजूम को चीरता चिल्लाता इमाम की तरफ लपका "अहमद अहमद" मुझे जानते हो??
नहीं जानता.....अहमद मैं अबू हैसम हूं बग़दाद का सबसे बड़ा चोर...... इमाम मेरी पुश्त पर नज़र दौड़ाईए.... मैंने इन कोतवालों से हज़ार कोड़े खाए लेकिन चोरियां नहीं छोड़ीं..... देखना इमाम कहीं इनके कोड़ों के डर से तुम हक़ मत छोड़ देना कि अगर मैंने चोरियां छोड़ दीं तो सिर्फ मेरे बच्चों के पेट पर फर्क़ पड़ेगा लेकिन अगर इमाम आप इस वक़्त पीछे हट गए तो उम्मत बर्बाद हो जाएगी... इमाम ग़श खाकर गिर पड़े दरबार में होश आया..हब्शी कोड़ा लेकर आप पर बरसाने लगा. जिस्म की बोटियां उड़ने लगीं टांगों की हड्डियां नुमाया हो गईं इमाम ने आह तक ना निकाली...तीस कोड़ों के बाद एक शख्स पास आया " एक दफा मेरे कान में चुपके से कह दीजिए क़ुरआन मख्लूक़ है मोतसिम से आपकी सिफारिश कर दूंगा" इमाम ने एक लम्बी सांस ली और फ़रमाया :"तू एक मर्तबा मेरे कान में कह दे क़ुरआन मख्लूक़ नहीं अल्लाह का कलाम है क़यामत में मैं अल्लाह को तेरी गवाही दूंगा---"
ये दीने इस्लाम जो हम तक आन पहुंचा इतनी आसानी से नहीं पहुंचा लाखों औलमा ए हक़ ने अपनी जानों के नज़राने पेश किए हैं....
अय ईमान का दावा करने वालो ! इस ईमान और इस्लाम में जिसके दावेदार हो पूरे पूरे दाखिल हो जाओ..तुम्हारी आफियत इसी में है और हक़ ओ बातिल एक साथ खलत मलत करके शैतान की पैरवी ना करो वो तुम्हारा बड़ा दुश्मन है.....!!!
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