जानिए क्या है अधिकार......
- भोपाल शहर के एडवोकेट आनंद शर्मा बताते है कि आईपीसी की धारा 96 से लेकर 106 तक राइट टू सेल्फ डिफेंस का प्रावधान है। इसके तहत हर व्यक्ति को अपनी सुरक्षा, अपनी पत्नी की सुरक्षा, अपने बच्चों की सुरक्षा, अपने करीबियों और अपनी संपत्ति की सुरक्षा कर सकता है। कुछ परिस्थितियों में अगर आत्मरक्षा में किसी की जान चली जाती है तो राइट टू सेल्फ डिफेंस के तहत रियायत मिल सकती है।
- धारा-100 के मुताबिक सेल्फ डिफेंस में अगर किसी अपराधी की मौत भी हो जाए तो भी बचाव हो सकता है बशर्ते कानूनी प्रावधान के तहत ऐसा एक्ट किया गया हो। अगर गंभीर चोट पहुंचने का खतरा हो, रेप या फिर दुराचार का खतरा हो, अपराधी अगर अपहरण की कोशिश में हो तो ऐसी सूरत में सेल्फ डिफेंस में किए गए अटैक में अगर अपराधी की मौत भी हो जाए तो अपना बचाव किया जा सकता है। लेकिन यह साबित करना होगा कि उक्त कारणों से अटैक किया गया।
आप राइट टू सेल्फ डिफेंस यानी आत्मरक्षा के अधिकार के तहत सामने वाले को उतनी ही चोट या नुकसान पहुंचा सकते हैं, जितनी वह आप को पहुंचाना चाहता है। मान लीजिए अगर कोई आप पर डंडे से हमला करता है, तो आप भी आत्मरक्षा में डंडे का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उस पर आप गोली नहीं चला सकते। यदि सामने वाले के हाथ में पिस्तौल है और वह गोली चलाने वाला है, तो आप भी आत्मरक्षा में गोली चला सकते हैं। यह आपका आत्मरक्षा का अधिकार माना जाएगा।
- अगर किसी महिला को लगता है कि कोई व्यक्ति उस पर हमला करने वाला है या रेप करने की कोशिश करता है, तो वह अपनी सुरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई कर सकती है और यह उसका आत्मरक्षा का अधिकार होगा।
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